चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर को निष्क्रिय किया गया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 के रोवर ‘प्रज्ञान’ के पेलोड्स को फिलहाल निष्‍क्रिय कर दिया है. चंद्रमा की सतह पर अपने सभी कार्य पूरा करने के बाद इसे निष्‍क्रिय किया गया है.

इसरो द्वारा प्रक्षेपित चंद्रयान-3 का लैंडर ‘विक्रम’ और उसके अंदर रखे रोवर ‘प्रज्ञान’ ने 23 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग किया था. लैंडिंग के कुछ घंटे बाद प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से बाहर आ गया था और इसने चांद की सतह पर घूमना शुरू किया था.

मुख्य बिन्दु

  • रोवर ‘प्रज्ञान’ की बैटरी सूर्य का प्रकाश द्वारा चार्ज होता है. चन्‍द्रमा पर 14 दिन तक सूर्य का प्रकाश उपलब्ध न होने के कारण रोवर पेलोड्स को निष्क्रिय किया गया है.
  • प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित है. रोवर की बैटरी पूरी तरह से चार्ज है और चंद्रमा पर 22 सितम्‍बर को अगले सूर्योदय होने पर इसे प्रकाश मिलने लगेगा. रिसीवर को चालू रखा गया है.
  • इसरो ने आशा व्‍यक्‍त की है कि प्रज्ञान रोवर को अन्य कार्यों के लिए फिर से सफलतापूर्वक सक्रिय किया जा सकेगा. ऐसा न होने पर भी रोवर हमेशा के लिए चंद्रमा की सतह पर मौजूद रहेगा.
  • 26 किलो वजन वाला छह पहियों पर चलने वाला और सौर शक्ति संचालित रोवर ने चंद्रमा की सतह की छानबीन कर हम तक अहम जानकारी पहुंचाई है.
  • चंद्र ग्रह पर सल्फर, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम और आयरन की मौजूदगी का प्रमाण भेजा गया है.
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संसद का विशेष सत्र बुलाया गया, जानिए संवैधानिक तथ्य

18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है. इसकी घोषणा संसदीय कार्य मंत्री प्रल्‍हाद जोशी ने 31 अगस्त को की थी.

यह मौजूदा 17वीं लोकसभा का 13वां सत्र और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा. इस सत्र के दौरान पांच बैठकें होंगी. फिलहाल, सरकार ने ताजा सत्र बुलाने को लेकर एजेंडा साफ नहीं किया है.

संसद का विशेष सत्र: एक दृष्टि

  • भारतीय संसद की तीन हिस्से हैं- राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा. राष्ट्रपति, दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) की दैनिक कार्यवाही का राष्ट्रपति हिस्सा नहीं होते हैं, लेकिन उनके पास सदनों को बुलाने और स्थगित करने का अधिकार होता है.
  • संसद का सत्र बुलाने का फैसला संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति करती है, जिसे राष्ट्रपति औपचारिक रूप देते हैं.
  • फिलहाल, भारत में संसद के तीन पारंपरिक सत्र होते हैं. इनमें बजट सत्र, मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र होते हैं.
  • संविधान में कहा गया है कि अनुच्छेद 85 के तहत साल में कम से कम दो बार संसद की बैठक होनी चाहिए. साथ ही दोनों बैठकों के बीच 6 महीनों से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए.
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गृह मंत्री की अध्यक्षता में पश्चिम क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक आयोजित की गयी

पश्चिम क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक 28 अगस्त को गुजरात के गांधीनगर में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता गृह मंत्री अमित शाह ने की थी.

  • पश्चिम क्षेत्रीय परिषद में गुजरात, गोवा, महाराष्ट्र दादरा नगर हवेली और दमण-दीव शामिल हैं. बैठक में गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा के मुख्यमंत्रियों तथा दादरा व नगर हवेली और दमन व दीव के प्रशासक, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्रीगण उपस्थित रहे थे.
  • श्री अमित शाह ने राज्यों को सशक्त बनाने और केंद्र तथा राज्यों के बीच नीतिगत संरचना की बेहतर समझ को बढ़ावा देने के लिए सहकारी संघवाद के दृष्टिकोण पर बल दिया है.
  • गृहमंत्री ने क्षेत्रीय परिषद के सदस्‍य राज्‍यों से पोषण अभियान, बच्‍चों के स्‍कूल छोडने की दर में कमी लाना तथा आयुष्‍मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना के लाभ हर गरीब तक पहुंचाने के तीन राष्‍ट्रीय महत्‍व के मुद्दों पर संवेदनशील होकर काम करने को कहा.
  • बैठक में भूमि संबंधी मुद्दों का हस्तांतरण, जलापूर्ति, गांवों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, 5जी शुरू करने की सुविधा, मोटर वाहन नियम, कृषि ऋण समितियों आदि महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ.
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लघु सिंचाई योजनाओं की छठी गणना की रिपोर्ट जारी

जल शक्ति मंत्रालय ने लघु सिंचाई योजनाओं की छठी गणना की रिपोर्ट 26 अगस्त को जारी की थी. रिपोर्ट के अनुसार देश में 2 करोड 31 लाख 40 हजार लघु सिंचाई योजनाएं हैं. इनमें से 2 करोड 19 लाख 30 हजार भूजल और 12 लाख 10 हजार सतही जल योजनाएं हैं.

मुख्य बिन्दु

  • सबसे अधिक लघु सिंचाई योजनाएं उत्तर प्रदेश में हैं. इसके बाद महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु का स्थान है.
  • भूजल योजनाओं में महाराष्ट्र सबसे आगे है. उसके बाद कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिसा और झारखंड का स्थान हैं.
  • सतही जल योजनाओं में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड की हिस्सेदारी सबसे अधिक है.
  • भूजल योजनाओं में खोदे गए कुएं, कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल शामिल हैं. सतही जल योजनाओं में सतही प्रवाह और सर्फस लिफ्ट योजनाएं शामिल हैं.
  • पांचवी गणना की तुलना में छठी लघु सिंचाई गणना के दौरान लघु सिंचाई योजनाओं में लगभग 1.42 मिलियन की वृद्धि हुई है. राष्ट्रीय स्तर पर, भूजल और सतही जल स्तर की योजनाओं में क्रमशः 6.9% और 1.2% की वृद्धि हुई है.
  • लघु सिंचाई योजनाओं में खोदे गए कुंओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, इसके बाद कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल हैं.
  • महाराष्ट्र कुएं खोदने, सतही प्रवाह और सर्फस लिफ्ट योजनाओं में अग्रणी राज्य है. उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब क्रमशः कम गहरे ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल और गहरे ट्यूबवेल में अग्रणी राज्य हैं.
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भारत चंद्रमा ने दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का पहला देश बना

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रक्षेपित चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग किया. इसके साथ थी भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का चौथा (अमेरिका, रूस, चीन के बाद) और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का पहला देश बन गया.

मुख्य बिन्दु

  • इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन का प्रक्षेपण 14 जुलाई को ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ (LVM-3) रॉकेट (प्रक्षेपण यान) द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अन्‍तरिक्ष केन्‍द्र से किया था.
  • 23 अगस्त को शाम 6.04 बजे चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ और उसके अंदर रखे रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग किया. सॉफ्ट लैंडिंग का अर्थ बिना झटके के सतह पर उतरना होता है.
  • भारत से पहले चांद पर पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन ही सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर पाए हैं. इनमें से कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के आस-पास ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं कर पाया था.
  • अब तक चांद के लिए जो भी सफल मिशन रहे हैं वो चांद के उत्तर या मध्य में हैं. यहां पर लैंडिंग के लिए जगह समतल है और सूरज की सही रोशनी भी आती है. चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर रोशनी नहीं पहुंचती साथ ही सतह पथरीली, ऊबड़-खाबड़ और गड्ढों से भरी है.
  • चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का यह भारत का दूसरा प्रयास था. इसरो ने पहला प्रयास 7 सितंबर 2019 को ‘चंद्रयान-2’ मिशन द्वारा किया था, जो सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल रहा था. इसरो का पहला चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-1’ को 2008 में प्रक्षेपित किया गया था. इस मिशन में चाँद पर उतरने के लिए लैंडर मॉड्यूल नहीं था.
  • इसरो के वर्तमान चेयरमैन एस सोमनाथ हैं. चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर महान वैज्ञानिक पी वीरामुथुवेल हैं. वहीं चंद्रयान-3 मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर महिला वैज्ञानिक कल्पना के हैं. चंद्रयान-3 मिशन का कुल खर्च की राशि 615 करोड़ रुपये है.
  • दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने जोहान्‍सबर्ग से वर्चुअली इसरो के लैंडिंग कार्यक्रम को देखा और संबोधित किया. प्रधानमंत्री 15वें ब्रिक्‍स सम्मेलन में हिस्सा लेने दक्षिण अफ्रीका गए थे.

चंद्रयान 3 मिशन: एक दृष्टि

  • चंद्रयान 3 के तीन हिस्‍से हैं- प्रोपल्‍शन, लैंडर और रोवर. प्रोपल्‍शन, लैंडर और रोवर को पृथ्‍वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा में ले गया था. रोवर को लैंडर के अंदर स्थापित किया गया था. लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ दिया गया है.
  • लैंडर का काम चंद्रमा की सतह पर उतरकर उसमें मौजूद 6 पहियों वाले रोवर को बाहर निकालना था. रोवर चांद की सतह पर खनिजों सहित कई महत्‍वपूर्ण जानकारी जुटाएगा.
  • इस मिशन का उद्देश्य ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों को मापना, भूकंपीय गतिविधि का पता लगाना और लूनर क्रस्ट और मेंटल की संरचना का चित्रण करना भी है.
  • लैंडर और रोवर (कुल वजन 1,752 किलोग्राम) को एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के लगभग 14 दिन के बराबर) तक काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
  • सुरक्षित रूप से चंद्र सतह पर उतरने के लिए लैंडर में कई सेंसर थे, जिसमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, टचडाउन सेंसर और खतरे से बचने एवं स्थिति संबंधी जानकारी के लिए कैमरे लगे थे.

लैंडर मॉड्यूल ने जहां पर कदम रखे, उस जगह का नामकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल ‘विक्रम’ ने जहां पर कदम रखे, उस जगह का नामकरण किया है.

  • चंद्रमा के 23 अगस्‍त 2023 को चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल जिस हिस्से पर उतरा, अब उस पॉइंट को ‘शिवशक्ति‘ के नाम से जाना जाएगा.
  • प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान-2 के इम्पैक्ट पॉइंट को भी एक नाम दिया. अब उसे ‘तिरंगा‘ के नाम से जाना जाएगा. 2019 में यहीं पर चंद्रयान-2 का लैंडर क्रैश हो गया था.
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि शिवशक्ति पॉइंट आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा कि हमें विज्ञान का उपयोग मानवता के कल्याण के लिए ही करना है. तिरंगा पॉइंट हमें प्रेरणा देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती.

23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रत्येक वर्ष 23 अगस्त को जब भारत के विक्रम लैंडर ने दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग किया, उस दिन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की.

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पारंपरिक शिल्‍पकारों को सहयोग देने के लिए ‘पीएम-विश्‍वकर्मा’ योजना को मंजूरी

केंद्र सरकार ने पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को सहयोग देने के लिए ‘पीएम-विश्‍वकर्मा’ योजना को मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में 16 अगस्त को मंत्रिमंडल की आर्थिक कार्य समिति ने पांच वर्ष की अवधि के लिए इस योजना को स्वीकृति दी. इस योजना पर 13 हजार करोड रुपये की लागत आएगी.

मुख्य बिन्दु

  • इस योजना का उद्देश्य हाथों और औजारों के जरिए काम करने वाले शिल्पकारों और कारीगरों की पीढ़ियों से चले आ रहे पारंपरिक कौशल को मजबूती तथा बढ़ावा देना है.
  • इस योजना के अंतर्गत शुरूआत में 18 पारंपरिक उद्योग-धंधों को शामिल किया जाएगा. इनमें बढई, नाव बनाने वाले, सुनार, राज मिस्री, खिलौने बनाने वाले, लौहार और कुम्हार शामिल हैं.
  • इस  योजना के अंतर्गत कौशल (स्‍कील) प्रशिक्षण दिया जाएगा. दो तरह के स्‍कील प्रोगाम होंगे- बेसिक और एडवांस्‍ड स्‍कील्‍स.  स्‍कील लेने के दौरान 500 रुपये प्रतिदिन स्‍टाईफंड भी दिया जाएगा. फिर माडर्न टूल्‍स खरीदने के लिए 15 हजार रुपये तक का सपोर्ट मिलेगा.
  • इस  योजना के अंतर्गत अधिकतम 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा. इससे 30 लाख से अधिक परिवार लाभान्वित होंगे.
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शहरों में ई-बसों की सेवा बढाने के लिए पीएम ई-बस सेवा को स्‍वीकृति

सरकार ने शहरों में ई-बसों की सेवा बढाने के लिए ‘पीएम ई-बस सेवा’ को स्‍वीकृति दी है. इस योजना के तहत शुरूआत में दस हजार ई-बसें चलाई जाएगी.

मुख्य बिन्दु

  • पीएम-ई-बस सेवा पर 57.61 हजार करोड रुपये खर्च किए जाएंगे. 169 शहरों में दस हजार नई इलेक्ट्रिक बसें लाई जाएंगी.
  • देश के सौ शहरों को वृहत पैमाने पर इलेक्‍ट्रीक बस चलाने के लिए यह योजना तैयार की गई है जो ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देगी.
  • पीएम-ई-बस सेवा योजना के क्रियान्‍वयन से देश के शहरों में सार्वजनिक परिवहन सेवा का विस्तार होगा, पर्यावरण अनुकूल यातायात व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.
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निवार्चन आयुक्त (सेवा नियुक्ति शर्तें और पद की अवधि) विधेयक 2023

राज्य सभा में 11 अगस्त को मुख्य निवार्चन आयुक्त और अन्य निवार्चन आयुक्त (सेवा नियुक्ति शर्तें और पद की अवधि) विधेयक 2023 पेश किया गया था. विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह विधेयक पेश किया था.

विधेयक का उद्देश्य मुख्य निवार्चन आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव करना है.

विधेयक के मुख्य बिन्दु

  • इस विधेयक के मुताबिक, CEC और अन्य EC की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति करेगी। इस कमेटी में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री भी सदस्य होंगे. मुख्य न्यायाधीश (CJI) को शामिल नहीं किया गया है.
  • दरअसल, इससे पहले मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा चयन प्रक्रिया को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अब CEC और EC की नियुक्ति का भी वही तरीका होगा, जो सीबीआई चीफ की नियुक्ति का है. अब तक CEC और EC की नियुक्तियां केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी.
  • सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसले में कहा था कि अब ये नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस की कमेटी की सिफारिश पर राष्ट्रपति करेंगे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि मौजूदा व्यवस्था तब तक जारी रहेगी, जब तक संसद इस पर कानून ना बना दे.
  • CEC और EC का वेतन और भत्ते कैबिनेट सचिव के बराबर होंगे. वर्तमान कानून के तहत उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के वेतन के बराबर वेतन दिया जाता है. वरीयता क्रम में CEC और EC को राज्य मंत्री से नीचे स्थान दिया जाएगा.
  • CEC और EC की नियुक्ति उन व्यक्तियों में से की जाएगी जो भारत सरकार के सचिव के पद के बराबर पद पर हैं या रह चुके हैं.
  • CEC और EC पद ग्रहण से छह साल की अवधि के लिए पद पर रहेंगे या जब तक वह 65 वर्ष की आयु पूरी नहीं कर लेते, जो भी पहले हो. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे.
  • जब एक चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है, उसका कार्यकाल कुल मिलाकर छह साल से ज्यादा नहीं होगा. मौजूदा कानून भी उसी तर्ज पर है.

निर्वाचन आयोग (Election Commission)

  • देश का संविधान 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया. लेकिन भारत निर्वाचन आयोग को एक संवैधानिक संस्‍था के रूप में स्‍थापित करने वाला संविधान का अनुच्‍छेद 324 उन गिने-चुने प्रावधानों में से है जिन्हें पूरे दो महीने पहले 26 नवम्‍बर 1949 को ही लागू कर दिया गया था.
  • भारत निर्वाचन आयोग का गठन भारत के गणतंत्र बनने के एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हो गया था. निर्वाचन आयोग लोकसभा, राज्य सभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करवाता है.
  • भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों से संबंधित है. संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग और सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित हैं.
  • मूल संविधान में निर्वाचन आयोग में केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था. 1 अक्तूबर, 1993 को इसे तीन सदस्यीय आयोग वाला कर दिया गया. तब से निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं.
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न्याय प्रणाली में सुधार के लिए संसद में तीन विधेयक पेश किए गए

भारत में न्याय प्रणाली में सुधार के लिए तीन विधेयक पेश किए गए हैं। ये विधेयक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को लोक सभा में प्रस्तुत किया था। इन विधेयकों में भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 शामिल हैं.

ये विधेयक औपनिवेशिक काल में बने वर्तमान तीन कानूनों की जगह लेंगे. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1898 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023; और भारतीय साक्ष्य संहिता (आईईए) 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभाव में आ जाएगा.

वर्तमान कानूनों में 313 बदलाव किए गए हैं, जिनका उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली को सशक्‍त बनाना है.

महिलाओं और बच्चों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं. संपूर्ण आपराधिक न्याय प्रणाली को डिजिटल बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है.

विधेयक के मुख्य बिन्दु

  • नई सीआरपीसी में 356 धाराएं होंगी जबकि पहले उसमें कुल 511 धाराएं होती थी.
  • सबूत जुटाने के टाइव वीडियोग्राफी करनी जरूरी होगी.
  • जिन भी धाराओं में 7 साल से अधिक की सजा है वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाने पहुंचेगी.
  • राज्य में किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देता है, चाहे अपराध कहीं भी हुआ हो.
  • 3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा. इससे मामले की सुनवाई और फैसला जल्द आ जाएगा.
  • 90 दिनों के अंदर चार्जेशीट दाखिल करनी होगी और 180 दिनों के अंदर हर हाल में जांच समाप्त की जाएगी.
  • चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा.
  • गलत पहचान देकर यौन संबंध बनाने वालों को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा. गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा होगी.
  • 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ यौन शोषण मामले में मौत की सजा का प्रावधान जोड़ा जाएगा.
  • राजद्रोह कानून पूरी तरह से खत्म किया गया है.
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संसद ने अंतर-सेना संगठन सहित चार विधेयकों को पारित किया

संसद ने 8 अगस्त को चार विधेयकों को पारित किया था. इनमें अंतर-सेना संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक-2023, भारतीय प्रबंधन संस्‍थान (संशोधन) विधेयक 2023, राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक 2023 तथा राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2023 शामिल हैं.

अंतर-सेना संगठन विधेयक: संसद ने अंतर-सेना संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक-2023 अंतर-सेना संगठनों के ऑफिसर इन कमांड को उनकी कमान के अंतर्गत कर्मियों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक नियंत्रण रखने का अधिकार देता है. विधेयक का मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं में बेहतर समन्वय कायम करना है.

भारतीय प्रबंधन संस्‍थान (संशोधन) विधेयक: इस विधेयक में भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम 2017 में संशोधन का प्रस्ताव है. इसमें भारतीय प्रबंधन संस्‍थानों को राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍थान घोषित किया गया है. नए अधिनियम के अंतर्गत आईआईएम निदेशक की नियुक्ति चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा की जाएगी. इसके लिए पहले कुलाध्‍यक्ष की मंजूरी लेनी होगी.

राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक: इस विधेयक 2023 में नर्सिंग और मिडवाइफरी पेशेवरों द्वारा शिक्षा और सेवाओं के मानकों के विनियमन और रखरखाव का प्रावधान किया गया है. विधेयक में राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग के गठन का प्रावधान है. इसमें 29 सदस्य होंगे. विधेयक के अनुसार, प्रत्येक राज्य सरकार को एक राज्य नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग का गठन करना होगा, जहां राज्य कानून के तहत ऐसा कोई आयोग मौजूद नहीं है.

राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक: इस विधेयक का उद्देश्य देश में दंत चिकित्सा के पेशे को विनियमित कर गुणवत्तापूर्ण और किफायती दंत चिकित्सा शिक्षा प्रदान करना है. यह विधेयक दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 को निरस्त करने के लिए लाया गया. इसमें दंत चिकित्सा शिक्षा और दंत चिकित्सा के मानकों को विनियमित करने के लिए राष्ट्रीय दंत आयोग, दंत सलाहकार परिषद और तीन स्वायत्त बोर्डों के गठन का प्रावधान है.

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मध्यस्थता विधेयक 2023 संसद में पारित

संसद ने हाल ही में मध्यस्थता विधेयक (Mediation Bill) 2023 पारित किया था. लोकसभा ने इसे 7 अगस्त को पारित किया था जबकि राज्य सभा इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी थी.

मुख्य बिन्दु

  • विधेयक में व्यक्तियों को किसी भी न्यायालय न्यायाधिकरण में जाने से पहले मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को निपटाने का अवसर देने का प्रावधान है. विधेयक में भारतीय मध्यस्थता परिषद की स्थापना का प्रावधान भी है.
  • एक पक्ष दो मध्यस्थता सत्रों के बाद मध्यस्थता से हट सकता है. मध्यस्थता प्रक्रिया 180 दिनों के अन्दर पूरी की जानी चाहिए तथा इसे और 180 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है.
  • यह विधेयक जीवन में सुगमता लाएगा. इस विधेयक से मध्यस्थता केंद्रों को कानूनी मदद मिलेगी. इससे मुकदमों पर खर्च और उसका बोझ भी कम होगा.
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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली सरकार संशोधन विधेयक-2023 पारित

संसद ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली-(संशोधन) विधेयक (Government of NCT of Delhi (Amendment) Bill) 2023 पारित किया है. राज्यसभा ने इस विधेयक को 7 अगस्त को पारित किया था, जबकि लोकसभा पहले ही इस विधेयक पारित कर चुकी थी. यह विधेयक, सेवाओं से संबंधित केंद्र के अध्यादेश का स्थान लेगा. 19 मई 2023 को राष्ट्रपति ने अध्यादेश जारी किया था.

राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 131 सांसदों ने जबकि विपक्ष में 102 सांसदों ने वोट किया. लोकसभा में यह विधेयक ध्वनि मत से ही पारित हो गया था.

विधेयक के मुख्य बिन्दु

  • इस विधेयक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम 1991 में संशोधन का प्रावधान है. यह केंद्र सरकार को अधिकारियों के कार्यों, नियमों और सेवा की अन्य शर्तों सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के मामलों के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है.
  • इसमें राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन का भी प्रावधान है. इस प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे.
  • प्राधिकरण अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्तियों तथा अनुशासनात्मक कार्रवाइयों के मामलों के संबंध में दिल्ली के उपराज्यपाल को सिफारिशें देगा.

संवैधानिक पहलू

  • दिल्‍ली संघ प्रदेश है जो एक विशेष अनुच्‍छेद (आर्टिकल) के तहत बनाया गया है. 239AA, 3-B के तहत संसद को दिल्‍ली संघ राज्‍य क्षेत्र या उसके किसी भी भाग के लिए उसके संबंधित किसी भी विषय के लिए कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है.
  • भारतीय संविधान के 69वें संशोधन, 1992 के दो नए अनुच्छेद 239AA और 239AB जोड़े गए थे, जिसके अंतर्गत केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली को विशेष दर्जा दिया गया है.
  • अनुच्छेद 239AA के अंतर्गत केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली को ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली’ बनाया गया और इसके प्रशासक को उपराज्यपाल (Lt. Governor) नाम दिया गया.
  • 69वें संविधान संशोधन में दिल्ली के लिये विधानसभा की व्यवस्था की गई जो पुलिस, भूमि और लोक व्यवस्था के अतिरिक्त राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बना सकती है.
  • यह दिल्ली के लिये एक मंत्रिपरिषद का भी प्रावधान करता है, जिसमें मंत्रियों की कुल संख्या विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 10% से अधिक नहीं होगी.
  • अनुच्छेद 239AB के मुताबिक, राष्ट्रपति अनुच्छेद 239AA के किसी भी प्रावधान या इसके अनुसरण में बनाए गए किसी भी कानून के किसी भी प्रावधान के संचालन को निलंबित कर सकता है. यह प्रावधान अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) जैसा है.
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