निवार्चन आयुक्त (सेवा नियुक्ति शर्तें और पद की अवधि) विधेयक 2023

राज्य सभा में 11 अगस्त को मुख्य निवार्चन आयुक्त और अन्य निवार्चन आयुक्त (सेवा नियुक्ति शर्तें और पद की अवधि) विधेयक 2023 पेश किया गया था. विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह विधेयक पेश किया था.

विधेयक का उद्देश्य मुख्य निवार्चन आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव करना है.

विधेयक के मुख्य बिन्दु

  • इस विधेयक के मुताबिक, CEC और अन्य EC की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति करेगी। इस कमेटी में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री भी सदस्य होंगे. मुख्य न्यायाधीश (CJI) को शामिल नहीं किया गया है.
  • दरअसल, इससे पहले मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा चयन प्रक्रिया को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अब CEC और EC की नियुक्ति का भी वही तरीका होगा, जो सीबीआई चीफ की नियुक्ति का है. अब तक CEC और EC की नियुक्तियां केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी.
  • सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसले में कहा था कि अब ये नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस की कमेटी की सिफारिश पर राष्ट्रपति करेंगे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि मौजूदा व्यवस्था तब तक जारी रहेगी, जब तक संसद इस पर कानून ना बना दे.
  • CEC और EC का वेतन और भत्ते कैबिनेट सचिव के बराबर होंगे. वर्तमान कानून के तहत उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के वेतन के बराबर वेतन दिया जाता है. वरीयता क्रम में CEC और EC को राज्य मंत्री से नीचे स्थान दिया जाएगा.
  • CEC और EC की नियुक्ति उन व्यक्तियों में से की जाएगी जो भारत सरकार के सचिव के पद के बराबर पद पर हैं या रह चुके हैं.
  • CEC और EC पद ग्रहण से छह साल की अवधि के लिए पद पर रहेंगे या जब तक वह 65 वर्ष की आयु पूरी नहीं कर लेते, जो भी पहले हो. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे.
  • जब एक चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है, उसका कार्यकाल कुल मिलाकर छह साल से ज्यादा नहीं होगा. मौजूदा कानून भी उसी तर्ज पर है.

निर्वाचन आयोग (Election Commission)

  • देश का संविधान 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया. लेकिन भारत निर्वाचन आयोग को एक संवैधानिक संस्‍था के रूप में स्‍थापित करने वाला संविधान का अनुच्‍छेद 324 उन गिने-चुने प्रावधानों में से है जिन्हें पूरे दो महीने पहले 26 नवम्‍बर 1949 को ही लागू कर दिया गया था.
  • भारत निर्वाचन आयोग का गठन भारत के गणतंत्र बनने के एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हो गया था. निर्वाचन आयोग लोकसभा, राज्य सभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करवाता है.
  • भारतीय संविधान का भाग 15 चुनावों से संबंधित है. संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग और सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित हैं.
  • मूल संविधान में निर्वाचन आयोग में केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था. 1 अक्तूबर, 1993 को इसे तीन सदस्यीय आयोग वाला कर दिया गया. तब से निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं.
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