फिलीपींस के विदेश मंत्री की भारत यात्रा: पांचवें भारत फिलीपींस संयुक्त आयोग बैठक

फिलीपींस के विदेश मंत्री (विदेश सचिव) एनरिक ए मनालो 27 से 30 जून तक भारत दौरे पर थे. इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने फिलीपींस के विदेश सचिव एनरिक ए मनालो के साथ बातचीत की. इस बातचीत में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को नई गति प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की.

पांचवें भारत फिलीपींस संयुक्त आयोग की पांचवीं बैठक

पांचवें भारत फिलीपींस संयुक्त आयोग की पांचवीं बैठक 29 जून को नई दिल्‍ली में हुई. द्विपक्षीय सहयोग पर आधारित इस बैठक की सहअध्‍यक्षता विदेश मंत्री सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर और फिलीपींस के विदेश सचिव एनरिक ए मनालो ने की.

बैठक के दौरान, दोनों पक्ष राजनीतिक, रक्षा, सुरक्षा, समुद्री सहयोग, व्‍यापार और निवेश, स्‍वास्‍थ्‍य, पर्यटन, कृषि, वित्‍तीय प्रौद्योगिकी सहित द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा की और आपसी हित के क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा हुई.

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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की मिस्र की यात्रा: मिस्र के सर्वोच्‍च सम्‍मान से सम्मानित

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 24 से 25 जून तक मिस्र की यात्रा पर थे. वे अपनी सफल अमरीका यात्रा के बाद मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंचे थे. प्रधानमंत्री मोदी की यह मिस्र की पहली यात्रा थी.

मुख्य बिन्दु

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी के साथ शिष्टमंडल स्तर की वार्ता की. इस वार्ता में दोनों देशों के बीच चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए.
  • दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए गए. इसके अलावा कृषि क्षेत्र, स्मारकों की सुरक्षा एवं संरक्षण को लेकर भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए.
  • श्री सीसी ने श्री मोदी को मिस्र का सर्वोच्‍च सम्‍मान ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ प्रदान किया. यह 13वां ऐसा सर्वोच्च राजकीय सम्मान है जो दुनिया भर के विभिन्न देशों ने श्री मोदी को प्रदान किया है.
  • इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी काहिरा में हकीम मस्जिद और हेलियोपोलिस युद्ध स्‍मारक भी गए. यह युद्ध स्‍मारक प्रथम विश्‍व युद्ध में मिस्र और फलस्‍तीन के अभियानों में शहीद हुए 3727 भारतीय सैनिकों की स्‍मृति में बनाया गया है.
  • प्रधानमंत्री ने मिस्र के मुख्य मुफ्ती प्रोफेसर शॉकी इब्राहिम अल्लाम से मुलाकात की. श्री शॉकी ने श्री मोदी के समावेशी नेतृत्व और बहुलतावाद को समर्थन की सराहना की. प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत, मिस्र में दार-अल-इफ्ता में सूचना प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करेगा.
  • श्री मोदी ने मिस्र मंत्रिमंडल की नवगठित ‘भारत इकाई’ के साथ बैठक की. इसमें मिस्र के सात कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. भारत इकाई का गठन मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफ़ा मदबौली की अध्यक्षता में किया गया है.
  • इस बैठक में व्यापार और निवेश, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, सूचना प्रोद्यौगिकी, डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म, औषधि और दोनों देशों के बीच जन-संपर्क बढ़ाने पर चर्चा हुई.
  • भारत की जी-20 अध्‍यक्षता के दौरान मिस्र को भी विशेष अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया गया है.
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प्रधानमंत्री की अमरीका की यात्रा, जेट इंजन बनाने के लिए समझौता

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 21 से 25 जून तक अमरीका और मिस्र की यात्रा पर थे. श्री मोदी अमरीका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन और प्रथम महिला डॉ० जिल बाइडेन के निमंत्रण पर 21 से 23 जून तक अमरीका की राजकीय यात्रा पर थे.

मुख्य बिन्दु

  • अमरीका यात्रा के दौरान श्री मोदी ने 21 जून को न्‍यूयॉर्क के संयुक्‍त राष्‍ट्र मुख्‍यालय में अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस समारोह के आयोजनों का नेतृत्‍व किया.
  • जाने-माने गणित सांख्‍य‍िकीयविद, विद्वान और लेखक प्रोफेसर नसीम निकोलस तलेब के साथ मुलाकात की. विख्‍यात बोद्ध विद्वान और लेखक पद्यश्री बॉब थुरमन के साथ भी बातचीत की.
  • टैसला मोटर के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी एलन मस्‍क से भी मिले. उन्‍होंने कहा कि भारत में दुनिया के किसी भी अन्‍य बडे देश से अधिक संभावनाएं हैं.
  • प्रधानमंत्री मोदी ने वाशिंगटन डीसी में माइक्रोन टैक्‍नोलॉजी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय महरोत्रा से मुलाकात की. प्रधानमंत्री मोदी ने उन्‍हें भारत में सेमी कंडक्‍टर के निर्माण में माइक्रोन टैक्‍नोलॉजी की भागीदारी के लिए आमंत्रित किया.
  • प्रधानमंत्री मोदी ने अमरीका के वाशिंगटन डीसी में व्‍हाइट हाउस में राष्‍ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात की. उन्होंने अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया.
  • उन्होंने व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए.

लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए समझौता: मुख्य बिन्दु

प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका की इस यात्रा के दौरान लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए भारत में प्लांट लगाने से संबंधित के समझौता पर हस्ताक्षर किया गया.

  • इस समझौते के तहत अब भारत का हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) एयरोस्पेस मिलकर एफ-414 जेट इंजन का भारत में सह-उत्पादन करेंगे.
  • भारत फाइटर जेट्स बनाने वाला विश्व के पाँचवाँ देश होगा. अभी तक दुनिया के सिर्फ चार देश अमेरिका, रूस, इंग्लैंड और फ्रांस फाइटर जेट के इंजन बनाते हैं, यानी दुनियाभर में उड़ रहे फाइटर जेट्स में इन्हीं देशों में बने इंजन लगे हैं.
  • जीई के F-414 जेट इंजनों का निर्माण भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर योजना’ के तहत स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क-2 की ताकत बढ़ाने के लिए है. तेजस एलसीए मार्क-1 जीई कंपनी के F-404 इंजन से ही संचालित हैं.
  • अब भारत में बनने वाले एफ-414 जेट इंजनों को एलसीए मार्क-2 के अलावा पांचवीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) में भी लगाये जाने की योजना है.

अन्य समझौते

  • अमेरिका की कंप्यूटर मेमोरी चिप विनिर्माता माइक्रोन टेक्नोलॉजी गुजरात में अपना सेमीकंडक्टर असेंबली एवं परीक्षण संयंत्र लगाएगी, जिसपर कुल 2.75 अरब डॉलर (22,540 करोड़ रुपये) का निवेश होगा. एप्लाइड मैटेरियल्स इंक, सहयोगी इंजीनियरिंग केंद्र स्थापित करने के लिए 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगी.
  • भारत और अमेरिका ने 31 ‘हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस’ (हेल) ड्रोन के सौदे पर हस्ताक्षर किये हैं, जिनमें से नौसेना को 15 सीगार्जियन ड्रोन मिलेंगे, जबकि थलसेना और भारतीय वायुसेना को आठ-आठ भूमि संस्करण वाले ड्रोन स्काईगार्जियन प्राप्त होंगे.
  • भारत-अमेरिका ने 2024 के लिए संयुक्त अंतरिक्ष यात्री मिशन की भी घोषणा की. भारत ने अर्टेमिस संधि में शामिल होने का फैसला किया है और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (नासा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2024 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए एक संयुक्त मिशन भेजने पर सहमत हुए हैं. अर्टेमिस संधि असैन्य अंतरिक्ष अन्वेषण पर समान विचार वाले देशों को एक मंच पर लाता है.
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भारतीय पहल: संयुक्‍त राष्‍ट्र में शांति सैनिकों को समर्पित मैमोरियल वॉल बनाने का प्रस्ताव

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत द्वारा पेश प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. इस प्रस्ताव के तहत संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक मेमोरियल वॉल (Memorial wall) का निर्माण किया जाना है. प्रस्ताव में कहा गया है कि इस मेमोरियल वॉल का निर्माण तीन साल में पूरा कर लिया जाएगा.

मुख्य बिन्दु

  • संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने 14 जून को यह प्रस्ताव पेश किया था, जिसे 190 देशों ने समर्थन दिया. बाद में संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
  • इस मेमोरियल वॉल पर संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन पर बलिदान हुए सैनिकों के नाम लिखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी.
  • साल 2015 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक वर्चुअल मेमोरियल वॉल लॉन्च की थी, जिसमें शांति मिशन में  बलिदान हुए भारतीय सैनिकों के श्रद्धांजलि दी गई थी.
  • साल 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे, उस वक्त भी संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में पीएम मोदी ने शांति मिशन के दौरान बलिदान हुए सैनिकों की याद में मेमोरियल वॉल बनाने का सुझाव दिया था.
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु  ने सूरीनाम और सर्बिया की यात्रा संपन्न की

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 3 से 9 जून तक सूरीनाम और सर्बिया की यात्रा पर थे. यात्रा के पहले चरण में राष्ट्रपति, सूरीनाम में भारतीयों के आगमन की 150वीं वर्षगांठ समारोह में मुख्य अतिथि थीं. यात्रा के दूसरे चरण में 7 से 9 जून तक वे सर्बिया की यात्रा पर थीं.

मुख्य बिन्दु

  • राष्ट्रपति मुर्मु की यह यात्रा एतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण थी. वे सूरीनाम में भारतीयों के आने की 150वीं वर्षगांठ पर जून को आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि थीं.
  • यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सूरीनाम के सर्वोच्च नागरिक सम्मान- ‘द ग्रैंड ऑर्डर ऑफ़ द चेन ऑफ़ येलो स्टार’ से अलंकृत किया गया. पारामारिबो में सूरीनाम गणतंत्र के राष्‍ट्रपति चंद्रिका परसाद संतोखी ने उन्‍हें यह सम्‍मान प्रदान किया. वह यह पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय हैं.
  • दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत हुई. स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए 3 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए.
  • राष्ट्रपति मुर्मू ने सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वूचिच के साथ शिष्टमंडल स्तर की वार्ता की. इस वार्ता में दोनों नेता द्विपक्षीय व्यापार को इस दशक के अंत तक 32 करोड़ यूरो से बढ़ाकर एक अरब यूरो करने पर सहमत हुए हैं.
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भारतीय नौसेना ने अरब सागर में विराट सैन्य युद्धाभ्यास का आयोजन किया

भारतीय नौसेना ने हाल ही में अरब सागर में एक विराट सैन्य युद्धाभ्यास किया था. इसे नौसेना का सबसे बड़ा अभ्यास कहा जा रहा है.

मुख्य बिन्दु

  • यह ट्विन कैरियर बैटल ग्रुप (सीबीजी) श्रेणी का अभ्यास था. इस श्रेणी में वे विराट नौसैनिक बेड़े आते हैं, जिनमें विमान वाहक युद्धपोत, बड़ी संख्या में जलपोत विध्वंसक, मध्यम आकार के युद्धपोत व अन्य सैन्य जहाज शामिल हों.
  • इस युद्धाभ्यास में विमान वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत सहित 35 प्रमुख लड़ाकू विमानों ने शक्ति दिखाई.
  • दोनों विमानवाहक युद्धपोत ऑपरेशन के समय समुद्र में तैरती ‘संप्रभु एयरफील्ड’ की तरह केंद्रीय भूमिका में थे. उन्होंने ‘मोबाइल बेस’ बनकर बड़ी संख्या में विमानों को उड़ान भरने का प्लेटफॉर्म प्रदान किया.
  • दोनों युद्धपोत के अतिरिक्त मिग-29के, एमएच 60 आर, कामोव, सी-किंग, चेतक व एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर भी शामिल थे.

आईएनएस विक्रांत: एक दृष्टि

  • 23 हजार करोड़ में स्वदेशी आईएनएस विक्रांत में वायु सुरक्षा नेटवर्क व एंटी-शिप मिसाइल प्रणाली है. 30 लड़ाकू जेट विमान व हेलिकॉप्टर तैनात करने की क्षमता है.
  • सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल किया थी. भारत उन चुनिंदा देशों में आ गया, जो 40,000 टन से भारी विमानवाहक युद्धपोत बना सकते हैं.
  • मई 2023 में आईएनएस विक्रांत पर रात में मिग-29के उतारा गया, जिसने इस विमान वाहक पोत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व स्थायित्व के लिए अहम भूमिका निभाने वाला साबित किया.
  • भारत के दूसरे विमानवाहक पोत का नाम आईएनएस विक्रमादित्य है. इसे भारत ने 2013 में रूस से खरीदा था.
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राजद्रोह कानून को लेकर विधि आयोग की रिपोर्ट, क्या है राजद्रोह कानून

22वें विधि आयोग ने राजद्रोह कानून को लेकर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय दंड संहिता की धारा 124-A, यानी राजद्रोह कानून को बरकरार रखने की सिफारिश की है. दरअसल, केंद्र ने राजद्रोह कानून को लेकर विधि आयोग से रिपोर्ट मांगी थी.

22वें विधि आयोग की रिपोर्ट: मुख्य बिन्दु

  • 22वें विधि आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कानून को समाप्त करने की जरूरत नहीं है. कुछ संशोधन करके राजद्रोह कानून को बनाये रखा जा सकता है.
  • रिपोर्ट में इस अपराध के तहत दोषी पाए जाने पर न्यूनतम सजा को बढ़ाने की सिफारिश की गई है. इस अपराध के तहत न्यूनतम सजा 3 साल से बढ़ाकर 7 साल की जानी चाहिए.
  • आयोग ने सुझाव दिया है कि सीआरपीसी 1973 की धारा-196 (3) के तहत धारा-154 में नया प्रावधान जोड़ा जा सकता है.
  • इसके तहत इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी की शुरुआती जांच और सरकार की इजाजत के बाद ही राजद्रोह अपराध के मामलों में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए.

राजद्रोह कानून क्या है?

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124-A के तहत राजद्रोह एक अपराध है. यह कानून राजद्रोह को एक ऐसे अपराध के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें किसी व्यक्ति द्वारा भारत में संवैधानिक तौर पर गठित सरकार के प्रति मौखिक, लिखित, सांकेतिक या दृश्य रूप में घृणा, अवमानना या उत्तेजना पैदा करने का प्रयास किया जाता है.

राजद्रोह कानून का इतिहास

  • भारत में राजद्रोह कानून का मसौदा साल 1837 में ब्रिटिश राजनीतिज्ञ थॉमस मैकाले ने तैयार किया था. साल 1860 में भारतीय दंड सहिता लागू हुई थी लेकिन इस कानून को शामिल नहीं किया गया. फिर साल 1870 में एक संशोधन के तहत भारतीय दंड सहिता की धारा 124-A (राजद्रोह) को जोड़ा गया.
  • स्वतंत्रता के बाद ‘राजद्रोह’ शब्द संविधान से हटा दिया गया और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) ने भाषण और अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता दी गई. हालांकि, भारतीय दंड सहिता (IPC) में धारा 124-A बनी रही.
  • 1951 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए संविधान का पहला संशोधन किया.  इस संशोधन में सरकार को सशक्त बनाने के लिए अनुच्छेद 19(2) को अधिनियमित किया, जो भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर ‘उचित प्रतिबंध’ के रूप में अंकुश लगाता है.
  • इंदिरा गांधी सरकार के दौरान भारत के इतिहास में पहली बार धारा 124-A को संज्ञेय अपराध बनाया गया. 1974 में नयी सीआरपीसी, 1973 लागू हुई जिससमें राजद्रोह को संज्ञेय अपराध बना दिया गया और पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तारी करने का अधिकार दे दिया गया.
  • फिलहाल राजद्रोह एक गैर-जमानती अपराध है. इसमें तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. इसके साथ जुर्माना लगाया जा सकता है.
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विदेशमंत्री डॉ. जयशंकर ने दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया की यात्रा संपन्न की

विदेशमंत्री डॉ. सुब्रमण्‍यम जयशंकर 1 से 6 जून तक दो अफ्रीकी देशों-दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया की यात्रा पर थे.

मुख्य बिन्दु

  • यात्रा के पहले चरण में डॉ जयशंकर ने दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाउन में ब्रिक्‍स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्‍सा लिया था.
  • उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की विदेशमंत्री नालेदी पेन्‍डोर के साथ द्विपक्षीय बैठक की और राष्‍ट्रपति से भेंट की.
  • ब्रिक्‍स विदेशमंत्रियों की बैठक में विदेशमंत्री डॉ. सुब्रहमण्‍यम जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुध्रुवीय है और उसका संतुलन बदल रहा है. इसलिए नई परिस्थितियों का सामना पुराने तरीकों से नहीं किया जा सकता.
  • डॉ. जयशंकर ने कहा कि आज जो भी समस्‍याए हैं उनका मुख्‍य कारण आर्थिक केन्द्रीकरण है जिसमें कई देशों को कुछ एक देशों के दया पर निर्भर रहना पड रहा है. विदेश मंत्री ने कहा कि चाहे उत्‍पादन हों, संसाधन हों, सेवाएं हो, या संपर्क हों इनका विकेन्‍द्रीकरण होना जरूरी है.
  • यात्रा के दूसरे चरण में डॉ. जयशंकर 4 से 6 जून तक नामीबिया की यात्रा पर थे. यह किसी भी भारतीय विदेशमंत्री की नामीबिया की पहली यात्रा थी.
  • विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर ने 5 जून को विंडहोक में नामीबिया के विदेश मंत्री नेतुम्‍बो नांदी-एनदेतवाह के साथ भारत-ना‍मीबिया संयुक्‍त आयोग की पहली बैठक की सह-अध्‍यक्षता की थी.
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शोध की संस्कृति विकसित करने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक को मंजूरी

देश में शोध की संस्कृति विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. यह विधेयक साइंस एंड इंजीनयिरंग रिसर्च बोर्ड एक्ट, 2008 का स्थान लेगा. इस विधेयक को संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा.

राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन: मुख्य बिन्दु

  • इसके तहत राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना की जाएगी. एनआरएफ का संचालन एक गवर्निंग बोर्ड द्वारा किया जाएगा. इसमें सदस्य के रूप में 15 से 25 जाने माने शोधकर्ता और पेशेवर होंगे.
  • प्रधानमंत्री इस बोर्ड के पदेन अध्यक्ष होंगे और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री तथा केन्द्रीय शिक्षा मंत्री पदेन उपाध्यक्ष होंगे. एनआरएफ की कार्यकारी परिषद के प्रमुख प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार होंगे.
  • इस मकसद से वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 50 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जायेंगे. इसमें से 14 हजार करोड़ रुपये भारत सरकार देगी, जबकि शेष 36 हजार करोड़ रूपये उद्योग, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, लोकोपकार दान आदि से जुटाया जायेगा.
  • यह फाउंडेशन अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) का मार्ग प्रशस्त करेगा तथा देशभर के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों तथा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में अनुसंधान एवं नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देगा.
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ओडिसा के बालेश्‍वर में रेलगाड़ी दुर्घटना में कई लोगों की मौत

ओडिसा के बालेश्‍वर जिले में 2 जून को रेलगाड़ी दुर्घटना में कई लोगों की मौत हो गई.रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने दुर्घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं.

यह दुर्घटना 2 जून को सात बजे हुई जब शालीमार-हावडा कोरोमंडल एक्‍सप्रेस बहनागा स्‍टेशन पर एक मालगाड़ी से टकराने के बाद पलट गई.इसके कुछ मिनट बाद ही इसी स्थान पर बंगलुरू-हावड़ा सुपरफास्‍ट ट्रेन भी पटरी से उतर गई.

राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने दुर्घटना पर गहरा दुख व्‍यक्‍त किया है और घायलों के शीघ्र स्‍वस्‍थ होने की कामना की है.

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इसरो ने अगली पीढी का नौवहन उपग्रह एनवीएस-1 का प्रक्षेपण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 29 मई को अगली पीढी का नौवहन उपग्रह ‘नाविक’ एनवीएस-1 का प्रक्षेपण किया. यह सैटेलाइट खासकर सशस्त्र बलों को मजबूत करने और नौवहन सेवाओं की निगरानी के लिए बनाया गया है.

मुख्य बिन्दु

  • यह प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) एफ-12 के माध्यम से किया गया.
  • एनवीएस-1 का भार लगभग दो हजार 232 किलोग्राम है.  यह दूसरी पीढ़ी का पहला नेविगेशन उपग्रह है. इसका उद्देश्‍य निगरानी और नौवहन क्षमता प्रदान करना है.
  • इसका इस्तेमाल स्थलीय, हवाई और समुद्री परिवहन, लोकेशन-आधारित सेवाओं, निजी गतिशीलता, संसाधन निगरानी, सर्वेक्षण और भूगणित, वैज्ञानिक अनुसंधान, समय प्रसार और आपात स्थिति में किया जाएगा.
  • इसरो के मुताबिक, यह पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी का प्रक्षेपण में उपयोग किया जाएगा. पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे.
  • अब अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र में विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी होगी. यह महत्वपूर्ण तकनीक कुछ ही देशों के पास है.
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नीति आयोग की संचालन परिषद की आठवीं बैठक दिल्ली में आयोजित की गई

नीति आयोग की संचालन परिषद (GCM) की आठवीं बैठक दिल्ली के प्रगति मैदान में 27 मई को आयोजित की गई थी. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.

मुख्य बिन्दु

  • इस बैठक में देश को 2047 तक विकसित देश बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिला सशक्तीकरण और बुनियादी ढांचा विकास समेत कई मुद्दों पर चर्चा की हुई.
  • बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से वित्तीय मामलों में विवेकपूर्ण निर्णय लेने को कहा ताकि वे वित्तीय रूप से सशक्त बनें और नागरिकों के सपनों को पूरा करने वाले कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से चला सकें. साथ ही उन्होंने कहा कि जब राज्य बढ़ते हैं, प्रगति करते हैं तो भारत आगे बढ़ता है.
  • बैठक में प्रधानमंत्री ने राज्यों और जिलों से देश की आजादी के 100 साल पूरे होने पर वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए दीर्घकालिक साझा दृष्टिकोण तैयार करने की अपील की.
  • बैठक में 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, स्वास्थ्य, एमएसएमई, कौशल विकास, महिला सशक्तीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और पीएम गतिशक्ति समेत कई अहम मसलों पर चर्चा की गई.
  • बैठक में दिल्ली के अरविंद केजरीवाल, पंजाब के भगवंत मान, बिहार के नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी, राजस्थान के अशोक गहलोत, तेलंगाना के चंद्रशेखर राव, ओडिशा के नवीन पटनायक, तमिलनाडु के एमके स्टालिन, केरल के पी विजयन और कर्नाटक के सिद्धरमैया शामिल शामिल नहीं हुए.
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