भारत चंद्रमा ने दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का पहला देश बना

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रक्षेपित चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग किया. इसके साथ थी भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का चौथा (अमेरिका, रूस, चीन के बाद) और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का पहला देश बन गया.

मुख्य बिन्दु

  • इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन का प्रक्षेपण 14 जुलाई को ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ (LVM-3) रॉकेट (प्रक्षेपण यान) द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अन्‍तरिक्ष केन्‍द्र से किया था.
  • 23 अगस्त को शाम 6.04 बजे चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ और उसके अंदर रखे रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग किया. सॉफ्ट लैंडिंग का अर्थ बिना झटके के सतह पर उतरना होता है.
  • भारत से पहले चांद पर पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन ही सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर पाए हैं. इनमें से कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के आस-पास ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं कर पाया था.
  • अब तक चांद के लिए जो भी सफल मिशन रहे हैं वो चांद के उत्तर या मध्य में हैं. यहां पर लैंडिंग के लिए जगह समतल है और सूरज की सही रोशनी भी आती है. चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर रोशनी नहीं पहुंचती साथ ही सतह पथरीली, ऊबड़-खाबड़ और गड्ढों से भरी है.
  • चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का यह भारत का दूसरा प्रयास था. इसरो ने पहला प्रयास 7 सितंबर 2019 को ‘चंद्रयान-2’ मिशन द्वारा किया था, जो सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल रहा था. इसरो का पहला चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-1’ को 2008 में प्रक्षेपित किया गया था. इस मिशन में चाँद पर उतरने के लिए लैंडर मॉड्यूल नहीं था.
  • इसरो के वर्तमान चेयरमैन एस सोमनाथ हैं. चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर महान वैज्ञानिक पी वीरामुथुवेल हैं. वहीं चंद्रयान-3 मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर महिला वैज्ञानिक कल्पना के हैं. चंद्रयान-3 मिशन का कुल खर्च की राशि 615 करोड़ रुपये है.
  • दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने जोहान्‍सबर्ग से वर्चुअली इसरो के लैंडिंग कार्यक्रम को देखा और संबोधित किया. प्रधानमंत्री 15वें ब्रिक्‍स सम्मेलन में हिस्सा लेने दक्षिण अफ्रीका गए थे.

चंद्रयान 3 मिशन: एक दृष्टि

  • चंद्रयान 3 के तीन हिस्‍से हैं- प्रोपल्‍शन, लैंडर और रोवर. प्रोपल्‍शन, लैंडर और रोवर को पृथ्‍वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा में ले गया था. रोवर को लैंडर के अंदर स्थापित किया गया था. लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ दिया गया है.
  • लैंडर का काम चंद्रमा की सतह पर उतरकर उसमें मौजूद 6 पहियों वाले रोवर को बाहर निकालना था. रोवर चांद की सतह पर खनिजों सहित कई महत्‍वपूर्ण जानकारी जुटाएगा.
  • इस मिशन का उद्देश्य ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों को मापना, भूकंपीय गतिविधि का पता लगाना और लूनर क्रस्ट और मेंटल की संरचना का चित्रण करना भी है.
  • लैंडर और रोवर (कुल वजन 1,752 किलोग्राम) को एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के लगभग 14 दिन के बराबर) तक काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
  • सुरक्षित रूप से चंद्र सतह पर उतरने के लिए लैंडर में कई सेंसर थे, जिसमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, टचडाउन सेंसर और खतरे से बचने एवं स्थिति संबंधी जानकारी के लिए कैमरे लगे थे.

लैंडर मॉड्यूल ने जहां पर कदम रखे, उस जगह का नामकरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल ‘विक्रम’ ने जहां पर कदम रखे, उस जगह का नामकरण किया है.

  • चंद्रमा के 23 अगस्‍त 2023 को चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल जिस हिस्से पर उतरा, अब उस पॉइंट को ‘शिवशक्ति‘ के नाम से जाना जाएगा.
  • प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान-2 के इम्पैक्ट पॉइंट को भी एक नाम दिया. अब उसे ‘तिरंगा‘ के नाम से जाना जाएगा. 2019 में यहीं पर चंद्रयान-2 का लैंडर क्रैश हो गया था.
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि शिवशक्ति पॉइंट आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा कि हमें विज्ञान का उपयोग मानवता के कल्याण के लिए ही करना है. तिरंगा पॉइंट हमें प्रेरणा देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती.

23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रत्येक वर्ष 23 अगस्त को जब भारत के विक्रम लैंडर ने दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग किया, उस दिन को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की.

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