प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम 2024 लागू किया गया

भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल ही में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम (Plastic Waste Management (Amendment) Rules) 2024 लागू किया है. ये नियम प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में संशोधन कर लाया गया है.

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम 2024: मुख्य बिन्दु

  • नए नियम के तहत डिस्पोजेबल प्लास्टिक उत्पादों के निर्माताओं के लिए उन्हें ‘बायोडिग्रेडेबल’ (जैवनिम्नीकरणीय) के रूप में लेबल करना अधिक कठिन हो जाएगा.
  • नए नियम के अनुसार अब यह आवश्यक है कि बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक न केवल विशिष्ट वातावरण में जैविक प्रक्रियाओं के माध्यम से विघटित हो, बल्कि जैविक प्रक्रियाओं द्वारा बिना कोई माइक्रोप्लास्टिक (सूक्ष्म प्लास्टिक) छोड़े पूर्ण रूप से नष्ट होने में सक्षम हो.
  • 1 µm से 1,000 µm के बीच के आयामों वाले पानी में अघुलनशील ठोस प्लास्टिक कणों को माइक्रोप्लास्टिक के रूप में परिभाषित किया जाता है. हाल के वर्षों में ये नदियों और महासागरों को प्रभावित करने वाले प्रदूषण के एक प्रमुख स्रोत के रूप में देखे गए हैं.
  • बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक पर बढ़ता ध्यान केंद्र सरकार द्वारा 2022 में सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने और अन्य उपायों के साथ-साथ बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को अपनाने की सिफारिश करने के बाद आया है.
  • विनिर्माताओं को कंपोस्टेबल अथवा बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक से कैरी बैग और वस्तुओं का उत्पादन करने की अनुमति है. उन्हें अपने उत्पादों के विपणन अथवा बिक्री से पूर्व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्रमाण-पत्र प्राप्त करना होगा.
  • कम्पोस्टेबल प्लास्टिक, उन सामग्रियों को कहते हैं जिन्हें कवक, बैक्टीरिया या रोगाणुओं द्वारा तोड़ा जा सकता है. ये प्लास्टिक, मक्का, आलू, टैपिओका स्टार्च, सेलूलोज़, सोया प्रोटीन और लैक्टिक एसिड जैसी नवीकरणीय सामग्रियों से बनाए जाते हैं.