एमनेस्टी इंटरनेशनल ने विश्व में दिए जाने वाले मृत्युदंड पर एक रिपोर्ट जारी की

‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने हाल ही में 2020 में विश्व में दिए गये मृत्युदंड की सजा पर एक रिपोर्ट (The Death Penalty in 2020 : Facts and Figures) जारी की है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार 2020 में मौत की सजा दिए जाने वाले शीर्ष 5 देशों में चार मध्य पूर्व के हैं.
  • साल 2020 में दुनियाभर में 483 लोगों की मौत की सजा दी गई. इनमें से 425 मौतें केवल ईरान, मिस्र, इराक और सऊदी अरब में दर्ज की गई हैं. यह पूरी दुनिया में दी गई मौत की सजा का 88 फीसदी हिस्सा है.
  • चीन ने इस साल मृत्युदंड पाए लोगों का आंकड़ा जारी नहीं किया है. माना जाता है कि चीन में हर साल हजारों लोगों को फांसी दी जाती है. चीन ने इस साल के डेटा को स्टेट सीक्रेट घोषित कर इसके प्रकाशन पर रोक लगा रखी है.
  • 2019 में मध्य-पूर्व और अफ्रीका में 579 लोगों के मौत की सजा दी गई, लेकिन 2020 में यह आंकड़ा घटकर 483 हो गया. मौत की संख्या में गिरावट इस साल सऊदी अरब और ईराक में सजा की तामील किए जाने में आई कमी के कारण हुई है.

मौत की सजा देने का तरीका

  • दुनियाभर के देशों में मौत की सजा देने का तरीका अलग-अलग है. दुनिया के 58 देश मौत की सजा के लिए फांसी का तरीका अपनाते हैं.
  • जबकि, 73 से अधिक देश मौत की सजा पाए दोषियों को गोली मारी जाती है. इन देशों में इंडोनेशिया, चीन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान, थाइलैंड, बहरीन, उत्तर कोरिया, ताइवान, यमन, अमेरिका, चिली, घाना, बांग्लादेश, केमरून, आर्मीनिया सीरिया, युगांडा, कुवैत, ईरान, मिस्र आदि शामिल हैं.
  • दुनिया में छह देश ऐसे हैं जहां पत्थर मारकर मौत की सजा दी जाती है. ये सभी कट्टर इस्लामिक देश हैं.
  • सऊदी अरब सहित दुनिया में तीन देश ऐसे हैं जहां सिर कलम कर मौत की सजा दी जाती है. यहां एक तलवार से अपराधी का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता है. इसे देखने के लिए अच्‍छी-खासी भीड़ जुटती है. इस्लामी शरिया कानून में सिर काटकर सजा देने का प्रावधान है.
  • दुनिया में 97 देश ऐसे हैं जिन्होंने मौत की सजा को खत्म कर दिया है. इन देशों में किसी भी अपराध के दोषी को मौत की सजा नहीं दी जाती है.
  • अमेरिका सहित दुनियाभर के पांच देशों में जहरीला इंजेक्शन देकर मौत की सजा दी जाती है. इसके अलावा इन देशों में बिजली के हाई वोल्टेज का झटका देकर भी लोगों को मारा जाता है. अमेरिका में 2013 में भी एक व्यक्ति को इलेक्ट्रिक चेयर पर बिठाकर मौत दी गई थी. इसके अलावा अमेरिका में फांसी और फायरिंग के जरिए भी मौत की सजा दी जाती है.

भारत में फांसी की सजा

भारत में मृत्यदंड की सजा फांसी द्वारा दी जाती है. भारत में मृत्यदंड कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (CrPC 1973) के अनुसार दी जाती है. CrPC 1973 के सेक्‍शन 354(5) के अनुसार जब किसी व्‍यक्ति को मौत की सजा सुनाई जाएगी तो उसे तब तक गर्दन से लटकाया जाएगा जब तक उसकी मौत न हो जाए. स्‍वतंत्र भारत में सबसे पहले महात्‍मा गांधी के हत्‍यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्‍टे को फांसी दी गई थी.

पृथ्वी पर मात्र 3 प्रतिशत भू-भाग ही मानव गतिविधियों से दूर

हाल ही में किये गये एक शोध से पता चला है कि पृथ्वी पर मात्र 3 प्रतिशत भू-भाग ही मानव गतिविधियों से दूर रहा है जहाँ पारिस्थितिक रूप से (ecologically) सभी प्रकार के मूल प्रजाति (native species) का निवास है.

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा किया गया यह शोध ‘फ्रंटियर्स इन फारेस्ट एंड ग्लोबल चेंज’ (Frontiers in Forests and Global Change) जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

इंटैक्ट हैबिटेट क्या है?

विज्ञान की भाषा में मानव गतिविधियों से दूर भू-भाग को ‘इंटैक्ट हैबिटेट’ (Intact Habitat) कहा जाता है. पहले यह दावा किया गया था कि पृथ्वी का 40% हिस्सा इंटैक्ट हैबिटेट है. हालांकि, इस अध्ययन कहता है कि यह क्षेत्र मात्र 3% है.

इंटैक्ट हैबिटेट: शोध के मुख्य बिंदु

पृथ्वी का मात्र 3 प्रतिशत भू-भाग ही ‘इंटैक्ट हैबिटेट’ है. यह वह क्षेत्र है जहाँ मानव गतिविधि का कोई संकेत नहीं है.
इस शोध में पाया गया है कि इंटैक्ट हैबिटेट में मौजूद प्रजातियां, आक्रामक प्रजातियों या बीमारियों के कारण समाप्त हो रही हैं. इसका तात्पर्य है कि इंटैक्ट हैबिटेट मानव गतिविधियों के बिना भी खतरों का सामना कर रहे हैं.
कार्यात्मक रूप से इंटैक्ट हैबिटेट क्षेत्र उत्तरी कनाडा, बोरेल, कांगो बेसिन अमेज़ॅन, सहारा रेगिस्तान, टुंड्रा बायोम, पूर्वी साइबेरिया हैं.

वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट 2021

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (International Food Policy Research Institute-IFPRI) ने हाल ही में वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट (Global Food Policy Report-GFPR) 2021 जारी की थी. इस वर्ष संस्थान ने “Transforming Food Systems After COVID-19” थीम पर आधारित रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में भारत सहित विश्व के विकासशील देशों में व्याप्त गरीबी, भूख और कुपोषण के ताज़ा स्थिति और उसके उपायों को बताया गया है.

वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट (GFPR) 2021 के महत्वपूर्ण तथ्य

  • रिपोर्ट के अनुसार विश्व में लगभग 95 मिलियन लोग, ज्यादातर अफ्रीका में अत्यधिक गरीबी में रह रहे हैं. COVID-19 महामारी के पहले तुलना में गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या में 150 मिलियन की वृद्धि हुई है.
  • वैश्विक स्तर पर महिलाओं का रोजगार 39% है. हालांकि, महामारी के दौरान उनमें से 54% महिलाओं की नौकरी चली गयी.
  • रिपोर्ट में सरकारों को विकास के एजेंडे पर खाद्य प्रणाली परिवर्तन को सही तरीके से रखने के लिए COP26, UNFSS (संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन) और Nutrition for Growth Summit जैसे वैश्विक आयोजनों के उपयोग की शिफारिस की गयी है.

भारत के सन्दर्भ में रिपोर्ट

  • COVID-19 लॉकडाउन के कारण स्कूल (मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम) और डे केयर सेंटर में पौष्टिक खाद्य उत्पादों की उपलब्धता प्रभावित हुई. भारत का मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में देश के 80% प्राथमिक स्कूली बच्चे शामिल हैं.
  • प्रवासी कामगारों को सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में शामिल करने के लिए भारत का प्रयास एक बड़ी सफलता थी.
  • भारत में लगभग 80 मिलियन हेक्टेयर भूमि को कॉमन्स के रूप में वर्गीकृत किया गया है. यह (कॉमन्स) देश में 350 मिलियन से अधिक लोगों के लिए आजीविका का स्रोत प्रदान करता है. इसमें वन, जल निकाय और चारागाह शामिल थे. वे अपने वन उत्पादों और चारे के लिए इन क्षेत्रों पर निर्भर हैं.

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान: एक दृष्टि

  • अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) विकासशील देशों में गरीबी, भूख और कुपोषण को कम करने के लिये अनुसंधान आधारित नीतिगत समाधान प्रदान करता है.
  • IFPRI की स्थापना 1975 में हुई थी. इस मुख्यालय वाशिंगटन डीसी में है. यह CGIAR (Consultative Group for International Agricultural Research) का एक अनुसंधान केंद्र है.
  • CGIAR अनुसंधान ग्रामीण गरीबी को कम करने, खाद्य सुरक्षा बढ़ाने, मानव स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करने और प्राकृतिक संसाधनों के स्थायी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये समर्पित है.

ARWU रैंकिंग: IISC देश के सभी प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में पहले स्थान पर

शिक्षण संस्थानों की ARWU (Academic Ranking of World Universities) 2020 रैंकिंग हाल ही में जारी की गयी है. इस रैंकिंग में लगभग 15 भारतीय विश्वविद्यालयों को स्थान मिला है.

भारत में शीर्ष संस्थानों की ARWU रैंकिंग 2020 के अनुसार, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) देश के सभी प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में पहले स्थान पर रहा है. इस रैंकिंग में IIT मद्रास दुसरे स्थान पर है. कलकत्ता विश्वविद्यालय ने भारतीय विश्वविद्यालयों के बीच पहला स्थान और देश के शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों में तीसरा स्थान हासिल किया.

ARWU रैंकिंग में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को पहला स्थान दिया गया है. दूसरे स्थान पर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी है जबकि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी नेतीसरा स्थान प्राप्त किया है.

ARWU रैंकिंग को शंघाई रैंकिंग के रूप में भी जाना जाता है. इसे शंघाई रैंकिंग कंसल्टेंसी द्वारा तैयार किया जाता है. यह 2009 से विश्व विश्वविद्यालयों की अकादमिक रैंकिंग जारी कर रहा है.

WEF के वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट में भारत 140वें स्थान पर, आईसलैंड शीर्ष पर

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum’s- WEF) ने हाल ही में ‘वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट’ (Global Gender Gap Index Report), 2021 जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के 156 देशों के बीच भारत को 140वां स्थान मिला है. पिछले वर्ष (2020 में) जारी रिपोर्ट में भारत 153 देशों में से 112वें स्थान पर था.

वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2021: एक दृष्टि

  • दक्षिण एशियाई देशों में भारत का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है, भारत रैंकिंग में 156 देशों में 140वें स्थान पर है.
  • दक्षिण एशिया के देशों में बांग्लादेश 65वें, नेपाल 106वें, पाकिस्तान 153वें, अफगानिस्तान 156वें, भूटान 130वें और श्रीलंका 116वें स्थान पर है.
  • भारत के राजनीतिक सशक्तीकरण सूचकांक में 13.5 प्रतिशत की गिरावट आई है. महिला मंत्रियों की संख्या वर्ष 2019 में 23.1% थी जो वर्ष 2021 में घटकर 9.1% रह गई है.
  • राजनीति में महिलाओं की भागीदारी के मामले में भारत विश्व में यह 51वें स्थान पर है. शिक्षा प्राप्ति सूचकांक में भारत को 114वें स्थान पर रखा गया है.
  • भारत में इस वर्ष आर्थिक भागीदारी में अंतर 3% बढ़ा है. पेशेवर और तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी 29.2% तक घट गई है.
  • भारत में उच्च और प्रबंधकीय पदों पर भी महिलाओं की हिस्सेदारी 14.6% है तथा देश में केवल 8.9% फर्मों में ही शीर्ष पर महिला प्रबंधक हैं.
  • भारत में महिलाओं की अनुमानित आय पुरुषों की केवल 1/5 है, जो इस संकेतक पर देश को वैश्विक स्तर पर 10 पायदान नीचे रखता है.

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट: एक दृष्टि

  • ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट वर्ष 2006 से जारी किया जा रहा है.
  • इस रिपोर्ट में चार प्रमुख आयामों- आर्थिक भागीदारी और अवसर, शैक्षिक उपलब्धि, स्वास्थ्य और जीवन रक्षा, और राजनीतिक सशक्तीकरण को लेकर लिंग आधारित अंतर की सीमा को मापा जाता है.

संयुक्त राष्ट्र खाद्यान्न बर्बादी सूचकांक रिपोर्ट 2021, भारत में प्रति व्यक्ति 50 किलो खाना बर्बाद

दुनिया भर में खाने की हो रही बर्बादी पर संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में ‘खाद्यान्न बर्बादी सूचकांक रिपोर्ट’ (UNEP Food Waste Index Report) 2021 जारी की है. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और साझेदार संगठन WRAP की ओर से जारी की गयी है.

खाद्यान्न बर्बादी सूचकांक रिपोर्ट 2021: मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में दुनिया भर में अनुमानतः 93.10 करोड़ टन खाद्यान्न बर्बाद हुआ. यह कुल वैश्विक खाद्य उत्पादन का 17 प्रतिशत है.
  • बर्बाद हुए खाद्यान्नों में से 61 प्रतिशत खाद्यान्न घरों से, 26 प्रतिशत खाद्य सेवाओं और 13 प्रतिशत खुदरा क्षेत्र से बर्बाद हुआ.
  • भारत में घरों में बर्बाद हुए भोजन की मात्रा करोड़ 6.87 करोड़ टन है. अगर हिसाब लगाया जाय तो भारत में प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 50 किलो खाना बर्बाद करता है.
  • अमेरिका में घरों में बर्बाद होने वाले खाद्य पदार्थ की मात्रा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 59 किलोग्राम (एक वर्ष में 1.9 करोड़ टन) है.
  • चीन में विश्व में सबसे ज़्यादा खाद्यान्नों के बर्बादी होती है. चीन में यह मात्रा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 64 किलोग्राम अथवा एक वर्ष में 9.2 करोड़ टन है.

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी 2021 की सब्जेक्ट रैंकिंग जारी, IIT मद्रास भारतीय संस्थानों में शीर्ष पर

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ने 4 मार्च को लंदन में 2021 की सब्जेक्ट रैंकिंग (QS World University Rankings by Subject) जारी की. इस रैंकिंग में भारत के 14 शिक्षण संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 100 संस्थानों की सूची में शामिल हो गए हैं.

भारतीय संस्थानों में IIT मद्रास पहले, IIT बॉम्बे दूसरे, IIT खड़गपुर तीसरे और दिल्ली विश्वविद्यालय को चौथा स्थान मिला है. IIT दिल्ली 10वें स्थान पर है.

क्यूएस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बेन स्वॉटेर के मुताबिक, भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है. इसका असर कुछ महीनों में ही दिखने लगा है. अब भारतीय शिक्षण संस्थान शिक्षा और पाठ्यक्रम की गुणवत्ता में समझौता नहीं कर रहे हैं, यही वजह है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल की रैंकिंग में विषयों की संख्या कम रही है.

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 100 संस्थानों में भारतीय संस्थानों की रैंकिंग

संस्थानरैंकिंगविषय
आईआईटी मद्रास30पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
आईआईटी बॉम्बे41इंजीनियरिंग-मिनरल एंड माइनिंग
आईआईटी खड़गपुर44इंजीनियरिंग-मिनरल एंड माइनिंग
दिल्ली विश्वविद्यालय50डेवलपमेंट स्ट्डीज
आईआईटी बॉम्बे50आर्ट एंड डिजाइन
आईआईटी गुवाहाटी51पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
आईआईटी बॉम्बे51इंजी. सिविल एंड स्ट्रक्चरल
आईआईटी दिल्ली51इंजी. सिविल एंड स्ट्रक्चरल
जेएनयू51एंथ्रोपोलॉजी
अन्ना यूनिवर्सिटी51पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
आईआईटी दिल्ली51इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक
ओपी जिंदल76लॉ
आईआईएम अहमदाबाद79बिजनेस एंड मैनेजमेंट स्टडीज
आईआईएससी बंगलूरू93केमिस्ट्री

ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स 2020 जारी, बड़े शहरों में बंगलुरु और छोटे शहरों में शिमला शीर्ष पर

भारत सरकार ने ‘जीवन जीने की सुगमता सूचकांक’ (Ease of Living Index) 2020 जारी की है. यह सूचकांक आवास व शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 4 मार्च को जारी की. सूचकांक के तहत कुल 111 शहरों की रैंकिंग जारी की गई है. इस सूचकांक के अनुसार, देश में रहने के लिहाज से बड़े शहरों में बंगलुरु और छोटे शहरों में शिमला सबसे बेहतर शहर है.

ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स 2020 के मुख्य बिंदु

सूचकांक में 10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों में बंगलुरु शीर्ष पर है. इस सूची में पुणे दूसरे और अहमदाबाद तीसरे स्थान पर है. वहीं इस सूची में बरेली, धनबाद और श्रीनगर आखिरी पायदान वाले शहरों में शामिल हैं.

10 लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में शिमला पहले स्थान पर है और बिहार का मुजफ्फरपुर आखिरी स्थान पर आता है.

दस लाख से अधिक आबादी वाले शीर्ष 10 शहर
बंगलुरु, पुणे, अहमदाबाद, चेन्नई, सूरत, नबी मुंबई, कोयंबतूर, वडोदरा, इंदौर, ग्रेटर मुंबई

दस लाख से कम आबादी वाले शीर्ष 10 शहर
शिमला, भुवनेश्वर, सिलवासा, काकीनाडा, सलेम, वेल्लोर, गांधीनगर, गुरुग्राम, दावणगेरे, तिरुचिरापल्ली

ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स: एक दृष्टि

  • ‘ईज ऑफ लिविंग’ से तात्पर्य जीवन जीने की सुगमता से है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के साथ ही ‘ईज ऑफ लिविंग’ को भी बेहतर करने पर जोर दिया है. सरकार शहरी विकास पर खर्च का निर्धारण भी इसी सूची को प्राथमिकता में रखते हुए करती है.
  • ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स पहली बार 2018 में जारी किया गया था. यह सूची सरकार, पहचान और संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, किफायती आवास, भूमि योजना, पार्क, परिवहन, जल आपूर्ति, कचरा प्रबंधन और पर्यावरण की गुणवत्ता जैसे 15 मानकों के आधार पर तैयार की जाती है.

नगर पालिका कार्य निष्पादन सूचकांक (MPI) 2020

आवास व शहरी मंत्रालय ने नगर पालिका कार्य निष्पादन सूचकांक (MPI) 2020′ का ड्राफ्ट भी तैयार किया है. इसमें 10 लाख से अधिक आबादी वाली नगर निकायों में इंदौर सबसे आगे हैं. इसके बाद सूरत और भोपाल का स्थान आता है. वहीं गुवाहाटी, कोटा और श्रीनगर जैसे शहर आखिरी पायदान पर हैं.

10 लाख से कम आबादी वाले नगर निकायों की सूची में नई दिल्ली नगर निकाय शीर्ष पर है. वहीं 10 लाख से कम आबादी वाले नगर निकायों में शिलॉन्ग, इम्फाल और कोहिमा आखिरी पायदान पर हैं.

लोकतंत्र सूचकांक 2020 में भारत 53वें स्थान पर

भारत 2020 के लोकतंत्र सूचकांक (Democracy Index) की वैश्विक रैंकिंग में 53वें स्थान पर है. यह सूचकांक रिपोर्ट यूनाइटेड किंगडम की कंपनी द इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट (EIU) द्वारा 4 फरवरी को जारी की गयी है. रिपोर्ट का शीर्षक ‘Democracy in sickness and in health?’ है.

भारत पिछले वर्ष इस सूचकांक में 51वें स्थान पर था. रिपोर्ट के अनुसार, लोकतांत्रिक मूल्यों से पीछे हटने और नागरिकों की स्वतंत्रता पर कार्रवाई को लेकर भारत पिछले साल की तुलना में दो पायदान फिसला है. हालांकि भारत पड़ोसी देशों से ऊपर है. भारत को पिछले साल 6.9 अंक मिले थे, जो अब घटकर 6.61 अंक रह गए हैं.

नॉर्वे शीर्ष स्थान पर

EIU के इस सूचकांक में नॉर्वे को शीर्ष स्थान मिला है. इसके बाद आइसलैंड, स्वीडन, न्यूजीलैंड और कनाडा का स्थान है. 167 देशों के इस सूचकांक में 23 को पूर्ण लोकतंत्र, 52 को त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र, 35 को मिश्रित शासन और 57 को सत्तावादी शासन के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

भारत को अमेरिका, फ्रांस, बेल्जियम और ब्राजील के साथ त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र के तौर पर वर्गीकृत किया गया है. भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका 68वें, बांग्लादेश 76वें, भूटान 84वें और पाकिस्तान 105वें स्थान पर रहा. श्रीलंका को त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में रखा गया है, जबकि बांग्लादेश, भूटान और पाकिस्तान ‘मिश्रित शासन’ के वर्ग में है.

इस रिपोर्ट में अफगानिस्तान 139वें स्थान पर है और उसे ‘सत्तावादी शासन’ के तौर पर वर्गीकृत किया गया है. उत्तर कोरिया अंतिम 167वें स्थान पर बरकरार है.

ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2020: covid-19 और जलवायु संकट एक चिंताजनक मुद्दा

विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने 22 जनवरी को ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट (The Global Risks Report) 2020 जारी की. यह रिपोर्ट को WEF के 650 से अधिक सदस्यों द्वारा किए गए वैश्विक जोखिम धारणा सर्वेक्षण (GRPS) पर आधारित है.

ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2021 के मुख्य बिंदु

  • ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट के अनुसार, अगले 5-10 सालों में भू-राजनीतिक स्थिरता गंभीर रूप से कमजोर हो जाएगी. यदि इस रिपोर्ट की भविष्यवाणी सच साबित होती हैं तो पूरी दुनिया को अरबों रुपयों का नुकसान होगा. इसका मतलब है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था एक बार फिर से खतरे में पड़ जाएगी.
  • इसके अलावा आने वाले समय में वैश्विक महामारी, आर्थिक मंदी, राजनीतिक उथल-पुथल और जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए समस्या बन सकते हैं.
  • जलवायु से संबंधित मामलों को मानवता के लिए संभावित खतरा माना जाता है. 2020 में लॉकडाउन और अंतरराष्ट्रीय व्यापार और यात्रा पर प्रतिबंध की वजह से बेशक कार्बन उत्सर्जन में गिरावट आई है लेकिन इसके बावजूद जलवायु संकट एक चिंताजनक मुद्दा है.
  • जैसे ही कोरोना के बाद जिंदगी और अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी तब कार्बन उत्सर्जन एक बार फिर से बढ़ने लगेगा. इससे जलवायु संकट गहराता चला जाएगा. जलवायु संकट से इतर जंगल में लगने वाली आग, संक्रामक रोग आदि का खतरा दुनिया पर मंडरा रहा है.

विश्व आर्थिक मंच

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) स्विट्ज़रलैंड में स्थित एक गैर-लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है. इसका मुख्यालय जिनेवा में है. इसका मंच का उद्देश्य, विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को एक साथ ला कर वैशविक, क्षेत्रीय और औद्योगिक दिशा तय करना है. इस मंच की स्थापना 1971 में यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम श्वाब द्वारा की गई थी.

भारतीय नवाचार सूचकांक 2020 जारी, कर्नाटक पहले स्थान पर

नीति आयोग ने 20 जनवरी को एक वर्चुअल कार्यक्रम में ‘भारतीय नवाचार सूचकांक’ (India Innovation Index) 2020 जारी किया था. यह सूचकांक नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉक्‍टर राजीव कुमार, आयोग के सदस्‍य डॉक्‍टर वीके सारस्‍वत और मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की उपस्थिति में जारी किया गया था.

भारतीय नवाचार सूचकांक 2020 में पहले स्‍थान पर कर्नाटक है. सूचकांक में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर रहा जबकि तमिलनाडु ने तीसरा स्थान प्राप्त किया. उत्तर पूर्व और पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में, हिमाचल प्रदेश पहले स्थान पर है और उसके बाद उत्तराखंड और मणिपुर हैं. केंद्र शासित प्रदेशों और छोटे राज्यों की श्रेणी में दिल्ली पहले स्थान पर है जबकि चंडीगढ़ ने केंद्र दूसरा स्थान प्राप्त किया है.

भारतीय नवाचार सूचकांक: एक दृष्टि

नीति आयोग, भारतीय नवाचार सूचकांक में नवाचार को प्रोत्‍साहित करने वाले राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग करती है. सूचकांक के माध्यम से उन्‍हें उनकी कमजोरियां और ताकत बताकर नीतियों में सुधार के तरीके बताये जाते हैं. इस प्रक्रिया को इस तरीके से डिजाइन किया जाता है, ताकि नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेशों से बाकी राज्‍यों को सीख मिल सके.

प्रदर्शन के आधार पर तुलना के लिए राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 17 मुख्‍य राज्‍यों, पूर्वोत्‍तर और पर्वतीय 10 राज्‍यों, 9 शहरी राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया गया है. राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों को परिणाम और शासन प्रणाली के दो व्‍यापक वर्गों के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में रखा गया है.

यह सूचकांक का दूसरा संस्‍करण था. इसका पहला संस्करण अक्‍टूबर 2020 में जारी किया गया था, तब भी कर्नाटक पहले स्‍थान पर आया था.

इंटरनेशनल माइग्रेशन 2021 रिपोर्ट जारी, दुनिया में भारतीय प्रवासियों की संख्या सबसे ज्यादा

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों (UNDESA) के जनसंख्या विभाग ने हाल ही में ‘इंटरनेशनल माइग्रेशन 2021’ (Global Migration Report 2021) रिपोर्ट जारी किया है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • दूसरे देशों में सबसे ज्यादा प्रवासियों की संख्या के मामले में भारत पहले पायदान पर पहुंच गया है. 2020 में देश से बाहर रहने वाले लोगों की संख्या 18 मिलियन (1.80 करोड़) है.
  • बतौर प्रवासी भारत के सबसे ज्यादा लोग संयुक्त अरब अमीरात (3.5 मिलियन), अमेरिका (2.7 मिलियन) और सऊदी अरब (2.5 मिलियन) में रह रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कुवैत, ओमान, कतर और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में भी रहते हैं.
  • 2020 में, प्रवासियों के मामले में भारत के बाद दूसरे अन्य बड़े देशों में मेक्सिको (11 मिलियन), रूस (11 मिलियन), चीन (10 मिलियन) और सीरिया (8 मिलियन) शामिल है.