विश्व दाता सूचकांक 2021: भारत दुनिया का 14वां सर्वाधिक परोपकारी देश

चैरिटीज एड फाउंडेशन (CAF) ने हाल ही में विश्व दाता सूचकांक (World Giving Index) 2021 जारी किया है. इस वर्ष के सर्वेक्षण में दान और परोपकारी गतिविधियों पर लॉकडाउन के प्रभावों का उल्लेख किया गया है.

विश्व दाता सूचकांक 2021: मुख्य बिंदु

  • विश्व दाता सूचकांक 2021 की रिपोर्ट में भारत को दुनिया का 14वां सर्वाधिक परोपकारी देश बताया गया है. इसके अनुसार भारत अब विश्व के शीर्ष 20 उदार देशों में शामिल हैं, जबकि पिछले दस वर्षों तक भारत 82वें स्थान पर था.
  • आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दुनिया के शीर्ष दस दान-दाता देशों में बने हुए हैं. इन दोनों देशों में कोविड महामारी की पहली लहर के दौरान सर्वेक्षण किया गया था.
  • CAF की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के लगभग तीन अरब व्यस्क लोगों ने 2020 में किसी न किसी ऐसे व्यक्ति की सहाय़ता की जिसे वह जानते भी नहीं थे.
  • भारत में 2017-2019 के बीच दान और परोपकारी गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और यह रूझान 2020 में भी जारी रहा.
  • भारत में 61 प्रतिशत भारतीयों ने अपरिचितों की सहायता की, 34 प्रतिशत लोग मदद के लिए आगे आए और 36 प्रतिशत लोगों ने धनराशि दान की.

महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम पर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने भारत में चलाये जा रहे महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम (ADP) पर हाल ही में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है. यह रिपोर्ट भारत में UNDP के स्‍थानीय प्रतिनिधि शोको नोडा ने 11 जून को नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव कुमार और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत को सौंपी. रिपोर्ट के अनुसार महत्वाकांक्षी (ADP) जिलों में स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा और कृषि और जल संसाधनों में बड़े पैमाने पर सुधार दर्ज किया गया है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट में ADP को स्थानीय क्षेत्र के विकास का एक सफल मॉडल’ बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, ADP के ठोस प्रयास के कारण देश के उपेक्षित और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिले ने पिछले तीन वर्षों में अधिक वृद्धि के है और विकास के साथ विकास के सकारात्मक मार्ग पर अग्रसर हैं.
  • इसमें महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम की प्रगति दर्शाई गई है और अधिक सुधार के बारे में सिफारिश की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कई जिलों में विकास में तेजी लाने के लिए यह कार्यक्रम प्रेरक सिद्ध हुआ है.
  • महत्वाकांक्षी जिलों और सामान्य जिलों के बीच तुलना करते हुए रिपोर्ट में इन जिलों की प्रगति को बेहतर बताया गया है. रिपोर्ट में इस कार्यक्रम के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता की सराहना की गई है.

महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम (ADP) क्या है?

महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme) 2018 में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया था. इसका लक्ष्य समावेशी विकास के लिए नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाना है.

अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019-2020 जारी किया गया

भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय की तरफ से 10 जून को अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (All India Survey on Higher Education- AISHE) 2019-20 रिपोर्ट जारी किया गया. यह सर्वेक्षण देश में उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी देता है.

AISHE सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • AISHE सर्वे में कुल 1,019 यूनिवर्सिटी, 39,955 कॉलेजों और 9,599 अन्य संस्थानों को शामिल किया गया था.
  • राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में छात्राओं की हिस्सेदारी सबसे कम है वहीं शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की तुलना में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में महिला भागीदारी कम है.
  • रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 से 2019-20 के बीच 5 वर्षों में स्टूडेंट के नामांकन में 11.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसी अवधि के दौरान उच्च शिक्षा में छात्राओं के नामांकन में 18.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
  • 2019-20 में उच्च शिक्षा में लिंग समानता सूचकांक (GPI) 1.01 रहा जो 2018-19 में 1.00 था. यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच में सुधार का संकेत देता है.
  • राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे कम (24.7 प्रतिशत) है, इसके बाद डीम्ड विश्वविद्यालय (33.4 प्रतिशत) और राज्य के निजी विश्वविद्यालयों (34.7 प्रतिशत) का स्थान है. राज्य विधानमंडल कानून के तहत संस्थानों में महिलाओं की हिस्सेदारी 61.2 प्रतिशत है.
  • राज्य के सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में छात्राओं की हिस्सेदारी 50.1 फीसदी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 48.1 फीसदी है.
  • पिछले 5 साल के दौरान एमए, एमएससी और एमकॉम स्तरों पर भी महिअलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है.
  • हालांकि, बीसीए, बीबीए, बीटेक या बीई और एलएलबी जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी अब भी बहुत कम है.

AISHE सर्वेक्षण: एक दृष्टि

AISHE सर्वेक्षण भारत में उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है. इस सर्वेक्षण में शैक्षिक विकास के संकेतकों में संस्थान घनत्व, छात्र-शिक्षक अनुपात, सकल नामांकन अनुपात, लिंग समानता सूचकांक, प्रति छात्र व्यय, शिक्षकों की संख्या, छात्र नामांकन, परीक्षा परिणाम, कार्यक्रम, शिक्षा वित्त और बुनियादी ढांचे जैसे मापदंडों पर आंकड़े प्रस्तुत किया जाता है.

वैश्विक बाल श्रम पर ILO और UNICEF ने संयुक्त रिपोर्ट जारी की

वैश्विक बाल श्रम पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और UNICEF ने हाल ही में एक संयुक्त रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में कई लाख बच्‍चे बाल मजदूरी के लिए विवश हैं और अंतिम दो दशकों में बाल श्रम में वृद्धि हुई.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • पिछले दो दशक में बालश्रम की दर में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है. 2016 में वैश्विक स्‍तर पर बालश्रमिकों की संख्‍या 15.2 करोड़ थी जो अब बढ़कर 16 करोड़ पहुंच गई है. पिछले 4 वर्षों में करीब 84 लाख बच्चे बालश्रम में जुड़ गए हैं.
  • आने वाले वर्षों में बालश्रम दर में बढोत्‍तरी हो सकती है. आंकड़ों के अनुसार 4.6 करोड़ बच्‍चे बालश्रम संकट की चपेट में आ सकते हैं. सबसे ज्‍यादा खराब स्थिति सब सहारा अफ्रीका रीजन में हैं. यहां आर्थिक संकट पहले से ही परेशानी की वजह बना हुआ है. मौजूदा स्थिति को कोरोना महामारी ने और भी खराब कर दिया है.
  • कोरोना के चलते ग्‍लोबल लॉकडाउन, स्‍कूल, कारखानों के बंद रहने और राष्‍ट्रीय बजट में गिरावट का असर परिवारों पर हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक 28 फीसदी 5 से 11 साल के ऐसे बच्‍चे हैं जो स्‍कूल जाने की बजाय मजदूरी कर रहे हैं. जबकि, 35 फीसदी 12 से 14 साल के ऐसे बच्‍चे हैं मजदूरी करने को मजबूर हैं.

QS वर्ल्ड रैंकिंग 2022: शीर्ष 200 में भारत से 3 संस्थान, अमेरिका का MIT शीर्ष पर

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (Quacquarelli Symonds World University Rankings) 2022 हाल ही में जारी की गई है. यह QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग का 18वां संस्‍करण था. इस रैंकिंग में विश्व के शीर्ष 200 में 3 भारतीय संस्थान को शामिल किया गया है.

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022: मुख्य बिंदु

भारत

  • 18वीं QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के अनुसार, विश्व के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में तीन भारतीय संस्थान शामिल हैं. ये संसथान- IIT बेंगलुरु, IIT बॉम्बे और IIT दिल्ली भी शामिल हैं.
  • भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु को साइटेशन पर फैकल्टी (CPF) मीट्रिक यानी शोध पेपर प्रति संकाय सदस्य के लिए 100 में से 100 अंकों के स्कोर के साथ दुनिया के शीर्ष अनुसंधान विश्वविद्यालय अर्थात ‘टॉप रिसर्च यूनिवर्सिटी इन द वर्ल्ड’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. इसके साथ, IISc संपूर्ण 100 स्कोर करने वाला पहला भारतीय विश्वविद्यालय बन गया है.
  • IIT बॉम्बे को लगातार चौथे वर्ष भारत में शीर्ष क्रम के संस्थान के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. हालांकि, इस साल QS रैंकिंग में यह पांच पायदान नीचे गिरकर 172 से 177 पर आ गया है. IIT दिल्ली, 193वीं रैंक से 185 पर पहुंचने के बाद, भारत का दूसरा सबसे अच्छा विश्वविद्यालय बन गया है. जबकि, ओवरऑल यूनिवर्सिटी रैंकिंग में QS बेंगलुरु 185 से 186वीं रैंक पर पहुंच गया है.

विश्व

इस QS वर्ल्ड रैंकिंग में अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) को लगातार 10वें वर्ष को दुनिया के नंबर एक विश्वविद्यालय के रूप में चिह्नित किया. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने 2006 के बाद पहली बार दूसरा स्थान हासिल किया है, जबकि स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय तीसरे स्थान पर हैं.

QS रैंकिंग का आधार

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग छह संकेतकों के आधार पर तैयार की जाती है. इनमें शैक्षणिक प्रतिष्ठा, नियोक्ता प्रतिष्ठा, प्रति संकाय उद्धरण, संकाय / छात्र अनुपात, अंतरराष्ट्रीय संकाय अनुपात और अंतरराष्ट्रीय छात्र अनुपात आदि शामिल हैं.

QS रैंकिंग: एक दृष्टि

QS World University Rankings को ब्रिटिश कंपनी Quacquarelli Symonds द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है. QS द्वारा संस्थानों की रैंकिंग जिन मानकों पर की गई, वे हैं- एकेडेमिक, रेपुटेशन, फैकल्टी-स्टूडेंट्स रेशियो, एंप्लॉयर रेपुटेशन, इंटरनेशनल फैकल्टी रेशियो, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स रेशियो और साइटेशन/फैकल्टी.

विश्व बैंक माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ रिपोर्ट: भारत प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता

विश्व बैंक ने हाल ही में माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ (Migration and Development Brief) रिपोर्ट का नवीनतम संस्करण जारी किया था. इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा हैं. विदेशों में रहा रहे लोगों द्वारा अपने देश भेजे गये धन को प्रेषण (रेमिटेंस) कहते हैं. भारत 2008 के बाद से प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार 2020 में वैश्विक स्तर पर प्रेषण प्रवाह 540 बिलियन अमरीकी डालर (USD) था, जो 2019 की तुलना में 1.9% कम है.
  • 2020 में भारत द्वारा प्राप्त प्रेषण 83 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक था, जो 2019 (83.3 बिलियन अमरीकी डालर) से 0.2 प्रतिशत की तुलना में कम है.
  • 2020 के शीर्ष पाँच प्रेषण प्राप्तकर्ता देश, भारत, चीन, मैक्सिको, फिलीपींस और मिस्र थे.
  • 2020 में सबसे अधिक पैसे भेजने वाला देश संयुक्त राज्य अमेरिका (USD 68 बिलियन) था. इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (USD 43 बिलियन), सऊदी अरब (USD 34.5 बिलियन), स्विट्जरलैंड (USD 27.9 बिलियन) और जर्मनी (USD 22 बिलियन) का स्थान है.
  • 2020 में भारत से USD 7 बिलियन धन विदेश भेजे गये थे, जो 2019 में USD 7.5 बिलियन था.

अमेरिका ने भारत को संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि की ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में बरकरार रखा

अमेरिका ने हाल ही में स्पेशल 301 रिपोर्ट (Special Report 301) 2021 जारी की है. इस रिपोर्ट में भारत सहित 9 देशों को संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (United States Trade Representative- USTR) की ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ (Priority Watch List) 2021 में रखा गया है. भारत को इस लिस्ट में रखने का कारण यहाँ बौद्धिक संपदा (Intellectual property-IP) अधिकारों के संरक्षण एवं प्रवर्तन में कमी को बताया गया है. रिपोर्ट में भारत के अतिरिक्त अन्य 23 देशों को भी ‘वॉच लिस्ट’ (Watch List) में रखा गया है.

स्पेशल 301 रिपोर्ट (Special Report 301) 2021: मुख्य बिंदु

  • स्पेशल 301 रिपोर्ट (Special Report 301) संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USRT) द्वारा प्रत्येक वर्ष जारी की जाती है. इस रिपोर्ट में विभिन्न देशों में बौद्धिक संपदा कानूनों जैसे कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क आदि के कारण अमेरिका की कंपनियों और उत्पादों के समक्ष उत्पन्न होने वाले व्यापार अवरोधों की पहचान की जाती है.
  • इस रिपोर्ट में ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ और ‘वॉच लिस्ट’ शामिल होती हैं, जिसमें वे देश शामिल होते हैं जिनके बौद्धिक संपदा नियमों को अमेरिकी कंपनियों के लिये अवरोधक माना जाता है.
  • ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में उन देशों को शामिल किया जाता है, जिनके बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधित नियमों में गंभीर कमियाँ होती हैं.
  • ज़बरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (FTT) की नीति द्वारा विदेशी व्यवसायी को बाज़ार पहुँच प्रदान करने के बदले में अपनी तकनीक साझा करने के लिये मज़बूर किया जाता है. इस प्रकार की नीति चीन में काफी सामान्य है. चीन की सरकार विदेशी कंपनी को अपनी तकनीक को चीनी कंपनियों के साथ साझा करने के लिये मज़बूर करती है.

स्पेशल 301 रिपोर्ट 2021

अमेरिकी प्रशासन ने भारत के अतिरिक्त जिन देशों को ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में स्थान दिया है, उनमें अर्जेंटीना, चिली, चीन, इंडोनेशिया, रूस, सऊदी अरब, यूक्रेन और वेनेज़ुएला शामिल हैं.

भारत के सन्दर्भ में

अमेरिका के अनुसार, भारत ने लंबे समय से अपने बौद्धिक संपदा ढाँचे में पर्याप्त सुधार नहीं किया है, जिसके कारण बीते वर्षों में अमेरिकी कंपनियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

भारत में अमेरिकी व्यवसायी को बौद्धिक संपदा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो भारत में पेटेंट प्राप्त करना, पेटेंट बनाए रखना और उन्हें लागू करना अपेक्षाकृत कठिन बनाती हैं, ऐसा विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स उद्योग में देखा जाता है.

संयुक्त राष्ट्र ने ‘वैश्विक वन लक्ष्य रिपोर्ट’ 2021 जारी की

संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में ‘वैश्विक वन लक्ष्य रिपोर्ट’ (Global Forest Goals Report) 2021 जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी ने वनों के प्रबंधन में विभिन्न देशों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को बढ़ा दिया है.

इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (Department of Economic and Social Affairs) द्वारा तैयार किया गया है. इस रिपोर्ट में ‘यूनाइटेड नेशन स्ट्रेटेजिक प्लान फॉर फॉरेस्ट’ 2030 में शामिल उद्देश्यों और लक्ष्यों की समीक्षा की गयी है.

वैश्विक वन लक्ष्य रिपोर्ट 2021: मुख्य बिंदु

  • वैश्विक आबादी का 25% (लगभग 1.6 बिलियन) लोग अपनी जीवन निर्वाह संबंधी आवश्यकताओं (आजीविका, रोज़गार और आय) के लिये वनों पर निर्भर हैं.
  • विश्व में ग्रामीण क्षेत्रों में से लगभग 40% लोग वनों और सवाना क्षेत्रों में रहते हैं. यह वैश्विक जनसंख्या का 20% है.

विश्व में वन की स्थिति: एक दृष्टि

  • वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन 2020 (FRA 2020) रिपोर्ट के अनुसार विश्व में कुल वन क्षेत्र लगभग 4.06 बिलियन हेक्टेयर है, जो कि कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 31 प्रतिशत है. यह क्षेत्र प्रति व्यक्ति 0.52 हेक्टेयर के बराबर है.
  • विश्व के 54 प्रतिशत से अधिक वन केवल पाँच देशों- रूस, ब्राज़ील, कनाडा, अमेरिका और चीन में हैं.
  • वनों के लिए संयुक्त राष्ट्र सामरिक योजना (United Nations Strategic Plan for Forests) में वर्ष 2030 तक विश्व में वन क्षेत्र को 3% तक बढ़ाने का लक्ष्य शामिल है जो लगभग 1.20 बिलियन हेक्टेयर है.

भारत में वन की स्थिति: एक दृष्टि

भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2019 के अनुसार देश के भौगोलिक क्षेत्र का कुल वन और वृक्ष आच्छादित क्षेत्र 24.56% है. भारत में सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाले पांच राज्य- मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र हैं.
भारत की राष्ट्रीय वन नीति, 1988 में देश के 33% भौगोलिक क्षेत्र को वन और वृक्ष आच्छादित क्षेत्र का लक्ष्य रखा गया है.

विश्व आर्थिक मंच ने ‘ऊर्जा ट्रांजीशन सूचकांक-2021 जारी किया

विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने हाल ही में ‘ऊर्जा ट्रांजीशन सूचकांक’ (Energy Transition Index- ETI)- 2021 जारी किया था. इस सूचकांक में दुनिया के 115 देशों की ऊर्जा प्रणाली के प्रदर्शन स्तर पर सर्वेक्षण किया गया है.

सर्वेक्षण में 115 देशों के ‘नेट-शून्य उत्सर्जन’ (Net-Zero Emissions) के मामले में अग्रणी देशों का विश्लेषण किया जाता है. मानव द्वारा उत्सर्जित ‘ग्रीनहाउस गैस’ (Greenhouse Gas- GHG) को वायुमंडल से पूरी तरह हटाने को ‘नेट-शून्य उत्सर्जन’ की स्थिति कहा जाता है.

ऊर्जा ट्रांजीशन सूचकांक (ETI)-2021: मुख्य बिंदु

  • स्वीडन लगातार चौथे वर्ष ETI रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर रहा है, इसके बाद नॉर्वे और डेनमार्क का स्थान है. सूचकांक में स्विट्जरलैंड चौथे और ऑस्ट्रिया पांचवें स्थान पर है.
  • शीर्ष स्थान पर वे देश रहे हैं जिन्होंने अपने ऊर्जा आयात तथा ऊर्जा सब्सिडी में कमी की है तथा राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में प्रतिबद्धता व्यक्त की है.

भारत और चीन

भारत इस सूचकांक में 87वें और चीन 68वें स्थान पर है. इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत सब्सिडी सुधारों के माध्यम से ऊर्जा बदलाव ला रहा है. दूसरी ओर, चीन निवेश और बुनियादी ढांचे के माध्यम से नवीकरण का विस्तार कर रहा है. वैश्विक ऊर्जा मांग का एक-तिहाई हिस्सा भारत और चीन में हैं.

विश्व आर्थिक मंच (WEF): एक दृष्टि

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) एक गैर-लाभकारी संस्था है. वर्ष 1971 में स्थापित विश्व आर्थिक मंच का मुख्यालय स्विट्जरलैंड में है.

IEA ने ग्लोबल एनर्जी रिव्यू 2021 रिपोर्ट जारी की

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने हाल ही में ग्लोबल एनर्जी रिव्यू (Global Energy Review) 2021 रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में वैश्विक ऊर्जा मांग और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन (CO2) उत्सर्जन की समीक्षा की गयी है.

ग्लोबल एनर्जी रिव्यू 2021 रिपोर्ट के मुख्य विन्दु

भारत के सन्दर्भ में

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पेरिस समझौते के तहत उत्सर्जन तीव्रता को 33% से 35% घटाने के लिए प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है.
  • वर्ष 2020 में भारत में CO2 उत्सर्जन 2019 में दर्ज किए गए उत्सर्जन की तुलना में 1.4% अधिक है.
  • वर्तमान में, भारत का CO2 उत्सर्जन 35 गीगाटन है. यह वैश्विक औसत से 60% कम है और यूरोपीय संघ में उत्सर्जन के बराबर है.

विश्व के सन्दर्भ में

  • 2021 में विशे में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन 5 बिलियन टन बढ़ेगा.
  • 2021 में 80% से अधिक कोयले की मांग चीन में होगी. चीन में नवीकरण से बिजली उत्पादन भी अधिक होगा.
  • अमेरिका और यूरोपीय देशों में कोयले की मांग भी बढ़ेगी. हालांकि, यह पूर्व-संकट के स्तर से नीचे रहेगा.
  • कोयला और गैस की मांग 2019 के स्तर से ऊपर जाने का अनुमान है. हालांकि, तेल की मांग अपने 2019 के उच्चतम स्तर से नीचे रहेगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि COVID-19 संकट के कारण विमानन क्षेत्र काफी अधिक दबाव में है.
  • लगभग 30% बिजली नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त होगी. वायु से विद्युत उत्पादन में 17% की वृद्धि होगी और यह 275 टेट्रा वाट होगा. सौर उर्जा में 145 टेट्रा वाट की वृद्धि होगी जो कि 2020 की तुलना में 18% अधिक है.

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA): एक दृष्टि

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency) एक स्वायत्त संगठन है. यह विश्वसनीय, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए काम करता है.

IEA की स्थापना 1974 में हुई थी. इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांस में है. भारत सहित 30 देश इसके सदस्य हैं. भारत 2017 में IEA का एक सहयोगी सदस्य बना था. फरवरी 2018 में मेक्सिको IEA का 30वां सदस्य बना था.

WMO ने ‘वार्षिक वैश्विक जलवायु स्थिति 2020’ रिपोर्ट जारी की

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) ने हाल ही में ‘वार्षिक वैश्विक जलवायु स्थिति 2020’ (State of the Global Climate 2020) रिपोर्ट जारी की थी.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 ला-नीना (La Niña) की स्थिति के बावजूद अब तक के तीन सबसे गर्म वर्षों में से एक था.
  • जनवरी-अक्तूबर 2020 की अवधि में वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर (1850-1900) से 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक था.
  • वर्ष 2016 और वर्ष 2019 अन्य दो सबसे गर्म वर्ष थे. वर्ष 2015 के बाद के छः वर्ष सबसे गर्म रहे हैं. वर्ष 2011-2020 सबसे गर्म दशक था.
  • वर्ष 2019-2020 में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ा है. यह उत्सर्जन वर्ष 2021 में और अधिक हो जाएगा. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की सघनता का औसत पहले ही 410 ppm (Parts Per Million) से अधिक हो चुका है, और वर्ष 2021 में 414 ppm तक पहुँच सकता है.
  • महासागरों में वर्ष 2020 में सबसे अधिक समुद्री हीट वेव (Marine Heat Wave) दर्ज की गई. वर्ष 2020 में लगभग 80 प्रतिशत महासागरीय सतह पर कम-से-कम एक बार समुद्री हीट वेव दर्ज की गई. समुद्री हीट वेव के दौरान समुद्र के पानी का तापमान लगातार कम से कम 5 दिनों तक सामान्य से अधिक बना रहता है.
  • समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है. यह घटना ला-नीना प्रेरित शीतलन के बावजूद हो रही है. समुद्र का जलस्तर ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ की चादरों के पिघलने से उच्च दर से बढ़ रहा है.
  • आर्कटिक समुद्री बर्फ की सीमा वर्ष 2020 में दूसरे निम्नतम स्तर पर आ गई. आर्कटिक समुद्री बर्फ की न्यूनतम सीमा वर्ष 2020 में 3.74 मिलियन वर्ग किलोमीटर थी.

भारत के सन्दर्भ में

  • भारत, 1994 से मानसून में परिवर्तन का अनुभव कर रहा है, जिससे यहाँ गंभीर बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति देखी गई है.
  • मई 2020 में कोलकाता के तट से टकराने वाला चक्रवात ‘अम्फन’ (Amphan) को उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र का सबसे महँगा उष्णकटिबंधीय चक्रवात था. इस चक्रवात से लगभग 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन: एक दृष्टि

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) एक अंतर सरकारी संगठन है. इसकी स्थापना 23 मार्च 1950 को हुई थी. भारत सहित 192 देश इस संगठन के सदस्य देश हैं. यह संगठन मौसम विज्ञान, जल विज्ञान तथा संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान के लिये संयुक्त राष्ट्र (United Nation) की विशेष एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है. इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है.

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021: भारत 142वें और नॉर्वे पहले स्थान पर

प्रेस की दिशा-दशा पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) ने 21 अप्रैल को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ (World Press Freedom Index) 2021 जारी किया. 180 देशों के इस सूचकांक में भारत 142वें पायदान पर है. पिछले वर्ष यानी 2020 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भी भारत 142वें स्थान पर था.

नॉर्वे, फिनलैंड और डेनमार्क पहले तीन स्थान पर

इस सूचकांक में नॉर्वे शीर्ष स्थान पर है. नॉर्वे लगातार पांचवें वर्ष पहले पायदान पर है. सूचकांक में फिनलैंड दूसरे और डेनमार्क तीसरे पायदान पर है. सबसे निचली रैंकिंग इरीट्रिया की है जो 180वें स्थान पर है. उत्तर कोरिया 179वें और तुर्कमेनिस्तान 178वें स्थान पर था.

भारत के पडोसी देशों में चीन 177वें, श्रीलंका 127वें, नेपाल 106वें, म्यांमार 140वें, बांग्लादेश 152वें और पाकिस्तान 145वें स्थान पर है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RWB) क्या है?

‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) एक गैर-लाभकारी संगठन है जो दुनिया भर के पत्रकारों पर हमलों का दस्तावेजीकरण और सामना करने के लिए कार्य करता है. RWB का मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित है.