फोर्ब्स के शीर्ष 100 अमीर भारतीय की सूची: मुकेश अंबानी लगातार 13वें साल शीर्ष पर

फोर्ब्स (Forbes) ने साल 2020 के शीर्ष 100 अमीर भारतीय की सूची जारी की है. इस सूची में 2019 के मुकाबले इस बार 14 फीसदी यानी 517.5 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है.

इस सूची के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी सबसे अमीर व्यक्ति हैं. मुकेश अंबानी लगातार 13 साल से भारत के सबसे अमीर व्यक्ति बने हुए हैं. मुकेश अंबानी 88.7 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के मालिक हैं.

शीर्ष 5 में शामिल भारतीय

फोर्ब्स की 100 अमीर भारतीयों की सूची में दूसरे पायदान पर 25.2 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ गौतम अडानी को स्थान मिला है. इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर 20.4 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ शिव नडार ने जगह पाई है. चौथे स्थान पर 15.4 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ डी-मार्ट के मालिक राधाकिशन दमानी हैं. लिस्ट में पांचवा स्थान हिंदुजा ब्रदर्स ने हासिल किया है. इनकी संपत्ति 12.8 अरब डॉलर की है.

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विश्व बैंक मानव पूंजी सूचकांक 2020: भारत 116वें और सिंगापुर शीर्ष स्थान पर

विश्व बैंक ने वर्ष 2020 का वार्षिक मानव पूंजी सूचकांक (World Bank’s human capital index) रिपोर्ट जारी किया. इस सूचकांक में 174 देशों के स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी आंकड़ों को शामिल किया गया है. ये आंकड़े मार्च 2020 तक के हैं, जिसके बाद दुनिया भर में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप तेजी से बढ़ा है.

सूचकांक में भारत का 116वां स्थान

इस सूचकांक में भारत का 116वां स्थान है. सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार भारत का स्कोर 2018 में 0.44 से बढ़कर 2020 में 0.49 हो गया है. इससे पूर्व यह सूचकांक वर्ष 2018 में जारी किया गया था जिसमें भारत 157 देशों में भारत 115वें स्थान पर था. इस साल भारत 174 देशों में 116वें स्थान पर है.

सिंगापुर शीर्ष स्थान पर

इस सूचकांक में सिंगापुर को शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है. इसके पश्चात हांगकांग दूसरे, जापान तीसरे, दक्षिण कोरिया चौथे तथा कनाडा पांचवें स्थान पर है. सूचकांक में सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक को सबसे अंतिम 174वें स्थान पर रखा गया है.

भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका 71वें, नेपाल 109वें, भूटान 121वें तथा पाकिस्तान 144वें स्थान पर है. ब्रिक्श (BRICS) देशों में भारत के अलावा, चीन को 45वां, रूस को 41वां, ब्राजील को 91वां तथा दक्षिण अफ्रीका 135वें स्थान है.

विश्लेषण से पता चलता है कि महामारी से पहले अधिकांश निम्न आय वाले देशों में बच्चों की मानव पूंजी के निर्माण में लगातार प्रगति की. हालांकि, इस प्रगति के बावजूद शिक्षा और स्वास्थ्य मानकों के सापेक्ष कोई बच्चा अपनी संभावित मानव विकास क्षमता का केवल 56 प्रतिशत ही हासिल करने की उम्मीद कर सकता है.

मानव पूंजी सूचकांक क्या है?

मानव पूंजी सूचकांक देशों में मानव पूंजी के प्रमुख घटकों का मूल्यांकन करता है. इसमें बच्चों के जीवित रहने की संभावना, स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसे पैमानों पर देशों का आकलन किया गया है.

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वैश्विक ‘स्मार्ट सिटी’ सूचकांक 2020 जारी, सिंगापुर पहले स्थान पर

वर्ष 2020 का स्मार्ट सिटी सूचकांक (SCI) 18 सितम्बर को जारी किया गया. यह सूचकांक इंस्टिट्यूट फॉर मैनेजमेंट डिवेलपमेंट (IMD) ने सिंगापुर यूनिवर्सिटी फॉर टेक्नालॉजी एंड डिजाइन (SUTD) के साथ मिलकर जारी किया है. इसमें कुल 109 शहरों का सर्वेक्षण किया गया है.

इस सूचकांक में सिंगापुर पहले स्थान पर है, उसके बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमशः हेलसिंकी और ज्यूरिख रहे हैं. वैश्विक ‘स्मार्ट सिटी’ की लिस्ट में चार भारतीय शहरों – नई दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु के स्थान में गिरावट आई है. इस सूचकांक में हैदराबाद 85वें, नई दिल्ली 86वें, मुंबई 93वें और बेंगलुरु को 95वें स्थान पर है.

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भारत में बाल मृत्‍युदर पर संयुक्‍त राष्‍ट्र की रिपोर्ट, बाल मृत्‍युदर में वार्षिक 4.5 प्रतिशत की कमी

संयुक्‍त राष्‍ट्र ने भारत में बाल मृत्‍युदर पर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट युनिसेफ, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO), संयुक्‍त राष्‍ट्र विकास और सामाजिक कार्य विभाग के जनसंख्‍या प्रभाग तथा विश्‍व बैंक समूह द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गयी है.

इस रिपोर्ट के अनुसार देश में बाल मृत्‍युदर में 1990 और 2019 के बीच निरंतर कमी हो रही है. भारत में 1990 में प्रत्‍येक एक हजार जीवित शिशुओं के जन्‍म के बाद पांच वर्ष की उम्र से पहले के 126 शिशुओं की मृत्‍यु हो जाती थी. यह मृत्‍युदर घटकर 2019 में केवल 34 रह गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में 1990 से 2019 के बीच पांच वर्ष से कम उम्र के बच्‍चों की मृत्‍युदर में सालाना 4.5 प्रतिशत की कमी आई है. 1990 में पांच वर्ष से कम उम्र के 34 लाख शिशुओं की मृत्‍यु हुई, जबकि 2019 में 8.24 लाख शिशुओं की मृत्‍यु हुई.

भारत में प्रत्‍येक एक हजार जीवित जन्‍म पर नवजात मृत्‍युदर 1990 में 89 थी जो घटकर 2019 में 28 रह गई.

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ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स: भारत पहली बार शीर्ष 50 में शामिल हुआ

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO), कॉर्नेल विश्वविद्यालय और इनसीड बिजनेस स्कूल ने संयुक्त रूप से हल ही में वैश्विक नवाचार सूचकांक (Global Innovation Index- GII) 2020 की सूची जारी की थी. इस सूचकांक के मुताबिक शीर्ष स्तर पर स्थिरता बनी हुई है, लेकिन नवाचार का केंद्र पूरब के देशों की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है. भारत, चीन, फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश नवाचार के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़े हैं.

2020 के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) सूचकांक में स्विटजरलैंड, स्वीडन, अमेरिका, ब्रिटेन और नीदरलैंड शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं.

GII सूचकांक में भारत

2020 के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) सूचकांक में भारत पहली बार शीर्ष 50 देशों में शामिल हुआ है. भारत ने चार पायदान की छलांग लगाई और 48वें स्थान पर पहुंच गया है. मध्य और दक्षिण एशियाई देशों में वह इस सूचकांक में शीर्ष पर बना हुआ है.

भारत नवाचार के क्षेत्र में दुनिया की तीसरी सबसे निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था बन गया है. WIPO के मुताबिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT), सेवाओं के निर्यात, सरकारी ऑनलाइन सेवाओं और विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में स्नातकों जैसे नवाचार के सूचकांक में भारत शीर्ष 15 देशों में शामिल है.

WIPO का अनुसार मुंबई और दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT), बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (IIS) और इसके शीर्ष वैज्ञानिक प्रकाशनों की बदौलत ही भारत उच्चतम नवाचार गुणवत्ता के साथ निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था बना है.

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नीति आयोग ने निर्यात तत्‍परता सूचकांक 2020 जारी किया, गुजरात शीर्ष पर

नीति आयोग ने 26 अगस्त को निर्यात तत्‍परता सूचकांक (Export Preparedness Index- EPI) 2020 जारी किया. इसका उद्देश्‍य चुनौतियों और अवसरों की पहचान करना, सरकारी नीतियों की कारगरता को बढ़ाना और सुविधाजनक नियामक ढांचे को प्रोत्‍साहन देना है. इस रिपोर्ट में भारतीय राज्यों की निर्यात तैयारी और प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया है.

गुजरात, महाराष्‍ट्र और तमिलनाडु शीर्ष तीन स्‍थान पर

  • EPI से पता लगा है कि निर्यात विविधता, यातायात व्‍यवस्‍था और मूलभूत ढांचे के पैमाने पर अधिकांश भारतीय राज्‍यों का प्रदर्शन अच्‍छा रहा है.
  • इसमें यह भी कहा गया है कि अच्छे प्रदर्शन करने वाले राज्यों में अधिकतर तटवर्ती राज्‍य हैं. गुजरात, महाराष्‍ट्र और तमिलनाडु को शीर्ष तीन स्‍थान प्राप्‍त हुए हैं.
  • केंद्र शासित प्रदेशो में दिल्ली ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है जिसके बाद गोवा और चंडीगढ़ हैं.

नीति आयोग उपाध्‍यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि विश्‍व के बाजार में भारत एक मजबूत निर्यातक बनने की क्षमता रखता है. उन्‍होंने कहा कि इस उद्देश्‍य को पूरा करने के लिए EPI सूचकांक विभिन्‍न राज्‍यों की क्षमता को आंकता है.

नीति आयोग के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी अभिताभ कांत ने कहा कि निर्यात तत्‍परता सूचकांक आंकड़ों पर आधारित एक प्रयास है जिससे देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख केंद्र बिंदुओं की पहचान की जाएगी.

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वर्ष 2020 के लिए ARIIA रैंकिंग जारी, IIT-मद्रास ने पहला स्थान प्राप्त किया

वर्ष 2020 के लिए अटल नवाचार संस्थानों की रैंकिंग (Atal Rankings of Institutions on Innovation Achievements- ARIIA) 18 अगस्त को जारी की गयी. इस रैंकिंग-में एक बार फिर IIT-मद्रास ने केंद्र पोषित श्रेष्ठ संस्थानों में पहला स्थान प्राप्त किया है. इसके बाद IIT-बम्बई और IIT-दिल्ली का स्थान है.

स्वपोषित श्रेणी में एसआर इंजीनियरिंग कॉलेज, तेलंगाना ने शीर्ष स्थान हासिल किया. निजी क्षेत्र के संस्थानों की श्रेणी में ओडिसा का कलिंग औद्योगिक प्रौद्योगिकी संस्थान शीर्ष पर रहा. इसके बाद SRM विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान तथा वेल्लोर प्रौद्योगिकी संस्थान का स्थान है.

राज्य पोषित स्वायत्त संस्थानों की सूची में महाराष्ट्र के पुणे इंजीनियरिंग कॉलेज को पहला स्थान मिला. ARIIA ने पहली बार केवल महिलाओं के लिए उच्चतर शैक्षिक संस्थानों की श्रेणी में विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया.

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UNEP और IEEA ने शीतलन उत्सर्जन और नीति संश्लेषण पर रिपोर्ट जारी की

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEEA) ने हाल ही में ‘शीतलन उत्सर्जन और नीति संश्लेषण रिपोर्ट’ (The Cooling Emissions and Policy Synthesis Report) जारी की थी. इस रिपोर्ट में दुनिया में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में और वैश्विक तापमान वृद्धि के परिणाम और इसे रोकने के उपायों की चर्चा की गयी है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक, विश्व में कम से कम 14 बिलियन के शीतलन उपकरणों की आवश्यकता होगी. वर्तमान में 3.6 बिलियन शीतलन उपकरण उपयोग में हैं. अत्यधिक शीतलन उपकरणों का उपयोग, तापमान वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देगा.
  • जलवायु परिवर्तन में शीतलन की बढ़ती मांग का महत्वपूर्ण योगदान है. 2050 तक एयर कंडीशनिंग और प्रशीतन से उत्सर्जन में 2017 के स्तर की तुलना में 90% तक बढ़ोतरी हो सकती है. एयर कंडीशनर हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) का उपयोग करते हैं जो ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं.
  • कूलिंग को ऊर्जा-दक्ष बनाकर 210 से 460 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बराबर उत्सर्जन को कम किया जा सकता है.
  • ऊर्जा-दक्ष एयर कंडीशनर 1,300 गीगा वाट तक ऊर्जा की आवश्यकता को कम कर सकते हैं. यह वर्ष 2018 में भारत और चीन में उत्पन्न संपूर्ण कोयला आधारित बिजली के बराबर है.
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खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट जारी, भारत में कुपोषित लोगों की संख्या में कमी

संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में विश्व में ‘खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट’ (The State of Food Security and Nutrition in the World) 2020 जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार जिस रफ्तार से भारत हर चीज में तरक्की करता जा रहा है उसी रफ्तार से भारत में कुपोषित लोगों की संख्या में भी कमी आ रही है.

विश्व के सन्दर्भ में

  • रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक 2019 में दुनिया भर में करीब 69 करोड़ लोग अल्पपोषित थे. यह संख्या 2018 के मुकाबले 1 करोड़ ज्यादा है.
  • इसमें कहा गया है कि महाद्वीप की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं चीन और भारत में कुपोषण में कमी आई है.
  • रिपोर्ट के अनुसार एशिया में भूखों की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन यह अफ्रीका में भी तेजी से बढ़ रही है.

भारत एक सन्दर्भ में

  • भारत में पिछले एक दशक में अल्पपोषित लोगों की संख्या छह करोड़ तक घट गई है. बच्चों में छोटी हाइट की समस्या कम हो गई है लेकिन देश के वयस्कों में मोटापा बढ़ रहा है.
  • भारत में अल्पपोषित लोगों की संख्या 2004-06 के 24.94 करोड़ से घटकर 2017-19 में 18.92 करोड़ हो गई है.
  • प्रतिशत के हिसाब से भारत की कुल आबादी में अल्पपोषण की व्यापकता 2004-06 में 21.7 प्रतिशत से घटकर 2017-19 में 14 प्रतिशत हो गई.
  • भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन की समस्या भी 2012 में 47.8 प्रतिशत से घटकर 2019 में 34.7 प्रतिशत हो गई. 2012 में यह समस्या 6.2 करोड़ बच्चों में थी जो 2019 में घटकर 4.03 करोड़ हो गई.
  • ज्यादातर भारतीय वयस्क 2012 से 2016 के बीच मोटापे के शिकार हुए. मोटापे से ग्रस्त होने वाले वयस्कों की संख्या 2012 के 2.52 करोड़ से बढ़कर 2016 में 3.43 करोड़ हो गई.
  • वहीं खून की कमी (अनीमिया) से प्रभावित प्रजनन आयु वर्ग (15-49) की महिलाओं की संख्या 2012 में 16.56 करोड़ से बढ़कर 2016 में 17.56 करोड़ हो गई.
  • 0-5 माह के शिशु जो पूरी तरह स्तनपान करते हैं उनकी संख्या 2012 के 1.12 करोड़ से बढ़कर 2019 में 1.39 करोड़ हो गई.

खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट 2020: एक दृष्टि

इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IAAFD), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से संयुक्त रूप से तैयार किया गया है.

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भारत ने चार सालों में बाघों की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी का रिकॉर्ड बनाया

बाघों के संरक्षण मामले में भारत ने एक नए तरीके का विश्व रिकॉर्ड बनाया है. चार सालों में बाघों की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी के साथ ही ‘ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन’ का ‘कैमरा ट्रैप’ गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गया है. इसके साथ ही भारत ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने के अपने संकल्प को समय से पहले पूरा किया.

देश में बाघों की अनुमानित संख्या 2,967

नवीनतम गणना के अनुसार, देश में बाघों की अनुमानित संख्या 2,967 हैं. वैश्विक संख्या का लगभग 75% बाघ भारत में निवास करते हैं. भारत ने 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग सम्मलेन में वर्ष 2022 बाघों की संख्या दोगुनी करने का संकल्प निर्धारित किया था.

कैमरा ट्रैप विधि से सर्वेक्षण

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अनुसार, 2018-19 में किए गए सर्वेक्षण की चौथी पुनरावृत्ति- संसाधन और डेटा दोनों के हिसाब से अब तक का सबसे व्यापक रहा है. वन्यजीवों का सर्वेक्षण ‘कैमरा ट्रैप’ विधि से किया गया है. इस विधि में कैमरे में मोशन सेंसर्स लगा होता है, जो किसी भी जानवर के गुजरने पर रिकॉर्डिंग शुरू कर देते हैं

कैमरा ट्रैप को 141 विभिन्न साइटों में 26,838 स्थानों पर रखा गया था. इन कैमरा ट्रैप के माध्यम से 1,21,337 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया. कुल मिलाकर कैमरा ट्रैप ने वन्यजीवों की 3,48,58,623 तस्वीरों को खींचा (जिनमें 76,651 बाघों के, 51,777 तेंदुए के, शेष अन्य जीव-जंतुओं के थे). इन तस्वीरों के माध्यम से, 2,461 बाघों (शावकों को छोड़कर) की पहचान स्ट्राइप-पैटर्न- रिकॉग्नाइज सॉफ्टवेयर का उपयोग करके की गई.

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वैश्विक रियल्टी पारदर्शिता सूचकांक 2020: भारत 34वें और ब्रिटेन पहले स्थान पर

वर्ष 2020 का वैश्विक रियल एस्टेट पारदर्शिता सूचकांक (Global Real Estate Transparency Index 2020) हाल ही में जारी किया गया है. इसमें दुनिया भर में रियल्टी (अचल संपत्ति) बाजार में पारदर्शिता के के अनुसार रैंकिंग की गयी है.

भारत 34वें स्थान पर

इस सूचकांक में भारत ने अपनी रैंकिंग में एक अंक का सुधार करते हुए 34वें स्थान पर रहा है. रियल एस्टेट बाजार से जुड़े नियामकीय सुधार, बाजार से जुड़े बेहतर आंकड़े और हरित पहलों के चलते देश की रैंकिंग में सुधार हुआ है.

वैश्विक संपत्ति सलाहकार कंपनी JLL इस द्वि-वार्षिक सर्वेक्षण को करती है. भारत की रैंकिंग वर्ष 2018 में 35, 2016 में 36 और 2014 में 39 थी.

ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया शीर्ष तीन देशों में शामिल

वैश्विक रियल्टी पारदर्शिता सूचकांक 2020 में ब्रिटेन पहले पायदान पर रहा है. इसके बाद क्रमश: अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और कनाडा देश शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं. भारत के पड़ोसी देश चीन की इस सूचकांक में 32वें, श्रीलंका की 65वें और पाकिस्तान की 73वें स्थान पर है.

भारत का बाजार को ‘आंशिक-पारदर्शी’ श्रेणी में

इस सूचकांक में कुल 99 देशों की रैंकिंग की गयी है. इनमें से शीर्ष 10 पायदान पर रहे देशों को उच्च पारदर्शी, 11वें से 33वें पायदान पर रहे देशों को पारदर्शी श्रेणी में रखा गया है. इसके बाद के देशों को ‘आंशिक-पारदर्शी’ श्रेणी में रखा गया है. इस प्रकार भारत का रियल एस्टेट बाजार को ‘आंशिक-पारदर्शी’ श्रेणी में रखा गया है.

रियल्टी पारदर्शिता के लिए भारत द्वारा किये गये उपाय

केंद्र सरकार ने 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ प्रदान करने का लक्ष्य रखा है. इस उद्देश्य से किफायती आवास में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. सरकार ने रियलटी क्षेत्र में ‘रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट-2016’ के तहत Real Estate Regulatory Authority (RERA) का गठन किया गया है.

भारत में जीएसटी, बेनामी लेनदेन निषेध (संशोधन) अधिनियम, 2016, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण जैसे प्रमुख संरचनात्मक सुधारों ने अधिक पारदर्शिता लाई है.

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‘टीबी रिपोर्ट 2020’ जारी किया गया, 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य

स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने 24 जून को ‘टीबी रिपोर्ट’ (Tuberculosis Report) 2020 जारी किया था. रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है. लेकिन कुछ राज्य लक्ष्य से पहले ही टीबी उन्मूलन करना चाहते हैं. उनमें केरल 2020, हिमाचल प्रदेश 2021 में सिक्किम और लक्षद्वीप 2022 में, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, झारखंड, पुडुचेरी, दादर अगर हवेली, दमन और दीव ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है.

टीबी रिपोर्ट 2020 के मुख्य बिंदु

  • भारत 2025 तक टीबी के उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है. उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने जनवरी 2020 में ‘राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम’ का नाम बदलकर ‘राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम’ कर दिया था.
  • टीबी उन्मूलन की दिशा में बेहतरीन काम करने वाले राज्य गुजरात, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, दमन दीव और दादर नगर हवेली को सम्मानित किया गया है.
  • टीबी मरीजों को बेहतर पोषण मिले इसके लिए 45 लाख से ज्यादा मरीजों को 533 करोड़ रुपये सीधे उनके खाते में भेजा गया है.
  • टीबी के मरीजों का ऑनलाइन डेटा बनाया जा रहा है, देश मे 23.9 लाख टीबी मरीजों को अधिसूचित किया गया है. इनमें 6.2 लाख रोगी निजी क्षेत्र से है.
  • पहले हर साल 10 लाख केस जांच से छूट जाते थे लेकिन जांच प्रक्रिया को बढ़ाने से अब करीब 2 लाख लोग ही जांच से वंचित रह पाते हैं.
  • इस साल 23 राज्यों के 337 जिलों में 27 करोड़ से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें 62 हजार से ज्यादा टीबी मरीज की पहचान हुई.
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