बोत्सवाना में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हीरा खोजा गया

बोत्सवाना में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हीरा खोजे जाने का दावा किया गया है. यह खोज देबस्वाना डायमंड कंपनी द्वारा की गयी है. देबस्वाना डायमंड, डी बीयर्स (De Beers) और सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम है.

1098 कैरेट का यह हीरा 73 मिमी लंबा, 52 मिमी चौड़ा और 27 मिमी मोटा है. इसका नामकरण अभी नहीं किया गया है. यह हीरा दुनिया के दूसरा सबसे बड़ा हीरा ‘लेसेदी-ला-रोना’ (Lesedi la Rona) से कुछ ही हल्का है जो 2015 में बोत्सवाना में ही मिला था. दुनिया का सबसे बड़ा हीरा ‘कूलिनन स्टोन’ (Cullinan) है. यह 1905 में दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था, जो 3,106 कैरेट का है.

इस हीरे की कीमत के आकलन को अभी तक जारी नहीं किया गया है. हालांकि, 2017 में लंदन के एक जूलर को लेसेदी-ला-रोना को 53 मिलियन डॉलर में बेचा गया था.

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अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की पहली शिखर बैठक

अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच पहली शिखर बैठक 17 जून को जेनेवा में आयोजित की गयी थी. इस बैठक में अमरीका-रूस संबंधों में सुधार पर विचार-विमर्श किया गया.

बैठक में परमाणु हथियार नियंत्रण पर बातचीत फिर शुरू करने और एक दूसरे के यहां राजदूतों की बहाली पर सहमति व्यक्त की है. पिछले वर्ष दोनों देशों ने अपने राजदूतों को वापस बुला लिया था.
हालांकि साइबर सुरक्षा, रूस में विपक्ष के नेता अलेक्सेई नवेलनी और यूक्रेन सहित अन्य मुद्दों पर किसी सहमति का कोई ठोस संकेत नहीं मिला.

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नफ्ताली बेनेट इस्राइल के नये प्रधानमंत्री बने

इस्राइल के नये प्रधानमंत्री के रूप में श्री नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) को शपथ दिलाई गई है. 13 जून को संसद में विश्वास मत के दौरान बेनेट के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पक्ष में 60 और विरोध में 59 वोट पड़े. 120 सदस्यों के सदन में मतदान के दौरान एक सांसद अनुपस्थित रहे.

पूर्व प्रधानमंत्री बेनयामिन नेतनयाहु की सत्ता समाप्त

श्री बेनेट की जीत ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनयामिन नेतनयाहु (Benjamin Netanyahu) की 12 साल की सत्ता को समाप्त कर दिया है. 71 वर्षीय नेतनयाहु सबसे लंबे समय तक इस्राइल के प्रधानमंत्री रहे हैं. अपनी पीढ़ी के सबसे प्रभावशाली राजनेता नेतनयाहू दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी के प्रमुख बने रहेंगे और विपक्ष के नेता होंगे.

नफ्ताली बेनेट दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के नेता हैं

मौजूदा सरकार आठ राजनीतिक दलों के गठबंधन से बना है जिसका नेतृत्‍व मध्‍यमार्गीय यायर लैपिड (Yair Lapid) और प्रखर राष्‍ट्रवादी नफ्ताली बेनेट कर रहे हैं. 49 वर्षीय नफ्ताली बेनेट इस्राइल के पूर्व रक्षा मंत्री और दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के नेता हैं. वह इजराइल के 13वें प्रधानमंत्री बने हैं.

श्री बेनेट सत्ता बंटवारे के समझौते के तहत सितंबर 2023 के प्रधानमंत्री के पद पर रहेंगे. उसके बाद वे अगले दो वर्षों के लिए यायर लैपिड को सत्ता सौंपेगे. इस वर्ष मार्च में हुए चुनाव के बाद किसी भी दल को स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं मिला था.

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स्विटजरलैंड में जलवायु परिवर्तन को रोकने के प्रमुख उपायों पर जनमत संग्रह

स्विटजरलैंड में जलवायु परिवर्तन को रोकने के प्रमुख उपायों पर 13 जून को के एक राष्ट्रव्यापी मतदान (जनमत संग्रह) कराया गया था. इस जनमत संग्रह में मतदाताओं ने जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के प्रमुख उपायों को खारिज कर दिया.

जनमत संग्रह के मुख्य बिंदु

  • मतदाताओं ने सिंथैटिक कीटनाशकों को प्रतिबंध करने वाले प्रस्ताव को भी नामंजूर कर दिया. यह प्रस्ताव पारित होने पर स्विटजरलैंड सिंथैटिक कीटनाशकों पर पाबंदी लगाने वाला पहला यूरोपीय देश बन जाता.
  • जनमत संग्रह में कार ईंधन शुल्क तथा हवाई टिकटों पर कर लगाने के सरकार के प्रयासों को भी खारिज कर दिया गया. यह उपाय जलवायु परिवर्तन पर पैरिस समझौते के अंतर्गत लक्षयों को पूरा करने के लिए किए गये थे.
  • इसके अलावा सरकार के कोविड-19 कानून के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया. इसके तहत सरकार कोविड बीमारी से लड़ने में अधिक खर्च कर सकेगी.
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अमेरिका और ब्रिटेन ने नए अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर किए

अमेरिका और ब्रिटेन ने एक नए अटलांटिक चार्टर (New Atlantic Charter) पर हस्ताक्षर किए हैं. ये हस्ताक्षर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी पहली व्यक्तिगत बैठक के दौरान किये. इसका उद्देश्य वैश्विक चुनौतियों पर एक साथ काम करने है.

जी-7 लीडर्स समिट

अमेरिका और ब्रिटेन के शीर्ष नेताओं की यह बैठक ‘जी-7 लीडर्स समिट’ की पूर्व संध्या पर 10 जून को ब्रिटेन में कॉर्नवाल के कार्बिस बे के समुद्र तटीय रिसॉर्ट में हुई थी. जनवरी 2021 में सत्ता में आने के बाद बाइडन की यह पहली विदेश यात्रा थी.

नया अटलांटिक चार्टर

नए चार्टर में अवैध वित्त, हिंसक संघर्ष और उग्रवाद, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक स्वास्थ्य संकट जैसे कोविड-19 महामारी सहित आधुनिक समय के खतरों को रेखांकित किया गया है.

अटलांटिक चार्टर क्या है?

मूल अटलांटिक चार्टर पर 1941 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था. इस चार्टर का मुख्य उद्देश्य मुक्त व्यापार, निरस्त्रीकरण आदि था. इस चार्टर पर 26 मित्र देशों के एक समूह ने अपना समर्थन दिया था.

इस चार्टर को 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम माना जाता है. इस चार्टर ने ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त कर दिया और नाटो और टैरिफ एंड ट्रेड पर सामान्य समझौता (General Agreement on Tariffs and Trade – GATT) का गठन किया.

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कोस्टारिका की अर्थशास्त्री रेबेका ग्रीनस्पैन को अंकटाड का महानिदेशक नियुक्त किया गया

संयुक्तराष्ट्र महासभा ने व्यापार एवं विकास का संगठन (UNCTAD) के महानिदेशक पद पर कोस्टारिका की महिला अर्थशास्त्री रेबेका ग्रीनस्पैन (Rebeca Grynspan) की नियुक्ति किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. रेबेका इसका नेतृत्व संभालने वाली पहली महिला और मध्य अमेरिकी क्षेत्र की पहली व्यक्ति होंगी. इस पद के लिए रेबेका का नामांकन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने किया था.

रेबेका ग्रीनस्पैन, वर्तमान में इबेरो-अमेरिकी शिखर बैठकों की तैयारी करने वाले मंच इबेरो-अमेरिकन जेनरल सेक्रेटेरिएट की महासचिव हैं. वह 2010-14 तक UNDP (संयुक्तराष्ट्र विकास कार्यक्रम) की उप-प्रशासक रही थीं.

UNCTAD क्या है?

UNCTAD, व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र का एक संगठन है. इसका पूर्ण रूप United Nations Conference on Trade and Development है. इसका मुख्यालय जिनेवा में है. इसे 1964 में स्थायी अंतर-सरकारी निकाय के रूप में स्थापित किया गया था.

UNCTAD, संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का एक हिस्सा है. इस संगठन का मुख्य कार्य दुनिया में व्यापार एवं विकास को बढ़ावा देना है.

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अल्बानिया, ब्राजील, गैबॉन, घाना, यूएई UNSC का अस्थायी सदस्य चुना गया

संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद (UNSC) में गैर स्थायी सदस्यों के तौर पर 2022-23 के कार्यकाल के लिए अल्बानिया, ब्राजील, गैबॉन, घाना और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को निर्विरोध चुना गया है.

UNSC के पांच गैर-स्थायी सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव हुआ था. अस्थायी सदस्य के तौर पर इन देशों का कार्यकाल एक जनवरी 2022 से शुरू होगा. सभी पांचों देश निर्वरोध चुनाव जीत गए क्योंकि परिषद में आवंटित सीट के लिए अपने संबंधित क्षेत्र समूहों में वे इकलौते उम्मीदवार थे.

अफ्रीका और एशियाई देशों के लिए तीन सीटें उपलब्ध थी और इन सीटें पर गैबॉन, घाना और UAE ने जीत हासिल की. लातिन अमेरिका और कैरेबियाई समूह की सीट पर ब्राजील और पूर्वी यूरोप समूह की सीट पर अल्बानिया ने जीत हासिल की.

UNSC में गैर-स्थायी सदस्य के रूप में एस्टोनिया, नाइजर, सेंट विंसेंट एंड ग्रेनेडाइंस, ट्यूनीशिया और वियतनाम का दो साल का कार्यकाल 2021 में पूरा हो रहा हैं. इन सीटों को के लिए ये चुनाव कराये गये थे.

संयुक्त राष्ट्र संघ: एक दृष्टि

  • संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 24 अक्तूबर 1945 को विश्व के 50 देशों ने संयुक्त राष्ट्र अधिकार-पत्र पर हस्ताक्षर कर किया था. भारत शुरुआती दिनों से ही इसका सदस्य है.
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के छह अंग हैं- 1. सुरक्षा परिषद्, 2. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, 3. महासभा, 4. सचिवालय, 5. आर्थिक और सामाजिक परिषद् और 6. न्यायसिता परिषद्.
  • संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाएं हैं- अरबी, चाइनीज, अंग्रेजी, फ्रेंच, रसियन और स्पैनिश. आधिकारिक भाषाएं छह हैं, लेकिन यहां पर संचालन भाषा केवल अंग्रेजी और फ्रेंच हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक अंग है. अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए इसका गठन किया गया है.
  • सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं- पांच स्थाई और दस अस्‍थायी (प्रत्येक 2 वर्ष के लिए). चीन, फ़्रांस, रूस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका इसके स्थाई सदस्य हैं. दस अस्‍थायी सदस्य क्षेत्रीय आधार पर सामान्य सभा द्वारा चुने जाते है। सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष हर महीने वर्णमालानुसार बदलता है.
  • सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्यों को वीटो पॉवर मिली हुई है, जबकि अस्थायी सदस्य के पास वीटो का अधिकार नहीं होता.

वीटो क्या है?

वीटो (veto) का शाब्दिक अर्थ है- ‘मैं अनुमति नहीं देता हूं’. मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका के पास वीटो पावर है. स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई भी सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है.

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मालदीव के विदेश मंत्री अब्‍दुल्‍ला शाहिद को संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा के 76वें सत्र का अध्‍यक्ष चुना गया

मालदीव के विदेश मंत्री अब्‍दुल्‍ला शाहिद को 76वीं संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा (UN General Assembly) सत्र का अध्‍यक्ष चुना गया है. 193 सदस्‍यों की महासभा में 7 जून को हुए चुनाव में कुल पड़े 191 वोटों में से 143 श्री शाहिद के पक्ष में गये.

अब श्री शाहिद सितम्‍बर में शुरू होने वाले 76वें सत्र की अध्यक्षता करेंगे. वह तुर्की के राजनयिक वोलकन बोजकिर का स्थान लेंगे. नियमों के अनुसार, महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष को एशिया-प्रशांत राज्यों के समूह से चुना जाना था.

महासभा के अध्यक्ष का चुनाव प्रत्येक वर्ष गोपनीय मतदान से होता है. बारी-बारी से क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व दिए जाने के स्थायी नियमों के अनुसार महासभा के 76वें सत्र के लिए अध्यक्ष का चुनाव एशिया-प्रशांत देशों के समूह से होना था.

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इसाक हेर्जोग इजरायल के 11वें राष्ट्रपति चुने गये

इसाक हेर्जोग (Isaac Herzog) इजरायल के 11वें राष्ट्रपति चुने गये हैं. 2 जून को हुए राष्ट्रपति चुनाव में इसाक हेर्जोग ने जीत हासिल की थी. इन चुनाव में देश की संसद नेसेट में 120 सांसदों ने नए राष्ट्रपति को चुनने के लिए वोट डाले. राष्ट्रपति पद की दौड़ में इसाक के सामने शिक्षाविद मिरियम पेरेत्ज खड़ी थीं. पेरेत्ज राष्ट्रवादी विचारधारा की हैं.

इसाक हेर्जोग

इसाक हेर्जोग इजरायल की लेबर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और विपक्ष के नेता हैं. इससे पहले 2013 के संसदीय चुनाव में वह इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ चुनाव में खड़े हुए थे लेकिन हार गए थे.

हेर्जोग का सात साल का कार्यकाल 9 जुलाई से शुरू होगा. वर्तमान राष्ट्रपति रेउवेन रिवलिन के का कार्यकाल जुलाई 2021 में समाप्त हो रहा है.

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अमेरिका ने रूस के साथ ‘ओपन स्काई संधि’ में पुनः शामिल नहीं होने का फैसला किया

अमेरिका ने रूस के साथ ‘ओपन स्काई संधि’ (Open Skies Treaty) में पुनः शामिल नहीं होने का फैसला किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन ने 28 मई को इस बात की जानकारी रूस को दी.

अमेरिका ने रूस को यह स्पष्टीकरण ऐसे समय दिया है जब राष्ट्रपति जो बाइडन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 16 जून को जिनेवा, स्विट्जरलैंड में बैठक करने वाले हैं.

अमेरिका ने रूस पर जासूसी का आरोप लगते हुए संधि से अलग हुआ था

इस संधि से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को अलग कर लिया था. अमेरिका ने मई 2020 में संधि तोड़ते हुए रूस पर आरोप लगाया था कि वो संधि के बहाने से टोह लेने की कोशिश कर रहा था. दरअसल साल 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बात पर नाराज हो गए थे कि एक रूसी विमान ने गोल्फ कोर्स पर उड़ान भरी थी.

दोनों देश INF संधि से अलग हो चुके हैं

साल 2019 में भी दोनों ही देश Intermediate-Range Nuclear Forces (INF) संधि से अलग हो चुके हैं. इस संधि के तहत दोनों देशों ने मध्यम दूरी के घातक हथियारों को नष्ट करने का करार किया था ताकि परमाणु हथियारों की दौड़ रोकी जा सके.

खुला आसमान संधि (OST) क्या है?

खुला आकाश समझौता (Open Skies Treaty) या OST अमेरिका और रूस सहित 35 देशों के बीच ‘हवाई निगरानी’ (Aerial Surveillance Flights) के लिए एक संधि है. इस संधि में नाटो के सदस्य भी संधि में शामिल हैं. इस संधि पर वर्ष 2002 में हस्ताक्षर किए गए थे. इस संधि का उद्देश्य आपसी समझ को बढ़ाना है और सभी प्रतिभागियों में विश्वास उत्पन्न करता है.

OST में शामिल देश की सेना को किसी अन्य सदस्य देश की हवाई सीमा में अल्प सूचना पर एक निश्चित संख्या में निगरानी उड़ानों का संचालन करने की अनुमति देता है. संधि के तहत निगरानी विमान सैन्य प्रतिष्ठानों और गतिविधियों की जानकारी और तस्वीरें एकत्र कर सकता है.

OST संधि पर अब तक 35 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं. किर्गिस्तान संधि पर हस्ताक्षर करने वाला 35वां देश है.

खुला आसमान संधि में शामिल देश

बेलारूस, बेल्जियम, बोस्निया और हर्जेगोविना, बुल्गारिया, कनाडा, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क (ग्रीनलैंड सहित), एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जॉर्जिया, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, इटली, कजाकिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, लक्समबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, रूसी संघ, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, तुर्की, यूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और किर्गिस्तान.

न्यू स्टार्ट संधि

ओपन स्काई संधि से भारत और रूस के अलग हो जाने के बाद दोनों परमाणु शक्तियों के बीच केवल एक मुख्य हथियार नियंत्रण संधि है जिसका नाम ‘न्यू स्टार्ट संधि’ है. यह संधि इस साल की शुरुआत में समाप्त होनी थी लेकिन जो बाइडन के अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर पद ग्रहण करने के बाद इसे पांच साल के लिए विस्तारित करने पर विचार कर रहा है.

नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (Strategic Arms Reduction Treaty- START) अमेरिका और रूस के बीच सामरिक हथियारों में कमी लाने तथा उन्हें सीमित करने संबंधी एक संधि है.

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फ्रांस के राष्‍ट्रपति ने रवांडा नरसंहार के लिए माफी मांगी, जानिए क्या है रवांडा नरसंहार

फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 1994 में रवांडा नरसंहार में फ्रांस की भूमिका के लिए रवांडा से माफी मांगी है. इस नरसंहार में करीब आठ लाख जातीय तुतसी और उदारवादी हुतू समुदाय के लोग मारे गए थे. रवांडा की राजधानी किगाली में नरसंहार मेमोरियल पर आयोजित एक कार्यक्रम में मैक्रों ने रवांडा से माफी मांगी. उन्होंने कहा है कि फ्रांस ने नरसंहार की चेतावनी पर ध्‍यान नहीं दिया और सच्‍चाई की जांच को लेकर लंबे समय तक मौन बना रहा.

माफी मांगने का दबाव

रवांडा नरसंहार को लेकर फ्रांसीसी जांच पैनल की हाल की एक रिपोर्ट ने तत्कालीन फ्रांसीसी सेना की भूमिका पर सवाल उठाए थे. जिसके बाद से फ्रांस के ऊपर इस नरसंहार को लेकर माफी मांगने का दबाव बढ़ने लगा था.

रवांडा नरसंहार क्या है?

रवांडा में अप्रैल 1994 से जून 1994 के बीच के करीब 100 दिनों के अंदर करीब 8 लाख लोगों को मार डाला गया था. इस नरसंहार का निशाना बना था रवांडा के अल्पसंख्यक तुतसी और उदारवादी हुतू समुदाय के लोग.

नरसंहार की पृष्ठभूमि

  • रवांडा की कुल आबादी में हूतू समुदाय का हिस्सा 85 प्रतिशत है लेकिन देश पर लंबे समय से तुत्सी अल्पसंख्यकों का दबदबा रहा था.
  • कम संख्या में होने के बावजूद तुत्सी राजवंश ने लंबे समय तक रवांडा पर शासन किया था. साल 1959 में हूतू विद्रोहियों ने तुत्सी राजतंत्र को खत्म कर देश में तख्तापलट किया. जिसके बाद हूतू समुदाय के अत्याचारों से बचने के लिए तुत्सी लोग भागकर युगांडा चले गए.
  • अपने देश पर फिर से कब्जा करने को लेकर तुत्सी लोगों ने रवांडा पैट्रिएक फ्रंट (RPF) नाम के एक विद्रोही संगठन की स्थापना की जिसने 1990 में रवांडा में वापसी कर कत्लेआम शुरू कर दिया.
  • 6 अप्रैल 1994 को तत्कालीन राष्ट्रपति जुवेनल हाबयारिमाना और बुरुंडी के राष्ट्रपति केपरियल नतारयामिरा को ले जा रहा विमान किगाली में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार सभी लोगों की मौत हो गई. दोनों ही समुदायों ने इस हादसे के लिए एक दूसरे पर आरोप लगते हुए हिंसा शुरू कर दिया.

रवांडा नरसंहार में फ्रांस की भूमिका

दरअसल, रवांडा लंबे समय तक फ्रांस का उपनिवेश रहा है. उस समय भी हुतू सरकार को फ्रांस का समर्थन प्राप्त था. राष्ट्रपति की मौत के बाद हुतू सरकार के आदेश पर सेना ने अपने समुदाय के साथ मिलकर तुत्सी समुदाय के लोगों को मारना शुरू किया.

युगांडा ने ख़त्म कराया नरसंहार

1994 में इस नरसंहार को देखते हुए पड़ोसी देश युगांडा ने अपनी सेना को रवांडा में भेजा. जिसके बाद उसके सैनिकों ने राजधानी किगाली पर कब्जा कर इस नरसंहार को खत्म किया.

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बशर-अल-असद ने चौथी बार सीरिया का राष्‍ट्रपति चुनाव जीता

सीरिया के मौजूदा राष्‍ट्रपति बशर-अल-असद ने चौथी बार सीरिया का राष्‍ट्रपति चुनाव जीत लिया है. वह चुनाव जीतने के बाद अगले कार्यकाल (सात साल तक) के लिए सीरिया के राष्‍ट्रपति बने रहेंगे.

असद वर्ष 2000 से राष्‍ट्रपति पद पर हैं. वे अपने पिता हफीज के स्‍थान पर राष्‍ट्रपति बने थे जिन्‍होंने एक चौथाई से अधिक सदी तक शासन किया था.

पश्चिम देशों ने सीरिया के चुनाव को अस्वीकार कर दिया है और कहा कि यह न तो स्‍वतंत्र तरीके से हुआ है और न ही निष्‍पक्ष है. बाइडन प्रशासन ने कहा है कि वह सीरिया में चुनाव के परिणाम को तब तक मान्यता नहीं देगा जब तक कि संयुक्त राष्ट्र और सीरियाई समाज के सभी प्रतिनिधियों की निगरानी में निष्पक्ष मतदान नहीं होता.

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