संयुक्त राष्ट्र ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर पहला वैश्विक प्रस्ताव अपनाया

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 24 मार्च 2024 को सर्वसम्मति से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) पर पहला वैश्विक प्रस्ताव पारित किया था.

प्रस्ताव के मुख्य बिन्दु

  • यह प्रस्ताव संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रायोजित और रूस, चीन और क्यूबा सहित 123 देशों द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था.
  • इस प्रस्ताव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शक्तिशाली नई तकनीक सभी देशों को लाभान्वित करे, मानवाधिकारों का सम्मान करे और सुरक्षित और भरोसेमंद हो.
  • प्रस्ताव में विकसित और विकासशील देशों के बीच डिजिटल विभाजन को समाप्त करने के महत्व पर जोर दिया गया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी देशों को एआई पर चर्चा में भाग लेने का मौका मिले.
  • यह प्रस्ताव एआई के विकास को आकार देने और इसके संभावित नुकसान को कम करने के लिए दुनिया भर की सरकारों द्वारा की गई पहलों की श्रृंखला में नवीनतम है.
  • एआई तकनीक के तेजी से विकास ने इसके संभावित जोखिमों और लाभों के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिसमें मानवाधिकारों, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर इसका प्रभाव शामिल है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का हिन्दी नाम कृत्रिम बुद्धिमत्ता है जिसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी.
  • यह कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह इंटेलिजेंस तरीके से सोचने वाला सॉफ़्टवेयर बनाने का एक तरीका है. जॉन मैकार्थी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जनक माना जाता है.
  • AI इसके बारे में अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता.
  • भारत में राष्ट्रीय स्तर पर AI कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने के लिये नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है.