फ्रांस के राष्‍ट्रपति ने रवांडा नरसंहार के लिए माफी मांगी, जानिए क्या है रवांडा नरसंहार

फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 1994 में रवांडा नरसंहार में फ्रांस की भूमिका के लिए रवांडा से माफी मांगी है. इस नरसंहार में करीब आठ लाख जातीय तुतसी और उदारवादी हुतू समुदाय के लोग मारे गए थे. रवांडा की राजधानी किगाली में नरसंहार मेमोरियल पर आयोजित एक कार्यक्रम में मैक्रों ने रवांडा से माफी मांगी. उन्होंने कहा है कि फ्रांस ने नरसंहार की चेतावनी पर ध्‍यान नहीं दिया और सच्‍चाई की जांच को लेकर लंबे समय तक मौन बना रहा.

माफी मांगने का दबाव

रवांडा नरसंहार को लेकर फ्रांसीसी जांच पैनल की हाल की एक रिपोर्ट ने तत्कालीन फ्रांसीसी सेना की भूमिका पर सवाल उठाए थे. जिसके बाद से फ्रांस के ऊपर इस नरसंहार को लेकर माफी मांगने का दबाव बढ़ने लगा था.

रवांडा नरसंहार क्या है?

रवांडा में अप्रैल 1994 से जून 1994 के बीच के करीब 100 दिनों के अंदर करीब 8 लाख लोगों को मार डाला गया था. इस नरसंहार का निशाना बना था रवांडा के अल्पसंख्यक तुतसी और उदारवादी हुतू समुदाय के लोग.

नरसंहार की पृष्ठभूमि

  • रवांडा की कुल आबादी में हूतू समुदाय का हिस्सा 85 प्रतिशत है लेकिन देश पर लंबे समय से तुत्सी अल्पसंख्यकों का दबदबा रहा था.
  • कम संख्या में होने के बावजूद तुत्सी राजवंश ने लंबे समय तक रवांडा पर शासन किया था. साल 1959 में हूतू विद्रोहियों ने तुत्सी राजतंत्र को खत्म कर देश में तख्तापलट किया. जिसके बाद हूतू समुदाय के अत्याचारों से बचने के लिए तुत्सी लोग भागकर युगांडा चले गए.
  • अपने देश पर फिर से कब्जा करने को लेकर तुत्सी लोगों ने रवांडा पैट्रिएक फ्रंट (RPF) नाम के एक विद्रोही संगठन की स्थापना की जिसने 1990 में रवांडा में वापसी कर कत्लेआम शुरू कर दिया.
  • 6 अप्रैल 1994 को तत्कालीन राष्ट्रपति जुवेनल हाबयारिमाना और बुरुंडी के राष्ट्रपति केपरियल नतारयामिरा को ले जा रहा विमान किगाली में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार सभी लोगों की मौत हो गई. दोनों ही समुदायों ने इस हादसे के लिए एक दूसरे पर आरोप लगते हुए हिंसा शुरू कर दिया.

रवांडा नरसंहार में फ्रांस की भूमिका

दरअसल, रवांडा लंबे समय तक फ्रांस का उपनिवेश रहा है. उस समय भी हुतू सरकार को फ्रांस का समर्थन प्राप्त था. राष्ट्रपति की मौत के बाद हुतू सरकार के आदेश पर सेना ने अपने समुदाय के साथ मिलकर तुत्सी समुदाय के लोगों को मारना शुरू किया.

युगांडा ने ख़त्म कराया नरसंहार

1994 में इस नरसंहार को देखते हुए पड़ोसी देश युगांडा ने अपनी सेना को रवांडा में भेजा. जिसके बाद उसके सैनिकों ने राजधानी किगाली पर कब्जा कर इस नरसंहार को खत्म किया.

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