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8वां हिंद महासागर सम्मेलन मस्कट में आयोजित किया गया

  • 8वां हिंद महासागर सम्मेलन (8th Indian Ocean Conference) 16-17 फरवरी 2025 को ओमान की राजधानी मस्कट में आयोजित किया गया था. इस वर्ष सम्मेलन का विषय है समुद्री साझेदारी के नए क्षितिज की यात्राएँ.
  • इसका आयोजन ओमान में इंडिया फाउंडेशन ने ओमान के विदेश मंत्रालय के सहयोग से किया था. सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया.
  • विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने मस्कट में सम्मेलन से अलग मॉरीशस, मालदीव, नेपाल, भूटान और श्रीलंका के विदेश मंत्रियों के साथ बैठकें की. अपनी ओमान यात्रा के दौरान डॉ. जयशंकर ने ओमान, ब्रुनेई और ईरान के अपने समकक्षों से भी मुलाकात की.

हिंद महासागर सम्मेलन: एक दृष्टि

  • हिंद महासागर सम्मेलन एक प्रमुख परामर्शी मंच है जो हिन्द महासागर के देशों को साथ लाने का कार्य करता है.
  • सम्मेलन का उद्देश्य क्षेत्र के महत्वपूर्ण देशों और प्रमुख समुद्री साझेदारों को एक साझा मंच पर लाना है, ताकि क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (SAGAR) के लिए क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया जा सके.
  • हिंद महासागर सम्मेलन की शुरुआत इंडिया फाउंडेशन ने 2016 में सिंगापुर में की थी, जिसमें 30 देशों ने हिस्सा लिया था.

जर्मनी में 60वां म्‍यूनिख सुरक्षा सम्‍मेलन आयोजित किया गया

  • म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (Munich Security Conference) के 60वें संस्करण का आयोजन 14 से 15 फरवरी 2025 तक किया गया था.
  • म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करने के लिए कूटनीतिक पहल का एक मंच है. इस मंच की स्थापना वर्ष 1963 में हुआ था. इसका आदर्श वाक्य ‘संवाद के माध्यम से शांति की स्थापना’ है.
  • सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने किया था. उन्होंने नॉर्वे के वित्त मंत्री और म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के मनोनीत अध्यक्ष जेन्स स्टोलटेनबर्ग से मुलाकात की. डॉ जयशंकर ने श्री स्टोलटेनबर्ग के साथ वैश्विक सुरक्षा ढांचे पर महत्‍वपूर्ण बातचीत की.
  • सम्‍मेलन से अलग यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्री सिबिहा से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने यूक्रेन संघर्ष समाप्‍त करने की दिशा में जारी प्रयासों पर विचार-विमर्श किया.
  • सम्मेलन के दौरान डॉ. जयशंकर ने अर्जेंटीना के विदेश और व्यापार मंत्री गेरार्डो वर्थीन से भी मुलाकात की. उन्होंने वैश्विक मामलों पर भी अपने विचार साझा किए.

पहला एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित हुआ

पहला एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन (First Asian Buddhist Summit) 5 और 6 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि थीं. सम्मेलन का विषय ‘एशिया को मजबूत बनाने में बुद्ध धम्म की भूमिका’ था.

मुख्य बिन्दु

  • सम्मेलन का उद्देश्य एशिया भर में संघ नेताओं, विद्वानों, विशेषज्ञों को एक साथ लाना ताकि बौद्ध समुदाय के सामने आने वाली समकालीन चुनौतियों का समाधान किया जा सके.
  • सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के सहयोग से किया गया था.
  • बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में छठी ईसा पूर्व में हुई थी. नेपाल के लुंबिनी में जन्मे राजकुमार सिद्धार्थ ने बिहार के बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया और उत्तर प्रदेश के सारनाथ में धम्म की मौलिक अवधारणाओं का प्रचार करना शुरू किया, जिसे धम्म चक्र प्रवर्तन कहा जाता है.
  • बौद्ध धर्म भारत से श्रीलंका, दक्षिण पूर्व एशिया, चीन, तिब्बत, जापान और मध्य एशिया में फैल गया.
  • पहला वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन, अप्रैल 2023 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था और इसका उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.
  • साझा बौद्ध विरासत पर पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा मार्च 2023 में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के सहयोग से आयोजित किया गया था. यह शंघाई सहयोग संगठन की भारतीय अध्यक्षता के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था.
  • अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ, बौद्ध निकायों का एक वैश्विक छत्र संगठन है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में बौद्ध विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना है.

नागरिक उड्डयन पर दूसरा एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन दिल्ली में आयोजित

नागरिक उड्डयन पर दूसरा एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (2nd Asia Pacific Ministerial Conference on Civil Aviation) 11 और 12 सितंबर 2024 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम की मेजबानी केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के एशिया प्रशांत कार्यालय (APAC) के साथ साझेदारी में किया था.

मुख्य बिन्दु

  • जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम सहित 26 देशों के लगभग 250 प्रतिनिधि ने इस सम्मेलन में भाग लिया. हालाँकि पाकिस्तान का कोई भी प्रतिनिधि सम्मेलन में शामिल नहीं था.
  • सम्मेलन में क्षेत्र में नागरिक उड्डयन क्षेत्र की सुरक्षा और विकास से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई.
  • भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता विमानन बाजार है और वर्तमान में घरेलू क्षेत्र में तीसरा सबसे बड़ा बाजार है. पिछले दशक में भारत में विमानों की संख्या 400 से बढ़कर 800 से अधिक हो गई है और हवाई अड्डों की संख्या 74 से बढ़कर 157 हो गई है.
  • सरकार की उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) जैसी पहलों ने क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाया है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि दूरदराज के क्षेत्र भी विमानन नेटवर्क में एकीकृत हो सकें.
  • नागरिक उड्डयन पर पहला एशिया प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 2018 में बीजिंग, चीन में आयोजित किया गया था.

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन: एक दृष्टि

  • अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) की स्थापना 1944 में संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के रूप में की गई थी.
  • यह नियमों और मानकों को निर्धारित करके एक सुरक्षित और सुदृढ़ वैश्विक विमानन प्रणाली विकसित करने के लिए काम करता है.
  • वर्तमान में, 193 देश ICAO के सदस्य हैं. इसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में हैं. ICAO के वर्तमान अध्यक्ष साल्वाटोर सियाचिटानो हैं.
  • ICAO ने एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए 1948 में मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया में एशिया प्रशांत कार्यालय (APAC) की स्थापना की थी. 1955 में इसे ऑस्ट्रेलिया से बैंकॉक, थाईलैंड में स्थानांतरित कर दिया गया था. वर्तमान में, 39 देश APAC के सदस्य हैं.

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन कोलंबो में आयोजित, कोलंबो में स्थित होगा सचिवालय

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (Colombo Security Conclave) 2024 का आयोजन 30 अगस्त को कोलंबो, श्रीलंका में किया गया था. इस बार सम्मेलन में भारत के अलावा मॉरीशस और श्रीलंका शामिल हुए. पर्यवेक्षक के तौर पर सेशेल्स शामिल हुआ.

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) 2024: मुख्य बिन्दु

  • इस सम्मेलन के दौरान कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के चार्टर और समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए. इस पर श्रीलंका के राष्ट्रपति के एनएसए सागाला रत्नायका, मालदीव के एनएसए इब्राहिम लतीफ, श्रीलंका में मॉरीशस के उच्चायुक्त हेमंडोयल दिलिम और भारत के एनएसए अजीत डोभाल ने हस्ताक्षर किए.
  • इस सम्मेलन में लिए गए निर्णय के अनुसार हिंद महासागर के प्रमुख देश आतंकवाद, कट्टरपंथ, हिंसक उग्रवाद, साइबर सुरक्षा खतरों, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानून को लागू करने से संबंधित जानकारी साझा करेंगे.
  • सदस्य देश समुद्र विज्ञान, जल विज्ञान, समुद्री सुरक्षा, समुद्री प्रदूषण, समुद्री कानून, समुद्री पुरातत्व और समुद्री संसाधनों की सुरक्षा के क्षेत्रों में भी घनिष्ठ सहयोग करेंगे.
  • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों, संयुक्त अभ्यासों, कार्यशालाओं और कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से भागीदारों के बीच क्षमता निर्माण को भी मजबूत करेगा.
  • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) का सचिवालय कोलंबो में स्थित होगा और इसके महासचिव महत्वपूर्ण सुरक्षा समूह के संयोजक के रूप में कार्य करेंगे.
  • बांग्लादेश को छोड़कर सभी सदस्य देश कोलंबो बैठक में उपस्थित थे और उन्होंने कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन  के चार्टर और एमओयू पर हस्ताक्षर किए. मोहम्मद मु्इज्जू के नेतृत्व में मालदीव ने सम्मेलन में शामिल हुआ था.

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC): मुख्य बिन्दु

  • हर साल इस सम्मेलन का आयोजन हिंद महासागर क्षेत्र में कई तरह के खतरों का मुकाबला करने के लिए किया जाता है. इस सम्मेलन में सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) शामिल होते हैं.
  • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन की स्थापना 2011 में भारत-श्रीलंका-मालदीव समुद्री सुरक्षा वार्ता के रूप में की गई थी और 2020 में इसका नाम बदलकर कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन कर दिया गया.
  • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के स्थायी सदस्य भारत, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस हैं. बांग्लादेश और सेशेल्स को  पर्यवेक्षक देश का दर्जा प्राप्त है.
  • 10 जुलाई 2024 को मॉरीशस में आयोजित कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन की 8वीं उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बैठक के दौरान बांग्लादेश को एक सदस्य के रूप में शामिल किया गया था.
  • कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के प्रमुख उद्देश्यों में समुद्री सुरक्षा और संरक्षा; आतंकवाद और कट्टरपंथ का मुकाबला करना; तस्करी और संगठित अपराध का मुकाबला करना, साइबर सुरक्षा, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा, मानवीय सहायता; और आपदा राहत शामिल हैं.

भारत की मेजबानी में तीसरा वॉयस ऑफ ग्‍लोबल साउथ शिखर सम्‍मेलन आयोजित

भारत की मेजबानी में 17 अगस्त को तीसरा वॉयस ऑफ ग्‍लोबल साउथ शिखर सम्मेलन (Voice of Global South Summit) आयोजित किया गया था. यह आयोजन वर्चुअल माध्यम से किया गया था. इस सम्मेलन का विषय था- बेहतर भविष्य के लिए सशक्त ग्‍लोबल साउथ.

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन: मुख्य बिन्दु

  • सम्मेलन में इन देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष और शासनाध्‍यक्ष ने भाग लिया. इस सत्र की मेजबानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की.
  • तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में एक नेता सत्र और विभिन्न विषयों पर 10 मंत्रिस्तरीय सत्र आयोजित किए गए.
  • सम्‍मेलन में, संघर्ष, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा संकट, जलवायु परिवर्तन तथा ग्‍लोबल साउथ की समस्याओं पर मुख्य रूप से चर्चा हुई.

ग्लोबल साउथ क्या है?

  • ग्लोबल साउथ (वैश्विक दक्षिण) मुख्यत: एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और ओशिनिया के गरीब और विकासशील देशों को संदर्भित करता है.
  • इसकी तुलना ग्लोबल नॉर्थ (वैश्विक उत्तर) से की जाती है, जिसमें यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के समृद्ध और विकसित देश शामिल हैं.
  • माना जाता है की ग्लोबल नॉर्थ राजनीतिक और आर्थिक शोषण के माध्यम से ग्लोबल साउथ पर हावी है.
  • अमेरिकी राजनीतिक कार्यकर्ता कार्ल ओग्लेस्बी को 1969 में ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द गढ़ने का श्रेय दिया जाता है.
  • भारत ने 2 से 13 जनवरी 2023 तक वर्चुअल प्रारूप में पहले वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी.
  • पहले शिखर सम्मेलन की सफलता के बाद, भारत ने 17 नवंबर 2023 को दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन का आयोजन किया.

बिम्सटेक सुरक्षा प्रमुखों की चौथी बैठक नाएप्यीडॉ में आयोजित की गई

बिम्सटेक सुरक्षा प्रमुखों की चौथी बैठक (4th Annual Meeting of BIMSTEC Security Chiefs) 27 जुलाई को म्यांमार के नाएप्यीडॉ में आयोजित की गई थी. बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने किया था.

मुख्य बिन्दु

  • अपनी म्यांमार यात्रा के दौरान, एनएसए अजीत डोभाल ने बिम्सटेक सुरक्षा प्रमुखों के प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में म्यांमार के प्रधानमंत्री वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से भी मुलाकात की.
  • बिम्सटेक सुरक्षा प्रमुखों ने बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की.
  • बैठक में आतंकवाद-निरोध, अंतरराष्ट्रीय अपराध, मादक द्रव्य-विरोधी प्रक्रियाओं, समुद्री और साइबर सुरक्षा चुनौतियों, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रभावी सूचना साझाकरण से संबंधित मामलों पर भी चर्चा हुई.
  • बिम्सटेक (BIMSTEC) की स्थापना 1997 में बंगाल की खाड़ी के तटीय राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक क्षेत्रीय समूह के रूप में की गई थी.
  • BIMSTEC का पूरा नाम Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation है. भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, थाईलैंड और म्यांमार इसके सात सदस्य हैं. बिम्सटेक का मुख्यालय ढाका में है.

आसियान विदेश मंत्रियों का सम्मेलन वियनतियाने में आयोजित किया गया

आसियान विदेश मंत्रियों की 57वीं बैठक 26-27 जुलाई 2024 तक वियनतियाने (लाओस) में आयोजित की गई थी. इन बैठकों की मेजबानी आसियान के वर्तमान अध्यक्ष लाओस द्वारा की गई थी.  सेलुमक्से कोमासिथ लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री हैं. इस बैठक में भारत का प्रतिनिधत्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया था.

मुख्य बिन्दु

  • विदेश मंत्री एस जयशंकर इन बैठकों में भाग लेने के लिए लाओस की तीन दिवसीय (25-27 जुलाई) यात्रा पर थे.
  • अपनी यात्रा के दौरान, एस जयशंकर और लाओ के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री, सेलुमक्से कोमासिथने संयुक्त रूप से अयोध्या के राम लला पर पहले डाक टिकट का अनावरण किया.
  • बैठक में आने वाले वर्षों में आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) को और बढ़ाने और अगले पांच वर्षों में सीएसपी की पूरी क्षमता को हासिल करने के लिए दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई.
  • ‘आसियान’ दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस- ASEAN) का संक्षिप्त रूप है.
  • यह दक्षिण-पूर्व एशिया के दस देशों का समूह है, जो आपस में आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने के लिए भी कार्य करते हैं.
  • बैठक में, यह घोषणा की गई कि भारत 2024 में अगली क्वाड शिखर बैठक की मेजबानी करेगा, और संयुक्त राज्य अमेरिका 2025 में अगली क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा.

जानिए क्या है आसियान…»

CSC की 8वीं उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बैठक मॉरीशस में आयोजित

कोलंबो सुरक्षा संवाद (CSC) की 8वीं उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (DNSA) स्तर की बैठक 10 जुलाई 2024 को आयोजित की गई थी. बैठक मॉरीशस द्वारा वस्तुतः आयोजित की गई थी.

मुख्य बिन्दु

  • भारत का प्रतिनिधित्व उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (आंतरिक मामले) पंकज कुमार सिंह ने किया.
  • बैठक के दौरान बांग्लादेश पांचवें पूर्ण सदस्य देश के रूप में सीएससी में शामिल हुआ. बांग्लादेश को पहले कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव में पर्यवेक्षक देश का दर्जा प्राप्त था.
  • बैठक में निर्णय लिया गया कि अगली 7वीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बैठक इस साल के अंत में भारत में होगी.

कोलंबो सुरक्षा संवाद (CSC)

  • कोलंबो सुरक्षा संवाद (Colombo Security Conclave) हिंद महासागर में देशों का एक सुरक्षा-केंद्रित समूह है.
  • इसकी उत्पत्ति 2011 की भारत-श्रीलंका-मालदीव समुद्री सुरक्षा वार्ता में निहित है. 2020 में, समूह का नाम बदलकर कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव कर दिया गया.
  • बाद में मॉरीशस को कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव का चौथा सदस्य बनाया गया. वर्तमान में बांग्लादेश भारत, मॉरीशस, मालदीव और श्रीलंका इसके पूर्ण सदस्य देश हैं.
  • सेशेल्स को कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव में पर्यवेक्षक देश  का दर्जा प्राप्त है. कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव का सचिवालय कोलंबो में है.

50वां G-7 शिखर सम्‍मेलन इटली आयोजित किया गया, IMEC परियोजना के लिए सहमति

50वां G-7 शिखर सम्‍मेलन (50th G7 summit) 13 से 15 जून 2024 तक इटली के अपूलिया में आयोजित किया गया था. बैठक में जी 7 के सदस्य देशों संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो, यूनाइटेड किंगडम के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़, और मेजबान इटली के प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने भाग लिया.

मुख्य बिन्दु

  • जी 7 शिखर बैठक में सदस्य देशों ने रूसी आक्रमण के खिलाफ लड़ाई में यूक्रेन का समर्थन किया. शिखर सम्मेलन के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ एक 10-वर्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए.
  • समझौते के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका यूक्रेन को आधुनिक हथियार और गोला-बारूद प्रदान करेगा, लेकिन वह यूक्रेन में अमेरिकी सेना भेजकर रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन की मदद नहीं करेगा.
  • G7 देश रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद जब्त की गई रूसी संपत्तियों से ब्याज का उपयोग करके यूक्रेन को 50 बिलियन डॉलर का ऋण प्रदान करने पर भी सहमत हुए.
  • अगली 51वीं शिखर बैठक 2025 में कैनानास्किस, अल्बर्टा, कनाडा में आयोजित की जाएगी.

प्रधानमंत्री मोदी ने आउटरीच सत्र में भाग लिया

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शिखर सम्मेलन में भाग लिया था. इस शिखर सम्मेलन में भारत की 11वीं और श्री मोदी की लगातार पांचवीं भागीदारी थी.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर पर आउटरीच सत्र में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था.
  • सम्मेलन से अलग श्री मोदी ने जी-7 देश के नेताओं के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें की थी.
  • प्रधानमंत्री  मोदी ने इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की और यूनाइटेड किंगडम के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक के साथ चर्चा की.

आउटरीच सत्र क्या है?

  • जी 7 मेजबान देश को आउटरीच सत्र में भाग लेने के लिए अन्य देशों या बहुपक्षीय संस्थानों को आमंत्रित करने का अधिकार है जहां किसी विशेष मुद्दे या कई वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाती है.
  • G7 के आउटरीच सत्र में भाग लेने का निमंत्रण पाने वाले पहले भारतीय प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (वर्ष 2003) थे.
  • इस बार (2024 में), इटली ने अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, भारत, जॉर्डन, केन्या, मॉरिटानिया, ट्यूनीशिया, तुर्किये और UAE को आमंत्रित किया था. इन देशों के अलावा अफ्रीकी विकास बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया था.

IMEC परियोजना के लिए सहमति

  • शिखर सम्मेलन में G-7 देशों ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) जैसी विशिष्ट अवसंरचना परियोजना के लिए अपनी सहमति जताई.
  • दिल्ली में भारत द्वारा आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान IMEC ढांचे को अंतिम रूप दिया गया था. इस पहल का उद्देश्य एशिया, मध्य पूर्व और पश्चिमी देशों के बीच एकीकरण को बढ़ावा देना है.
  • IMEC की योजना सऊदी अरब, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप को जोड़ने वाली सड़कों, रेलवे और शिपिंग मार्गों का एक व्यापक नेटवर्क स्थापित करने की है.
  • विशेष रूप से इसे चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) के जवाब में IMEC को सहयोगी देशों द्वारा अपने रणनीतिक प्रभाव को बढ़ाने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है.
  • BRI चीन की एक प्रमुख अवसंरचना परियोजना है जो दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप को चीन से जोड़ती है.

G7 संगठन: तथ्यों पर एक दृष्टि

G7 सात सबसे अधिक औद्योगिकीकरण वाले लोकतांत्रिक देशों का एक अनौपचारिक समूह है. जी 7 समूह, 1973 के अरब इजरायली युद्ध के बाद अरब देशों द्वारा कच्चे पेट्रोलियम तेल की कीमतों में वृद्धि के बाद फ्रांस की पहल पर बनाया गया था. G7  में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमरीका सदस्य देश हैं.

गठन: वर्ष 1975 में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति वैलेरी जिस्कार्ड डी एस्टेइंग के आह्वान पर विश्व के सर्वाधिक औद्योगीकृत, लोकतांत्रिक एवं गैर-समाजवादी 6 राष्ट्रों- फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, एवं जापान ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक बैठक का आयोजन किया जिसमें इस समूह का गठन हुआ.

कनाडा सदस्य बना: वर्ष 1976 में कनाडा को इस समूह में शामिल कर लिया गया. कनाडा की सहभागिता के पश्चात यह समूह ‘G7’ के नाम से जाना जाने लगा.

रूस सदस्य बना: वर्ष 1994 में ‘G7’ में रूस के शामिल होने से यह समूह ‘G8’ के नाम से जाना गया.

रूस निलंबित: 27 मार्च, 2014 को इस संगठन से रूस को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया गया. अब यह समूह पुनः ‘G7’ के नाम से जाना जाने लगा है.

मुख्यालय: ‘G7’ एक अनौपचारिक संगठन है जिसका कोई मुख्यालय अथवा सचिवालय नहीं है. इसके अध्यक्ष का चयन रोटेशन प्रणाली के आधार पर होता है.

अर्थशास्त्र: ‘G7’ देश में विश्व की जनसंख्या का 10.3% लोग रहते हैं. सदस्य देशों की GDP विश्व के GDP का 32.2% है, जबकि विश्व के निर्यात में 34.1% तथा आयात में 36.7% हिस्सा है.

सिंगापुर में 21वां ‘शांगरी-ला डायलॉग’ आयोजित किया गया

अंतरराष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा सम्मेलन शांगरी-ला संवाद (Shangri La Dialogue) सिंगापुर के शांगरी ला होटल में 31 मई से 2 जून 2024 तक आयोजित किया गया था. इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्रों और दुनिया के अन्य हिस्सों से सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

21वां शांगरी-ला डायलॉग: मुख्य बिन्दु

  • यह शांगरी-ला डायलॉग का 21वां संस्करण था, जिसका उद्घाटन अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने किया था. वार्ता में चीन, इंडोनेशिया, मालदीव, फ्रांस, दक्षिण कोरिया और अन्य देशों के रक्षा मंत्री भी शामिल थे.
  • वार्ता में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की, फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर और तिमोर लेस्ते के राष्ट्रपति डॉ. जोस होर्टा ने भी भाग लिया. इस बार भारत का प्रतिनिधित्व नहीं था.
  • इस वर्ष चीन का प्रतिनिधित्व उसके रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून ने किया था. कार्यक्रम संबोधित करते हुए उन्होंने ताइवान की स्वतंत्रता को रोकने के लिए दृढ़ कार्रवाई करने की बात कही.

शांगरी-ला डायलॉग: एक दृष्टि

  • शांगरी-ला डायलॉग या एशियाई सुरक्षा शिखर सम्मेलन, एशिया प्रशांत के देशों को क्षेत्र की सुरक्षा समस्याओं पर चर्चा करने और समाधान खोजने के लिए ऐसा वातावरण प्रदान करने का प्रयास करता है.
  • इसका आयोजन सिंगापुर सरकार के साथ इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस), लंदन द्वारा किया जाता है.
  • बैठक का स्थायी स्थान सिंगापुर में स्थित शांगरी-ला होटल है. अब यह बैठक अब शांगरी ला संवाद के नाम से अधिक प्रसिद्ध है.
  • शांगरी-ला संवाद का श्रेय ब्रिटिश रणनीतिकार सर जॉन चिपमैन को दिया जाता है. सर चिपमैन ने क्षेत्र की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 1990 के दशक में सिंगापुर के पूर्व प्रधान मंत्री ली कौन यू से संपर्क किया था.
  • ली कौन यू के सहयोग से पहला एशियाई सुरक्षा सम्मेलन, या शांगरी ला संवाद, 2002 में आयोजित किया गया था.
  • इसका उद्घाटन हमेशा संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा मंत्री के द्वारा किया जाता है. चीनी रक्षा मंत्री हमेशा अगले दिन के सत्र की शुरुआत करते हैं.
  • 2018 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी शांगरी ला संवाद को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधान मंत्री थे.

नीदरलैंड के रोटरडैम के विश्‍व हाइड्रोजन सम्‍मेलन 2024 का आयोजन

नीदरलैंड के रोटरडैम में 13 से 15 मई 2024 तक विश्‍व हाइड्रोजन सम्‍मेलन (World Hydrogen Summit) 2024 का आयोजन किया गया था. सम्‍मेलन में भारत के नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने अपना पहला मंडप स्थापित किया था. इसका उद्घाटन नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव, भूपिंदर सिंह भल्ला ने किया था.

मुख्य बिन्दु

  • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा सचिव भूपिन्‍दर सिंह भल्ला ने सम्‍मेलन में वैश्विक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर भारत के योगदान के महत्‍व पर जोर दिया.
  • श्री भल्‍ला ने कहा कि भारत हरित हाइड्रोजन की मांग को पूरा करने में सक्षम है. उन्‍होंने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक स्‍तर पर भारत के महत्‍व को दर्शाया और देश की नवीकरणीय ऊर्जा की कम लागत पर जोर दिया.
  • 2024 विश्व हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन और प्रदर्शनी सबसे बड़ा वैश्विक हरित हाइड्रोजन कार्यक्रम है जो दुनिया में हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और हरित हाइड्रोजन आधारित ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना चाहता है.

राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन

  • प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2022 में राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी गई थी. भारत सरकार ने मिशन के लिए 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी है.
  • राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन ने वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष कम से कम 5 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास, 125 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि, जीवाश्म ईंधन के आयात में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमी करना, वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी का लक्ष्य रखा है.