Tag Archive for: International Summit

65वां राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन हैलिफ़ैक्स में आयोजित किया गया

65वां राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन (CPA) कनाडा के हैलिफ़ैक्स में 20 से 26 अगस्त तक आयोजित किया गया था.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के नेतृत्व में एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल इस सम्मेलन में भाग लिया. सम्मेलन में देश के राज्य विधानमंडलों के 23 पीठासीन अधिकारी और 16 सचिव भी शामिल थे.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला इस दौरान अन्य राष्ट्रमंडल देशों के समकक्षों के साथ भी बातचीत की. श्री बिड़ला व्यापारिक समुदाय और प्रवासी भारतीयों के साथ भी बातचीत की.

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भारत, इस्राइल, UAE और अमरीका के समूह ‘I2-U2’ के नेताओं का पहला शिखर सम्मेलन

भारत, इस्राइल, संयुक्‍त अरब अमीरात (UAE) और अमरीका के समूह (I2-U2) के नेताओं का पहला शिखर सम्मेलन 14 जुलाई को वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया गया.

इस शिखर सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के अतिरिक्त इस्राइल के प्रधानमंत्री याएर लपिड, संयुक्‍त अरब अमीरात के  राष्‍ट्रपति मोहम्‍मद बिन जायद अल नहयान और अमरीका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने हिस्‍सा लिया.

खाद्य सुरक्षा के उपायों पर विचार-विमर्श

  • सम्‍मेलन में खाद्य सुरक्षा संकट और स्‍वच्‍छ ऊर्जा पर ध्‍यान केंदि‍त किया गया. वैश्विक खाद्य संकट को बेहतर ढंग से निपटने के उपायों पर विचार-विमर्श किया गया.
  • संयुक्‍त अरब अमीरात (UAE) ने घोषणा की है कि वह भारत में एकीकृत फूड पार्को की श्रृंखला विकसित करने के लिए दो अरब डॉलर निवेश करेगा.
  • इन पार्को में अत्‍याधुनिक और जलवायु की दृष्टि से स्‍मार्ट प्रौद्योगिकी इस्‍तेमाल की जाएगी ताकि खाद्य पदार्थों की बर्बादी और उन्‍हें खराब होने से बचाने में मदद की जा सके.
  • इस परियोजना में विशेषज्ञता और नवाचार समाधान के लिए अमरीका और इस्राइल को आमंत्रित किया जाएगा.
  • इस दिशा में निवेश से फसल पैदावार अधिकतम बढ़ाने और दक्षिण एशिया तथा मध्‍य पूर्व में खाद्य असुरक्षा से निपटने में मदद मिलेगी.

I2-U2 समूह: एक दृष्टि

  • I2-U2 एक अंतर्राष्ट्रीय समूह है जिसमें भारत, इस्राइल, संयुक्‍त अरब अमीरात (UAE) और अमरीका सदस्य देश हैं. I2 का तात्पर्य भारत, इस्राइल जबकि U2 का तात्पर्य UAE और अमरीका (US) से है.
  • I2-U2 समूह गठित करने का विचार 18 अक्‍टूबर 2021 को इन चार देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान सामने आया था.
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राष्ट्र मंडल देशों की 26वीं शिखर बैठक किगाली में आयोजित की गयी

राष्ट्र मंडल देशों के शासनाध्यक्षों की 26वीं शिखर बैठक 25 जून को रवांडा के किगाली में आयोजित की गयी थी. यह बैठक कोविड महामारी के कारण दो वर्ष के बाद आयोजित की गयी थी. इस शिखर सम्मेलन (चोगम) की मेजबानी रवांडा ने और अध्यक्षता रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे ने की थी.

मुख्य बिंदु

  • बैठक के दौरान राष्ट्रमंडल सदस्य देशों के नेता जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसी वैश्विक चुनौतियों के मुद्दे पर विचार-विमर्श किये.
  • इस बैठक में अफ्रीकी देश गैबॉन और टोगो को राष्ट्रमंडल देशों के समूह में शामिल किया गया.
  • विदेश मंत्री सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था. वह इस प्रयोजन से 22-25 तक रवांडा की यात्रा पर थे.
  • भारत राष्ट्रमंडल में सबसे अधिक योगदान करने वाले देशों में से एक है और उसने इस संगठन को तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण के साथ सहयोग प्रदान किया है.
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विश्‍व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक 2022 दावोस में आयोजित की गयी

विश्‍व आर्थिक मंच (WEF) की बैठक दावोस में 22 से 26 मई तक आयोजित की गयी थी. WEF के इस बैठक का विषय ‘एक साथ काम करना, विश्वास बहाल करना’ (working together, restoring trust) था.

इस बैठक में वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था. स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री मनसुख मांडविया, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी और मध्‍य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्‍ट्र तथा तेलंगाना के मुख्‍यमंत्री और वरिष्‍ठ मंत्री भी इस प्रतिनिधिमंडल में थे.

  • सम्मेलन में, भारत को एक आकर्षक निवेश स्थल के रूप में दर्शाया गया, क्योंकि भारत की आर्थिक वृद्धि दर अच्छी है और मुख्य आर्थिक संकेतक स्थिर रहे हैं.
  • WEF के इस सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भारत का पक्ष गंभीरता से सुना गया, क्योंकि भारत अगले वर्ष यानी 2023 में जी-20 देशों का अध्यक्ष बनने जा रहा है.
  • श्री गोयल 26 और 27 मई को ब्रिटेन की यात्रा पर थे, जहां वे मुक्त व्यापार समझौता वार्ता की दिशा में हुई प्रगति पर ब्रिटेन सरकार और वहां के उद्योगपितयों के साथ विमर्श किये.

WEF ने जलवायु कार्य गठबंधन की भारतीय शाखा आरंभ की

  • विश्‍व आर्थिक मंच (WEF) ने भारत में जलवायु कार्य गठबंधन की भारतीय शाखा आरंभ की है. इसका उद्देश्य जलवायु गतिविधियों और कार्बन मुक्ति प्रयासों में तेजी लाना है. यह गठबंधन WEF के जलवायु कार्यबल का हिस्सा होगा.
  • जलवायु कार्य गठबंधन, वर्ष 2021 में जारी किए गए श्‍वेत-पत्र मिशन 2070 में तय किए गए लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करेगा.
  • 2070 तक भारत को कम कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनाने का भी लक्ष्य रखा गया है. इस अभियान में सरकार, व्यापार जगत और अन्य पक्षकारों को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के महत्वाकांक्षी संकल्प पंचामृत को पूरा करने के लिए शामिल किया जाएगा.

विश्व आर्थिक फोरम: एक दृष्टि

  • विश्व आर्थिक फोरम (World Economic Forum) दुनिया भर के निर्णय निर्माताओं को विभिन्न परियोजनाओं पर काम करने के लिए एक साथ लाता है ताकि समाज में वास्तविक बदलाव लाया जा सके. इसकी स्थापना वर्ष 1971 में हुई थी.
  • विश्व आर्थिक फोरम की बैठक प्रत्येक वर्ष स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित की जाती है. इस बैठक में, विभिन्न देशों के व्यापारिक नेताओं, निवेशकों, अर्थशास्त्रियों, राजनीतिक नेता हिस्सा लेते हैं.
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संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण की 5वी सभा: प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने का संकल्प

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की 5वां सभा (UNEA 5) 28 फरवरी से 4 मार्च तक केन्या की राजधानी नैरोबी में आयोजित किया गया था. इस सभा में 175 देशों ने हिस्सा लिया था. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. UNEA 5 का थीम “सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रकृति के कार्यों को सुदृढ़ बनाना” (Strengthening Actions for Nature to Achieve the Sustainable Development Goals) था.

प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने का संकल्प

  • इस बैठक में दुनिया भर के समुद्रों, नदियों और मैदानी भागों में प्लास्टिक कचरे की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय रूपरेखा का प्रस्ताव रखा.
  • अपने संबोधन में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रमुख पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करने की बात कही.
  • भारत के आग्रह पर, प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए कार्रवाई करते समय राष्ट्रीय परिस्थितियों और क्षमता के सिद्धांत को संकल्प के पाठ में शामिल किया गया ताकि विकासशील देशों को उनके विकास पथ का अनुसरण करने की अनुमति मिल सके.
  • इससे पहले, भारत ने 2019 में आयोजित चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA 4) में एकल उपयोग प्लास्टिक उत्पाद प्रदूषण से निपटने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, जिससे इस मुद्दे पर वैश्विक ध्यान आकर्षित हुआ.
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पेरिस में हिन्द-प्रशांत पर यूरोपीय संघ की मंत्रिस्तरीय बैठक

हिन्द-प्रशांत पर यूरोपीय संघ की मंत्रिस्तरीय बैठक पेरिस में 22 फरवरी को आयोजित की गयी थी. विदेश मंत्री डॉक्टर सुब्रमण्यम जयशंकर ने इस बैठक में हिस्सा लिया था.

मुख्य बिंदुविदेश मंत्री डॉक्टर सुब्रमण्यम जयशंकर ने यूरोपीय संघ की हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा में योगदान करने की प्रतिबद्धता का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ की रणनीति भारत के स्वतंत्र, खुले, संतुलित और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दृष्टिकोण के अनुरूप है.

नीली अर्थव्यवस्था और महासागर शासन पर सहमति

भारत और फ्रांस ने नीली अर्थव्यवस्था और महासागर शासन पर रोडमैप (Roadmap on Blue Economy and Ocean Governance) पर सहमति जताई. इस रोडमैप के दायरे में समुद्री व्यापार, समुद्री उद्योग, समुद्री प्रौद्योगिकी, मत्स्य पालन, वैज्ञानिक अनुसंधान, समुद्री पर्यावरण पर्यटन, अंतर्देशीय जलमार्ग, एकीकृत तटीय प्रबंधन और नागरिक समुद्री मुद्दों पर सक्षम प्रशासन के बीच सहयोग शामिल होगा.

नीली अर्थव्यवस्था का अर्थ है आर्थिक विकास, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और बेहतर आजीविका और नौकरियों के लिए समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग.

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अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर जर्मनी के म्यूनिख में सुरक्षा सम्मेलन सम्मेलन

जर्मनी के म्यूनिख में 18-20 फरवरी को सुरक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन में 70 से अधिक देशों के 350 से अधिक नेताओं और अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

नाटो और यूरोपीय संघ के वरिष्ठ राजनेताओं, राजनयिकों, सैन्य और सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ-साथ भारत, चीन, जापान, ईरान और रूस जैसे अन्य देशों को इस सम्मेलन में रक्षा और सुरक्षा नीतियों में मौजूदा मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया गया था.

सम्मेलन में भारत

विदेश मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया था. विदेश मंत्री जर्मनी और फ्रांस की छह दिवसीय यात्रा के दौरान इस सम्मेलन जर्मनी यात्रा के दौरान डॉ. जयशंकर हिन्‍द प्रशांत पर एक परिचर्चा में भी भाग लेंगे.

इस सम्मेलन के दौरान यूरोप, एशिया और दुनिया के अन्‍य देशों के मंत्रियों के साथ बैठक की. डॉ. जयशंकर ने रोमानिया, मंगोलिया और स्‍वीडन के विदेश मंत्रियों तथा अन्‍य प्रतिनिधियों के साथ बैठक की.

मुख्य बिंदु

  • रोमानिया के विदेश मंत्री बोगदान ऑरेस्कु के साथ बैठक में डॉ. जयशंकर ने गतिशीलता, साइबर, अंतरिक्ष, रक्षा, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा की.
  • स्वीडन विदेश मंत्री एन लिंडे के साथ, विदेश मंत्री ने द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति और संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा की.
  • डॉ. एस. जयशंकर और मंगोलिया के विदेश मंत्री बत्सेत्सेग बटमुंख ने ऊर्जा, आईटी और कोयला क्षेत्रों सहित विभिन्न मुद्दों पर सहयोग पर चर्चा की.
  • विदेश मंत्री ने यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ भी मुलाकात की और पारदर्शिता, विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला और विश्व व्यवस्था पर चर्चा की. उन्होंने मजबूत भारत-यूरोपीय संघ सहयोग के लिए प्रतिबद्धता दोहराई.
  • इससे पहले डॉ. एस. जयशंकर ने सिंगापुर के रक्षा मंत्री एनजी इंग हेन (Ng Eng Hen) से मुलाकात की. उन्होंने द्विपक्षीय और आसियान से संबंधित रक्षा सहयोग तथा महत्‍वपूर्ण क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. विदेश मंत्री ने अमरीका के पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से भी मुलाकात की.

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन: एक दृष्टि

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर चर्चा के लिए प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है. यह सम्मेलन सिर्फ बहस के लिए प्रयोग किया जाता है; अंतर-सरकारी निर्णयों को बाध्य करने के लिए यह कोई प्राधिकरण नहीं है.

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वन ओशन समिट का आयोजन फ्रांस के राष्ट्रपति के नेतृत्व में किया गया

वन ओशन समिट (One Ocean Summit) का आयोजन फ्रांस में 9-11 फरवरी को किया गया था. इसका आयोजन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नेतृत्व में किया गया था.  इस सम्मलेन को भारत सहित यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया और कनाडा सहित कई राष्ट्राध्यक्षों ने संबोधित किया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मलेन को विडियो कांफ्रेंसिंग माध्यम से संबोधित किया था. अपने संबोधन में उन्होंने भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताई. श्री मोदी ने कहा कि भारत की इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव में प्रमुख स्तंभ के रूप में समुद्री संसाधन शामिल हैं.

जैव विविधता पर उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन

  • सम्‍मेलन के दौरान, राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे “जैव विविधता पर उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन” (biodiversity beyond national jurisdiction- BBNJ) की घोषणा की गई. BBNJ को “reaty of the High Seas” के रूप में भी जाना जाता है.
  • समुद्र का 95% हिस्सा राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर का है. यह क्षेत्र मानवता को अमूल्य आर्थिक, पारिस्थितिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और खाद्य-सुरक्षा लाभ प्रदान करता है.
  • यह राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों की समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग पर एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है. यह समुद्र में मानव गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समझौता है.
  • इस गठबंधन में अब तक ऑस्ट्रेलिया, चिली, कनाडा, कोमोरोस, कोलंबिया, भारत, मोनाको, मिस्र, पेरू, मोरक्को, नॉर्वे, कांगो गणराज्य, स्विट्जरलैंड, सिंगापुर, टोगो, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ और इसके 27 सदस्य देश शामिल हो चुके हैं.
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क्‍वाड विदेश मंत्रियों की चौथी बैठक मेलबर्न में आयोजित की गयी

क्वाड (Quad) देशों के विदेश मंत्रियों की चौथी बैठक 11 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में आयोजित की गयी थी. बैठक में क्वाड के सभी सदस्य देशों भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमरीका के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया था.

विदेश मंत्री डॉक्‍टर सुब्रहमण्यम जयशंकर ने इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. वे ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिस पेन के निमंत्रण पर ऑस्‍ट्रेलिया गये थे. डॉ जयशंकर और ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री ने इस संवाद की सह-अध्यक्षता की थी.

मुख्य बिंदु

  • बैठक में शामिल नेताओं ने सीमा पार आतंकवाद के लिए आतंकवादियों के इस्तेमाल की भी निंदा की. बैठक में, विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर के साथ-साथ अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रियों ने भी कहा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकाने या हमले के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
  • चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि क्वाड देश हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र को बाधा-रहित और समावेशी बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं ताकि इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आर्थिक खुशहाली सुनिश्चित की जा सके.
  • डॉक्‍टर सुब्रहमण्यम जयशंकर ने हिन्द प्रशान्त क्षेत्र को स्वतंत्र आवाजाही, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप और दबाव मुक्त बनाये जाने पर बल दिया ताकि इस क्षेत्र में और इससे इतर भी सुरक्षा और खुशहाली को बढ़ावा मिले.

‘क्वाड’ क्या है?

  • ‘क्वाड’ (QUAD) का पूरा नाम Quadrilateral Security Dialogue (QSD) है. यह ‘भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान’ का चतुष्कोणीय गठबंधन है. यह चीन के साथ भू-रणनीतिक चिंताओं के मद्देनजर गठित की गयी है.
  • जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा भारत के परामर्श से 2007 में ‘क्वाड’ की शुरुआत की थी. 2008 में ऑस्ट्रेलिया द्वारा इस ग्रुप से बाहर आने के कारण यह संगठन शिथिल पड़ गया था, लेकिन बाद में वह पुन: इस वार्ता में शामिल हो गया.
  • 2017 में, इस अनौपचारिक समूह को पुनर्जीवित किया गया ताकि एशिया में चीन के आक्रामक उदय को संतुलित किया जा सके.
  • क्‍वाड संगठन का उद्देश्‍य इस क्षेत्र में वैध और महत्‍वपूर्ण हित रखने वाले सभी देशों की सुरक्षा और उनके आर्थिक सरोकारों का ध्‍यान रखना है.
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भारत-मध्य एशिया प्रथम शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया

भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन (India-Central Asia Summit) का आयोजन 27 जनवरी को किया गया था. इस सम्मेलन में कज़ाखस्तान, किर्गिज़ गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने हिस्सा लिया. यह शीर्ष नेताओं के स्तर पर भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच अपनी तरह का पहला जुड़ाव था.

सम्मेलन के मुख्य बिंदु

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा और अफगानिस्‍तान के घटनाक्रम पर चर्चा की. श्री मोदी ने कहा कि भारत ने मध्य एशियाई देशों के साथ राजनयिक सम्‍बंधों के महत्‍वपूर्ण तीस वर्ष पूरे कर लिए हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि शिखर सम्मेलन के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं. पहला यह स्पष्ट करना कि भारत और मध्य एशिया का आपसी सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए अनिवार्य. दूसरा उद्देश्य हमारे सहयोग को एक प्रभावी स्ट्रक्चर देना है और तीसरा उद्देश्य हमारे सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी रोड मैप बनाना है. इसके माध्यम से हम अगले तीन सालों में रीजनल कनेक्टीविटी और को-ऑपरेशन के लिए एक इंटीग्रेटेड अप्रोच अपना सकेंगे.

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भारत UNSC में आतंकवाद निरोधी समिति की अध्यक्षता करेगा

भारत जनवरी 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद विरोधी समिति (UNSC Counter Terrorism Committee) की अध्यक्षता करेगा.

भारत दूसरी बार सुरक्षा परिषद में इस समिति की अध्यक्षता करेगा. इससे पहले भारत ने 2011-12 में इस समिति की अध्यक्षता की थी. 2022 की शुरुआत में भारत को सुरक्षा परिषद की तीन महत्वपूर्ण समितियों की अध्यक्षता करने के लिए कहा गया है, जिसमें तालिबान प्रतिबंध समिति, आतंकवाद विरोधी समिति और लीबिया प्रतिबंध समिति शामिल हैं.

आतंकवाद विरोधी समिति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 15-सदस्यीय एक सहायक निकाय है. इस समिति का गठन सितंबर, 2001 में न्यूयॉर्क में 9/11 के दुखद आतंकवादी हमले के तुरंत बाद किया गया था.

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तीसरा भारत-मध्य एशिया संवाद दिल्ली में आयोजित किया गया

तीसरा भारत-मध्य एशिया संवाद 19-20 दिसम्बर को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था. इस संवाद में कजाख्स्तान, किरगिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया था. विदेशमंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर ने इनकी अध्यक्षता की थी.

तीसरे वार्षिक संवाद में संबंधों को और मजबूत करने पर विचार-विमर्श हुआ. विशेष रूप से व्यापार, संपर्क तथा विकास सहयोग पर बल दिया गया और परस्पर हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मूल्यों पर चर्चा हुई.

भारत का मध्य एशियाई देशों से संबंध

दूसरे संवाद का आयोजन 2020 में भारत की मेजबानी में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया गया था. पिछले कुछ वर्षों से भारत और पांच मध्य एशियाई देशों के बीच संपर्क लगातार बढ़ रहा है. भारत मध्य एशियाई देशों को अपना पड़ोसी मानता है. विदेश मंत्री डॉक्टर जयशंकर ने इस वर्ष कजाख्स्तान, किरगिज गणराज्य, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान की यात्रा की थी. इस वर्ष अक्तूबर में तुर्कमेनिस्तान के विदेशमंत्री से भी उनकी मुलाकात हुई.

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