Tag Archive for: Bill

मरम्मत का अधिकार के लिए निधि खत्री के नेतृत्व में एक समिति का गठन

सरकार, मरम्मत का अधिकार (Right to Repair) के लिए एक कानून लाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग ने निधि खत्री के नेतृत्व में एक समिति गठित की है. इस समिति की पहली बैठक 13 जुलाई 2022 को हुई थी. इस कानून में उपभोक्ताओं को अपने खराब सामान को बनाने में मदद करेगा.

क्या है ‘राइट टू रिपेयर’?

‘राइट टू रिपेयर’ कानून के तहत कंपनी ग्राहकों के पुराने सामान को रिपेयर करने से मना नहीं कर सकती है. इस नए कानून के बाद अब कंपनियों को किसी सामान के नए पार्ट्स के साथ-साथ पुराने पार्ट्स भी रखने होगा. इसके साथ ही यह कंपनी की जिम्मेदारी होगी वह पुराने पार्ट्स को बदलकर आपके खराब सामान को ठीक करें.

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संसद ने दण्‍ड प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022 पारित किया

संसद ने हाल ही में दण्‍ड प्रक्रिया पहचान विधेयक (Criminal Procedure Identification Bill) 2022 पारित किया है. इस विधेयक में अपराधियों की पहचान और आपराधिक मामलों की छानबीन तथा अपराध से जुडे मामलों के रिकार्ड रखने की व्‍यवस्‍था है. यह विधेयक कैदी पहचान अधिनियम-1920 की जगह लेगा.

मुख्य बिंदु

  • इसमें उन व्‍यक्तियों की पहचान से जुड़े उपयुक्‍त उपायों को कानूनी स्‍वीकृति देने की व्‍यवस्‍था है, जिनमें अंगुलियों के निशान, हाथ की छाप और पंजों के निशान, फोटो, आंख की पुतली और रेटीना का रिकार्ड और शारीरिक जैविक नमूने तथा उनके विश्‍लेषण आदि शामिल हैं.
  • इस विधेयक में राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो को यह रिकॉर्ड एकत्र करने, इन्‍हें सुरक्षित रखने और इन्‍हें साझा करने या नष्‍ट करने का अधिकार दिया गया है. इससे अपराधों की छानबीन अधिक कुशलता से और जल्‍दी की जा सकेगी.
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संसद ने दिल्‍ली के तीन नगर निगमों के एकीकरण संबंधी विधेयक को स्‍वीकृति दी

संसद ने दिल्‍ली के तीन नगर निगमों के एकीकरण संबंधी “दिल्ली नगर निगम-संशोधन विधेयक (Delhi Municipal Corporation Amendment Bill) 2022” को पारित कर दिया है. संसद में पारित होने के बाद इस विधेयक ने अधिनियम का रूप ले लिया है.

दिल्ली नगर निगम-संशोधन अधिनियम: मुख्य बिंदु

  • इस विधेयक में दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 में संशोधन करने तथा दिल्ली के तीन मौजूदा नगर निगमों को मिलाकर केवल एक दिल्ली नगर निगम बनाने का प्रस्ताव है.
  • विधेयक में दिल्ली के लोगों के लिए अधिक पारदर्शी, कार्यकुशल और बेहतर नागरिक सेवाओं के प्रबंधन के प्रावधान किए गए हैं. वर्तमान में दिल्ली में तीन निगमों- उत्तर, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों में कुल 272 सीटें (पार्षद) हैं. विधेयक में पार्षदों की संख्‍या 272 से घटाकर अधिकतम 250 करने की भी व्‍यवस्‍था है.
  • वर्ष 2012 में दिल्‍ली नगर निगम को तीन नगर निगमों- दक्षिण दिल्‍ली नगर निगम, उत्‍तरी दिल्‍ली नगर निगम और पूर्वी दिल्‍ली नगर निगम में विभाजित किया गया था.
  • एकीकृत नगर निगम करने से तीन मेयरों (महापौर) की जगह एक मेयर होगा, 75 समितियों की जगह 25 समितियां होगी, तीन मिंस‍िपल कमीशनर की जगह एक मिंसिपल कमीश्‍नर होगा, तीन मुख्‍यालय की जगह एक मुख्‍यालय होगा, निर्णयों में समानता रहेगी, एकरूकता रहेगी एक ही शहर में दो प्रकार के कर के स्‍ट्रक्‍चर नहीं रहेंगे. वित्‍तीय स्‍थि‍ति भी अच्‍छी रहेगी और लगभग 150 करोड़ का खर्च सालाना इससे कम होगा.

संवैधानिक पहलू

यह विधेयक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239AA-3C के तहत लाया गया है. इस अनुच्छेद में देश की संसद को राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली की विधानसभा द्वारा बनाएं गए किसी भी कानून को संशोधित करने का, उसके स्‍वरूप बदलने का, या तो उसकों निरस्‍त करने का अधिकार देता है.

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राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के कार्यकाल को बढ़ाने की मंजूरी दी गयी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) के कार्यकाल को 31 मार्च 2022 के बाद तीन साल और बढ़ाने की मंजूरी दी है.

मुख्य बिंदु

  • सफाई कर्मचारियों के किसी समूह के संबंध में कार्यक्रम अथवा स्‍कीमों को बनाने का सुझाव देने के लिए राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग का गठन 1993 में किया गया था. इस आयोग का कार्यकाल 1 अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मार्च 2025 करने का निर्णय कर दिया गया है.
  • राष्ट्रीय कर्मचारी आयोग एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में कार्य करता है.
  • इस आयोग द्वारा सफाई कर्मचारियों द्वारा उठाए जा रही समस्याओं को हल किया जाता है ताकि वे सम्‍मानपूर्ण जीवन यापन कर सकें.
  • यह सफाई कर्मचारियों के कल्याण के लिए विशिष्ट कार्यक्रमों के संबंध में सरकार को अपनी सिफारिशें देता है. सफाई कर्मचारियों के लिए मौजूदा कल्याणकारी कार्यक्रमों का अध्ययन और मूल्यांकन भी करता है और विशिष्ट शिकायतों के मामलों की जांच करता है.
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संसद ने बांध सुरक्षा विधेयक 2019 पारित किया

संसद ने 2 दिसम्बर को बांध सुरक्षा विधेयक (Dam Safety Bill) 2019 पारित किया. केन्‍द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने विधेयक को सदन में प्रस्‍तुत किया था. इस विधेयक का उद्देश्य बांध सुरक्षा का नियम जारी करना है.

  • विधेयक में विशिष्‍ट बांध की सुरक्षा के लिए निगरानी, निरीक्षण, काम-काज और रख-रखाव का प्रावधान है. इससे बांधों के सुरक्षित संचालन के लिए संस्‍थागत ढांचा तैयार करने में मदद मिलेगी.
  • देश में 90 प्रतिशत बांध अंतराज्‍यीय नदियों पर बने हैं और उनकी सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है. बांध के नुकसान से बड़े जान-माल की हानि हो सकती है.
  • इस विधेयक में दो राष्ट्रीय निकाय- राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है. बांध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति नीतियां तैयार करेगी और बांध सुरक्षा से संबंधित नियमों की सिफारिश करेगी. राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण राष्ट्रीय समिति द्वारा बनाई गई नीतियों को लागू करेगा.
  • इस विधेयक में दो राज्य निकाय भी होंगे. वे बांध सुरक्षा और राज्य बांध सुरक्षा प्राधिकरण पर राज्य समिति हैं. इन समितियों और प्राधिकरणों के कार्य राज्य स्तर पर सीमित हैं और वे राष्ट्रीय समितियों और प्राधिकरणों के समान कार्य करेंगे.
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संसद ने कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 पारित किया

संसद ने 29 नवम्बर को कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 पारित किया था. यह विधेयक सितम्बर 2021 में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए लाया गया था. इन तीनों कृषि विधेयकों को वापस लिए जाने से संबंधित विधेयक को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद को दिनों सदनों में पेश किया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. इन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे थे. प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़े मुद्दों पर एक समिति बनाने की भी घोषणा की थी.

क्या था तीन कृषि कानून

संसद ने किसानों के सशक्तीकरण के लिए सितम्बर 2020 में तीन कृषि विधेयक पारित कर अधिनियम का रूप दिया था. ये अधिनियम – कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020; किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 हैं.

इन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कृषि उपज और खेती के क्षेत्र में स्‍टॉक सीमा और लाइसेंस राज को समाप्त करना था. इसमें किसानों को अनुबंध खेती का विकल्प दिया गया था. किसानों को मौजूदा विकल्प के अतिरिक्त अन्य कई विकल्प दिए गये थे जिससे उनके उपज का बेहतर दाम मिल सके.

कानून वापसी की प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 245 के अनुसार संसद भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए और किसी राज्य का विधानमंडल उस राज्य या उसके किसी भाग के लिए कानून बना सकता है. संसद को कानून बनाने के साथ-साथ कानून वापस लेने का भी अधिकार है. कानून खत्म करने की प्रक्रिया भी कानून बनाने के समान ही है.

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भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण विधेयक 2021 संसद में पारित

राज्यसभा ने 4 अगस्त को भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक (Airports Economic Regulatory Authority of India Amendment Bill), 2021 पारित कर दिया. इससे पहले 29 जुलाई को लोकसभा में यह बिल पास हुआ था. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह अधिनियम का रूप लेगा.

विधेयक के मुख्य बिंदु

  • यह विधेयक केंद्र सरकार के परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम (asset monetisation programme) के तहत छोटे हवाई अड्डों के निजीकरण की सरकार की योजना का समर्थन करता है.
  • यह छोटे हवाई अड्डों के विकास में उत्प्रेरक साबित होगा और दूर-दराज के इलाको में हवाई संपर्क को बढ़ाने में मदद करेगा.
  • विधेयक ‘प्रमुख हवाईअड्डे’ की परिभाषा में संशोधन करके ‘हवाई अड्डों के समूह’ के शुल्क निर्धारण की अनुमति देता है.
  • यह विधेयक सिंगल एयरपोर्ट के लिए टैरिफ के संबंध में कानून के प्रावधानों में संशोधन करता है. इस विधेयक का उद्देश्य न केवल हवाई यात्रियों की संख्या को तेजी से बढ़ाने का है बल्कि मुनाफा कमाने वाले हवाई अड्डों को विकसित करना है.
  • इन हवाई अड्डों से AAI द्वारा अर्जित राजस्व का उपयोग टियर-II और टियर-III शहरों में हवाई अड्डों के विकास के लिए किया जाएगा.
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दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक 2021 संसद में पारित

दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक (Insolvency and Bankruptcy Code Amendment Bill) 2021 संसद में पारित हो गया है. राज्यसभा ने इस विधेयक को 3 अगस्त को जबकि लोकसभा ने 28 जुलाई को मंजूरी दी थी.

संसद की मंजूरी के बाद इसने कानून का रूप ले लिया है. यह कानून उस दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) अध्यादेश 2021 का स्थान लेगा, जिसे 4 अप्रैल 2021 को लागू किया गया था.

यह विधेयक दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता 2016 में संशोधन के लिए लाया गया था. यह छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा करने और व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए दिवालियापन और दिवाला को समय पर हल करने के लिए समाधान प्रदान करता है.

मुख्य बिंदु

यह संशोधन विधेयक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए एक वैकल्पिक दिवाला समाधान प्रक्रिया प्रदान करेगा. इस संकल्प को “प्री-पैकेज्ड इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (PIRP)” कहा जाएगा.

यह 330 दिनों के भीतर कॉर्पोरेट देनदारों के दिवालियेपन के मुद्दों को हल करने के लिए एक समयबद्ध प्रक्रिया शुरू करेगा. समाधान की इस प्रक्रिया को कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) कहा जाता है. CIRP के तहत, देनदार या उसके लेनदार रुपये की चूक की स्थिति में CIRP की शुरुआत के लिए आवेदन कर सकेंगे.

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किशोर न्‍याय-बाल देखभाल और संरक्षण संशोधन विधेयक 2021 पारित

राज्‍यसभा में ने 28  जुलाई को किशोर न्‍याय – बाल देखभाल और संरक्षण संशोधन विधेयक (Juvenile Justice Care & Protection of Children Amendment Bill)  2021 पारित कर दिया. लोकसभा इस विधेयक को पहले ही मंजूरी दे चुकी है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक अधिनियम का रूप लेगा.

किशोर न्‍याय-बाल देखभाल और संरक्षण संशोधन विधेयक: मुख्य बिंदु

  • यह विधेयक किशोर न्‍याय – बाल देखभाल और संरक्षण अधिनियम 2015 में संशोधन के लिए लाया गया था. इस विधेयक में बच्‍चों को न्‍याय और सहायता देने के प्रावधान किए गए है.
  • मामलों को जल्‍द निपटाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने में अपर जिला मजिस्‍ट्रेट सहित जिला मजिस्‍ट्रेट को दत्तकग्रहण आदेश जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है.
  • इस विधेयक में बाल कल्‍याण समिति के सदस्‍यों की नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंडों को परिभाषित करने और पहले से अपरिभाषित अपराधों को गंभीर अपराधों की श्रेणी में शामिल करने का प्रावधान किया गया है.
  • इस अधिनियम में कहा गया है कि केवल दीवानी अदालत द्वारा गोद लेने का आदेश जारी करने पर ही बच्चे को गोद लेना फाइनल हो जाता है.
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गहरा सागर मिशन के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी गयी

सरकार ने गहरा सागर मिशन (Deep Ocean Mission) के एक प्रस्‍ताव को मंजूरी दी है. यह प्रस्‍ताव को पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा लाया गया था. यह मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में 16 जून को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने दी. इस मिशन के तहत गहरे सागर का सर्वेक्षण और खोज की जाएगी, जिससे जैव-विविधता और खनिजों के अध्‍ययन में मदद मिलेगी.

गहरे सागर मिशन पर चार हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत आने का अनुमान है और यह पांच वर्ष में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा.

गहरा सागर मिशन के मुख्य बिंदु

  • इस निर्णय से संसाधनों के लिए गहरे सागर के अन्‍वेषण और समुद्री संसाधनों के उपयोग के लिए गहरे-सागर से संबंधित प्रौद्योगिकी विकसित करके नीली अर्थव्‍यवस्‍था को प्रोत्साहित किया जाएगा.
  • गहरा सागर मिशन भविष्‍य में क्रांतिकारी सिद्ध होगा. भारत की तटीय सीमा 7517 किलोमीटर लम्‍बी है. देश की करीब तीस प्रतिशत जनसंख्‍या तटीय क्षेत्रों में रहती है.
  • समुद्र मत्‍स्‍य पालन और एक्‍वाकल्‍चर, पर्यटन, आजीविका और समुद्री संसाधनों के कारोबार को समर्थन देने वाला प्रमुख आर्थिक कारक है.
  • इस मिशन के तहत समुद्र में छह हजार मीटर की गहराई तक तीन लोगों को ले जाने के लिए सबमर्सिबल विकसित की जाएगी. महासागर से ऊर्जा और पेय जल उत्पादन पर काम किया जायेगा.
  • इस मिशन के तहत अपतटीय समुद्री थर्मल ऊर्जा रूपांतरण सम्‍बंधी डिसेलिनेशन प्‍लांट के लिए अध्‍ययन और विस्‍तृत इं‍जीनियरिंग डिजाइन की भी परिकल्‍पना की गई है.
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दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक-2021 संसद से पारित

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक-2021’ को 28 मार्च को मंजूरी दे दी. इस विधेयक को हाल ही में संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा से मंजूरी दी गई थी. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लिया है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत दिल्ली एक विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश है. यह विधेयक विधानसभा और उप-राज्यपाल की कुछ शक्तियों और जिम्मेदारियों में संशोधन करता है. 1991 का मौजूदा अधिनियम पुलिस और भूमि को छोड़कर विधान सभा को हर मामले में कानून बनाने की अनुमति देता है.

विधेयक के प्रावधान

इस विधेयक में दिल्ली के उप-राज्यपाल के अधिकार बढ़ाने का प्रावधान किया गया है. विधेयक के तहत दिल्ली सरकार को कोई भी नियम कानून या योजना लाने से पहले उपराज्यपाल की सहमति लेनी होगी.

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कृषि क्षेत्र से संबंधित दो मुख्य विधयेकों को संसद के दोनों सदनों में मंजूरी दी गयी

राज्यसभा ने 20 सितम्बर को कृषि क्षेत्र से संबंधित दो मुख्य विधयेकों को मंजूरी दी. इन दोनों विधयेकों को लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है। ये विदेयक- ‘कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020’ और ‘किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020’ हैं. कृषि मंत्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने दोनों विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत किया था. ये विधेयक 5 जून 2020 को जारी किए गए समान अध्‍यादेशों का स्‍थान लेंगे.

कृ‍षक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 किसानों को अपनी उपज के इलेक्‍ट्रॉनिक व्‍यापार की सुविधा भी प्रदान करेगा. इससे वे कृषि जिन्‍सों की प्रत्‍यक्ष ऑनलाइन खरीद-फरोख्‍त के लिए लेन-देन प्‍लेटफॉर्म स्‍थापित कर सकेंगे.

किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 के अनुसार पैदावार या फसल उगाने से पहले खेती संबंधी करार (अनुबंध) किए जा सकेंगे. ऐसे समझौते में कृषि उपज की खरीद के लिए निश्चित मूल्‍य का उल्‍लेख किया जा सकेगा.

कृषि विधयेक: मुख्य बिंदु

  • इन विधयेकों के प्रावधानों के अनुसार कृषि उपज और खेती के क्षेत्र में स्‍टॉक सीमा और लाइसेंस राज की समाप्ति होगी. किसानों को अनुबंध खेती से अधिक आय प्राप्त करने का सुनहरा अवसर भी मिलेगा.
  • इससे किसानों की उपज खरीदने वालों की संख्‍या (प्रतिस्‍पर्धा) बढेगी और किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिलेगा.
  • किसानों को हर तरह के बिचौलियों और रूकावटों से आजाद करेगा. किसान अब यह चुनने के लिए स्वतंत्र हैं कि वे अपने उत्पादों को कहां और किस कीमत पर बेचेंगे.
  • यदि किसान अपनी उपज की बिक्री करेंगे तो उन्‍हें मंडी कर नहीं देना होगा, जो 2-8.5 प्रतिशत तक होता है.
  • इन विधेयकों से कृषि उपज बाजार समिति (AMPC) अधिनियम का प्रभाव किसी भी तरह कम नहीं होगा.
  • कृषि जिन्‍सों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) की प्रणाली जारी रहेगी.
  • प्रस्‍तावित कानूनों से किसानों को अंतर-राज्‍य बाजारों तक पहुंच कायम करने की अतिरिक्‍त सुविधा मिलेगी.
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