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दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव केन्‍द्रशासित प्रदेशों के विलय विधेयक को मंजूरी

संसद के दोनों सदनों ने दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव केन्‍द्रशासित प्रदेशों का विलय विधेयक -2019 पारित कर दिया. राज्‍यसभा ने इस विधेयक को 3 दिसम्बर को पारित किया जबकि लोकसभा इसे पहले ही पास कर चुकी है.

केन्‍द्रशासित प्रदेशों के विलय से लोगों को बेहतर सेवाएं प्राप्‍त होंगी तथा प्रशासनिक खर्च में भी कमी आएगी. साथ ही योजनाओं और कार्यक्रमों में भी एकरूपता होगी. इस विलय से भाषायी नीति में कोई परिवर्तन नहीं होगा.

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‘इलेक्‍ट्रानिक सिगरेट निषेध विधेयक- 2019’ संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ

राज्‍यसभा ने 2 दिसम्बर को ‘इलेक्‍ट्रानिक सिगरेट निषेध विधेयक- 2019’ पारित कर दिया. लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित कर चुकी है. इस विधेयक में ई-सिगरेट के उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण और विज्ञापन पर प्रतिबंध के साथ इसके उल्‍लंघन पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. यह विधेयक 18 सितम्‍बर 2019 को जारी अध्‍यादेश का स्‍थान लेगा.

इस विधेयक का उद्देश्‍य लोगों को ई-सिगरेट के दुष्‍प्रभाव से बचाना है. भारत में 28 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तम्‍बाकू का इस्‍तेमाल करते हैं. ई-सिगरेट तम्‍बाकू उत्‍पाद नहीं है लेकिन इससे स्‍वास्‍थ्‍य को गंभीर नुकसान पहुंचता है.

ई-सिगरेट: एक दृष्टि

  • ई-सिगरेट (इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट) का पूरा नाम ‘इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS)’ है. यह एक बैटरी द्वारा चालित उपकरण है जो निकोटीन या गैर-निकोटीन के वाष्पीकृत होने वाले घोल की सांस के साथ सेवन की जाने वाली खुराक प्रदान करता है.
  • यह सिगरेट, सिगार या पाइप जैसे धुम्रपान वाले तम्बाकू उत्पादों का एक विकल्प है. यह वाष्प पिये जाने वाले तम्बाकू के धुंएं के समान स्वाद और शारीरिक संवेदना भी प्रदान करती है जबकि इस क्रिया में दरअसल कोई धुंआ या दहन नहीं होता है.
  • 2003 में एक चीनी फार्मासिस्ट होन लिक द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का निर्माण किया गया था. उनकी कंपनी गोल्डन ड्रैगन होल्डिंग्स ने 2005-2006 में विदेशों में इसकी बिक्री शुरू की थी.
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ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने के लिए ‘ई-सिगरेट अध्यादेश, 2019’ को मंजूरी दी गयी

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 19 सितम्बर को ‘ई-सिगरेट अध्यादेश, 2019’ को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने के लिए इस अध्यादेश को स्‍वीकृति दी थी। इस मामले में संसद के अगले सत्र में विधेयक लाया जाएगा।

इस अध्यादेश के तहत ई-सिगरेट के उत्पादन, विनिर्माण, निर्यात, आयात, विज्ञापन सहित सभी 9 क्षेत्रों में गतिविधियों पर रोक रहेगी.

इस अध्यादेश के लागू होने के बाद ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने से युवाओं और बच्चों को ई-सिगरेट के माध्यम से नशे की लत के जोखिम से बचाने में मदद मिलेगी.

ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के बाद कानून तोड़ने पर सजा का भी प्रावधान रखा गया है. इसके तहत पहली बार जुर्म करने पर एक साल की सजा या एक लाख का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान होगा. जबकि बार-बार अपराध करने पर 5 लाख का जुर्माना या 3 साल की कैद अथवा दोनों का प्रावधान है. ई-सिगरेट का भंडारण करने वालों को छह महीने की जेल की सजा या पचास हजार रूपये का जुर्माना या दोनों हो सकता है।


मोटर वाहन संशोधन कानून 2019, 1 सितम्बर से लागू हुआ

मोटर वाहन (संशोधन) कानून 2019 (Motor Vehicles Amendment Act, 2019) के संशोधित प्रावधान 1 सितम्बर से लागू हो गया. इसके तहत यातायात नियमों के उल्‍लंघन पर आर्थिक दंड बढ़ाया गया है. इस विधेयक को हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित किया था.

मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019: एक दृष्टि
लाल बत्ती का उल्लंघन करने पर आर्थिक दंड एक हजार रुपये से बढ़ाकर पांच हजार रुपये कर दिया गया है. सीट बेल्‍ट के बिना वाहन चलाने पर अब सौ रुपये की जगह एक हजार रुपये भरने होंगे. लापरवाही से तेज गाड़ी चलाने पर एक हजार की जगह पांच हजार रुपये का दंड भरना होगा. शराब पीकर वाहन चलाने पर 10 हजार रुपये भरने होंगे. बिना लाइसेंस ड्राइविंग पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगेगा. बीमा की प्रति के बिना वाहन चलाने पर दो हजार रुपये भरने होंगे. किशोर के गाड़ी चलाने पर उसके अभिभावक और वाहन के मालिक को दोषी माना जाएगा. इसके लिए 25 हजार रुपये आर्थिक दंड के साथ तीन वर्ष के कारावास की सजा होगी. हेलमैट के बगैर दोपहिया वाहन चलाने पर पहली बार पांच सौ रुपये और दोबारा ऐसा करने पर डेढ़ हजार रुपये का आर्थिक दंड देना होगा और दुपहिया वाहन पर तीन सवारी ले जाने पर सौ रुपये की जगह पांच सौ रुपये भरने होंगे.


राष्‍ट्रपति ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक 2019 को मंजूरी दी

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 अगस्त को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक (National Medical Commission Bill) को मंजूरी दे दी। इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) से हाल ही में संपन्न हुए सत्र में पारित किया गया था. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लिया है. यह कानून भारतीय चिकित्‍सा परिषद अधिनियम 1956 का स्‍थान लेगा. इस कानून का उद्देश्य चिकित्‍सा शिक्षा की गुणवत्‍ता में सुधार लाना और इसे किफायती बनाना है.

‘राष्‍ट्रीय चिकित्‍सा आयोग’ बनाने का प्रावधान
NMC कानून में एक ‘राष्‍ट्रीय चिकित्‍सा आयोग’ बनाने का प्रावधान है. यह आयोग चिकित्‍सा संस्‍थानों और चिकित्‍सा व्‍यवसायियों के विनियमन के लिए नीतियां तैयार करेगा तथा स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल संबंधी मानव संसाधनों और बुनियाद ढांचे की जरूरतों का मूल्‍यांकन करेगा।

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक (NMC Bill): एक दृष्टि

  • विधेयक में परास्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा (नीट) का प्रावधान है. देश का प्रत्‍येक छात्र इस परीक्षा के माध्‍यम से एम्‍स और किसी भी अन्‍य चिकित्‍सा महाविद्यालय में जा सकता है.
  • मरीजों के इलाज हेतु लाइसेंस हासिल करने के लिए MBBS पाठ्यक्रम के अंतिम सत्र में एक संयुक्त परीक्षा नेशनल एक्जिट टेस्ट ‘नेक्स्ट’ का प्रस्ताव है. यह परीक्षा विदेशी मेडिकल स्नातकों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का भी काम करेगी.
  • विधेयक में चार स्वशासी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है. इसमें स्नातक पूर्व और स्नातकोत्तर अतिविशिष्ट आयुर्विज्ञान शिक्षा में प्रवेश के लिए एक सामान्य राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की बात कही गई है.
  • इसमें चिकित्सा व्यवसाय करने के लिए राष्ट्रीय निर्गम परीक्षा आयोजित करने का उल्लेख है.
    इस विधेयक से देश के सभी भागों में पर्याप्‍त और उच्‍च गुणवत्‍ता के चिकित्‍सक की उपलब्‍धता सुनिश्चित होगी.