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क्‍वाड संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक तोक्‍यो में आयोजित की गयी

चार देशों के समूह- क्‍वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक 6 अक्टूबर को जापान की राजधानी तोक्‍यो में आयोजित की गयी. यह इस समूह की दूसरी मंत्रिस्‍तरीय बैठक थी. पहली बैठक का आयोजन 2019 में किया गया था.

इस बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिज पायने और जापानी विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी ने हिस्सा लिया.

बैठक में डॉ. जयशंकर ने संगठन के सदस्‍य देशों ने मूल्‍य आधारित अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यवस्‍था, पारदर्शिता, अंतर्राष्‍ट्रीय समुद्री सीमा में नौवहन की स्‍वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के प्रति सम्‍मान की भावना और क्षेत्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति वचनबद्धता व्‍यक्‍त की.

बैठक में कोविड महामारी के बाद अन्तर्राष्ट्रीय व्‍यवस्‍था और चुनौतियों से निपटने के समन्वित प्रयासों पर विचार-विमर्श किया गया. क्षेत्रीय मुद्दों तथा मुक्‍त और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के महत्‍व पर भी चर्चा हुई.

क्वाड क्या है?

क्वाड का पूरा नाम Quadrilateral Security Dialogue (QSD) है. इस संगठन में अमरीका, जापान, ऑस्‍ट्रेलिया और भारत इसमें शामिल हैं. क्‍वाड संगठन का उद्देश्‍य इस क्षेत्र में वैध और महत्‍वपूर्ण हित रखने वाले सभी देशों की सुरक्षा और उनके आर्थिक सरोकारों का ध्‍यान रखना है.

विश्‍व की संसदों के अध्‍यक्षों का 5वां सम्‍मेलन आयोजित किया गया

विश्‍व की संसदों के अध्‍यक्षों का 5वां सम्‍मेलन 19-20 अगस्त को वर्चुअल माध्‍यम से आयोजित किया गया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस सम्मलेन में भारतीय संसदीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्‍व किया. इस वर्चुअल सम्‍मेलन का आयोजन संयुक्‍त राष्‍ट्र के सहयोग से जिनेवा स्थित अंतरसंसदीय संघ और ऑस्ट्रिया की संसद ने किया था. इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘Parliamentary leadership for more effective multilateralism’ था.

इस सम्‍मेलन में पाकिस्‍तान के बयान पर उत्‍तर देने के अधिकार का उपयोग करते हुए उन्होंने आतंक फैलाने की पाकिस्तानी साजिशों पर जोर दिया और आतंक को समर्थन और प्रोत्साहन देने की पाकिस्तानी नीतियों को दुनिया के सामने उजागर किया.

स्पीकर ने ये भी कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा. उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने का आह्वान करते हैं कि लेकिन हमारी पहल को कमजोरी के संकेत के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए.

संयुक्‍त राष्‍ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद का वर्चुअल सम्‍मेलन

संयुक्‍त राष्‍ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (United Nations Economic and Social Council) का वर्चुअल सम्‍मेलन का आयोजन न्यूयार्क स्थित संयुक्‍त राष्‍ट्र मुख्‍यालय में किया गया. इस वार्षिक बैठक में विभिन्‍न सरकारी, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और शिक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी इस सम्‍मेलन के समापन सत्र को 17 जुलाई को संबोधित किया. इस वर्ष 17 जून को वर्ष 2021-22 के लिए भारत के सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य चुने जाने के बाद यह पहला अवसर था कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने सत्र को संबोधित किया. इससे पहले जनवरी, 2016 में प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए से संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद की 70वीं वर्षगांठ पर अपना संबोधन दिया था.

प्रधानमंत्री के संबोधन के मुख्य बिंदु

  • प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में बहुपक्षीय सुधारों का दायरा बढ़ाने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि कोरोना संकट के बाद के समय में इसका स्वरूप समकालीन विश्व की वास्तविकता को परिलक्षित करने वाला होना चाहिए.
  • संयुक्त राष्ट्र के 75 वर्ष पूरे होने का अवसर वैश्विक बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार का संकल्प लेने का अवसर है ताकि इसकी प्रासंगिकता और प्रभावशीलता बढ़े और यह मानव-केंद्रित हो सके.
  • भारत ने परिषद् की कार्यसूची तय करने में अपनी भूमिका निभाई है. भारत सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में अन्य विकासशील देशों की भी मदद कर रहा है.
  • पिछले कुछ वर्षों में, भारत में कार्बन उत्सर्जन में प्रतिवर्ष 3.80 करोड़ टन की कमी आई है. इसके लिए गांवों में बिजली पहुंचाई गई है, 8 करोड़ गरीब परिवारों को रसोई गैस उपलब्ध कराई गई है और ऊर्जा बचत के अन्य उपाय भी शुरु किए गए हैं.

इस वर्ष का विषय

इस वर्ष का विषय- ‘कोविड-19 के बाद बहुपक्षवाद: 75वीं वर्षगांठ पर संयुक्‍त राष्‍ट्र का कैसा स्‍वरूप हो’ था. बदलते अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य और कोविड-19 महामारी के मौजूदा संकट को ध्यान में रखते हुए यह सत्र बहु-पक्षवात की दिशा तय करने वाली महत्वपूर्ण ताकतों पर केन्द्रित था.

भारत और यूरोपीय संघ की 15वीं शिखर वार्ता, प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सह-अध्‍यक्षता की

भारत यूरोपीय संघ की 15वीं शिखर बैठक 15 जुलाई को वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्यम से आयोजित की गयी थी. इस बैठक की सह-अध्‍यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी, यूरोपीय परिषद के अध्‍यक्ष चार्ल्‍स माइकल और यूरोपीय आयोग की अध्‍यक्ष उर्सुला वॉन डेर लियन ने की थी.

शिखर बैठक में राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी, व्‍यापार और निवेश तथा आर्थिक सहयोग की समीक्षा की गयी. कोविड-19 महामारी और अन्‍य वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया.

बैठक को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत यूरोपीय संघ साझेदारी की आर्थिक पुनर्निर्माण और मानवता केन्द्रित वैश्विकरण में महत्‍वपूर्ण भूमिका होगी. प्रधानमंत्री ने यूरोप को भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढाने के प्रयासों में निवेश और प्रौद्योगिकी के लिए आमंत्रित किया.

संयुक्‍त बयान में कहा गया है कि यूरोपीय संघ को, 2022 में G-20 में भारत की अध्‍यक्षता और 2021-22 में संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में अस्‍थायी सदस्‍यता की उत्‍सुकता से प्रतीक्षा है.

भारत-यूरोपीय संघ शिखर वार्ता

भारत और यूरोपीय संघ के बीच पहली शिखर वार्ता सन 2000 में हुई थी. कोविड-19 के कारण मार्च में भारत-यूरोपीय संघ शिखर वार्ता स्थगित करनी पड़ी थी.

विश्‍व के बदलते परिप्रेक्ष्‍य में यूरोपीय संघ द्वारा भारत के साथ संबंध और अधिक सुदृढ़ करने के दृष्टिकोण से यह शिखर सम्‍मेलन अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण है.

वैश्विक वैक्सीन शिखर बैठक का आयोजन, भारत वैक्‍सीन एलायंस GAVI को 1.50 करोड़ डॉलर देगा

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की मेजवानी में 5 जून को वैश्विक वैक्सीन शिखर बैठक (Global Vaccine Summit) का आयोजन किया गया. इस बैठक में 50 से अधिक देशों के उद्योगपतियों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, सिविल सोसाइटी, विभिन्‍न सरकार के मंत्रियों और राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया.

वैश्विक वैक्सीन शिखर बैठक का आयोजन GAVI की मदद के लिए 7.4 अरब डॉलर इकट्ठे करने को किया गया था. ब्रिटेन की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में दुनिया भर के कई नेता शामिल हुए और उन्होंने वैक्सीन की समान उपलब्धता के लिए अपनी योजना का रोडमैप भी रखा.

GAVI एलायंस 1.50 करोड़ डॉलर देने की घोषणा

बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने किया. बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय वैक्‍सीन एलायंस GAVI को 1.50 करोड़ डॉलर देने की घोषणा की.

वैक्‍सीन एलायंस GAVI क्या है?

  • GAVI, the Global Alliance for Vaccines and Immunisation का संक्षिप्त रूप है. इसका काम नेक्स्ट जनरेशन की सुरक्षा के लिए टीके का इंतजाम करना है.
  • GAVI की स्थापना Public–Private Partnership के आधार पर वर्ष 2000 में की गयी थी. यूनिसेफ, WHO, विश्व बैंक, बिल तथा मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill and Melinda Gates Foundation) ने इसकी स्थापना में मुख्य भूमिका निभाई है.
  • इसके स्थापना का मुख्य उद्देश्य प्रभावी वैक्सीन की लागत को कम करना है.

11वां पीटरबर्ग जलवायु संवाद जर्मनी की मेजबानी में आयोजित किया गया

11वां पीटरबर्ग जलवायु संवाद (11th Petersberg Climate Dialogue) 27-28 अप्रैल को विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया गया. इस संवाद की मेजबानी जर्मनी सह-अध्यक्षता यूनाइटेड किंगडम (UK) ने की जिसमें 30 से अधिक देशों ने भाग लिया. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस संवाद में भारत का प्रतिनिधित्व किया.

पीटरबर्ग जलवायु संवाद: एक दृष्टि

‘पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद’ (PCD) को जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की पहल पर 2010 में शुरू किया गया था. वर्ष 2009 में कोपेनहेगन जलवायु वार्ता के प्रभावी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचने के कारण इसे शुरू किया गया था. PCD का लक्ष्य जलवायु के संबंध में अंतरराष्ट्रीय विचार-विमर्श हेतु एक मंच प्रदान करना है.

नैनो विज्ञान और नैनो प्रौद्योगिकी पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन कोलकाता में आयोजित किया गया

नैनो विज्ञान और नैनो प्रौद्योगिकी (ICONST) 2020 पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 5-7 मार्च को कोलकाता के बिस्वा बंगला पारंपरिक केंद्र में किया गया. इस सम्मलेन का आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के नैनो मिशन के तत्वावधान में किया गया था. आयोजन का उद्देश्य इस प्रमुख अनुसंधान क्षेत्र की हाल की प्रगतियो पर ध्यान केंद्रित करना था.

इस सम्मेलन में भौतिक, रासायनिक सामग्री के साथ-साथ जैविक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक विकास के कई विषयगत विषयों पर विचार-विमर्श किया गया. नैनो-सामग्रियों पर मौजूदा शोध के अलावा, कई उभरते क्षेत्रों जैसे कि क्वांटम मैटिरियल, ऊर्जा सामग्री और कृषि के लिए नैनो प्रौद्योगिकी को DST नैनो मिशन के चिन्हित क्षेत्रों में शामिल किया गया है.

प्रो. साबू थॉमस राष्ट्रीय अनुसंधान पुरस्कार से सम्मानित

उद्घाटन समारोह के दौरान, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टायम के कुलपति प्रो. साबू थॉमस को नैनो विज्ञान के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी में राष्ट्रीय अनुसंधान पुरस्कार से सम्मानित किया गया. IIT मुम्बई के डॉ. सौरभ लोढ़ा और TIFR, मुंबई के डॉ. विवेक पोलशेट्टीवार को नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी में युवा अनुसंधान पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 का दिल्ली में आयोजन

अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन (IJC) 2020 का आयोजन 22-23 फरवरी को दिल्ली में किया गया. इस सम्मेलन में 47 देशों के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल और अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के जज ने हिस्सा लिया।

इस सम्मेलन का आयोजन सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया गया था जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इस सम्मेलन का विषय “न्यायपालिका और बदलता विश्व” था. इस सम्मलेन का समापन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोधन से हुआ.

सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के आलावा, देश के प्रधान न्यायधीश जस्टिस एसए बोबडे, आस्ट्रेलिया की प्रधान न्यायधीश सुजैन केफेल और ब्रिटेन की शीर्ष अदालत के अध्यक्ष लॉर्ड रॉबर्ट जॉन रीड सहित देश विदेश कई न्यायधीशों ने हिस्सा लिया.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने समाज के पूर्ण विकास में जेंडर जस्टिस अनिवार्यता की बात कही. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा संविधान हर व्यक्ति को समानता का अधिकार प्रदान करता है. प्रधानमंत्री ने कहा आज भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. ऐसा माना जाता है कि तेजी से विकास और पर्यावरण की रक्षा एक साथ होना संभव नहीं है लेकिन भारत ने इस अवधारणा को भी बदला है.

FATF की पैरिस में बैठक: पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बने रहने का फैसला बरकरार रखा गया

फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक पैरिस में 16 से 21 फरवरी तक आयोजित की गयी. बैठक में 205 देशों के 800 से अधिक प्रतिनिधि, संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और अन्य संगठन अपराध और आतंकवाद को बढ़ावा देने की गतिविधियों के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई पर विचार-विमर्श किया.

पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में रखने की घोषणा

इस बैठक में पाकिस्तान और वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए खतरा बने कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को धन मुहैया कराने की रोकथाम में प्रगति की समीक्षा की गयी. बैठक में समापन में FATF ने पाकिस्तान को प्रतिबंधित सूची यानी ग्रे-लिस्ट में रखने की आधिकारिक घोषणा की. इस बैठक में पाकिस्तानी दल का नेतृत्व पाकिस्तान के वित्तमंत्री हम्माद अजहर ने किया था.

जून 2020 तक टैरर फंडिंग पर प्रतिबंधन लगाने की नई समय-सीमा

FATF घोषणा के तहत पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए जून 2020 तक टैरर फंडिंग पर प्रतिबंधन लगाने की नई समय-सीमा दी गयी. इस समय अवधि में उसे 27 प्वाइंट एक्शन प्लान पर काम करना होगा. अगर वह इसमें कामयाब हो जाता है तो ग्रे-लिस्ट से बाहर आ सकता है. लेकिन अगर वह इस पर अमल करने में विफल रहा तो ब्लैक-लिस्ट में जा सकता है.

भारत का पक्ष

भारत यह कहता रहा है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी समूहों को नियमित सहायता देता है, जिसका प्रमुख लक्ष्य भारत में हमला करना है. ऐसे में भारत FATF से पाक के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाता रहा है.

पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण पर काबू करने में नाकाम रहा है

उल्लेखनीय है कि तीन बार दी गई आखिरी समय-सीमाओं के बावजूद पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण पर काबू करने में नाकाम रहा है. FATF ने इससे पहले अक्टूबर और जून 2019 में हुई बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा था.

फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF): एक दृष्टि

  • FATF पैरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है. इसका काम गैर-कानून आर्थिक मदद (आतंकी फाइनैंसिंग) को रोकने के लिए नियम बनाना है. इसका गठन 1989 में किया गया था.
  • वर्तमान में FATF की पूर्ण सदस्‍यता वाले देशों की संख्या 39 है. सउदी अरब को 21 जून 2019 को फ्लोरिडा के ऑरलैंडो में समूह की वार्षिक आम बैठक में FATF की सदस्यता दी गयी. वह पूर्ण सदस्‍यता पाने वाला 39वां देश बना है.
  • FATF की ग्रे-लिस्ट या ब्लैक-लिस्ट में डाले जाने पर देश को अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है.
  • FATF नियमों के मुताबिक, ग्रे-लिस्ट और ब्लैक-लिस्ट के बीच डार्क ग्रे-लिस्ट की भी कैटिगरी होती है. ‘डार्क ग्रे-लिस्ट’ का अर्थ है सख्त चेतावनी, ताकि संबंधित देश को सुधार का एक अंतिम मौका मिल सके.
  • FATF ने पाकिस्तान को फरवरी 2018 में इसे ग्रे-लिस्ट के डाला था. इससे पहले पाकिस्तान साल 2012 से 2015 तक FATF की ग्रे लिस्ट में रहा था.
  • FATF की वर्तमान ब्लैक-लिस्ट में ईरान और उत्तर कोरिया शामिल हैं.

FATF की पूर्ण सदस्‍यता वाले देश

Argentina, Australia, Austria, Belgium, Brazil, Canada, China, Denmark, European Commission, Finland, France, Germany, Greece, Gulf Co-operation Council, Hong Kong, China, Iceland, India, Ireland, Israel, Italy, Japan, Republic of Korea, Luxembourg, Malaysia, Mexico, Netherlands, New Zealand, Norway, Portugal, Russian Federation, Singapore, South Africa, Spain, Sweden, Switzerland, Turkey, United Kingdom, United States and Saudi Arabia

FATF का पर्यवेक्षक देश

इंडोनेशिया

FATF का वर्तमान अध्यक्ष देश

चीन

सड़क सुरक्षा पर तीसरा उच्चस्तरीय वैश्विक सम्मेलन स्टॉकहोम में आयोजित किया जा रहा है

सड़क सुरक्षा पर तीसरा उच्चस्तरीय वैश्विक सम्मेलन 19 और 20 फरवरी को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित किया जा रहा है. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग नितिन गडकरी इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

यह सम्मेलन सड़क सुरक्षा के संबंध में तय वैश्विक लक्ष्यों-2030 को हासिल करने के उद्देश्य से आयोजित की गई है. इस सम्मेलन का मकसद सड़क सुरक्षा को वैश्विक मुद्दा बनाना और सुरक्षित सड़कों के बारे में वैश्विक समुदाय को नए सिरे से सोचने के लिए प्रेरित करना है. इस सम्मेलन में भाग लेने वाले देश 2030 तक सड़क हादसों में कमी लाने के लिए एक रुपरेखा तैयार करेंगे.

भारत, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों समेत अधिकतर विकासशील देशों के द्वारा सड़क सुरक्षा विशेषकर दोपहिया वाहनों की अधिक दुर्घटनाओं तथा कुछ विशिष्ट मुद्दों पर ध्यान दिए जाने की उम्मीद है. इस सम्मेलन का लक्ष्य इन मुद्दों के समाधान के लिए दुनियाभर में प्रचलित सर्वश्रेष्ठ गतिविधियों को अपनाने पर जोर देना है.

स्टॉकहोम में अपने प्रवास के दौरान गडकरी स्वीडन के विदेश व्यापार मंत्री, इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्री, बिजनेस, इंडस्ट्री एंडव इनोवेशन मंत्री के साथ ही ब्रिटेन के सड़क सुरक्षा के लिए मंत्री से भी मुलाकात करेंगे. इसके अतिरिक्त वह वर्ल्ड बैंक के उपाध्यक्ष से भी वार्ता करेंगे.

प्रवासी वन्य जीवों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए 13वां अधिवेशन गांधीनगर में आयोजित किया जा रहा है

‘प्रवासी वन्य जीवों की प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन’ के लिए संयुक्त राष्ट्र का 13वां अधिवेशन (13th Conference of Parties of the Convention on Conservation of Migratory Species of Wild Animals- CMS COP-13) भारत की मेजबानी में 15 से 22 फरवरी तक गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 फरवरी को वीडियो कान्‍फ्रेंसिंग के जरिये इस अधिवेशन का उद्घाटन किया. केन्‍द्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और गुजरात के मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी भी इस अवसर पर मौजूद थे.

CMS COP-13 में 15 देशों के मंत्री, 18 राज्यों के वन और पर्यावरण मंत्री समेत 130 देश शामिल होंगे. इसमें देश-विदेश के विशेषज्ञों के अलावा वैज्ञानिकों की मौजूदगी भी देखने को मिलेगी. इस अधिवेशन के लिए ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोदावण) को शुभंकर बनाया गया है. यह दक्षिण भारत की पारम्परिक कला ‘कोलम’ से प्रेरित है. लोगो में, अमूर फाल्‍कन, हम्‍पबैक व्‍हेल और समुद्री कछुओं जैसी मुख्‍य प्रवासी प्रजातियों को दर्शाने के लिए कोलम कला का उपयोग किया गया है. COP-13 का विषय- ‘इस उपग्रह को जोड़ने वाली प्रवासी प्रजातियों का स्‍वागत है’ है.

इस सम्मेलन के दौरान 16 फरवरी को केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नॉर्वे के पर्यावरण मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की. बैठक में दोनों देशों ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विशेषकर समुद्री प्रदूषण के क्षेत्र में आपसी सहयोग को मजबूत करने का फैसला किया.

भारत अगले तीन वर्ष के लिए इस अधिवेशन का अध्यक्ष

भारत मेजबान के नाते अगले तीन वर्ष के लिए COP का अध्यक्ष नामित किया गया है. भारत ने प्रवासी जंगली पशुओं के संरक्षण की संधि पर 1983 में हस्ताक्षर किये थे.

CMS COP-13 में चर्चा का मुख्य विषय

CMS COP-13 का थीम: Migratory species Connect the Planet and we welcome them है. जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं समेत विज्ञान के उन नए तरीकों पर भी इस अधिवेशन में चर्चा होगी, जिसके जरिए वन्यजीवों के संवर्धन और संरक्षण को और बेहतर किया जा सके.

एशियाई हाथी और गोडावण को विलुप्त होती प्रवासी प्रजातियों की संरक्षण सूची में शामिल किया जायेगा

CMS COP-13 में एशियाई हाथी, गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) और बंगाल फ्लोरिकन को विलुप्त होती प्रवासी प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण सूची में शामिल किया गया. इस प्रस्ताव को 130 देशों द्वारा स्वीकार किया गया.

CMS COP क्या है?

CMS COP, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) का हिस्सा है. UNEP संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण संबंधी गतिविधियों का नियंत्रण करता है. इसकी स्थापना जून 1972 में संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावरण सम्मेलन के परिणामस्वरूप की गई थी. इसका मुख्यालय नैरोबी में स्थित है.

दूसरा बिम्‍सटेक आपदा प्रबंधन अभ्‍यास–2020 भुबनेश्वर में आयोजित किया गया

दूसरा बिम्सटेक आपदा प्रबंधन अभ्यास-2020 (BIMSTEC DMEx-2020) का आयोजन 11 से 13 फरवरी तक भुबनेश्वर में किया गया. इसका आयोजन भारत के ‘राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल’ (NDRF) द्वारा किया गया था.

बिम्‍सटेक के सात सदस्‍य देशों में से पांच सदस्‍य देशों यथा भारत, बांग्‍लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्‍यांमार के प्रतिनिधियों एवं बचाव टीमों ने इस अभ्‍यास में भाग लिया था. दो बिम्सटेक देश थाईलैंड और भूटान ने इस आयोजन में हिस्सा नहीं लिया था.

क्या है बिम्सटेक?

  • बिम्सटेक ‘बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर सेक्टोरल टेक्नीकल एंड इकॉनोमिक को-ऑपरेशन’ का संक्षिप्त रूप है. यह बंगाल की खाड़ी से तटवर्ती या समीपी देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग संगठन है.
  • मूल रूप से यह एक सहयोगात्मक संगठन है. बिम्सटेक का गठन व्यापार, ऊर्जा, पर्यटन, मत्स्य पालन, परिवहन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों आपसी सहयोग के लिए किया गया था. परंतु बाद में कृषि, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद, संस्कृति, जनसंपर्क, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु-परिवर्तन जैसे क्षेत्रों को भी इसमें शामिल किया गया.