FATF की पैरिस में बैठक: पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बने रहने का फैसला बरकरार रखा गया

फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक पैरिस में 16 से 21 फरवरी तक आयोजित की गयी. बैठक में 205 देशों के 800 से अधिक प्रतिनिधि, संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और अन्य संगठन अपराध और आतंकवाद को बढ़ावा देने की गतिविधियों के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई पर विचार-विमर्श किया.

पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में रखने की घोषणा

इस बैठक में पाकिस्तान और वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए खतरा बने कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को धन मुहैया कराने की रोकथाम में प्रगति की समीक्षा की गयी. बैठक में समापन में FATF ने पाकिस्तान को प्रतिबंधित सूची यानी ग्रे-लिस्ट में रखने की आधिकारिक घोषणा की. इस बैठक में पाकिस्तानी दल का नेतृत्व पाकिस्तान के वित्तमंत्री हम्माद अजहर ने किया था.

जून 2020 तक टैरर फंडिंग पर प्रतिबंधन लगाने की नई समय-सीमा

FATF घोषणा के तहत पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए जून 2020 तक टैरर फंडिंग पर प्रतिबंधन लगाने की नई समय-सीमा दी गयी. इस समय अवधि में उसे 27 प्वाइंट एक्शन प्लान पर काम करना होगा. अगर वह इसमें कामयाब हो जाता है तो ग्रे-लिस्ट से बाहर आ सकता है. लेकिन अगर वह इस पर अमल करने में विफल रहा तो ब्लैक-लिस्ट में जा सकता है.

भारत का पक्ष

भारत यह कहता रहा है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी समूहों को नियमित सहायता देता है, जिसका प्रमुख लक्ष्य भारत में हमला करना है. ऐसे में भारत FATF से पाक के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाता रहा है.

पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण पर काबू करने में नाकाम रहा है

उल्लेखनीय है कि तीन बार दी गई आखिरी समय-सीमाओं के बावजूद पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण पर काबू करने में नाकाम रहा है. FATF ने इससे पहले अक्टूबर और जून 2019 में हुई बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा था.

फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF): एक दृष्टि

  • FATF पैरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है. इसका काम गैर-कानून आर्थिक मदद (आतंकी फाइनैंसिंग) को रोकने के लिए नियम बनाना है. इसका गठन 1989 में किया गया था.
  • वर्तमान में FATF की पूर्ण सदस्‍यता वाले देशों की संख्या 39 है. सउदी अरब को 21 जून 2019 को फ्लोरिडा के ऑरलैंडो में समूह की वार्षिक आम बैठक में FATF की सदस्यता दी गयी. वह पूर्ण सदस्‍यता पाने वाला 39वां देश बना है.
  • FATF की ग्रे-लिस्ट या ब्लैक-लिस्ट में डाले जाने पर देश को अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है.
  • FATF नियमों के मुताबिक, ग्रे-लिस्ट और ब्लैक-लिस्ट के बीच डार्क ग्रे-लिस्ट की भी कैटिगरी होती है. ‘डार्क ग्रे-लिस्ट’ का अर्थ है सख्त चेतावनी, ताकि संबंधित देश को सुधार का एक अंतिम मौका मिल सके.
  • FATF ने पाकिस्तान को फरवरी 2018 में इसे ग्रे-लिस्ट के डाला था. इससे पहले पाकिस्तान साल 2012 से 2015 तक FATF की ग्रे लिस्ट में रहा था.
  • FATF की वर्तमान ब्लैक-लिस्ट में ईरान और उत्तर कोरिया शामिल हैं.

FATF की पूर्ण सदस्‍यता वाले देश

Argentina, Australia, Austria, Belgium, Brazil, Canada, China, Denmark, European Commission, Finland, France, Germany, Greece, Gulf Co-operation Council, Hong Kong, China, Iceland, India, Ireland, Israel, Italy, Japan, Republic of Korea, Luxembourg, Malaysia, Mexico, Netherlands, New Zealand, Norway, Portugal, Russian Federation, Singapore, South Africa, Spain, Sweden, Switzerland, Turkey, United Kingdom, United States and Saudi Arabia

FATF का पर्यवेक्षक देश

इंडोनेशिया

FATF का वर्तमान अध्यक्ष देश

चीन

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सड़क सुरक्षा पर तीसरा उच्चस्तरीय वैश्विक सम्मेलन स्टॉकहोम में आयोजित किया जा रहा है

सड़क सुरक्षा पर तीसरा उच्चस्तरीय वैश्विक सम्मेलन 19 और 20 फरवरी को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित किया जा रहा है. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग नितिन गडकरी इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

यह सम्मेलन सड़क सुरक्षा के संबंध में तय वैश्विक लक्ष्यों-2030 को हासिल करने के उद्देश्य से आयोजित की गई है. इस सम्मेलन का मकसद सड़क सुरक्षा को वैश्विक मुद्दा बनाना और सुरक्षित सड़कों के बारे में वैश्विक समुदाय को नए सिरे से सोचने के लिए प्रेरित करना है. इस सम्मेलन में भाग लेने वाले देश 2030 तक सड़क हादसों में कमी लाने के लिए एक रुपरेखा तैयार करेंगे.

भारत, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों समेत अधिकतर विकासशील देशों के द्वारा सड़क सुरक्षा विशेषकर दोपहिया वाहनों की अधिक दुर्घटनाओं तथा कुछ विशिष्ट मुद्दों पर ध्यान दिए जाने की उम्मीद है. इस सम्मेलन का लक्ष्य इन मुद्दों के समाधान के लिए दुनियाभर में प्रचलित सर्वश्रेष्ठ गतिविधियों को अपनाने पर जोर देना है.

स्टॉकहोम में अपने प्रवास के दौरान गडकरी स्वीडन के विदेश व्यापार मंत्री, इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्री, बिजनेस, इंडस्ट्री एंडव इनोवेशन मंत्री के साथ ही ब्रिटेन के सड़क सुरक्षा के लिए मंत्री से भी मुलाकात करेंगे. इसके अतिरिक्त वह वर्ल्ड बैंक के उपाध्यक्ष से भी वार्ता करेंगे.

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प्रवासी वन्य जीवों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए 13वां अधिवेशन गांधीनगर में आयोजित किया जा रहा है

‘प्रवासी वन्य जीवों की प्रजातियों के संरक्षण और संवर्धन’ के लिए संयुक्त राष्ट्र का 13वां अधिवेशन (13th Conference of Parties of the Convention on Conservation of Migratory Species of Wild Animals- CMS COP-13) भारत की मेजबानी में 15 से 22 फरवरी तक गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 फरवरी को वीडियो कान्‍फ्रेंसिंग के जरिये इस अधिवेशन का उद्घाटन किया. केन्‍द्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और गुजरात के मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी भी इस अवसर पर मौजूद थे.

CMS COP-13 में 15 देशों के मंत्री, 18 राज्यों के वन और पर्यावरण मंत्री समेत 130 देश शामिल होंगे. इसमें देश-विदेश के विशेषज्ञों के अलावा वैज्ञानिकों की मौजूदगी भी देखने को मिलेगी. इस अधिवेशन के लिए ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोदावण) को शुभंकर बनाया गया है. यह दक्षिण भारत की पारम्परिक कला ‘कोलम’ से प्रेरित है. लोगो में, अमूर फाल्‍कन, हम्‍पबैक व्‍हेल और समुद्री कछुओं जैसी मुख्‍य प्रवासी प्रजातियों को दर्शाने के लिए कोलम कला का उपयोग किया गया है. COP-13 का विषय- ‘इस उपग्रह को जोड़ने वाली प्रवासी प्रजातियों का स्‍वागत है’ है.

इस सम्मेलन के दौरान 16 फरवरी को केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नॉर्वे के पर्यावरण मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की. बैठक में दोनों देशों ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विशेषकर समुद्री प्रदूषण के क्षेत्र में आपसी सहयोग को मजबूत करने का फैसला किया.

भारत अगले तीन वर्ष के लिए इस अधिवेशन का अध्यक्ष

भारत मेजबान के नाते अगले तीन वर्ष के लिए COP का अध्यक्ष नामित किया गया है. भारत ने प्रवासी जंगली पशुओं के संरक्षण की संधि पर 1983 में हस्ताक्षर किये थे.

CMS COP-13 में चर्चा का मुख्य विषय

CMS COP-13 का थीम: Migratory species Connect the Planet and we welcome them है. जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं समेत विज्ञान के उन नए तरीकों पर भी इस अधिवेशन में चर्चा होगी, जिसके जरिए वन्यजीवों के संवर्धन और संरक्षण को और बेहतर किया जा सके.

एशियाई हाथी और गोडावण को विलुप्त होती प्रवासी प्रजातियों की संरक्षण सूची में शामिल किया जायेगा

CMS COP-13 में एशियाई हाथी, गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) और बंगाल फ्लोरिकन को विलुप्त होती प्रवासी प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण सूची में शामिल किया गया. इस प्रस्ताव को 130 देशों द्वारा स्वीकार किया गया.

CMS COP क्या है?

CMS COP, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) का हिस्सा है. UNEP संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण संबंधी गतिविधियों का नियंत्रण करता है. इसकी स्थापना जून 1972 में संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावरण सम्मेलन के परिणामस्वरूप की गई थी. इसका मुख्यालय नैरोबी में स्थित है.

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सुरक्षा नीति पर व्यापक विचार-विमर्श के लिये 56वां म्यूनिख़ सुरक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया

अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर व्यापक विचार-विमर्श के लिये 14-15 फरवरी को जर्मनी के म्यूनिख़ में 56वां म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (56th Munich Security Conference) आयोजित किया गया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया. सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने बहुपक्षवाद को रचनात्मक राजनयिक संपर्क और आपसी समझ से ही मज़बूत करने की बात कही.

इससे पहले श्री जयशंकर ने सम्मेलन के अध्यक्ष वोल्फगांग इशिंजर से मुलाकात की. एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि वैश्विक मुद्दों पर एकजुटता से काम करना अमरीका के साथ भारत की कार्यनीतिक भागीदारी का अभिन्न हिस्सा है.

क्या है म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन?

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर व्यापक विचार-विमर्श के लिये एक बड़ा मंच हैं जहां दुनिया भर के नेता और राजनयिक अहम मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं. इसकी शुरुआत 1962 में एक जर्मन सैन्य अधिकारी एवाल्ड फोन क्लाइस्ट ने की थी.

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दूसरा बिम्‍सटेक आपदा प्रबंधन अभ्‍यास–2020 भुबनेश्वर में आयोजित किया गया

दूसरा बिम्सटेक आपदा प्रबंधन अभ्यास-2020 (BIMSTEC DMEx-2020) का आयोजन 11 से 13 फरवरी तक भुबनेश्वर में किया गया. इसका आयोजन भारत के ‘राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल’ (NDRF) द्वारा किया गया था.

बिम्‍सटेक के सात सदस्‍य देशों में से पांच सदस्‍य देशों यथा भारत, बांग्‍लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्‍यांमार के प्रतिनिधियों एवं बचाव टीमों ने इस अभ्‍यास में भाग लिया था. दो बिम्सटेक देश थाईलैंड और भूटान ने इस आयोजन में हिस्सा नहीं लिया था.

क्या है बिम्सटेक?

  • बिम्सटेक ‘बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर सेक्टोरल टेक्नीकल एंड इकॉनोमिक को-ऑपरेशन’ का संक्षिप्त रूप है. यह बंगाल की खाड़ी से तटवर्ती या समीपी देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग संगठन है.
  • मूल रूप से यह एक सहयोगात्मक संगठन है. बिम्सटेक का गठन व्यापार, ऊर्जा, पर्यटन, मत्स्य पालन, परिवहन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों आपसी सहयोग के लिए किया गया था. परंतु बाद में कृषि, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद, संस्कृति, जनसंपर्क, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु-परिवर्तन जैसे क्षेत्रों को भी इसमें शामिल किया गया.
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अफ्रीकी संघ का 33वां शिखर सम्मेलन अदीस अबाबा में आयोजित किया गया

अफ्रीकी संघ का 33वां शिखर सम्मेलन 9 से 10 फरवरी को इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा मिस्र के राष्ट्रपति का स्थान लेकर अफ्रीकी संघ के नए अध्यक्ष बने. उनका कार्यकाल एक साल तक होगा.

रामाफोसा ने अफ्रीका के विकास और समृद्धि बढ़ाने में सलंग्न रहने और सदस्य देशों के बीच सहयोग को प्राथमिकता देने की बात कही. उन्होंने कहा कि अफ्रीकी देशों को मुक्त व्यापार क्षेत्र से पैदा अवसरों के प्रयोग से औद्योगीकरण का प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे एकता और समृद्धि साकार हो सके. सम्मेलन के दौरान कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य को वर्ष 2021 में 34वें शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता दी गयी.

अफ्रीकी संघ: एक दृष्टि

अफ्रीकी संघ (AU) एक महाद्वीपीय संघ है, जिसमें अफ्रीका महाद्वीप के 55 देश शामिल हैं. AU की स्थापना 2001 में अदीस अबाबा, इथियोपिया में हुई थी. इसका मुख्यलय अदीस अबाबा में स्थित है.

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11वीं रक्षा प्रदर्शनी 2020 लखनऊ में आयोजित किया गया, 5वीं भारत-रूस रक्षा उद्योग बैठक


रक्षा मंत्रालय के 11वीं रक्षा प्रदर्शनी (11th DefExpo India) 2020 का आयोजन लखनऊ में 5 से 8 फरवरी तक किया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रदर्शनी के समापन सत्र की अध्‍यक्षता की. यह अब तक का सर्वश्रेष्‍ठ आयोजन रहा. इस रक्षा प्रदर्शनी में दो सौ से अधिक प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण के समझौता ज्ञापनों पर हस्‍ताक्षर किए गए और कई रक्षा उत्‍पाद जारी किए गए.

हर दूसरे वर्ष आयोजित होने वाली यह 11वीं रक्षा प्रदर्शनी थी. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था. 70 से ज्‍यादा देशों के 1000 से अधिक कंपनियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया. रक्षा प्रदर्शनी-2020 के दौरान लखनऊ में ‘पहला भारत-अफ्रीका रक्षा सम्‍मेलन’ और ‘5वीं भारत-रूस रक्षा उद्योग बैठक’ भी आयोजन किया गया था.

5वीं भारत-रूस रक्षा उद्योग बैठक, 14 समझौता ज्ञापनों पर हस्‍ताक्षर

लखनऊ में रक्षा प्रदर्शनी-2020 के दौरान ‘5वीं भारत-रूस रक्षा उद्योग बैठक’ आयोजित किया गया. इस बैठक में दोनों देशों के बीच 14 समझौता ज्ञापनों पर हस्‍ताक्षर किये गये. जो प्रमुख कंपनियां इन समझौता-पत्रों का हिस्सा बनी उनमें भारत की तरफ से BHEL, भारत डायनामिक्स लिमिटेड और विस्टा कंट्रोल शामिल थीं वहीं रूस की ओर से इमवर्शिया, यूवी जेड, और BEML शामिल रहीं.

यह समझौता-पत्र विभिन्न रक्षा साजो-सामान के उत्पादन से जुड़े हुए थे जिनमें T-72, T-90, राडार सिस्टम, ASB रॉकेट लॉन्चर और 3D मॉडलिंग के पुर्जे शामिल है.

आगामी 5 वर्षों में 5 बिलियन डॉलर के रक्षा निर्यात का लक्ष्य

रक्षा प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगले पांच वर्षों में पांच अरब डॉलर (35 हज़ार करोड़ रुपये) के रक्षा निर्यात का लक्ष्य तय किया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में भारत का रक्षा उपकरण निर्यात लगभग दो हजार करोड़ रुपये था. पिछले दो वर्षों में यह बढ़कर 17 हज़ार करोड़ रुपये हो गया है.

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विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली में किया गया

विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन (World Sustainable Development Summit) 2020 का आयोजन नई दिल्ली में 29 से 31 जनवरी तक किया गया. इसका आयोजन प्रतिवर्ष उर्जा व संसाधन संस्थान (The Energy and Resources Institute-TERI) द्वारा किया जाता है. इसकी थीम ‘Towards 2030: Making the Decade Count’ है.

विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन: एक दृष्टि

  • विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन (WSDS) TERI का एक प्रमुख वार्षिक सम्मेलन है.
  • दिल्ली सतत् विकास शिखर सम्मेलन की शुरुआत वर्ष 2001 में हुई थी. इसकी शुरुआत ‘सतत् विकास’ को विश्व स्तर पर साझा लक्ष्य बनाने के उद्देश्य से की गई थी.
  • यह सम्मेलन वैश्विक नेताओं और विभिन्न शोधकर्त्ताओं के एकत्रित होने और व्यापक महत्त्व वाले जलवायु संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का एक प्रमुख केंद्र है.
  • ऊर्जा और संसाधन संस्थान (TERI) अनुसंधान, नीति, परामर्श और कार्यान्वयन क्षमताओं से युक्त एक स्वतंत्र, बहुआयामी संगठन है. इसकी स्थापना दरबारी सेठ ने 1974 में की थी, वे टाटा केमिकल्स लिमिटेड के निर्माता थे.
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विश्व आर्थिक मंच का 50वां सम्मेलन स्विटजरलैंड के दावोस में

विश्व आर्थिक मंच (WEF) का 50वां सम्मेलन 21 से 25 जनवरी तक स्विटजरलैंड के दावोस में आयोजित किया जा रहा है. इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल सहित 117 देशों के राष्ट्राध्यक्ष, शासनाध्यक्ष और मंत्री भाग लेंगे. इस वर्ष विश्व आर्थिक मंच का विषय- ”एकजुट और सतत विश्व के साझेदार” है.

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योगमंत्री पीयूष गोयल भारतीय शिष्‍टमंडल का नेतृत्व करेंगे. मंच की बैठक के दौरान भारतीय अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को मानसिक स्वास्थ्य पर उनके कार्यों के लिए ‘विश्व आर्थिक मंच क्रिस्टल अवार्ड’ से सम्मानित किया गया. पोतपरिवहन तथा रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मांडविया तथा कर्नाटक और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी इस बैठक में भाग ले रहे हैं.

सम्‍मेलन के प्रमुख उद्देश्‍य

इस वर्ष सम्‍मेलन का प्रमुख उद्देश्‍य पारिस्थि‍तिकीय तंत्र, अर्थव्‍यवस्‍था, उद्योग, प्रौद्योगिकी, भू-राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में सार्वजनिक निजी भागीदारी और सहयोग बढ़ाना है. विश्‍व आर्थिक फोरम के संस्‍थापक और कार्यकारी अध्‍यक्ष क्‍लॉस श्‍वैब ने अपने स्‍वागत संदेश में कहा कि इस मंच से विश्‍व के युवा नेतृत्‍व सहित कई प्रमुख हस्तियों का संगठन सृजित करना बेहद महत्‍वपूर्ण है.

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रायसीना डायलॉग के पांचवे संस्करण का आयोजन दिल्ली में किया गया

रायसीना डायलॉग के पांचवे संस्करण का आयोजन 14 से 16 जनवरी तक दिल्ली में किया गया. इसकी मेजबानी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया था. इस सम्‍मेलन का विषय ‘नेविगेटिंग द अल्‍फा सेंच्‍युरी’ था. इसका आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने संयुक्‍त रूप से किया था. सम्‍मेलन सौ से अधिक देशों के करीब सात सौ अंतर्राष्‍ट्रीय प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्‍मेलन के उद्घाटन सत्र में भाग लिया था. न्‍यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलन क्‍लार्क, अफगानिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति हामिद करजई, कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्‍टीफन हार्पर, स्‍वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री कार्ल बिल्‍ट, डेनमार्क के पूर्व प्रधानमंत्री आंद्र फोग रासमुसेन, भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री त्‍शेरिंग टोबगे और दक्षिण कोरिया के पूर्व प्रधानमंत्री हान स्‍युंग-सू भी उद्घाटन सत्र में शामिल हुए थे.

इस सम्‍मेलन में रूस, ईरान, आस्‍ट्रेलिया, मालदीव, दक्षिण अफ्रीका, डेनमार्क, उज्‍बेकिस्‍तान और यूरोपीय संघ समेत कुल 12 देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया था. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन इस बैठक में आने वाले थे, लेकिन उन्होंने देश के जंगलों में आग की वजह से फैसला बदल लिया. अमरीका और ईरान के बीच चल रहे गतिरोध के बीच ईरान के विदेशमंत्री जावेद जरीफ का संवाद में हिस्‍सा लेना अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण था.

क्या है रायसीना डायलॉग?

रायसीना डायलॉग भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक मुद्दों पर भारत का वैश्विक सम्‍मेलन है. यह वैश्विक समुदाय के सामने सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिये प्रतिबद्ध है.
यह सम्‍मेलन संवाद के द्वारा बेहतर समन्‍वय स्‍थापित करने की भारत की पहचान को दर्शाता है.
भारत के विदेश मंत्रालय का मुख्यालय रायसीना पहाड़ी (साउथ ब्लॉक), नई दिल्ली में स्थित है, इसी के नाम पर इसे रायसीना डायलॉग के रूप में जाना जाता है. इसका आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है.

रायसीना डायलॉग 2020: मुख्य बिंदु

  • भारत-चीन संबंघों की चर्चा करते हुए विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और चीन को अच्‍छे पड़ोसियों की तरह महत्‍वपूर्ण मुद्दों को सुलझाना चाहिए.
  • अमरीका और ईरान के बीच के तनाव का उल्लेख करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि ये दोनों ही सम्प्रभुत्ता सम्पन्न देश हैं और इन्हें ही आपस में निपटना है.
  • उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के विरूद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है. एस जयशंकर ने कहा कि भारत पेरिस जलवायु समझौते का पालन करता है और भारत के रूख से विश्व के देश सहमत है.
  • रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत और ब्राजील की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया.
  • प्रमुख रक्षा अध्‍यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत ने आतंकवाद को प्रायोजित करने वालों के विरूद्ध कड़ी वैश्विक कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया है.
  • ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ ने कहा है कि खाड़ी क्षेत्र में तनाव दूर करने में भारत महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
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द्वीप विकास एजेंसी की छठी बैठक नई दिल्‍ली में आयोजित की गयी

द्वीप विकास एजेंसी (IDA) की छठी बैठक 13 जनवरी को नई दिल्‍ली में आयोजित की गयी. गृह मंत्री अमित शाह ने इस बैठक की अध्‍यक्षता की. बैठक में एजेंसी ने द्वीपों के समग्र विकास योजना की प्रगति की समीक्षा और पर्यटन और निर्यात को बढ़ावा देकर द्वीपवासियों के लिए रोजगार योजनाएं तैयार की गई.

बैठक में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 16 और लक्ष्‍यद्वीप में 10 द्वीपों की पहचान की, जिनका पर्यटन और वहां के उत्‍पादों के निर्यात के जरिये समग्र विकास किया जाएगा. इन द्वीपों को समुद्री खाद्य पदार्थ और नारियल से बने उत्‍पादों की निर्यात सुविधाएं दी जाएंगी.

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107वां भारतीय विज्ञान कांग्रेस बेंगलुरू में आयोजित किया गया, पहली बार किसान कांग्रेस का आयोजन

107वां भारतीय विज्ञान कांग्रेस 3 से 7 जनवरी तक बेंगलुरू के कृषि विज्ञान विश्‍वविद्यालय में आयोजित किया गया था. इस सम्‍मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने किया था. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देश के तेज विकास के लिए वैज्ञानिकों से चार कदम- नवाचार, पेटेंट, उत्‍पादन और समृद्धि की बात कही थी.

इस वर्ष के भारतीय विज्ञान कांग्रेस का विषय– “ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी” था. सम्‍मेलन में देश-विदेश से आए वैज्ञानिक और विशेषज्ञ नवाचार और शोध से जुड़े विभिन्‍न पहलुओं पर चर्चा हुई. नोबेल पुरस्‍कार विजेता जर्मनी के स्‍टेफन हेलतथा इज़राइल के अदा ई योनाथ सहित बड़ी संख्‍या में वैज्ञानिक, शिक्षाविद और विद्वान इस सम्‍मेलन में शामिल हुए.

28 पूर्ण सत्र और 14 प्रमुख विषयों पर व्‍याख्‍यान

107वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस सम्‍मेलन में कृषि, पोषाहार, जलवायु परिवर्तन, कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता तथा कैंसर जैसे विषयों पर 28 पूर्ण सत्र आयोजित किये गये. आधुनिक विज्ञान क्षेत्र में 14 प्रमुख विषयों पर भारतीय विज्ञान कांग्रेस में व्‍याख्‍यान हुए.

इसके अलावा एक दिन विशेष व्‍याख्‍यान महिला, बाल और विज्ञान शिक्षार्थियों को लेकर किया गया. ‘प्राइड ऑफ इंडिया’ के नाम से प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया, जिसमें भारतीय विज्ञान क्षेत्र से जुड़े कई यंत्र और उपकरणों को दर्शाया गया था.

पहली बार कृषि विज्ञान कांग्रेस का आयोजन

भारतीय विज्ञान कांग्रेस के इतिहास में पहली बार एक कृषि विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया गया. इस बार पहली बार कृषि क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक तकनीक पर हुई. इस कार्यक्रम में एकीकृत कृषि उद्यमिता, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, कृषि संकट, ग्रामीण जैव-उद्यमिता और नीतिगत मुद्दों में नवाचार पर ज़ोर दिया गया.

इस कार्यक्रम में तीन सत्र आयोजित किये गये. पहले सत्र का विषय “किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एकीकृत कृषि और उद्यमशीलता पर किसान नवाचार” था. दूसरा सत्र “जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता, संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं और किसान सशक्तिकरण” विषय पर आधारित था. इसके तीसरे सत्र का विषय “कृषि संकट, ग्रामीण जैव-उद्यमिता, नीतिगत मुद्दे” था.

भारतीय विज्ञान कांग्रेस में महिला विज्ञान कांग्रेस आयोजन

इस विज्ञान कांग्रेस में महिला विज्ञान कांग्रेस का भी आयोजन किया गया था. इस अवसर पर मुख्य अतिथि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के एरोनॉटिकल सिस्‍टम की महानिदेशक डॉक्‍टर टेसी थॉमस थीं. DRDO की ओर से विज्ञान क्षेत्र में चल रहे अनुसंधान की जानकारी देते हुए डॉक्‍टर टेसी थॉमस ने बताया कि लेह और लद्दाख में उन्‍होंने फसल उगाने की तरकीब निकाली है. इस तरकीब से अब हिमालय के ऊंचे प्रदेश में भी स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक पेड़ उगाए जा सकते हैं.

भारतीय विज्ञान कांग्रेस (ISCA): एक दृष्टि

भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था (Indian Science Congress Association- ISCA) भारतीय वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था है. ISCA की स्थापना 1914 में ब्रिाटिश रसायनज्ञ जेएल साइमनसेन और पीएस मैकमोहन के पहल से हुई थी. इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिये किया गया था. प्रतिवर्ष जनवरी के प्रथम सप्ताह में इसका सम्मेलन होता है.

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