नई दिल्ली के कमानी सभागार में 17 से 19 सितंबर तक 5वां अन्तर्राष्ट्रीय रामायण महोत्सव 2019 का आयोजन किया गया. इस महोत्सव का आयोजन भारतीय सांस्कृतिक परिषद (ICCR) द्वारा किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया.
इस कार्यक्रम में थाईलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, श्रीलंका, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, फिजी सहित आठ देशों के कला समूह हिस्सा ने हिस्सा लिया.
यह महोत्सव 20 से 22 सितंबर तक पुणे और लखनऊ में आयोजित किया जाएगा. महोत्सव में हिस्सा लेने वाले विभिन्न देशों का समूह अयोध्या भी जाएगा.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-09-19 23:48:042019-09-19 15:59:295वां अन्तर्राष्ट्रीय रामायण महोत्सव दिल्ली में आयोजित किया गया
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के सैन्य चिकित्सकों का सम्मेलन नयी दिल्ली में 12-13 सितंबर को आयोजित किया गया. जून 2017 में SCO का सदस्य बनने के बाद भारत पहली बार सैन्य सहयोग सम्मेलन आयोजित कर रहा है. सम्मेलन में पाकिस्तान को छोड़कर सभी सदस्य देश शामिल हुए. इस सम्मेलन में नेपाल और श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडलों ने भी हिस्सा लिया.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के सदस्यों को भरोसा दिलाया कि भारत इस क्षेत्र के लोगों के हितों के लिए आगे बढ़कर सहयोग जारी रखेगा।
भारतीय सशस्त्र बल हेडक्वाटर्स इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (HQIDS) के तत्वाधान में इस सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसका लक्ष्य सैन्य चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट पद्धतियों को साझा करना, क्षमताओं का निर्माण करना और साझी चुनौतियों से पार पाना था.
SCO के सदस्य देश SCO के सदस्य देशों में रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं. 2017 में भारत और पाकिस्तान को SCO का पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा दिया गया था.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-09-13 23:38:172019-09-12 23:06:41SCO के सदस्य देशों के सैन्य चिकित्सकों का सम्मेलन नयी दिल्ली में आयोजित किया गया
मरूस्थलीकरण रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संधि में शामिल देशों की संस्था (United Nations Convention to Combat Desertification- UNCCD) का 14वां सम्मेलन (कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज़ COP-14) भारत की मेजवानी में आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में 190 से अधिक देशों के तीन हजार से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर और UN-CCD के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियोग ने संयुक्त रूप से 2 सितम्बर को इस सम्मेलन का उद्घाटन किया था.
COP-14 के समापन पर दिल्ली घोषणा पत्र स्वीकार किया गया. सभी देशों ने मानव स्वास्थ्य में सुधार, समृद्धि, पारिस्थितिकी संरक्षण और शांति तथा सुरक्षा के लिए नई पहल करने पर सहमति व्यक्त की.
भारत दो वर्ष के लिए इस संगठन का मेजबान और अध्यक्ष यह सम्मेलन उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोयडा में 2 सितम्बर से 13 सितम्बर तक 2019 तक आयोजित किया गया. भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर इस सम्मेलन के अध्यक्ष थे. भारत दो वर्ष के लिए इस संगठन का मेजबान और अध्यक्ष है. भारत ने इस संगठन की अध्यक्षता चीन से ग्रहण की है.
COP-14 के उद्देश्य
COP-14 सम्मेलन का उद्देश्य सतत भूमि प्रबंधन, मरूस्थलीकरण को रोकना, जमीन के क्षरण को रोककर उसकी उर्वरता की बहाली तथा रेतीली और धूलभरी आंधियों से निपटने जैसी समस्याओं और उनके निदान पर विचार करना है. इससे संयुक्त राष्ट्र के 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने में आसानी होगी. इसका आयोजन 1992 के रिओ सम्मेलन में व्यक्त चिन्ताओं के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
सरकार का लक्ष्य 2030 तक दो करोड़ 60 लाख हैक्टेयर बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि में परिवर्तर्तित करना भारत सरकार का लक्ष्य 2030 तक दो करोड़ 60 लाख हैक्टेयर बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि में परिवर्तर्तित करना है. इसके लिए देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान में एक केन्द्र स्थापित किया जायेगा. क्षेत्रफल के लिहाज से भारत विश्व का 7वां सबसे बड़ा देश है और विश्व के कुल वनक्षेत्र का 24 प्रतिशत भारत में हैं.
UNCCD क्या है?
UNCCD भूमि के बंजर होने की स्थिति की रोकथाम से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की संस्था है. इसकी स्थापना 1994 में की गयी थी. इसके COP सत्र (कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज) का आयोजन प्रत्येक दो वर्ष में किया जाता है. पहला COP का आयोजन 1997 में इटली के रोम में किया गया था.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने COP-14 को सम्बोधित किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 9 सितम्बर को ग्रेटर नोएडा में मरूस्थलीकरण रोकने के बारे में संयुक्त राष्ट्र संधि में शामिल देशों के 14वें सम्मेलन (COP-14) को सम्बोधित किया.
प्रधानमंत्री के सम्बोधन के मुख्य बिंदु:
भारत ने 2030 तक दो करोड़ 60 लाख हैक्टेयर बंजर भूमि को खेती योग्य बनाने का लक्ष्य रखा है.
श्री मोदी ने प्रस्ताव रखा कि जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि का बंजर होना जैसी समस्याओं से निपटने के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग और बढ़ाने की पहल की जाये.
उन्होंने संधि में शामिल देशों के नेताओं से वैश्विक जल कार्रवाई एजेंडा बनाने का आग्रह किया ताकि जमीन को बंजर होने से रोका जा सके.
प्रधानमंत्री ने कहा कि समग्र भूमि और जल नीति के अन्तर्गत जल आपूर्ति बढ़ाना और जमीन में नमी को रोके रखना जैसे उपाय शामिल हैं.
श्री मोदी ने कहा कि उपग्रह और अंतरिक्ष टैक्नोलोजी के जरिये जमीन को फिर खेती योग्य बनाने के कम लागत वाले कार्यक्रमों में भारत मित्र देशों की सहायता करेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व के दो-तिहाई से ज्यादा देश मरूस्थलीकरण की समस्या से प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि बंजर भूमि के साथ-साथ हमें पानी की कमी की समस्या पर भी ध्यान देना होगा.
प्रधानमंत्री ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक लगाने का अपना अनुरोध दोहराते हुए कहा कि प्लास्टिक स्वास्थ्य पर बुरे प्रभाव तो डालता ही है, साथ ही जमीन को भी खेती के लायक नहीं रहने देता.
COP-14 सम्मेलन: मुख्य बिंदु
संयुक्त राष्ट्र उप महासचिव अमीना जे मोहम्मद ने 2030 तक बंजर जमीन को खेती योग्य बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया.
सेंट विंसेंट और ग्रेनाडाइंस के प्रधानमंत्री डॉक्टर राल्फ गोंज़ाल्वेज़ ने पर्यावरण के क्षेत्र में भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की सराहना की.
मरूस्थलीकरण रोकने के बारे में संयुक्त राष्ट्र संधि कॉप-14 के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थिआव ने विश्वास व्यक्त किया कि यदि सभी देश असमानता और असुरक्षा की भावना छोड़कर सहयोग करें तो जीवन के लिए भूमि का स्थायी विकास लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-09-13 17:03:352019-09-14 18:49:53मरूस्थलीकरण रोकने के लिए UNCCD में शामिल देशों का 14वां सम्मेलन आयोजित किया गया
24वां विश्व ऊर्जा सम्मेलन (24th World Energy Congress) 9 से 12 सितम्बर तक अबुधाबी में आयोजित किया गया. इस सम्मेलन का उद्देश्य सरकारों, निजी और सरकारी निगमों, शिक्षा जगत और मीडिया सहित ऊर्जा से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय पक्षों को एकजुट करना था. इस विश्व ऊर्जा कांग्रेस का विषय “Energy for Prosperity” था.
इस कार्यक्रम में लगभग 150 देशों के लगभग चार हजार प्रतिनिधियों और जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा परिवर्तन पर काम कर रही करीब एक सौ सर्वश्रेष्ठ स्टार्ट-अप कंपनीज़ ने हिस्सा लिया. इस सम्मेलन में हाईड्रो कॉर्बन से परे सस्टेनेबल तथा रिन्यूऐबल एनर्जी को लेकर इमसें महत्वपूर्ण चर्चा हुई.
विश्व ऊर्जा कांग्रेस दुनिया के प्रमुख ऊर्जा से संबंधित नये क्षेत्र के विकास और रणनीति पर विचार साझा करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करती है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-09-12 23:38:112019-09-11 19:50:2124वां विश्व ऊर्जा सम्मेलन अबुधाबी में शुरू हुआ
चौथा हिंद महासागर सम्मेलन (IOC) 3 सितम्बर को मालदीव की राजधानी माले में आयोजित किया गया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया. यह IOC का चौथा संस्करण था.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की पारंपरिक और गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियां कठिन है और वर्तमान में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानून इस चुनौतियों से निपटने में सक्षम नही है. क्षेत्रीय स्तर पर प्रभावी तरीके से ही इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है.
चौथे हिंद महासागर सम्मेलन 2019 का विषय ‘सिक्योरिंग द इंडियन ओशन रीजन: ट्रेडिशनल एंड नॉन ट्रेडिशनल चैलेंजेस’ था.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-09-04 23:55:462019-09-07 12:15:57चौथा हिंद महासागर सम्मेलन मालदीव में आयोजित किया गया
G7 देशों की 45वीं शिखर बैठक फ्रांस के बियारिट्ज में 24 से 26 अगस्त 2019 को आयोजित की गयी. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रॉं ने इस शिखर बैठक की अध्यक्षता की. इस वार्षिक सम्मेलन में सभी सदस्य देश – फ्रांस, इटली, कनाडा, अमरीका, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन के नेता ने हिस्सा लिया.
शिखर सम्मेलन में विश्व के नेता जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, विश्व व्यापार के बदलते परिदृश्य में असमानताएं और व्यापार सहित विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया. जलवायु के मुद्दे पर हुई चर्चा में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप शामिल नहीं हुए. अमेरिका वर्ष 2015 के पैरिस जलवायु समझौते को भेद-भाव पूर्ण बताकर अलग हो गया था.
45वीं G7 में भारत को आमंत्रित किया गया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधिव किया. हालांकि, भारत G7 समूह का हिस्सा नहीं है लेकिन फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों ने प्रधानमंत्री मोदी को व्यक्तिगत तौर पर आमंत्रित किया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर सम्मेलन में जलवायु, जैव विविधता और महासागर से संबंधित सत्र को सम्बोधित किया और इन मुद्दों पर भारत की चिंताएं सामने रखा. उन्होंने कहा कि भारत का एकबार इस्तेमाल में आनेवाली प्लास्टिक को खत्म करने, पानी के संरक्षण, सौर ऊर्जा का उपयोग, स्थायी भविष्य के लिए वनस्पतियों और जीवों की रक्षा करने की दिशा में बड़े पैमाने पर प्रयास कर रहा है. इस सत्र में जी-7 देशों के प्रमुख और विशेष आमंत्रित देशों के सदस्य हिस्सा ले रहे हैं.
श्री मोदी इस सम्मेलन से इतर इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी सॉल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल कई द्विपक्षीय बैठकें की.
इंग्लैंड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. इस दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, रक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की.
अमेरिका: G7 शिखर सम्मेलन से इतर भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका को दो टूक जवाब देते हुए कहा भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दे द्विपक्षीय हैं जिसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए कोई गुंजाइश नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका लोकतांत्रिक मूल्यों वाले देश हैं और दोनों देश दुनिया की भलाई के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. भारत- पाकिस्तान मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों को आपसी बातचीत के जरिए सुलझाने का भरोसा जताया. हालांकि पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने स्पष्ट कर दिया कि भारत और पाकिस्तान मिलकर अपनी समस्याओं पर चर्चा भी कर सकते हैं और समाधान भी कर सकते हैं. सम्मेलन में G7 देशों ने आग से निपटने के लिए संयुक्त रूप से 2 करोड़ डॉलर खर्च करने का निर्णय किया.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव: प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के बीच कई मुद्दों पर सकारात्मक बातचीत हुई. दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में जलवायु शिखर सम्मेलन में भारत की सहभागिता और आपसी हित के अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श किया.
अमेजॉन के जंगलों में लगी आग से निपटने का संकल्प
G7 देशों ने अमेजॉन के जंगलों में लगी आग से निपटने और नुकसान की भरपाई करने का संकल्प लिया है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि शिखर सम्मेलन में शामिल नेता ब्राजील की मदद के लिए किसी समझौते पर सहमत होने के करीब हैं. जर्मनी की चांसलर अंगोला मर्केल ने कहा कि आग का प्रभाव विश्वव्यापी है, इसलिए जी-7 देशों को मिलकर इसका समाधान ढूंढना चाहिए.
G7 संगठन: तथ्यों पर एक दृष्टि
‘G7’ सात विकसित देशों का समूह है जिसमें ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमरीका सदस्य देश हैं. भारत उन कुछ देशों में शामिल है जिन्हें शिखर सम्मेलन में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है.
गठन: वर्ष 1975 में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति वैलेरी जिस्कार्ड डी एस्टेइंग के आह्वान पर विश्व के सर्वाधिक औद्योगीकृत, लोकतांत्रिक एवं गैर-समाजवादी 6 राष्ट्रों- फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, एवं जापान ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक बैठक का आयोजन किया जिसमें इस समूह का गठन हुआ.
कनाडा सदस्य बना: वर्ष 1976 में कनाडा को इस समूह में शामिल कर लिया गया. कनाडा की सहभागिता के पश्चात यह समूह ‘G7’ के नाम से जाना जाने लगा.
रूस सदस्य बना: वर्ष 1994 में ‘G7’ में रूस के शामिल होने से यह समूह ‘G8’ के नाम से जाना गया.
रूस निलंबित: 27 मार्च, 2014 को इस संगठन से रूस को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया गया. अब यह समूह पुनः ‘G7’ के नाम से जाना जाने लगा है.
मुख्यालय: ‘G7’ एक अनौपचारिक संगठन है जिसका कोई मुख्यालय अथवा सचिवालय नहीं है. इसके अध्यक्ष का चयन रोटेशन प्रणाली के आधार पर होता है.
अर्थशास्त्र: ‘G7’ देश में विश्व की जनसंख्या का 10.3% लोग रहते हैं. सदस्य देशों की GDP विश्व के GDP का 32.2% है, जबकि विश्व के निर्यात में 34.1% तथा आयात में 36.7% हिस्सा है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-08-26 23:01:512019-08-27 18:18:08G7 देशों की 45वीं शिखर बैठक फ्रांस के बियारिट्ज में आयोजित किया गया
भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की पांचवीं बैठक 21 अगस्त को काठमांडू में संपन्न हुई. बैठक की सह-अध्यक्षता विदेश मंत्री डॉ. एस जय शंकर और नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने की. बैठक में आपसी संबंधों के सभी मु्द्दों की समीक्षा की गई.
जून 1987 में गठित भारत-नेपाल संयुक्त आयोग द्विपक्षीय संबंधो की विस्तृत समीक्षा का उच्चतम निकाय है. इसकी बैठकें बारी-बारी से दोनों देशों में होती हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-08-23 00:08:532019-08-23 00:08:53भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की 5वीं बैठक काठमांडू में संपन्न हुई
पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 24वीं बैठक 22 अगस्त को गोआ में आयोजित की गयी. इस बैठक की अध्यक्षता गृह मंत्री अमित शाह ने किया. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और केंद्र शासित क्षेत्र दमन और दीव, दादर और नगर हवेली के प्रतिनिधियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया. प्रमोद सावंत इस बैठक के उपाध्यक्ष और मेजबान थे.
क्षेत्रीय परिषद केन्द्र और राज्यों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे स्वास्थ्य, सुरक्षा और समाज कल्याण जैसे मुद्दों पर विचार विमर्श करते हैं. इस बैठक में केन्द्र और किसी राज्य और राज्यों के बीच विवादों को विचार विमर्श के जरिए सुलझाया जा सकता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-08-22 23:50:042019-08-22 23:50:04पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 24वीं बैठक गोआ में आयोजित की गयी
मेकॉग गंगा सहयोग (Mekong Ganga Cooperation- MGC) की दसवीं मंत्रिस्तरीय बैठक 2 अगस्त को थाईलैण्ड की राजधानी बैकांक में आयोजित की गयी. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बैठक में हिस्सा लिया. बैकांक की यात्रा पर गये विदेश मंत्री जयशंकर ने इससे पहले 9वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के विदेशमंत्रियों की बैठक और आसियान-भारत मंत्रिस्तरीय बैठक में हिस्सा लिया था.
MGC की 9वीं मंत्रिस्तरीय बैठक: एक दृष्टि
संगठन की दसवीं मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत की दृष्टि में क्षेत्रीय सहयोग के लिए संपर्क महत्वपूर्ण है.
बैठक में उन्होंने आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिए भारत और MGC के अन्य सदस्यों के बीच बेहतर संपर्क सुविधा पर बल दिया है.
उन्होंने सदस्य देशों के बीच बेहतर व्यापार और पर्यटन सुविधा के लिए सीधी विमान सेवा बढ़ाने पर भी जोर दिया.
बैठक के दौरान MGC की 2019 से 2022 तक की कार्य योजना मंजूर की गई.
भारत-म्यामां-थाईलैंड मोटर वाहन समझौता विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वस्तुओं और यात्रियों की निर्बाध आवाजाही के लिए भारत-म्यामां-थाईलैंड मोटर वाहन समझौता जल्दी पूरा कर लिए जाने पर भी बल दिया. भारत ने आसियान देशों के बीच संपर्क परियोजनाओं के लिए एक अरब डॉलर के ऋण की घोषणा की थी.
मेकांग-गंगा सहयोग (MGC) क्या है?
मेकांग-गंगा सहयोग (Mekong–Ganga Cooperation- MGC) परस्पर सहयोग करने के लिये निर्मित छः देशों का संगठन है.
इसकी स्थापना 10 नवम्बर 2000 को विएतनाम की राजधानी लाओस में की गयी थी.
इस संगठन का नाम इस क्षेत्र की दो बड़ी नदियों गंगा और मेकांग के नाम पर रखा गया है.
MGC के छः सहयोगी सदस्य देश हैं- भारत, म्यांमार, थाईलैण्ड, कम्बोडिया, लाओस और वियतनाम.
इन देशों ने सहयोग के चार क्षेत्रों की पहचान की है- पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा तथा आवागमन की सुविधा.
MGC की 9वीं मंत्रिस्तरीय बैठक सिंगापुर में 2 अगस्त 2018 को आयोजित की गई थी.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-08-03 14:39:512019-08-28 16:23:57मेकॉग गंगा सहयोग संगठन की दसवीं मंत्रिस्तरीय बैठक बैकांक में आयोजित की गयी
9वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के विदेशमंत्रियों की बैठक (The Ninth East Asia Summit (EAS) Foreign Ministers’ Meeting) का आयोजन 2 अगस्त को थाईलैण्ड की राजधानी बैकांक में आयोजित की गयी. विदेशमंत्री एस जयशंकर ने इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया. इससे पहले बैकांक में उन्होंने आसियान-भारत मंत्रिस्तरीय बैठक में हिस्सा लिया था. बैठक से इतर उन्होंने अमेरिका, वियतनाम, श्रीलंका, मंगोलिया और तिमोर लेस्ते के विदेश मंत्रियों के साथ मुलाकात की.
जयशंकर ने अमरीकी विदेशमंत्री माइक पोम्पियो से मुलाकात कर कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी मध्यस्थता को नकार दिया. अमरीका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश के बाद विदेशमंत्री एस जयशंकर ने पोम्पियो से यह बात स्पष्ट की.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-08-02 13:37:552019-08-28 14:20:079वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के विदेशमंत्रियों की बैठक बैकांक में आयोजित की गयी
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-05-16 09:58:312019-05-31 10:21:11भारत को GFDRR पर वैश्विक केंद्र के सलाहकारी समूह का सह-अध्यक्ष चुना गया
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-03-18 22:47:182019-04-02 13:09:38भारत और मालदीव के बीच तीन समझौतों पर हस्ताक्षर