भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर चर्चा के लिए विशेष प्रतिनिधियों की 22वीं बैठक

भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर चर्चा के लिए विशेष प्रतिनिधियों की बैठक 21 दिसम्बर को नई दिल्‍ली में आयोजित की गयी. इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच यह 22वीं बैठक थी. इस बैठक में भारतीय शिष्‍टमंडल का नेतृत्‍व राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के शिष्‍टमंडल का नेतृत्‍व वहां के विदेश मंत्री वांग यी ने किया.

अक्‍टूबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और चीन के राष्‍ट्रपति षी चिनफिंग के बीच चेन्‍नई में दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद यह दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की पहली बैठक थी.

सीमा मुद्दे पर हुई 22वीं बैठक के मुख्य बिंदु

  • बैठक में भारत-चीन विकास साझेदारी को और सुदृढ़ बनाने पर खास तौर पर चर्चा हुई. दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने सीमा मामले को भारत-चीन संबंधों के नीतिगत परिपेक्ष्य में देखे जाने की आवश्‍यकता पर जोर दिया. उन्‍होंने सीमा के मसले के युक्तिसंगत, निष्‍पक्ष और परस्‍पर स्‍वीकार्य समाधान के प्रयास तेज करने का भी संकल्‍प लिया.
  • बैठक में दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत थे कि सीमा मसले के शीघ्र समाधान से दोनों ही देशों के बुनियादी हितों को फायदा पहुंचेगा. भारत और चीन के बीच इस बात को लेकर भी एक जैसी राय थी कि द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए सीमावर्ती इलाकों में अमन-चैन बना रहना चाहिए और इसके लिए अंतिम समाधान निकाला जा सकता है.
  • उन्‍होंने सीमा पर तैनात सुरक्षा कर्मियों के बीच संचार और संपर्क बनाए रखने और सीमा प्रबंधन के लिए आपसी भरोसा बढ़ाने के मौजूदा प्रयासों को तेज करने की आवश्‍यकता पर भी बल दिया.

चाबहार बंदरगाह के प्रबंधन समझौते के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए नई दिल्ली में बैठक

चाबहार बंदरगाह के विकास और प्रबंधन समझौते के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए 20 दिसम्बर को नई दिल्ली में बैठक हुई. इस बैठक में भारत, अफगानिस्तान और ईरान के अधिकारियों ने भाग लिया. इस बैठक में तीनों देशों ने इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड द्वारा दिसंबर 2018 में बंदरगाह का कामकाज संभालने के बाद हुई प्रगति का स्वागत किया है.

इस बैठक में पारगमन, परिवहन, सीमा शुल्क और परामर्श सेवा मामलों को आसान बनाने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने पर सहमति हुई. चाबहार बंदरगाह को लोकप्रिय बनाने के लिए अफगानिस्तान और भारत में प्रचार और व्यापार कार्यक्रम आयोजित करने पर भी सहमति बनी.

चाबहार बंदरगाह: एक दृष्टि

  • चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) दक्षिण-पूर्वी ईरान में स्थित ओमान की खाड़ी के तट एक बंदरगाह है. यह पाकिस्तान के गवादर बंदरगाह के पश्चिम की तरफ मात्र 72 किलोमीटर की दूरी पर हैं. इस बंदरगाह का विकास भारत के सहयोग से किया गया है.
  • इस बंदरगाह की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार है कि पाकिस्तान के रास्ते का उपयोग किये बिना भारत अफगानिस्तान, यूरोप तथा मध्य एशिया के साथ व्यापर कर सकता है. भारत ने मई 2016 में ईरान और अफगानिस्तान के साथ एक त्रिपक्षीय कनेक्टिविटी समझौते पर हस्ताक्षर था.
  • चाबहार बंदरगाह के पहले चरण (शाहिद बेहेश्ती) के क्रियान्वयन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर फरवरी, 2018 किये गये थे. इस समझौते के तहत भारतीय कंपनी ‘इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड’ इसके संचालन का अंतरिम प्रभार दिया गया था.

भारत और रूस के बीच इंद्र युद्ध-अभ्यास आयोजित किया गया

भारत और रूस के बीच 10 से 19 दिसम्बर तक त्रि-सेवा युद्ध-अभ्यास ‘इंद्र’ (INDRA) का आयोजन किया गया. यह अभ्यास झांसी, पुणे और गोवा में आयोजित किया गया था. इस युद्ध-अभ्यास का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच आपसी ताल-मेल और रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना तथा समुद्री सुरक्षा के लिए आपसी समझ को विकसित करना था.

इंद्र (INDRA) युद्ध-अभ्यास: एक दृष्टि

  • इंद्र युद्ध-अभ्यास भारत और रूस के बीच एक त्रि-सेवा अभ्यास है. इसमें दोनों देशों की थल सेना, वायुसेना तथा नौसेना हिस्सा लेती हैं.
  • इंद्र नौसेना अभ्यास की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी. भारतीय वायु सेना ने 2014 में रूसी वायु सेना के साथ अभ्यास ‘एविया इंद्र’ में भाग लिया था. 2017 में पहली बार त्रि-सेवा अभ्यास का आयोजन किया गया था.

पुर्तगाल के प्रधानमंत्री भारत की यात्रा, गांधी नागरिकता शिक्षा पुरस्कार आरंभ करने की घोषणा

पुर्तगाल के प्रधानमंत्री अन्‍तोनियो कोस्‍ता ने 19-20 दिसम्बर को भारत की यात्रा की. अक्‍टूबर 2019 में फिर से प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री कोस्‍टा की यूरोप से बाहर यह पहली द्विपक्षीय यात्रा थी.

इस यात्रा के क्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के साथ दिल्ली के हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता बैठक की. ये तीन साल के भीतर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच तीसरी आधिकारिक बैठक थी. इस वार्ता में दोनों नेताओं के बीच रक्षा, विज्ञान और तकनीक तथा व्‍यापार सहित विभिन्‍न मुद्दों पर संबंधों को मजबूत बनाने के विषय पर बातचीत हुई.

भारत की इस यात्रा के दौरान एंटोनियो कोस्टा ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आयोजित समारोह की आयोजन समिति की दूसरी बैठक में भी हिस्सा लिया.

पुर्तगाल ने गांधी नागरिकता शिक्षा पुरस्कार आरंभ करने की घोषणा की

पुर्तगाल के प्रधानमंत्री अंतोनियो कोस्टा ने महात्मा गांधी के आदर्शों को शाश्वत बनाए रखने के लिए उनके विचारों और उद्धरणों से प्रेरित गांधी नागरिकता शिक्षा पुरस्कार आरंभ करने की घोषणा की है. यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जाएगा. पहले वर्ष का पुरस्कार ‘पशु कल्याण’ के लिए समर्पित होगा.

भारत और अमरीका के बीच मंत्री स्तरीय दूसरा टू-प्लस-टू वार्ता वाशिंग्टन में आयोजित की गयी

भारत और अमरीका के बीच मंत्री स्तरीय दूसरी टू-प्लस-टू वार्ता (Indo US 2nd Two-plus-two Dialogue) वाशिंग्टन में 18 दिसम्बर को आयोजित की गयी. विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस वार्ता बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व किया. अमरीका की ओर से वहां के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने इस बातचीत में प्रतिनिधित्व किया.

इस वार्ता में दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया. दोनों देश द्विपक्षीय सहयोग और रक्षा व्यापार और मजबूत करने पर सहमत हुए हैं. जापान जैसे समान विचार वाले देशों के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र को शांतिमय बनाने और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने के लिए तालमेल बढ़ाने पर भी दो देश सहमत हुए.

वार्ता में दोनों देशों ने आपसी संबंधों को 2020 में नये स्तर तक पहुंचाने की रूपरेखा तय की. दोनों पक्षों ने निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच संपर्क मजबूत करने, औद्योगिक सुरक्षा, अंतरिक्ष, विज्ञान, जल तथा लोगों के बीच संबंध बढ़ाने के अनेक समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इस वार्ता में दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष, रक्षा और औद्योगिक सहयोग के नये समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.

भारत और अमरीका ने अलकायदा, इस्लामिक स्टेट, लश्कर-ए-तैय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क, हिज्बुल मुजाहिदीन और डी कंपनी सहित सभी आतंकवादी गुटों के खिलाफ एकजुट कार्रवाई का आह्वान किया. दोनों देशों ने पाकिस्तान से तत्काल, अचूक और सतत कार्रवाई करने को कहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसके नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र का इस्तेमाल अन्य देशों के खिलाफ आतंकवाद के लिए न किया जा सके.

भारत-अमरीका टू-प्लस-टू दूसरी मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों ने पाकिस्तान से 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकी हमले और पठानकोट हमले सहित सीमापार से आतंकी हमलों के दोषिय़ों को गिरफ्तार करने और उन पर मुकदमा चलाने को कहा. भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर सहित अन्य आतंकवादियों के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में अमरीका के समर्थन की सराहना की.

वार्ता में अमरीका ने पुनर्गठित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह में भारत को जल्दी प्रवेश दिये जाने के प्रति मजबूत समर्थन व्यक्त किया.

भारत-अमरीका टू-प्लस-टू वार्ता: एक दृष्टि

  • भारत-अमरीका टू-प्लस-टू वार्ता में दोनों देशों के दो-दो मंत्री (विदेश और रक्षा) और उनके प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेते हैं.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की स्वीकृति के बाद पहली टू-प्लस-टू वार्ता सितंबर 2018 में नई दिल्ली में हुई थी. इस वार्ता में दोनों देशों के बीच विदेश नीति और रक्षा के क्षेत्रों में बहुत प्रगति हुई थी.
  • यह वार्ता बैठक दोनों देशों के बीच उच्चतम स्तर का संस्थागत तंत्र है जो विदेश नीति, रक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर दोनों के विचारों को एक साथ लाता है.

भारत-नेपाल सेना के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास ‘सूर्य किरण’ का आयोजन नेपाल के रूपदेही में किया गया

भारत-नेपाल सेना के बीच संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास ‘सूर्य किरण’ का आयोजन नेपाल के रूपदेही जिले में 3 से 16 दिसम्बर तक किया गया. यह दोनों देशों के मध्य होने वाला ‘सूर्य किरण’ का 14वां संयुक्त सैन्य अभ्यास था. इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों की सेना की 300-300 सैन्य कर्मियों की एक-एक टुकड़ी ने हिस्सा लिया.

यह युद्धाभ्यास जंगल और पहाड़ी इलाकों में विद्रोह कार्रवाइयों से निपटने पर आधारित था. इस दौरान दोनों देशों की सेनाएं आतंकवाद विरोधी अभियान, विद्रोह के खिलाफ कार्रवाई, प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं के दौरान की जाने वाली मानवीय सहायता के अपने-अपने अनुभवों को साझा किया.

भारत-नेपाल संयुक्त युद्धाभ्यास ‘सूर्य किरण’: एक दृष्टि

  • सूर्य किरण सैन्य संयुक्त युद्धाभ्यास आतंकवाद के बदलते तरीकों के खिलाफ सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए किया जाता है.
  • इसका मुख्य उद्देश्य नेपाल और भारतीय सैनिकों में आपसी सैन्य समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ आतंकवाद विरोधी अभियानों में सफल संचालन के लिए दोनों देशों की सेना के बीच समन्वय स्थापित करना है.
  • इस युद्धाभ्यास का आयोजन साल में दो बार बारी-बारी से दोनों देशों में होता है.

भारत-मॉलदीव संयुक्‍त आयोग की छठी बैठक दिल्‍ली में आयोजित की गयी

भारत मॉलदीव संयुक्‍त आयोग की छठी बैठक (6th India-Maldives Joint Commission Meeting) दिल्‍ली में 13 दिसम्बर को आयोजित की गयी. भारत की यात्रा पर आये मालदीव के विदेश मंत्री अब्‍दुल्‍ला शाहिद और विदेशमंत्री डॉक्‍टर एस जयशंकर इस बैठक की सह-अध्‍यक्षता किया. इसमें द्वि‍पक्षीय संबंधों के विस्‍तार की समीक्षा के साथ और इसकी मज़बूती के उपायों पर विचार-विमर्श किया गया.

यह बैठक चार वर्ष के अंतराल के बाद हुई है. दोनों देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए 1986 में भारत मॉलदीव संयुक्‍त आयोग (JCM) की स्‍थापना हुई थी. नवम्‍बर 2018 में इब्राहिम मोहम्‍मल सालेह के मॉलदीव का राष्‍ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ हुए हैं.

स्‍वीडन नरेश कार्ल गुस्‍ताफ ने भारत यात्रा की, दोनों देशों के बीच तीन समझौतों हुए

स्‍वीडन नरेश कार्ल गुस्‍ताफ और महारानी सिल्विया 2 से 6 दिसम्बर तक भारत की यात्रा पर थे. स्‍वीडन नरेश की यह तीसरी भारत यात्रा थी.

दोनों देशों के बीच तीन समझौते

इस यात्रा के क्रम में स्‍वीडन नरेश कार्ल गुस्‍ताफ ने राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के साथ विभिन्‍न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर व्‍यापक विचार-विमर्श किया था. इनमें व्‍यापार और निवेश, नवाचार और संस्‍कृति के क्षेत्र शामिल थे. इस अवसर पर दोनों देशों के बीच ध्रुवीय अनुसंधान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा समुद्री क्षेत्र में तीन समझौतों पर हस्‍ताक्षर हुए.

भारत और स्‍वीडन व्यापारिक संबंध

स्‍वीडन नरेश ने इस यात्रा के दौरान भारतीय कंपनियों के साथ समझौतों के लिए उच्‍च स्‍तरीय व्‍यापार शिष्‍टमंडल का नेतृत्‍व किया. यह शिष्‍टमंडल दिल्‍ली और मुंबई में भारतीय उद्योगपतियों के साथ बैठकों में हिस्‍सा लिया.

पिछले कुछ वर्षों में भारत और स्‍वीडन के बीच संबंधों में बढ़ोतरी हुई है. भारत और स्‍वीडन के बीच 337 करोड़ डॉलर का द्विपक्षीय व्‍यापार होता है. दोनों देशों के बीच कुल निवेश लगभग 250 करोड डॉलर का है. भारत और स्‍वीडन के मैत्री संबंध लोकतांत्रिक मूल्‍यों पर आधारित हैं.

2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्‍टॉकहोम (स्‍वीडन की राजधानी) यात्रा के दौरान संयुक्‍त कार्य योजना और स्थिर भविष्य के लिए स्‍वीडन-भारत नवाचार भागीदारी घोषणा पर हस्‍ताक्षर किये गए थे.

भारत-स्‍वीडन कारोबार सम्‍मेलन

भारत-स्‍वीडन कारोबार सम्‍मेलन दिल्‍ली में आयोजित किया गया. वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारामन ने स्‍वीडन की कंपनियों को भारत की आधारभूत विकास योजनाओं मे निवेश के लिए आमंत्रित किया. वित्‍त मंत्री ने स्‍वीडन के व्‍यापार, उद्योग तथा नवाचार मंत्री इब्राहिम बेलान के साथ व्‍यापार और कारोबार के बारे में भी विचार-विमर्श किया.

भारत और चीन के बीच मेघालय में 8वां संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास ‘हैंड-इन-हैंड 2019’ आयोजित किया जा रहा है

भारत और चीन के बीच मेघालय के उमरोई में 7 से 20 दिसंबर तक 8वां संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास ‘हैंड-इन-हैंड 2019’ (Hand in Hand 2019) आयोजित किया जा रहा है. दोनों देशों के बीच यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र के आदेश के तहत आतंकवाद का मुकाबला करने वाली थीम पर आधारित है.

इस अभ्यास में चीनी दल की ओर से तिब्बत सैन्य कमान के 130 जवान और इतनी ही संख्या में भारतीय सैन्यकर्मी हिस्सा ले रहे हैं.

इसका उद्देश्य उपनगरीय इलाके के लिए संयुक्त योजना बनाना और आतंकवाद रोधी अभियानों के संचालन का अभ्यास करना है.

यह अभ्यास कार्यक्रम विभिन्न व्याख्यानों और आतंकियों से निपटने के अभ्यास तथा एक-दूसरे के हथियारों से फायरिंग, विशेष हवाई अभियान के प्रशिक्षण और आतंकवादी परिस्थितियों में चलाए गए विभिन्न अभियानों की केस स्टडीज पर केंद्रित है.

प्रशिक्षण के दौरान दो सामरिक अभ्यास; पहला आतंकवाद निरोधक परिदृश्य पर और दूसरा मानवीय एवं आपदा राहत (HADR) अभियान पर निर्धारित हैं.

हैण्ड-इन-हैण्ड (Hand in Hand) संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास: एक दृष्टि
हैण्ड-इन-हैण्ड, भारत और चीन के बीच आयोजित होने वाला एक वार्षिक संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास है. इस सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास का पहला संस्करण 2007 में चीन के कुनमिंग में आयोजित किया गया था.

इसके दूसरे संस्करण का आयोजन भारत में कर्नाटक के बेलगाम में किया गया था. दूसरे संस्करण के आयोजन के बाद इस अभ्यास का आयोजन बंद कर दिया गया था. वर्ष 2013 में इस अभ्यास का आयोजन पुनः आरम्भ हुआ.

भारत और श्रीलंका के बीच सातवां ‘मित्र-शक्ति’ संयुक्‍त अभ्‍यास पुणे में आयोजित किया जा रहा है

भारत और श्रीलंका की सेनाओं के बीच संयुक्‍त अभ्‍यास ‘मित्र-शक्ति’ का आयोजन 1 दिसम्बर से पुणे के औंध सैन्य स्टेशन में किया जा रहा है. इस अभ्‍यास का उद्देश्य दोनों देशों के बीच अंतर संचालन क्षमता बढ़ाना है.

यह मित्र-शक्ति का सातवां संस्करण है. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच सकारात्मक संबंधों को मजबूत बनाना है, जो मुख्‍य रूप से आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए प्रशिक्षण देने पर केंद्रित है.

मित्र शक्ति अभ्यास की शुरुआत 2012 में दक्षिण एशिया तथा हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से हुई थी.

भारत नौ-सैनिकों के सैन्य अभ्यास ‘मिलन 2020’ की मेजबानी करेगा

भारत मार्च 2020 में नौ-सैनिकों के सैन्य अभ्यास ‘मिलन 2020’ की मेजबानी करेगा. इस अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और यूरोप के ऐसे 41 देशों को इसमें आमंत्रित किया गया है, जिनके साथ भारत के सैन्य संबंध हैं.

हिंद महासागर सहित अन्य इलाके के मित्र देशों के साथ सहयोग का संबंध बनाए के उद्देश्य से भारत सरकार इस सैन्य अभ्यास का आयोजन कर रही है.

इस सैन्य अभ्यास में जिन क्षेत्रों में सहयोग किया जाना है, उनमें क्षमता निर्माण, समुद्री क्षेत्र में जागरूकता, प्रशिक्षण, तकनीक, जल सर्वेक्षण और परिचालन अभ्यास आदि शामिल हैं.

जिन देशों को सैन्य अभ्यास के लिए निमंत्रण भेजा गया है, उनमें इंडोनेशिया, फ्रांस, मोजांबिक, सूडान, इजरायल, कतर, थाईलैंड, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, सोमालिया, केन्या, मिस्र, श्रीलंका, वियतनाम, म्यांमार, न्यूजीलैंड, अमेरिका, तंजानिया, मालदीव, ब्रुनेई, फिलीपींस, जापान, यूनाइटेड किंग्डम, सऊदी अरब, ओमान, कंबोडिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, रूस, जिबूती और बहरीन आदि शामिल हैं.

भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त अभ्यास ‘टाईगर ट्रंफ’ का आयोजन

भारत और अमेरिका के बीच 13 से 21 नवंबर के दौरान संयुक्त सैन्य-अभ्यास (Indo-US Joint Military Exercise) का आयोजन किया गया. इस सैन्य-अभ्यास का नाम ‘टाइगर ट्रंफ’ था. यह सैन्य-अभ्यास आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम और काकीनाडा में आयोजित किया गया. इसका उद्देश्य दोनों ही देशों की सेना के बीच बेहतरीन तालमेल बनाना था.

इस युद्धाभ्यास में भारतीय थल, जल और वायुसेना (त्रि-सेवा) के 1200 जवान और 500 अमेरिकी जवान शामिल हुए. इसमें युद्धाभ्यास के साथ ही आपदा के दौरान मदद पहुंचाने पर भी अभ्यास किया गया. यह भारत और अमेरिका के बीच प्रथम त्रि-सेवा अभ्यास था. इससे पहले 2017 में भारत और रूस के बीच रूस के व्लादिवोस्टोक में त्रि-सेवा युद्ध अभ्यास ‘इंद्र’ का आयोजन किया गया था.

समुद्र में लूट और तस्करी रोकने के लिए अमेरिका के 10वें राष्ट्रीय दक्षिण-पूर्व एशिया सहयोग और प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 9 दिन के इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया था.

अमेरिका ने इस युद्धाभ्यास को इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का उदाहरण कहा है. डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने भारतीय प्रशांत क्षेत्र के सहयोगियों के साथ सुरक्षा सहयोग एक बड़ी रकम खर्च की है ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे.