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WMO ने ‘वार्षिक वैश्विक जलवायु स्थिति 2020’ रिपोर्ट जारी की

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) ने हाल ही में ‘वार्षिक वैश्विक जलवायु स्थिति 2020’ (State of the Global Climate 2020) रिपोर्ट जारी की थी.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 ला-नीना (La Niña) की स्थिति के बावजूद अब तक के तीन सबसे गर्म वर्षों में से एक था.
  • जनवरी-अक्तूबर 2020 की अवधि में वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर (1850-1900) से 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक था.
  • वर्ष 2016 और वर्ष 2019 अन्य दो सबसे गर्म वर्ष थे. वर्ष 2015 के बाद के छः वर्ष सबसे गर्म रहे हैं. वर्ष 2011-2020 सबसे गर्म दशक था.
  • वर्ष 2019-2020 में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ा है. यह उत्सर्जन वर्ष 2021 में और अधिक हो जाएगा. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की सघनता का औसत पहले ही 410 ppm (Parts Per Million) से अधिक हो चुका है, और वर्ष 2021 में 414 ppm तक पहुँच सकता है.
  • महासागरों में वर्ष 2020 में सबसे अधिक समुद्री हीट वेव (Marine Heat Wave) दर्ज की गई. वर्ष 2020 में लगभग 80 प्रतिशत महासागरीय सतह पर कम-से-कम एक बार समुद्री हीट वेव दर्ज की गई. समुद्री हीट वेव के दौरान समुद्र के पानी का तापमान लगातार कम से कम 5 दिनों तक सामान्य से अधिक बना रहता है.
  • समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है. यह घटना ला-नीना प्रेरित शीतलन के बावजूद हो रही है. समुद्र का जलस्तर ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ की चादरों के पिघलने से उच्च दर से बढ़ रहा है.
  • आर्कटिक समुद्री बर्फ की सीमा वर्ष 2020 में दूसरे निम्नतम स्तर पर आ गई. आर्कटिक समुद्री बर्फ की न्यूनतम सीमा वर्ष 2020 में 3.74 मिलियन वर्ग किलोमीटर थी.

भारत के सन्दर्भ में

  • भारत, 1994 से मानसून में परिवर्तन का अनुभव कर रहा है, जिससे यहाँ गंभीर बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति देखी गई है.
  • मई 2020 में कोलकाता के तट से टकराने वाला चक्रवात ‘अम्फन’ (Amphan) को उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र का सबसे महँगा उष्णकटिबंधीय चक्रवात था. इस चक्रवात से लगभग 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन: एक दृष्टि

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) एक अंतर सरकारी संगठन है. इसकी स्थापना 23 मार्च 1950 को हुई थी. भारत सहित 192 देश इस संगठन के सदस्य देश हैं. यह संगठन मौसम विज्ञान, जल विज्ञान तथा संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान के लिये संयुक्त राष्ट्र (United Nation) की विशेष एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है. इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है.

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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने विश्व में दिए जाने वाले मृत्युदंड पर एक रिपोर्ट जारी की

‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने हाल ही में 2020 में विश्व में दिए गये मृत्युदंड की सजा पर एक रिपोर्ट (The Death Penalty in 2020 : Facts and Figures) जारी की है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार 2020 में मौत की सजा दिए जाने वाले शीर्ष 5 देशों में चार मध्य पूर्व के हैं.
  • साल 2020 में दुनियाभर में 483 लोगों की मौत की सजा दी गई. इनमें से 425 मौतें केवल ईरान, मिस्र, इराक और सऊदी अरब में दर्ज की गई हैं. यह पूरी दुनिया में दी गई मौत की सजा का 88 फीसदी हिस्सा है.
  • चीन ने इस साल मृत्युदंड पाए लोगों का आंकड़ा जारी नहीं किया है. माना जाता है कि चीन में हर साल हजारों लोगों को फांसी दी जाती है. चीन ने इस साल के डेटा को स्टेट सीक्रेट घोषित कर इसके प्रकाशन पर रोक लगा रखी है.
  • 2019 में मध्य-पूर्व और अफ्रीका में 579 लोगों के मौत की सजा दी गई, लेकिन 2020 में यह आंकड़ा घटकर 483 हो गया. मौत की संख्या में गिरावट इस साल सऊदी अरब और ईराक में सजा की तामील किए जाने में आई कमी के कारण हुई है.

मौत की सजा देने का तरीका

  • दुनियाभर के देशों में मौत की सजा देने का तरीका अलग-अलग है. दुनिया के 58 देश मौत की सजा के लिए फांसी का तरीका अपनाते हैं.
  • जबकि, 73 से अधिक देश मौत की सजा पाए दोषियों को गोली मारी जाती है. इन देशों में इंडोनेशिया, चीन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान, थाइलैंड, बहरीन, उत्तर कोरिया, ताइवान, यमन, अमेरिका, चिली, घाना, बांग्लादेश, केमरून, आर्मीनिया सीरिया, युगांडा, कुवैत, ईरान, मिस्र आदि शामिल हैं.
  • दुनिया में छह देश ऐसे हैं जहां पत्थर मारकर मौत की सजा दी जाती है. ये सभी कट्टर इस्लामिक देश हैं.
  • सऊदी अरब सहित दुनिया में तीन देश ऐसे हैं जहां सिर कलम कर मौत की सजा दी जाती है. यहां एक तलवार से अपराधी का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता है. इसे देखने के लिए अच्‍छी-खासी भीड़ जुटती है. इस्लामी शरिया कानून में सिर काटकर सजा देने का प्रावधान है.
  • दुनिया में 97 देश ऐसे हैं जिन्होंने मौत की सजा को खत्म कर दिया है. इन देशों में किसी भी अपराध के दोषी को मौत की सजा नहीं दी जाती है.
  • अमेरिका सहित दुनियाभर के पांच देशों में जहरीला इंजेक्शन देकर मौत की सजा दी जाती है. इसके अलावा इन देशों में बिजली के हाई वोल्टेज का झटका देकर भी लोगों को मारा जाता है. अमेरिका में 2013 में भी एक व्यक्ति को इलेक्ट्रिक चेयर पर बिठाकर मौत दी गई थी. इसके अलावा अमेरिका में फांसी और फायरिंग के जरिए भी मौत की सजा दी जाती है.

भारत में फांसी की सजा

भारत में मृत्यदंड की सजा फांसी द्वारा दी जाती है. भारत में मृत्यदंड कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (CrPC 1973) के अनुसार दी जाती है. CrPC 1973 के सेक्‍शन 354(5) के अनुसार जब किसी व्‍यक्ति को मौत की सजा सुनाई जाएगी तो उसे तब तक गर्दन से लटकाया जाएगा जब तक उसकी मौत न हो जाए. स्‍वतंत्र भारत में सबसे पहले महात्‍मा गांधी के हत्‍यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्‍टे को फांसी दी गई थी.

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वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट 2021

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (International Food Policy Research Institute-IFPRI) ने हाल ही में वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट (Global Food Policy Report-GFPR) 2021 जारी की थी. इस वर्ष संस्थान ने “Transforming Food Systems After COVID-19” थीम पर आधारित रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में भारत सहित विश्व के विकासशील देशों में व्याप्त गरीबी, भूख और कुपोषण के ताज़ा स्थिति और उसके उपायों को बताया गया है.

वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट (GFPR) 2021 के महत्वपूर्ण तथ्य

  • रिपोर्ट के अनुसार विश्व में लगभग 95 मिलियन लोग, ज्यादातर अफ्रीका में अत्यधिक गरीबी में रह रहे हैं. COVID-19 महामारी के पहले तुलना में गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या में 150 मिलियन की वृद्धि हुई है.
  • वैश्विक स्तर पर महिलाओं का रोजगार 39% है. हालांकि, महामारी के दौरान उनमें से 54% महिलाओं की नौकरी चली गयी.
  • रिपोर्ट में सरकारों को विकास के एजेंडे पर खाद्य प्रणाली परिवर्तन को सही तरीके से रखने के लिए COP26, UNFSS (संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन) और Nutrition for Growth Summit जैसे वैश्विक आयोजनों के उपयोग की शिफारिस की गयी है.

भारत के सन्दर्भ में रिपोर्ट

  • COVID-19 लॉकडाउन के कारण स्कूल (मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम) और डे केयर सेंटर में पौष्टिक खाद्य उत्पादों की उपलब्धता प्रभावित हुई. भारत का मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में देश के 80% प्राथमिक स्कूली बच्चे शामिल हैं.
  • प्रवासी कामगारों को सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में शामिल करने के लिए भारत का प्रयास एक बड़ी सफलता थी.
  • भारत में लगभग 80 मिलियन हेक्टेयर भूमि को कॉमन्स के रूप में वर्गीकृत किया गया है. यह (कॉमन्स) देश में 350 मिलियन से अधिक लोगों के लिए आजीविका का स्रोत प्रदान करता है. इसमें वन, जल निकाय और चारागाह शामिल थे. वे अपने वन उत्पादों और चारे के लिए इन क्षेत्रों पर निर्भर हैं.

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान: एक दृष्टि

  • अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) विकासशील देशों में गरीबी, भूख और कुपोषण को कम करने के लिये अनुसंधान आधारित नीतिगत समाधान प्रदान करता है.
  • IFPRI की स्थापना 1975 में हुई थी. इस मुख्यालय वाशिंगटन डीसी में है. यह CGIAR (Consultative Group for International Agricultural Research) का एक अनुसंधान केंद्र है.
  • CGIAR अनुसंधान ग्रामीण गरीबी को कम करने, खाद्य सुरक्षा बढ़ाने, मानव स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करने और प्राकृतिक संसाधनों के स्थायी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये समर्पित है.
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संयुक्त राष्ट्र खाद्यान्न बर्बादी सूचकांक रिपोर्ट 2021, भारत में प्रति व्यक्ति 50 किलो खाना बर्बाद

दुनिया भर में खाने की हो रही बर्बादी पर संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में ‘खाद्यान्न बर्बादी सूचकांक रिपोर्ट’ (UNEP Food Waste Index Report) 2021 जारी की है. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और साझेदार संगठन WRAP की ओर से जारी की गयी है.

खाद्यान्न बर्बादी सूचकांक रिपोर्ट 2021: मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में दुनिया भर में अनुमानतः 93.10 करोड़ टन खाद्यान्न बर्बाद हुआ. यह कुल वैश्विक खाद्य उत्पादन का 17 प्रतिशत है.
  • बर्बाद हुए खाद्यान्नों में से 61 प्रतिशत खाद्यान्न घरों से, 26 प्रतिशत खाद्य सेवाओं और 13 प्रतिशत खुदरा क्षेत्र से बर्बाद हुआ.
  • भारत में घरों में बर्बाद हुए भोजन की मात्रा करोड़ 6.87 करोड़ टन है. अगर हिसाब लगाया जाय तो भारत में प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 50 किलो खाना बर्बाद करता है.
  • अमेरिका में घरों में बर्बाद होने वाले खाद्य पदार्थ की मात्रा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 59 किलोग्राम (एक वर्ष में 1.9 करोड़ टन) है.
  • चीन में विश्व में सबसे ज़्यादा खाद्यान्नों के बर्बादी होती है. चीन में यह मात्रा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 64 किलोग्राम अथवा एक वर्ष में 9.2 करोड़ टन है.
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ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2020: covid-19 और जलवायु संकट एक चिंताजनक मुद्दा

विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने 22 जनवरी को ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट (The Global Risks Report) 2020 जारी की. यह रिपोर्ट को WEF के 650 से अधिक सदस्यों द्वारा किए गए वैश्विक जोखिम धारणा सर्वेक्षण (GRPS) पर आधारित है.

ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2021 के मुख्य बिंदु

  • ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट के अनुसार, अगले 5-10 सालों में भू-राजनीतिक स्थिरता गंभीर रूप से कमजोर हो जाएगी. यदि इस रिपोर्ट की भविष्यवाणी सच साबित होती हैं तो पूरी दुनिया को अरबों रुपयों का नुकसान होगा. इसका मतलब है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था एक बार फिर से खतरे में पड़ जाएगी.
  • इसके अलावा आने वाले समय में वैश्विक महामारी, आर्थिक मंदी, राजनीतिक उथल-पुथल और जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए समस्या बन सकते हैं.
  • जलवायु से संबंधित मामलों को मानवता के लिए संभावित खतरा माना जाता है. 2020 में लॉकडाउन और अंतरराष्ट्रीय व्यापार और यात्रा पर प्रतिबंध की वजह से बेशक कार्बन उत्सर्जन में गिरावट आई है लेकिन इसके बावजूद जलवायु संकट एक चिंताजनक मुद्दा है.
  • जैसे ही कोरोना के बाद जिंदगी और अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी तब कार्बन उत्सर्जन एक बार फिर से बढ़ने लगेगा. इससे जलवायु संकट गहराता चला जाएगा. जलवायु संकट से इतर जंगल में लगने वाली आग, संक्रामक रोग आदि का खतरा दुनिया पर मंडरा रहा है.

विश्व आर्थिक मंच

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) स्विट्ज़रलैंड में स्थित एक गैर-लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है. इसका मुख्यालय जिनेवा में है. इसका मंच का उद्देश्य, विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को एक साथ ला कर वैशविक, क्षेत्रीय और औद्योगिक दिशा तय करना है. इस मंच की स्थापना 1971 में यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम श्वाब द्वारा की गई थी.

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इंटरनेशनल माइग्रेशन 2021 रिपोर्ट जारी, दुनिया में भारतीय प्रवासियों की संख्या सबसे ज्यादा

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों (UNDESA) के जनसंख्या विभाग ने हाल ही में ‘इंटरनेशनल माइग्रेशन 2021’ (Global Migration Report 2021) रिपोर्ट जारी किया है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • दूसरे देशों में सबसे ज्यादा प्रवासियों की संख्या के मामले में भारत पहले पायदान पर पहुंच गया है. 2020 में देश से बाहर रहने वाले लोगों की संख्या 18 मिलियन (1.80 करोड़) है.
  • बतौर प्रवासी भारत के सबसे ज्यादा लोग संयुक्त अरब अमीरात (3.5 मिलियन), अमेरिका (2.7 मिलियन) और सऊदी अरब (2.5 मिलियन) में रह रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कुवैत, ओमान, कतर और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में भी रहते हैं.
  • 2020 में, प्रवासियों के मामले में भारत के बाद दूसरे अन्य बड़े देशों में मेक्सिको (11 मिलियन), रूस (11 मिलियन), चीन (10 मिलियन) और सीरिया (8 मिलियन) शामिल है.
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विश्व बैंक ‘ग्‍लोबल इकनॉमिक प्रोस्‍पेक्‍ट’ रिपोर्ट, वैश्विक GDP 4 फीसद रहने का अनुमान

विश्व बैंक ने मौजूदा वर्ष (2021) के लिए वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर अपनी एक अनुमानित रिपोर्ट ‘ग्‍लोबल इकनॉमिक प्रोस्‍पेक्‍ट’ (Global Economic Prospects) जारी की है. इस रिपोर्ट में वैश्विक अर्थव्‍यस्‍था की वृद्धि दर 4 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है. इस रिपोर्ट में स्‍पष्‍ट किया गया है कि पूरी दुनिया में छाई महामारी के प्रभावों की वजह से दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था के बाहर आने की प्रक्रिया कुछ धीमी रहेगी.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट में कहा गया है यदि महामारी को जल्‍द खत्‍म नहीं किया गया तो इसका असर न सिर्फ इस साल बल्कि अगले साल तक बना रह सकता है और वैश्विक वृद्धि की रफ्तार सुस्‍त हो सकती है.
  • इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि वर्ष 2020 में दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था में 4.3 फीसद की कमी आई थी, लेकिन अब ये एक बार फिर से बढ़ोतरी की तरफ अग्रसर है.
  • कोविड-19 महामारी की वजह से गरीब लोग और अधिक गरीब हुए हैं. रोजगार पहले की अपेक्षा कम हुए हैं और बेरोजगारी में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है.
  • चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है.
  • रिपोर्ट के मुताबिक महामारी की वजह से अमेरिका की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) मौजूदा वर्ष में 3 फीसद से अधिक की दर से बढ़ने का अनुमान है. वर्ष 2020 में इसमें 3.6 फीसद की गिरावट दर्ज की गई थी.
  • जापान में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार करीब ढाई फीसद रहने की उम्‍मीद है. चीन की अर्थव्‍यवस्‍था में करीब आठ फीसद की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है.

ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स क्या है?

ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स (Global Economic Prospects-GEP), विश्व बैंक समूह की एक रिपोर्ट है. यह वर्ष में दो बार जनवरी और जून में जारी की जाती है. इस रिपोर्ट में वैश्विक आर्थिक विकास एवं संभावनाओं से संबंधित तथ्य जारी किये जाते हैं.

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विश्वबैंक ने कारोबारी सुगमता की संशोधित रैंकिंग जारी की, भारत 63वें स्थान पर

विश्वबैंक ने आंकड़ों की समीक्षा करने के बाद कारोबारी सुगमता (Ease of Doing Business) की संशोधित रैंकिंग रिपोर्ट जारी की है. इस संशोधित रिपोर्ट में भारत अपनी में रैंकिंग में 14 स्थान का सुधार करते हुए 63वें स्थान पर है. भारत ने पिछले पांच साल (2014- 2019) में इस रिपोर्ट में 79 स्थानों का सुधार किया है.

भारत ने चीन को पीछे छोड़ा

विश्वबैंक द्वारा जारी संशोधित रिपोर्ट के अनुसार भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है. चीन की रैंकिंग सात अंक गिरकर 85वें स्थान पर पहुंच गई है. अक्तूबर 2017 में जारी की गई 2018 की रिपोर्ट में चीन को 78वें स्थान पर रखा गया था.

कारोबारी सुगमता रैंकिंग 2018 में कारोबार शुरू करने, ऋण प्राप्त करने और कर चुकाने के संकेतकों के आंकड़ों में अनियमितताओं को शामिल रहते चीन को 65.3 अंक दिया गया था. नियमित समीक्षा के बाद चीन को 64.5 अंक हासिल हुए हैं जिससे उसकी रैंकिंग लुढ़की है.

विश्वबैंक ने रैकिंग जारी करने पर रोक लगायी थी

विश्वबैंक ने पिछले पांच साल की कारोबारी सुगमता रैंकिंग की समीक्षा करने का फैसला किया था. साथ ही विश्वबैंक ने इस साल अक्तूबर में आने वाली बिजनेस रैंकिंग लिस्ट पर फिलहाल रोक लगा दी थी.

विश्वबैंक ने यह कदम चार देशों की तरफ से गड़बड़ी करने के शक में उठाया था. ये चार देश हैं चीन, संयुक्त अरब अमीरात अजरबेजान और सऊदी अरब हैं.

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संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक 2020 जारी: भारत 131वें स्थान पर, नॉर्वे शीर्ष पर

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने 15 दिसम्बर को मानव विकास सूचकांक (Human Development Index- HDI) 2020 रिपोर्ट जारी की. इस सूचकांक में 189 देशों में भारत 131वें पायदान पर है. वर्ष 2019 में जारी सूचकांक में भारत 129वें पायदान पर था. इस सूचकांक में नॉर्वे शीर्ष पर रहा और उसके बाद आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और आइसलैंड का स्थान रहा.

HDI 2020 रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • सूचकांक में चीन 85वें; भूटान 129वें, बांग्लादेश 133वें, नेपाल 142वें और पाकिस्तान 154वें स्थान पर रहा.
  • वर्ष 2019 में भारतीयों की जीवन प्रत्याशा 69.7 साल थी. बांग्लादेश में यह 72.6 साल और पाकिस्तान में 67.3 साल थी.
  • भारत ने 2012 और 2017 के बीच अपनी GDP का 8% शिक्षा पर खर्च किया. भारत में साक्षरता दर अभी भी काफी कम 74% है.यह अन्य G20 देशों की तुलना में बहुत कम है.
  • क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर 2018 में भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 6,829 अमेरिकी डॉलर थी जो 2019 में गिरकर 6,681 डॉलर हो गई.

मानव विकास सूचकांक: एक दृष्टि

  • मानव विकास सूचकांक (HDI) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और प्रति व्यक्ति आय संकेतकों का एक समग्र आंकड़ा है.
  • इस सूचकांक का उपयोग देशों को मानव विकास के आधार पर आंकने के लिए किया जाता है.
  • इस सूचकांक से इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित है, विकासशील है, अथवा अविकसित. जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर एवं प्रति व्यक्ति आय अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं.
  • पहला मानव विकास सूचकांक 1990 में भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक के सहयोग से जारी किया गया था. तब से प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा इसे जारी किया जाता है.
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भारत में बाल मृत्‍युदर पर संयुक्‍त राष्‍ट्र की रिपोर्ट, बाल मृत्‍युदर में वार्षिक 4.5 प्रतिशत की कमी

संयुक्‍त राष्‍ट्र ने भारत में बाल मृत्‍युदर पर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट युनिसेफ, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO), संयुक्‍त राष्‍ट्र विकास और सामाजिक कार्य विभाग के जनसंख्‍या प्रभाग तथा विश्‍व बैंक समूह द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गयी है.

इस रिपोर्ट के अनुसार देश में बाल मृत्‍युदर में 1990 और 2019 के बीच निरंतर कमी हो रही है. भारत में 1990 में प्रत्‍येक एक हजार जीवित शिशुओं के जन्‍म के बाद पांच वर्ष की उम्र से पहले के 126 शिशुओं की मृत्‍यु हो जाती थी. यह मृत्‍युदर घटकर 2019 में केवल 34 रह गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में 1990 से 2019 के बीच पांच वर्ष से कम उम्र के बच्‍चों की मृत्‍युदर में सालाना 4.5 प्रतिशत की कमी आई है. 1990 में पांच वर्ष से कम उम्र के 34 लाख शिशुओं की मृत्‍यु हुई, जबकि 2019 में 8.24 लाख शिशुओं की मृत्‍यु हुई.

भारत में प्रत्‍येक एक हजार जीवित जन्‍म पर नवजात मृत्‍युदर 1990 में 89 थी जो घटकर 2019 में 28 रह गई.

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UNEP और IEEA ने शीतलन उत्सर्जन और नीति संश्लेषण पर रिपोर्ट जारी की

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEEA) ने हाल ही में ‘शीतलन उत्सर्जन और नीति संश्लेषण रिपोर्ट’ (The Cooling Emissions and Policy Synthesis Report) जारी की थी. इस रिपोर्ट में दुनिया में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में और वैश्विक तापमान वृद्धि के परिणाम और इसे रोकने के उपायों की चर्चा की गयी है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक, विश्व में कम से कम 14 बिलियन के शीतलन उपकरणों की आवश्यकता होगी. वर्तमान में 3.6 बिलियन शीतलन उपकरण उपयोग में हैं. अत्यधिक शीतलन उपकरणों का उपयोग, तापमान वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देगा.
  • जलवायु परिवर्तन में शीतलन की बढ़ती मांग का महत्वपूर्ण योगदान है. 2050 तक एयर कंडीशनिंग और प्रशीतन से उत्सर्जन में 2017 के स्तर की तुलना में 90% तक बढ़ोतरी हो सकती है. एयर कंडीशनर हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) का उपयोग करते हैं जो ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं.
  • कूलिंग को ऊर्जा-दक्ष बनाकर 210 से 460 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बराबर उत्सर्जन को कम किया जा सकता है.
  • ऊर्जा-दक्ष एयर कंडीशनर 1,300 गीगा वाट तक ऊर्जा की आवश्यकता को कम कर सकते हैं. यह वर्ष 2018 में भारत और चीन में उत्पन्न संपूर्ण कोयला आधारित बिजली के बराबर है.
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खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट जारी, भारत में कुपोषित लोगों की संख्या में कमी

संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में विश्व में ‘खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट’ (The State of Food Security and Nutrition in the World) 2020 जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार जिस रफ्तार से भारत हर चीज में तरक्की करता जा रहा है उसी रफ्तार से भारत में कुपोषित लोगों की संख्या में भी कमी आ रही है.

विश्व के सन्दर्भ में

  • रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक 2019 में दुनिया भर में करीब 69 करोड़ लोग अल्पपोषित थे. यह संख्या 2018 के मुकाबले 1 करोड़ ज्यादा है.
  • इसमें कहा गया है कि महाद्वीप की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं चीन और भारत में कुपोषण में कमी आई है.
  • रिपोर्ट के अनुसार एशिया में भूखों की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन यह अफ्रीका में भी तेजी से बढ़ रही है.

भारत एक सन्दर्भ में

  • भारत में पिछले एक दशक में अल्पपोषित लोगों की संख्या छह करोड़ तक घट गई है. बच्चों में छोटी हाइट की समस्या कम हो गई है लेकिन देश के वयस्कों में मोटापा बढ़ रहा है.
  • भारत में अल्पपोषित लोगों की संख्या 2004-06 के 24.94 करोड़ से घटकर 2017-19 में 18.92 करोड़ हो गई है.
  • प्रतिशत के हिसाब से भारत की कुल आबादी में अल्पपोषण की व्यापकता 2004-06 में 21.7 प्रतिशत से घटकर 2017-19 में 14 प्रतिशत हो गई.
  • भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन की समस्या भी 2012 में 47.8 प्रतिशत से घटकर 2019 में 34.7 प्रतिशत हो गई. 2012 में यह समस्या 6.2 करोड़ बच्चों में थी जो 2019 में घटकर 4.03 करोड़ हो गई.
  • ज्यादातर भारतीय वयस्क 2012 से 2016 के बीच मोटापे के शिकार हुए. मोटापे से ग्रस्त होने वाले वयस्कों की संख्या 2012 के 2.52 करोड़ से बढ़कर 2016 में 3.43 करोड़ हो गई.
  • वहीं खून की कमी (अनीमिया) से प्रभावित प्रजनन आयु वर्ग (15-49) की महिलाओं की संख्या 2012 में 16.56 करोड़ से बढ़कर 2016 में 17.56 करोड़ हो गई.
  • 0-5 माह के शिशु जो पूरी तरह स्तनपान करते हैं उनकी संख्या 2012 के 1.12 करोड़ से बढ़कर 2019 में 1.39 करोड़ हो गई.

खाद्य सुरक्षा एवं पोषण स्थिति रिपोर्ट 2020: एक दृष्टि

इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IAAFD), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से संयुक्त रूप से तैयार किया गया है.

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