IIT मद्रास ने देश की पहली स्वदेशी तौर पर डिजाइन की गई स्टैंडिंग व्हीलचेयर विकसित किया

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मद्रास ने फीनिक्स मेडिकल सिस्टम्स के साथ मिलकर देश की पहली स्वदेशी तौर पर डिजाइन की गई स्टैंडिंग व्हीलचेयर विकसित किया है. इस स्टैंडिंग व्हीलचेयर का नाम ‘Arise’ दिया गया है. इसकी सहायता से अब दिव्यांग या अन्य असहाय लोग बिना किसी मदद के खड़े हो सकेंगे और चल-फिर सकेंगे.

चर्चा में: इजरायली स्पाइवेयर ‘पेगासस’ के जरिए भारत सहित वैश्विक स्‍तर पर जासूसी की घटना

इजरायली स्पाइवेयर (Spyware) ‘पेगासस’ के जरिए भारत सहित वैश्विक स्‍तर पर जासूसी की घटना हाल के दिनों में चर्चा में रहा है. इस भारतीय पत्रकार, राजनीतिक नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता इस जासूसी का शिकार बने हैं.

स्पाइवेयर एक प्रकार का सोफ्टवेयर है जो कंप्यूटर या मोबाइल में उपयोगकर्ताओं की गैर-जानकारी में इंस्टॉल किया जा सकता है और उनके बारे में सूचनाएं एकत्र किया जा सकता है.

हैदराबाद IIIT टीम ने पहली बार ‘इंडियन ब्रेन एटलस’ तैयार किया

हैदराबाद IIIT के शोध टीम ने पहली बार ‘इंडियन ब्रेन एटलस’ तैयार किया हिया. इस शोध में पता चला है कि भारतीयों के दिमाग का आकार पश्चिमी और पूर्वी देशों के लोगों की तुलना में छोटा होता है. भारतीयों का मस्तिष्क लंबाई, चौड़ाई और घनत्व तीनों ही लिहाज से अपेक्षाकृत छोटा होता है.

यह शोध अल्जाइमर और ब्रेन से जुड़ी अन्य बीमारियों को ध्यान में रखकर किया गया. यह शोध न्यूरोलॉजी इंडिया नामक मेडिकल जरनल में प्रकाशित हुआ है.

गूगल ने दुनिया का सबसे तेज क्वांटम कंप्यूटिंग चिप ‘क्वांटम सुपरिमेसी’ विकसित किया

गूगल (Google) ने दुनिया का सबसे तेज क्वांटम कंप्यूटिंग चिप विकसित करने का दावा किया है. इस चिप का नाम ‘क्वांटम सुपरिमेसी’ (Quantum Supremacy) दिया गया है.

यह दुनिया का मौजूदा सबसे तेज सुपर कंप्यूटर जिस काम को करने में 10 हजार साल लेता है उसे करने में ये नई चिप सिर्फ 200 सेकेंड लेगी. अगर गूगल का यह दावा सही साबित हुआ तो यह खोज कंप्यूटिंग की दुनिया को पूरी तरह बदल देगी.

गूगल ने 23 अक्टूबर को क्वांटम सुपरिमेसी की रिपोर्ट साइंटिफिक जर्नल ‘नेचर’ (Nature) में पब्लिश किया था. इस रिपोर्ट में गूगल ने इस बात का खुलासा किया कि उसने एक नया 54 qubit प्रोसेसर बनाया है जिसे साइकामोर (Sycamore) नाम दिया गया है.

IBM ने गूगल के इस दावे को गलत ठहराने की कोशिश की है. IBM ने कहा है कि खास तरह के कैलकुलेशन करने के लिए सुपर कंप्यूटर को 10000 साल लगेंगे, ऐसा नहीं है. क्योंकि सुपर कंप्यूटर इसी टास्क को सिर्फ 2.5 दिन में परफॉर्म कर सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि क्वांटम सुपरिमेसी का कूटबद्ध सॉफ्टेवयर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में तत्काल इस्तेमाल होगा. इससे अधिक कुशल सौर पैनल, दवा बनाने और अधिक तेज गति से वित्तीय लेन-देन में मदद मिलेगी.

पहली बार सिर्फ दो महिलाएं द्वारा स्पेसवॉक: क्रिस्टिना और जेसिका पहली महिला जोड़ी बनीं

अंतरिक्ष में 18 अक्टूबर को पहली बार सिर्फ दो महिलाएं स्पेसवॉक कर इतिहास रच दिया. आज स्पेसवॉक करने वाली टीम में कोई न कोई पुरुष अंतरिक्ष यात्री मौजूद रहा था. यह 421वां स्पेसवॉक था. इससे पहले किए गए सभी 420 स्पेसवॉक में पुरुष किसी न किसी रूप में शामिल रहे थे.

स्पेसवॉक में नासा के अंतरिक्षयात्री क्रिस्टिना कोच और जेसिका मीर स्पेसवॉक करने वाली पहली महिला जोड़ी बन गई. दरअसल, यह मिशन मार्च 2019 में शुरू होने वाला था लेकिन स्पेस एजेंसी के पास एक ही मध्यम साइज का सूट था, जो महिला-पुरुष कॉम्बिनेशन वाला था.

421वें स्पेसवॉक में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में मौजूद सभी चार पुरुष भीतर ही रहे और जबकि जेसिका और क्रिस्टिना टूटे हुए बैटरी चार्जर को बदलने के लिए केंद्र से बाहर अंतरिक्ष में चहलकदमी करती दिखीं.

बैटरी चार्जर उस वक्त खराब हो गया था जब कोच और चालक दल के एक पुरुष सदस्य ने पिछले हफ्ते अंतरिक्ष केंद्र के बाहर नई बैटरियां लगाईं थीं. नासा ने इस समस्या को ठीक करने के लिए बैटरी बदलने के बाकी काम स्थगित कर दिया और महिलाओं के नियोजित स्पेसवॉक को आगे बढ़ा दिया था.

UAE में दुनिया में पहला अनुसंधान-आधारित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विश्वविद्यालय स्थापना की घोषणा

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने 16 अक्टूबर को मोहम्मद बिन जायद यूनिवर्सिटी ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (MBZUAI) की स्थापना की घोषणा की. यह दुनिया में अपनी तरह का पहला ग्रेजुएट लेवल, अनुसंधान-आधारित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) विश्वविद्यालय है. MBZUAI स्नातक छात्रों, व्यवसायों और सरकारों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र को आगे बढ़ाने में सक्षम करेगा.

विश्वविद्यालय का नाम अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और UAE सशस्त्र बलों के उप सर्वोच्च कमांडर हिज हाइनेस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान के नाम पर रखा गया है.

भारतीय शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक खाने वाले जीवाणु की खोज की

भारतीय शोधकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित दलदली भूमि से दो प्रकार के प्लास्टिक खाने वाले जीवाणुओं की खोज की है. जीवाणु के ये दो प्रकार– एक्सिगुओबैक्टीरियम साइबीरिकम जीवाणु DR11 और एक्सिगुओबैक्टीरियम अनडेइ जीवाणु DR14 हैं.

ग्रेटर नोएडा के शिव नाडर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा खोजे गए इन जीवाणुओं में पॉलिस्टरीन के विघटन की क्षमता है. पॉलिस्टरीन एकल इस्तेमाल वाले प्लास्टिक के सामान जैसे डिस्पोजेबल कप, प्लेट, खिलौने, पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली सामग्री आदि को बनाने में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख घटक है.

यह खोज दुनियाभर में प्लास्टिक कचरे के पर्यावरण हितैषी तरीके से निस्तारण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है.

वैज्ञानिकों ने जल के मौजूदगी वाले ‘एक्सोप्लैनेट K2-18b’ नाम के ग्रह का पता लगाया

वैज्ञानिकों ने हाल ही में ‘एक्सोप्लैनेट K2-18b’ नाम के ग्रह का पता लगाया जिसके वातावरण में जल मौजूद है. यह ग्रह एक दूर के तारे की परिक्रमा कर रहा है. वैज्ञानिकों के अनुसार ‘एक्सोप्लैनेट K2-18b’ ग्रह पर पृथ्वी के सामान ही पानी और तापमान दोनों पाया गया है.

यह खोज यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) में वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा पत्रिका नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित की गई थी. K2-18b एक सुपर अर्थ है जो कि पृथ्वी के द्रव्यमान से आठ गुना बड़ा है.


प्‍लास्टिक कचरे से डीजल बनाने वाले संयंत्र का देहरादून में उद्घाटन

भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ने प्‍लास्टिक कचरे से डीजल बनाने वाले संयंत्र उत्‍तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थापित किया है. केन्‍द्रीय विज्ञान और टेक्‍नोलाजी मंत्री डॉक्‍टर हर्षवर्धन ने 27 अगस्त को मुख्‍यमंत्री त्रिवेन्‍द्र सिंह रावत के साथ इस संयंत्र का संयुक्‍त रूप से उद्घाटन किया.

एक टन क्षमता का यह प्‍लांट वर्षों की सफलतापूर्वक की गई रिसर्च के परिणामस्‍वरूप देहरादून के IIT के कैम्‍पस में लगाया गया है. संस्‍थान ने विमानों के लिए जैव ईंधन बनाने के बाद प्‍लास्टिक से डीजल बनाने में यह कामयाबी हासिल की है.

भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसन्धान परिषद् (CSIR) की प्रयोगशाला है. इस संस्थान का कार्य पेट्रोकेमिकल, पेट्रोलियम रिफाइनिंग इत्यादि प्रक्रियाओं पर रिसर्च करना है.


ओकजोकुल ग्लेशियर जलवायु परिवर्तन के कारण अपनी पहचान खोने वाला पहला ग्लेशियर बना

वैज्ञानिकों ने आइसलैंड के ‘ओकजोकुल’ ग्लेशियर का दर्जा आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया गया है. यह विश्व में जलवायु परिवर्तन के कारण अपनी पहचान खोने वाला यह पहला ग्लेशियर होगा.

वैज्ञानिकों ने अगले 200 साल में विश्व के सभी प्रमुख ग्लेशियर का हश्र ऐसा ही होने की आशंका जताई जा रही है. इंटरनैशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर का अनुमान है कि अगर ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन इसी रफ्तार से होता रहा तो 2100 तक विश्व के आधे से अधिक ग्लेशियर पिघल जाएंगे.

ग्लेशियर ओकजोकुल को श्रद्धांजलि
आइसलैंड में 18 अगस्त को प्रधानमंत्री केटरिन जोकोबस्दोतियर के नेतृत्व में मंत्रियों के समूह ने ग्लेशियर ओकजोकुल को श्रद्धांजलि दी. ग्लेशियर के शोक में कांस्य पट्टिका का अनावरण किया गया जिसमें इसकी वर्तमान स्थिति बयान करने के साथ ही बाकी ग्लेशियर के भविष्य को लेकर आगाह किया गया है. इस पट्टिका पर “A letter to the future” लिखा गया.

ओकजोकुल आइसलैंड: एक दृष्टि
ओकजोकुल आइसलैंड के पश्चिमी सब-आर्कटिक हिस्से में ओक ज्वालामुखी पर स्थित था. पिछले कुछ वर्षों से लगातार यह ग्लेशियर पिघल रहा था और इसके खत्म होने की आशंका जताई जा रही थी. वैज्ञानिकों की एक टीम ने भविष्य में आइसलैंड के 400 ग्लेशियर के इसी तरह खत्म होने को लेकर चेतावनी जारी की है. हर साल आइसलैंड में करीब 11 बिलियन टन बर्फ पिघल रही है.

 

वैज्ञानिकों ने शुद्ध सोने का दुनिया का सबसे पतला रूप तैयार किया

इंग्लैंंड की यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिकों ने शुद्ध सोने का दुनिया का सबसे पतला रूप (पर्त) तैयार किया है. सोने यह रूप केवल दो परमाणु से मिलकर बना है. सोने की इस पर्त की मोटाई 0.47 नैनोमीटर है. यह मानव नाखून से 10 लाख गुना पतला है. इसका प्रयोग चिकित्सीय उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर किया जा सकता है. इसे 2-D सोना भी कहा जा रहा है.