अमेरिका ने भारत को संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि की ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में बरकरार रखा

अमेरिका ने हाल ही में स्पेशल 301 रिपोर्ट (Special Report 301) 2021 जारी की है. इस रिपोर्ट में भारत सहित 9 देशों को संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (United States Trade Representative- USTR) की ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ (Priority Watch List) 2021 में रखा गया है. भारत को इस लिस्ट में रखने का कारण यहाँ बौद्धिक संपदा (Intellectual property-IP) अधिकारों के संरक्षण एवं प्रवर्तन में कमी को बताया गया है. रिपोर्ट में भारत के अतिरिक्त अन्य 23 देशों को भी ‘वॉच लिस्ट’ (Watch List) में रखा गया है.

स्पेशल 301 रिपोर्ट (Special Report 301) 2021: मुख्य बिंदु

  • स्पेशल 301 रिपोर्ट (Special Report 301) संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USRT) द्वारा प्रत्येक वर्ष जारी की जाती है. इस रिपोर्ट में विभिन्न देशों में बौद्धिक संपदा कानूनों जैसे कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क आदि के कारण अमेरिका की कंपनियों और उत्पादों के समक्ष उत्पन्न होने वाले व्यापार अवरोधों की पहचान की जाती है.
  • इस रिपोर्ट में ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ और ‘वॉच लिस्ट’ शामिल होती हैं, जिसमें वे देश शामिल होते हैं जिनके बौद्धिक संपदा नियमों को अमेरिकी कंपनियों के लिये अवरोधक माना जाता है.
  • ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में उन देशों को शामिल किया जाता है, जिनके बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधित नियमों में गंभीर कमियाँ होती हैं.
  • ज़बरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (FTT) की नीति द्वारा विदेशी व्यवसायी को बाज़ार पहुँच प्रदान करने के बदले में अपनी तकनीक साझा करने के लिये मज़बूर किया जाता है. इस प्रकार की नीति चीन में काफी सामान्य है. चीन की सरकार विदेशी कंपनी को अपनी तकनीक को चीनी कंपनियों के साथ साझा करने के लिये मज़बूर करती है.

स्पेशल 301 रिपोर्ट 2021

अमेरिकी प्रशासन ने भारत के अतिरिक्त जिन देशों को ‘प्रायोरिटी वॉच लिस्ट’ में स्थान दिया है, उनमें अर्जेंटीना, चिली, चीन, इंडोनेशिया, रूस, सऊदी अरब, यूक्रेन और वेनेज़ुएला शामिल हैं.

भारत के सन्दर्भ में

अमेरिका के अनुसार, भारत ने लंबे समय से अपने बौद्धिक संपदा ढाँचे में पर्याप्त सुधार नहीं किया है, जिसके कारण बीते वर्षों में अमेरिकी कंपनियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

भारत में अमेरिकी व्यवसायी को बौद्धिक संपदा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो भारत में पेटेंट प्राप्त करना, पेटेंट बनाए रखना और उन्हें लागू करना अपेक्षाकृत कठिन बनाती हैं, ऐसा विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स उद्योग में देखा जाता है.