20 मार्च को विश्‍व गोरैया दिवस मनाया गया

प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को विश्‍व गोरैया दिवस (World Sparrow Day) मनाया जाता है. इस पक्षी के संरक्षण और इनके बारे में जागरूकता बढाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है. इस प्रजाति की संख्‍या में तेजी से कमी को देखते हुए इस दिवस का महत्‍व और बढ जाता है.

विश्‍व गोरैया दिवस 2022, का मुख्य विषय (थीम)- ‘आई लव स्पैरो’ (I Love Sparrows) है.

कीटनाशकों के बढते उपयोग, भवन निर्माण शैली में बदलाव और घरों से बगीचे समाप्त हो जाने के कारण पिछले कुछ वर्षों में गोरैया की संख्‍या तेजी से घटी है. इसके अलावा मोबाइल और टीवी टावर से होने वाला र‍ेडिएशन भी इनकी संख्या घटने का मुख्‍य कारण है.

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20 मार्च: अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस (International Happiness Day) मनाया जाता है. यह दिवस लोगों के जीवन में खुशी के महत्व को चिह्नित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है.

इस वर्ष यानी 2022 के अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस का विषय (theme)- ‘शांत रहें, समझदार रहें और दयालु बनें’ (Keep Calm, Stay Wise and Be Kind) है.

इतिहास

संयुक्त राष्ट्र ने 12 जुलाई 2012 को यह दिवस मनाने की घोषणा की थी. इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव समाज सेवी, कार्यकर्ता और संयुक्त राष्ट्र के विशेष सलाहकार रहे जेमी इलियन की कोशिशों का परिणाम था. पहला अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस 20 मार्च 2013 को मनाया गया था.

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16 मार्च: राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

भारत सरकार प्रत्येक वर्ष 16 मार्च को ‘राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस’ (National Vaccination Day) मनाती है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में टीकाकरण (वैक्सीनेशन) के प्रति जागरूकता फैलाना है. ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनका टीकाकरण अगर सही समय पर नहीं किया जाता है, तो वो घातक बीमारी का रूप ले सकती हैं. इस दिन छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीके लगाए जाते हैं.

16 मार्च को ‘पल्स पोलियों अभियान’ की शुरुआत

साल 1995 में पहली बार यह दिवस हमारे देश में मनाया गया था. इसी साल 16 मार्च के दिन भारत सरकार ने देश में ‘पल्स पोलियों अभियान’ की शुरुआत की थी. सरकार ने इस योजना के जरिए देश से पोलियो को खत्म करने का लक्ष्य रखा था. और जब से हर साल पूरे देश में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस इस दिन मनाया जाने लगा.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2014 में भारत सहित दक्षिण-पूर्व एशिया के 11 देशों को पोलियो मुक्त देश घोषित था. ये देश हैं- बांग्लादेश, भूटान, इंडोनेशिया, मालदीव, म्यांमार, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया, नेपाल, श्रीलंका, तिमोर-लेस्ते और थाईलैंड. भारत में पोलियो का अंतिम मामला 2011 में आया था.

विश्व प्रतिरक्षण दिवस 10 नवंबर को

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा प्रत्येक वर्ष 10 नवंबर के दिन दुनिया भर में ‘विश्व प्रतिरक्षण दिवस’ मनाया जाता है. इस दिन WHO से जुड़ी संस्थाओं द्वारा टीकाकरण से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. विश्व में अभी भी ऐसे कई देश हैं, जहां पर लोग टीकाकरण की सुविधाओं से वंचित हैं. WHO इन्हीं लोगों की मदद करने का कार्य करती है.

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15 मार्च: विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (World Consumer Rights Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य उभोक्ताओं या ग्राहकों को उनके हितों के लिए बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और उसके अंतर्गत आने वाले कानूनों की जानकारी देना है.

विश्व उपभोक्ता दिवस 2022 का मुख्य विषय (थीम) ‘फेयर डिजिटल फाइनेंस’ (Fair Digital Finance) है. इस वर्ष (2022 में) उपभोक्ता कार्य खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत उपभोक्ता कार्य विभाग 15 मार्च से उपभोक्‍ता अधिकार सप्‍ताह मना रहा है.

उपभोक्ता अधिकार दिवस का इतिहास

पहली बार अमेरिका में रल्प नाडेर ने उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत की थी, जिसके फलस्वरूप 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने उपभोक्ता संरक्षण पर पेश किए गए विधेयक पर अनुमोदन किया था. 15 मार्च, 1983 को पहली बार यह दिवस मनाया गया था.

भारत में उपभोक्ता आंदोलन

भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत 1966 में मुंबई से हुई थी. 1974 में पुणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद अनेक राज्यों में उपभोक्ता कल्याण हेतु संस्थाओं का गठन किया गया और यह आंदोलन बढ़ता गया.

राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस

हर साल 24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस भी मनाया जाता है. भारत में इसी दिन (24 दिसंबर को) वर्ष 1986 में ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम’ लागू हुआ था. भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पहली बार 24 दिसंबर 2000 को मनाया गया था.

मौजूदा केन्द्र सरकार ने उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा एवं विवादों के समय पर निपटान के लिए ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम- 1986’ की जगह ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019’ लागू किया है. नए अधिनियम के तहत केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के गठन का भी प्रावधान है. प्राधिकरण के पास उपभोक्ता अधिकार, अनुचित कारोबार और भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों की जांच का अधिकार है.

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मार्च माह का दूसरा बृहस्पतिवार: विश्व किडनी दिवस

प्रत्येक वर्ष मार्च माह के दूसरे बृहस्पतिवार को ‘विश्व किडनी दिवस’ (World Kidney Day) मनाया जाता है. इस वर्ष (2022 में) 10 मार्च को यह दिवस मनाया गया. यह वैश्विक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता अभियान है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किडनी के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है.

इस वर्ष विश्व किडनी दिवस 2022 का मुख्य विषय (थीम) ‘सभी के लिए गुर्दा स्वास्थ्य’ (Kidney Health for All) है.

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8 मार्च: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस

प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के रूप में मनाया जाता है. यह दिवस समाज में स्‍त्री-पुरुष समानता लाने, महिलाओं की उपलब्धियां उजागर करने और प्रत्येक क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्‍य से मनाया जाता है.

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 की थीम

इस वर्ष के अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का मुख्य विषय (थीम) ‘एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता’ (Gender equality today for a sustainable tomorrow) है.

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास

  • अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस का विचार सबसे पहले 12वीं सदी में उत्‍तरी अमरीका और यूरोप में श्रम आंदोलनों की गतिविधियों के दौरान उभरा था.
  • अमरीका में पहला राष्‍ट्रीय महिला दिवस 1908 में न्‍यूयॉर्क में वस्‍त्र कामगारों की हडताल के दौरान मनाया गया, जब महिलाओं ने काम की कठिन परिस्थितयों का विरोध किया.
  • 28 फरवरी 1909 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने न्यूयॉर्क में महिला दिवस का ऐलान किया था.
  • संयुक्त राष्ट्र ने 1977 में 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मंजूरी दी और तब से अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है.
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7 मार्च: जन औषधि दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

7 मार्च 2022 को देशभर में ‘जन औषधि दिवस’ के रूप में मनाया गया. प्रधानमंत्री जन-औषधि परियोजना की उपलब्धियों के प्रसार तथा इसे और गति देने के लिए पहली बार 7 मार्च 2019 को ‘जन औषधि दिवस’ मनाया गया था.

योजना का मूल उद्देश्य जेनेरिक दवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है. जेनेरिक दवाएं अनब्रांडेड दवाएं हैं जो समान रूप से सुरक्षित हैं. वे ब्रांडेड की तुलना में बहुत सस्ती होती हैं.

भारतीय जन औषधि योजना (PMJAY): एक दृष्टि

  • प्रधानमंत्री ‪नरेन्द्र मोदी‬ ने 1 जुलाई 2015 को ‪प्रधानमंत्री जन औषधि योजना की घोषणा की थी.
  • इस योजना में सरकार द्वारा ‘जन औषधि स्टोर’ बनाए गए हैं, जहां उच्च गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाईयां (Generic drug) उपलब्ध करवाई जाती है.
  • इन दवाईयों के दाम बाजार मूल्य से 30-50 प्रतिशत कम होते हैं.

जेनेरिक दवा क्या होती है?
जेनेरिक दवा वह दवा है जो बिना किसी पेटेंट के बनायी और वितरित की जाती है. जेनेरिक दवा के फॉर्मुलेशन पर पेटेंट हो सकता है किन्तु उसके सक्रिय घटक (active ingradient) पर पेटेंट नहीं होता. जेनेरिक दवाओं का असर, डोज और इफेक्ट्स ब्रांडेड दवाओं की तरह ही होते हैं.

उदाहरण के तौर पर सामान्य बुखार को कम करने के लिए ‘कॉसिन’ टैब्लेट बहुत पॉपुलर है. कॉसिन टैब्लेट पेरासिटामोल नाम के घटक से बना होता है. कॉसिन की जेनेरिक दवा ‘पेरासिटामोल’ नाम से मौजूद है. लेकिन लोग कॉसिन लेना ही पसंद करते हैं क्योंकि ये बहुत पॉपुलर ब्रांड हो चुका है. इसकी खूब पब्लिसिटी इंटरनेशनल लेवल पर की गई है. वहीं जेनेरिक दवाइयों के प्रचार के लिए कंपनियां पब्लिसिटी नहीं करती.

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4 मार्च: राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस

प्रत्येक वर्ष 4 मार्च को देश में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस’ (National Safety Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य जागरूकता न होने की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकना है. इस साल यानी 2022 में 51वां राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया गया.

4 से 10 मार्च तक ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह’

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के साथ ही 4 से 10 मार्च तक ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह’ (National Safety Week) के रूप में मनाया जाने लगा है. इस सप्ताह के दौरान विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से औद्योगिक दुर्घटनाओं से बचाव के तरीकों से लोगों को अवगत कराया जाता है.

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस और राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह को मनाने की पहल ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद’ (National Safety Council) ने की थी. 4 मार्च के ही दिन भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना हुई थी.

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC): एक दृष्टि

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना 4 मार्च 1966 को मुंबई सोसायटी अधिनियम के तहत हुई थी. यह एक स्वशासी निकाय है जो सार्वजनिक सेवा के लिए गैर-सरकारी और गैर-लाभकारी संगठन के रूप में कार्य करता है. 1972 में इस संगठन ने राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाने का निर्णय लिया था. बाद में इसे नेशनल सेफ्टी सप्ताह के रूप में मनाया जाने लगा.

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3 मार्च: विश्व वन्यजीव दिवस

प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ (World Wildlife Day) मनाया जाता है. वर्ष 1973 में इसी दिन वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे.

इस दिवस को मनाने का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर विलुप्त संकटापन्न वन्य-जीवों तथा वनस्पतियों के संरक्षण की दिशा में जागरूकता लाना है.

वर्ष 2022 में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme)- ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए प्रमुख प्रजातियों को पुनर्प्राप्त करना’ (Recovering Key Species for Ecosystem Restoration) है. इसके तहत वनों, वन प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं की केंद्रीय भूमिका को उजागर करने का प्रयास किया जाएगा ताकि वनों और उसके पास रहने वाले समुदायों के लाखों लोगों की आजीविका को बनाए रखा जाए.

20 दिसंबर, 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने अपनी 68वीं महासभा में इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी.

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3 मार्च: विश्व श्रवण दिवस

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation), प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को ‘विश्व श्रवण दिवस’ (World Hearing Day) मनाया जाता है. इस दिवस पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जागरूकता अभियान चलाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्‍य कान की सुरक्षा और बधीरता से बचाव के लिए जागरूकता फैलाना है.

इस वर्ष यानी 2021 में विश्व श्रवण दिवस का विषय ‘जीवन भर सुनने के लिए ध्यान से सुनें’ (To hear for life, listen with care) है.

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फरवरी माह का अंतिम दिन: विश्व दुर्लभ रोग दिवस

प्रत्येक वर्ष फरवरी माह के अंतिम दिन को ‘विश्व दुर्लभ रोग दिवस’ (World Rare Disease Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुर्लभ बीमारी के प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना जिनके बारे में ज्‍यादा लोगों को जानकारी नहीं होती. ऐसा इसलिए है क्‍योंकि ये बीमारियां बहुत कम लोगों को होती हैं.

विश्व दुर्लभ रोग दिवस 2022 का थीम- ‘दुर्लभ बीमारियों में एक साथ अनुभव साझा करना’ (Sharing Experiences in Rare Diseases Together) है.

दुर्लभ रोग दिवस को पहली बार यूरोपीय आर्गेनाईजेशन फॉर रेयर डिसीज (EURORDIS) और इसकी काउंसिल ऑफ नेशनल अलायन्स द्वारा 2008 में लॉन्च किया गया था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार इस समय दुनिया में लगभग 7000 ऐसे रोग हैं जिन्‍हें दुर्लभ माना जाता है. इनमें कुछ जाने-माने नाम हैं: सिस्टिक फाइब्रोसिस, जो श्‍वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है. हटिन्‍गटन्‍स डिजीज, जो ब्रेन और नर्वस सिस्‍टम को प्रभावित करता है. मस्‍क्‍युलर डिस्‍ट्रॉफी, जो मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं.

इंडियन सोसायटी फॉर क्लीनिकल रिसर्च (ISCR) के मुताबिक, भारत में 70 मिलियन और दुनिया भर में 350 मिलियन लोग दुर्लभ बीमारियों के शिकार हैं. 6,000 से ज्यादा अलग-अलग तरह के दुर्लभ और आनुवंशिक रोग (Genetic Diseases) हैं.

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28 फरवरी: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, रमन प्रभाव की खोज की स्‍मृति में मनाया जाता है

प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों के जीवन में विज्ञान के महत्व के प्रति जागरुकता फैलाना और विज्ञान व प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाना है. यह दिवस रमन प्रभाव की खोज की स्‍मृति में मनाया जाता है. सर सीवी रमन ने 1928 में इसी दिन रमन प्रभाव की खोज की घोषणा की थी

इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मुख्य विषय- ‘सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण’ (Integrated Approach in science and technology for Sustainable Future) है.

भारत सरकार ने 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी. पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था.

रमन प्रभाव की खोज की स्‍मृति में मनाया जाता है

यह दिवस रमन प्रभाव की खोज की स्‍मृति में मनाया जाता है. भारतीय वैज्ञानिक सर चन्द्रशेखर वेंकटारमन ने 1928 में इसी दिन रमन प्रभाव की खोज की घोषणा की थी.

सीवी रमन ने फोटॉन कणों के लचीले वितरण के अद्वीतीय घटना की खोज की थी जिसे बाद में ‘रमन प्रभाव’ के नाम से जाना गया. इस खोज के दो वर्ष बाद ही 1930 में सीवी रमन को उनकी इस बेहतरीन खोज के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया था. विज्ञान के क्षेत्र में किसी भारतीय को दिया जाने वाला ये पहला नोबल पुरस्कार था.

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