2 फरवरी: विश्व आर्द्र भूमि दिवस

प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्र भूमि दिवस (World Wetlands Day) के रूप में मनाया जाता है. यह दिवस प्रत्‍येक वर्ष पृथ्‍वी के लिए आर्द्र भूमि की महत्‍वपूर्ण भूमिका पर वैश्विक जागरुकता बढाने के उद्देश्‍य से मनाया जाता है.

विश्व आर्द्र भूमि दिवस 2022 का विषय ‘लोगों और प्रकृति के लिए आर्द्रभूमि की कार्रवाई’ (Wetland’s action for people and nature) है.

1971 में इसी दिन ईरान के शहर रामसर में कैस्पियन सागर के तट पर आर्द्रभूमि पर एक अभिसमय (Convention on Wetlands) को अपनाया गया था. पहली बार ‘विश्व आर्द्रभूमि दिवस’ 2 फरवरी, 1997 को रामसर सम्मलेन के 16 वर्ष पूरे होने पर मनाया गया था.

आर्द्रभूमि क्या होता है?

आर्द्रभूमि (wetland) ऐसा भूभाग होता है जिसका बड़ा हिस्सा किसी जल से संतृप्त हो या उसमें डूबा रहे. आर्द्रभूमि के कई लाभ हैं. यह जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है. भारत में आर्द्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है.

आर्द्रभूमि कार्बन के भंडारण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े चरम मौसम की घटनाओं के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. वे बाढ़ को कम करती हैं, पीने के पानी की भरपाई करती हैं, कचरे को छानती हैं, शहरी हरे स्थान प्रदान करते हैं और आजीविका का स्रोत हैं.

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जनवरी माह का अंतिम रविवार: विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस

प्रत्येक वर्ष जनवरी के अंतिम रविवार को विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस (World Leprosy Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य, कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सहायता तथा इस रोग से पीड़ित लोगों की देखभाल करने वाले व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने के बारे में जागरूकता पैदा करना हैं.

वर्ष 2022 के World Leprosy Day का विषय (थीम) ‘यूनाइटेड फॉर डिग्निटी’ (United for Dignity) है.

कुष्ठरोग क्या है?

कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री (बैक्टीरिया) के कारण होने वाला एक रोग है. इसके परिणामस्वरूप त्वचा पर घाव हो जाते हैं तथा हाथों और पैरों की तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. इस रोग को हैन्सेन का रोग (इस रोग के बैक्टीरिया की खोज़ करने वाले चिकित्सक डॉ. आर्मोर हैन्सेन के नाम रखा गया है) के रूप में भी जाना जाता है. कुष्ठ रोग को मल्टी ड्रग थेरेपी (MTD) द्वारा उपचारित किया जा सकता हैं.

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30 जनवरी 2022: शहीद दिवस, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 74वीं पुण्यतिथि

प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी और 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है. 1948 में आज ही के दिन उनकी हत्या कर दी गई थी. इस वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 74वीं पुण्यतिथि थी. देश के स्वतंत्रता, कल्याण और प्रगति के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले शहीदों की याद में यह दिन शहीद दिवस (शहादत दिवस) मनाया जाता है.

भारत में 23 मार्च को भी शहीद दिवस मनाया जाता है क्योंकि उसी दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी.

शहीद दिवस पर महात्मा गांधी और उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों को कृतज्ञता के साथ याद किया जाता है जिन्होंने हमारी आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था.

महात्मा गांधी: मुख्य तथ्यों पर एक दृष्टि

  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था.
  • गांधीजी ने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात से उच्च शिक्षा बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ली थी. उन्होंने वकालत की पढ़ाई लंदन में की थी.
  • 1893 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गए थे. वहां वह भेद-भाव के शिकार हुए.
  • 1915 में भारत लौटे और अपना पूरा जीवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित कर दिया.
  • 1918 में शुरू किया गया चंपारण आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी पहली उपलब्धि थी.
  • 1920 में उन्होंने असहयोग आंदोलन चलाया था. इस आंदोलन के दौरान हिंसा की कुछ घटना के कारण इसे असफल माना गया.
  • 1930 में गांधीजी ने सिविल अवज्ञा आंदोलन चलाया जिसे दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है.
  • 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया और जिसे उनके जीवन का सबसे सफल और सबसे बड़ा आंदोलन कहा जाता है.
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28 जनवरी 2022: लाला लाजपत राय की 157वीं जयंती

28 जनवरी 2022 को स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की 157वीं जयंती (Lala Lajpat Rai Birth Anniversary) थी. उनका जन्म 1865 में इसी दिन पंजाब के फिरोजपुर जिले के धूदिकी गांव में हुआ था. उनकी देशभक्ति के लिए उन्हें ‘पंजाब केसरी’ और ‘लायन ऑफ़ पंजाब’ का खिताब दिया गया था.

लाला लाजपत राय: मुख्य तथ्य

  • लाला लाजपत राय 1880 में आर्य समाज के आंदोलन में शामिल हो गए थें. अक्टूबर 1917 में उन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क में ‘इंडियन होम रूल लीग ऑफ अमेरिका’ नाम से एक संगठन की स्थापना की थी.
  • 1928 में साइमन कमीशन के विरोध करने के दौरान लाला लाजपत राय की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. हत्या के आरोपी ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन साण्डर्स की हत्या की योजना बनाई गई थी. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ने इस हत्या का बदला लेने का काम भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद और जयगोपाल को दिया था.
  • ‘लाल बाल पाल’ ने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा को बलदने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसमें लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक तथा बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे. इन तीनों ने स्वदेशी आन्दोलन को मजबूत करने के लिए देश भर में लोगों को एकजुट किया था.
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27 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय प्रलय स्मरण दिवस मनाया गया

प्रत्येक वर्ष 27 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय प्रलय स्मरण दिवस (International Holocaust Remembrance Day) के तौर पर मनाया जाता है. यह दिवस होलोकॉस्ट के पीड़ितों की याद में मनाया जाता है.

इस वर्ष यानी 2022 के अंतर्राष्ट्रीय प्रलय स्मरण दिवस की थीम “स्मृति, गरिमा और न्याय” (Memory, Dignity and Justice) है.

संयुक्त राष्ट्र ने होलोकॉस्ट में मारे गए 6 मिलियन यहूदियों को सम्मानित करने के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रलय स्मरण दिवस’ ​​​​चिह्नित किया था.

इस दिन का इतिहास

  • 1933-1945 के दौरान नाजी जर्मनी द्वारा प्रलय के परिणामस्वरूप एक तिहाई यहूदी (लगभग 6 मिलियन) और अन्य अल्पसंख्यकों की हत्या कर दी गई थी. संयुक्त राष्ट्र ने 27 जनवरी को इस दिन को मनाने के लिए चुना था, क्योंकि इसी तारीख को रेड आर्मी ने 1945 में ऑशविट्ज़ उत्पीडन शिविर को मुक्त कराया था.
  • नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी (NSDAP) को नाज़ी कहा जाता था. यह एक राजनीतिक पार्टी थी जो 1919 के पहले विश्व युद्ध के बाद स्थापित की गई थी.
  • जर्मनी में यहूदी धर्म (Judaism) विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से है, तथा दुनिया का प्रथम एकेश्वरवादी धर्म माना जाता है. यह इस्राइल और हिब्रू भाषियों का राजधर्म है.
  • होलोकॉस्ट को शोह (Shoah) के नाम से भी जाना जाता है. यह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूरोपीय यहूदियों का नरसंहार था. 1941 और 1945 के दौरान, नाजी जर्मनी ने जर्मनी के कब्जे वाले यूरोप में लगभग 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी थी.
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26 जनवरी 2022: भारत का 73वां गणतंत्र दिवस

देश में 26 जनवरी 2022 को 73वां गणतंत्र दिवस मनाया गया. इस अवसर पर मुख्य समारोह राष्ट्रीय राजधानी में राजपथ पर आयोजित किया गया. यहां हर साल की तरह देश की संस्कृति को दिखाने वाली झाकियों के साथ भारतीय सेना ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली. परेड रायसीना हिल से शुरू होकर राजपथ से गुजरते हुए लालकिला जाती है.

इस बार परेड में कुल 16 दस्ते ने भाग लिया था. इनमें सेना के छह, नौसेना और वायु सेना के एक-एक, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के चार, दिल्ली पुलिस का एक, एनसीसी के दो और राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस का एक दस्‍ता शामिल हैं. विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, मंत्रालयों और विभागों की 21 झाकियों ने हिस्सा लिया.

गणतन्त्र दिवस क्या है?

गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है. यह दिवस 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के आधिकारिक रूप से लागू होने की याद में मनाया जाता है. इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था.

किसी देश को गणतंत्र तब माना जाता है जब उस देश के प्रमुख का निर्वाचन जनता द्वारा किया जाए. एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान-सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था.

आधुनिक गणराज्‍यों की स्‍थापना इस विचार के साथ की गई है जहां सम्‍प्रभुता लोगों में विद्यमान हो. गणतंत्र शब्‍द का प्रयोग नवजागरण काल के लेखकों ने उन राज्‍यों के लिए किया जहां राजतंत्र नहीं थे. प्राचीन समय में सबसे उल्‍लेखनीय गणराज्‍यों में से एक रोमन गणराज्‍य था. 2017 तक दुनिया के 159 देश अपने अधिकारिक नामों के रूप में गणतंत्र शब्‍द का प्रयोग करते हैं.

गणतन्त्र दिवस समारोह का इतिहास

पहला गणतंत्र दिवस समारोह 1950 में दिल्‍ली के इ‍रविन एम्‍पीथियेटर में मनाया गया था. जिसे वर्तमान में मेजर ध्‍यानचंद नेशनल स्‍टेडियम के रूप में जाना जाता है. बाद के वर्षों में यह समारोह परेड़ किंग्‍जवे, लाल किला और रामलीला मैदान में आयोजित की गई.

1955 में राजपथ परेड़ के लिए स्‍थायी स्‍थल बन गया. उस समय राजपथ को किंग्‍जवे नाम से जाना जाता था. 1955 में जब राजपथ पर परेड़ हुई तब पाकिस्‍तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्‍मद को मुख्‍य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था.

बीटिंग रीट्रिट के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

हर साल 29 जनवरी को विजय चौक पर होने वाले समारोह ‘बीटिंग रीट्रिट’ के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है. यह 1950 के दशक की शुरूआत में उस समय शुरू हुआ जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने बैंड द्वारा प्रदर्शन का अनूठा तरीका विकसित किया था.

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25 जनवरी 2022: हिमाचल प्रदेश स्थापना की 51वीं जयंती

25 जनवरी 2022 को हिमाचल प्रदेश राज्य स्थापना की 51वीं जयंती (Himachal Pradesh Foundation Day) मनाई गयी. ‘हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971’ के अन्तर्गत इसे 25 जून 1971 को भारत का 18वाँ राज्य बनाया गया था.

हिमाचल प्रदेश: एक दृष्टि

1948 में लगभग 30 रियासतों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश का गठन मुख्य आयुक्त के प्रांत के रूप में किया गया था. 1 नवम्बर, 1956 को इस राज्य को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया था.

यह प्रदेश पश्चिमी भारत में स्थित राज्य है. इस प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है. यह उत्तर में जम्मू और कश्मीर, पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखंड तथा पूर्व में तिब्बत से घिरा है.

आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, हिमाचल प्रदेश ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आ गया था. सन् 1857 तक यह पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के शासन के अधीन पंजाब राज्य का हिस्सा था.

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25 जनवरी: राष्ट्रीय मतदाता दिवस, राष्ट्रीय पर्यटन दिवस

प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ (National Voters’ Day) के रूप में मनाया जाता है. इसे दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य लोगों को अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करना है.

मतदाता दिवस का विषय: राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2022 का मुख्य विषय (theme) – ‘चुनावों को समावेशी, सुगम और सहभागी बनाना’ (Making Elections Inclusive, Accessible and Participative) है.

भारतीय चुनाव आयोग का स्थापना दिवस

राष्ट्रीय मतदाता दिवस, भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के स्थापना दिवस के दिन मनाया जाता है. भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) का गठन 25 जनवरी 1950 को किया गया था. पहली बार यह दिवस 2011 में मनाया गया था. इस वर्ष 2022 में 12वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस है.

देश का संविधान 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया. लेकिन भारत निर्वाचन आयोग को एक संवैधानिक संस्‍था के रूप में स्‍थापित करने वाला संविधान का अनुच्‍छेद 324 उन गिने-चुने प्रावधानों में से है जिन्‍हें पूरे दो महीने पहले 26 नवम्‍बर 1949 को लागू कर दिया गया था. भारत निर्वाचन आयोग का गठन भारत के गणतंत्र बनने के एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को हो गया था.

25 जनवरी: राष्ट्रीय पर्यटन दिवस

25 जनवरी को भारतीय राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है. देश की विविधता को रेखांकित करने के लिए प्रत्‍येक वर्ष यह दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष यानी 2022 के राष्ट्रीय पर्यटन दिवस का विषय- ‘ग्रामीण और समुदाय केन्द्रित पर्यटन’ है.

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24 जनवरी: उत्तर प्रदेश स्‍थापना दिवस

प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को उत्‍तर प्रदेश अपना स्‍थापना दिवस (Uttar Pradesh Diwas) मनाता है. 1950 में इसी दिन उत्तर प्रदेश को यह नाम मिला था. इस वर्ष उत्तर प्रदेश दिवस की थीम ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश, महिला युवा किसान, सबका विकास सबका सम्मान’ है.

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व में राज्‍य में सरकार बनने के बाद ही उत्‍तर प्रदेश दिवस मनाने का कार्यक्रम शुरू हुआ था. इस वर्ष यानि 24 जनवरी 2022 को उत्‍तरप्रदेश दिवस का यह पांचवां संस्‍करण था.

उत्तरप्रदेश: एक दृष्टि

उत्तरप्रदेश भारत का सबसे अधिक जनसंख्या (लगभग 20 करोड़) वाला राज्य है. यह 1 अप्रैल 1937 को ब्रिटिश शासन के दौरान संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के रूप में स्थापित किया गया था. ब्रिटिश शासनकाल में इसे यूनाइटेड प्रोविंस कहा जाता था जो कि 1950 में बदलकर उत्तर प्रदेश हो गया. 9 नवंबर 2000 को, उत्तरप्रदेश से अलग कर एक नया राज्य उत्तराखंड बनाया गया था.

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24 जनवरी: राष्‍ट्रीय बालिका दिवस

प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को राष्‍ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) मनाया जाता है. य‍ह दिन केन्‍द्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा 2008 से प्रति वर्ष मनाया जाता है. राष्‍ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्‍य समाज में लोगों के बीच बेटियों के अधिकार को लेकर जागरूकता पैदा करना और बेटियों को सामाजिक व आर्थिक विकास के नए अवसर मुहैया कराना है.

राष्‍ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर अलग-अलग तरह के अभियान चलाए जाते हैं.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत

सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से 2015 में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान के जरिए लड़कियों और महिलाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया जाता है. महिलाओं के प्रति होने वाली कई अमानवीय प्रथाओं जैसे भ्रूण हत्या अब कम हो गए हैं.

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24 जनवरी: अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस

प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को ‘अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ (International Day of Education) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य शांति और विकास में शिक्षा की भूमिका को रेखांकित करना है.

अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2022 का मुख्य विषय (theme) ‘पाठ्यक्रम बदलना, शिक्षा बदलना’ (Changing Course, Transforming Education) है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 24 जनवरी को ‘अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ मनाने के लिए एक प्रस्ताव 3 दिसंबर 2018 को पारित किया था. 24 जनवरी 2019 को पहला अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया था. इस प्रकार इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का तीसरा संस्करण था.

भारत में 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है…»

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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती 23 जनवरी 2022 को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेताजी की जयंती को प्रत्येक वर्ष पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. नेताजी का जन्म 23 जनवरी, 1897 को हुआ था.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस: एक दृष्टि

  • नेताजी ने सिविल सर्विस परिक्षा पास की थी. लेकिन उन्होंने भारत की आजादी के आंदोलन में शामिल होने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. 1938-39 के दौरान वे कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. बाद में मतभेद के कारण उन्होंने कांग्रेस से त्याग-पत्र दे दिया तथा फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की.
  • 1941 में वे अफगानिस्तान और सोवियत संघ के रास्ते जर्मनी चले गये थे. उन्होंने 4,500 भारतीय सैनिकों के साथ ‘Indian Legion’ की स्थापना की. इन सैनिकों को उत्तरी अफ्रीका से जर्मनों द्वारा कैद किया गया था. 1943 में उन्होंने जापान में ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ को पुनर्जीवित किया.
  • सुभाष चन्द्र बोस ने सशक्त क्रान्ति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर, 1943 को सिंगापुर में ‘आज़ाद हिन्द फौज’ की स्थापना की थी. इसकी स्थापना में रास बिहारी बोस की भूमिका महत्वपूर्ण थी.
  • ‘आज़ाद हिन्द फौज’ एक सशस्त्र सेना थी. सुभाष चन्द्र बोस इस फ़ौज के सर्वोच्च कमांडर थे. 1943 में नेता जी तथा उनकी आज़ाद हिंद फौज ने भारत भूमि पर पहली बार आज़ादी का झंडा फहराया था.
  • नेताजी के कई प्रसिद्ध नारों ने स्वाधीनता की लड़ाई में लोगों के अंदर उत्साह का संचार किया. उनमें से एक प्रसिद्ध नारा था, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा”.
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