खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा विकसित ‘खादी प्राकृतिक पेंट’ जारी किया गया

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 12 जनवरी को खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा विकसित नये पेंट को जारी किया. इस पेंट को ‘खादी प्राकृतिक पेंट’ नाम दिया गया है जो अपनी तरह का पहला पेंट है. किसानों की आमदनी बढ़ाने की प्रधानमंत्री की सोच से प्रेरित होकर इस पेंट का उत्‍पादन किया जा रहा है.

खादी प्राकृतिक पेंट: एक दृष्टि

  • यह पेंट किफायती तथा गंधहीन है. पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित और विषाक्‍तता से मुक्‍त है.
  • इसे बनाने में सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे भारी धातुओं का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसमें मुख्‍य रूप से गाय के गोबर का इस्‍तेमाल किया जाता है.
  • इस पेंट को कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट, जयपुर में विकसित किया गया है. इसका परीक्षण देश की तीन प्रयोगशालाओं- National Test House, Mumbai, Shri Ram Institute for Industrial Research और National Test House, Ghaziabad में किया गया है.

NSO ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए राष्ट्रीय आय का पहला अनुमान जारी किया

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए राष्ट्रीय आय का पहला अनुमान जारी किया. इस रिपोर्ट के अनुसार देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में करीब 7.7 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है. यह रिपोर्ट 2011-12 की कीमतों को आधार वर्ष मानते हुए तैयार किया गया है.

NSO की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 में GDP 134.50 लाख करोड़ रुपए रहेगी. रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 में यह आंकड़ा 145.66 लाख करोड़ रुपये रहा था. वित्त वर्ष 2019-20 में GDP 4.2 फीसदी की दर से बढ़ी थी. रिपोर्ट के अनुसार इस वित्त वर्ष कृषि क्षेत्र को छोड़ सभी क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गयी हैं.

FSSAI ने खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट की अधिकतम सीमा 3 फीसद निर्धारित किया

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य पदार्थों के ट्रांस फैट (Trans Fat) की सीमा में कटौती की है. FSSAI ने एक संशोधन द्वारा तेल और फैट में ट्रांस फैट एसिड की अधिकतम सीमा 5 फीसद से घटाकर 3 फीसद कर दिया है. नया विनियमन 1 जनवरी 2021 से प्रभावी हो गया है. यह विनियमन खाने वाले रिफाइन तेल, वनस्पति, मार्जरीन और अन्य कूकिंग के माध्यमों पर लागू होगा.

WHO ने 2023 तक ट्रांस फैट्स के उन्मूलन की मांग की है

ट्रांस फैट्स से हार्ट अटैक और कोरोनरी आर्टरी डिजीज से मौत का ज्यादा खतरा रहता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, करीब 5.4 लाख मौत हर साल दुनिया भर में ट्रांस फैट्टी एसिड के सेवन से होती है. WHO ने खतरे को देखते हुए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ट्रांस फैट्स को 2023 तक उन्मूलन की मांग की है. WHO के मुताबिक, ट्रांस फैट या ट्रांस-फैट्टी एसिड अनसैचुरेटेड फैट्टी एसिड होते हैं जो या तो प्राकृतिक या औद्योगिक स्रोत से मिलते हैं.

2022 तक ट्रांस फैट की सीमा को 2 फीसद करने पर विचार

FSSAI 2022 तक ट्रांस फैट एसिड की अधिकतम सीमा को 2 फीसद करने पर विचार कर रही है. इससे पहले औद्योगिक संगठनों से 2018 में WHO के साथ चलने का आह्वान किया गया था. 2011 में भारत में पहली बार विनियमन पास किया गया था. उसमें तेल और फैट्स में ट्रांस फैट्टी एसिड की मात्रा को 10 फीसद करने का लक्ष्य रखा गया था. उसके बाद 2015 में इस मात्रा को घटाकर 5 फीसद करने की गयी थी.

ट्रांस फैट क्या है?

तरल वनस्पति तेलों के भण्डारण अवधि में वृद्धि करने के लिये उनका हाइड्रोजनीकरण कर उन्हें ट्रांस फैट में परिवर्तित किया जाता है. ट्रांस फैट को ट्रांस फैटी एसिड (TFA) के रूप में भी जाना जाता है. प्राकृतिक तौर पर ट्रांस फैट गाय और भेड़ से मिलता है जबकि औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैट औद्योगिक प्रक्रिया के तहत तैयार होते हैं.

ज्यादा ट्रांस फैट्स खानेवालों में सी रिएक्टिव प्रोटीन का लेवल जयादा हो जाता है. इस प्रोटीन के खून में बढ़ने की आशंका हो जाती है. इसके अलावा, ट्रांस फैट का सेवन खराब याद्दाश्त और डिमेंशिया के ज्यादा खतरे से भी जुड़ा है.

कोच्चि-मंगलुरु प्राकृतिक गैस पाइपलाइन राष्ट्र को समर्पित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी को वर्चुअल माध्यम से कोच्चि-मंगलुरु प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का उद्घाटन किया. 450 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन का निर्माण गेल इंडिया लिमिटेड ने किया है. इसकी परिवहन क्षमता प्रतिदिन 12 मिलियन मीट्रिक टन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर है.

इस परियोजना पर लगभग तीन हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. केरल के कोच्चि में एलएनजी टर्मिनल से प्राकृतिक गैस एर्णाकुलम, त्रिशूर, पलक्‍कड, मल्‍लापुरम, कोझिकोड, कण्णुर और कासरगोड जिलों से होते हुए कर्नाटक के मंगलुरू तक पहुंचेगी.

एक राष्‍ट्र एक गैस ग्रिड कार्यक्रम

एक राष्‍ट्र एक गैस ग्रिड कार्यक्रम के तहत भारत सरकार एक राष्ट्रीय गैस ग्रिड विकसित कर रही है. राष्ट्रीय गैस ग्रिड पूरे देश में स्वच्छ और हरित ईंधन का पहुंच प्रदान करेगा. यह प्रमुख मांग केंद्रों को जोड़ेगा और उपभोक्ताओं को गैस की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा.

प्रधानमंत्री ने एक राष्‍ट्र एक गैस ग्रिड कार्यक्रम के ज़रिये देश को स्‍वच्‍छ ऊर्जा उपलब्‍ध कराने का आश्‍वासन दिया है. उन्‍होंने कहा कि ऊर्जा उत्‍पादन में प्राकृतिक गैस की हिस्‍सेदारी मौजूदा 6.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दी जाएगी.

देश के 6 राज्यों में लाइट हाउस परियोजनाओं की आधारशिला रखी गयी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जनवरी को छह राज्यों में लाइट हाउस परियोजनाओं (LHPs) की आधारशिला रखी. केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने शहरी कमजोर वर्गों को ध्यान में रखते हुए छह राज्यों मध्यप्रदेश में इंदौर, गुजरात में राजकोट, तमिलनाडु में चेन्नई, झारखंड में रांची, त्रिपुरा में अगरतला और उत्तरप्रदेश में लखनऊ को लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत आवास बनाने के लिए चुना है.

आधारशिला के इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने ASHA-India (Affordable Sustainable Housing Accelerators) के विजेताओं की भी घोषणा की. साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) के क्रियान्वयन के लिए उत्कृष्टता का वार्षिक पुरस्कार भी दिया.

इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने नवप्रर्वतक निर्माण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक नए पाठ्यक्रम की भी शुरुआत की. इस पाठ्यक्रम का नाम ‘NAVARITIH’ (New, Affordable, Validated, Research Innovation Technologies for Indian Housing) रखा गया है.

लाइट हाउस परियोजना क्या है?

लाइट हाउस परियोजना का उद्देश्य गरीबों को शहरों में सस्ती दरों पर आवास मुहैया करवाना है. यह वैश्विक आवास निर्माण प्रौद्योगिकी चुनौती-भारत (Global Housing Technology Challenge-India) के तहत किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री का संकल्प है कि 2022 तक हर गरीब के पास अपना मकान हो. वहीं लाइट हाउस परियोजना के तहत चुनी गई जगहों पर प्रत्येक जगह में एक हजार से ज्यादा घर बनाए जाएंगे. इस परियोजना के तहत सस्ते और मजबूत मकान बनाए जाते हैं. इस योजना में निर्माण कार्य से वक्त की बचत होती है और लागत कम आती है. इसके तहत बने मकान भूकंपरोधी होते हैं.

WHO ने फाइजर और बायोएनटेक की COVID-19 वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने फाइजर और बायोएनटेक की COVID-19 (कोरोना वायरस) वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है. संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था की मंजूरी मिलने के बाद अब दुनियाभर के देशों में फाइजर की कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल का रास्ता खुल गया है.

फाइजर की कोरोना वैक्सीन को सबसे पहले ब्रिटेन ने इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी. जिसके बाद अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, इजरायल, सऊदी अरब समेत दुनिया के कई देशों ने वैक्सीन के इमरजेंसी प्रयोग को मंजूरी दे दी.

ब्रिटेन में अबतक 1.40 लाख लोगों को फाइजर बायोएनटेक की वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. इस वैक्सीन को –70 डिग्री के तापमान पर रखने की जरूरत होती है.

ब्रिटेन में ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित COVID-19 वैक्सीन ‘Covishield’ के इमरजेंसी इस्तेमाल को भी हाल ही में मंजूरी दी गयी है. इस वैक्सीन को कमरे के तापमान पर भी रखा जा सकता है. ऐसे में इस वैक्सीन की मांग और इसे दूर दराज के इलाकों तक लेकर जाने में काफी सहूलियत होने वाली है.

ऑक्सफोर्ड की COVID-19 वैक्सीन ‘Covishield’ को भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गयी

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित COVID-19 वैक्सीन ‘Covishield’ के भारत में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी गयी है. केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की कोविड-19 पर एक विशेषज्ञ समिति ने इसकी मंजूरी 31 दिसम्बर को दी.

Covishield वैक्सीन का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कर रहा है. इससे पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने पहले इस वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए आवेदन किया था. SII ने Covishield के उत्पादन के लिए एस्ट्रेजेनेका के साथ करार किया है. यह दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी है.

‘कोवैक्‍सीन’ को सीमित इस्‍तेमाल की अनुमति

विशेषज्ञ समिति ने स्वदेशी वैक्सीन ‘कोवैक्‍सीन’ को एहतियात के तौर पर नैदानिक परीक्षण मोड में, विशेष रूप से परिवर्तित स्‍ट्रेन द्वारा फैलाए जा रहे संक्रमण से संबंधि‍त आपात स्थिति में इसके सीमित इस्‍तेमाल की अनुमति देने की सिफारिश की है. भारतीय औषध महानियंत्रक वैक्‍सीन की मंजूरी के बारे में अंतिम फैसला करेंगे.
कोवैक्‍सीन भारत में निर्मित पहली वैक्‍सीन है, जिसे भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्‍ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्‍थान के सहयोग से तैयार किया है.

विशेषज्ञ समिति ने कैडिला हेल्‍थकेयर लिमिटेड अहमदाबाद को फेस-3 नैदानिक परीक्षण करने की भी सिफारिश की है.

विस्‍टाडोम पर्यटन कोचों का स्‍पीड ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया गया

भारतीय रेलवे ने नए विस्‍टाडोम टूरिस्‍ट कोचों (Vistadome tourist coaches) का 180 किलोमीटर प्रतिघंटा स्‍पीड ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इसकी घोषणा 29 दिसम्बर को दी.

विस्‍टाडोम पर्यटन कोच: एक दृष्टि

रेलवे ने स्विटजरलैंड में चलने वाले विस्टाडोम की तर्ज पर इस अत्याधुनिक सुविधायुक्त पारदर्शी कोच का निर्माण किया है. यह कोच चेन्‍नई की इंटीग्रल कोच फैक्‍ट्री में बने हैं. नए डिजाइन वाले विस्‍टाडोम टूरिस्ट कोच का 180 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड पर ट्रायल पूरा हो गया है.

ये कोच तकनीकी रूप से काफी एडवांस हैं. इनमें वाई-फाई आधारित पैसेंजर इंफॉर्मेशन सिस्टम भी है. इन कोच में बड़े शीशे की खिड़कियां हैं, शीशे की छत है, ऑब्जर्वेशन लाउंज है और घुमाई जा सकते वाली सीटें हैं. टूरिस्ट इन सबकी मदद से जब ट्रेन टूरिस्ट लोकेशन से गुजरेगी तो बाहर आसानी से देख सकेंगे और तस्वीरें भी ले सकेंगे.

जिन ट्रेनों में ये कोच लगेंगे, वे खासतौर पर टूरिज्म के लिए होंगी. इस कोच वाली ट्रेन दादर, मडगांव, अराकु घाटी, कश्मीर घाटी, डार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, कालका शिमला रेलवे, कांगडा घाटी रेलवे, माथेरान हिल रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे में चलेगी.

प्रधानमंत्री ने माल ढुलाई के विशेष गलियारे के न्यू भाऊपुर- न्यू खुर्जा खण्‍ड का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने पूर्वी डेडिकेट फ्रेट कॉरिडोर (EDFC) के ‘न्यू भाऊपुर- न्यू खुर्जा खण्‍ड का 29 दिसम्बर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया. EDFC का 351 किलोमीटर लम्बा यह गलियारा 5750 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है.

यह खण्‍ड स्थानीय उद्योगों जैसे कानपुर देहात जिले में एल्यूमीनियम उद्योग, औरैया जिले में डेयरी क्षेत्र, इटावा जिले में कपड़ा उत्पादन, फिरोजाबाद जिले में कांच उद्योग और अलीगढ़ जिले में ताले और हार्डवेयर उद्योगों के लिए नए अवसर खोलेगा. यह खंड मौजूदा कानपुर-दिल्ली मुख्य लाइन से भी भीड़-भाड़ कम कर देगा और भारतीय रेलवे को रेलगाड़ियों को तेज गति से चलाने में सक्षम बनाएगा.

इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने प्रयागराज में EDFC के अत्याधुनिक परिचालन नियंत्रण केंद्र का भी उद्घाटन किया. यह EDFC के मार्ग पर नियंत्रण केन्द्र के रूप में कार्य करेगा.

दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तैयार करने की योजना

सरकार माल ढुलाई के लिए विशेष रेल-मार्ग का निर्माण कर रहा है. इसके तहत दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (गलियारे) तैयार किया जा रहा है. पूर्वी डेडिकेट फ्रेट कॉरिडोर (EDFC) और पश्चिमी डेडिकेटड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC). दोनों गलियारे का निर्माण डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (DFCCIL) द्वारा किया जा रहा है.

पूर्वी डेडिकेट फ्रेट कॉरिडोर (EDFC) पंजाब के औद्योगिकल लुधियाना को पश्चिम बंगाल के दानपुनी से जोड़ रहा है. 1856 किलोमीटर के इस कॉरिडोर रूट में कोयला खाने हैं, थर्मल पावर प्‍लांट है, औद्योगिक शहर है, इनके लिए फीडर मार्ग भी बनाये जा रहे हैं.

वहीं पश्चिमी डेडिकेटड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) महाराष्‍ट्र में जेएनटी गोव उत्‍तर प्रदेश के दादरी से जोड़ता है. लगभग 1500 किलोमीटर के इस कॉरिडोर में गुजरात के मुंदरा, कांडला, पीपावा, दहेज और हजीरा के बड़े बंदरगाहों के लिए फीडर मार्ग होंगे.

इन दोनों फ्रेट कॉरिडोर के इर्द-गिर्द, दिल्‍ली, मुंबई इंडस्‍ट्रीयल कॉरिडोर और अमृतसर, कोलकाता इंडस्‍ट्रीयल कॉरिडोर भी विकसित किये जा रहे हैं.

भारत ने तटीय सुरक्षा के लिए अपने सभी समुद्र तटों पर आठ नीले झंडे फहराए

भारत ने तटीय क्षेत्र की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर के अभियान के तहत अपने सभी समुद्र तटों पर 28 दिसम्बर को आठ नीले झंडे फहराए. भारत के आठ समुद्री तटों को प्रतिष्ठित ‘ब्लू फ्लैग’ सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया है. इसमें गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और ओडिशा समेत पांच राज्यों के तट शामिल हैं. भारत एक ही प्रयास में आठ समुद्री तटों के लिए ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन प्राप्त करने वाला दुनिया का पहला देश बना है.

ब्लू फ्लैग से सम्मानित भारत के आठ समुद्री तट

ब्लू फ्लैग से सम्मानित भारत के आठ समुद्री तट गुजरात का शिवराजपुर बीच, दियु का घोघला, कर्नाटक का कासरकोड व पदुबिद्री, केरल का कप्पड, आंध्र प्रदेश का रुषिकोंडा, ओडिशा का गोल्डन और अंडमान व निकोबार का राधानगर तट हैं.

भारत में ‘ब्लू फ्लैग’ के मानकों के मुताबिक समुद्र तटों को विकसित करने का पायलट प्रोजेक्ट दिसंबर 2017 में शुरू किया था. ओडिशा के कोणार्क तट पर चंद्रभागा बीच भारत का पहला बीच है जिसे ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेट मिला है. यह ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त करने वाला एशिया का पहला समुद्र तट है.

ब्लू फ्लैग प्रमाणन क्या है?

ब्लू फ्लैग दुनिया का सबसे मान्यता प्राप्त व प्रतिष्ठित स्वैच्छिक इको लेबल (पर्यावरण हितैषी) अवार्ड है जो समुद्र तटों को दिया जाता है. ब्लू फ्लैग कार्यक्रम को फ्रांस के पेरिस से शुरू किया गया था.
यह प्रमाणन डेनमार्क की एजेंसी द्वारा 33 सख्त मानदंड के आधार पर किया जाता है. ये मानदंड चार प्रमुख वर्गों- पर्यावरण सूचना और शिक्षा, स्नान के लिए जल की गुणवत्ता, पर्यावरण प्रबंधन और संरक्षण तथा समुद्र तट पर सुरक्षा और सेवाओं से संबंधित हैं.

देश की 100वीं किसान रेल संगोला और शालीमार के बीच शुरू किया गया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 दिसम्बर को वीडिया कांफ्रेंस के जरिये 100वीं किसान रेल को झंडी दिखाकर रवाना किया. इस किसान रेल का परिचालन महाराष्ट्र में संगोला और पश्चिम बंगाल में शालीमार के बीच किया जायेगा.

क्या है किसान रेल?

सरकार ने दूध, मांस, मछली, फल और सब्जियों जैसे जल्दी खराब होने वाले उत्पादों के त्वरित परिवहन के लिए किसान रेल की शुरुआत की थी. किसान रेल में रेफ्रिजरेटेड वैन की सुबिधा होती है.

पहली किसान रेल 7 अगस्त 2020 को देवलाली से दानापुर के लिए शुरू की गई थी, जिसे बाद में मुजफ्फरपुर तक बढा दिया गया था. भारत सरकार ने फलों और सब्जियों के परिवहन पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी है. किसान रेल, देश में कृषि उत्पादों के त्वरित परिवहन के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुई है.

भारत 2025 तक दुनिया की पांचवीं और 2030 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा

ब्रिटेन के प्रमुख आर्थिक अनुसंधान संस्थान सेंसटर फार इकोनॉमिक एंड बिजनेस रिसर्च (CEBR) ने हाल ही में अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत 2025 तक दुनिया की पांचवीं और 2030 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.

इस रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था एक पायदान नीचे खिसक कर छठे स्थान पर आ गई है. भारत 2019 में ब्रिटेन से ऊपर निकल कर पांचवें स्थान पर पहुंच गया था. रुपये के कमजोर होने से 2020 में ब्रिटेन पुन: भारत से ऊपर आ गया. रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन 2024 तक आगे बना रहेगा और उसके बाद भारत आगे निकल जाएगा.

रिपोर्ट में अनुमान है कि 2021 में भारत की वृद्धि 9 प्रतिशत और 2022 में 7 प्रतिशत रहेगी. आर्थिक वृद्धि की अनुमानित दिशा के अनुसार अर्थव्यवस्था के आकार में भारत 2025 में ब्रिटेन से, 2027 में जर्मनी से और 2030 में जापान से आगे निकल जाएगा. CEBR का अनुमान है कि चीन 2028 में अमेरिका से ऊपर निकल कर विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएगा.