RBI द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक, रेपो दर 4 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर बरकरार

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 7-9 अक्टूबर को मुंबई में हुई. यह चालू वित्त वर्ष (2020-21) की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक थी. इस बैठक में समिति ने नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं करने का निर्णय लिया है.

इस बैठक में RBI ने रेपो दर को 4 प्रतिशत और बैंक दर को 4.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है. RBI ने चालू वित्त वर्ष में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दर में 9.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है.

रेपो रेट कम होने से कैसे लोगों को होता है फायदा?

रेपो रेट के कम होने से बैंकों को RBI से कम व्याज पर कर्ज मिलता है. इस सस्ती लागत का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों को मिलता है. इससे बैंकों को घर, दुकान, पर्सनल और कार के लिये लोन कम दरों पर देने का मौका मिलता है. ग्राहकों के चल रहे लोन पर EMI का भी कम होता है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर4%
रिवर्स रेपो दर3.35%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MCF)4.25%
बैंक दर4.25%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)3%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

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भारतीय कपास के लिए पहली बार ब्रांड और लोगो जारी किया गया

सरकार ने भारतीय कपास के लिए पहली बार ब्रांड और लोगो जारी किया है. केंद्रीय कपड़ा और महिला बाल विकास मंत्री स्मृति जुबानी ईरानी ने 8 अक्टूबर को दूसरे विश्व कपास दिवस के मौके पर जारी किया.

भारत के प्रीमियम कपास को कस्तूरी कॉटन के नाम से जाना जाएगा

इसके बाद अब भारत के प्रीमियम कपास को विश्व कपास ट्रेड (world cotton Trade) में कस्तूरी कॉटन (Kasturi Cotton) के नाम से जाना जाएगा. यह कस्तूरी कॉटन ब्रांड सफेदी, चमक, कोमलता, शुद्धता, सुंदरता, विशिष्टता और भारतीयता का प्रतिनिधित्व करेगा.

भारत में कपास का उत्पादन

कपास भारत की मुख्य व्यावसायिक फसलों में से एक है. चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कपास का उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है. भारत में हर साल करीब 60 लाख टन कपास का उत्पादन होता है जो कि पूरी दुनिया का करीब 23 फीसदी है. इसी तरह भारत दुनिया के कुल जैविक कपास (organic cotton) के उत्पादन का 51 फीसदी उत्पादन करता है.

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MSME के बेहतर भविष्य के लिए पांच कार्यबलों का गठन किया गया

सरकार ने देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करने के लिए पांच कार्यबलों का गठन किया है. यह कार्यबल एक महीने के लिए काम करेगा. इसका उद्देश्य यह देखना है कि भारत एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र और दुनिया में एक प्रमुख निर्यातक बन जाए.

ये पांच कार्यबल पहचाने गए पांच क्षेत्रों में कार्य करेगा.

  1. पहला क्षेत्र उद्योग 4.0 है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 3 डी और आभासी वास्तविकता (वर्चुअल रियलिटी) जैसे आयाम शामिल हैं. इस कार्यबल का गठन भारत को उद्योग 4.0 में वैश्विक अगुवा बनाने के उद्देश्य से किया गया है.
  2. दूसरा क्षेत्र निर्यात संवर्धन और आयात में कमी है, जिसमें प्रमुख विनिर्माण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना और हमारे गुणवत्ता मानकों, डिजाइन व प्रौद्योगिकी तथा पैकेजिंग में सुधार करना शामिल है.
  3. तीसरा क्षेत्र यह है कि हमारी मौजूदा क्लस्टर योजनाओं को कैसे नियोजित किया जाए कि वे सूक्ष्म-स्तरीय उद्यमों के साथ-साथ अत्याधुनिक उद्यमों की सहायता कर सकें.
  4. चौथा कार्यबल हमारे प्रौद्योगिकी केंद्रों को एकीकृत करने के तरीके पर ध्यान केंद्रित करेगा.
  5. पांचवां कार्यबल ZED (शून्य दोष और शून्य प्रभाव) और LEAN (विनिर्माण प्रतिस्पर्धा के लिये) जैसी विभिन्न आधुनिकीकरण योजनाओं, डिजाइन, बौद्धिक संपदा अधिकारों और विपणन योजना से संबंधित अन्य योजनाओं पर काम करेगा.

उद्योग 4.0 क्या है?
उद्योग 4.0 (Industry 4.0) अथवा चौथी औद्योगिक क्रांति एक सामूहिक शब्द है, जो बहुत सारे समकालीन स्वचालन, डाटा एक्सचेंज तथा विनिर्माण प्रौद्योगिकियों को समाविष्ट करता है.

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विपणन वर्ष 2021-22 के लिए रबी फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में वृद्धि

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-22 विपणन वर्ष के लिए रबी फसलों का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) बढ़ाने का‍ निर्णय लिया है. गेंहू का MSP 50 रुपए प्रति क्विंटल बढाकर 1975 रुपए कर दिया गया है. इसी तरह चने के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में 225 रुपए, जौ के समर्थन मूल्‍य में 75 रुपए और सरसों के समर्थन मूल्य में 225 रुपए की बढ़ोतरी की गई है.

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है. MSP की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की संस्तुति पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है.

सरकार फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

विपणन वर्ष 2021-22 के लिए रबी फसलों का MSP

फसलप्रति क्विंटल MSPवृद्धि
गेहूं197550
जौ160075
सरसों4650225
चना5100255
कुसुभ5327112
मसूर5100300
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स्टार्टअप को बढ़ावा देने वाले राज्यों की रैंकिंग जारी, गुजरात को सर्वश्रेष्ठ राज्य का सम्मान

केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने स्टार्टअप को बढ़ावा देने वाले राज्यों की रैंकिंग 11 सितम्बर को जारी की. इस सूची में जहां गुजरात को सर्वश्रेष्ठ राज्य वहीं अंडमान निकोबार को सर्वश्रेष्ठ केंद्र शासित प्रदेश का सम्मान दिया गया है. जबकि कर्नाटक, केरल को भी श्रेष्ठ राज्य घोषित किया गया.

सरकार ने युवाओं को स्वरोजगार देने के लिए स्टार्टअप इंडिया की शुरूआत की थी. इसका मकसद देश में उभरते उद्यमियों को प्रोत्साहन देना है. इसका लक्ष्य स्टार्टअप को टैक्स में छूट और इंस्पेक्टर-राज मुक्त व्यवस्था देना है. इसी के साथ दुनिया में भारत दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप ईकोसिस्टम वाला देश बन गया है.

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NSO ने पहली तिमाही के आर्थिक विकास के आंकडे जारी किये, GDP में 23.9 फीसदी की गिरावट

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने चालू वित्त वर्ष (2020-21) की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के आर्थिक विकास के आंकडे हाल ही में जारी किये. इन आंकड़े के अनुसार स्थिर मूल्य (2011-12) पर देश की GDP 26.90 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 2019-20 की पहली तिमाही में 35.35 लाख करोड़ रुपये था. यानी इसमें 23.9 फीसदी की गिरावट आई है जबकि एक साल पहले 2019-20 की पहली तिमाही में इसमें 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी.

चालू वित्त वर्ष (2020-21) की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) आंकडे: मुख्य बिंदु

  • सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये 25 मार्च से पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ (बंद) लगाया था. इसका असर अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर पड़ा है.
  • इन आंकड़े के अनुसार देश में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 23.9 फीसदी की गिरावट आई है. आंकड़े के अनुसार सकल GDP में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • कृषि को छोड़कर मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और सर्विस सेक्टर का प्रदर्शन खराब रहा है. सबसे अधिक प्रभाव निर्माण उद्योग पर पड़ा है. जो 50 फीसदी से भी अधिक गिरा है.
  • विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 39.3 फीसदी की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में इसमें 3 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • निर्माण क्षेत्र में GVA वृद्धि में 50.3 फीसदी की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • कृषि क्षेत्र में इस दौरान 3.4 फीसदी की वृद्धि हुई. एक साल पहले 2019-20 की पहली तिमाही में 3 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • खनन क्षेत्र उत्पादन में 23.3 फीसदी की गिरावट आई जबकि एक साल पहले 2019-20 इसी तिमाही में 4.7 की वृद्धि हुई थी.
  • बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगी सेवा क्षेत्र में 7 फीसदी गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 8.8 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से जुड़ी सेवाओं में 7 फीसदी की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में 3.5 फीसदी की वृद्धि हुई थी.
  • इस बीच, चीन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही में 3.2 फीसदी की वृद्धि हुई है. इससे पहले, जनवरी-मार्च, 2020 तिमाही में 6.8 फीसदी की गिरावट आई थी.
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समुद्री खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता की जाँच के लिए पोरबंदर में प्रयोगशाला शुरू की गयी

समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) ने समुद्री खाद्य उत्पादों का प्रसंस्करण और निर्यात करने वालों के लिए पोरबंदर में एक गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला (Quality Control Lab) शुरू की है. इसका उद्देश्य समुद्री खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता को अन्तर्राष्ट्रीय नियामक जरूरतों के अनुसार सुनिश्चित करना है. MPEDA के अध्यक्ष के एस श्रीनिवास ने 15 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया.

इस प्रयोगशाला में उन्नत परीक्षण उपकरण हैं, जो एंटीबायोटिक अवशेषों, भारी धातुओं, जैसे कैडमियन, सीसा, पारा और आर्सेनिक आदि का पता लगा सकते हैं. प्रयोगशाला ने राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (NABL) और निर्यात जांच परिषद (EIC) की मान्यता हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

गुजरात के समुद्री खाद्य उत्पादों के निर्यात में एंटीबायोटिक अवशेषों के मामले अपेक्षाकृत कम आए हैं, लेकिन भारी धातुओं, मुख्य रूप से कैडमियम की उपस्थिति के कारण विदेशों में कई खेप को खारिज किया जा चुका है.

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तनावग्रस्त लोन की रीस्ट्रक्चरिंग के लिए केवी कामत समिति का गठन किया गया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने तनावग्रस्त लोन (stressed assets) को बिना NPA घोषित किए, उसकी रीस्ट्रक्चरिंग के लिए एक एक्सपर्ट समिति का गठन किया है. केवी कामत को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.

यह समिति लोन रीकास्ट विंडो पर RBI को सुझाव देगी और वित्तीय शर्तों और किसी खास सेक्टर के लिए खास मानक पर अपनी सिफारिश देगी. समिति की सिफारिश पर विचार करने के बाद RBI इस लोन रीकास्ट विंडो पर फाइनल नोटिफिकेशन 30 दिनों के अंदर जारी करेगा.

RBI ने मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए 6 अगस्त को बैंको को stressed assets को बिना NPA घोषित किए, उसकी रीस्ट्रक्चरिंग करने की सुविधा दी थी. बैंक इस सुविधा का इस्तेमाल 31 दिसंबर 2020 तक कभी भी कर सकेंगे.

केवी कामत समिति के सदस्य

केवी कामत की अध्यक्षता वाली इस कमिटी में एशियन डेवलपमेंट बैंक के वाइस प्रेसीडेंट दिवाकर गुप्ता, कैनरा बैंक के चेयरमैन टीएन मनोहरन और इंडियन बैंक एसोसिएशन के सीईओ अश्विन पारेख भी होंगे. अश्विन पारेख इस समिति के सेक्रेटरी होंगे.

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RBI मौद्रिक नीति समिति की बैठक, नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं करने का निर्णय

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 4-6 अगस्त को मुंबई में हुई. यह चालू वित्त वर्ष (2020-21) की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक थी. इस बैठक में समिति ने सर्वसम्मति से नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं करने का निर्णय लिया गया.

इस बैठक में RBI ने रेपो दर को 4 प्रतिशत और बैंक दर को 4.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया है. RBI गवर्नर ने कहा कि उपभोक्‍ता सूचकांक आधारित मुद्रास्‍फीति की दर जो मार्च 2020 में 5.8 प्रतिशत थी, वह जून में अंतरिम अनुमानों के अनुसार 6.1 प्रतिशत हो गई थी.

रेपो रेट कम होने से कैसे लोगों को होता है फायदा?

रेपो रेट के कम होने से बैंकों को RBI से कम व्याज पर कर्ज मिलता है. इस सस्ती लागत का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों को मिलता है. इससे बैंकों को घर, दुकान, पर्सनल और कार के लिये लोन कम दरों पर देने का मौका मिलता है. ग्राहकों के चल रहे लोन पर EMI का भी कम होता है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर4%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर3.65%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर4.25%
बैंक दर4.25%
CRR3%
SLR18%

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

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RBI ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की, मार्च 2020 में बैंकों का NPA 8.5 प्रतिशत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 24 जुलाई को वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report-FSR) का 21वाँ अंक जारी किया. इस रिपोर्ट में देश की वित्तीय प्रणाली के सुदृढ़ होने की बात कही गयी है.

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • वित्तीय संस्थाओं को कोविड​-19 महामारी और उसके बाद के दौर में जोखिम से अत्यधिक दूरी बनाने से बचना चाहिए.
  • बैंक और वित्तीय मध्यस्थों के लिए अभी सर्वोच्च प्राथमिकता पूंजी के स्तर को बढ़ाने और लचीलेपन में सुधार लाने की होनी चाहिए.
  • RBI ने आशंका जताई है कि बैंकों का गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) मार्च 2021 तक बढ़कर 12.5 फीसद हो सकता है. मार्च 2020 में बैंकों का NPA 8.5 फीसद पर था.

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट: एक दृष्टि

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) प्रत्येक 6 माह में वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) प्रकाशित करता है. इस रिपोर्ट में भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता मूल्यांकन प्रस्तुत किया जाता है.

NPA क्या है?

NPA (Non-Performing Asset) बैंक का वह कर्ज है जो डूब गया है और जिसे फिर से वापस आने की उम्मीद ना के बराबर होती है.

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अमेरिका लगातार दूसरे साल भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना रहा

अमेरिका लगातार दूसरे साल 2019-20 में भी भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना रहा. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2018-19 में 87.96 अरब डॉलर था.

भारत-अमेरिका व्यापार अधिशेष भारत के पक्ष में

अमेरिका उन चुनिंदा देशों में एक है, जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है. आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर बढ़कर 17.42 अरब डॉलर भारत के पक्ष में रहा. 2018-19 में अधिशेष 16.86 अरब डॉलर था.

भारत और चीन द्विपक्षीय व्यापार

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2019-20 में घटकर 81.87 अरब डॉलर रह गया, जो 2018-19 में 87.08 अरब डॉलर था. दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर भी 53.57 अरब डॉलर से घटकर 48.66 अरब डॉलर रह गया.

अमेरिका 2018-19 में चीन को पीछे छोड़कर भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार बन गया था. आंकड़ों के मुताबिक, चीन 2013-14 से 2017-18 तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था. चीन से पहले, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था.

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि अवसंरचना कोष को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई अखिल भारतीय केन्‍द्रीय योजना ‘कृषि अवसंरचना कोष’ (Agriculture Infrastructure Fund) को मंजूरी दी है. इस योजना के तहत फसल के बाद प्रबंधन के लिए व्यावहारिक परियोजनाओं में निवेश के लिए मध्यम और दीर्घकालिक ऋण की सुविधा दी जाएगी.

कृषि अवसंरचना कोष: मुख्य बिंदु

  • इस योजना की अवधि वित्त वर्ष 2020 से 2029 तक दस वर्षों के लिए होगी. इसके तहत, चालू वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी के साथ अगले चार वर्षों में ऋणों का भुगतान किया जाएगा. अगले तीन वित्तीय वर्षों में 30 हजार करोड़ रुपये वितरित किए जाएंगे.
  • योजना के तहत देश में बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से किसान उत्पादक संगठनों (FPO), स्टार्टअप्स, प्राथमिक कृषि साख समितियों, कृषि-उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
  • इस वित्तपोषण सुविधा के तहत सभी ऋणों में दो करोड़ की सीमा तक प्रति वर्ष 3 प्रतिशत का ब्याज अनुदान होगा. यह अनुदान अधिकतम सात वर्षों की अवधि के लिए उपलब्ध होगा. इसके अलावा पात्र उधारकर्ताओं को दो करोड़ रुपए तक के ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज योजना के तहत क्रेडिट गारंटी कवरेज उपलब्ध होगा.
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