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स्टील्थ युद्धपोत INS तारागिरी को मुंबई में लॉन्च किया गया

भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17A के तीसरे स्टील्थ युद्धपोत तारागिरी (Warship Taragiri) को मुंबई में लॉन्च किया गया था. लॉन्चिंग समारोह मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में आयोजित किया गया था.

इस युद्धपोत का मूल्य लगभग 25,700 करोड़ रुपये है. इसे भारतीय नौसेना के इन-हाउस ब्यूरो ऑफ नेवल डिजाइन की ओर से डिजाइन किया गया है.

मुख्य बिन्दु

  • इस जहाज को एकीकृत निर्माण पद्धति के द्वारा बनाया गया है. यानी जहाज के हिस्सों का निर्माण अलग-अलग जगहों पर हुआ है और फिर इसे एक जगह लाकर जोड़ दिया गया.
  • यह जहाज P17 फ्रिगेट्स (शिवालिक क्लास) का उन्नत संस्करण हैं, और यह बेहतर स्टील्थ फीचर्स, अत्याधुनिक हथियार और सेंसर और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम से लैस है.
  • तारागिरी पूर्ववर्ती तारागिरी, लिएंडर क्लास ASW फ्रिगेट का पुनर्निर्माण है. पूर्ववर्ती तारागिरी 16 मई 1980 से 27 जून, 2013 तक सेवा में था.
  • प्रोजेक्ट 17A का पहला जहाज ‘नीलगिरी’ 28 सितंबर, 2019 को लॉन्च हुआ था. वह 2024 के शुरुआती छह महीनों में समुद्री परीक्षणों के लिए अपेक्षित है. वहीं परियोजना के तहत दूसरे जहाज ‘उदयगिरी’ को 17 मई 2022 को लॉन्च किया गया था. इसके 2024 के मध्य में समुद्री परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है.
  • युद्धपोत ‘तारागिरी’ 3510 टन वजनी है. 149 मीटर लंबा और 17.8 मीटर चौड़ा ये जहाज दो गैस टर्बाइन और दो मुख्य डीजल इंजनों के संयोजन से संचालित होगा. इसकी गति 28 समुद्री मील (लगभग 52 किमी प्रति घंटे) से अधिक होगी.
  • INS तारागिरी का डिस्प्लेसमेंट 6670 टन है. इस स्वदेशी युद्धपोत पर 35 अधिकारियों के साथ 150 लोग तैनात किए जा सकते हैं.

भारत ने QRSAM मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

भारत ने 8 सितम्बर को त्वरित प्रतिक्रिया मिसाइल (QRSAM) मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा ओड़िसा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया था. यह प्रणाली अब सेना के बेड़े में शामिल होने के लिए तैयार है.

इस परीक्षण में उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों के खिलाफ उड़ान परीक्षण किए गए थे. इसमें लंबी दूरी व मध्यम ऊंचाई वाले लक्ष्य, छोटी रेंज वाले लक्ष्य, ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्य, राडार पर आसानी से पकड़ में न आने वाले लक्ष्य शामिल थे.

QRSAM मिसाइल: मुख्य बिन्दु

  • यह सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित प्रतिक्रिया मिसाइल है. इसे दागो और भूल जाओ की तकनीकी के साथ विकसित की गई है.
  • इस मिसाइल प्रणाली में सभी स्वदेशी उपकरण लगे हैं, जिसमें स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी वाली मिसाइल, सचल लॉन्चर, पूरी तरह स्वचालित कमान एवं नियंत्रण प्रणाली तथा निगरानी रडार शामिल हैं.

कैबिनेट ने ‘LCA तेजस मार्क 2’ मल्टीरोल फाइटर जेट विकसित करने की परियोजना को मंजूरी दी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) ने ‘LCA तेजस मार्क-2’ मल्टीरोल फाइटर जेट (Multirole fighter jet) विकसित करने की परियोजना को 2 सितम्बर मंजूरी दी थी. इसे 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पूरा किया जाएगा.

LCA (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) तेजस मार्क-2: एक दृष्टि

  • तेजस मार्क-2, तेजस मार्क-1 स्वदेशी विमान का अधिक सक्षम और शक्तिशाली संस्करण है. तेजस मार्क-1, एक एकल इंजन और अत्यधिक गति वाला मल्टीरोल सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित किया गया है.
  • तेजस मार्क-2 में 98 किलोन्यूटन थ्रस्ट क्लास का शक्तिशाली GE-414 इंजन लगाया गया है जो तेजस मार्क 1 के जीई-404 इंजन से अधिक क्षमता रखता है.
  • तेजस मार्क-1 की तुलना में तेजस मार्क- 2 का वजन थोड़ा ज्यादा होगा. तेजस मार्क-1 जहां 13.5 टन का है, वहीं मार्क-2 17.5 टन का है.
  • तेजस 2.0 जेट का पहला हाई-स्पीड परीक्षण 2023 में शुरू होगा और उत्पादन 2025 के आसपास शुरू होने की उम्मीद है.
  • तेजस हवाई युद्ध और आक्रामक हवाई ऑपरेशन के लिए एक शक्तिशाली जेट है, जिसमें टोही और एंटी-शिप ऑपरेशन इसकी ताकत है.

प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘INS विक्रांत’ नौसेना में शामिल, नौसेना के लिए नए ध्वज का अनावरण

भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (एयरक्राफ्ट कैरियर) ‘INS विक्रांत’ को 2 सितमबर को नौसेना में शामिल किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में इसे नौसेना को समर्पित किया था.

इस उपलब्धि के साथ ही भारत उन देशों के एलीट समूह में शामिल हो गया, जो एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने में सक्षम हैं. फिलहाल, इन देशों की सूची में अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और चीन का नाम शामिल है.

INS विक्रांत: एक दृष्टि

  • 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ INS विक्रांत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा विमानवाहक पोत है. यह 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है. यह चार जनरल इलेक्ट्रिक गैस टर्बाइन द्वारा संचालित है.
  • INS विक्रांत को स्वदेशी विमान वाहक वन (IAC-1) के रूप में भी जाना जाता है. इसका निर्माण भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड, केरल द्वारा किया गया है. इसका नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर रखा गया है.
  • इसका आदर्श वाक्य “जयमा सम युधि स्पर्धाः” है. यह ऋग्वेद से लिया गया है. इसका अर्थ है “मैं उनको हराता हूं जो मेरे खिलाफ लड़ते हैं”.
  • इसके फ्लाइट डेक का आकार फुटबॉल के दो मैदानों के बराबर हो जाता है. यह वाहक एक 28 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार के साथ एक बार में 7500 नॉटिकल मील (करीब 14 हजार किमी) की दूरी तय कर सकता है.
  • इस विशाल जहाज में कुल 18 फ्लोर हैं, जिनमें 2400 कंपार्टमेंट्स का निर्माण हुआ है. यहां 1600 स्ट्रॉन्ग क्रू रह सकती है. इसपर एक आधुनिक सुविधाओं से लैस एक किचन है, जिसमें मौजूद एक यूनिट प्रति घंटा 3 हजार रोटियां तैयार कर सकती है.
  • इसके मेडिकल कॉम्प्लैक्स में आधुनिक ऑपरेशन थिएटर के साथ 16 बिस्तर मौजूद हैं. साथ ही यहां फिजियोथैरेपी क्लीनिक, आईसीयू, पैथोलॉजी, सीटी स्कैनर और एक्स-रे मशीनों के साथ रेडियोलॉजी विंग, डेंटल और आइसोलेशन सुविधाएं मौजूद हैं.
  • INS विक्रांत पर 30 विमानों का समूह रह सकता है. मिग-29के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर्स, एमएच-60आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर्स और हल्के लड़ाकू विमान शामिल हैं. इस कैरियर पर ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात हो सकती है.
  • इसके निर्माण में 76 फीसदी स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल हुआ है. यह एंटी सबमरीन वॉरफेयर, एंटी सर्फेस, एंटी एयर वॉरफेयर जैसे कई आधुनिक सिस्टम से लैस है.
  • भारत के पास अब दो विमानवाहक पोत हैं- INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य. INS विक्रमादित्य को भारत ने 2004 में रूस से 2.35 बिलियन डॉलर में खरीदा था.

भारतीय नौसेना के लिए नए ध्वज का अनावरण

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना के लिए नए ध्वज का भी अनावरण किया. पुराने झंडे में तिरंगे के साथ सेंट जॉर्ज क्रॉस (अंग्रेजों की निशानी) को भी रखा गया था. नए ध्वज में छत्रपति शिवाजी महाराज के चिन्ह को अपनाया गया है. नए निशान पर भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य ‘सम नो वरुणः’ अंकित है.
  • 15 अगस्त, 1947 को देश जब आजाद हुआ तो भारतीय रक्षा बलों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक झंडे और बैज को जारी रखा था. 26 जनवरी, 1950 को नौसेना के ध्वज में यूनियन जैक की जगह तिरंगा लगाया गया था. जॉर्ज क्रॉस को बरकरार रखा गया था. सफेद बैकग्राउंड पर लाल क्रॉस को सेंट जॉर्ज क्रॉस के रूप में जाना जाता है.
  • नए ध्वज के ऊपरी कैंटन पर राष्ट्रीय ध्वज है. राष्ट्रीय प्रतीक के साथ एक नीला अष्टकोणीय आकार भी है. यह नौसेना के आदर्श वाक्य के साथ ढाल पर लगाया जाता है.

नौसेना की महिला अधिकारियों ने पहला स्वतंत्र समुद्री निगरानी मिशन पूरा किया

भारतीय नौसेना की महिला अधिकारियों के दल ने डोर्नियर 228 विमान पर सवार होकर उत्तरी अरब सागर में पहला स्वतंत्र समुद्री निगरानी मिशन पूरा कर इतिहास रच दिया है.

मिशन को गुजरात के पोरबंदर में नौसेना एयर एन्क्लेव स्थित नौसेना की एयर स्क्वाड्रन INAS-314 की पांच महिला अधिकारियों ने पूरा किया.

मिशन की कप्तानी लेफ्टिनेंट कमांडर आंचल शर्मा ने की. इस दल में लेफ्टिनेंट कमांडर आंचल शर्मा, लेफ्टिनेंट शिवांगी, लेफ्टिनेंट अपूर्वा गीते, लेफ्टिेनेंट पूजा पांडा और सब-लेफ्टिनेंट पूजा शेखावत शामिल थीं.

INS विक्रांत को भारतीय नौसेना को सौंपा गया

स्वदेशी विमान वाहक पोत INS विक्रांत को 27 जुलाई को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया गया. यह भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है जिसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड ने किया है. इन्हें अगस्त 2022 में नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा.

INS विक्रांत: एक दृष्टि

  • विक्रांत को नौसेना को सौंपे जाने के साथ ही भारत उन चुनिंदा राष्ट्रों में शामिल हो गया है जो देश में ही विमान वाहक समुद्री जहाज का निर्माण करते हैं.
  • इसका नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत के सम्मान में रखा गया है. भारत के पहले विमान वाहक जहाज का नाम भी विक्रांत था जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उस विक्रांत को 31 जनवरी 1997 को कार्य मुक्त किया गया था.
  • INS विक्रांत, भारत में बनाया गया अभी तक का सबसे बड़ा युद्धपोत है. यह 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा तथा 45,000 टन भारी है. यह विमानवाहक पोत 30 लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों को ले जाने में सक्षम है.

सेना के तीनों अंगों की संयुक्त थिएटर कमान स्थापित करने की घोषणा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के तीनों अंगों की संयुक्त थिएटर कमान स्थापित करने की घोषणा की. इस कमान का उद्देश्य सशस्त्र बलों के बीच समन्वय बढ़ाना है. उन्होंने यह घोषणा जम्मू में 24 जुलाई को करगिल शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा.

रक्षा मंत्री के संबोधन के मुख्य बिन्दु

  • भारत रक्षा उपकरणों के मामले में दुनिया के सबसे बड़े आयातक से एक निर्यातक बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
  • भारत (रक्षा उत्पादों का) दुनिया का सबसे बड़ा आयातक था. आज, भारत दुनिया का सबसे बड़ा आयातक नहीं है, बल्कि रक्षा निर्यात में शामिल शीर्ष 25 देशों में से एक है.
  • देश ने 13,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात शुरू कर दिया है और 2025-26 तक इसे बढ़ाकर 35,000 रुपये से 40,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा गया है.

देश का पहला मानव रहित लड़ाकू विमान का सफल परीक्षण किया गया

भारत ने पहला मानव रहित लड़ाकू विमान “मानवरहित कॉम्‍बेट एरियल व्‍हीकल” (UCAV)  का सफल परीक्षण 1 जुलाई को किया था. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने यह परीक्षण कर्नाटक के चित्रगुप्त स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में किया गया था.

मुख्य बिंदु

  • इस परीक्षण में ‘ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर’ के जरिए इस उड़ान को परखा गया. इस विमान ने बिना किसी पॉयलेट की मदद के उड़ने से लेकर लैंड करने तक सारा काम खुद किया.
  • यह विमान स्‍वचालित है. बिना किसी मदद के विमान उड़ने से लेकर उतरने तक के सभी कामों को बखूबी अंजाम दे सकता है. इसमें टेक ऑफ, वे प्‍वाइंट नेविगेशन और आसानी से ग्राउंड टचडाउन शामिल हैं.
  • यह स्‍वचालित विमान निर्मित करने की दिशा में महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है. यह सैन्‍य प्रणाली के संदर्भ में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
  • इसके साथ ही भारत के गोपनीय मानवरहित कॉम्‍बेट एरियल व्‍हीकल (UCAV) का सफल परीक्षण कर एक उपलब्धि प्राप्त कर ली है. इसे स्‍टील्‍थ विंग फ्लाइट टेस्‍ट बेड (स्विफ्ट) भी कहा जाता है.
  • यह कार्यक्रम भारत के पांचवीं पीढी के स्‍टील्‍थ फाइटर एडवांस मीडियम कम्‍बेट एयरक्राफ्ट विकसित करने से संबंधित है. यह उड़ान पूरी तरह से स्वचालित थी.

भारतीय सेनाओं में भर्ती के लिए ‘अग्निपथ योजना’ की शुरुआत

भारतीय सेनाओं में भर्ती के लिए ‘अग्निपथ योजना’ (Agneepath Recruitment Scheme) की शुरुआत हुई है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस योजना की घोषणा 14 जून को की थी. इससे पहले इस योजना की मंजूरी केंद्र सरकार के रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने दी थी.

इस योजना का मुख्य लक्ष्य तीनों सेनाओं में युवाओं को जोड़ना और उन्हें भविष्य के लिए कुशल नागरिक बनाना है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस योजना से भारत की सेनाओं में क्रांतिकारी बदलाव आएगा.

अग्निपथ योजना: मुख्य बिंदु

  • इस योजना के तहत भर्ती किए जाने वालों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा. अग्निवीरों को राज्यों, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग, मंत्रालयों में नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी.
  • अग्निपथ योजना के लिए देश के ITI और अन्य शिक्षण संस्थानों से युवाओं को भर्ती किया जाएगा. अग्निपथ योजना के तहत, पुरुष और महिला दोनों को अग्निवीर बनने का मौका दिया जाएगा.
  • 17.5 साल से लेकर 21 साल तक के युवा इस सेवा में शामिल होने के लिए योग्य होंगे. वर्तमान में सेना के जो मेडिकल और फिजिकल स्टैंडर्ड हैं वही मान्य होंगे.
  • 10वीं और 12वीं पास कर चुके युवा (सैन्य बलों की नियम और शर्तों के अनुसार) अग्निवीर बन सकते हैं.
  • अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए जाने वालों को 10 हफ्ते से लेकर छह महीने तक की ट्रेनिंग दी जाएगी.
  • इस तरह चुने गए कैंडिडेट्स, अग्निवीर के तौर पर 4 साल तक सेना में काम करेंगे. मेरिट के आधार पर 25 फीसदी अग्निवीरों को रेगुलर कैडर में समायोजित कर लिया जाएगा. अन्य नौकरियों में भी उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी.
  • अग्निवीरों की सालाना सैलरी 4.76 लाख रुपये होगी. चौथे साल में यह सैलरी बढ़कर 6.92 लाख रुपये हो जाएगी. सेना में 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद करीब 11.7 लाख रुपये एकमुश्त ब्याज समेत दिया जाएगा.
  • अगर इस सेवा के दौरान कोई जवान शहीद होता है तो उसके परिवार को पूरा इंश्योरेंस कवर मिलेगा. इसके अलावा, शहीद के परिवार को सेवा निधि समेत लगभग एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे, शहीद की बची हुई सेवा की पूरी सैलरी भी परिवार को मिलेगी.

INS सूरत और INS उदयगिरि युद्धपोत को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया

भारतीय नौसेना में दो युद्धपोतों INS सूरत और INS उदयगिरि युद्धपोत को शामिल किया गया है. इसका उद्धघाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 17 मई को मझगांव डॉक में किया था. इन दोनों युद्धपोतों का डिजाइन नौसेना के नेवल डिजाइन निदेशालय ने किया है और उन्हें मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) मुंबई में बनाया गया है.

INS सूरत

  • INS सूरत भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15B का डिस्ट्रॉयर युद्धपोत (नेक्स्ट जेनरेशन स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर) है. प्रोजेक्ट 15B का पहला युद्धपोत INS विशाखापट्टनम भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है. जबकि बाकी 2 युद्धपोत INS मोरमुगाओ और INS इंफाल का ट्रायल चल रहा है.
  • इसका नाम गुजरात की व्यापारिक राजधानी सूरत शहर पर INS सूरत रखा गया है. यह एक फ्रंटलाइन युद्धपोत है, जिसे गाइडेड मिसाइल से लैस किया गया है. यह युद्धपोत 15A यानी कोलकाता क्लास डिस्ट्रॉयर युद्धपोत की तुलना में बड़ा है.
  • इसका वजन 7400 टन और इसकी लंबाई 163 मीटर है. यह विध्वंसक पोत 56 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकता है. इसमें ब्रम्होस जैसे आधुनिक मिसाइल, ऐंटी सबमरीन रॉकेट लांचर और कई आधुनिक हथियार फिट किए जा सकते हैं.
  • इस वॉरशिप पर चार इंटरसेप्टर बोट के साथ-साथ 50 अधिकारी और 250 जवान एक समय में रह सकते हैं. यह लगभग 45 दिनों तक समुद्र में रह सकता है और एक बार में 7400 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकता है.

INS उदयगिरि

  • स्वदेशी तकनीक से निर्मित INS उदयगिरि भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17A का तीसरा फ्रिगेट युद्धपोत है. नौसेना के इस प्रोजेक्ट के तहत भारत में ही 7 फ्रिगेट तैयार किए जाने हैं. इस युद्धपोत का नामकरण आंध्र प्रदेश की पर्वत श्रंखला के नाम पर INS उदयगिरि रखा गया है.
  • इस युद्धपोत में सेंसर, प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम और आधुनिक हथियार लगे हुए हैं. यह युद्धपोत के बीते संस्करण का दूसरा रूप है. जिसने 18 फरवरी 1976 से लेकर 24 अगस्त 2007 तक लगातार तीन दशकों तक देश की समुद्र सीमा की रक्षा की है.

इजरायल ने भारत को अत्याधुनिक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल की आपूर्ति की

इजरायल ने भारत को अत्याधुनिक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) की आपूर्ति की है. भारत के इमरजेंसी ऑर्डर पर इजरायल ने इसकी आपूर्ति की है जिसे भारतीय सेना और एयरफोर्स ने अपने बेड़े में शामिल कर लिया है.

मुख्य बिंदु

  • इमर्जेंसी खरीद के तहत पांचवीं जेनरेशन की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों को सीमित संख्या में शामिल किया जा रहा है. ATGM की ज्यादा जरूरतों को ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के माध्यम से पूरा किया जाएगा.
  • इजरायल के इस खतरनाक हथियार को टैंकों का काल यानी ‘टैंक किलर’ (Israeli Tank Killer) कहा जाता है. ये लंबी दूरी तक मार कर सकती हैं. यह जमीन पर 5.5 किमी तक टारगेट को निशाना बना सकती हैं.

स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वागशीर का परीक्षण शुरू किया गया

स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वागशीर (INS Vagsheer) को 20 अप्रैल को मुंबई में समुद्र में उतारा गया. अब इसका समुद्री परीक्षण होगा और इसके बाद इसे मार्च 2024 तक नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा सकेगा.

आईएनएस वागशीर: एक दृष्टि

  • यह समुद्री सीमा की निगरानी से लेकर हमले तक की क्षमताओं से लैस है. इसे मुंबई की मझगांव गोदी में आत्मनिर्भर भारत के तहत बनाया गया है.
  • वागशीर, प्रोजेक्ट -75  (P-75) की स्कॉर्पीन श्रेणी की अंतिम पनडुब्बी है. पी-75 परियोजना के तहत अब तक चार पनडुब्बियां नौसेना में शामिल की जा चुकी हैं. इनमें आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज और आईएनएस वेला शामिल हैं. आईएनएस वागीर का अभी परीक्षण चल रहा है.
  • यह दुनिया की अत्याधुनिक पनडुब्बियों में से एक है. सोनार तकनीक के जरिए यह दुश्मन को चकमा देने में सक्षम है.
  • वागशीर पनडुब्बी को हमलावर पनडुब्बी या हंटर-किलर कहा गया है. यह दुश्मन सेना के युद्धपोतों को समुद्र में डुबोने के काम आएगी.
  • इसकी लंबाई 221 फीट और ऊंचाई 40 फीट है. यह समुद्र में 20 समुद्री मील (37 किमी प्रति घंटे) की गति से चलेगी. यह समुद्र में 350 फीट गहराई तक जा सकती है. 50 दिनों तक पानी में रह सकती है.