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भारत ने पनडुब्बी रोधी मिसाइल सिस्टम ‘SMART’ का सफल परीक्षण किया

भारतीय नौसेना ने 1 मई को ओडिशा में बालासोर तट (एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप) से सुपरसोनिक मिसाइल टॉरपीडो (SMART) प्रणाली सफल परीक्षण किया था. यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय नौसेना के लिए किया था.

मुख्य बिन्दु

  • SMART का पूरा नाम Supersonic Missile Assisted Release of Torpedo है. यह अगली पीढ़ी का पनडुब्बी रोधी मिसाइल सिस्टम है. इसे डीआरडीओ द्वारा ही डिजाइन और विकसित किया गया है.
  • यह मिसाइल लंबी दूरी के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है. SMART मिसाइल को युद्धक जहाज के साथ ही तटीय इलाकों से भी लॉन्च किया जा सकता है. इस प्रणाली में एक लंबी दूरी की सुपरसोनिक मिसाइल वाहक शामिल है.
  • टॉरपीडो एक सिगार के आकार का हथियार (मिसाइल) होता है, जिसे पनडुब्बी, युद्धक जहाज या लड़ाकू विमान से दागा जा सकता है. यह टॉरपीडो अपने लक्ष्य के संपर्क में आते ही विस्फोट हो जाता है.
  • कैनिस्टर आधारित इस मिसाइल सिस्टम में कई आधुनिक सब-सिस्टम हैं, जिनमें दो चरणीय सॉलिड प्रोपल्शन सिस्टम, इलेक्ट्रोमैकेनिकल एक्टुएटर सिस्टम, नेविगेशन सिस्टम आदि शामिल हैं.

भारत ने मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल क्रिस्टल मेज़ 2 का परीक्षण किया

भारत ने 24 अप्रैल को क्रिस्टल मेज 2 मिसाइल (Crystal Maze 2 Missile) के एक नए मॉडल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. मिसाइल परीक्षण के लिए वायुसेना ने अपने सबसे घातक Su-30 MKI लड़ाकू विमान का इस्तेमाल किया था.

मुख्य बिन्दु

  • यह परीक्षण भारत की सामरिक बल कमान ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में किया था.
  • यह परीक्षण नई विकसित प्रौद्योगिकियों की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया गया था.
  • क्रिस्टल मेज 2 मिसाइल मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है. यह 250 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता रखती है.
  • क्रिस्टल मेज 2 इज़राइल द्वारा विकसित एक उन्नत वायु-प्रक्षेपित (हवा से सतह) मिसाइल है. जिसे ROCKS और पॉपआई (Popeye)  के नाम से भी जाना जाता है.

भारत ने निर्भय क्रूज मिसाइल का सफल प‍रीक्षण किया

भारत ने 19 अप्रैल 2024 को निर्भय क्रूज मिसाइल (Nirbhay cruise missile) का सफल परीक्षण किया था. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने यह परीक्षण ओडिशा तट पर चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज में किया था. परीक्षण के दौरान इस मिसाइल ने 864 किमी से 1111 किमी प्रति घंटे की रफ्तार हासिल की थी.

निर्भय मिसाइल: मुख्य बिन्दु

  • निर्भय मिसाइल को स्वदेशी प्रौद्योगिकी क्रूज मिसाइल (Indigenous Technology Cruise Missile, ITCM) के रूप में भी जाना जाता है.
  • यह लंबी दूरी की सब-सोनिक क्रूज मिसाइल है. यह भारत की पहली स्वदेश निर्मित क्रूज मिसाइल है. इस मिसाइल को डीआरडीओ ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है.
  • लॉन्च के समय निर्भय की लंबाई 6.0 मीटर, व्यास 0.5 मीटर और वजन 1,500-1,600 किलोग्राम था. यह 1,000 किलोमीटर की दूरी तक जमीन पर मौजूद लक्ष्य पर हमला कर सकती है.
  • इसमें एक ठोस प्रप्लशन बूस्टर मोटर का उपयोग किया जाता है जो लॉन्च के तुरंत बाद बंद हो जाती है और टर्बोजेट इंजन में बदल जाती है.
  • यह 100 मीटर से भी कम ऊंचाई पर 0.7 मैक (सब-सोनिक) गति से घूमने और परिभ्रमण करने में सक्षम है. यह दो स्टेज की मिसाइल है, पहले दौर में ठोस और दूसरे दौर में तरल ईंधन का इस्तेमाल होता है.
  • यह मिसाइल 200-300 किलोग्राम के परंपरागत हथियार ले जा सकती है. यह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. इसकी अधिकतम रेज 1500 किमी है.
  • इसमें टेरेन हगिंग कैपेबिलिटी भी है. यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें उस पर निशाना लगाकर उसे निष्क्रिय करना मुश्किल होता है.
  • यह मिसाइल जमीन से कम से कम 50 मीटर ऊपर और अधिकतम चार किमी ऊपर उड़कर लक्ष्य को तबाह कर सकती है.
  • इसमें ऐसी प्रणाली है कि यह मिसाइल रास्ते में अपनी दिशा बदल सकती है. यानी यह चलते फिरते टारगेट को भी निशाना बनाने में सक्षम है.
  • यह समुद्र और जमीन दोनों जगहों से दागी जा सकती है. यह मिसाइल समुद्र से कम ऊंचाई पर उड़ते हुए दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम है.

रूस ने भारत को इग्ला-एस मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति की

रूस ने हाल ही में भारत को इग्ला-एस (Igla-S) मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) की आपूर्ति की है. यह सतह-से-हवा में मार करने वाली बहुत कम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली है. इस हथियार की मदद से दुश्मन देश के हेलीकॉप्टर और फाइटर एयरक्राफ्ट को हवा में ही मार गिराया जा सकता है.

इग्ला-एस MANPADS: मुख्य बिन्दु

  • इग्ला-एस एक मानव-पोर्टेबल सतह-से-हवा में मार करने वाली वायु रक्षा प्रणाली (man-portable infrared homing surface-to-air missile system) है.
  • इसे किसी व्यक्ति या चालक दल द्वारा दुश्मन के विमान को गिराने के लिए फायर किया जा सकता है. इस मिसाइल प्रणाली का उद्देश्य भारतीय सेना की बहुत कम दूरी की वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना है.
  • नवंबर 2023 में, भारत ने 120 लॉन्चर और 400 मिसाइलों की खरीद के लिए रूस के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे.
  • उसी सौदे के तहत भारतीय सेना को 24 रूस निर्मित इग्ला-एस मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) के साथ 100 मिसाइलों का पहला बैच मिल गया है.
  • बाकी बची इन प्रणालियों को एक भारतीय कंपनी द्वारा रूस से Transfer of Technology के माध्यम से भारत में बनाया जाएगा.
  • इसमें लगी इग्ला-एस एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल का वजन 10.8 kg है. जबकि इस पूरे सिस्टम का वजन 18 kg है. इस एयर डिफेंस सिस्टम की लंबाई 5.16 फीट होती है और इसका व्यास 72 मिलिमीटर का होता है.
  • इसकी रेंज 5 से 6 किलोमीटर की है. यह मिसाइल 2266 km/hr की स्पीड से टारगेट की तरफ बढ़ती है और अधिकतम 11 हजार फीट तक जा सकती है.

तीनों सेनाओं का पहला सम्मेलन ‘परिवर्तन चिंतन’ दिल्ली में आयोजित किया गया

तीनों सेनाओं का पहला सम्मेलन ‘परिवर्तन चिंतन’ (Parivartan Chintan) 8 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय रक्षा मंत्रालय द्वारा किया गया था. सम्मेलन की अध्यक्षता रक्षा प्रमुख (CDS) जनरल अनिल चौहान ने की थी.

मुख्य बिन्दु

  • भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल विवेक राम चौधरी और भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने हिस्सा लिया.
  • सम्मेलन का उद्देश्य सशस्त्र बलों के बीच संयुक्तता और एकीकरण प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए नए विचार, पहल और सुधार की दिशा में काम करना था. सम्मेलन का उद्देश्य सशस्त्र बलों में परिवर्तनकारी परिवर्तनों को आगे बढ़ाना, भविष्य के युद्धों के लिए तैयार रहने की उनकी तत्परता को मजबूत करना और त्रि-सेवा, बहु-डोमेन संचालन को सक्षम करना है.
  • सम्मेलन में सेना के तीन अंगों के बीच तालमेल बढाने और एकीकरण से संबंधित सुधार, पहल और नए विचारों पर विचार-विमर्श हुआ.
  • सम्मेलन का उद्देश्य सशस्त्र बलों के बीच संयुक्तता और एकीकरण प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए नए विचार, पहल और सुधार की दिशा में काम करना था.
  • देश में सशस्त्र बलों के तीनों सेनाओं को मिलाकर एक एकीकृत थिएटर कमांड (Integrated Theatre Commands) स्थापित करने पर चर्चा हुई.
  • भारत में, तीनों सेनाओं के लिए कुल 17 कमांड बनाए गए हैं. इनमें से 7-7 कमांड थल सेना और वायु सेना के हैं, जबकि 3 नौसेना के कमांड हैं. अंडमान और निकोबार कमांड (एएनसी) और स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (एसएफसी), भारत में मौजूद दो एकीकृत कमांड हैं.
  • एकीकृत थिएटर कमांड लागू होने के बाद, हर कमांड में तीनों सेनाओं के लिए एक ही कमांडर होगा. यह कमांडर, सभी संसाधनों के लिए निर्णय लेने में सक्षम होगा.
  • भारत में एक एकीकृत त्रि-सेवा कमांड स्थापित करने की सिफारिश की थीडीबी शेकतकर समिति ने की थी. लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डीबी शेकतकर समिति का गठन 2015 में केंद्रीय रक्षा मंत्रालय द्वारा की गई थी.
  • दुनिया के कई देशों, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन आदि में थिएटर कमान हैं. अमेरिका थिएटर कमांड सिस्टम के साथ आने वाला पहला देश था. वर्तमान में उसके पास छह भौगोलिक और चार कार्यात्मक कमांड हैं.

आकाश मिसाइल प्रणाली का सफल परीक्षण, सतह से हवा में मार करने में सक्षम

भारत ने 31 मार्च 2024 को आकाश मिसाइल प्रणाली का सफल परीक्षण किया था. यह परीक्षण भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने किया था. आकाश मिसाइल प्रणाली दुश्मन के विमान या मिसाइल को हवा में नष्ट कर सकती है.

आकाश मिसाइल प्रणाली: मुख्य बिन्दु

  • आकाश मिसाइल सिस्टम की सिंगल यूनिट में चार मिसाइलें होती हैं. जो अलग-अलग टारगेट्स को ध्वस्त कर सकती हैं.
  • आत्मनिर्भर भारत पहल को बढावा देने के लिए आकाश मिसाइल प्रणाली को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया है.
  • आकाश मिसाइल डीआरडीओ द्वारा निर्मित एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है. इसकी मारक क्षमता 40 से 80 km है.
  • इसे इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया गया है, जिसमें नाग, अग्नि और त्रिशूल मिसाइल और पृथ्वी बैलिस्टिक मिसाइल का विकास भी शामिल है.
  • भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना के लिए दो मिसाइल संस्करण बनाए गए हैं. भारतीय सेना ने मई 2015 में आकाश मिसाइलों के पहले बैच को शामिल किया था.
  • पहली आकाश मिसाइल मार्च 2012 में भारतीय वायु सेना को सौंपी गई थी. मिसाइल को औपचारिक रूप से जुलाई 2015 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था.
  • आकाश मिसाइल सतह-से-हवा में मार करने वाली प्रणाली पूरी तरह से स्वायत्त मोड में काम करते हुए कई हवाई लक्ष्यों को साध सकती है.
  • प्रणाली में एक लॉन्चर, एक मिसाइल, एक नियंत्रण केंद्र, एक बहुक्रियाशील अग्नि नियंत्रण रडार, एक प्रणाली हथियार और विस्फोट तंत्र, एक डिजिटल ऑटोपायलट, C4I (कमांड, नियंत्रण संचार और खुफिया) केंद्र और सहायक जमीनी उपकरण शामिल हैं.

गुणवत्ता आश्‍वासन महानिदेशालय के पुनर्गठन की अधिसूचना

रक्षा मंत्रालय के तहत रक्षा उत्‍पादन विभाग ने 28 मार्च को गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (DGQA) के पुनर्गठन के लिए अधिसूचना जारी की थी. इस पुनर्गठन का उद्देश्य गुणवत्ता जांचने वाली प्रक्रियाओं और परीक्षणों में तेजी लाना है.

मुख्य बिन्दु

  • इस पुनर्गठन का मकसद गुणवत्ता आश्वासन पद्धति (Quality Assurance methodology) में बदलाव लाना और ओएफबी के निगमीकरण के बाद महानिदेशालय की संशोधित भूमिका को शामिल किया जाना है.
  • रक्षा मंत्रालय के अनुसार विभाग के पुनर्गठन के सभी स्‍तरों पर संयंत्र विनिर्माण के लिए प्रभावी तकनीकी सहयोग मिलेगा और गुणवत्ता में एकरूपता सुनिश्चित होगी.
  • नई संरचना में पृथक रक्षा परीक्षण और मूल्‍यांकन संवर्धन महानिदेशालय का भी प्रावधान होगा, जिससे परीक्षण सुविधाओं का पारदर्शी आवंटन हो सकेगा.
  • इसके अलावा, सभी स्तरों पर संपूर्ण उपकरण/हथियार प्लेटफॉर्म के लिए एकल बिंदु तकनीकी सहायता सक्षम करेगी और उत्पाद की गुणवत्ता भी सुनिश्चित करेगी.
  • DGQA के पुनर्गठन और सुधार के लिए चल रहे उपायों से देश के भीतर हथियार तैयार करने वालों के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति मिलेगी. वहीं, उच्च गुणवत्ता वाले रक्षा उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा.

LCA तेजस मार्क 1A लड़ाकू विमान ने सफलतापूर्ण परीक्षण उड़ान भरी

भारत में निर्मित स्वदेशी तेजस मार्क 1A लड़ाकू विमान (Mark 1A fighter aircraft) ने 28 मार्च को अपनी सफलतापूर्ण पहली उड़ान भरी है. यह परीक्षण तेजस मार्क 1A लड़ाकू विमान की परीक्षण उड़ान जिसमें यह विमान 15 मिनट तक हवा में रहा.

LCA तेजस: मुख्य बिन्दु

  • LCA (Light Combat Aircraft) तेजस एकल इंजन वाला, बहुउद्देश्यीय हल्का लड़ाकू विमान है. इसकी स्पीड 2200 किमी प्रति घंटे है. यह अधिकतम 50 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसको 9 रॉकेट, बम और मिसाइल से लैस किया जा सकता है.
  • इसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए डिजाइन और विकसित किया गया है.
  • तेजस को हवा-से-हवा, हवा-से-सतह, सटीक-निर्देशित और स्टैंडऑफ हथियार ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसकी अधिकतम पेलोड क्षमता 3,500 किलोग्राम है.
  • LCA तेजस के कई संस्करण हैं. तेजस मार्क 1A, मार्क 1 का उन्नत संस्करण है. यह 4+ जेनेरेशन का फाइटर एयरक्रॉफ्ट है. इसमें हवा में फ्यूल भरा जा सकता है. यह AESA रडार, एक आत्म-सुरक्षा जैमर से सुसज्जित है, और यह कई तरह के हथियार ले जा सकता है.
  • HAL इस मार्च के अंत तक वायुसेना को स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट सौंप सकता है. भारतीय वायु सेना ने अपने बेड़े को मजबूत करने के लिए 83 तेजस मार्क 1A विमानों का ऑर्डर दिया है.

भारत ने अग्नि-5 मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

भारत ने 11 मार्च को अग्नि-5 मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. इस परीक्षण को ‘मिशन दिव्यास्त्र’ नाम दिया गया था. यह परीक्षण ओडिशा स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड से किया गया था. अग्नि-5 मिसाइल कई वॉरहेड को ले जाने और कई ठिकानों पर निशाना लगाने में सक्षम है.

अग्नि-5 मिसाइल: मुख्य बिन्दु

  • अग्नि-5 मिसाइल भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है. इसकी रेंज 5000 किमी है. स्वदेश विकसित इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है.
  • यह एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत विकसित सतह-से-सतह पर मार करने वाली लंबी दूरी की एक अत्याधुनिक बैलिस्टिक मिसाइल है.
  • यह मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी से लैस है. यानी इसे एक साथ कई टारगेट्स पर लॉन्च किया जा सकता है. इसका पहला परीक्षण अप्रैल 2012 में MIRV के बिना हुआ था.
  • यह 1.5 टन तक न्यूक्लियर हथियार अपने साथ ले जा सकती है. इसकी स्पीड मैक 24 है, यानी आवाज की स्पीड से 24 गुना ज्यादा.
  • मिशन दिव्यास्त्र के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास MIRV क्षमता है.

भारत ने स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस इंफाल को नौसेना में शामिल किया

भारत ने 26 दिसम्बर को एक समारोह में नवीनतम स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस इंफाल (INS Imphal) को नौसेना में शामिल किया था. यह समारोह डॉकयार्ड, मुंबई में आयोजित किया गया था. इस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि थे.

मुख्य बिन्दु

  • इस युद्धपोत की लंबाई 535 फीट और वजन 7, 400 टन है. आईएनएस इंफाल को 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ तैयार किया गया है. इसका निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई ने किया है.
  • आईएनएस इंफाल विध्वंसक पहला युद्धपोत है जिसे पूर्वोत्तर के किसी शहर का नाम दिया गया है. युद्धपोत का नामकरण पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि को दर्शाता है.
  • सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस आईएनएस इंफाल को हिंद महासागर में चीन को चुनौती देने के लिए तैयार किया गया है.
  • यह युद्धपोत परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्ध स्थितियों के तहत लड़ने के लिए सुसज्जित है. गुप्त विशेषताएं इसकी युद्ध क्षमता को बढ़ाती है.
  • इस युद्धपोत में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार गिराने वाली मिसाइलों को भी इंस्टॉल किया गया है. यह 30 समुद्री मील (56 किमी/घंटा) से ऊपर की गति से चल सकता है.
  • इसमें पनडुब्बी रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर और 76 मिमी सुपर रैपिड गन को भी युद्धपोत में इंस्टॉल किया गया है. यह हवा में मार करने वाली मिसाइलों, जहाज-रोधी मिसाइलों और टॉरपीडो सहित अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से सुसज्जित है.
  • इस युद्धपोत से निकलने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 90 डिग्री पर घूमकर दुश्मन कर हमला करने की ताकत रखती है.
  • इस युद्धपोत में स्टेट ऑफ द आर्ट सेंसर लगे हैं, जो दुश्मन के हथियारों का पता लगा सकता है. इन सैंसर्स का पता लगाना दुश्मनों के लिए टेढ़ी खीर है.

आठवीं हिन्‍द महासागर नौसेना संगोष्‍ठी बैंकाक में सम्‍पन्‍न हुई

आठवीं हिन्‍द महासागर नौसेना संगोष्‍ठी (8th Indian Ocean Dialogue) 22 दिसम्बर को थाइलैंड के बैंकाक में सम्‍पन्‍न हुई थी. इसमें 27 सदस्‍य देशों और पर्यवेक्षकों देशों के नौसेना प्रमुखों तथा वरिष्‍ठ प्रतिनिधियों ने भाग लिया था.

मुख्य बिन्दु

  • इस सम्‍मेलन का आयोजन थाइलैंड की रॉयल थाई नेवी ने किया था. इसमें भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरिकुमार ने तीन सदस्‍यीय नौसेना शिष्‍ट मंडल के साथ भाग लिया.
  • नौसेना प्रमुखों के सम्‍मेलन के दौरान थाइलैंड ने हिन्‍द महासागर नौसेना संगोष्‍ठी का प्रभार संभाला तथा अगले दो वर्ष के लिए कार्य योजना तय की.
  • इस दौरान भारत द्वारा डिजाइन किए गए ध्‍वज को हिन्‍द महासागर नौसेना संगोष्‍ठी का ध्‍वज चुना गया.

आकाश प्रणाली का परीक्षण, एक साथ चार लक्ष्‍यों को नष्ट करने वाला पहला देश बना

भारत ने 17 दिसम्बर को आकाश हथियार प्रणाली (Akash Weapon System) का सफल परीक्षा किया था. DRDO ने यह परीक्षण भारतीय वायुसेना द्वारा आयोजित अस्त्रशक्ति 2023 अभ्यास कार्यक्रम के दौरान किया था. अस्त्रशक्ति 2023 अभ्यास का आयोजन आंध्र प्रदेश के सूर्यलंका वायु सेना स्टेशन पर हुआ था.

मुख्य बिन्दु

  • इस परीक्षण में आकाश हथियार प्रणाली के जरिए 30 किमी की रेंज पर 4 लक्ष्यों को हवा में ही नष्ट कर दिया गया. भारत ऐसा पहला देश बन गया है, जिसने सिंगल फायरिंग यूनिट के जरिए एक साथ 4 लक्ष्‍यों को नष्ट किया हो.
  • आकाश हथियार प्रणाली को फायरिंग लेवल रडार, फायरिंग कंट्रोल सेंटर और दो आकाश एयरफोर्स लॉन्च के साथ तैनात किया गया. इन लॉन्चर्स में 5 मिसाइलें लगी हुई थीं.
  • आकाश हथियार प्रणाली सिस्टम स्वदेशी है. इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है. पिछले ही दशक में इसे आर्मी और वायुसेना में तैनात किया गया है.
  • वर्तमान में जिस सिस्टम से इसकी फायरिंग की गई, उसका रिपीट ऑर्डर सितंबर 2019 में वायुसेना की तरफ से दिया गया था. डीआरडीओ लगातार इसे अपग्रेड कर आधुनिक बना रहा है.
  • इससे पहले डीआरडीओ ने स्वदेशी हाई-स्पीड फ्लाइंग यूएवी, ऑटोनोमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर का सफल परीक्षण किया था.