Tag Archive for: Defence

रक्षा क्षेत्र में स्वत: मंजूरी के जरिये 74 प्रतिशत तक FDI को मंजूरी दी गयी

सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से 74 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की मंजूरी दे दी है. विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है. उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने 17 सितम्बर को इसकी घोषणा की.

मौजूदा FDI नीति के तहत रक्षा उद्योग में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमिति है. इसमें 49 प्रतिशत स्वत: मंजूरी के मार्ग से जबकि इससे ऊपर के लिये सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है.

पांच रफाल लडाकू विमानों को अम्बाला के वायुसेना अड्डे पर भारतीय सेना में शामिल किया गया

पांच रफाल लडाकू विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 10 सितम्बर को इन विमानों को अम्बाला के वायुसेना अड्डे पर एक विशेष समारोह में भारतीय सेना में शामिल किया. इस दौरान फ्रांस की मंत्री फ्लोरेंस पार्ले भी उपस्थित थीं.

वायुसेना में शामिल किये गये ये रफाल लडाकू विमान 17 स्क्वाड्रन का एक हिस्सा है जिसे ‘गोल्डन एरोज’ कहा जाता है. पांच रफाल विमानों की पहली खेप 27 जुलाई को फ्रांस से अम्बाला के अम्बाला वायुसेना अड्डे पर पहुंची थी.

भारत ने 36 राफेल लड़ाकू जेट की खरीद के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया है. सभी राफेल विमानों की आपूर्ति 2022 तक पूरी की जानी है.

रफेल का लांग रेंज ऑपरेशन अपने वजन के बराबर अर्मामेंट और एडिशनल सेल्फ कैरी करने की कैपेसिटी, 60 लैंडिंग ग्राउंड से ऑपरेट करने की एवलिटी, हाई स्पीड जैसी खुबियां इसे दुनिया के बेस्ट एयरक्राफ्ट में से एक बनाती हैं.

पांच रफाल लडाकू विमानों के पहले खेप की आपूर्ति की गयी

फ्रांस ने पांच रफाल लडाकू विमानों के पहले खेप की आपूर्ति कर दी है. इस विमान की पहली खेप 29 जुलाई को अम्‍बाला पहुंची. रफाल के इस खेप में तीन सिंगल सीटर और दो, दो-सीटर विमान शामिल हैं. इन विमानों को हरियाणा के अंबाला में वायुसेना की 17वीं बटालियन में आधिकारिक रूप से शामिल किया जाएगा.

रफाल लडाकू विमानों को 27 जुलाई को दक्षिणी फ्रांस के बॉर्डे स्थित मेरीनियाख हवाईअड्डे से रवाना किया गया था. फ्रांस से लगभग सात हजार किलोमीटर की उड़ान के दौरान ये विमान संयुक्‍त अरब अमारात (UAE) में फ्रांस संचालित अल दफरा हवाई अड्डे पर रुका था. यहाँ पहुंचने से पहले इन विमानों ने मध्य सागर के ऊपर आसमान में ही ईधन भरकर भारत की तरफ अपनी यात्रा का पहला चरण पूरा किया था. अपने दूसरे चरण में राफेल अल दफरा हवाई अड्डे से उड़ान भर के भारत पहुंचा.

भारत ने फ्रांस से 36 विमानों की खरीद की है

रफाल लडाकू विमानों को फ्रांस की कंपनी दस्‍सों ने विकसित किया है. इस विमान की खरीद के लिए 2016 में भारत और फ्रांस के बीच समझौता हुआ था. इस सौदे के तहत भारत ने फ्रांस से 59 हजार करोड रुपये में 36 विमानों की खरीद की थी. 36 विमानों में से 10 विमानों की आपूर्ति तय समय के भीतर पूरी कर ली गई है. इनमें से पांच विमान प्रशिक्षण मिशन पर फ्रांस में ही रहेंगे. 2021 के अंत तक सभी 36 विमान भारत को सौंप दिये जायेंगे.

रफाल लडाकू विमान: मुख्य बिंदु

  • राफेल किटेर और स्केल्प क्रूज मिशाइल समेत अन्य घातक हथियारों से लैस होकर युद्ध भूमि में दुश्मन को स्तब्ध करने वाली क्षमता वाला लड़ाकू विमान है.
  • ये लड़ाकू विमान कुछ विशेष संसाधनों के साथ देश में लाया गया है. जिनमें इस्राइली हेल्मेट युक्त डिस्पले, अत्याधुनिक रडार और कम बेंड के जैमर प्रणाली शामिल हैं. राफेल कई खुबियों वाले रडार वॉर्निंग रिसीवर, इन्फ्रारेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम जैसी क्षमताओं से भी लैस है.
  • राफेल विमान 9,500 किलोग्राम वजन के साथ इससे जुड़ी तोप एक मिनट में 2,500 राउंड फायर कर सकती है. यह एक ही उड़ान के दौरान आसमान से जमीन और हवा से हवा में मार कर सकता है और दुश्‍मन के विमानों का भी मुकाबला कर सकता है. यह परमाणु हथियार और लेजर गाइडेड बम ले जा सकता है.

एंटी टैंक गाइडेड मिसाइस ध्रुवस्त्र का चांदीपुर में सफल परीक्षण किया गया

भारत ने 22 जुलाई को अपनी स्वदेशी विकसित एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ‘ध्रुवस्त्र’ (Anti-tank Guided Missile ‘Dhruvastra’) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) के लॉन्च पैड-3 से किया गया. परीक्षण में मिसाइल ने उच्च सटीकता के साथ मारने से पहले अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक ट्रैक किया.

एंटी टैंक गाइडेड मिसाइस ‘ध्रुवस्त्र’: एक दृष्टि

  • ‘ध्रुवस्त्र’ हेलीकॉप्टर-लॉन्च एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) है. इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है. यह दुनिया के सबसे उन्नत एंटी-टैंक हथियारों में से एक है.
  • यह ‘नाग हेलिना’ का हेलीकॉप्टर संस्करण है, जिसमें कई नई विशेषताओं के साथ दुश्मन बंकरों, बख्तरबंद वाहनों और मुख्य युद्धक टैंकों को नष्ट करने के लिए हवा से दागा जा सकता है.
  • अगस्त 2018 में एंटी टैंक मिसाइस ‘हेलिना’ से पोखरण परीक्षण रेंज में रुद्र हेलीकॉप्टर से सफल परीक्षण किया गया था. नाग-मिसाइल का जुलाई 2019 में 12 बार परीक्षण किया गया था. यह परीक्षण दिन और रात के दौरान चरम मौसम की स्थिति में सफल रहा था.

DRDO ने भारतीय सेना को ड्रोन ‘भारत’ की आपूर्ति की

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO) ने भारतीय सेना को शातिशाली ड्रोन की आपूर्ति की है. स्वदेश निर्मित इस ड्रोन का नाम ‘भारत’ दिया गया है. यह ड्रोन ऊंचाई वाले इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों की निगरानी में अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन करता है. भारत-चीन तनाव के बीच इस ड्रोन को पूर्वी लद्दाख के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर ही निगरानी के लिए रखा जा रहा है.

भारत ड्रोन: एक दृष्टि

  • भारत ड्रोन DRDO के चंडीगढ़ स्थित प्रयोगशाला में विकसित किए गए हैं. भारत सीरीज के ड्रोन दुनिया के सबसे चालाक, मुस्तैद, फुर्तीला और हल्के सर्विलांस ड्रोनों में से एक है. यह ड्रोन इस तरकीब से बनाया गया है कि इसे रेडार की पकड़ में लाना असंभव है.
  • यह एक छोटा लेकिन बेहद ताकतवर ड्रोन है जो किसी भी स्थान की निगरानी करते वक्त बेहद सटीक जानकारी देता है. अडवांस रिलीज टेक्नॉलजी के साथ इसकी यूनिबॉडी बायोमिमेटिक डिजाइन से सर्वोच्च स्तर की निगरानी होती है. आर्टिलफिशियल इंटिलिजेंस से लैस भारत ड्रोन दोस्तों और दुश्मनों में आसानी से अंतर कर लेता है और इसी के अनुकूल ऐक्शन भी लेता है.
  • ड्रोन की क्षमता अत्यंत ठंडे मौसम और रात के घुप अंधेरे में भी निगरानी करने की है. यह पूरे मिशन का रियल-टाइम वीडियो भेजता है.

भारतीय नौसेना ने स्वदेशी एंटी-टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम ‘मारीच’ को शामिल किया

भारतीय नौसेना ने 26 जून को एक उन्नत एंटी-टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम ‘मारीच’ (Maareech) को शामिल किया. मारीच के शामिल किये जाने से भारतीय नौसेना के पनडुब्बी विरोधी युद्ध क्षमताओं में वृद्धि होगी.

मारीच का विकास स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी से किया गया है. यह सरकार की ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल और उन्नत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को भी व्यक्त करता है.

एंटी-टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम ‘मारीच’: एक दृष्टि

  • यह टॉरपीडो युद्धपोतों या जहाजों के सभी मोर्चों से गोला दागे जाने में सक्षम है.
  • यह एंटी-टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम को नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा मिलकर बनाया गया है.
  • इस डिकॉय सिस्टम का उत्पादन कार्य भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) करेगा.
  • यह आने वाले टॉरपीडो को खोजने, उसकी स्थिति का पता लगाने और बेअसर करने में सक्षम है.

वायुसेना ने LCA तेजस के साथ नए स्‍क्‍वाड्रन ‘फ़्लाइंग बुलेट्स’ का शुभारंभ किया

वायुसेना ने हल्‍के लड़ाकू विमान LCA तेजस के साथ अपने नए स्‍क्‍वाड्रन नंबर-18 ‘फ़्लाइंग बुलेट्स’ के संचालन का शुभारंभ किया. वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कोयम्‍बटूर के निकट सुलूर वायुसेना अड्डे में इसकी शुरूआत की.

फ़्लाइंग बुलेट्स आधुनिक बहुउद्देश्‍यीय लड़़ाकू विमान LCA तेजस के साथ संचालित होने वाली वायुसेना की दूसरी स्‍क्‍वाड्रन के रूप में काम करेगी. तेजस के साथ संचालित पहली स्‍क्‍वाड्रन का नाम नंबर-45 ‘फ़्लाइंग डैगर्स’ है जिसका मुख्‍यालय भी सुलूर वायुसेना अड्डा ही है.

नम्‍बर-18 स्‍क्‍वाड्रन

नम्‍बर-18 स्‍क्‍वाड्रन का गठन 1965 में हुआ था और श्रीनगर से संचालित और वहां उतरने वाला यह पहला स्‍क्‍वाड्रन था. इस स्‍क्‍वाड्रन से कुछ सैनिकों को 1971 में पाकिस्‍तान के साथ युद्ध के दौरान परमवीर चक्र से सम्‍मानित किया गया था. इस स्‍क्‍वाड्रन को इस वर्ष सुलूर बेस में 1 अप्रैल से फिर शुरू किया गया है.

LCA तेजस

यह देश में ही निर्मित LCA तेजस चौथी पीढ़ी का लडाकू विमान है. इसे हिंदुस्‍तान एरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) ने तैयार किया. LCA तेजस हल्‍के लड़ाकू विमान को सभी मानकों के साथ पूर्ण संचालन की मंजूरी मिल गयी है.

इस विमान में फ्लाई बाई वायर उड़ान नियंत्रित प्रणाली, एकीकृत डिजिटल वैमानिकी और बहुआयामी रडार प्रणाली है. इस सुपरसोनिक लड़ाकू विमान को अपनी तरह का सबसे हल्‍का और सबसे छोटा विमान माना जा रहा है.

भारत और इजरायल के बीच 880 करोड़ रुपये के रक्षा सौदा

भारत सरकार ने इजरायल की फर्म ‘इजरायल वेपंस इंडस्ट्रीज’ (IWI) के साथ 880 करोड़ रुपये में 16,479 लाइट मशीन गन (LMG) की खरीद का सौदा किया है.से एक है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की स्वीकृति के बाद सौदे पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

नेगेव LMG: एक दृष्टि

  • इजरायल से खरीदे जाने वाली इन लाइट मशीन गन्स का नाम ‘नेगेव’ है. नेगेव LMG आमने-सामने की लड़ाई में आजमाया हुआ उत्कृष्ट हथियार है. इसे दुनिया के कई देश इस्तेमाल कर रहे हैं.
  • इस हथियार के मिल जाने पर देश के अग्रणी मोर्चे पर रहने वाले जवानों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे ज्यादा आक्रामकता से दुश्मन पर धावा बोल पाएंगे.
  • साढ़े सात किलोग्राम वजन वाली इस LMG का इस्तेमाल हेलीकॉप्टर, छोटे समुद्री जहाजों और जमीनी लड़ाई में आसानी से किया जा सकेगा.

भारतीय वायु सेना के लिए 83 स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दी

रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने भारतीय वायु सेना के लिए 83 स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों की खरीद की मंजूरी दी है. DAC के 19 मार्च को हुई इस बैठक में तेजस के नए उन्नत ‘MK-1A’ संस्करण के विमानों की खरीद को मंजूरी दी गयी. इस बैठक में DAC ने लगभग 1300 करोड़ रुपये के स्‍वदेशी रक्षा साजो-सामान की खरीद को भी मंजूरी दी.

जनरल विपिन रावत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बनने और डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (DOD) व डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर (DMA) के गठन के बाद यह DAC की पहली बैठक थी.

देश में निर्मित तेजस लड़ाकू विमान की खरीद से ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को भी बल मिलेगा. स्वदेश निर्मित हलके लड़ाकू विमान ‘तेजस’ की खरीद में रक्षा मंत्रालय ने 10 हजार करोड़ रुपए की बचत की है.

तेजस लड़ाकू विमान: एक दृष्टि

तेजस स्वदेश निर्मित हल्का लड़ाकू विमान (Light Combat Aircraft) है. इसका डिजाइन, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तहत विमान विकास एजेंसी (Aircraft Development Agency) ने किया है और इसका निर्माण हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) ने किया है.

रक्षा खरीद परिषद (DAC): एक दृष्टि

रक्षा खरीद परिषद (Defence Acquisition Council) रक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में देश में रक्षा खरीद पर निर्णय लेने वाली संस्था है. रक्षा मंत्री इस परिषद के पदेन अध्यक्ष होते हैं. DAC का गठन 2001 में किया गया था.

नया विस्फोटक डिटेक्शन डिवाइस ‘Raider-X’ का पुणे में अनावरण किया गया

पुणे में आयोजित राष्ट्रीय विस्फोटक डिटेक्शन कार्यशाला (NWND-2020) में एक नया विस्फोटक डिटेक्शन डिवाइस ‘Raider-X’ का अनावरण किया गया. ‘NWND-2020’ का आयोजन 1-2 मार्च को हाई एनर्जी मैटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी (HEMRL) पुणे के हीरक जयंती समारोह पर किया गया था. इस समारोह का उद्घाटन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने किया था.

Raider-X: एक दृष्टि

  • विस्फोटक डिटेक्शन डिवाइस ‘Raider-X’ का निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के हाई एनर्जी मैटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी (HEMRL) पुणे तथा भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) बैंगलोर ने मिलकर किया है.
  • HEMRL पुणे, DRDO की एक अग्रणी प्रयोगशाला है. यह वैज्ञानिकों, टेक्नोक्रेटों तथा उपयोगकर्ताओं को हाल के प्रौद्योगिकीय सुधारों के बारे में ज्ञान, अनुभव तथा नवीनतम जानकारी साझा करने के लिए यह एक मंच प्रदान करता है.
  • Raider-X में एक दूरी से विस्फोटकों की पहचान करने की क्षमता है. इस डिवाइस के द्वारा छुपाकर रखे गये विस्फोटकों की ढेर का भी पता लगाया जा सकता है.

‘स्वाति’ रडार की आपूर्ति के लिए भारत और अर्मेनिया में समझौता, ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के लिए बड़ी उपलब्धि

भारत ने अर्मेनिया के साथ चार करोड़ डॉलर (करीब 280 करोड़ रुपये) का एक रक्षा सौदा किया है. सौदा के तहत भारत अर्मेनिया को चार वेपन लोकेटिंग रडार (WLR) यानि घातक स्वाति की आपूर्ति करेगा.

‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के लिए उपलब्धि

इस रक्षा सौदे को भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. निर्यात के इस आर्डर से भारत को अपने हथियारों और रक्षा प्रणालियों की बिक्री के लिए एक नया बाजार बनाने में मदद मिलेगी. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगले पांच वर्ष में 35,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा.

‘स्वाति’ रडार: एक दृष्टि

  • इन रडारों का उत्पादन रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है.
  • अर्मेनिया ने रूस और पोलैंड की रडार प्रणालियों के कई परीक्षण के बाद भारत ‘स्वाति’ रडार को खरीदने का फैसला लिया है.
  • इनकी खासियत ये है कि यह दुश्मन के हथियारों की मौजूदगी तलाश कर उन्हें तबाह करने के लिए सेना को गाइड करने का काम करता है.
  • यह तेज गति, स्वचालित और दुश्मन की सटीक लोकेशन बताने वाले मोर्टारों, गोला-बारूदों और राकेटों से लैस है. इसकी मारक क्षमता 50 किलोमीटर रेंज की है.
  • इस रडार सिस्टम की अहमियत सीमा पार गोलीबारी वाले क्षेत्रों में भी होती है. इस स्वदेशी रडार प्रणाली को भारतीय सेना में पहले ही शामिल किया जा चुका है.

तटीय सुरक्षा मजबूत करने के लिए गश्ती पोत ‘वज्र’ का जलावतरण किया गया

भारतीय गश्ती पोत ‘‘यार्ड 45006 वज्र’’ (OPV) को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है. परिवहन मंत्री मनसुख मांडविया की मौजूदगी में 27 फरवरी को चेन्नई के कट्टूपल्ली बंदरगाह पर इस पोत का औपचारिक रूप से जलावतरण किया गया.

यह भारतीय नौसेना का छठा गश्ती पोत है. इस पोत का इस्तेमाल दिन और रात निगरानी के साथ-साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में आतंकवाद-रोधी/तस्करी विरोधी अभियानों के साथ-साथ तटीय सुरक्षा के लिए भी किया जाएगा.

यार्ड 45006 वज्र: एक दृष्टि

  • केंद्र सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ के अभियान के तहत ‘लार्सन एंड टुब्रो’ द्वारा निर्माण किए जाने वाले सात पोत की श्रृंखला में ‘यार्ड 45006’ छठा पोत है.
  • यह उन्नत किस्म की नौवहन और संचार प्रणाली से लैस है. इसके साथ ही इसमें नयी मशीनरी और उपकरणों का इस्तेमाल हुआ है. ऐसे में इससे लगातार निगरानी की जा सकेगी.
  • OPV में अल्ट्रा-आधुनिक तकनीक के साथ दो नेविगेशन रडार, अत्याधुनिक नेविगेशनल और नवीनतम संचार प्रणाली होगी.