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देश का पहला पशु युद्ध स्मारक उत्तरप्रदेश के मेरठ में बनाया जायेगा

उत्तरप्रदेश के मेरठ स्थित रेमाउंट एंड वेटरनरी कोर (RVC) सेंटर में ‘पशु युद्ध स्मारक’ (वार मेमोरियल फॉर एनीमल) बनाया जायेगा. यह स्मारक सेवा जानवरों के लिए समर्पित है. यह देश का पहला पशु युद्ध स्मारक होगा. यह स्मारक उन पशुओं के योगदान को समर्पित होगा, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में सेना की मदद की थी.

स्मारक में कुत्ते, 350 हैंडलर, कुछ घोड़ों और खच्चरों के नाम व सेवा नंबर अंकित किए जाएंगे. ये नंबर याद रखने का टोकन होगा और RVC सैनिकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक होगा. कुत्ते का सर्वोच्च सम्मान मारणोपरांत प्रेषण में उल्लेख होना है. वहीं, डॉग हैंडलर द्वारा जीता गया सर्वोच्च पुरस्कार शौर्य चक्र है, जो देश का तीसरा सबसे बड़ा शौर्य वीरता पुरस्कार है.

मानसी कुत्तों के लिए सेना के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित

मानसी नामक लैब्राडोर को वर्ष 2016 में कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों में उसकी भूमिका को कुत्तों के लिए सेना के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया था. मानसी याद किए जाने वाले जानवरों की सूची में सबसे ऊपर है.

सेना द्वारा उपयोग किये जाने वाले कुत्तों की मुख्य प्रजाति

लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड और बेल्जियन शेफर्ड (मलिंसिन) सेना के कैनाइन कार्य बल के मुख्य आधार हैं. RVC ने कुछ मुधोल हाउंड्स (कर्नाटक से एक स्वदेशी कुत्ते की नस्ल) को विस्फोटक पहचान के लिए परीक्षण के आधार पर पेश किया है.

भारत ने सबमरीन फोर्स के लिए परमाणु ताकत से लैस मिसाइल K-4 का सफल परीक्षण किया

भारत ने 19 जनवरी को परमाणु ताकत से लैस बलिस्टिक मिसाइल K-4 का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण आंध्र प्रदेश में विशाखापत्‍तनम के तट से किया गया. यह मिसाइल पनड़ुब्‍बी से छोडी जा सकती है. इस परीक्षण को समुद्र में पानी के अन्दर पनडुब्बी (सबमरीन) पर बने प्लेटफॉर्म से किया गया. इसकी मारक क्षमता चीन की बैलि‍स्टिक मिसाइल से ज्‍यादा सटीक है. अभी केवल अमरीका, रूस और चीन के पास ही ऐसी मिसाइल है.

बलिस्टिक मिसाइल K-4: एक दृष्टि

  • परमाणु ताकत से लैस इस मिसाइल को DRDO (Defence Research and Development Organisation) ने विकसित किया है.
  • बलिस्टिक मिसाइल K-4 की मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर है. इसे अरिहंत क्लास न्यूक्लियर सबमरीन पर तैनात किया जाना है.
  • फिलहाल भारतीय नौसेना के पास ‘INS अरिहंत’ ही ऐसा इकलौता पोत (सबमरीन) है, जो परमाणु क्षमता से लैस है.
  • ‘K-4’ भारत द्वारा अपने सबमरीन फोर्स के लिए विकसित की जा रहीं 2 अंडरवॉटर मिसाइलों में से एक है. दूसरी ऐसी मिसाइल ‘BO-5’ है, जिसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर से ज्यादा है.

‘k-9 वज्र’ होवित्‍जर तोप राष्‍ट्र को समर्पित की गयी, दक्षिण कोरिया के सहयोग से निर्मित

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 16 जनवरी को गुजरात के हजीरा में ‘k-9 वज्र’ नाम की होवित्‍जर तोप राष्‍ट्र को समर्पित की. इस तोप का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ के तहत ‘लारसन एंड टूब्रो’ कम्‍पनी द्वारा किया गया है. यह तोप भविष्‍य के युद्ध की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखकर बनाई गई है.

k-9 वज्र होवित्‍जर तोप: एक दृष्टि

  • k-9 वज्र तोप का वजन 50 टन है और यह 47 किलोग्राम के गोले से 43 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है. यह शून्य त्रिज्या पर घूम सकती है.
  • भारतीय सेना को के-9 वज्र-टी 155मिमी/52 कैलीबर तोपों की आपूर्ति के लिए 2017 में दक्षिण कोरिया के ‘हान्वा टेकविन’ ने भारतीय साझीदार ‘लारसन एंड टूब्रो’ के साथ समझौता से किया था.

INS विक्रमादित्य पर स्वदेशी हल्के लड़ाकु विमान ‘तेजस’ की पहली सफल लैंडिंग

नौसेना के लिए स्‍वदेशी हल्‍के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ ने 11 जनवरी को विमान वाहक युद्धपोत INS विक्रमादित्य पर अपनी पहली सफल लैंडिंग की. कमोडोर जयदीप माओलंकर ने इस ऐतिहासिक लैंडिंग का संचालन किया.

भारत उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल

INS विक्रमादित्य पर, स्वदेशी हल्के लड़ाकु विमान (LCA) की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसे लड़ाकू जेट विमान को डिजाइन करने की क्षमता है जो एक विमान वाहक पोत पर उतर सकता है. यह पहली बार है कि जब कोई स्वदेशी लड़ाकू विमान किसी विमान वाहक पोत पर उतरा है.

LCA अपनी श्रेणी का सबसे छोटा और सबसे हल्का मल्टी-रोल सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है. इस विमान को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है. जल्द ही यह लडाकू विमान युद्धपोत से अपनी पहली उड़ान का प्रयास करेगा.

सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की अधिकतम उम्र सीमा के लिए नियमों में संशोधन किया

सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की अधिकतम उम्र सीमा के लिए नियमों में संशोधन किया है. नए नियम के तहत CDS पद पर नियुक्त अधिकारी 65 साल में सेवानिवृत्त होंगे. हालांकि, इस पद की कार्य-अवधि पर अभी फैसला नहीं लिया गया है.

उल्लेखनीय है कि सुरक्षा से जुड़ी कैबिनेट कमिटी ने हाल ही में CDS के पद को मंजूरी दी थी जो कि तीनों सेनाओं से जुड़े मामले में रक्षा मंत्री के मुख्य सैन्य सलाहकार के रूप में काम करेंगे. CDS न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के सैन्य सलाहकार के रूप में भी काम करेंगे.

मिग-27 लड़ाकू विमान ने अंतिम बार उड़ान भरी. जोधपुर वायुसैनिक अड्डे से अंतिम विदाई दी गयी


मिग-27 लड़ाकू विमान ने 27 दिसम्बर को अंतिम बार उड़ान भरी. वायुसेना, जोधपुर वायुसैनिक अड्डे से सात विमानों की स्वाड्रन को अंतिम विदाई दी. इस अवसर पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता दक्षिण-पश्चिमी कमान के प्रमुख एयर मार्शल एसके घोटिया ने किया.

मिग 27 विमान: एक दृष्टि

  • मिग श्रेणी के विमान को सोवियत रूस से खरीदा गया था. मिग 27 विमान को 1985 में वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था. लगभग चार दशकों से ज़मीन पर हमले की क्षमता रखने वाला भारतीय वायु सेना का बेहतरीन विमान रहा है.
  • मिग 27 का अपग्रेड रूप 2006 से वायु सेना के लिए प्रयोग लिया जा रहा था. जबकि मिग के अन्य विमान यथा मिग 23BN तथा मिग 23MF के साथ मिग 27 भी वायु सेना से रिटायर हो चुके हैं.
  • इन विमानों ने युद्ध और शांति के समय देश की रक्षा में बेहतरीन योगदान दिया है. करगिल युद्ध के दौरान 1999 में इन विमानों ने मुख्य भूमिका निभाई थी. वहीं ऑपरेशन पराक्रम में भी इस विमान का उपयोग किया गया.

सरकार ने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का नया पद बनाने को मंजूरी दी

कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी ने 24 दिसम्बर को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का नया पद बनाने को मंजूरी दी. इस पद का मकसद भारत के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना है.

CDS मुख्यत: रक्षा और रणनीतिक मामलों में प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के एकीकृत सैन्य सलाहकार के रूप में काम करेगा. 1999 के करगिल युद्ध के मद्देनजर देश की सुरक्षा प्रणाली में खामियों की समीक्षा के लिए बनाई गई समिति ने रक्षा मंत्री के एकीकृत सैन्य सलाहकार के रूप में CDS की नियुक्ति का सुझाव दिया था.

अजीत डोभाल की समिति का गठन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक सैन्य सुधार की घोषणा करते हुए कहा था कि भारत की तीनों सेना के लिए एक प्रमुख होगा, जिसे CDS कहा जाएगा. प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद CDS की नियुक्ति के तौर-तरीकों और उसकी जिम्मेदारियों को अंतिम रूप देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था.

CDS की भूमिका

CDS की सबसे अहम् भूमिका युद्ध के समय होगी. युद्ध के समय तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय कायम करना CDS की जिम्मेदारी होगी. इससे दुश्मनों का सक्षम तरीके से मुकाबला करने में मदद मिलेगी.

दरअसल सशस्त्र बलों की तालमेल योजना में कई बार खामियां सामने आईं है. 1962 में चीन के साथ भारत का युद्ध हुआ था. उस युद्ध में भारतीय वायुसेना को कोई भूमिका नहीं दी गई थी जबकि भारतीय वायुसेना तिब्बत की पठारी पर जमा हुए चीनी सैनिकों को निशाना बना सकती थी और उनके बीच तबाही मचा सकती थी. इसी तरह से पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में भारतीय नौसेना को पाकिस्तान की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर हमले की योजना से अवगत नहीं कराया गया. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रहते हुए इस तरह की कोई खामी नहीं रहेगी और सेना प्रभावी ढंग से दुश्मन से निपट सकेगी.

भारत ने जमीन से मार करने में सक्षम ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 17 दिसम्बर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा तट पर चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया. इस परीक्षण में मिसाइल के जमीन (सतह) संस्करण का परीक्षण किया गया.

ब्रह्मोस मिसाईल: महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक दृष्टि

  • ब्रह्मोस के महानिदेशक डॉक्‍टर सुधीर कुमार हैं.
  • ब्रह्मोस एक कम दूरी की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है.
  • 9 मीटर लंबी इस मिसाइल का वजन लगभग 3 टन है. यह मिसाइल ठोस ईंधन से संचालित होती है.
  • यह दुनिया की सबसे तेज मिसाइल है. यह ध्‍वनि से 2.9 गुना तेज (करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड) गति से 14 किलोमीटर की ऊँचाई तक जा सकता है.
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है जिसे अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
  • ब्रम्‍होस का विकास भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ के संयुक्‍त उद्यम ने किया है.
  • ब्रह्मोस के संस्करणों को भूमि, वायु, समुद्र और जल के अंदर से दागा जा सकता है.
  • इसका पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था.
  • इस मिसाइल का नाम दो नदियों को मिलाकर रखा गया है जिसमें भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्क्वा नदी शामिल है.
  • जमीन और नौवहन पोत से छोड़ी जा सकने बाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाईल पहले ही भारतीय सेना और नौसेना में शामिल की जा चुकी है. इस सफल परीक्षण के बाद ये मिसाइल सेना के तीनों अंगों का हिस्सा बन जायेगी.

भारतीय सेना ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया

भारतीय सेना की सामरिक बल कमान ने 3 दिसम्बर को पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा तट पर चांदीपुर में समेकित परीक्षण रेंज से किया गया. परीक्षण में छोड़ी गई इस मिसाइल ने 350 किलोमीटर दूर लक्ष्य साधा. परीक्षण सभी निर्धारित मानकों पर सफल रहा.

पृथ्वी-2 मिसाइल: एक दृष्टि

  • स्वदेश में विकसित पृथ्वी-2 मिसाइल सतह-से-सतह पर मार करने वाली और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. इस मिसाइल का पहली बार 27 अगस्त 1996 को परीक्षण किया गया था.
  • करीब 4600 किलोग्राम वजन और 9 मीटर लंबी यह मिसाइल 500 से 1000 किलोग्राम वजन के हथियार ले जा सकती है. इसमें तरल ईंधन से चलने वाले दो इंजन लगे हैं.
  • इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप विकसित किया गया है.

4 दिसंबर: भारतीय नौसेना दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्येक वर्ष 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस (Indian Navy Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस के मौके पर देश अपने जाबाजों को याद किया जाता है.

भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध में भारत की विजय का जश्न मनाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है. पाकिस्तानी सेना ने 3 दिसंबर को हमारे हवाई क्षेत्र और सीमावर्ती क्षेत्र में हमला किया था. इस हमले ने 1971 के युद्ध की शुरुआत की थी. पाकिस्तान को मुह तोड़ जवाब देने के लिए ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ चलाया गया था.

राष्‍ट्रपति ने सैन्‍य उड्डयन कोर को ‘प्रेजिडेंट कलर’ से सम्‍मानित किया

सशस्‍त्र सेनाओं के सर्वोच्‍च कमांडर, राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 अक्टूबर को महाराष्‍ट्र के नासिक में विशेष समारोह में सैन्‍य उड्डयन कोर (आर्मी ऐविएशन कोर- AAC) को ध्‍वज प्रदान किया. यह समारोह नासिक के कॉमबेट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्‍कूल में आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में राष्‍ट्रपति कोविंद ने सेना के सैन्‍य उड्डयन कोर को ‘प्रेजिडेंट कलर’ से सम्‍मानित किया गया.

“प्रेजिडेंट कलर” सम्मान उत्कृष्‍ट सेवा का एक प्रतीक है और युद्ध और शांति दोनों के दौरान समर्पण और योग्य योगदान के माध्यम से AAC द्वारा अर्जित किया गया है.

राष्‍ट्रपति ने सेना के वायु रक्षा वाहिनी को कलर्स पुरस्कार प्रदान कर सम्‍मानित किया

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ओडिसा में बहरामपुर के पास गोलाबांधा में आर्मी एयर डिफेंस कॉलेज में आयोजित एक समारोह में सेना के ‘वायु रक्षा वाहिनी‘ को कलर्स पुरस्कार प्रदान कर सम्‍मानित किया.

राष्ट्रपति कलर्स पुरस्कार किसी सशस्त्र बल संगठन के लिए सर्वोच्च सैन्य सम्मान है. सेना की सबसे युवा कोर में से एक आर्मी एयर डिफेंस कोर को 25 साल पहले आर्टिलरी से पृथक कर अलग अस्तित्व किया गया था.