‘स्वाति’ रडार की आपूर्ति के लिए भारत और अर्मेनिया में समझौता, ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के लिए बड़ी उपलब्धि

भारत ने अर्मेनिया के साथ चार करोड़ डॉलर (करीब 280 करोड़ रुपये) का एक रक्षा सौदा किया है. सौदा के तहत भारत अर्मेनिया को चार वेपन लोकेटिंग रडार (WLR) यानि घातक स्वाति की आपूर्ति करेगा.

‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के लिए उपलब्धि

इस रक्षा सौदे को भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. निर्यात के इस आर्डर से भारत को अपने हथियारों और रक्षा प्रणालियों की बिक्री के लिए एक नया बाजार बनाने में मदद मिलेगी. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगले पांच वर्ष में 35,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा.

‘स्वाति’ रडार: एक दृष्टि

  • इन रडारों का उत्पादन रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है.
  • अर्मेनिया ने रूस और पोलैंड की रडार प्रणालियों के कई परीक्षण के बाद भारत ‘स्वाति’ रडार को खरीदने का फैसला लिया है.
  • इनकी खासियत ये है कि यह दुश्मन के हथियारों की मौजूदगी तलाश कर उन्हें तबाह करने के लिए सेना को गाइड करने का काम करता है.
  • यह तेज गति, स्वचालित और दुश्मन की सटीक लोकेशन बताने वाले मोर्टारों, गोला-बारूदों और राकेटों से लैस है. इसकी मारक क्षमता 50 किलोमीटर रेंज की है.
  • इस रडार सिस्टम की अहमियत सीमा पार गोलीबारी वाले क्षेत्रों में भी होती है. इस स्वदेशी रडार प्रणाली को भारतीय सेना में पहले ही शामिल किया जा चुका है.