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भारत ने हवा से गिराये जाने वाले कंटेनर सहायक-एनजी का पहला सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) ने नौसेना के साथ मिलकर हवा से गिराये जाने वाले कंटेनर सहायक-एनजी (SAHAYAK-NG) का पहला सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण गोवा के तट से किया गया. परीक्षण में इस कंटेनर को IL-38SD विमान से गिराया गया.

सहायक-एनजी क्या है?

सहायक-एनजी भारत का पहला स्वदेशी कंटेनर है. यह GPS से लैस है और 50 किलो भार के साथ विमान से गिराया जा सकता है. इसके माध्यम से दूर तैनात जहाजों को जरूरत के सामानों की आपूर्ति की जा सकती है. DRDO और निजी कंपनी एवांटेल की दो प्रयोगशालाओं में इसका विकास हुआ है. हवा से गिराया जाने वाला सहायक-एनजी कंटेनर सहायक MKI का एडवांस वर्जन है.

भारत ने नौसेना की स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी ‘वागिर’ को जलावतरित किया

भारत ने हाल ही में भारतीय नौसेना की स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी वागिर (Vagir) को जलावतरित किया.

इस पनडुब्बी का नाम ‘वागिर’ हिंंद महासागर में पाई जाने वाली एक शिकारी मछली के नाम पर रखा गया है. पहली वागिर पनडुब्बी रूस से आई थी. उसे 3 दिसंबर 1973 को नौसेना में शामिल किया गया था और 7 जून 2001 को सेवामुक्त कर दिया गया था.

वागिर पनडुब्बी: एक दृष्टि

वागिर स्कॉर्पीन श्रेणी की छह पनडुब्बियों में से पांचवीं पनडुब्बी है, जिनका निर्माण भारत में किया जा रहा है. इस श्रेणी की पहली पनडुब्बी कलवरी है. अन्य तीन पनडुब्बियां खंडेरी, करंज व वेला हैं, जबकि छठी वागशीर को भी जल्द लांच किया जाएगा.

इस श्रेणी की पनडुब्बियों को फ्रांसीसी नौसेना एवं ऊर्जा कंपनी DCNS ने डिजाइन किया है. इनका निर्माण भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के अंतर्गत ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत किया जा रहा है.

यह पनडुब्बी सतह व पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया सूचना एकत्र करने, सुरंग बिछाने व निगरानी में सक्षम है. यह दुश्मन के रडार को आसानी से चकमा दे सकती है.

भारत ने पिनाका रॉकेट प्रणाली का सफल परीक्षण किया

भारत ने 4 नवम्बर को पिनाका रॉकेट प्रणाली के उन्नत संस्करण (पिनाका MK-II) का सफल परीक्षण किया. रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) ने यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर से किया.

पिनाका रॉकेट प्रणाली: एक दृष्टि

पिनाका रॉकेट प्रणाली के उन्नत संस्करण मौजूदा पिनाका MK-I का स्थान लेंगे. यह रॉकेट अत्याधुनिक दिशासूचक प्रणाली से लैस है जिसके कारण यह सटीकता से लक्ष्य की पहचान कर उसपर निशाना साधता है.

पिनाका MK-I रॉकेट की मारक क्षमता करीब 37 किलोमीटर जबकि पिनाका MK-II की सीमा 60 किमी है.
इसका डिजाइन और विकास DRDO प्रयोगशाला, आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (ARDI) और हाई एनर्जी मैटेरियल रिसर्च लेबोरेटरी (HEMRL) ने किया है.

भारत ने नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का परीक्षण किया

भारत ने 22 अक्टूबर को नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (Nag Anti-Tank Guided Missile) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में किया गया.

नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है. इस मिसाइल का नवीनतम संस्करण बड़े टैंक्स को भी किसी भी मौसम में निशाना बना सकती है. इसकी मारक क्षमता 20 किमी तक की है.

इस मिसाइल में इंफ्रारेड का उपयोग कर लॉन्च से पहले टारगेट को लॉक किया जाता है. इसके बाद नाग अचानक ऊपर उठती है और फिर तेजी से टारगेट के एंगल पर मुड़कर उसकी ओर चल देती है.

इससे पहले भी नाग मिसाइल के कई परीक्षण किये जा चुके हैं. हर बात कुछ नया इसमें जोड़ा जाता रहा है. साल 2017, 2018 और 2019 में अलग-अलग तरीके की नाग मिसाइलों का परीक्षण हो चुका है.

भारत ने स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक ‘SANT’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया

भारत ने स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक (SANT) मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण 19 अक्टूबर को ओडिशा तट की इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से किया गया. यह मिसाइल विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने किया है.

SANT एंटी-टैंक मिसाइल, हेलीकॉप्टर लॉन्चेड नाग (HeliNa) का उन्नत संस्करण है. यह वायु-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल है.

भारत द्वारा किये गये हाल के परीक्षण

  • 18 अक्टूबर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के नौसेना संस्करण का परीक्षण स्वदेश निर्मित INS चेन्नई से किया गया.
  • 16 अक्टूबर को ओडिशा तट स्थित परीक्षण रेंज से परमाणु-सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का रात में परीक्षण सफलतापूर्वक किया. द्रव्य ईंधन द्वारा चालित पृथ्वी-2 की रेंज 250 किलोमीटर है. सतह से सतह पर मार करने वाली यह भारत की पहली स्वदेशी रणनीतिक मिसाइल है.
  • 10 अक्टूबर को भारत ने अपनी पहली स्वदेशी एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम-1 का सफल परीक्षण किया. यह जमीन पर दुश्मन के राडार का पता लगा सकती है.
  • 5 अक्टूबर को स्वदेशी SMART टारपीडो प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. यह टारपीडो रेंज से परे एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) के संचालन के लिए आवश्यक है.
  • 3 अक्टूबर को भारत ने ओडिशा तट से परमाणु-सक्षम शौर्य मिसाइल के नए संस्करण का सफल परीक्षण किया.
  • 1 अक्टूबर को लेजर-गाइडेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) महाराष्ट्र के अहमदनगर में एक MBT अर्जुन टैंक से दागी गई.
  • 30 सितंबर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की एक्सटेंडेड रेंज का परीक्षण किया गया.
  • 22 सितंबर को ABHYAS – हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) व्हीकल्सः का ओडिशा के तट से परीक्षण किया गया.
  • 7 सितंबर को स्वदेशी रूप से विकसित हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का परीक्षण ओडिशा के तट से किया गया.

भारत ने ‘रुस्‍तम-2’ ड्रोन का सफल परीक्षण किया

भारत ने हाल ही में ‘रुस्‍तम-2’ ड्रोन का सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्गा में किया गया. परीक्षण में यह 16 हजार फीट की ऊंचाई पर लगातार 8 घंटे तक उड़ान भरता रहा. इसके बावजूद उसमें एक घंटे उड़ने के लिए काफी ईंधन बच गया था.

‘रुस्‍तम-2’ ड्रोन को डिफेंस रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने विकसित किया है. यह एक मध्यम ऊंचाई का ड्रोन है. 2020 के आखिर तक इस प्रोटोटाइप के 26,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता हासिल कर लेने की उम्‍मीद है. इसका फ्लाइट टाइम भी बढ़कर 18 घंटे करने पर काम हो रहा है.

रुस्‍तम-2 मिशन की जरूरत के हिसाब से अलग-अलग तरह के पेलोड्स ले जा सकता है. इस ड्रोन के साथ सिंथेटिक अपर्चर रडार, इलेक्‍ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्‍टम और सिचुएशनल अवेयरनेस सिस्‍टम भेजा जा सकता है. इसमें एक सैटेलाइट कम्‍युनिकेशन लिंक भी है जो युद्ध की स्थिति में हालात की जानकारी रियल टाइम में दे सकता है.

भारत सरकार इजरायली ड्रोन्‍स ‘हेरान’ की पूरी फ्लीट को अपग्रेड करना चाहती है. इस ड्रोन्‍स में हवा से जमीन में मार करने वाली मिसाइल और लेजर गाइडेड बम लगाए जाएंगे. इसके अलावा एक सैटेलाइट लिंक भी लगाया जाएगा ताकि इन्‍फॉर्मेशन पहुंचने में देरी न हो. DRDO का मकसद रुस्‍तम-2 को इजरायल के हेरॉन UAV की टक्‍कर का ड्रोन बनाना है.

भारतीय तटरक्षक दल के सातवें गश्तीदल ‘विग्रह’ का अनावरण किया गया

भारतीय तटरक्षक दल के सातवें गश्तीदल ‘विग्रह’ का 6 अक्टूबर को औपचारिक रूप से अनावरण किया गया. इसका अनावरण चेन्नई के कट्टूपल्ली बंदरगाह में किया गया. मार्च 2021 में इसे भारतीय तटरक्षक दल में शामिल किया जाएगा.

अत्याधुनिक नौवहन एवं संचार उपकरणों से लैस यह पोत भारतीय तटीय सीमाओं की निगरानी बढ़ाने में मदद करेगा. विग्रह पोत का इस्तेमाल समुद्री सीमा की निगरानी, तस्करों की धरपकड़ और गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम के लिए किया जायेगा.

‘विग्रह’ का विकास लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड (एलएंडटी) ने किया है. इसकी लंबाई 98 मीटर और चौडाई 15 मीटर है. विग्रह एलएंडटी द्वारा विकसित सातवां और इस श्रृंखला का अंतिम पोत है. इसके लिए 2015 में रक्षा मंत्रालय के साथ 1432 करोड़ रुपये का करार हुआ था. इसकी अधिकतम रफ्तार 26 नॉट्स है और यह एक बार में बिना रुके 10,000 किलोमीटर की यात्रा पर जा सकता है.

इससे पहले, एलएंडटी ने आइसीजीएस विक्रम, आइसीजीएस विजया, आइसीजीएस वीरा, आइसीजीएस वराह, आइसीजीएस वरड और आइसीजीएस वज्र का भी निर्माण किया है.

भारत ने सुपरसोनिक ऐंटी-शिप मिसाइल SMART का सफल परीक्षण किया

भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 5 अक्टूबर को सुपरसोनिक ऐंटी-शिप मिसाइल SMART का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा के वीलर कोस्‍ट से किया गया.

क्‍या है SMART?

SMART का पूरा नाम Supersonic Missile Assisted Release of Torpedo है. यह एक तरह की सुपरसोनिक ऐंटी-शिप मिसाइल है. इसके साथ एक कम वजन का टॉरपीडो लगा है जो पेलोड की तरह इस्‍तेमाल होता है. दोनों मिलकर इसे एक सुपरसोनिक ऐंटी-सबमरीन मिसाइल बना देते हैं. यानी इसमें मिसाइल के साथ पनडुब्‍बी नष्‍ट करने की क्षमता होती है.

इस वेपन सिस्‍टम की रेंज 650 किलोमीटर होगी. ऐंटी-सबमरीन वारफेयर में यह तकनीक भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ा सकती है.

भारत ने शौर्य मिसाइल ने नए वर्जन का सफल परीक्षण किया

भारत ने 3 अक्टूबर को शौर्य मिसाइल ने नए वर्जन का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा के बालासोर से किया गया. यह मिसाइल संचालन में हल्का व आसान है. यह मौजूदा मिसाइल सिस्टम को मजबूत करेगा.

शौर्य मिसाइल: एक दृष्टि

  • जमीन से जमीन पर मार करने वाला यह बैलेस्टिक मिसाइल परमाणु क्षमता से लैस है. यह मिसाइल 800 किलोमीटर दूर तक टारगेट को तबाह कर सकता है.
  • मौजूदा मिसाइलों के मुकाबले यह हल्का है और इस्तेमाल भी आसान है. टारगेट की ओर बढ़ते हुए अंतिम चरण में यह हाइपरसोनिक स्पीड हासिल कर लेता है.
  • शौर्य मिसाइल का पहला परीक्षण 2008 में ओडिशा के चांदीपुर समेकित परीक्षण रेंज से किया गया था. इसके बाद सितंबर 2011 में इसका दूसरा परीक्षण किया गया था. पहले इसकी क्षमता 750 किलोमीटर दूर तक हथियार ले जाने की थी.

भारत ने हाल ही में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया था, जो 400 किमी दूर तक टारगेट को हिट कर सकता है जो पिछले मिसाइल की क्षमता से 100 किलोमीटर अधिक है.

भारत ने स्वदेशी बूस्टर युक्त सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल किया

भारत ने 30 सितम्बर को सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल किया. इस परीक्षण में स्वदेशी बूस्टर और एयरफ्रेम सेक्शन सहित कई स्वदेशी उप-प्रणालियों युक्त ब्रह्मोस के सतह से सतह तक मार करने वाली वर्जन का परीक्षण किया गया. यह परीक्षण ओडिशा में ITR, बालासोर से किया गया.

ब्रह्मोस मिसाईल: महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक दृष्टि

  • ब्रह्मोस के महानिदेशक डॉक्‍टर सुधीर कुमार हैं.
  • ब्रह्मोस एक कम दूरी की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है.
  • 9 मीटर लंबी इस मिसाइल का वजन लगभग 3 टन है. यह मिसाइल ठोस ईंधन से संचालित होती है.
  • यह दुनिया की सबसे तेज मिसाइल है. यह ध्‍वनि से 2.9 गुना तेज (करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड) गति से 14 किलोमीटर की ऊँचाई तक जा सकता है.
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है जिसे अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
  • ब्रम्‍होस का विकास भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ के संयुक्‍त उद्यम ने किया है.
  • ब्रह्मोस के संस्करणों को भूमि, वायु, समुद्र और जल के अंदर से दागा जा सकता है.
  • इसका पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था.
  • इस मिसाइल का नाम दो नदियों को मिलाकर रखा गया है जिसमें भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्क्वा नदी शामिल है.
  • जमीन और नौवहन पोत से छोड़ी जा सकने बाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाईल पहले ही भारतीय सेना और नौसेना में शामिल की जा चुकी है. इस सफल परीक्षण के बाद ये मिसाइल सेना के तीनों अंगों का हिस्सा बन जायेगी.

सुखोई लड़ाकू विमान से गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 24 मई 2019 को सुखोई लड़ाकू विमान (SU-30 MKI) से 500 किलोग्राम श्रेणी के एक गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण किया था.

भारतीय सेना ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया

भारतीय सेना की सामरिक बल कमान (Strategic Forces Command) ने 25 सितम्बर को पृथ्वी-2 शॉर्ट रेंज बलिस्टिक मिसाइल (Prithvi short-range ballistic missile) का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा तट पर चांदीपुर में समेकित परीक्षण रेंज से किया गया.

परीक्षण में छोड़ी गई इस मिसाइल ने 350 किलोमीटर दूर लक्ष्य साधा. परीक्षण सभी निर्धारित मानकों पर सफल रहा. इस परीक्षण में मिसाइल के अंधेरे में मारक क्षमता की जाँच गयी.

सामरिक बल कमान (SFC) भारत का परमाणु कमांड विंग है. यह मुख्य रूप से देश में रणनीतिक परमाणु हथियारों का प्रबंधन करता है.

पृथ्वी-2 मिसाइल: एक दृष्टि

  • स्वदेश में विकसित पृथ्वी-2 मिसाइल सतह-से-सतह पर मार करने वाली और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. इस मिसाइल का पहली बार 27 अगस्त 1996 को परीक्षण किया गया था.
  • करीब 4600 किलोग्राम वजन और 9 मीटर लंबी यह मिसाइल 500 से 1000 किलोग्राम वजन के हथियार ले जा सकती है. इसमें तरल ईंधन से चलने वाले दो इंजन लगे हैं.
  • इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप विकसित किया गया है.

भारत ने लेजर-गाइडेड ऐंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और ‘अभ्‍यास’ मिसाइल वाहन का परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 23 सितम्बर को लेजर-गाइडेड ऐंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और ‘अभ्‍यास’ (ABHYAS) मिसाइल वेहिकल का सफल परीक्षण किया.

‘अभ्‍यास’ मिसाइल वेहिकल

DRDO ने अभ्‍यास का परीक्षण ओडिसा के बालासोर से किया. अभ्‍यास (ABHYAS) हाई स्‍पीड एक्‍सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) मिसाइल वाहन है. इससे पहले मई 2019 में भी इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है. यह मिसाइल वाहन 5 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ सकता है. इसकी रफ्तार आवाज की रफ्तार से आधी है. इसमें 2G क्षमता है और 30 मिनट तक ऑपरेट करने की क्षमता है.

लेजर-गाइडेड ऐंटी टैंक गाइडेड मिसाइल

DRDO ने MBT अर्जुन टैंक से लेजर-गाइडेड ऐंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (AGTM) का सफल परीक्षण किया. AGTM का टेस्‍ट अहमदनगर के आर्मर्ड कॉर्प्‍स सेंटर ऐंड स्‍कूल (ACC&S) की केके रेंज में हुआ. यह मिसाइल DRDO की आर्मामेंट रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट इस्‍टैब्लिशमेंट (ARDE) के कैनन लॉन्‍ड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत बनाई गई है.

DRDO द्वारा विकसित लेजर-गाइडेड ऐंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (AGTM) को कई प्‍लैटफॉर्म से लॉन्‍च किया जा सकता है. इस परीक्षण में ‘अर्जुन’ टैंक का इस्‍तेमाल किया गया. इसकी मारक क्षमता 4 किमी तक है. यह मिसाइल मॉडर्न टैंक्‍स से लेकर भविष्‍य के टैंक्‍स को भी नेस्‍तनाबूद करने में सक्षम है. भारत के पास ‘नाग’ जैसी गाइडेड मिसाइल पहले से है. नाग को NAMICA मिसाइल कैरियर से छोड़ा जाता है.