28 मई को प्रधानमंत्री ने नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने नवनिर्मित संसद भवन को 28 मई को राष्ट्र को समर्पित कर दिया. इस ऐतिहासिक अवसर पर वे 75 रुपये का एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किए.

मुख्य बिन्दु

  • संसद भवन के उद्घाटन की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आवास पर अधीनम संत से भेंट की थी और उनका आशीर्वाद लिया.
  • अधीनम संतों ने श्री मोदी को सेंगोल सौंपा जिसे प्रधानमंत्री ने नये संसद भवन में स्‍थापित किया है. अधीनम संत तमिलनाडु के गैर-ब्राह्मण शैव मठों में रहने वाले लोग हैं.
  • संसद के निर्माण में वैसे तो 60 हजार मजदूरों ने कार्य किया, लेकिन प्रतीक के रूप में इन 11 मजदूरों का सम्मान के लिए चयन किया गया था.

नया संसद: एक दृष्टि

  • नया संसद भवन रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के नये भवन की आधारशिला 10 दिसम्‍बर 2020 को रखी थी.
  • नया संसद भवन त्रिकोणीय है जिसका निर्माण 65 हजार वर्ग मीटर में किया गया है. पर्यावरण अनुकूल होने के कारण इस भवन को प्लेटिनम रेटिंग दी गई है और यह भवन पर्यावरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दर्शाता है.
  • लोकसभा चैम्बर को राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर बनाया गया है, जहां की क्षमता 888 सीट है, वहीं राज्यसभा चैम्बर को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर बनाया गया है और इसमें 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है. लोकसभा चैम्बर संयुक्त सत्र के लिए 1272 सीटों को समायोजित करने में सक्षम होगा.

भारतीय संसद का निर्माण: मुख्य तिथि

  • 12 फरवरी, 1921: ‘ड्यूक ऑफ कनॉट’ ने संसद भवन की आधारशिला रखी. उस समय इसे ‘काउंसिल हाउस’ कहा जाता था.
  • 18 जनवरी, 1927: तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने संसद भवन का उद्घाटन किया.
  • 9 दिसंबर, 1946: संविधान सभा की पहली बैठक.
  • 14-15 अगस्त, 1947: संविधान सभा के मध्यरात्रि सत्र में सत्ता का हस्तांतरण.
  • 3 अगस्त, 1970: तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि ने संसदीय सौध की आधारशिला रखी.
  • 24 अक्टूबर, 1975: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संसदीय सौध का उद्घाटन किया.
  • 15 अगस्त, 1987: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद पुस्तकालय की नींव रखी.
  • 31 जुलाई, 2017: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसदीय सौध के विस्तार किए गए हिस्से का उद्घाटन किया.
  • 10 दिसंबर, 2020: प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी.
  • 28 मई, 2023: प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया.

क्या है सेंगोल (Sengol)?

  • सेंगोल एक स्वर्ण परत वाला राजदण्ड है जिसे 28 मई 2023 को भारत के नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के आसन के पास स्थापित किया गया हैं. इसका इतिहास चोल साम्राज्य से जुड़ा है.
  • सेंगोल को सदियों पहले से दक्षिण भारत की चेरा, चोला और पंड्या वंशों में सत्ता का हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता हैं. उस समय पुराना राजा नए राजा को इसे सौंपता था.
  • भारत की आजादी का हस्तांतरण सेंगोल द्वारा हुआ था. 14 अगस्त 1947 को स्वतन्त्रता प्राप्ति की घोषणा के पश्चात तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सेंगोल सौंप दिया था. कुछ समय बाद में सेंगोल को इलाहाबाद संग्रहालय में रख दिया गया था.
  • सेंगोल की लंबाई लगभग 5 फीट है. इसके शीर्ष पर नंदी की प्रतिमा उकेरी गई है. नंदी भगवान शिव का वाहन है, जिस कारण इसका जुड़ाव शैव परंपरा से प्रदर्शित होता है. नंदी को पुराणों में शक्ति-सम्पन्नता और कर्मठता का प्रतीक माना गया हैं.
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आईएनएस विक्रांत के डेक पर मिग-29 लड़ाकू विमान की पहली नाइट लैंडिंग

भारतीय नौसेना ने आईएनएस विक्रांत विमानवाहक पोत के डेक पर ‘मिग-29K’ लड़ाकू विमान की पहली नाइट लैंडिंग कराकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की.

भारतीय नौसेना ने कहा है कि आईएनएस विक्रांत पर मिग-29K की पहली नाइट लैंडिंग आत्मनिर्भर भारत की दिशा में नौसेना की शक्ति का संकेत है.

आईएनएस विक्रांत, भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है. यह पोत 2 सितंबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था.

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हैदराबाद में नवपाषाण युग के पत्थर के औजार मिले

हैदराबाद में पुरातत्वविदों को नवपाषाण युग के पत्थर के दुर्लभ औजार मिले हैं. ये औजार हैदराबाद में जुबली हिल्स इलाके से सटे बीएनआर हिल्स में मिले हैं. शहर में पहली बार नवपाषाण युग के औजार मिले हैं. ईससे संकेत मिलते हैं कि इस शहर का इतिहास करीब 6,000 साल पुराना है.

मुख्य बिन्दु

  • नवपाषाण युग का संबंध उस अवधि से है जब मनुष्य पत्थर के बने औजारों तथा हथियारों का इस्तेमाल करते थे और खेती की शुरुआत की थी.
  • यहाँ नवपाषाण युग के पत्थर (टॉर्टोइज रॉक’) दो औजार मिले जिन्हें नवीन पाषाण युग के औजार के रूप में जाना जाता है. एक की लंबाई 12 सेंटीमीटर और दूसरे की 9 सेंटीमीटर और चौड़ाई 2.5 सेंटीमीटर है.
  • ये दो पत्थर पुरातत्व की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं. ये 4,000 से 2,000 ईसा पूर्व के हैं. ये औजार नीले ग्रेनाइट पत्थर के बने हैं.
  • ये पत्थर नीचे से अच्छी तरह पॉलिश किए हुए हैं और प्रत्येक औजार का एक छोर मोटा है ताकि उसमें लकड़ी का डंडा लगाया जा सके.
  • 4,000 ईसा पूर्व के आसपास ये चट्टानें नवपाषाण युग के लोगों का अस्थायी निवास स्थान थी जो कृषि, पशुपालन और शिकार पर निर्भर रहते थे.
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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की जापान, पापुआ न्‍यू गिनी और ऑस्‍ट्रेलिया की यात्रा

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 19 मई से 24 मई तक तीन देशों – जापान, पापुआ न्‍यू गिनी और ऑस्‍ट्रेलिया की यात्रा पर थे.

मुख्य बिन्दु

  • प्रधानमंत्री ने इस यात्रा के पहले चरण में 19 से 21 मई तक जापान में थे. श्री मोदी जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो के निमंत्रण पर हिरोशिमा में आयोजित जी-7 शिखर बैठक में हिस्सा लेंगे जापान गए थे.
  • तीसरा क्‍वॉड शिखर (Quadrilateral Security Dialogue) सम्मेलन 19 मई को आयोजित किया गया था. यह सम्मेलन जापान के शहर हिरोशिमा में G-7 सम्मेलन (G-7 Summit) के मौके पर आयोजित किया गया था.
  • हिरोशिमा शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी तीन औपचारिक सत्रों में थी. पहले सत्र में खाद्य, स्वास्थ्य, विकास और स्त्री-पुरुष समानता के बारे में चर्चा हुई. दूसरा सत्र जलवायु, ऊर्जा और पर्यावरण पर था. तीसरे सत्र का विषय था- ‘शांति, स्थिर और समृद्ध विश्व की ओर’.
  • प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर वार्ता से इतर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, ब्राजील के राष्‍ट्रपति लूला डि सिल्‍वा, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैंक्रों, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्‍ज और दक्षिण कोरिया के राष्‍ट्रपति यून सुक योएल के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं कीं.
  • इस यात्रा के दूसरे चरण में प्रधानमंत्री 21 मई को पापुआ न्यू गिनी गए थे. वहाँ वे पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मार्के के साथ हिंद-प्रशांत द्वीप सहयोग मंच (IPIC) की मेजबानी की थी.
  • इस यात्रा के तीसरे और अंतिम चरण में श्री मोदी 22 मई को आस्‍ट्रेलिया में सिडनी गए थे. यहाँ उन्होंने ऑस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी एलबनीज और गवर्नर जनरल डेविड हरले के साथ बैठक की थी.
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सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण का गठन किया

केंद्र सरकार ने दिल्ली में अफसरों के तबादले-नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (National Capital Civil Service Authority) का गठन किया है.

मुख्य बिन्दु

  • मुख्यमंत्री प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष होंगे, जबकि दिल्ली के प्रधान गृह सचिव पदेन सदस्य-सचिव होंगे. मुख्य सचिव भी इसके सदस्य होंगे.
  • यही प्राधिकरण सर्वसम्मति या बहुमत के आधार पर तबादले की सिफारिश करेगा, पर आखिरी फैसला दिल्ली के उपराज्यपाल का होगा. मुख्यमंत्री तबादले का फैसला अकेले नहीं कर सकेंगे. समूह-ए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भी यही प्राधिकरण अधिकृत होगा.
  • केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये 11 मई के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें तबादले-नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को दिया गया था.
  • सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था, उपराज्यपाल राज्य कैबिनेट के फैसले को मानने के लिए बाध्य हैं. वे कैबिनेट के फैसले में बदलाव नहीं कर सकते.
  • केंद्र सरकार ने इस प्राधिकरण का गठन एक अध्यादेश के माध्यम किया है. अध्यादेश में इस फैसले की वजह बताई है. इसमें कहा गया है कि दिल्ली में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थान और प्राधिकारी जैसे राष्ट्रपति, संसद, सुप्रीम कोर्ट मौजूद हैं. विदेशी राजनयिकों का आगमन होता रहता है. इसलिए यहां प्रशासन में उच्च गुणवत्ता का होना राष्ट्रीय हित में है.
  • केंद्र सरकार को संसद के मानसून सत्र में इस अध्यादेश पर लोकसभा व राज्यसभा की मंजूरी लेनी होगी. राज्यसभा में सरकार का बहुमत नहीं है. वहां विपक्षी पार्टियां इसे लेकर एकजुट हो सकती हैं.
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देहरादून में श्रीअन्न महोत्सव आयोजित किया गया

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 13 से 16 जून तक श्रीअन्न महोत्सव का आयोजन किया गया था. इसका उद्देश्य मोटे अनाजों के स्वास्थ्य लाभ से लोगों को अवगत कराना और राज्य में मोटे अनाजों के उत्पादन की क्षमता पर विमर्श करना था. महोत्वस में मोटे अनाज के 100 से अधिक स्टॉल लगाए गये थे.

मुख्य बिदु

  • इस महोत्सव में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ अन्य राज्यों के कृषि मंत्रियों, वैज्ञानिकों और किसानों ने हिस्सा लिया था.
  • महोत्सव का आयोजन मोटे अनाजों के उत्पादन के प्रति लोगों को आकर्षित करने के प्रयोजन से किया गया था.
  • उत्तराखंड में वर्ष 2025 तक मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाकर दोगुना करने का लक्ष्य है. उत्तराखंड के कृषि मंत्री राज्य सरकार ने मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए चालू वित्त वर्ष में 73 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
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स्‍टॉकहोम में यूरोपीय संघ हिन्‍द-प्रशांत मंत्रि‍स्‍तरीय वार्ता आयोजित किया गया

स्‍वीडन के स्‍टॉकहोम में 13 मई को यूरोपीय संघ हिन्‍द-प्रशांत मंत्रि‍स्‍तरीय वार्ता आयोजित किया गया था. इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ. सुब्रहमण्‍यम जयशंकर ने किया था.

मुख्य बिन्दु

  • विदेश मंत्री डॉ. सुब्रहमण्‍यम जयशंकर ने कहा है कि भारत और यूरोपीय संघ को विशेष रूप से हिन्‍द-प्रशांत को लेकर नियमित, व्‍यापक और स्‍पष्‍ट वार्ता करने की आवश्‍यकता है.
  • वार्ता में डॉ. जयशंकर ने कहा कि बातचीत केवल मौजूदा संकट तक ही सीमित नही है. उन्होंने कहा कि भारत में हो रहे परिवर्तनों पर यूरोपीय संघ को ध्यान देना होगा.
  • डॉ. जयशंकर ने नेताओं से वैश्‍वीकरण, हिन्‍द-प्रशांत और बाजार में भागीदारी का लाभ उठाने सहित छह बिन्दुओं पर विचार करने का आह्वान किया.
  • वैश्‍वीकरण के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि हिन्‍द-प्रशांत क्षेत्र में विकास के लिए प्रौद्योगिकी, व्यापार और वित्‍त से जुडे मुद्दों में यूरोपीय संघ की भूमिका महत्‍वपूर्ण है.
  • डॉ. जयशंकर ने  कहा कि हिन्‍द-प्रशांत वैश्विक राजनीति की दिशा का केन्‍द्र बन रहा है.
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भारत ने आईएनएस मोरमुगाओ से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया

भारतीय नौसेना ने 14 मई को फ्रंटलाइन गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर आईएनएस मोरमुगाओ से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया था.

मुख्य बिन्दु

  • नवीनतम गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मोरमुगाओ ने अपने पहले ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल फायरिंग के दौरान ‘बुल आई’ (लक्ष्य) को सफलतापूर्वक निशाना बनाया.
  • आईएनएस मोरमुगाओ भारतीय नौसेना के विशाखापत्तनम-श्रेणी के स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक का दूसरा जहाज है. ये जहाज और उसके शक्तिशाली हथियार, दोनों स्वदेशी, ‘आत्मनिर्भरता’ और समुद्र में भारतीय नौसेना की मारक क्षमता के एक और शानदार प्रतीक हैं.
  • ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल नौसेना की अग्रिम पंक्ति की मिसाइल है. इस मिसाइल परीक्षण ने समुद्र में नौसेना की शक्ति को एक बार फिर प्रदर्शित किया है.
  • ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड भारत-रूस का एक संयुक्त उद्यम है, जो सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल निर्मित करता है.
  • यह मिसाइल, पनडुब्बी, जहाज और विमान या जमीनी ‘प्लेटफॉर्म’ से दागी जा सकती है. ब्रह्मोस मिसाइल 2.8 मैक या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज गति से उड़ती है.
  • भारत ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात भी कर रहा है. पिछले साल जनवरी में भारत ने फिलीपींस के साथ मिसाइल की तीन बैटरियों की आपूर्ति के लिए 37.5 करोड़ डॉलर का सौदा किया था.
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रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में 928 सैन्‍य उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध

रक्षा मंत्रालय ने रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में आत्‍मनिर्भरता को प्रोत्‍साहन देने के लिए 928 सैन्‍य उपकरणों के आयात पर चरणबद्ध ढंग से प्रतिबंध लगा दिया है. मंत्रालय ने 14 मई को इस तरह की सूचियों में से चौथी सूची जारी की थी.

मुख्य बिन्दु

  • इससे पहले, दिसम्‍बर 2021, मार्च 2022 और अगस्‍त 2022 में तीन सूचियां जारी की गई थी. इनके तहत 1238 उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया था.
  • चौथी सूची के 928 सैन्‍य उपकरणों में लाइन रिपलेसमैंट यूनिट, सबसिस्‍टम और स्‍पेयर पार्ट्स शामिल हैं. इनके आयात पर दिसम्‍बर 2023 और दिसम्‍बर 2029 के बीच चरणबद्ध ढंग से प्रतिबंध लागू किया जाएगा.
  • इन उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध से 715 करोड रुपये बचेंगे. अब इन उपकरणों की खरीद भारतीय उद्योग से की जाएगी.
  • पहली तीन सूची में शामिल 1238 उपकरणों में से 310 का उत्‍पादन भारत में ही होने लगा है. यह उपकरण लडाकू विमानों, प्रशिक्षण विमानों, युद्धपोतों और विभिन्न प्रकार के गोलाबारूद में इस्तेमाल किये जाते हैं.
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ISRO ने हाल ही में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान ‘PSLV C-55’ को सफलतापूर्वक लॉन्च किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्‍द्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान PSLV C-55 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. यह प्रक्षेपण न्‍यू स्‍पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) द्वारा किया गया, जो इसरो की वाणिज्यिक शाखा है.

मुख्य बिन्दु

  • इसरो ने PSLV C-55 प्रक्षेपण यान द्वारा सिंगापुर के दो उपग्रह 741 किलोग्राम वजन वाला प्रा‍थमिक उपग्रह ‘TeLEOS-2’ और 16 किलोग्राम भार वाला दूसरा उपग्रह Lumelite-4 को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया.
  • यह PSLV की 57वीं उडान थी. इस यान से उपग्रह प्रक्षेपण का यह सोलहवां मिशन था. C-55, PSLV यान का सबसे हल्का संस्करण है.
  • वैज्ञानिकों ने PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल-2 (POEM-2) का उपयोग इसके द्वारा किये गए गैर-पृथक पेलोड के माध्यम से वैज्ञानिक प्रयोगों को करने हेतु एक कक्षीय मंच के रूप में किया.
  • TeLEOS-2 पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (EOS) है और रॉकेट द्वारा ले जाया जाने वाला प्राथमिक उपग्रह होगा. यह सभी मौसमों में दिन और रात में कवरेज प्रदान करने में सक्षम होगा.
  • वर्ष 2015 में ISRO ने TeLEOS-1 लॉन्च किया, जिसे रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन के लिये पृथ्वी की निचली कक्षा में लॉन्च किया गया था.
  • LUMILITE-4 एक उन्नत 12U उपग्रह है जिसे उच्च-प्रदर्शन अंतरिक्ष-जनित VHF डेटा एक्सचेंज सिस्टम (VDES) के तकनीकी प्रदर्शन के लिये विकसित किया गया है.
  • POEM इसरो (ISRO) का एक प्रायोगिक मिशन है जो PSLV प्रक्षेपण यान के चौथे चरण के दौरान कक्षीय मंच के रूप में कक्षा में वैज्ञानिक प्रयोग करता है.
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भारत ने बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया

भारत ने 23 अप्रैल को ओडिशा के तट से बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. यह भारत का पहला इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण है.

मुख्य बिन्दु

  • भारतीय नौसेना, और DRDO द्वारा किया गया यह परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह सिस्टम लंबी दूरी तक दुश्मन के मिसाइलों और एयरक्राफ्ट को मार गिराने में सक्षम है.
  • चीन और पाकिस्तान के मिसाइलों और फाइटर जेट और ड्रोन विमानों के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत का यह परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
  • इसके दो वैरिएंट्स हैं. पहला ‘AD-1’, और दूसरा ‘AD-2’ दोनों ही मिसाइल 5000 किमी की रेंज वाली मिसाइलों को मार गिरा सकती है. नवंबर 2022 में इस मिसाइल की जमीनी वैरिएंट ‘AD-1’ का सफल परीक्षण किया गया था.
  • नौसेना ने जिस AD-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया है वह मिसाइल दुश्मन की मिसाइल पर 5367 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से हमला करने में सक्षम है.
  • इन मिसाइलों को IRBM मिसाइलों को नष्ट करने के मकसद से बनाया गया है. अगर कोई पड़ोसी मुल्क इतनी दूर से मिसाइल दागता है तो भारतीय नौसेना उसे रास्ते में ही इस मिसाइल की मदद से ध्वस्त कर देगी.
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केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय क्‍वांटम मिशन को मंजूरी दी

केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय क्‍वांटम मिशन (National Quantum Mission) को मंजूरी दी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 अप्रैल को नई दिल्ली में एक बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया.

मुख्य बिन्दु

  • इस मिशन का उद्देश्य क्वांटम टेक्नोलॉजी पर आधारित आर्थिक उन्नति को बढ़ावा देना है. साथ ही, भारत को क्वांटम तकनीक और एप्लीकेशन की उपयोगिता के क्षेत्र में सबसे अग्रणी राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
  • इस मिशन को 2023-24 से सात वर्ष की अवधि के लिए छह हजार करोड रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है.
  • क्वांटम आधारित नेशनल मिशन को मंजूरी मिलने के बाद भारत सातवां ऐसा देश बन गया है जिसने क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए एक डेडिकेटेड मिशन शुरू किया है.
  • अमेरिका, चीन, फ्रांस, कनाडा, फिनलैंड और ऑस्ट्रिया पहले से ही क्वांटम तकनीक के क्षेत्र व इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.

क्या है राष्ट्रीय क्वांटम मिशन

  • इस मिशन के तहत आगामी आठ वर्षों में भारत का लक्ष्य इंटरमीडिएट स्केल क्वांटम कंप्यूटर को विकसित करना है. जिनकी फिजिकल क्षमता 50-1000 क्यूबिट्स की होगी और इनकी उपयोगिता बहुत सारे प्लेटफॉर्म पर की जाएगी. खास करके सुपरकंडक्टिंग और फोटोनीक टेक्नॉलजी के लिए.
  • भारत में पृथ्वी के स्टेशन से 2000 किलोमीटर के रेंज तक सैटेलाइट बेस्ड सेक्योर क्वांटम आधारित संचार किये जा सकेंगे. इसके अलावा लंबी दूरी के लिए दूसरे अन्य देशों के साथ भी संचार स्थापित किए जा सकेंगे.
  • इसके अलावा राष्ट्रीय क्वांटम कार्यक्रम के तहत संचार और नेविगेशन के लिए स्वदेशी मैग्नेटोमीटर, परमाणु घड़ियों, सिंगल फोटॉन आदि के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.
  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन का संचार, स्वास्थ्य, वित्त, ऊर्जा, दवा डिजाइन और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों सहित कई उद्योगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

क्या है क्वांटम टेक्नोलॉजी?

क्वांटम प्रौद्योगिकी क्वांटम सिद्धांत पर आधारित होता है, जो परमाणु और उप-परमाणु स्तर पर ऊर्जा और पदार्थ की प्रकृति की व्याख्या करती है. इसकी सहायता से डेटा और इंफॉर्मेशन को कम-से-कम समय में प्रोसेस किया जा सकता है. यह महत्त्वपूर्ण क्षमता क्वांटम कंप्यूटरों को पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में बेहद शक्तिशाली बनाती है.

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