ओडिशा के एक सार्वजनिक परिवहन सेवा को संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार

ओडिशा के एक सार्वजनिक परिवहन सेवा मो बस सहित विश्व के 10 वैश्विक पहलों को संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार (यूएन पब्लिक सर्विस अवार्ड्स) से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार दुनिया को कोविड-19 से बेहतर तरीके से उबरने में उनकी भूमिका और प्रयासों के लिए दिया गया है.

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा 22 जून को आयोजित एक डिजिटल समारोह में ब्राजील, कनाडा, भारत, आयरलैंड, पनामा, फिलीपींस, पोलैंड, सऊदी अरब, थाईलैंड और यूक्रेन की दस पहलों को इन पुरस्कारों से सम्मानित किया.

17वां मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव आयोजित किया गया

17वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (MIFF) का आयोजन 29 मई से 4 जून तक मुंबई के वर्ली स्थित नेहरू सेंटर ऑडिटोरियम में किया गया था. महोत्सव का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल ने किया था. इस दौरान दुनिया भर से वृत्तचित्र, लघु कथा और एनिमेशन फिल्मों का हाइब्रिड तरीके से प्रदर्शन किया गया.

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने वृत्तचित्र, लघु कथा फिल्‍म और एनिमेशन फिल्मों के लिए शीर्ष पुरस्कार प्रदान किए.

MIFF 2022: मुख्य बिंदु

  • डच फिल्म ‘टर्न योर बॉडी टू द सन’ (Turn Your Body To The Sun) को सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र के लिए गोल्डन शंख पुरस्कार दिया गया.
  • बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस साल उसे ‘कंट्री ऑफ फोकस’ चुना गया था. फिल्म ‘हसीना- ए डॉटर्स टेल’ सहित बांग्लादेश की 11 फिल्मों का एक विशेष पैकेज MIFF 2022 में प्रस्तुत किया गया.
  • मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (MIFF) का समापन 4 जून को हुआ. सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री डॉक्‍टर एल मुरुगन और अन्य गणमान्‍य अतिथियों की उपस्थिति में यह समारोह आयोजित किया गया था.
  • MIFF में महोत्सव की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए एक गोल्‍डेन कौंच और 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है. अन्य पुरस्कारों में 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक के नकद पुरस्कार के अलावा सिल्‍वर कौंच, ट्रॉफी एवं प्रमाण पत्र दिए जाते हैं.

75वां कान फिल्‍मोत्‍सव 2022: फिल्म ट्राएंगल ऑफ़ सैडनेस को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार

75वां कांस फिल्म समारोह (75th Cannes Film Festival 2022) 17 मई से 28 मई तक फ्रांस के ग्रैंड लुमियर थिएटर में आयोजित किया गया था. यह इस फिल्‍मोत्‍सव का 75वाँ आयोजन था.

पुरस्कार विजेताओं का चयन फ्रांसीसी अभिनेता विन्सेंट लिंडन की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय जूरी ने किया था. इस जूरी में भारतीय अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी शामिल थी.

इस समारोह में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार ‘पाल्म-डे ओर’ (The Palme d’Or) रूबेन ओस्टलंड द्वारा निर्देशित फिल्म ‘ट्राएंगल ऑफ़ सैडनेस’ (Triangle of Sadness) को दिया गया.

शौनक सेन को ‘लोए द् ओर, पुरस्‍कार

भारतीय फिल्‍म निर्माता शौनक सेन को इस महोत्‍सव में सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र के लिए ‘लोए द् ओर’ (L’Oeil d’Or) पुरस्‍कार दिया गया है. शौनक सेन को यह पुरस्‍कार उनके वृत्‍तचित्र ‘ऑल दैट ब्रीद्ज़’ (All That Breathes) के लिए दिया गया है.

मुख्य पुरस्कार विजेता: एक दृष्टि

  1. पाल्मे डी ओर: ट्राएंगल ऑफ़ सैडनेस (रूबेन ओस्टलंड द्वारा निर्देशित)
  2. सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री: जर अमीर इब्राहिमी (होली स्पाइडर)
  3. सर्वश्रेष्ठ अभिनेता: सॉंग कांग (हो ब्रोकर के लिए)
  4. ग्रैंड प्रिक्स: स्टार्स एट नून (क्लेयर डेनिस द्वारा निर्देशित) और क्लोज़ (लुकास धोंटे द्वारा निर्देशित)
  5. जूरी प्राइज: ईओ (जेरज़ी स्कोलिमोव्स्की द्वारा निर्देशित) और ले ओटो मोंटेग्ने (चार्लोट वेंडरमेर्श और फेलिक्स वैन ग्रोएनिंगन द्वारा निर्देशित)
  6. लोए द् ओर (Golden Eye): ऑल दैट ब्रीद्ज़ (भारतीय फिल्‍म निर्माता शौनक सेन द्वरा निर्देशित वृत्‍तचित्र)

कान फिल्मोत्सव: एक दृष्टि

कान फ़िल्मोत्सव (le Festival international du film de Cannes or simply le Festival de Cannes) का प्रारंभ 1939 में हुआ था. यह विश्व के सबसे सम्मान जनक फ़िल्म उत्सवों में से एक माना जाता है.

कान फिल्मोत्सव में भारत

  • प्रथम कान फिल्मोत्सव (1946) में चेतन आनंद की हिंदी फिल्म ‘नीचा नगर’ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला था.
  • दूसरी बार 1956 में सत्यजीत राय की ‘पथेर पांचाली’ को यह पुरस्कार मिला.
  • कान में मृणाल सेन की फिल्म ‘खारिज’ (1983) को स्पेशल जूरी अवार्ड और मीरा नायर की ‘सलाम बॉम्बे’ (1988) को कैमरा डि ओर तथा आडियंस अवार्ड मिल चुका है.
  • भारतीय फिल्म निर्माता अच्युतानंद द्विवेदी की फिल्म ‘सीड मदर’ ‘इंटरनेशनल सेक्शन ऑफ नेसप्रेसो टैलेंट्स 2019’ श्रेणी में तीसरा पुरस्कार दिया गया.
  • भारतीय निर्देशक पायल कपाड़िया की ‘ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग’ को 2021 में सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र के लिए ओइल डीओर (गोल्डन आई) पुरस्कार प्रदान किया गया.

गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

भारतीय हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह पुरस्कार उनके द्वारा लिखित उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के लिए दिया गया है.

गीतांजलि श्री को 26 मई को लंदन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया गया. ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ यह पुरस्कार जीतने वाला किसी भी भारतीय भाषा से अनुवादित पहला उपन्यास है.

अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022: मुख्य बिंदु

  • गीतांजलि श्री न केवल हिंदी की पहली पुरस्कार विजेता हैं, बल्कि यह पहली बार है कि किसी भारतीय भाषा में लिखी गई पुस्तक ने बुकर पुरस्कार जीता है.
  • गीतांजलि श्री की यह पुस्तक मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी. इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ डेजी रॉकवेल (Daisy Rockwell) ने किया है.
  • ‘रेत समाधि’ उत्तर भारत की एक 80 साल की महिला की कहानी है जो अपने पति की मौत के बाद तनाव में चली जाती है और एक नया जीवन शुरू करना चाहती है.
  • पुरस्कार विजेता को 50,000 पाउंड (करीब 49.57 लाख रुपए) की राशि प्रदान की जाएगी, जो लेखक (गीतांजलि श्री) और अनुवादक (डेजी रॉकवेल) के बीच समान रूप से विभाजित होगी.

अन्तर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार: एक दृष्टि

  • यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष किसी भी भाषा के काल्पनिक कथा उपन्यास को दिया जाता है जिसका अनुवाद अंग्रेजी में हुआ है और प्रकाशन ब्रिटेन अथवा आयरलैंड में हुआ हो. यह पुरस्कार ‘मूल बुकर पुरस्कार’ से अलग है.
  • इस पुरस्कार विजेता को 50,000 पाउंड की इनाम राशि प्रदान की जाती है. नियमों के अनुसार यह ईनाम राशि लेखक और अनुवादक के बीच बराबर-बराबर बांटी जाती है.

गीतांजलि श्री: एक दृष्टि

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जन्मी गीतांजलि जानी-मानी उपन्यासकार हैं. ‘वैराग्य’ और ‘यहां हाथी रहते थे’ जैसे कहानी संग्रहों में उनके द्वारा लिखी गयी मुख्य कहानियां हैं. गीतांजलि श्री का पहला उपन्यास ‘माई’ था. ‘हमारा शहर उस बरस’, ‘तिरोहित’ और ‘खाली जगह’ उनके द्वारा लिखित अन्य मुख्य उपन्यास हैं.

वर्ष 2022 का टेंपलटन पुरस्कार फ्रैंक विल्जेक को दिया गया

वर्ष 2022 का टेंपलटन पुरस्कार (Templeton Prize) भौतिक विज्ञानी फ्रैंक विल्जेक (Frank Wilczek) को दिया गया गया है. यह प्राप्त करने वाले वह छठे नोबेल पुरस्कार विजेता हैं. उन्हें एच डेविड पोलित्ज़र और डेविड ग्रॉस के साथ वर्ष 2004 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिया गया था.

टेंपलटन पुरस्कार: एक दृष्टि

  • यह पुरस्कार जॉन टेम्पलटन द्वारा वर्ष 1972 में स्थापित किया गया था. टेंपलटन पुरस्कार प्रतिवर्ष ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जिसकी उपलब्धियां सर जॉन टेम्पलटन की परोपकारी दृष्टि को आगे बढ़ाती हैं.
  • यह पुरस्कार जॉन टेम्पलटन फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है. पहला टेंपलटन पुरस्कार वर्ष 1973 में मदर टेरेसा को दिया गया था.

प्रतिष्ठित वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को रॉयल गोल्ड मेडल-2022 से सम्मानित किया गया

प्रतिष्ठित भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को ‘रॉयल गोल्ड मेडल’ (Royal Gold Medal) 2022 से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह सम्मान उनके 70 वर्षीय करियर और 100 से ज्यादा परियोजनाओं में बेहद अहम उपलब्धि हासिल करने के लिए दिया गया है. रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स (RIBA) के अध्यक्ष साइमन ऑलफोर्ड ने दोशी को अहमदाबाद, गुजरात में यह पुरस्कार प्रदान किया.

  • बीवी दोशी ने 100 से अधिक परियोजनाओं पर काम किया है जिसमें शैक्षिक सुविधाएं, सांस्कृतिक भवन, आवास विकास आदि शामिल हैं.
  • वर्ष 2018 में, उन्हें वास्तुकला का नोबल कहे जाने वाले प्रित्ज़कर आर्किटेक्चर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. वह दोनों पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बन गये हैं.

रॉयल गोल्ड मेडल: एक दृष्टि

  • यह पुरस्कार रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स (RIBA) द्वारा प्रत्येक वर्ष दिया जाता है. यह वास्तुकला (architecture) के क्षेत्र में दिया जाने वाला दुनिया के सर्वोच्च सम्मानों में से एक है.
  • यह सम्मान आजीवन किए गए काम को मान्यता देने वाले रॉयल गोल्ड मेडल को व्यक्तिगत रूप से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा अनुमोदित किया जाता है और इसे ऐसे व्यक्ति या लोगों को दिया जाता है, जिनका वास्तुकला की उन्नति पर महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है.

पुलित्जर पुरस्कार की घोषणा, सार्वजनिक सेवा पत्रकारिता पुरस्कार वाशिंगटन पोस्ट को

साल 2022 के लिए पुलित्जर पुरस्कार (Pulitzer Prize 2022) के विजेताओं की घोषणा 9 मई को की गई थी. इस वर्ष वाशिंगटन पोस्ट ने सार्वजनिक सेवा पत्रकारिता में पुलित्जर पुरस्कार जीता है, जिसने 6 जनवरी 2021 के कैपिटल हिल पर हमले की रिपोर्टिंग की थी.

मुख्य बिंदु

  • पुरस्कार प्राप्त भारतीयों में अदनान आबिदी, सना इरशाद मट्टू, अमित दवे और दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) शामिल हैं.
  • रायटर्स के दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी की पिछले साल अफगानिस्‍तान के सैनिकों और तालिबान लड़ाकों के बीच हुए संघर्ष को कवर करते हुए मौत हो गई थी.
  • न्यूयार्क टाइम्स ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टिंग दोनों श्रेणी में ही पुरस्कार जीता.
  • मियामी हेराल्ड के कर्मचारी, फ्लोरिडा में समुद्रतट अपार्टमेंट टावरों के ढहने के कवरेज के लिए ‘ब्रेकिंग न्यूज रिपोर्टिंग’ श्रेणी में पुरस्कार दिया गया.

पुलित्जर पुरस्कार (Pulitzer Prize): एक दृष्टि

  • पुलित्जर पुरस्कार, संयुक्त राज्य अमेरिका का एक प्रमुख पुरस्कार है. इसकी स्थापना 1917 में हंगरी मूल के अमेरिकी प्रकाशक जोसेफ पुलित्जर ने की थी.
  • यह पुरस्कार पत्रकारिता, साहित्य एवं संगीत रचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को प्रदान किया जाता है. यह पत्रकारिता के क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है.
  • इस पुरस्कार की घोषणा प्रत्येक वर्ष कोलम्बिया विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता है. यह पुरस्कार 21 श्रेणियों में प्रदान किया जाता है.
  • पुलित्जर लोकसेवा श्रेणी के पुरस्कार के विजेताओं को एक गोल्ड मेडल दिया जाता है और अन्य श्रेणी के पुरस्कारों में सभी को 15,000 डॉलर दिए जाते हैं.

अमेरिका के वैज्ञानिक डॉ सिंथिया रोसेनज़विग को विश्व खाद्य पुरस्कार देने की घोषणा

विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन ने अमेरिका के वैज्ञानिक डॉ सिंथिया रोसेनज़विग (Cynthia Rosenzweig) को विश्व खाद्य पुरस्कार (World Food Prize) 2022  देने की घोषणा की है. उन्हें ‘जलवायु और खाद्य प्रणालियों के बीच संबंध’ पर उनके शोध के लिये यह पुरस्कार दिया गया है. पुरस्कार के रूप में उन्हें 2,50,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 1.90 करोड़ रुपये) दिए जाएंगे.

विश्व खाद्य पुरस्कार क्या है?

  • विश्व खाद्य पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है. इसे कृषि के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार माना जाता है. यह पुरस्कार अमेरिकी संस्था ‘व‌र्ल्ड फूड प्राइज फाउंडेशन’ द्वारा वर्ष 1987 से दिया जा रहा है. दुनिया में भोजन की गुणवत्ता और उपलब्धता में उल्लेखनीय सुधार करके वाले व्यक्तियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है.
  • पुरस्कार विजेता को 2,50,000 अमेरिकी डॉलर के नकद पुरस्कार के अलावा प्रसिद्ध कलाकार और डिजाइनर, शाऊल बास द्वारा डिज़ाइन की गई एक मूर्ति प्रदान की जाती है.
  • डॉ. एमएस स्वामीनाथन जिन्हें भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है, वर्ष 1987 में इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे.
  • वर्ष 2021 में भारतीय मूल की पोषण विशेषज्ञ डॉ शकुंतला हरक सिंह थिल्स्टेड ने पुरस्कार जीता और वर्ष 2020 में भारतीय अमेरिकी मृदा वैज्ञानिक डॉ रतन लाल को यह पुरस्कार दिया गया था.

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को 24 अप्रैल को लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्‍कार 2022 से सम्‍मानित किया गया. राष्‍ट्र-निर्माण में अनुकरणीय योगदान के लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया है.

प्रख्यात गायक राहुल देशपांडे, अभिनेत्री आशा पारेख और अभिनेता जैकी श्रॉफ को मास्टर दीनानाथ स्पेशल ऑनर पुरस्कार दिया गया है.

भारतीय संगीत के लिए राहुल देशपांडे को मास्टर दीनानाथ पुरस्कार, संजय छाया को नाटक के लिए बेस्ट ड्रामा अवार्ड और मुंबई डब्बावाला को मास्टर दीनानाथ आनंदमयी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्‍कार: एक दृष्टि

यह पुरस्‍कार भारत रत्‍न लता मंगेशकर की स्मृति में मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान चैरिटेबल ट्रस्ट ने शुरू किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी इस पुरस्कार के पहले विजेता हैं.

यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष ऐसे व्यक्तियों को दिया जायेगा जिन्होंने राष्ट्र और उसके नागरिकों के प्रति अग्रणी और अनुकरणीय योगदान दिया हो.

डॉक्‍टर भूषण कुमार और सहयोग कुष्ठ यज्ञ ट्रस्ट  को अंतर्राष्ट्रीय गांधी पुरस्कार

चंडीगढ़ के डॉक्‍टर भूषण कुमार और सहयोग कुष्ठ यज्ञ ट्रस्ट, गुजरात को कुष्ठ रोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय गांधी पुरस्कार-2021 से सम्मानित किया गया है. उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने यह पुरस्कार 13 अप्रैल को नई दिल्ली में प्रदान किया.

  • उपराष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्‍टर भूषण कुमार और सहयोग कुष्ठ यज्ञ ट्रस्ट दोनों ही कुष्ठ रोग के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और पीड़ित लोगों की देखभाल के लिए निष्‍ठा से काम कर रहे हैं.
  • यह वार्षिक पुरस्कार गांधी मेमोरियल लेप्रोसी फाउंडेशन द्वारा स्थापित किया गया था. यह सम्मान उन व्यक्तियों व संगठनों के कार्य को मान्यता और महत्व देने के लिए है जिन्होंने इस बीमारी और इससे जुड़े पूर्वाग्रहों से लड़ने के लिए अथक प्रयास किया है.

नीलमणि फुकन को 56वें ज्ञानपीठ पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया

असमी भाषा के प्रसिद्ध कवि नीलमणि फुकन को 11 अप्रैल को गुवाहाटी में 56वें ज्ञानपीठ पुरस्‍कार (Gyanpeeth Award) से सम्‍मानित किया गया.

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने 56वें और 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (Gyanpeeth Award) की घोषणा दिसम्बर 2021 में की थी. वर्ष 2020 के लिए असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन को तथा वर्ष 2021 के लिए कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजो (Damodar Maujo) को दिए जाने की घोषणा की गयी थी.
  • नीलमणि फूंकन मूलत: असमिया भाषा के भारतीय कवि और कथाकार हैं. उन्होंने कविता की तेरह पुस्तकें लिखी हैं. सूर्य हेनो नामि अहे एई नादियेदी, मानस-प्रतिमा और फुली ठका, सूर्यमुखी फुल्तोर फाले, कोबिता, गुलापी जमूर लग्‍न आदि उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं.
  • 84 वर्ष के श्री फूकन ज्ञानपीठ पुरस्‍कार प्राप्‍त करने वाले तीसरे असमी भाषा के साहित्यकार हैं. उनसे पहले 1979 में बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य और 2000 में इंदिरा गोस्वामी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

ज्ञानपीठ पुरस्कार: एक दृष्टि

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार साहित्‍य के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्‍च सम्‍मान है.
  • यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में बताई गई भाषाओं में से किसी भाषा के लेखन के लिए दिया जाता है.
  • पुरस्कार में 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है.
  • पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था.
  • अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार यह पुरस्कार पा चुके हैं. यह पुरस्कार बांग्ला को 5 बार, मलयालम को 4 बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को 3-3 बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को 2-2 बार मिल चुका है.
  • वर्ष 2017 का ज्ञानपीठ पुरस्कार हिन्‍दी के प्रख्‍यात उपन्‍यासकार कृष्‍णा सोबती को दिया गया था.
  • वर्ष 2018 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से अंग्रेजी के मशहूर साहित्यकार अमिताव घोष सम्मानित किये गये थे. ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह देश के अंग्रेजी के पहले लेखक हैं.
  • वर्ष 2019 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से मलयालम कवि अक्कीथम को सम्मानित किया गया था.

‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट होने वाला पहला हिंदी उपन्यास बना

लेखिका गीतांजलि श्री द्वारा लिखित उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है. यह बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट होने वाला पहला हिंदी उपन्यास बन गया है. अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार समारोह 26 मई को लंदन में आयोजित होगा.

  • गीतांजलि श्री की यह पुस्तक मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी. इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ डेजी रॉकवेल ने किया है.
  • ‘रेत समाधि’ उत्तर भारत की एक 80 साल की महिला की कहानी है जो अपने पति की मौत के बाद तनाव में चली जाती है और एक नया जीवन शुरू करना चाहती है.
  • इस पुरस्कार के लिए पांच अन्य किताबों को भी शॉर्टलिस्ट किया है. पुरस्कार विजेता को 50,000 पाउंड (करीब 49.57 लाख रुपए) की राशि प्रदान की जाएगी, जो लेखक और अनुवादक के बीच समान रूप से विभाजित होगी.

गीतांजलि श्री: मुख्य तथ्य

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जन्मी गीतांजलि जानी-मानी उपन्यासकार हैं. ‘वैराग्य’ और ‘यहां हाथी रहते थे’ जैसे कहानी संग्रहों में उनके द्वारा लिखी गयी मुख्य कहानियां हैं. गीतांजलि श्री का पहला उपन्यास ‘माई’ था. ‘हमारा शहर उस बरस’, ‘तिरोहित’ और ‘खाली जगह’ उनके द्वारा लिखित अन्य मुख्य उपन्यास हैं.