नीलमणि फुकन को 56वें ज्ञानपीठ पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया

असमी भाषा के प्रसिद्ध कवि नीलमणि फुकन को 11 अप्रैल को गुवाहाटी में 56वें ज्ञानपीठ पुरस्‍कार (Gyanpeeth Award) से सम्‍मानित किया गया.

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने 56वें और 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (Gyanpeeth Award) की घोषणा दिसम्बर 2021 में की थी. वर्ष 2020 के लिए असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन को तथा वर्ष 2021 के लिए कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजो (Damodar Maujo) को दिए जाने की घोषणा की गयी थी.
  • नीलमणि फूंकन मूलत: असमिया भाषा के भारतीय कवि और कथाकार हैं. उन्होंने कविता की तेरह पुस्तकें लिखी हैं. सूर्य हेनो नामि अहे एई नादियेदी, मानस-प्रतिमा और फुली ठका, सूर्यमुखी फुल्तोर फाले, कोबिता, गुलापी जमूर लग्‍न आदि उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं.
  • 84 वर्ष के श्री फूकन ज्ञानपीठ पुरस्‍कार प्राप्‍त करने वाले तीसरे असमी भाषा के साहित्यकार हैं. उनसे पहले 1979 में बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य और 2000 में इंदिरा गोस्वामी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

ज्ञानपीठ पुरस्कार: एक दृष्टि

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार साहित्‍य के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्‍च सम्‍मान है.
  • यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में बताई गई भाषाओं में से किसी भाषा के लेखन के लिए दिया जाता है.
  • पुरस्कार में 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है.
  • पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था.
  • अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार यह पुरस्कार पा चुके हैं. यह पुरस्कार बांग्ला को 5 बार, मलयालम को 4 बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को 3-3 बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को 2-2 बार मिल चुका है.
  • वर्ष 2017 का ज्ञानपीठ पुरस्कार हिन्‍दी के प्रख्‍यात उपन्‍यासकार कृष्‍णा सोबती को दिया गया था.
  • वर्ष 2018 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से अंग्रेजी के मशहूर साहित्यकार अमिताव घोष सम्मानित किये गये थे. ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह देश के अंग्रेजी के पहले लेखक हैं.
  • वर्ष 2019 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से मलयालम कवि अक्कीथम को सम्मानित किया गया था.