सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर अपना फैसला सुनाया
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में दर्ज मतों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ शत-प्रतिशत की मांग करने वाली याचिकाओं पर 26 अप्रैल को अपना निर्णय सुनाया. यह फैसला न्यायाधीश संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की एक पीठ ने सुनाया.
मुख्य बिन्दु
- सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपीएटी की पर्चियों के साथ ईवीएम के आंकड़ों के शत-प्रतिशत मिलान वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया.
- सर्वोच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग के लिए दो निर्देश दिए. न्यायालय ने कहा कि ईवीएम में सिंबल्स लोड किए जाने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट – एसएलयू को सील करके कंटेनरों में सुरक्षित रख लिया जाना चाहिए.
- इस सील पर उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर होने चाहिए. सील किए गए कंटेनरों को परिणाम घोषित होने के कम से कम 45 दिनों तक ईवीएम के साथ स्टोर रूम में रखा जाना चाहिए. उन्हें ईवीएम की तरह ही खोला और सील किया जाना चाहिए.
- अन्य निर्देश में न्यायालय ने कहा कि ईवीएम के पांच प्रतिशत में बर्न्ट मेमोरी सेमीकंट्रोलर, कंट्रोल यूनिट है. दो या तीन उम्मीदवारों के लिखित अनुरोध पर परिणामों की घोषणा के बाद ईवीएम निर्माता के इंजीनियरों द्वारा प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के हिसाब से बैलेट यूनिट और वीवीपीएटी की जांच और सत्यापन किया जाना चाहिए.
- इस प्रकार का अनुरोध परिणामों की घोषणा के बाद सात दिनों के भीतर किया जाना चाहिए. इस प्रकार के अनुरोध पर होने वाले खर्च को उम्मीदवार वहन करेगा. यदि ईवीएम से छेडछाड की गई है तो वह खर्च उम्मीदवार को लौटा दिया जाएगा.