अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर जर्मनी के म्यूनिख में सुरक्षा सम्मेलन सम्मेलन

जर्मनी के म्यूनिख में 18-20 फरवरी को सुरक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन में 70 से अधिक देशों के 350 से अधिक नेताओं और अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

नाटो और यूरोपीय संघ के वरिष्ठ राजनेताओं, राजनयिकों, सैन्य और सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ-साथ भारत, चीन, जापान, ईरान और रूस जैसे अन्य देशों को इस सम्मेलन में रक्षा और सुरक्षा नीतियों में मौजूदा मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया गया था.

सम्मेलन में भारत

विदेश मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया था. विदेश मंत्री जर्मनी और फ्रांस की छह दिवसीय यात्रा के दौरान इस सम्मेलन जर्मनी यात्रा के दौरान डॉ. जयशंकर हिन्‍द प्रशांत पर एक परिचर्चा में भी भाग लेंगे.

इस सम्मेलन के दौरान यूरोप, एशिया और दुनिया के अन्‍य देशों के मंत्रियों के साथ बैठक की. डॉ. जयशंकर ने रोमानिया, मंगोलिया और स्‍वीडन के विदेश मंत्रियों तथा अन्‍य प्रतिनिधियों के साथ बैठक की.

मुख्य बिंदु

  • रोमानिया के विदेश मंत्री बोगदान ऑरेस्कु के साथ बैठक में डॉ. जयशंकर ने गतिशीलता, साइबर, अंतरिक्ष, रक्षा, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा की.
  • स्वीडन विदेश मंत्री एन लिंडे के साथ, विदेश मंत्री ने द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति और संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा की.
  • डॉ. एस. जयशंकर और मंगोलिया के विदेश मंत्री बत्सेत्सेग बटमुंख ने ऊर्जा, आईटी और कोयला क्षेत्रों सहित विभिन्न मुद्दों पर सहयोग पर चर्चा की.
  • विदेश मंत्री ने यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ भी मुलाकात की और पारदर्शिता, विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला और विश्व व्यवस्था पर चर्चा की. उन्होंने मजबूत भारत-यूरोपीय संघ सहयोग के लिए प्रतिबद्धता दोहराई.
  • इससे पहले डॉ. एस. जयशंकर ने सिंगापुर के रक्षा मंत्री एनजी इंग हेन (Ng Eng Hen) से मुलाकात की. उन्होंने द्विपक्षीय और आसियान से संबंधित रक्षा सहयोग तथा महत्‍वपूर्ण क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. विदेश मंत्री ने अमरीका के पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से भी मुलाकात की.

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन: एक दृष्टि

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर चर्चा के लिए प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है. यह सम्मेलन सिर्फ बहस के लिए प्रयोग किया जाता है; अंतर-सरकारी निर्णयों को बाध्य करने के लिए यह कोई प्राधिकरण नहीं है.