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इंडियन ऑयल ने UCO आधारित बायोडीजल मिश्रित डीजल की आपूर्ति शुरू की

सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल ने 4 मई को UCO (Used Cooking Oil) आधारित बायोडीजल मिश्रित डीजल की आपूर्ति शुरू की है. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इंडियन ऑयल के टिकरीकलां टर्मिलन, दिल्ली से IOI योजना के तहत UCO आधारित बायोडीजल मिश्रित डीजल की पहली आपूर्ति शुरू की.

UCO आधारित बायोडीजल क्या है?

बायोडीजल एक वैकल्पिक ईंधन है, जो पारंपरिक या फॉसिल डीजल की तरह है. यह बायोडीजल खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किए गए तेल (Used Cooking Oil) से बना है. संक्षिप्त में इसे UCO आधारित बायोडीजल कहते हैं. यह वनस्पति तेलों, एनिमल फैट, चरबी और वेस्ट कुकिंग ऑयल से उत्पादित किया जाता है. बायोडीजल का एक विशिष्ट लाभ इसकी कार्बन न्यूट्रेलिटी है.

सरकार ने UCO (Used Cooking Oil) आधारित बायोडीजल की पहल 10 अगस्त, 2019 को विश्व जैव ईंधन दिवस के अवसर पर की थी. इस पहल में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के साथ पेट्रोलियम एवंप्राकृतिक गैस मंत्रालय शामिल हैं.

यह पहल, स्वदेशी बायोडीजल (Biodiesel) आपूर्ति को बढ़ाने, आयात निर्भरता कम करने और ग्रामीण रोजगार को पैदा करके राष्ट्र को पर्याप्त आर्थिक लाभ प्रदान करेगी.

इसका मुख्य उद्देश्य इस्तेमाल किये गये खाना के तेल के एकत्रित करना और उसे बायोडीजल में बदलना है. जीवाश्म डीजल में इस बायोडीजल को मिलाया जायेगा. जीवाश्म डीजल में यह बायोडीजल 7 प्रतिशत तक होगा.

बायो-डीजल का उपयोग करने का मुख्य लाभ इसकी कार्बन-तटस्थता है. इसके अलावा, यह पूरी तरह से गैर विषैला और बायोडिग्रेडेबल है.

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प्रधानमंत्री ने देश भर में स्वामित्व योजना के तहत ई-प्रापर्टी कार्ड का वितरण किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल को देश में स्वामित्व योजना के अमल की शुरुआत की. उन्होंने इसकी शुरुआत ग्रामीण लोगों को ई-प्रापर्टी कार्ड का वितरण कर की. वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में चार लाख से अधिक लोगों को उनकी सम्पत्ति के ई-प्रापर्टी कार्ड दिए गये.

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल 2020 को भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ‘स्वामित्व योजना’ की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री ने छह राज्‍यों- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड में प्रायोगिक तौर पर ‘स्‍वामित्‍व योजना’ की शुरूआत की थी.

क्या है स्‍वामित्‍व योजना?

भारत की 60% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. ज्यादातर लोगों के पास उनकी संपत्ति के स्वामित्व के दस्तावेज नहीं हैं. अंग्रेजों के समय से ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनों का बंदोबस्त होता आया है. यही बंदोबस्त ग्राम विवाद का मुख्य कारण होता है. स्वामित्व योजना के माध्यम से ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक मिल जाएगा. इसके बाद फिर किसी भी प्रकार का विवाद नहीं होगा.

स्‍वामित्‍व योजना के मुख्य बिंदु

  • इसके तहत देश के सभी गांवों में ड्रोन के माध्यम से गांव की हर संपत्ति की मानचित्रण किया जायेगा. इसके बाद गांव के लोगों को उस संपत्ति का मालिकाना प्रमाण-पत्र दिया जाएगा.
  • इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में नियोजन तथा राजस्‍व संग्रह को सुचारू बनाने और संपदा अधिकारों पर स्‍पष्‍टता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.
  • संपत्ति का मालिकाना प्रमाण-पत्र मिलने से शहरों की तरह गांवों में भी बैंकों से आसानी से ऋण लिए जा सकेगा. इसके लिए ग्रामीणों से न्यूनतम डॉक्युमेंट मांगे जाएंगे.

राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2021

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर वर्ष 2021 के लिए राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार भी किये. ये पुरस्कार दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार, नानाजी देखमुख राष्ट्रीय गौरव ग्रामसभा पुरस्कार और ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार जैसी विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत दिए गए. पुरस्कार के तहत दी जाने वाली पांच लाख से 50 लाख रुपए तक की राशि विजेता पंचायतों के बैंक खातों में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सीधे अंतरित की गई.

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रिजर्व बैंक ने एआरसी के कामकाज की समीक्षा के लिए समिति का गठन किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ‘एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों’ (ARC) के कामकाज की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है. यह समिति ARC को बढ़ती जरूरतों के अनुरूप काम करने के लिए उचित उपायों का सुझाव देगी. समिति अपनी पहली बैठक की तारीख से तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी.

इस समिति में छह सदस्य होंगे. RBI के पूर्व कार्यकारी निदेशक सुदर्शन सेन को इसका अध्यक्ष बनाया गया है. यह समिति ARC के लिए मौजूदा कानूनी और नियामकीय ढांचे की समीक्षा करेगी और उनकी दक्षता में सुधार के उपाय सुझाएगी.

इसके अलावा समिति दबाव वाली संपत्तियों के निपटान में ARC की भूमिका की समीक्षा करेगी. इनमें दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) शामिल है. समिति प्रतिभूति प्राप्तियों की तरलता में सुधार और कारोबार के लिए सुझाव देगी. इसे अलावा समिति को ARC के कारोबारी मॉडल की भी समीक्षा करनी होगी.

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वर्ष 2020-21 के दौरान कर संग्रह के आंकड़े जारी, अनुमान से 8.2 प्रतिशत अधिक कर संग्रह

वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 के दौरान देश में अप्रत्यक्ष कर संग्रह के शुरुआती आंकड़े हाल ही में जारी किये. इन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 के दौरान देश में कर संग्रह 9.89 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 8.2 प्रतिशत अधिक रहा. देश में अप्रत्यक्ष कर संग्रह 12 प्रतिशत बढ़कर 10.71 लाख करोड़ रुपये रहा.

वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 में कर संग्रह के आंकड़े: मुख्य बिंदु

  • वर्ष 2020-21 के दौरान देश में अप्रत्यक्ष कर संग्रह 12 प्रतिशत बढ़कर 10.71 लाख करोड़ रुपये रहा. यह वृद्धि वस्तु एवं सेवा कर (GST) में 8 प्रतिशत कमी के बाद भी दिखी है. इससे पिछले वर्ष (2019-20) अप्रत्यक्ष कर संग्रह 9.54 लाख करोड़ रुपये रहा था.
  • सीमा शुल्क और पेट्रोल एवं डीजल पर कर बढ़ाए जाने तथा दूसरी छमाही में खपत में कुछ तेजी आने के कारण अप्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि हुई है.
  • अप्रत्यक्ष कर संग्रह में वर्ष 2020-21 के कारण वित्त वर्ष 2021 में कुल कर संग्रह 20.16 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष के 20.05 लाख करोड़ रुपये से कुछ अधिक रहा. प्रत्यक्ष कर संग्रह में 10 प्रतिशत कमी के बाद भी कुल कर संग्रह अधिक रहा है.
  • अप्रत्यक्ष कर में GST, उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क आते हैं. वित्त वर्ष 2021 में सीमा शुल्क के रूप में 1.32 लाख करोड़ रुपये वसूले गए, जो उससे पिछले वित्त वर्ष के 1.09 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 21 प्रतिशत अधिक रहे.
  • केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर (बकाये) से होने वाला संग्रह भी आलोच्य अवधि के दौरान 58 प्रतिशत बढ़कर 3.91 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया.
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भारत का ऋण-GDP अनुपात 74 प्रतिशत से 90 प्रतिशत हुआ

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में ऋण और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का अनुपात जारी किया है. IMF के अनुसार भारत के मामले में कोविड-19 महामारी से पहले 2019 के अंत में ऋण अनुपात सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 74 प्रतिशत था, और 2020 के अंत में ये बढ़कर जीडीपी का लगभग 90 प्रतिशत हो गया है.

वर्ष 2021 तक भारत के ऋण-GDP अनुपात में स्थिरता आ सकती है. वर्ष 1991 से अब तक भारत का ऋण-GDP अनुपात तकरीबन स्थिर ही रहा है और बीते एक दशक में यह औसतन 70 प्रतिशत दर्ज किया गया है, किंतु इस वर्ष इसमें बढ़ोतरी होने की संभावना है.

ऋण-GDP अनुपात क्या होता है?

ऋण-GDP अनुपात अथवा सार्वजनिक ऋण अनुपात किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पाद के साथ ऋण का अनुपात होता है. इस अनुपात का उपयोग किसी देश की ऋण चुकाने की क्षमता का आकलन करने के लिये किया जाता है. अतः जिस देश का ऋण-GDP अनुपात जितना अधिक होता है, उसे अपने सार्वजनिक ऋण को चुकाने में उतनी ही अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इस प्रकार एक देश का ऋण-GDP अनुपात जितना अधिक बढ़ता है, उसके डिफाॅल्ट (ऋण चुकाने में असमर्थ) होने की संभावना उतनी अधिक हो जाती है. यही कारण है कि सभी देशों की सरकारों द्वारा अपने ऋण-GDP अनुपात को हर स्थिति में कम करने के प्रयास किये जाते हैं.

हालाँकि कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि अपनी स्वयं की मुद्रा छापने में सक्षम संप्रभु देश कभी भी डिफाॅल्ट नहीं हो सकते हैं, क्योंकि वे अधिक-से-अधिक मुद्रा छाप कर अपने ऋण का भुगतान कर सकते हैं. किंतु यह नियम उन देशों पर लागू नहीं होता है जो अपनी स्वयं की मौद्रिक नीति को नियंत्रित नहीं करते हैं, जैसे कि यूरोपीय संघ (EU) में शामिल देश, जिन्हें नई मुद्रा प्राप्त करने के लिये यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) पर निर्भर रहना पड़ता है.

विश्व बैंक द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, लंबी अवधि तक 77 प्रतिशत से अधिक ऋण-GDP अनुपात आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है.

ऋण-GDP अनुपात में बढ़ोतरी का कारण

युद्ध, आर्थिक अस्थिरता, आपदा और अशांति की स्थिति में सरकारों के लिये इस अनुपात को स्थिर रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. इस स्थिति में सरकारें विकास और कुल मांग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अधिक ऋण लेती हैं जिससे उन देशों का ऋण-GDP अनुपात बढ़ता जाता है.

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF): एक दृष्टि

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) 189 देशों का एक संगठन है. इसका गठन वर्ष 1945 में किया गया था. इसका प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करना है.

IMF विश्व में मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देने, वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने, रोज़गार के अवसर सृजित करने, सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और गरीबी को कम करने की दिशा में कार्य करता है.

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RBI ने मार्च माह के सर्वेक्षण आधारित उपभोक्ता विश्वास सूचकांक जारी किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 9 अप्रैल को उपभोक्ता विश्वास सूचकांक (Consumer Confidence Index) जारी किया था. यह सूचकांक एक सर्वेक्षण पर आधारित है जो मार्च 2021 में कराया गया था. सर्वेक्षण के अनुसार मार्च महीने में उपभोक्ता विश्वास सूचकांक गिरकर 53.1 पर आ गया जबिक यह जनवरी में 55.5 पर था.

उपभोक्ता विश्वास सूचकांक क्या है?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का यह सूचकांक उपभोक्ताओं के बाजार और सरकार पर भरोसे की मजबूती व कमजोरी को दर्शाता है. सूचकांक के 100 से ऊपर रहने पर आशावादी और नीचे आने पर निराशावादी रुख का पता चलता है.

सर्वेक्षण के मुख्य बिंदु

  • उपभोक्तओं के विश्वास में यह गिरावट कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ अर्थव्यवस्था की स्थिति नाजुक होने की आशंका, नौकरी, आय और महंगाई बढ़ने से घटा है.
  • सर्वेक्षण में शामिल लोगों अगले एक साल को लेकर पूरी तरह से आशावादी हैं. इस सर्वेक्षण के अनुसार, भविष्य को लेकर भी उपभोक्ताओं के भरोसे में कमी आई है और यह 117.1 से घटकर 108.8 पर आ गया है.
  • RBI का यह सर्वे 13 बड़े शहरों में 27 फरवरी से लेकर 8 मार्च के बीच किया गया था. सर्वे में शामिल उपभोक्ताओं से मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों, रोजगार सृजन, महंगाई और आय व खर्च के मुद्दों पर उनकी धारणा और अपेक्षा जानी गई थी.
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बड़े कारोबारियों के लिए 1 अप्रैल से HSN कोड अनिवार्य किया गया

सभी कारोबारियों के लिए 1 अप्रैल 2021 से GST रिटर्न दाखिल करने के लिए HSN कोड को अनिवार्य कर दिया गया है. सालाना पांच करोड़ तक के कारोबार करने वाले सभी कारोबारियों को चार डिजिट और पांच करोड़ से अधिक टर्नओवर वालों को छह डिजिट के HSN कोड का उल्लेख करना होगा.

HSN कोड क्या होता है?

HSN का पूर्ण रूप Harmonised System of Nomenclature है. इस कोड के माध्यम से विभिन्न उत्पादों को वर्गीकृत किया जाता है. इस कोड में उन उत्पादों का विवरण दिया रहता है. पहले दो अंक उत्पादों के प्रकार को दर्शाते हैं. यह खाद्य वस्तुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं, खराब होने वाले सामान, ज्वलनशील सामान आदि हो सकता है.

भारत ने मुख्य रूप से सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के लिए वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिए 1986 में HSN कोडिंग प्रणाली को अपनाया था. HSN प्रणाली पूरी दुनिया में एक सामंजस्यपूर्ण व्यापार प्रक्रिया को बनाए रखने में मदद करती है.

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EPFO ने वित्‍त वर्ष 2020-21 के लिए 8.5 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दर की सिफारिश की

कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (EPFO) के केन्‍द्रीय न्‍यासी बोर्ड ने वित्‍त वर्ष 2020-21 के लिए 8.5 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दर की सिफारिश की है. श्रममंत्री संतोष कुमार गंगवार की अध्‍यक्षता में श्रीनगर में 4 मार्च को हुई EPFO के केन्‍द्रीय ट्रस्‍टी बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया. सरकारी गजट में ब्‍याज दर को आधिकारिक तौर पर अधिसूचित जाने के बाद EPFO उपभोक्‍ताओं के खातों में ब्‍याज जमा किया जायेगा.

वर्ष 2014 के बाद से EPFO लगातार 8.5 प्रतिशत या उससे अधिक दर से ब्‍याज दे रहा है. विभिन्‍न आर्थिक उतार-चढ़ाव के दौरान कई वर्षों से 8.5 प्रतिशत न्‍यूनतम क्रेडिट रिस्‍क के साथ अपने सदस्‍यों को अधिक आय वितरित करने में सक्षम रहा है.

कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (EPFO) ने अपने भविष्‍य निधि, पेंशन और बीमा सुविधाओं का विस्‍तार करते हुए भूतपूर्व जम्‍मू-कश्‍मीर भविष्‍य निधि अधिनियम के तहत आने वाले मौजूदा संस्‍थानों के कर्मचारियों को यह सुविधाएं देने का फैसला किया है.

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IRDAI ने बीमा कंपनियों को एक मानक दुर्घटना बीमा उपलब्ध कराने को कहा

बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमा कंपनियों को एक मानक (स्टैंडर्ड) व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा उपलब्ध कराने को कहा है. बीमा कंपनियां इसकी शुरुआत 1 अप्रैल 2021 से करेंगी. IRDAI के अनुसार इस उत्पाद (पॉलिसी) का नाम ‘सरल सुरक्षा बीमा’ (Saral Suraksha Bima) होना चाहिए.

सरल सुरक्षा बीमा: मुख्य बिंदु

  • IRDAI ने कहा कि मौजूदा समय में, बीमा कंपनियां विभिन्न प्रकार के व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा उत्पाद उपलब्ध करा रहे हैं. प्रत्येक उत्पाद की अपनी विशेषताएं हैं. ऐसे में उपयुक्त पॉलिसी चुनने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
  • IRDAI ने ‘सरल सुरक्षा बीमा’ के अंतर्गत, दुर्घटना कवर को लेकर बीमा कंपनियों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. नियामक ने व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा के लिए कॉमन कवरेज और एक जैसी पॉलिसी के लक्ष्य को लेकर स्टैंडर्ड उत्पाद लेन को कहा है.
  • IRDAI के अनुसार इस उत्पाद का नाम ‘सरल सुरक्षा बीमा’ होना चाहिए. उसके बाद उसमें संबंधित बीमा कंपनी का नाम हो. इसके अलावा किसी भी दस्तावेज में कोई अन्य नाम नहीं होना चाहिए.
  • IRDAI ने कहा कि उत्पाद में न्यूनतम 2.5 लाख रुपये और अधिकतम 1.0 करोड़ रुपये का बीमा कवर होना चाहिए. बीमा कवर 50,000 रुपये के गुणक में होगा.
  • इस स्टैंडर्ड बीमा उत्पाद में दिशानिर्देशों के तहत अनिवार्य बेसिक कवर रहने चाहिए. बीमा कंपनियां चाहें तो स्टैंडर्ड प्रोडक्ट के साथ वैकल्पिक कवर भी ऑफर कर सकती हैं.
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए उत्‍पादन से जुडी प्रोत्‍साहन योजना को मंजूरी दी

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए उत्‍पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना को 17 फरवरी को मंजूरी दी. दूरसंचार क्षेत्र के लिए इस योजना के तहत 12195 करोड रुपये मंजूर किये गए हैं.

इस योजना का लक्ष्‍य भारत में दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्‍पादों के विनिर्माण को बढावा देना है. इसके तहत घरेलू विनिर्माण को बढावा देने के लिए वित्‍तीय प्रोत्‍साहन दिया जाएगा. इस योजना का उद्देश्‍य मेक इन इंडिया को प्रोत्‍साहित करने के लिए दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्‍पादों के क्षेत्र में निवेश आकर्षित करना भी है.

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वित्‍त वर्ष 2021-22 के लिए केन्द्रीय आम बजट का सार


वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारामन ने 1 फरवरी को लोकसभा में वित्‍त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट पेश किया. पहली बार केन्द्रीय आम बजट डिजिटल माध्यम से पेश किया गया था.

वित्‍त वर्ष 2021-22: एक दृष्टि
  • वित्त मंत्री ने 2021-22 के लिये कुल 34,83,236 करोड़ रुपये के व्यय का बजट पेश किया है. यह चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान 34,50,305 करोड़ रुपये से थोड़ा ही अधिक है. इसमें पूंजी व्यय 5,54,236 करोड़ रुपये है, जो 2020-21 के संशोधित अनुमान 4,39,163 करोड़ रुपये से कहीं अधिक है.
  • 2021-22 में राजस्व खाते पर व्यय 29,29,000 करोड़ रुपये अनुमानित है जबकि 2020-21 के संशोधित अनुमान के अनुसार इस मद पर खर्च 30,111,42 करोड़ रुपये है.
  • 2021-22 में राजस्व खाते से ब्याज भुगतान 8,09,701 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो चालू वित्त वर्ष (2020-21) के संशोधित अनुमान के अनुसार 6,92,900 करोड़ रुपये है.
  • 2021-22 में राजस्व प्राप्ति 17,88,424 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान में 15,55,153 करोड़ रुपये है. इसमें 2021-21 में केंद्र को शुद्ध रूप से कर राजस्व प्राप्ति 15,45,396 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. वहीं कर से इतर स्रोतों से प्राप्त राजस्व 2,43,028 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
  • 2021-22 में पूंजी प्राप्ति 16,94,812 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान के अनुसार 18,95,152 करोड़ रुपये है.
रुपया कहाँ से आया और कहाँ गया
सरकार की आमदनीसरकार का खर्च
  • ऋण से इतर पूंजी प्राप्तियां: 5%
  • कर से इतर राजस्व: 6%
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) : 15%
  • केन्द्रीय उत्पाद शुल्क: 8%
  • सीमा शुल्क: 3%
  • आय कर: 14%
  • निगम कर: 13%
  • उधार और अन्य देयताएं: 36%
  • ब्याज: 20%
  • रक्षा: 8%
  • सब्सिडी: 9%
  • वित्त आयोग और अन्य खर्च: 10%
  • करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा: 16%
  • पेंशन: 5%
  • केन्द्रीय प्रायोजित योजनाएं: 9%
  • केन्द्रीय क्षेत्र की योजना: 13%
  • अन्य खर्च: 10%

बजट 2021-22 में आत्मनिर्भर भारत पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है. इसके लिए छह प्रमुख क्षेत्रों पर जोर दिया गया है. ये हैं:

  1. स्‍वास्‍थ्‍य एवं खुशहाली
  2. भौतिक एवं वित्‍तीय पूंजी और अवसंरचना
  3. आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास
  4. मानव संसाधन में नवजीवन का संचार
  5. नवाचार और अनुसंधान व विकास
  6. न्‍यूनतम सरकार और अधिकतम शासन

1. स्‍वास्‍थ्‍य एवं कल्याण

बजट में स्वास्थ्य और कल्याण के लिए 2.24 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. यह राशि पिछले बजट में 94452 करोड़ रुपए के प्रावधान से 137 प्रतिशत अधिक है.

पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना
  • एक नई केन्द्र प्रायोजित योजना ‘पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना’ शुरू की गयी है. यह योजना 64180 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ 6 वर्ष के लिए शुरू की जाएगी.
  • इसके अन्‍तर्गत प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक देखभाल स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमताओं को विकसित किया जाएगा, मौजूदा राष्ट्रीय संस्थाओं को मजबूत किया जाएगा और नई बीमारियों की पहचान करने तथा उनके इलाज के लिए और चिकित्‍सा केन्‍द्रों की स्‍थाना की जाएगी. ये राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अतिरिक्त होंगी.
  • इस योजना के अन्तर्गत 17788 ग्रामीण और 11000 से अधिक शहरी स्वास्थ्य और वैलनेस केद्र खोले जायेंगे. राज्यों में सभी जिलों में एकीकृत लोक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं और 3382 ब्लॉक लोक स्वास्थ्य इकाईयां स्थापित की जायेंगी. 602 जिलों और 12 केन्द्रीय संस्थानों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लाक स्थापित किया जाएगा.
टीका
  • बजट में कोविड-19 वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपए प्रदान किये गए हैं तथा आवश्यकता होने पर अधिक राशि देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है.
    न्यूमोकोल वैक्सीन (Pneumococcal Conjugate Vaccine), को पूरे देश में दिया जायेगा. न्यूमोकोल, स्‍वदेश में निर्मित निमोनिया व दिमागी बुखार की वैक्सीन है.
पोषण
  • पोषक तत्‍वों को बढ़ाने के साथ-साथ इनकी डिलीवरी, पहुंच एवं परिणाम को बेहतर करने के लिए सरकार पूरक पोषण कार्यक्रम और पोषण अभियान का आपस में विलय कर देगी तथा मिशन पोषण 2.0 को लॉन्‍च करेगी.
जलापूर्ति और स्‍वच्‍छ भारत मिशन
  • शहरी जल जीवन मिशन शुरू किया जाएगा. इसके अंतर्गत 4378 शहरी स्थानीय निकायों में 2.86 करोड़ घरेलू नल कनेक्शनों के साथ सर्वसुलभ जलापूर्ति और 500 अमृत शहरों में तरल अपशिष्‍ट का प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी. इसे 2.87 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय से पांच वर्ष में कार्यान्वित किया जाएगा.
  • शहरी स्वच्छ भारत मिशन को 2021-2026 तक 1.42 लाख करोड़ रुपए के कुल वित्तीय आवंटन से कार्यान्वित किया जाएगा.
वायु प्रदूषण समस्या के समाधान का प्रस्ताव
  • वित्‍तमंत्री ने वायु प्रदूषण की विकराल होती समस्या के समाधान के लिए, 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 42 शहरों के लिए 2217 करोड़ रुपए की राशि मुहैया कराने का प्रस्ताव किया है.
  • बजट में पुराने और अनुपयुक्त वाहनों को चरणबद्ध रूप से हटाने के लिए स्वैच्छिक वाहन स्क्रैपिंग नीति की घोषणा की गयी है. इसके अन्‍तर्गत 20 वर्ष पुराने व्यक्तिगत और 15 वर्ष पुराने वाणिज्यिक वाहनों की ऑटोमेटेड फिटनेस केन्‍द्रो में फिटनेस जांच करानी होगी.
हाड्रोजन एनर्जी मिशन शुरू करने का प्रस्‍ताव
  • प्रधानमंत्री ने नवम्‍बर 2020 में तीसरे री-इंवेस्‍टमेंट कांफ्रेंस में राष्‍ट्रीय हाईड्रोजन एनर्जी मिशन शुरू करने की घोषणा की थी. वित्‍तमंत्री ने 2021-22 में हाड्रोजन एनर्जी मिशन शुरू करने का प्रस्‍ताव किया है. इसके अंतर्गत ग्रीन पावर स्रोतों से हाईड्राजन पैदा की जा सकेगी.
2. भौतिक एवं वित्‍तीय पूंजी और अवसंरचना
  • बजट अनुमानों में पूंजीगत बजट में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है. इसके लिए 5.54 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान है, जो 2020-21 के बजट अनुमान से 34.5 प्रतिशत अधिक है.
आत्‍मनिर्भर भारत के लिए उत्‍पादन से जुड़ी प्रोत्‍साहन योजना
  • आत्‍मनिर्भर भारत के लिए 13 क्षेत्रों में उत्‍पादन से जुड़ी प्रोत्‍साहन योजना (PLI) की घोषणा की गई है. इसका उद्देश्य भारत को विनिर्माण में वैश्विक चैम्पियन बनाना है.
  • इसके लिए सरकार वित्‍तीय वर्ष 2021-22 से शुरू करते हुए पांच वर्ष में लगभग 1.97 लाख करोड रुपये की व्‍यवस्‍था करने के लिए वचनबद्ध है.
  • इसी तरह वस्‍त्र उद्योग को वैश्विक स्‍तर पर प्रतिस्‍पर्धी बनाने, बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए PLI स्‍कीम के अलावा ‘मेगा इन्‍वेस्‍टमेंट टेक्‍सटाइल पार्क (MITRA)’ नामक योजना शुरू की जाएगी. इसके अंतर्गत तीन वर्षों में सात टैक्‍सटाइल पार्क स्‍थापित किए जाएंगे.
  • राष्‍ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) का विस्‍तार किया गया है. 2019 में 6,835 परियोजनाओं के साथ NIP की घोषणा की गई थी. इसका विस्तार कर अब NIP में 7400 परियोजनाएं कर दी गयी हैं. 1.10 लाख करोड़ रुपये की लागत की लगभग 217 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं.
  • विकास वित्‍त संस्‍थान (DFI) की स्‍थापना के लिए एक विधेयक लाया जाएगा. यह ढांचागत निवेश के लिए प्रदाता और उत्‍प्रेरक के रूप में कार्य करेगा. इस बजट में DFI के लिए 20,000 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है. DFI के लिए 3 वर्षों में कम से कम 5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज पोर्टफोलियो सुनिश्चित करने की महत्‍वाकांक्षा है.
सड़क एवं राजमार्ग अवसंरचना
  • 5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली भारतमाला परियोजना के तहत 3.3 लाख करोड़ रुपये की लागत से 13000 किलोमीटर से भी अधिक लंबी सड़कों के ठेके दिए जा चुके हैं. इनमें से 3800 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण हो चुका है.
  • मार्च 2022 तक सरकार 8500 किलोमीटर लंबी सड़कों के लिए भी ठेके दे देगी. इसके साथ ही सरकार 11000 किलोमीटर और लंबे राष्‍ट्रीय राजमार्ग कॉरिडोर का निर्माण पूरा कर लेगी. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के लिए 1.18 लाख करोड़ रुपये का विस्‍तारित परिव्‍यय प्रदान किया है.
रेलवे अवसंरचना
  • भारतीय रेलवे ने देश के लिए रेल योजना-2030 तैयार की है. बजट में रेलवे के लिए 1.155 लाख करोड़ रुपये की राशि प्रस्‍तावित की गयी. इसमें से 1.071 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्‍यय के लिए हैं.
  • यह संभावना है कि पश्चिमी समर्पित भाड़ा कॉरिडोर (Western Dedicated Freight Corridor) और पूर्वी समर्पित भाड़ा कॉरिडोर (Eastern Dedicated Freight Corridor) जून, 2022 तक हो जाएंगे.
  • यात्री सुविधाओं के अंतर्गत पर्यटक मार्गों पर सौंदर्यपरक रूप से डिजाइन किए गए बिस्‍टाडोम LHV कोच शुरू करने की घोषणा की गयी.
मेट्रो रेल नेटवर्क और सिटी बस सेवा
  • सरकार मेट्रो रेल नेटवर्क के विस्‍तार और सिटी बस सेवा में बढ़ोतरी के माध्‍यम से सार्वजनिक परिवहन की हिस्‍सेदारी बढ़ाने का प्रयास करेगी. बस सेवाओं में बढ़ोतरी के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की लागत से नई योजना शुरू की जाएगी.
  • कुल 702 किलोमीटर लंबी मेट्रो परिचालन में है और 27 शहरों में 1,016 किलोमीटर मेट्रो निर्माणाधीन हैं.
  • टियर-2 शहरों और टियर-1 शहरों के आसपास के इलाकों में कम लागत में समान अनुभव, सुविधा और सुरक्षा से युक्त मेट्रो रेल प्रणालियां उपलब्ध कराने के लिए दो नई तकनीक ‘मेट्रोलाइट’ और ‘मेट्रोनियो’ लागू की जाएंगी.
विद्युत अवसंरचना
  • अगले 5 वर्ष में 3.06 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ विद्युत वितरण क्षेत्र योजना का प्रस्ताव किया गया है. योजना के तहत, बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) को वित्तीय स्थिति में सुधार और अवसंरचना निर्माण के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाएगी.
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस
  • उज्ज्वला योजना का लाभ 8 करोड़ परिवारों को पहले ही मिल चुका है और अब 1 करोड़ अतिरिक्त लाभार्थियों तक इसका विस्तार किया जाएगा.
  • अगले तीन वर्ष में शहरी गैस वितरण नेटवर्क में 100 अतिरिक्त शहरों को जोड़ा जाएगा. जम्मू व कश्मीर संघ शासित क्षेत्र में एक गैस पाइपलाइन परियोजना शुरू की जाएगी.
  • गैर भेदभावपूर्ण मुक्त पहुंच के आधार पर सभी प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों में सामान्य वाहक क्षमता की बुकिंग की सुविधा और समन्वय के लिए एक स्वतंत्र गैगैस ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम ऑपरेटर की स्थापना की जाएगी.
बीमा, बैंक और वित्तीय पूंजी
  • सेबी अधिनियम-1992, डिपॉजिटरीज अधिनियम-1996, प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम-1956 और सरकारी प्रतिभूति अधिनियम-2007 के प्रावधानों को समेकित करने का प्रस्ताव है.
  • बीमा कम्‍पनियों में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव है. इसके लिए बीमा अधिनियम 1938 में संशोधन किया जायेगा.
  • सरकार ने बजट अनुमान 2020-21 में विनिवेश से 1,75,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद जताई है. वित्त वर्ष 2021-22 में BPCL, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, IDBI बैंक, BEML, पवन हंस और नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड सहित सार्वजनिक क्षेत्र के कई उद्यमों का विनिवेश पूरा कर लिया जाएगा.
  • सरकार का IDBI बैंक के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दो अन्य बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का निजीकरण भी वर्ष 2021-22 में पूरा करने का प्रस्ताव है. सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम का इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) भी लाएगी.
  • सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुन: पूंजीकरण के लिए 20 हजार करोड़ रुपये प्रस्‍तावित किए हैं. सरकारी बैंकों की फंसी हुई पूंजी (NPA) की समस्‍या से निपटने के लिए परिसम्‍पत्ति पुननिर्माण कम्‍पनी और परिसम्‍पत्ति प्रबंधित कम्‍पनी (Asset Reconstruction and Asset Management Company) स्‍थापित की जाएंगी.
  • बजट में बैंक जमाकर्ताओं के लिए बिमा कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की भी मंजूरी दी गयी है.

3. आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास

आकांक्षी भारत के लिए वित्त मंत्री ने समावेशी विकास के अंतर्गत कृषि एवं सहायक क्षेत्रों, किसान कल्याण और ग्रामीण भारत, प्रवासी मजदूर व श्रम और वित्तीय समावेशन को शामिल करने की घोषणा की है.

कृषि
  • किसानों को समुचित ऋण प्रदान करने के लिए कृषि ऋणों का लक्ष्‍य बढ़ाकर 16.50 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया है. ग्रामीण ढांचा विकास कोष के लिए आबंटन 30 हजार करोड़ से बढ़ाकर 40 हजार करोड़ रूपये करने की भी घोषणा की गई है. नाबार्ड के अंतर्गत 5,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ बनाए सूक्ष्म सिंचाई कोष को दोगुना किया जाएगा.
  • कृषि और सहायक उत्पादों में मूल्य संवर्धन व उनके निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए ‘ऑपरेशन ग्रीन योजना’ के दायरे में अब 22 जल्दी सड़ने वाले उत्पाद शामिल हो जाएंगे. वर्तमान में यह योजना टमाटर, प्याज और आलू पर लागू है.
  • कृषि विपणन में पारदर्शिता और प्रतिस्‍पर्धा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ई-नैम के साथ 1000 और मंडियों को एकीकृत करेगी.
  • मछली पकड़ने और मछली उतारने के 5 प्रमुख केन्द्रों – कोच्चि, चेन्निई, विशाखापतनम, पारादीप, और पेटुआघाट- को आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा.
प्रवासी कामगार और श्रमिक
  • एक राष्‍ट्र, एक राशन कार्ड योजना 32 राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है. बाकी चार राज्‍य और केंद्र शासित प्रदेश अगले कुछ महीनों में इससे जुड़ जाएंगे. एक राष्‍ट्र, एक राशन कार्ड योजना में लाभार्थी देश में कहीं भी अपना राशन का दावा कर सकते हैं.
  • न्‍यूनतम वेतन सभी श्रेणी के कामगारों पर लागू होंगे और वह सभी कर्मचारी राज्‍य बीमा निगम के तहत आएंगे. महिलाओं को सभी श्रेणियों में तथा उचित सुरक्षा के साथ रात की शिफ्ट में भी काम करने की अनुमति दी जाएगी.
वित्‍तीय समावेश
  • अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए स्‍टैंड अप इंडिया योजना के तहत नकदी प्रवाह सहायता को आगे बढ़ाने की घोषणा की है. वित्‍त मंत्री ने मार्जिन मनी की जरूरत 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने और कृषि से संबंधित गतिविधियों के लिए ऋणों को भी शामिल करने का प्रस्‍ताव किया गया. MSME क्षेत्र के लिए 15,700 करोड़ रुपए उपलब्‍ध कराए गये हैं.

4. मानव पूंजी को मजबूत बनाना

शिक्षा
  • 15000 से अधिक स्‍कूलों को राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति के सभी घटकों को शामिल करके गुणवत्‍ता रूप से मजबूत बनाया जाएगा. NGO/निजी स्‍कूलों/राज्‍यों की भागीदारी में 100 नए सैनिक स्‍कूल स्‍थापित किए जाएंगे.
  • एक छत्रक निकाय के रूप में एक भारतीय उच्‍च शिक्षा आयोग स्‍थापित करने का भी प्रस्‍ताव है. इसमें मानक, स्‍थापना, मान्‍यता, विनियमन और वित्‍त पोषण के लिए 4 अलग घटक शामिल हैं. लद्दाख में उच्‍च शिक्षा तक पहुंच के लिए सरकार ने लेह में केंद्रीय विश्‍व विद्यालय स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव किया है.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्‍याण
  • जनजातीय क्षेत्रों में 750 एकलव्‍य मॉडल आवासीय स्‍कूल स्‍थापित करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है. ऐसे प्रत्‍येक स्‍कूल की लागत 20 करोड़ से बढ़ाकर 38 करोड़ तथा पहाड़ी और कठिन क्षेत्रों में 48 करोड़ रुपए करने का भी प्रस्‍ताव किया गया है.
  • अनुसूचित जानजातियों के कल्‍याण के लिए पोस्‍ट मैट्रिक छात्रवृति योजना के तहत केंद्रीय सहायता बढ़ाई गई थी और 2025-26 तक छह वर्षों के लिए कुल 35,219 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है. इससे अनुसूचित जाति के 4 करोड़ छात्रों को लाभ मिलेगा.
कौशल
  • संयुक्‍त अरब अमीरात (UAE) के साथ भागीदारी में कौशल योग्‍यता, आकलन और प्रमाणीकरण के साथ-साथ प्रमाणीकृत कर्मियों की तैनाती के निर्धारण के लिए एक पहल प्रक्रियाधीन है.
  • जापानी औद्योगिक और व्‍यावसायिक कौशल तकनीक और ज्ञान के हस्‍तांतरण में सहायता के लिए जापान और भारत में एक सहयोगात्‍मक ट्रेनिंग इंटर ट्रेनिंग प्रोग्राम (TITP) भी चल रहा है. वित्‍त मंत्री ने कहा कि अधिक से अधिक देशों के साथ ऐसी पहल की जाएगी.

5. नावाचार, अनुसंधान एवं विकास

  • सरकार एक नई पहल – राष्‍ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (NTLM) की शुरुआत करेगी. इससे प्रमुख भारतीय भाषाओं में उपलब्‍ध कराई गई शासन एवं नीति संबंधित ज्ञानरूपी दौलत इंटरनेट पर उपलब्‍ध होगी.
  • अंतरिक्ष विभाग के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम ‘द न्‍यू स्‍पेस इंडिया लिमिटेड’ (NSIL) कुछ छोटे भारतीय उपग्रहों के साथ ब्राजील से एमेजोनिया उपग्रह ले जाने वाले PSLV-CS51 को लॉन्‍च करेगा.
  • गंगायन मिशन गतिविधियों के एक भाग के रूप में चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस के जैनेरिक स्‍पेस फ्लाइट आस्‍पेक्‍ट पर प्रशिक्षण प्राप्‍त कर रहे हैं. पहला मानव रहित लॉन्‍च दिसंबर 2021 में होने का कार्यक्रम है.

6. न्‍यूनतम सरकार, अधिकतम शासन

भारत के इतिहास में आगामी जनगणना प्रथम डिजिटल जनगणना हो सकती है और इस बड़े और महत्‍वपूर्ण कार्य के लिए वर्ष 2021-2022 में 3,768 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.

राजकोषीय घाटा
  • संशोधित अनुमान 2020-21 में राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्‍पाद (GDP) का 9.5 प्रतिशत हो गया है और इसे सरकारी ऋणों, बहुपक्षीय ऋणों, लघु बचत निधियों और अल्‍पकालिक ऋणों के माध्‍यम से धन उपलब्‍ध कराया गया है.
  • बजट अनुमान 2021-22 में राजकोषीय घाटा GDP का 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. अगले साल बाजार से कुल उधारी लगभग 12 लाख करोड़ की होगी.
  • 15वें वित्‍त आयोग की मद के अनुसार सरकार राज्‍यों के लिए नेवल उधार की सामान्‍य उच्‍चतम सीमा सकल राज घरेलू उत्‍पाद के 4 प्रतिशत पर नियत करने की अनुमति दे रही है.
प्रत्यक्ष कर प्रस्ताव
  • सरकार ने प्रत्‍यक्ष कर प्रणाली में अनेक सुधार किए हैं. महामारी से पहले और इसके साथ बिना किसी जुडाव के निगम कर की दर काफी कम कर दी गई है. अब भारत दुनिया में न्‍यूनतम निगम कर वाले देशों में शामिल हो गया है. लाभांश वितरण कर भी समाप्‍त कर दिया गया है.
  • छोटे करदाताओं पर बढती छूटों के कारण कर का बोझ कम हुआ है. वर्ष 2020 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्‍या तेजी से बढकर 6.48 करोड हो गई है. वर्ष 2014 में यह केवल 3.31 करोड थी.
  • छोटे करदाताओं के लिए एक ‘National Faceless Income Tax Tribunal’ बनाने की घोषणा की गयी है.
  • पिछले बजट में एक करोड टर्न ओवर वाले खातों के स्‍थान पर पांच करोड रुपये तक के खातों पर भी छूट देने का प्रस्‍ताव किया गया था. अब इस छूट को बढाकर दस करोड रुपये तक के खातों पर लागू करने का प्रस्‍ताव है.
  • आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं कियागया है. 75 वर्ष से ऊपर आयु के वरिष्‍ठ नागरिकों और केवल पेंशन पर निर्भर व्‍यक्तियों को आयकर रिटर्न भरने से छूट दी गई है.
अप्रत्यक्ष कर प्रस्ताव
  • जीएसटी को और सुचारू बनाने तथा प्रतिलोमी शुल्क संरचना जैसी विसंगतियों को दूर करने के लिए सभी संभव उपाय किए जाएगें.
  • 1 अक्टूबर, 2021 से विकृतियों से मुक्त संशोधित सीमा-शुल्क संरचना स्थापित की जाएगी. सीमा-शुल्क में कोई नई रियायत इसके जारी होने की तिथि से दो वर्षों के बाद 31 मार्च तक वैध होगी.
  • घरेलु क्षमता को बढ़ाने के लिए सोलर सैल और सोलर पैनलों के लिए चरणबद्ध तरीके से विनिर्माण योजना को अधिसूचित किया जाएगा.
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RBI देश में आभासी मुद्रा शुरू करने का विचार कर रहा, जानिए क्या है CBDC

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) देश में आभासी मुद्रा (Cryptocurrency) शुर करने का विचार कर रहा है. RBI की एक अंतर-विभागीय समिति इस पर फैसला लेगी.

आभासी मुद्रा की जरूरत क्यों

RBI का मानना है कि भुगतान उद्योग (Payment Industry) के तेजी से बदलते हालात, निजी डिजिटल टोकनों (Digital Token) का चलन और कागज के नोट या सिक्कों को तैयार करने में बढ़ते खर्च की वजह से काफी समय से आभासी मुद्रा (Digital Currency) की जरूरत महसूस हो रही है.

केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) लाने पर विचार कर रहा है. केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी की संभावनाओं के अध्ययन और दिशा-निर्देश तय करने के लिए RBI ने एक अंतर-विभागीय समिति भी बना दी है, जिसे CBDC पर फैसला लेना है.

क्या है CBDC?

CBDC एक लीगल करेंसी है और डिजिटल तरीके से सेंट्रल बैंक की लाइबिलिटी है जो सॉवरेन करेंसी के रूप में उपलब्ध है. CBDC बैंक की बैलेंसशीट में भी दर्ज है. CBDC करेंसी का इलेक्ट्रॉनिक रूप है जिसे कैश से बदला जा सकता है.

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