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अनुसंधान विकास और नवाचार योजना को मंजूरी

  • भारत सरकार ने अनुसंधान विकास और नवाचार योजना (Research Development and Innovation – RDI) को मंजूरी दी है. यह मंजूरी 1 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में दी गई. इसका कुल बजट ₹1 लाख करोड़ निर्धारित किया गया है.
  • RDI योजना का उद्देश्य रणनीतिक और उभरते क्षेत्रों में निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान, विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करना है.
  • यह योजना ऊर्जा, रक्षा, सेमीकंडक्टर, एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और बायोटेक्नोलॉजी जैसे उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित होगी.
  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) की गवर्निंग बोर्ड इस योजना का संचालन करेगी.

रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंजूरी

  • केंद्र सरकार ने रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (Employment Linked Incentive – ELI) योजना को मंजूरी दी है. यह मंजूरी 1 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में दी गई.
  • ELI योजना का उद्देश्य देश में रोजगार के अवसर बढ़ाना और युवाओं को काम के ज्यादा मौके देना है.
  • इस योजना के तहत सरकार 99,446 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इसके जरिये दो साल में 3.5 करोड़ से ज्यादा नई नौकरियां दी जाएंगी.
  • इस योजना के तहत पहली बार नौकरी कर रहे कर्मचारियों को प्रोत्साहन मिलेगा. साथ ही, नियोक्ताओं (कंपनियों) को भी प्रोत्साहन मिलेगा अगर वे ज्यादा लोगों को रोजगार देंगे.

कर्मचारियों को प्रोत्साहन

  • पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारियों को एक महीने की EPF वेतन राशि (अधिकतम ₹15,000) दी जाएगी. EPF वेतन वह राशि है जिसका उपयोग कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में योगदान के लिए किया जाता है.
  • इस राशि का पहला हिस्सा छह महीने की नौकरी पूरी करने पर और दूसरा हिस्सा बारह महीने की नौकरी के बाद मिलेगा.
  • युवाओं को मिलने वाली राशि का एक हिस्सा सरकार उनके बचत खाते में सुरक्षित रखेगी, जिसे कुछ समय बाद ही निकाला जा सकेगा.

नियोक्ताओं को प्रोत्साहन

  • नियोक्ताओं (कंपनियों) को नए कर्मचारियों को नौकरी देने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा. अगर कंपनियां 1 लाख रुपये प्रतिमाह तक के वेतन के कर्मचारियों को नियुक्त करेंगी, तो उन्हें हर नए कर्मचारी के लिए 3,000 रुपये प्रति माह तक की सहायता मिलेगी.
  • यह सुविधा दो साल तक दी जाएगी. विनिर्माण क्षेत्र को यह लाभ तीसरे और चौथे साल तक भी मिलेगा.

कंपनियों के लिए जरूरी शर्तें

  • अगर किसी कंपनी में 50 से कम कर्मचारी हैं, तो उसे कम से कम दो नए कर्मचारियों को नियुक्त करना होगा.
  • अगर किसी कंपनी में 50 या उससे ज्यादा कर्मचारी हैं, तो उसे कम से कम पांच नए लोगों को नौकरी देनी होगी.
  • साथ ही, कर्मचारियों को लगातार छह महीने तक काम करना जरूरी होगा तभी कंपनी को यह लाभ मिलेगा.

ELI योजना के लाभ

  • इस योजना से न सिर्फ देश में रोजगार बढ़ेगा बल्कि कार्यबल (वर्कफोर्स) को औपचारिक रूप से संगठित करने में भी मदद मिलेगी.
  • लाखों युवाओं को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा. इस योजना का मकसद सिर्फ रोजगार देना नहीं, बल्कि युवाओं को एक मजबूत भविष्य देना भी है.
  • इस योजना से विनिर्माण क्षेत्र को खासतौर पर बढ़ावा मिलेगा, ताकि देश में औद्योगिक विकास तेजी से हो सके.

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा

  • वित्त वर्ष 2024-25 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए वार्षिक बैठक 27 जून 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी.
  • बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने की. बैठक के दौरान 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदर्शन की समीक्षा की गई.

वित्त वर्ष 2024-25 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन

  • बैंकों का कुल कारोबार: 2023-24 में 203 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2024-25 में 251 लाख करोड़ रुपये.
  • शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA): 2023-24 में 1.24% की तुलना में 2024-25 में घटकर 0.52% रह गईं.
  • शुद्ध लाभ: 2023-24 में 1.04 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2024-25 में बढ़कर 1.78 लाख करोड़ रुपये हो गया.
  • लाभांश भुगतान: 2023-24 में 20,964 करोड़ रुपये की तुलना में 2024-25 में बढ़कर 34,990 करोड़ रुपये हो गया.
  • CRAR: मार्च 2025 के अंत तक 16.15%. CRAR का मतलब है ‘पूंजी से जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात’ (Capital to Risk-weighted Assets Ratio). यह एक वित्तीय अनुपात है जो बैंक की पूंजी और उसके जोखिम को मापता है. इसका मतलब है कि बैंक के पास अपने जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए कितनी पूंजी उपलब्ध है.

भारत में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक वे बैंक हैं जिनमें सरकार ने सार्वजनिक हित के प्राथमिक उद्देश्य से अपनी अधिकांश हिस्सेदारी बरकरार रखी है.

वर्तमान में (2025 में) भारत में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (राष्ट्रीयकृत बैंक) हैं. ये बैंक हैं:

  1. भारतीय स्टेट बैंक
  2. बैंक ऑफ बड़ौदा
  3. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
  4. केनरा बैंक
  5. पंजाब नेशनल बैंक
  6. बैंक ऑफ महाराष्ट्र
  7. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
  8. यूको बैंक
  9. इंडियन बैंक
  10. पंजाब एंड सिंध बैंक
  11. बैंक ऑफ इंडिया
  12. इंडियन ओवरसीज बैंक

विपणन वर्ष 2025-26 के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा

मंत्रिमंडल की आर्थिक कार्य समिति ने वर्ष 2025-26 के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का निर्णय लिया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 28 मई 2025 को हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) की बैठक में लिया गया था.

मुख्य बिन्दु

  • फसल वर्ष 2025-26 के लिए सामान्य श्रेणी के धान का MSP, 69 रुपये बढ़ाकर 2369पये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.
  • पिछले वर्ष की तुलना में एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि रामतिल फसल, 820 रुपये प्रति क्विंटल की गई है, इसके बाद रागी के लिए 596 रुपये प्रति क्विंटल, कपास के लिए 589 रुपये प्रति क्विंटल और तिल के लिए 579 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है.

फसलों के MSP में वृद्धि: एक दृष्टि

फसल2024-252025-26वृद्धि
धान (सामान्य)2300236969
धान (ए ग्रेड)2320238969
ज्वार (हाईब्रिड)33713699328
ज्वार (मालदंडी)34213749328
बाजरा26252775150
रागी42904886596
मक्का22252400175
अरहर75508000450
मूंग8682876886
उड़द74007800400
मूंगफली67837263480
सूरजमुखी72807721441
सोयाबीन48925328436
तिल92679846579
रामतिल87179537820
कपास (सामान्य)71217710589
कपास (उन्नत)75218110589

मुख्य खरीफ फसलें

धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उडद, तुअर, कुल्थी, जूट, सन, कपास आदि. खरीफ की फसलें जून जुलाई में बोई जाती हैं और सितंबर-अक्टूबर में काट लिया जाता है.

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

  • MSP (Minimum Support Price) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है.
  • सरकार हर साल फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था जापान को पीछे छोडकर विश्‍व की चौथी सबसे बडी अर्थव्‍यवस्‍था बनी

  • भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था जापान को पीछे छोडकर विश्‍व की चौथी सबसे बडी अर्थव्‍यवस्‍था बन गई है. नीति आयोग के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी बी.वी.आर. सुब्रह्मणयम ने यह जानकारी 24 मई को दी.
  • नीति आयोग की दिल्ली में हुई दसवीं शासी परिषद की बैठक के बाद बी.वी.आर. सुब्रह्मणयम ने कहा कि अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष के आंकडों के अनुसार भारत अब चार हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था है.
  • उन्होंने कहा कि भारत अब अगले ढाई से तीन वर्ष के दौरान जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे स्‍थान पर पहुंचने को तैयार है.
  • अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने हाल ही में अपनी वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट (अप्रैल 2025) में कहा था कि भारत, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
  • IMF के अनुसार, भारत अगले दो वर्षों में छह प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज करने वाला एकमात्र देश है. भारतीय अर्थव्यवस्था 2025-26 और 2026-27 में क्रमशः 6.2% और 6.3% बढ़ने की उम्मीद है.
  • IMF रिपोर्ट के अनुसार, विकास की उच्च दर के कारण 2028 में भारत का सकल घरेलू उत्‍पाद बढ़कर 5.5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा.
  • IMF के अनुसार, भारत का सकल घरेलू उत्‍पाद वर्तमान में 4.3 ट्रिलियन डॉलर है. यह 2015 में 2.1 ट्रिलियन डॉलर था. वर्तमान में बाजार मूल्य पर भारतीय अर्थव्यवस्था 4.187 ट्रिलियन डॉलर है, जबकि जापान की 4.186 ट्रिलियन डॉलर है.
  • IMF को उम्मीद है कि 2028 तक बाजार मूल्य पर भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 5.58 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा. 2028 तक जर्मन जीडीपी 5.25 ट्रिलियन डॉलर होगी.
  • भारत के जापान से आगे निकलने के बावजूद, उनकी प्रति व्यक्ति आय में बहुत बड़ा अंतर है. जापान की प्रति व्यक्ति आय 33,960 डॉलर है, जबकि भारत की 2,880 डॉलर थी.

दुनिया की शीर्ष 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ

आईएमएफ़ के अनुसार, 2025 में दुनिया की शीर्ष 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ इस प्रकार हैं. सभी आंकड़े अमेरिकी डॉलर में हैं, और बाजार मूल्य पर जीडीपी के आंकड़े है.

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका – $30.51 ट्रिलियन जीडीपी
  2. चीन – $19.23 ट्रिलियन
  3. जर्मनी – $4.74 ट्रिलियन
  4. भारत – $4.19 ट्रिलियन
  5. जापान – $4.19 ट्रिलियन
  6. यूनाइटेड किंगडम – $3.84 ट्रिलियन
  7. फ्रांस – $3.21 ट्रिलियन
  8. इटली – $2.42 ट्रिलियन
  9. कनाडा – $2.23 ट्रिलियन
  10. ब्राजील – $2.13 ट्रिलियन

भुगतान प्रणालियों पर नजर रखने के लिए नए भुगतान नियामक बोर्ड का गठन

  • भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने छह सदस्यीय नए भुगतान नियामक बोर्ड (Payments Regulatory Board-PRB) को अधिसूचित किया है. इस आशय से संबंधित अधिसूचना 21 मई 2025 को जारी की गई थी.
  • यह बोर्ड, भुगतान-निपटान प्रणाली नियमन एवं पर्यवेक्षण बोर्ड (BPSS) की जगह लेगा.
  • भुगतान नियामक बोर्ड (PRB) भारत में भुगतान प्रणाली पर सर्वोच्च नीति बनाने वाली संस्था होगी. यह भारत में भुगतान प्रणालियों का विनियमन और पर्यवेक्षण करेगा.
  • आरबीआई गवर्नर भुगतान नियामक बोर्ड के अध्यक्ष होंगे. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर इसके प्रभारी सदस्य होंगे. केंद्रीय बोर्ड की ओर से नामित एक आरबीआई अधिकारी और केंद्र सरकार के नामित तीन व्यक्ति इसके अन्य सदस्य होंगे.
  • PRB में निर्णय बहुमत से लिया जाएगा. हर सदस्य के पास एक वोट होगा. बराबर मतों की स्थिति में अध्यक्ष निर्णायक मत डालेंगे.
  • पांच सदस्यीय BPSS की कमान भी आरबीआई गवर्नर के पास होती थी. इसमें कोई सरकारी नामित व्यक्ति नहीं होता था.

भुगतान प्रणाली में शामिल हैं:

  1. कागज़ आधारित: चेक, ड्राफ्ट, बैंकर्स चेक आदि.
  2. इलेक्ट्रॉनिक आधारित: इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफ़टी), रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) सिस्टम, इमीडिएट पेमेंट सिस्टम (आईएमपीएस), यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) आदि.
  3. प्रीपेड सिस्टम: ई वॉलेट, आदि.
  4. एटीएम, बिक्री केन्द्र टर्मिनल, कार्ड (डेबिट, क्रेडिट) आदि.

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर 6 मई 2025 को सहमति बन गई. इस समझौते में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं से टैरिफ़ हटाने का प्रावधान है. इससे पहले भारत ने यूएई, ऑस्ट्रेलिया और मॉरीशस के साथ भी व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.

भारत और ब्रिटेन FTA: मुख्य बिन्दु

  • इस समझौते से भारत में आर्थिक गतिविधियों को दम मिलेगा और भारतीय बिज़नेस और छोटे-मझौले उद्योगों के लिए नए अवसर खुलेंगे. भारत के वस्त्र उद्योग को भारी राहत मिलने की उम्मीद है.
  • इस समझौते इससे ब्रिटेन की कंपनियों के लिए भारत को व्हिस्की, कार और अन्य उत्पादों का निर्यात करना आसान हो जाएगा और भारत के कपड़ों और जूतों के निर्यात पर टैरिफ़ से छूट मिलेगी.
  • भारत और ब्रिटेन के बीच 2024 में क़रीब 55 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था. ब्रिटेन की सरकार का कहना है कि इस समझौते से 2040 तक इसमें 33.42 अरब डॉलर का इजाफ़ा होगा.
  • भारत और ब्रिटेन एक दूसरे देश के बैंकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर को समान सुविधाएं देंगे. ऐसे में ब्रिटेन की वित्तीय फर्म्स भारत में विस्तार कर सकती हैं. वहीं भारतीय वित्तीय फर्म्स भी ब्रिटेन के बाजार में दाखिल हो सकती हैं.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक निर्यात के 1 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है और इस मक़सद में ब्रिटेन सबसे उच्च प्राथमिकता वाला व्यापारिक साझेदार है.

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल निर्यात 821 अरब डॉलर तक पहुँचा

  • केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रारंभिक आंकड़ा 16 अप्रैल 2025 को जारी किया था.
  • इस आँकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारतीय निर्यात (माल और सेवाएँ) 820.93 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.5% अधिक है.
  • 2024-25 में कुल अनुमानित आयात 915.19 बिलियन डॉलर था. इस अवधि के दौरान व्यापार घाटा 94.26 बिलियन डॉलर था.

वित्त वर्ष 2024-25 के अनुमानित निर्यात और आयात के आंकड़े

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

2024-252023-24
वस्‍तुएंनिर्यात437.42437.07
आयात720.24678.21
सेवाएंनिर्यात383.51341.06
आयात194.95178.31
कुल व्यापार

(वस्तु +सेवाएं)

निर्यात820.93778.13
आयात915.19856.52
व्यापार संतुलन-94.26-78.39
  • वित्त वर्ष 2024-25 में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात 344.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 320.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.
  • वित्त वर्ष 2024-25 में गैर-पेट्रोलियम, गैर-रत्न और आभूषण (सोना, चांदी और कीमती धातु) आयात 453.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में यह 424.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.
  • वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान सेवाओं के निर्यात में 12.45 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है.

नियत और आयात में वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष 5 देश

वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 में सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष 5 निर्यात गंतव्य देश: अमेरिका (11.59 प्रतिशत), ब्रिटेन (12.08 प्रतिशत), जापान (21.12 प्रतिशत), संयुक्त अरब अमीरात (2.84 प्रतिशत) और फ्रांस (11.42 प्रतिशत).

वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 में वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष 5 आयात स्रोत देश: संयुक्त अरब अमीरात (32.06 प्रतिशत), चीन (11.52 प्रतिशत), थाईलैंड (43.99 प्रतिशत), अमेरिका (7.44 प्रतिशत) और रूस (4.39 प्रतिशत).

RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: नया रेपो दर 6 प्रतिशत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 7-9 अप्रैल को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2025-26) की पहली द्विमासिक (अप्रैल-मई) मौद्रिक नीति (1st Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी.

MPC की बैठक, अप्रैल 2025: मुख्य बिंदु

  • इस बैठक में RBI ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है. इस कटौती के बाद रेपो रेट अब घटकर 6 % रह गई है.
  • यह लगातार दूरी बार है जब रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की गई है. इससे पहले फ़रवरी 2025 की बैठक में करीब 5 वर्ष में पहली बार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की गई थी.
  • RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिए विकास दर के पूर्वानुमान को 6.7% के पहले के पूर्वानुमान से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है.
  • 2024-25 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत और 2023-24 में 9.2 प्रतिशत थी.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

  • रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.
  • RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.
  • रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर6%
रिवर्स रेपो दर3.25%
स्थायी जमा सुविधा (SDF)5.75%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)6.25%
बैंक दर6.25%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC): एक दृष्टि

  • RBI की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति है. इसका गठन RBI अधिनियम 1934 के प्रावधानों के तहत 29 सितंबर 2016 को किया गया था.
  • यह भारत सरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आरबीआई की नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करती है.
  • मौद्रिक नीति समिति में वर्तमान में 6 सदस्य हैं. इसमें तीन सदस्य RBI से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं.
  • समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है. इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के एकीकरण से संबंधित अधिसूचना जारी

  • केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने 11 राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) के एकीकरण से संबंधित अधिसूचना 8 अप्रैल को जारी की थी.
  • अधिसूचना के अनुसार 1 मई 2025 से देश के हर राज्य में केवल एक ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) कार्य करेगा.
  • यह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण का चौथा चरण है. इसके पूरा होने पर भारत में RRB की कुल संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी.
  • यह कदम ‘एक राज्य – एक आरआरबी’ (One State, One RRB) नीति के तहत उठाया गया है, जिसका लक्ष्य बैंकिंग सेवाओं को अधिक प्रभावी और सुव्यवस्थित बनाना है.
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का यह विलय आरआरबी अधिनियम, 1976 की धारा 23ए(1) के तहत किया जाएगा.

किन राज्यों में होगा RRB का विलय?

देश के 11 राज्यों में मौजूद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय कर उन्हें एकल इकाई में बदला जाएगा.

  1. उत्तर प्रदेश: बड़ौदा यूपी बैंक, आर्यावर्त बैंक और प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक का विलय कर उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. इसका मुख्यालय लखनऊ और प्रायोजक बैंक ऑफ बड़ौदा होगा.
  2. आंध्र प्रदेश: चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक, आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक, सप्तगिरि ग्रामीण बैंक और आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक को मिलाकर एक नया आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक बनेगा. मुख्यालय- अमरावती, प्रायोजक बैंक- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
  3. पश्चिम बंगाल: बंगीय ग्रामीण विकास बैंक, पश्चिम बंग ग्रामीण बैंक और उत्तरबंग आरआरबी को मिलाकर पश्चिम बंगाल ग्रामीण बैंक का गठन होगा. मुख्यालय- कोलकाता, प्रायोजक- पंजाब नेशनल बैंक
  4. बिहार: दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक का विलय कर बिहार ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय-पटना, प्रायोजक बैंक- पंजाब नेशनल बैंक
  5. गुजरात: बड़ौदा गुजरात ग्रामीण बैंक और सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक का विलय करने के बाद गुजरात ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- वडोदरा, प्रायोजक बैंक- बैंक ऑफ बड़ौदा
  6. कर्नाटक: कर्नाटक विकास ग्रामीण बैंक और कर्नाटक ग्रामीण बैंक का विलय कर कर्नाटक ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- बल्लारी, प्रायोजक- केनरा बैंक
  7. मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक और मध्यांचल ग्रामीण बैंक का विलय कर मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- इंदौर, प्रायोजक – बैंक ऑफ इंडिया
  8. महाराष्ट्र: महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक और विदर्भ कोंकण ग्रामीण बैंक का विलय कर महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- छत्रपति संभाजीनगर, प्रायोजक – बैंक ऑफ महाराष्ट्र
  9. ओडिशा: ओडिशा ग्राम्य बैंक और उत्कल ग्रामीण बैंक को ओडिशा ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- भुवनेश्वर, प्रायोजक- इंडियन ओवरसीज बैंक
  10. राजस्थान: राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक और बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का विलय कर राजस्थान ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- जयपुर, प्रायोजक – भारतीय स्टेट बैंक
  11. जम्मू और कश्मीर: जम्मू और कश्मीर ग्रामीण बैंक और एलाक्वाई देहाती बैंक को एकीकृत कर जम्मू और कश्मीर ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय – जम्मू, प्रायोजक – जम्मू और कश्मीर बैंक लिमिटेड.

आरआरबी एकीकरण के चार चरण

पहला चरण

भारत सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण की प्रक्रिया का पहला चरण सितंबर 2005 में डॉ. वीएस व्यास समिति की सिफारिशों के आधार पर शुरू किया था.

पहले चरण की अवधि 2005 से 2010 तक थी. इस चरण का लक्ष्य- किसी राज्य के प्रायोजक बैंकों द्वारा प्रवर्तित आरआरबी का एकीकरण था. इस चरण में आरआरबी की संख्या 196 से घटकर 82 हो गई.

दूसरा चरण

दूसरे चरण की अवधि 2012 से 2015 तक थी. दूसरे चरण का लक्ष्य- किसी राज्य के प्रायोजक बैंकों में आरआरबी का एकीकरण था. इस चरण में आरआरबी की संख्या 82 से घटकर 56 हो गई.

तीसरा चरण

तीसरे चरण की 2018 से 2021 तक थी. इस चरण का लक्ष्य – छोटे राज्यों में ‘एक राज्य – एक आरआरबी’ का सिद्धांत और बड़े राज्यों में आरआरबी की संख्या में कमी करना था. इस चरण में आरआरबी की संख्या 56 से घटकर 43 हो गई.

चौथा चरण

चौथे चरण का लक्ष्य – तीसरे चरण की निरंतरता है. इस चरण में आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी.

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक: एक दृष्टि

  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) की स्थापना नरसिंहम समिति 1975 की सिफारिश पर की गई थी.
  • भारत में 2 अक्टूबर 1975 को 5 आरआरबी स्थापित किए गए थे. पहला आरआरबी, प्रथमा बैंक है जो सिंडिकेट बैंक द्वारा प्रायोजित, मुरादाबाद (यूपी) में स्थापित किया गया था.
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम 1976 के तहत आरआरबी को स्थापित करने की शक्ति भारत सरकार के पास निहित है.
  • भारतीय रिजर्व बैंक आरआरबी का नियामक है. इसका स्वामित्व केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एक प्रायोजक बैंक के पास होता है.
  • जम्मू और कश्मीर बैंक लिमिटेड एकमात्र निजी बैंक है जो किसी आरआरबी को प्रायोजित करता है.

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के वर्गीकरण में महत्वपूर्ण संशोधन

  • सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्‍यम उद्यमों (Micro Small and Medium Enterprises) के वर्गीकरण के मानदंड में महत्‍वपूर्ण संशोधन अधिसूचित किए हैं. ये संशोधन पहली अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे.
  • सूक्ष्‍म उद्यम: अब 2.5 करोड़ रुपए तक के निवेश वाले सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यमों को सूक्ष्‍म उद्यम के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा. पहले इनके लिये निवेश सीमा 1 करोड़ रुपए थी. इसी प्रकार टर्नओवर सीमा भी 5 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए कर दी गई है.
  • लघु उद्यम: 25 करोड़ रुपए तक के निवेश वाली इकाईयां लघु उद्यम वर्ग में रखी गई हैं. पहले इनके लिए निवेश सीमा 10 करोड़ रुपए थी. इन उद्यमों के लिए टर्नओवर सीमा 50 करोड़ रूपए से दोगुनी कर 100 करोड़ रुपए की गयी है.
  • मध्‍यम उद्यम: 125 करोड़ रुपए तक के निवेश वाली सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाईयां अब मध्‍यम उद्यम मानी जाएंगी. पहले इनकी निवेश सीमा 50 करोड़ रुपए थी. मध्यम उद्यमों के लिए टर्नओवर सीमा दोगुनी कर 500 करोड़ रुपए कर दी गई है.
  • भारत में एमएसएमई (माइक्रो स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज) क्षेत्र को ‘एमएसएमईडी अधिनियम 2006’ परिभाषित करता है. यह अधिनियम 2 अक्टूबर 2006 को लागू हुआ था.

IRCTC और IRFC को नवरत्न का दर्जा दिया गया

  • भारत सरकार ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IRCTC) और भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) को नवरत्न का दर्जा दिया है.
  • सरकार ने 3 मार्च IRCTC और IRFC को नवरत्न सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज में अपग्रेड किया. IRCTC 25वीं और IRFC 26वीं नवरत्न कंपनी बन गई है. ये दोनों कॉम्पनियों को पहले मिनी रत्न का दर्जा प्राप्त था.
  • नवरत्न का दर्जा मिलने से इन दोनों रेलवे सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को ज्यादा वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी. अब ये कंपनियां सरकार की मंजूरी के बिना 1,000 करोड़ रुपए तक का निवेश कर पाएंगी.

नवरत्न का दर्जा

भारत सरकार, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) को महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न में वर्गीकृत करती है.

  1. महारत्न: नवरत्न कंपनियों को ही महारत्न का दर्जा दिया जाता है. इसके लिए पिछले तीन सालों का औसतन टर्नओवर 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा होना चाहिए और औसत प्रॉफिट 2500 करोड़ रुपए होना जरूरी है. इन कंपनियों का वैश्विक उपस्थिति होना भी जरूरी है.
  2. नवरत्न: मिनिरत्न कंपनियों को ही अपग्रेडेशन के आधार पर नवरत्न का दर्जा मिलता है. इन कंपनियों को पिछले पांच वर्षों में से तीन वर्षों में ‘उत्कृष्ट’ या ‘बहुत अच्छा’ की समझौता ज्ञापन रेटिंग प्राप्त हो. परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स पर कम से कम 60 अंक होने चाहिए.
  3. मिनिरत्न: इन कंपनियों को नवरत्न और महारत्न कंपनियों से छोटी माना जाता है. मिनीरत्न के रूप में वर्गीकृत होने के मानदंड भारत में डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइज (डीपीई) द्वारा निर्धारित किए जाते है. लगातार 3 सालों तक 30 करोड़ रुपए से अधिक लाभ दर्ज करने पर यह दर्जा मिल सकता है.

IRFC और IRCTC

  • भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) भारतीय रेलवे के लिए वित्त पोषण करता है. इसकी स्थापना दिसंबर, 1986 में हुई थी. यह भारत सरकार के रेल मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है.
  • भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) रेलवे की खानपान, पर्यटन, और ऑनलाइन टिकटिंग सेवाएं संभालता है. आईआरसीटीसी की स्थापना 27 सितंबर, 1999 को हुई थी. यह रेल मंत्रालय के अंतर्गत आता है.
  • केंद्रीय रेल मंत्रालय में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (CPSE) हैं. इन 12 में से 7 CPSE – कॉनकॉर, आरवीएनएल, इरकॉन, राइट्स, रेलटेल, आईआरएफसी और आईआरसीटीसी को नवरत्न का दर्जा प्राप्त है. नवरत्न का दर्जा पाने वाली पहली रेलवे CPSE 2014 में कॉनकॉर थी.

नवरत्न का दर्जा प्राप्त सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (CPSE)

  1. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड
  2. कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
  3. इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड
  4. महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड
  5. नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड
  6. राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड
  7. नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड
  8. एनएमडीसी लिमिटेड
  9. राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड
  10. शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
  11. रेल विकास निगम लिमिटेड
  12. ओएनजीसी विदेश लिमिटेड
  13. राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड
  14. इरकॉन
  15. संस्कार
  16. नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड
  17. केंद्रीय भंडारण निगम
  18. आवास एवं शहरी विकास निगम लिमिटेड
  19.  भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड
  20.  मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड
  21.  रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
  22. भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) लिमिटेड
  23. एनएचपीसी लिमिटेड
  24. एसजेवीएन लिमिटेड
  25. आईआरसीटीसी
  26. आईआरएफसी