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वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल निर्यात 821 अरब डॉलर तक पहुँचा

  • केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रारंभिक आंकड़ा 16 अप्रैल 2025 को जारी किया था.
  • इस आँकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारतीय निर्यात (माल और सेवाएँ) 820.93 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.5% अधिक है.
  • 2024-25 में कुल अनुमानित आयात 915.19 बिलियन डॉलर था. इस अवधि के दौरान व्यापार घाटा 94.26 बिलियन डॉलर था.

वित्त वर्ष 2024-25 के अनुमानित निर्यात और आयात के आंकड़े

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

2024-252023-24
वस्‍तुएंनिर्यात437.42437.07
आयात720.24678.21
सेवाएंनिर्यात383.51341.06
आयात194.95178.31
कुल व्यापार

(वस्तु +सेवाएं)

निर्यात820.93778.13
आयात915.19856.52
व्यापार संतुलन-94.26-78.39
  • वित्त वर्ष 2024-25 में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात 344.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 320.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.
  • वित्त वर्ष 2024-25 में गैर-पेट्रोलियम, गैर-रत्न और आभूषण (सोना, चांदी और कीमती धातु) आयात 453.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में यह 424.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.
  • वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान सेवाओं के निर्यात में 12.45 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है.

नियत और आयात में वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष 5 देश

वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 में सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष 5 निर्यात गंतव्य देश: अमेरिका (11.59 प्रतिशत), ब्रिटेन (12.08 प्रतिशत), जापान (21.12 प्रतिशत), संयुक्त अरब अमीरात (2.84 प्रतिशत) और फ्रांस (11.42 प्रतिशत).

वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 में वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष 5 आयात स्रोत देश: संयुक्त अरब अमीरात (32.06 प्रतिशत), चीन (11.52 प्रतिशत), थाईलैंड (43.99 प्रतिशत), अमेरिका (7.44 प्रतिशत) और रूस (4.39 प्रतिशत).

RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: नया रेपो दर 6 प्रतिशत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 7-9 अप्रैल को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2025-26) की पहली द्विमासिक (अप्रैल-मई) मौद्रिक नीति (1st Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी.

MPC की बैठक, अप्रैल 2025: मुख्य बिंदु

  • इस बैठक में RBI ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है. इस कटौती के बाद रेपो रेट अब घटकर 6 % रह गई है.
  • यह लगातार दूरी बार है जब रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की गई है. इससे पहले फ़रवरी 2025 की बैठक में करीब 5 वर्ष में पहली बार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की गई थी.
  • RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिए विकास दर के पूर्वानुमान को 6.7% के पहले के पूर्वानुमान से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है.
  • 2024-25 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत और 2023-24 में 9.2 प्रतिशत थी.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

  • रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.
  • RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.
  • रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर6%
रिवर्स रेपो दर3.25%
स्थायी जमा सुविधा (SDF)5.75%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)6.25%
बैंक दर6.25%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC): एक दृष्टि

  • RBI की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति है. इसका गठन RBI अधिनियम 1934 के प्रावधानों के तहत 29 सितंबर 2016 को किया गया था.
  • यह भारत सरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आरबीआई की नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करती है.
  • मौद्रिक नीति समिति में वर्तमान में 6 सदस्य हैं. इसमें तीन सदस्य RBI से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं.
  • समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है. इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के एकीकरण से संबंधित अधिसूचना जारी

  • केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने 11 राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) के एकीकरण से संबंधित अधिसूचना 8 अप्रैल को जारी की थी.
  • अधिसूचना के अनुसार 1 मई 2025 से देश के हर राज्य में केवल एक ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) कार्य करेगा.
  • यह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण का चौथा चरण है. इसके पूरा होने पर भारत में RRB की कुल संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी.
  • यह कदम ‘एक राज्य – एक आरआरबी’ (One State, One RRB) नीति के तहत उठाया गया है, जिसका लक्ष्य बैंकिंग सेवाओं को अधिक प्रभावी और सुव्यवस्थित बनाना है.
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का यह विलय आरआरबी अधिनियम, 1976 की धारा 23ए(1) के तहत किया जाएगा.

किन राज्यों में होगा RRB का विलय?

देश के 11 राज्यों में मौजूद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय कर उन्हें एकल इकाई में बदला जाएगा.

  1. उत्तर प्रदेश: बड़ौदा यूपी बैंक, आर्यावर्त बैंक और प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक का विलय कर उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. इसका मुख्यालय लखनऊ और प्रायोजक बैंक ऑफ बड़ौदा होगा.
  2. आंध्र प्रदेश: चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक, आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक, सप्तगिरि ग्रामीण बैंक और आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक को मिलाकर एक नया आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक बनेगा. मुख्यालय- अमरावती, प्रायोजक बैंक- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
  3. पश्चिम बंगाल: बंगीय ग्रामीण विकास बैंक, पश्चिम बंग ग्रामीण बैंक और उत्तरबंग आरआरबी को मिलाकर पश्चिम बंगाल ग्रामीण बैंक का गठन होगा. मुख्यालय- कोलकाता, प्रायोजक- पंजाब नेशनल बैंक
  4. बिहार: दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक का विलय कर बिहार ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय-पटना, प्रायोजक बैंक- पंजाब नेशनल बैंक
  5. गुजरात: बड़ौदा गुजरात ग्रामीण बैंक और सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक का विलय करने के बाद गुजरात ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- वडोदरा, प्रायोजक बैंक- बैंक ऑफ बड़ौदा
  6. कर्नाटक: कर्नाटक विकास ग्रामीण बैंक और कर्नाटक ग्रामीण बैंक का विलय कर कर्नाटक ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- बल्लारी, प्रायोजक- केनरा बैंक
  7. मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक और मध्यांचल ग्रामीण बैंक का विलय कर मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- इंदौर, प्रायोजक – बैंक ऑफ इंडिया
  8. महाराष्ट्र: महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक और विदर्भ कोंकण ग्रामीण बैंक का विलय कर महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- छत्रपति संभाजीनगर, प्रायोजक – बैंक ऑफ महाराष्ट्र
  9. ओडिशा: ओडिशा ग्राम्य बैंक और उत्कल ग्रामीण बैंक को ओडिशा ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- भुवनेश्वर, प्रायोजक- इंडियन ओवरसीज बैंक
  10. राजस्थान: राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक और बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का विलय कर राजस्थान ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय- जयपुर, प्रायोजक – भारतीय स्टेट बैंक
  11. जम्मू और कश्मीर: जम्मू और कश्मीर ग्रामीण बैंक और एलाक्वाई देहाती बैंक को एकीकृत कर जम्मू और कश्मीर ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा. मुख्यालय – जम्मू, प्रायोजक – जम्मू और कश्मीर बैंक लिमिटेड.

आरआरबी एकीकरण के चार चरण

पहला चरण

भारत सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण की प्रक्रिया का पहला चरण सितंबर 2005 में डॉ. वीएस व्यास समिति की सिफारिशों के आधार पर शुरू किया था.

पहले चरण की अवधि 2005 से 2010 तक थी. इस चरण का लक्ष्य- किसी राज्य के प्रायोजक बैंकों द्वारा प्रवर्तित आरआरबी का एकीकरण था. इस चरण में आरआरबी की संख्या 196 से घटकर 82 हो गई.

दूसरा चरण

दूसरे चरण की अवधि 2012 से 2015 तक थी. दूसरे चरण का लक्ष्य- किसी राज्य के प्रायोजक बैंकों में आरआरबी का एकीकरण था. इस चरण में आरआरबी की संख्या 82 से घटकर 56 हो गई.

तीसरा चरण

तीसरे चरण की 2018 से 2021 तक थी. इस चरण का लक्ष्य – छोटे राज्यों में ‘एक राज्य – एक आरआरबी’ का सिद्धांत और बड़े राज्यों में आरआरबी की संख्या में कमी करना था. इस चरण में आरआरबी की संख्या 56 से घटकर 43 हो गई.

चौथा चरण

चौथे चरण का लक्ष्य – तीसरे चरण की निरंतरता है. इस चरण में आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी.

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक: एक दृष्टि

  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) की स्थापना नरसिंहम समिति 1975 की सिफारिश पर की गई थी.
  • भारत में 2 अक्टूबर 1975 को 5 आरआरबी स्थापित किए गए थे. पहला आरआरबी, प्रथमा बैंक है जो सिंडिकेट बैंक द्वारा प्रायोजित, मुरादाबाद (यूपी) में स्थापित किया गया था.
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम 1976 के तहत आरआरबी को स्थापित करने की शक्ति भारत सरकार के पास निहित है.
  • भारतीय रिजर्व बैंक आरआरबी का नियामक है. इसका स्वामित्व केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एक प्रायोजक बैंक के पास होता है.
  • जम्मू और कश्मीर बैंक लिमिटेड एकमात्र निजी बैंक है जो किसी आरआरबी को प्रायोजित करता है.

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के वर्गीकरण में महत्वपूर्ण संशोधन

  • सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्‍यम उद्यमों (Micro Small and Medium Enterprises) के वर्गीकरण के मानदंड में महत्‍वपूर्ण संशोधन अधिसूचित किए हैं. ये संशोधन पहली अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे.
  • सूक्ष्‍म उद्यम: अब 2.5 करोड़ रुपए तक के निवेश वाले सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यमों को सूक्ष्‍म उद्यम के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा. पहले इनके लिये निवेश सीमा 1 करोड़ रुपए थी. इसी प्रकार टर्नओवर सीमा भी 5 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए कर दी गई है.
  • लघु उद्यम: 25 करोड़ रुपए तक के निवेश वाली इकाईयां लघु उद्यम वर्ग में रखी गई हैं. पहले इनके लिए निवेश सीमा 10 करोड़ रुपए थी. इन उद्यमों के लिए टर्नओवर सीमा 50 करोड़ रूपए से दोगुनी कर 100 करोड़ रुपए की गयी है.
  • मध्‍यम उद्यम: 125 करोड़ रुपए तक के निवेश वाली सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाईयां अब मध्‍यम उद्यम मानी जाएंगी. पहले इनकी निवेश सीमा 50 करोड़ रुपए थी. मध्यम उद्यमों के लिए टर्नओवर सीमा दोगुनी कर 500 करोड़ रुपए कर दी गई है.
  • भारत में एमएसएमई (माइक्रो स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज) क्षेत्र को ‘एमएसएमईडी अधिनियम 2006’ परिभाषित करता है. यह अधिनियम 2 अक्टूबर 2006 को लागू हुआ था.

IRCTC और IRFC को नवरत्न का दर्जा दिया गया

  • भारत सरकार ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IRCTC) और भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) को नवरत्न का दर्जा दिया है.
  • सरकार ने 3 मार्च IRCTC और IRFC को नवरत्न सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज में अपग्रेड किया. IRCTC 25वीं और IRFC 26वीं नवरत्न कंपनी बन गई है. ये दोनों कॉम्पनियों को पहले मिनी रत्न का दर्जा प्राप्त था.
  • नवरत्न का दर्जा मिलने से इन दोनों रेलवे सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को ज्यादा वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी. अब ये कंपनियां सरकार की मंजूरी के बिना 1,000 करोड़ रुपए तक का निवेश कर पाएंगी.

नवरत्न का दर्जा

भारत सरकार, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) को महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न में वर्गीकृत करती है.

  1. महारत्न: नवरत्न कंपनियों को ही महारत्न का दर्जा दिया जाता है. इसके लिए पिछले तीन सालों का औसतन टर्नओवर 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा होना चाहिए और औसत प्रॉफिट 2500 करोड़ रुपए होना जरूरी है. इन कंपनियों का वैश्विक उपस्थिति होना भी जरूरी है.
  2. नवरत्न: मिनिरत्न कंपनियों को ही अपग्रेडेशन के आधार पर नवरत्न का दर्जा मिलता है. इन कंपनियों को पिछले पांच वर्षों में से तीन वर्षों में ‘उत्कृष्ट’ या ‘बहुत अच्छा’ की समझौता ज्ञापन रेटिंग प्राप्त हो. परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स पर कम से कम 60 अंक होने चाहिए.
  3. मिनिरत्न: इन कंपनियों को नवरत्न और महारत्न कंपनियों से छोटी माना जाता है. मिनीरत्न के रूप में वर्गीकृत होने के मानदंड भारत में डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइज (डीपीई) द्वारा निर्धारित किए जाते है. लगातार 3 सालों तक 30 करोड़ रुपए से अधिक लाभ दर्ज करने पर यह दर्जा मिल सकता है.

IRFC और IRCTC

  • भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) भारतीय रेलवे के लिए वित्त पोषण करता है. इसकी स्थापना दिसंबर, 1986 में हुई थी. यह भारत सरकार के रेल मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है.
  • भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) रेलवे की खानपान, पर्यटन, और ऑनलाइन टिकटिंग सेवाएं संभालता है. आईआरसीटीसी की स्थापना 27 सितंबर, 1999 को हुई थी. यह रेल मंत्रालय के अंतर्गत आता है.
  • केंद्रीय रेल मंत्रालय में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (CPSE) हैं. इन 12 में से 7 CPSE – कॉनकॉर, आरवीएनएल, इरकॉन, राइट्स, रेलटेल, आईआरएफसी और आईआरसीटीसी को नवरत्न का दर्जा प्राप्त है. नवरत्न का दर्जा पाने वाली पहली रेलवे CPSE 2014 में कॉनकॉर थी.

नवरत्न का दर्जा प्राप्त सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (CPSE)

  1. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड
  2. कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
  3. इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड
  4. महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड
  5. नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड
  6. राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड
  7. नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड
  8. एनएमडीसी लिमिटेड
  9. राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड
  10. शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
  11. रेल विकास निगम लिमिटेड
  12. ओएनजीसी विदेश लिमिटेड
  13. राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड
  14. इरकॉन
  15. संस्कार
  16. नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड
  17. केंद्रीय भंडारण निगम
  18. आवास एवं शहरी विकास निगम लिमिटेड
  19.  भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड
  20.  मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड
  21.  रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
  22. भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) लिमिटेड
  23. एनएचपीसी लिमिटेड
  24. एसजेवीएन लिमिटेड
  25. आईआरसीटीसी
  26. आईआरएफसी

वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि

  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने 28 फरवरी 2025 को पिछले वित्त वर्ष (2024-25) की तीसरी तिमाही (सितंबर-दिसंबर) में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर का दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया.
  • NSO द्वारा जारी इस अनुमान के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (सितंबर-दिसंबर) में 6.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी.
  • भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का दर्जा, बरकरार रखा है.
  • NSO ने वित्त वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर को भी संशोधित किया.
  • NSO के अनुसार 2023-24 में देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 9.2 प्रतिशत रही. यह पिछले 12 वर्षों में, 2021-22 को छोड़कर, भारतीय अर्थव्यवस्था द्वारा हासिल की गई उच्चतम विकास दर है. 2022-1-22 में वृद्धि दर 9.7 प्रतिशत रही थी.
  • NSO ने वित्त वर्ष 2024-25 में अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर को 6.4 प्रतिशत के पहले अनुमान से संशोधित कर 6.5 प्रतिशत कर दिया है.

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए संशोधित विकास दर: एक दृष्टि

  • वास्तविक जीडीपी विकास दर: 6.5%
  • वास्तविक जीडीपी: 187.95 लाख करोड़ रुपये
  • नाममात्र जीडीपी विकास दर: 9.9%
  • नाममात्र जीडीपी: 331.03 लाख करोड़ रुपये
  • पहली तिमाही (अप्रैल-जून) विकास दर: 6.5 प्रतिशत,
  • दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) विकास दर: 5.6 प्रतिशत
  • तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) विकास दर: 6.2 प्रतिशत
  • पहले नौ महीनों में जीडीपी की विकास दर: 6.1 प्रतिशत

नाममात्र जीडीपी किसी देश के आर्थिक उत्पादन को मौजूदा बाज़ार कीमतों पर मापता है. वहीं, वास्तविक जीडीपी को मुद्रास्फीति के लिए समायोजित किया जाता है.

2024-25 की तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के विभिन्न घटकों का प्रदर्शन

कृषि क्षेत्र में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि, विनिर्माण क्षेत्र में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि, निर्माण क्षेत्र में 7 प्रतिशत की वृद्धि, सेवा क्षेत्र में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि.

गुवाहाटी में एडवांटेज असम निवेश शिखर सम्मेलन 2025 आयोजित किया गया

  • एडवांटेज असम निवेश शिखर सम्मेलन 2.0 (Advantage Assam Investors’ Summit 2.0) 2025 असम के गुवाहाटी में 25-26 फ़रवरी को आयोजित किया गया था.
  • यह एडवांटेज असम शिखर सम्मेलन का दूसरा संस्करण था. पहला संस्करण 2018 में आयोजित किया गया था.
  • सम्मेलन का उद्देश्य असम को वैश्विक और भारतीय निवेशकों के लिए एक अनुकूल निवेश गंतव्य के रूप में प्रस्तुत करना था.
  • इस सम्मेलन में, राज्य के औद्योगिक विकास, वैश्विक व्यापार साझेदारी, तेजी से बढ़ते उद्योगों और जीवंत एमएसएमई क्षेत्र को प्रदर्शित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया.
  • सम्मेलन का उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के इस यात्रा के दौरान गुवाहाटी में स्थित सरुसजाई स्टेडियम में आयोजित झुमोइर बिनंदिनी 2025 कार्यक्रम में भाग लिया.
  • असम में चाय उद्योग के 200 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित पारंपरिक झुमोइर या झूमर नृत्य में लगभग 8000 कलाकारों ने भाग लिया.

RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: नया रेपो दर 6.25 प्रतिशत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 5-7 फ़रवरी को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के नवनियुक्त गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2024-25) की छठी द्विमासिक (जनवरी-फ़रवरी) मौद्रिक नीति (6th Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी.

MPC की बैठक, अगस्त 2024: मुख्य बिंदु

इस बैठक में RBI ने रेपो दर में 0.25% की कटौती की है. इस कटौती के बाद रेपो रेट अब घटकर 6.25% रह गई है. करीब 5 वर्ष में पहली बार है जब मुख्‍य दरों में कटौती की गई है. पिछली बार मई 2020 में रेपो रेट में 0.40% की कमी की गई थी. MPC ने अंतिम बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी और इसे 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था. वर्तमान में रिवर्स रेपो दर 3.35 फीसदी और बैंक दर 6.50 फीसदी है.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.

RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.

रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर6.25%
रिवर्स रेपो दर3.35%
स्थायी जमा सुविधा (SDF)6.00%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)6.50%
बैंक दर6.50%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4.00%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC): एक दृष्टि

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति में वर्तमान में 6 सदस्यों की समिति है. इसमें तीन सदस्य RBI से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है. इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

नई दिल्‍ली में डीप ओशन मिशन संचालन समिति की बैठक

  • नई दिल्ली स्थित पृथ्वी भवन में 23 जनवरी 2025 को डीप ओशन मिशन संचालन समिति की बैठक आयोजित की गई थी.
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस समिति की बैठक में कहा‍ कि इस वर्ष पहला मानव सबमर्सिबल यान (डीप-सी मैनड व्हीकल) को लांच कर दिया जाएगा.
  • समुद्रयान मिशन के तहत शुरुआत में यह सबमर्सिबल यान 500 मीटर की गहराई पर  काम करेगा. अगले वर्ष इसकी पहुंच 6000 मीटर तक करने की योजना है.
  • इस मिशन के तहत भारत का लक्ष्य तीन व्यक्तियों को  अन्वेषण के लिए समुद्र सतह से 6000 मीटर नीचे गहराई में भेजना  है.
  • डीप ओशन मिशन का उद्देश्‍य जलीय संसाधनों का पता लगाना और देश की समुद्री अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ावा देना है. इसका उद्देश्‍य ऐसी दुर्लभ धातुओं और समुद्री जैव-विविधता का पता लगाना भी है जिनके आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव हैं.
  • पानी के नीचे की इन संपदाओं का दोहन करके, भारत अपनी अर्थव्यवस्था, वैज्ञानिक समुदाय और पर्यावरणीय रेजिलिएंस के लिए दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित कर सकता है.
  • इस मिशन के माध्यम से भारत न केवल अपने महासागरों की गहराई का पता लगा रहा है, बल्कि एक मजबूत ब्लू इकोनॉमी का निर्माण भी कर रहा है, जो भारत के भविष्य को आगे बढ़ाएगी.

RBI ने ट्रेजरी बिल (T-बिल) की नीलामी के लिए कैलेंडर जारी किया

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ट्रेजरी बिल (T-बिल) की नीलामी के लिए कैलेंडर जारी किया है. तरलता (लिक्विडिटी) की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने ट्रेजरी बिल की आपूर्ति में वृद्धि की है.
  • ट्रेजरी बिल के माध्यम से एकत्रित धन का उपयोग आमतौर पर सरकार की अल्पकालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है. इसका उपयोग, देश के समग्र राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किया जाता है.
  • RBI द्वारा ट्रेजरी बिल (T-बिल) की नीलामी के लिए जारी कैलेंडर के अनुसार, केंद्र सरकार 91-दिवसीय ट्रेजरी बिल के माध्यम से 1.68 लाख करोड़ रुपये, 182-दिवसीय ट्रेजरी बिल के माध्यम से 1.28 लाख करोड़ रुपये और 364-दिवसीय ट्रेजरी बिल के माध्यम से 98,000 करोड़ रुपये उधार लेगी.
  • सरकारी प्रतिभूति (G-Secs) केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी खरीद-बिक्री (ट्रेड) योग्य इंस्ट्रूमेंट है. यह वास्तव में सरकार के ऊपर एक प्रकार का ऋण दायित्व होता है.
  • ऐसी प्रतिभूतियाँ अल्पावधि (आमतौर पर एक वर्ष से कम समय में मैच्योर होने वाली जैसे कि ट्रेजरी बिल) या दीर्घकालिक (आमतौर पर एक वर्ष या उससे अधिक की मच्योरिटी वाले सरकारी बांड या दिनांकित प्रतिभूतियाँ) होती हैं.
  • G-Sec भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा आयोजित नीलामी के माध्यम से जारी की जाती हैं. यह नीलामी आरबीआई के कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (CBS) प्लेटफॉर्म ‘ई-कुबेर’ नामक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर आयोजित की जाती है.
  • ट्रेजरी बिल शून्य-कूपन प्रतिभूतियाँ होती हैं, यानी इनमें ब्याज का भुगतान नहीं होता. इसकी बजाय, उन्हें अंकित मूल्य पर डिस्काउंट पर जारी किया जाता है और मैच्योरिटी पर अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है.
  • यह भारत सरकार द्वारा वचन-पत्र के रूप में जारी किया जाता, जिनकी बाद की तारीख में पुनर्भुगतान की गारंटी होती है.

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 700 बिलियन डॉलर के स्तर को पार किया

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 700 बिलियन डॉलर के स्‍तर को पार कर गया. 27 सितम्‍बर 2024 को समाप्‍त हुए सप्‍ताह में यह भंडार 704.89 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था.

मुख्य बिन्दु

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष मध्य जुलाई से विदेशी मुद्रा भंडार में 12.59 अरब डॉलर की सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़ोतरी दर्ज की गई.
  • इस उपलब्धि के साथ ही भारत चीन जापान और स्विट्जरलैंड जैसी तीन अन्य अर्थव्यवस्थाओं के ग्रुप में शामिल हो गया है जिनके पास 700 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. चीन (3,626 बिलियन डॉलर) दुनिया में सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा धारक देश है, इसके बाद क्रमशः जापान (1,272 बिलियन डॉलर), स्विट्जरलैंड (890 बिलियन डॉलर)  और भारत हैं.

भारत की विदेशी मुद्रा संरचना: एक दृष्टि

  • भारत की विदेशी मुद्रा की संरचना का प्रावधान RBI अधिनियम 1934 में है. इस अधिनियम के अनुसार RBI विदेशी मुद्रा भंडार का एकमात्र संरक्षक और प्रबंधक है.
  • RBI अधिनियम 1934 के अनुसार, भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ, विशेष आहरण अधिकार (SDR), IMF के साथ एक रिजर्व किश्त स्थिति (RTP) और स्वर्ण भंडार शामिल हैं.
  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में विदेशी सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश, अन्य देश के केंद्रीय बैंकों और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के पास आरबीआई की जमा राशि, और विदेशी वाणिज्यिक बैंकों में जमा राशि शामिल हैं.
  • SDR, 1969 में IMF द्वारा निर्मित एक अंतरराष्ट्रीय प्रकार की मौद्रिक आरक्षित मुद्रा को संदर्भित करता है. इन्हें कागजी सोना भी कहा जाता है.
  • RTP का मतलब है, देश का विदेशी मुद्रा भंडार जिसमें IMF से कोटे का कुछ हिस्सा बिना ब्याज़ के निकाला जा सकता है.

एनएचपीसी, एसजेवीएन और सेकी को नवरत्न का दर्ज दिया गया

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की तीन उद्यम (सीपीएसई) – एनएचपीसी, एसजेवीएन और सेकी को नवरत्न का दर्जा दिया है. इस आशय की आधिकारिक आदेश सार्वजनिक उद्यम विभाग (वित्त मंत्रालय) द्वारा 30 अगस्त 2024 को जारी किया था.

मुख्य बिन्दु

  • एनएचपीसी (नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड) फरीदाबाद स्थित केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के तहत मिनी रत्न श्रेणी-1 इकाई के रूप में काम कर रही थी.
  • एनएचपीसी भारतीय विद्युत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कंपनी है और इसने देश की पनबिजली क्षमता का दोहन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
  • शिमला स्थित सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) को भी नवरत्न का दर्जा मिला है. इससे पहले एसजेवीएन लिमिटेड को मिनी रत्न, श्रेणी-1 का दर्जा प्राप्त था. इसे 24 मई, 1988 को भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार (जीओएचपी) के संयुक्त उद्यम के रूप में शामिल किया गया था.
  • सरकार ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेकी) को भी नवरत्न का दर्जा दिया है. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली सेकी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की नीलामी के लिए केंद्र सरकार की एक नोडल एजेंसी है.

नवरत्न कंपनी: एक दृष्टि

  • ‘मिनीरत्न-श्रेणी 1’ का दर्जा प्राप्त सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) को ही नवरत्न का दर्जा दिया जाता है.
  • नवरत्न दर्जा मिलने से कंपनी के प्रबंधन को अधिक परिचालन और वित्तीय स्वायत्तता मिलती है. नवरत्न दर्जा प्राप्त कंपनी को केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना किसी परियोजना में 1,000 करोड़ रुपये या उनकी कुल संपत्ति का 15% तक निवेश करने की छूट होती है.
  • केंद्र सरकार की अनुमति के बिना प्रौद्योगिकी संयुक्त उद्यम या अन्य कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित कर सकती है.

नवरत्न का दर्जा प्राप्त सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (CPSE)

  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल)
  • कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
  • इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल)
  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल)
  • महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL)
  • नेशनल एल्युमिनियम कंपनी (नाल्को)
  • राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी)
  • नेशनल कैल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएमडीसी)
  • एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल)
  • ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल)
  • पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी)
  • राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल)
  • ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी)
  • भारतीय शिपिंग निगम (एससीआई)
  • नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचपीसी)
  • शिमला स्थित सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन)
  • सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेकी)