पूर्वोतर के 5 कार्बी आंगलांग विद्रोही समूहों ने केंद्र सरकार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया

पूर्वोत्तर के 5 कार्बी आंगलांग विद्रोही समूहों ने केंद्र सरकार के साथ ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किया है. ये समझौते गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और 5 संगठनों के नेताओं की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गये.

इस समझौते के तहत 1,000 उग्रवादी आत्मसमर्पण करेंगे. इससे कार्बी अनलांग क्षेत्र में शांति बनी रहेगी. इस समझौते के बाद असम सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए 1000 करोड़ रुपए खर्च करेगी. नए समझौते के तहत, पहाड़ी जनजाति के लोग भारतीय संविधान की अनुसूची 6 के तहत आरक्षण के हकदार होंगे.
यह समझौता असम की क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता को प्रभावित किए बिना, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद को और अधिक स्वायत्तता का हस्तांतरण, कार्बी लोगों की पहचान, भाषा, संस्कृति आदि की सुरक्षा और परिषद क्षेत्र में सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करेगा.

कार्बी समूह क्या है?

कार्बी आंगलोंग असम का विद्रोही और प्रमुख जातीय समूह है. यह समूह कई साल से असम में कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (KAAC) की मांग करता आ रहा है. यह कई गुटों और टुकड़ों से घिरा हुआ है. कार्बी समूह का इतिहास 1980 के दशक के उत्तरार्ध से हत्याओं, जातीय हिंसा, अपहरण और कराधान से जुड़ा रहा है.

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लद्दाख ने हिम तेंदुए को राज्य पशु और ब्लैक-नेकेड क्रेन को राज्य पक्षी घोषित किया

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में हिम तेंदुए (पैंथर यूनिका) को राज्य पशु और काले गर्दन वाले क्रेन (ग्रस निक्रिकोलिस) को राज्य पक्षी घोषित किया गया है. इस संबंध में लद्दाख प्रशासन के वन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण ने एक अधिसूचना जारी की है.

मुख्य बिंदु

जिस तरह से भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ और राष्ट्रीय पक्षी मोर है उसी तरह हर राज्य का अपना प्रतीक चिन्ह होता है.

काली गर्दन वाला क्रेन पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर का भी राज्य पक्षी और हंगुल राज्य पशु था, जिसमें लद्दाख भी शामिल था. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का राज्य पक्षी को लेकर अभी कोई घोषणा नहीं हुई है जबकि हंगुल (कश्मीरी हिरण) राज्य पशु है.

काली गर्दन वाली क्रेन (सारस), भारत में केवल लद्दाख में पाया जाता है. इसकी ऊंचाई लगभग 1.35 मीटर होती है. इसके पंखों का फैलाव लगभग 2-2.5 मीटर और इसका वजन लगभग 6-8 किलोग्राम होता है, जिसके सिर पर एक चमकदार लाल मुकुट होता है.

भारत में हिम तेंदुओं का निवास स्थान पश्चिमी और पूर्वी हिमालय का पहाड़ी क्षेत्र है. वे मुख्य रूप से लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पाए जाते हैं.

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लद्दाख से इनर लाइन परमिट की व्यवस्था को खत्म किया गया

लद्दाख प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के संरक्षित क्षेत्रों से इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit – ILP) की आवश्यकता को हटा दिया है. लद्दाख में आने वाले लोगों को यहां की यात्रा के लिए एक विशेष इनर लाइन परमिट लेना होता था.

लद्दाख के जिन हिस्सों के लिए अब तक इनर लाइन परमिट की जरूरत थी, उनमें नुब्रा वैली, खारदुंग ला, तुर्तुक, दाह और पैंगोंग TSO के इलाके शामिल थे.

इनर लाइन परमिट की व्यवस्था खत्म होने पर अब यात्रियों के यहां आने पर किसी सरकारी दस्तावेज की अनिवार्यता नहीं होगी और शुल्क भी बचेगा. इससे पर्यटन के विकास में मदद भी मिलेगी.

क्या होता है इनर लाइन परमिट?

इनर लाइन परमिट एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज (Official Travel Document) होता है. इस परमिट को जिसे संबंधित राज्य सरकार जारी करती है. इस तरह का परमिट भारतीय नागरिकों को देश के अंदर के किसी संरक्षित क्षेत्र में एक तय समय के लिए यात्रा की इजाजत देता है. इस परमिट के एवज में कुछ शुल्क भी सरकारों द्वारा लिया जाता है. लद्दाख के अलावा इनर लाइन परमिट की व्यवस्थाएं पूर्वोत्तर के भी कुछ राज्यों में हैं.

1873 में बना था ब्रिटिश राज का नियम

इनर लाइन परमिट की व्यवस्था को 1873 में ब्रिटिश भारत के कालखंड में लागू किया गया था. इसे तत्कालीन सरकार ने अपने व्यापारिक हितों को संरक्षित करने के लिए बनाया था, जिससे कि प्रतिबंधित इलाकों में भारत के लोगों को व्यापार करने से रोका जाय सके.

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सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीएम कनाडे महाराष्ट्र के लोकायुक्त नियुक्त

बॉम्बे हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीएम कनाडे को महाराष्ट्र का लोकायुक्त नियुक्त किया गया है. यह नियुक्ति महाराष्ट्र के राज्यपाल, भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सलाह पर की. महाराष्ट्र में लगभग एक साल तक पूर्णकालिक लोकायुक्त नहीं था. पिछले लोकायुक्त, (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति एमएल तहलियानी ने अगस्त 2020 में अपना कार्यकाल पूरा किया था.

लोकायुक्त: एक दृष्टि

लोकायुक्त भारत के राज्यों द्वारा गठित भ्रष्टाचाररोधी स्वतंत्र संस्थान है. नागरिक किसी भी सरकारी अधिकारी या निर्वाचित प्रतिनिधि के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत सीधे लोकायुक्त को कर सकते हैं, जिन्हें शीघ्र निवारण का काम सौंपा जाता है.

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बसवराज बोम्मई ने कर्नाटक के 23वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

बसवराज बोम्मई ने 28 जुलाई को कर्नाटक के 23वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. कर्नाटक के राज्‍यपाल थावरचंद गहलोत ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. उन्‍होंने पार्टी के वरिष्‍ठ नेता बीएस येदियुरप्‍पा का स्‍थान लिया है. श्री येदियुरप्‍पा ने मुख्‍यमंत्री के रूप में दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद 26 जुलाई को इस्‍तीफा दे दिया था.

श्री बोम्‍मई को भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक दल का नेता चुना गया था. बसवराज बोम्‍मई हावेरी जिले के शैगोन विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके हैं और येदियुरप्‍पा मंत्रिमंडल में गृहमंत्री और विधायी कार्य मंत्री रहे थे. बोम्‍मई 2008 में भाजपा में शामिल हुए थे. श्री बोम्‍मई पूर्व मुख्‍यमंत्री एस आर बोम्‍मई के पुत्र हैं.

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कृष्णा-गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्डों के अधिकार क्षेत्र को अधिसूचित किया गया

केंद्र सरकार ने कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड (KRMB) और गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड (GRMB) के अधिकार क्षेत्र को अधिसूचित कर दिया है. यह अधिसूचना आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत जारी किया गया है. जल शक्ति मंत्रालय ने 16 जुलाई को यह जानकारी दी.

इस अधिसूचना में गोदावरी और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड को इन दोनों नदियों पर सूचीबद्ध परियोजनाओं के क्रियान्वयन, नियमन, संचालन और रखरखाव के लिए शक्तियां दी गयी हैं. केंद्र सरकार ने 2 जून 2014 को गोदावरी और कृष्णा नदियों पर परियोजनाओं के क्रियान्वयन, नियमन, रखरखाव और संचालन के लिए दो नदी बोर्ड का गठन किया था.

अधिसूचना का महत्व

इस अधिसूचना से दोनों राज्यों के बीच क्षेत्र में जल प्रबंधन को लेकर होने वाले टकराव के घटने की उम्मीद है. दो बोर्डों के अधिकार क्षेत्र अधिसूचित करने का फैसला नदी बोर्ड को APRA (आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम) 2014 में दी गई जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाने में सक्षम बनाएगा तथा दोनों राज्यों के बीच जल संसधान के विषयों का समाधान करेगा.

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वाराणसी में अन्तरराष्ट्रीय रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 15 जुलाई को वाराणसी में नवनिर्मित अन्तरराष्ट्रीय रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन किया. शिवलिंग के आकार में निर्मित यह भवन जापान के सहयोग से बनाया गया है. इसके लिए जापान ने 186 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी है.

  • इसका शिलान्यास दिसंबर 2015 में जापान के पीएम शिंजो अबे के भारत यात्रा के दौरान किया गया था. इस दौरान उन्होंने भारत को बुलेट ट्रेन की भी सौगात दी थी.
  • डिजाइन जापान की कंपनी ओरिएंटल कंसल्टेंट ग्लोबल ने किया है और निर्माण का काम भी जापान की फुजिता कॉरपोरेशन नाम की कंपनी ने किया है. रुद्राक्ष में छोटा जैपनीज गार्डन बनाया गया है.
  • इस अंतरराष्ट्रीय सेंटर में लगभग 1,200 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है.
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उत्तर प्रदेश में नई जनसंख्या नीति 2021-30 की घोषणा

उत्तर प्रदेश में नई जनसंख्या नीति 2021-30 की घोषणा की गयी है. यह घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर की. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े का उद्घाटन किया. है. प्रदेश की निवर्तमान जनसंख्या नीति 2000-16 की अवधि समाप्त हो चुकी है.

जनसंख्या नीति 2021-30 की कार्य योजना

  • मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश में प्रजनन दर कम करने पर बल दिया. मौजूदा समय में यहाँ की प्रजनन दर 2.9 है. सरकार का लक्ष्य इसे कम करके 2.1 पर लाना है.
  • नई जनसंख्या नीति के तहत वर्ष 2021-30 की अवधि के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाया जाएगा. सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था होगी.
  • उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात व मातृ मृत्यु दर को कम करने और नपुंसकता/बांझपन की समस्या के सुलभ समाधान उपलब्ध कराते हुए जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयास भी किए जाएंगे.
  • नवीन नीति में एक अहम प्रस्ताव 11 से 19 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना भी है.

जनसंख्या नीति 2021-30 के अंतर्गत प्रोत्साहन

  • उत्तर प्रदेश सरकार उन कर्मचारियों को पदोन्नति (प्रमोशन), वेतन वृद्धि (इनक्रीमेंट), आवास योजनाओं में रियायतें और अन्य भत्ते देगी जो जनसंख्या नियंत्रण मानदंडों का पालन करेंगे या जिनके दो या उससे कम बच्चे हैं.
  • दो संतानों के मानदंड को अपनाने वाले सरकारी कर्मचारियों को पूरी सेवा के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि, पूरे वेतन और भत्तों के साथ 12 महीने का मातृत्व या पितृत्व अवकाश और राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत नियोक्ता (employer) अंशदान कोष में तीन प्रतिशत की वृद्धि मिलेगी.
  • जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और जनसंख्या को नियंत्रित करने में योगदान देते हैं, उन्हें पानी, आवास, गृह ऋण आदि करों में छूट जैसे लाभ मिलेंगे. यदि किसी बच्चे के माता-पिता या कोई एक नसबंदी का विकल्प चुनता है तो उन्हें 20 साल की उम्र तक मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी.
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पुष्कर सिंह धामी ने उत्‍तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

पुष्कर सिंह धामी ने 4 जुलाई को उत्‍तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. राज्‍यपाल बेबी रानी मौर्या ने उन्‍हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. श्री पुष्‍कर राज्‍य के ग्‍यारहवें मुख्‍यमंत्री होंगे. श्री धामी के साथ ग्‍यारह अन्‍य मंत्रियों ने भी शपथ ली.

इससे पहले श्री धामी को भारतीय जनता पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया था. श्री धामी उत्‍तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में खटीमा विधानसभा क्षेत्र से दोबारा विधायक चुने गए हैं.

श्री धामी, तीरथ सिंह रावत का स्थान लेंगे. श्री रावत ने कार्यभार संभालने के चार महीने बाद इस्तीफा दे दिया था. वह राज्य विधानसभा के सदस्य नहीं थे. संविधान के प्रावधानों के अनुसार मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण से 6 महीने के अन्दर रज्य विधानसभा का सदस्य चुना जाना चाहिए था.

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पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में विधान परिषद् के गठन को मंजूरी दी

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में विधान परिषद् के गठन को मंजूरी दी है. पश्चिम बंगाल में फिलहाल 294 सदस्यीय विधानसभा है लेकिन राज्य में विधान परिषद् नहीं है.

पश्चिम बंगाल राज्य कैबिनेट द्वारा पारित इससे संबंधित प्रस्ताव को अब राज्यपाल के पास भेजा जाएगा और उनकी मंजूरी के बाद आवश्यक मंजूरी के लिए इसे राज्य विधानसभा के पास भेजा जाएगा.

उल्लेखनीय है कि पहले पश्चिम बंगाल में विधानपरिषद् हुआ करती थी, परन्तु उसे 1969 में समाप्त कर दिया गया था. संवैधानिक प्रावधान के अनुसार विधान परिषद् का गठन करने या उसे भंग करने के लिए राज्य विधानसभा से प्रस्ताव पारित किया जाना जरूरी है.

विधान परिषद को राज्यों में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा के नाम से जाना जाता है. इसके सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होता है.

विधान परिषद (State Legislative Council): एक दृष्टि

भारत के छः राज्यों में विधान परिषद, विधानमंडल का अंग है. यानी इन राज्यों में विधानसभा निचला सदन और विधानपरिषद उच्च सदन के रूप में गठित है. राज्यसभा की तरह विधान परिषद के सदस्य सीधे मतदाताओं द्वारा निर्वाचित नहीं होते. इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं. कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं.

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 171 किसी राज्य में विधानसभा के अलावा एक विधान परिषद के गठन का विकल्प प्रदान करता है. संविधान का अनुच्छेद 169 राज्य में विधान परिषद को समाप्त करने की शक्ति प्रदान की गयी है.

विधान परिषद सदस्य (MLC) का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है, जहां प्रत्येक दो वर्ष की अवधि पर इसके एक-तिहाई सदस्य कार्यनिवृत्त हो जाते हैं.

छह राज्यों में विधान परिषद का अस्तित्व

वर्तमान में छह राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद का भी गठन किया गया हैं. जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने से पहले यहाँ भी विधान परिषद अस्तित्व में था.

विधानपरिषद सदस्यों का चुनाव प्रक्रिया

  • विधान परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं.
  • एक तिहाई निर्वाचिका द्वारा, जिसमें नगरपालिकाओं के सदस्य, जिला बोर्डों और राज्य में अन्य प्राधिकरणों के सदस्य शामिल हैं, द्वारा चुने जाते हैं.
  • एक बटा बारह (1/12) सदस्यों का चुनाव निर्वाचिका द्वारा ऐसे व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जिन्होंने कम-से-कम तीन वर्षों तक राज्य के उच्च शैक्षिक संस्थाओं में अध्यापन में लगे रहे हों.
  • एक बटा बारह सदस्यों का चुनाव पंजीकृत स्नातकों द्वारा किया जाता है जो तीन वर्ष से अधिक समय पहले पढ़ाई समाप्त कर लिए हैं.
  • शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला, सहयोग आन्दोलन और सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाते हैं.
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जम्मू-कश्मीर में दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल ‘आर्क ब्रिज’

जम्मू-कश्मीर में विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल ‘आर्क ब्रिज’ बनाया जा रहा है. चिनाब नदी पर बनाये जा रहे इस पुल का काम 5 अप्रैल को पूरा हो गया.

आर्क ब्रिज: एक दृष्टि

चिनाब नदी पर बने रहे इस रेलवे पुल की लंबाई 1315 मीटर है. जबकि नदी के तल से इसकी ऊंचाई 359 मीटर है. ब्रिज के एक तरफ लगे पिलर की ऊंचाई 131 मीटर है. यह रेलवे पुल पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है.
इस पुल का निर्माण उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के तहत चिनाब नदी पर किया गया है. इस रेलवे पुल की मदद से कश्मीर को रेलवे के माध्यम से देश के बाकी राज्यों और शहरों से जोड़ा जाएगा.

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छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों द्वारा सुरक्षाबलों पर हमला

छत्तीसगढ़ में 3 अप्रैल को नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला कर दिया. इस हमले में कई सुरक्षाबल शहीद हो गये. यह घटना छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा के जगरगुंडा क्षेत्र में घटी.

जंगली इलाकों की वजह से सुकमा और खासतौर पर दंतेवाड़ा, बस्तर समेत छत्तीसगढ़ के कई इलाके नक्सलियों का सॉफ्ट टार्गेट रहे हैं.

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