पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में विधान परिषद् के गठन को मंजूरी दी

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में विधान परिषद् के गठन को मंजूरी दी है. पश्चिम बंगाल में फिलहाल 294 सदस्यीय विधानसभा है लेकिन राज्य में विधान परिषद् नहीं है.

पश्चिम बंगाल राज्य कैबिनेट द्वारा पारित इससे संबंधित प्रस्ताव को अब राज्यपाल के पास भेजा जाएगा और उनकी मंजूरी के बाद आवश्यक मंजूरी के लिए इसे राज्य विधानसभा के पास भेजा जाएगा.

उल्लेखनीय है कि पहले पश्चिम बंगाल में विधानपरिषद् हुआ करती थी, परन्तु उसे 1969 में समाप्त कर दिया गया था. संवैधानिक प्रावधान के अनुसार विधान परिषद् का गठन करने या उसे भंग करने के लिए राज्य विधानसभा से प्रस्ताव पारित किया जाना जरूरी है.

विधान परिषद को राज्यों में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा के नाम से जाना जाता है. इसके सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होता है.

विधान परिषद (State Legislative Council): एक दृष्टि

भारत के छः राज्यों में विधान परिषद, विधानमंडल का अंग है. यानी इन राज्यों में विधानसभा निचला सदन और विधानपरिषद उच्च सदन के रूप में गठित है. राज्यसभा की तरह विधान परिषद के सदस्य सीधे मतदाताओं द्वारा निर्वाचित नहीं होते. इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं. कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं.

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 171 किसी राज्य में विधानसभा के अलावा एक विधान परिषद के गठन का विकल्प प्रदान करता है. संविधान का अनुच्छेद 169 राज्य में विधान परिषद को समाप्त करने की शक्ति प्रदान की गयी है.

विधान परिषद सदस्य (MLC) का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है, जहां प्रत्येक दो वर्ष की अवधि पर इसके एक-तिहाई सदस्य कार्यनिवृत्त हो जाते हैं.

छह राज्यों में विधान परिषद का अस्तित्व

वर्तमान में छह राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद का भी गठन किया गया हैं. जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने से पहले यहाँ भी विधान परिषद अस्तित्व में था.

विधानपरिषद सदस्यों का चुनाव प्रक्रिया

  • विधान परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं.
  • एक तिहाई निर्वाचिका द्वारा, जिसमें नगरपालिकाओं के सदस्य, जिला बोर्डों और राज्य में अन्य प्राधिकरणों के सदस्य शामिल हैं, द्वारा चुने जाते हैं.
  • एक बटा बारह (1/12) सदस्यों का चुनाव निर्वाचिका द्वारा ऐसे व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जिन्होंने कम-से-कम तीन वर्षों तक राज्य के उच्च शैक्षिक संस्थाओं में अध्यापन में लगे रहे हों.
  • एक बटा बारह सदस्यों का चुनाव पंजीकृत स्नातकों द्वारा किया जाता है जो तीन वर्ष से अधिक समय पहले पढ़ाई समाप्त कर लिए हैं.
  • शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला, सहयोग आन्दोलन और सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाते हैं.
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