मलयालम कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता अक्कितम अच्युतन नंबूदरी का निधन

जाने-माने मलयालम कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार (Jnanpith Award) विजेता अक्कितम अच्युतन नंबूदरी का निधन हो गया है. वो 94 साल के थे. अक्कितम अच्युतन नंबूदरी का जन्म 8 मार्च 1926 को केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था.

पुरस्कार और सम्मान

अक्कितम को साहित्य अकादमी पुरस्कार, मूर्ति देवी पुरस्कार, कबीर सम्मान, वल्लतोल सम्मान समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें साल 2019 का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया था. उन्हें 2017 में पद्म-श्री, 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1972 में केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1988 में कबीर सम्मान से भी सम्मानित किया गया है.

मशहूर पुस्तकें

अक्कितम युगद्रष्ट कवि थे. उनकी कविता, नाटक, उपन्यास और अनुवाद में उनकी 40 से अधिक किताबें छप चुकी हैं. उनकी सबसे मशहूर काव्य पुस्तक ‘इरुपदाम नूतनदीदे इतिहसम’ है, जो पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं.

अक्कितम की कुछ मशहूर पुस्तकें- खंड काव्य, कथा काव्य, चरित्र काव्य और गीत हैं. उनकी कुछ विख्यात रचनाओं में वीरवाडम, बालदर्शनम्, निमिषा क्षेतराम, अमृता खटिका, अक्चितम कवितातक्का, महाकाव्य ऑफ ट्वेंटीथ सेंचुरी और एंटीक्लेमम शामिल हैं.

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प्रसिद्ध कुचिपुड़ी नृत्यांगना शोभा नायडू का निधन

प्रसिद्ध कुचिपुड़ी नृत्यांगना शोभा नायडू का 15 अक्टूबर को निधन हो गया. वह 64 वर्ष की थीं और भारत की प्रमुख कुचीपुडी नर्तकियों में से एक थीं.

नायडू की प्रमुख उपलब्धियों में विप्रनारायण, कल्याण श्रीनिवासम और अन्य बैले (नृत्य-नटिकाओं) की कोरियोग्राफी और उनमें नृत्य तथा अभिनय करना था. इनमें नायडू ने सत्यभामा, देवदेवकी, पद्मावती, मोहिनी, साईबाबा और देवी पार्चती की मुख्य भूमिकाएं निभायी हैं.

उन्हें 2001 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. इसके अलाबा 1991 में उन्हें कुचीपुडी नृत्य में उनके योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान कार्लटन चैपमैन का निधन

भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान कार्लटन चैपमैन का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 49 वर्ष के थे. मिडफील्डर चैपमैन 1995 से 2001 तक भारत की तरफ से खेले थे, उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने 1997 में सैफ कप जीता था.

क्लब स्तर पर कार्लटन चैपमैन ने ईस्ट बंगाल और जेसीटी मिल्स जैसी टीमों का प्रतिनिधित्व किया. चैपमैन ने पंजाब स्थित क्लब की तरफ से 14 ट्रॉफियां जीती थी. इनमें 1996-97 में पहली राष्ट्रीय फुटबॉल लीग (एनएफएल) भी शामिल है. चैपमैन बाद में एफसी कोच्चि से जुड़े, लेकिन एक सत्र बाद ही 1998 में ईस्ट बंगाल से जुड़ गये थे. ईस्ट बंगाल ने उनकी अगुवाई में 2001 में एनएफएल जीता था, उन्होंने 2001 में पेशेवर फुटबॉल से संन्यास ले लिया था.

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केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर को निधन हो गया. वे 74 वर्ष के थे और केंद्र सरकार में उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री थे. उन्होंने ग़रीब, वंचित तथा शोषित के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.

रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी की संस्थापक सदस्य थे. वह आठ बार लोकसभा के लिए चुने गए. वे श्री जयप्रकाश नारायण के प्रबल अनुयायी थे. वे लोकदल के महासचिव भी बने. पासवान ने केंद्रीय मंत्री के रूप में सभी राष्ट्रीय गठबंधन के पांच प्रधानमंत्रियों के अधीन काम किया है.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का निधन

पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का 27 सितम्बर को निधन हो गया है. वे 82 वर्ष के थे. जसवंत सिंह ने वाजपेयी सरकार में विदेश, रक्षा और वित्त मंत्रालयों की ज़िम्मेदारी संभाली थी. राजनीती में आने से पहले वे भारतीय सेना में मेजर रहे थे. जसवंत सिंह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संस्थापक सदस्यों में थे.

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भारतीय सेना ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया

भारतीय सेना की सामरिक बल कमान (Strategic Forces Command) ने 25 सितम्बर को पृथ्वी-2 शॉर्ट रेंज बलिस्टिक मिसाइल (Prithvi short-range ballistic missile) का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा तट पर चांदीपुर में समेकित परीक्षण रेंज से किया गया.

परीक्षण में छोड़ी गई इस मिसाइल ने 350 किलोमीटर दूर लक्ष्य साधा. परीक्षण सभी निर्धारित मानकों पर सफल रहा. इस परीक्षण में मिसाइल के अंधेरे में मारक क्षमता की जाँच गयी.

सामरिक बल कमान (SFC) भारत का परमाणु कमांड विंग है. यह मुख्य रूप से देश में रणनीतिक परमाणु हथियारों का प्रबंधन करता है.

पृथ्वी-2 मिसाइल: एक दृष्टि

  • स्वदेश में विकसित पृथ्वी-2 मिसाइल सतह-से-सतह पर मार करने वाली और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. इस मिसाइल का पहली बार 27 अगस्त 1996 को परीक्षण किया गया था.
  • करीब 4600 किलोग्राम वजन और 9 मीटर लंबी यह मिसाइल 500 से 1000 किलोग्राम वजन के हथियार ले जा सकती है. इसमें तरल ईंधन से चलने वाले दो इंजन लगे हैं.
  • इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप विकसित किया गया है.
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प्रख्यात कलाविद् कपिला वात्स्यायन का निधन

देश की प्रख्यात कलाविद् कपिला वात्स्यायन का 16 सितम्बर को दिल्ली में निधन हो गया. वह 91 वर्ष की थीं. उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप और ललित कला अकादमी फैलोशिप से सम्मानित किया गया था.

कपिला वात्स्यायन हिंदी के यशस्वी दिवंगत साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की पत्नी थीं और साठ के दशक में अपने पति से तलाक के बाद वह एकांकी जीवन व्यतीत कर रही थीं. वह राष्ट्रीय आंदोलन की प्रसिद्ध लेखिका सत्यवती मलिक की पुत्री थीं.

वह 2006 में राज्यसभा के लिए मनोनीत सदस्य नियुक्त की गई थीं और लाभ के पद के विवाद के कारण उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता त्याग दी थी. इसके बाद वह दोबारा फिर राज्यसभा की सदस्य मनोनीत की गई थीं. श्रीमती वात्स्यायन राष्ट्रीय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक सचिव थी और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की आजीवन ट्रस्टी भी थीं.

उन्होंने भारतीय नाट्यशास्त्र और भारतीय पारंपरिक कला पर गंभीर और विद्वतापूर्ण पुस्तकें भी लिखी थीं. वह देश में भारतीय कला शास्त्र की आधिकारिक विद्वान मानी जाती थीं.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का 13 सितम्बर को निधन हो गया है. वे 74 वर्ष के थे. श्री सिंह कोरोना वायरस संबंधी परेशानियों के इलाज के लिए दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (AIIMS) में भर्ती हुए थे.

श्री सिंह बिहार के दिग्‍गज नेता थे. वे राष्‍ट्रीय जनता दल से जुड़े थे लेकिन हाल ही में इस राजनीतिक दल से इस्‍तीफा दे दिया था. वे बिहार के वैशाली से लोकसभा सांसद और तीन बार केंद्र में कैबिनेट मंत्री बने.

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संविधान के रक्षक संत केशवानंद भारती का निधन

संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत दिलाने वाले संत केशवानंद भारती का 6 सितम्बर को केरल के इडनीर मठ में निधन हो गया. वे 79 साल के थे.

1973 में सुप्रीम कोर्ट ने ‘केशवानंद भारती बनाम स्टेट ऑफ केरल’ मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया था. इस निर्णय के अनुसार, संविधान की प्रस्तावना के मूल ढांचे को बदला नहीं जा सकता. इस निर्णय के कारण केशवानंद भारती को ‘संविधान का रक्षक’ भी कहा जाता है, क्‍योंकि इसी याचिका पर फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने व्‍यवस्‍था दी कि उसे संविधान के किसी भी संशोधन की समीक्षा का अधिकार है.

संविधान के मूल ढांचे में संशोधन नहीं किया जा सकता

23 मार्च 1973 को केशवानंद भारती मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने संविधान में संशोधन की संसद की शक्तियों पर निर्णय सुनाया था. इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद के पास संविधान के अनुच्‍छेद 368 के तहत संशोधन का अधिकार तो है, लेकिन संविधान के मूल ढांचे में से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती.

कोर्ट ने कहा कि संविधान के हर हिस्‍से में संशोधन हो सकता है, लेकिन उसकी न्‍यायिक समीक्षा होगी ताकि यह तय हो सके कि संविधान का आधार और मूल ढांचा बरकरार है. कोर्ट ने मूल संरचना को परिभाषित नहीं किया. इसने केवल कुछ सिद्धांतों को सूचीबद्ध किया जैसे कि धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और लोकतंत्र.

भारती का केस जाने-माने वकील नानी पालकीवाला ने लड़ा था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी व्‍यवस्‍था दी थी कि न्‍यायपालिका की स्‍वतंत्रता संविधान के मूल ढांचे का हिस्‍सा है, इसलिए उससे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती.

अब तक का सबसे बड़ी पीठ ने सुनवाई की थी

यह फैसला शीर्ष अदालत की अब तक सबसे बड़ी पीठ ने दिया था. चीफ जस्टिस एसएम सीकरी और जस्टिस एचआर खन्‍ना की अगुवाई वाली 13 जजों की पीठ ने 7:6 से यह फैसला दिया था. इस मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर 1972 को शुरू हुई और 23 मार्च 1973 को सुनवाई पूरी हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका का आधार

केशवानंद भारती केरल में कासरगोड़ जिले के इडनीर मठ के उत्‍तराधिकारी थे. केरल सरकार ने भूमि सुधार कानून बनाए थे जिसके जरिए धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन पर नियंत्रण किया जाना था. इस कानून को संविधान की नौंवी सूची में रखा गया था ताकि न्‍यायपालिका उसकी समीक्षा न कर सके. साल 1970 में केशवानंद ने इसी भूमि सुधार कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन, 2019 में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था

पूर्व राष्ट्रपति और देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत-रत्न से सम्मानित प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त को निधन हो गया. वे 84 वर्ष के थे. कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें दिल्ली में आर्मी रिसर्च ऐंड रेफरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. उनके दिमाग में बने खून के थक्के को हटाने के लिए उनकी ब्रेन सर्जरी की गई थी, जिसके बाद से ही वह वेंटिलेटर पर थे.

प्रणब मुखर्जी का जन्म 1 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले (मिराती गांव) में हुआ था. वह कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से थे. 2019 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया था. वह जुलाई 2012 से जुलाई 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे थे.

प्रणब मुखर्जी ने 1969 में राजनीति की शुरुआत की थी. उसी साल वह राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उसके अलावा वह 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्य सभा के लिए चुने गए. वह 2004 और 2009 में पश्चिम बंगाल की जंगीपुर सीट से 2 बार लोकसभा के लिए भी चुने गए थे.

1973 में वह पहली बार केंद्र सरकार में मंत्री बने. तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार में उन्हें इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट मंत्रालय में डेप्युटी मिनिस्टर बनाया गया. 1982 से 1984 तक वह केंद्रीय वित्त मंत्री रहे.

1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया. उसके बाद 1993 से 1995 तक वह वाणिज्य मंत्री रहे. 1995 से 1996 तक वह नरसिंह राव सरकार में भारत के विदेश मंत्री रहे.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान वह 2004 से 2006 तक वह रक्षा मंत्री, 2006 से 2009 तक वह विदेश मंत्री और 2009 से 2012 तक वित्त मंत्री रहे.

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जाने-माने शास्‍त्रीय संगीत गायक पंडित जसराज का निधन

भारत के प्रख्‍यात शास्‍त्रीय गायक पंडित जसराज का 17 अगस्त को अमरीका के न्‍यू जर्सी में निधन हो गया. वे 90 वर्ष के थे. उनका जन्म 1930 में हरियाणा में हुआ था.

पंडित जसराज भारतीय शास्‍त्रीय संगीत के सबसे प्रमुख गायको में जाने जाते हैं. जसराज का मेवाती घराने से ताल्लुक था, जो संगीत का एक स्कूल है और ‘ख़याल’ के पारंपरिक प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है. शास्त्रीय संगीत के प्रदर्शन के अलावा, जसराज ने अर्ध-शास्त्रीय संगीत शैलियों को लोकप्रिय बनाने के लिए भी काम किया है, जैसे हवेली संगीत, जिसमें मंदिरों में अर्ध-शास्त्रीय प्रदर्शन शामिल हैं.

पंडित जसराज ने एक अनोखी जुगलबंदी की रचना की थी. इसमें महिला और पुरुष गायक अलग-अलग रागों में एक साथ गाते हैं. इस जुगलबंदी को जसरंगी नाम दिया गया. मधुराष्टकम् श्री वल्लभाचार्य जी द्वारा रचित भगवान कृष्ण की बहुत ही मधुर स्तुति है. पंडित जसराज ने इस स्तुति को अपने स्वर से घर-घर तक पहुंचा दिया.

भारत सरकार ने उन्‍हें 1975 में पद्मश्री, 1990 मेंपद्मभूषण और वर्ष 2000 में पद्मविभूषण से सम्‍मानित किया था. 1987 में उन्‍हेंसंगीत नाटक अकादमी पुरस्‍कार प्रदान किया गया.

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ऑस्कर पुरस्कार विेजेता अभिनेत्री ओलिविया डी हैविलैंड का निधन

हॉलीवुड अभिनेत्री और दो बार ऑस्कर पुरस्कार विजेता रही ओलिविया डी हैविलैंड का 26 जुलाई को पेरिस में निधन हो गया. वह 104 वर्ष की थीं.

हैलीवैंड ने कैप्टन ब्लड, द एडवेंचर्स ऑफ रॉबिन हूड, गॉन विद द विंड, द स्नेकपिट, द हेयरेस जैसी फिल्मों में अभिनय किया था. 1939 में आई फिल्म ‘गोन विद विंड’ उनकी काफी चर्चित फिल्म थी. वह इस फिल्म की आखिरी जीवित कलाकार भी थी. उन्होंने 1940 के दशक में हॉलीवुड की अनुबंध व्यवस्था को चुनौती दी थी.

अपने छह दशक के करियर में हैविलैंड ने अलग-अलग किरदार निभाएं. वह स्टूडियो युग की आखिरी शीर्ष कलाकारों में शामिल थी. हैविलैंड का जन्म 1916 में तोक्यो में ब्रिटिश पेटेंट अटॉर्नी के यहां हुआ था.

ओलिविया डी हैविलैंड को 1946 में फिल्म ‘To Each His Own’ के लिए और 1949 में फिल्म ‘The Heiress’ के लिए ऑस्कर पुरस्कार जीता था.

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