ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने के लिए ‘ई-सिगरेट अध्यादेश, 2019’ को मंजूरी दी गयी

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 19 सितम्बर को ‘ई-सिगरेट अध्यादेश, 2019’ को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने के लिए इस अध्यादेश को स्‍वीकृति दी थी। इस मामले में संसद के अगले सत्र में विधेयक लाया जाएगा।

इस अध्यादेश के तहत ई-सिगरेट के उत्पादन, विनिर्माण, निर्यात, आयात, विज्ञापन सहित सभी 9 क्षेत्रों में गतिविधियों पर रोक रहेगी.

इस अध्यादेश के लागू होने के बाद ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने से युवाओं और बच्चों को ई-सिगरेट के माध्यम से नशे की लत के जोखिम से बचाने में मदद मिलेगी.

ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के बाद कानून तोड़ने पर सजा का भी प्रावधान रखा गया है. इसके तहत पहली बार जुर्म करने पर एक साल की सजा या एक लाख का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान होगा. जबकि बार-बार अपराध करने पर 5 लाख का जुर्माना या 3 साल की कैद अथवा दोनों का प्रावधान है. ई-सिगरेट का भंडारण करने वालों को छह महीने की जेल की सजा या पचास हजार रूपये का जुर्माना या दोनों हो सकता है।


देश की सीमाओं का इतिहास लिखे जाने की परियोजना को मंजूरी दी गयी

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने देश की सीमाओं का इतिहास लिखे जाने की परियोजना को मंजूरी दी है. उन्‍होंने 17 सितम्बर को इस बारे में भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद, नेहरू स्‍मारक संग्रहालय और पुस्‍तकालय, राष्‍ट्रीय अभिलेखागार, गृहमंत्रालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों तथा वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ नई दिल्‍ली में बैठक की.

इस परियोजना के तहत सीमाओं के सीमांकन, सुरक्षा बलों की भूमिका और सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों के सामाजिक-आर्थिक जीवन और संस्‍कृति को भी शामिल किया जायेगा. इस परियोजना के दो वर्ष के अंदर पूरा हो जाने की उम्‍मीद है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि आम जनता और अधिकारियों को सीमाओं की बेहतर समझ के लिए देश की सीमाओं का इतिहास लिखा जाना जरूरी है.


जम्‍मू-कश्‍मीर को दो केन्‍द्रशासित प्रदेशों में विभा‍जन की निगरानी के लिए समिति का गठन

केन्‍द्र सरकार ने जम्‍मू-कश्‍मीर को दो केन्‍द्रशासित प्रदेशों में विभा‍जन की निगरानी के लिए तीन सदस्‍यीय समिति का गठन किया है. यह समिति दोनों प्रस्‍तावित केन्‍द्रशासित प्रदेशों में सम्‍पत्तियों और दायित्‍वों के वितरण की निगरानी करेंगी. जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख दोनों केन्‍द्रशासित प्रदेश 31 अक्‍टूबर 2019 को अस्तित्‍व में आ जाएंगे.

पूर्व रक्षा सचिव संजय मित्रा इस समिति के अध्यक्ष होंगे

पूर्व रक्षा सचिव संजय मित्रा इस समिति के अध्यक्ष होंगे जबकि सेवानिवृत आईएएस अधिकारी अरूण गोयल और भारतीय सिविल लेखा सेवा के सेवानिवृत अधिकारी गिरिराज प्रसाद गुप्ता उसके अन्य दो सदस्य होंगे.

समिति का गठन जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत

इस समिति का गठन जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 85 के तहत किया गया है. इस अधिनियम की धारा 84 के अनुसार जम्मू कश्मीर राज्य की पंरसंपत्तियां और देनदारियां जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों के बीच बांटी जानी है.

पांच अगस्त को केंद्र ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था. अधिसूचना के अनुसार वर्तमान जम्मू कश्मीर राज्य की परिसंपत्तियों और देनदारियों का बंटवारा केंद्र द्वारा गठित समिति की सिफारिश के आधार पर होगा.


मोटर वाहन संशोधन कानून 2019, 1 सितम्बर से लागू हुआ

मोटर वाहन (संशोधन) कानून 2019 (Motor Vehicles Amendment Act, 2019) के संशोधित प्रावधान 1 सितम्बर से लागू हो गया. इसके तहत यातायात नियमों के उल्‍लंघन पर आर्थिक दंड बढ़ाया गया है. इस विधेयक को हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित किया था.

मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019: एक दृष्टि
लाल बत्ती का उल्लंघन करने पर आर्थिक दंड एक हजार रुपये से बढ़ाकर पांच हजार रुपये कर दिया गया है. सीट बेल्‍ट के बिना वाहन चलाने पर अब सौ रुपये की जगह एक हजार रुपये भरने होंगे. लापरवाही से तेज गाड़ी चलाने पर एक हजार की जगह पांच हजार रुपये का दंड भरना होगा. शराब पीकर वाहन चलाने पर 10 हजार रुपये भरने होंगे. बिना लाइसेंस ड्राइविंग पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगेगा. बीमा की प्रति के बिना वाहन चलाने पर दो हजार रुपये भरने होंगे. किशोर के गाड़ी चलाने पर उसके अभिभावक और वाहन के मालिक को दोषी माना जाएगा. इसके लिए 25 हजार रुपये आर्थिक दंड के साथ तीन वर्ष के कारावास की सजा होगी. हेलमैट के बगैर दोपहिया वाहन चलाने पर पहली बार पांच सौ रुपये और दोबारा ऐसा करने पर डेढ़ हजार रुपये का आर्थिक दंड देना होगा और दुपहिया वाहन पर तीन सवारी ले जाने पर सौ रुपये की जगह पांच सौ रुपये भरने होंगे.


राष्‍ट्रपति ने पांच राज्‍यों में नये राज्‍यपालों की नियुक्ति को मंजूरी दी

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 1 सितम्बर को पांच राज्‍यों में नये राज्‍यपालों की नियुक्ति को मंजूरी दी. ये राज्य हैं- हिमाचप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, तेलंगाना और केरल.

  1. महाराष्‍ट्र: उत्‍तराखंड के पूर्व मुख्‍यमंत्री भगतसिंह कोश्‍यारी को महाराष्‍ट्र का नया राज्‍यपाल नियुक्‍त किया गया है. कोशियारी विद्यासागर राव का स्थान लेंगे.
  2. केरल: पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री आरिफ मोहम्‍मद खान केरल के राज्‍यपाल होंगे. वे पी सतशिवम का स्थान लेंगे.
  3. हिमाचल प्रदेश: भाजपा नेता और पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री बंडारू दत्‍तात्रेय हिमाचल प्रदेश के राज्‍यपाल बनाए गए हैं. वे कलराज मिश्र का स्‍थान लेंगे.
  4. राजस्‍थान: कलराज मिश्र को राजस्‍थान का राज्‍यपाल नियुक्‍त किया गया है. वे कल्याण सिंह का स्थान लेंगे.
  5. तेलंगाना: तमिलनाडु की पूर्व भाजपा प्रमुख डॉक्‍टर तमिलिसाई सुंदरराजन तेलंगाना के राज्‍यपाल की जिम्‍मेदारी संभालेंगीं. वे ईएसएल नरसिम्हन की जगह लेंगे.


पर्यावरण मंत्रालय ने वनीकरण के लिए CAMPA को 47,436 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority) को 47,436 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की है. यह राशि वनीकरण को बढ़ावा देने और देश के हरित उद्देश्यों की प्राप्ति को प्रोत्‍साहन देने के लिए दिया गया है. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने 29 अगस्त को इसकी घोषणा की.

जिन महत्वपूर्ण गतिविधियों पर इस धन का उपयोग किया जाएगा उनमें – क्षतिपूरक वनीकरण, जलग्रहण क्षेत्र का उपचार, वन्यजीव प्रबंधन, वनों में लगने वाली आग की रोकथाम, वन में मृदा एवं आद्रता संरक्षण कार्य, वन्‍य जीव पर्यावास में सुधार, जैव विविधता और जैव संसाधनों का प्रबन्‍धन, वानिकी में अनुसंधान कार्य आदि शामिल हैं.

हस्तांतरित की जा रही धनराशि राज्य के बजट के अतिरिक्त होगी. सभी राज्य इस धनराशि का उपयोग वन और वृक्षों का आवरण बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्‍तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के उद्देश्‍यों की पूर्ति के लिए वानिकी कार्यकलापों में करेंगे. इससे वर्ष 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के समान अतिरिक्त कार्बन सिंक (यानी वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण) होगा.


कश्‍मीर मुद्दे पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की अनौपचारिक बैठक

कश्‍मीर मुद्दे पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की 16 अगस्त को बंद कमरे में (अनौपचारिक) बैठक हुई. यह बैठक पाकिस्‍तान और चीन के अनुरोध पर जम्‍मू-कश्‍मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई थी. बैठक में सभी पांच स्‍थायी सदस्‍यों और दस अस्‍थायी सदस्‍यों ने हिस्‍सा लिया. चीन को छोड़कर सभी स्‍थायी सदस्‍यों ने अनौपचारिक बैठक में भारत का समर्थन किया.

कश्‍मीर मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की अनौपचारिक बैठक: एक दृष्टि

  • बैठक में चीन को छोड़कर सुरक्षा परिषद के अन्‍य स्‍थायी सदस्‍यों–ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमरीका का कहना था कि कश्‍मीर मुद्दे पर दोनों देशो को द्विपक्षीय वार्ता करनी चाहिए.
  • इस बैठक में जम्‍मू-कश्‍मीर में सुशासन और सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाये गये कदमों को सही ठहराया गया और उनकी सराहना की गयी.
  • भारत ने अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय को साफ तौर पर बताया कि संविधान के अनुच्‍छेद 370 को निरस्‍त करने का भारत का कदम उसका आंतरिक मामला है.

संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के स्‍थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने भारत का पक्ष रखा

  • बैठक के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के स्‍थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने मीडिया के समक्ष भारत का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 370 से संबंधित तमाम मुद्दे भारत का आंतरिक मामला है और इस बारे में भारत की स्थिति पहले भी यही थी और आगे भी यही रहेगी.
  • अकबरूद्दीन ने कहा कि भारत सरकार और भारतीय संसद के हाल के फैसलों का उद्देश्‍य यह सुनिश्चित करना था कि जम्‍मू-कश्‍मीर में सुशासन को बढ़ावा मिले और लद्दाख समेत समूचे जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों का तेजी से सामाजिक-आर्थिक विकास हो.


राष्‍ट्रपति ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक 2019 को मंजूरी दी

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 अगस्त को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक (National Medical Commission Bill) को मंजूरी दे दी। इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) से हाल ही में संपन्न हुए सत्र में पारित किया गया था. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लिया है. यह कानून भारतीय चिकित्‍सा परिषद अधिनियम 1956 का स्‍थान लेगा. इस कानून का उद्देश्य चिकित्‍सा शिक्षा की गुणवत्‍ता में सुधार लाना और इसे किफायती बनाना है.

‘राष्‍ट्रीय चिकित्‍सा आयोग’ बनाने का प्रावधान
NMC कानून में एक ‘राष्‍ट्रीय चिकित्‍सा आयोग’ बनाने का प्रावधान है. यह आयोग चिकित्‍सा संस्‍थानों और चिकित्‍सा व्‍यवसायियों के विनियमन के लिए नीतियां तैयार करेगा तथा स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल संबंधी मानव संसाधनों और बुनियाद ढांचे की जरूरतों का मूल्‍यांकन करेगा।

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक (NMC Bill): एक दृष्टि

  • विधेयक में परास्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा (नीट) का प्रावधान है. देश का प्रत्‍येक छात्र इस परीक्षा के माध्‍यम से एम्‍स और किसी भी अन्‍य चिकित्‍सा महाविद्यालय में जा सकता है.
  • मरीजों के इलाज हेतु लाइसेंस हासिल करने के लिए MBBS पाठ्यक्रम के अंतिम सत्र में एक संयुक्त परीक्षा नेशनल एक्जिट टेस्ट ‘नेक्स्ट’ का प्रस्ताव है. यह परीक्षा विदेशी मेडिकल स्नातकों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का भी काम करेगी.
  • विधेयक में चार स्वशासी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है. इसमें स्नातक पूर्व और स्नातकोत्तर अतिविशिष्ट आयुर्विज्ञान शिक्षा में प्रवेश के लिए एक सामान्य राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की बात कही गई है.
  • इसमें चिकित्सा व्यवसाय करने के लिए राष्ट्रीय निर्गम परीक्षा आयोजित करने का उल्लेख है.
    इस विधेयक से देश के सभी भागों में पर्याप्‍त और उच्‍च गुणवत्‍ता के चिकित्‍सक की उपलब्‍धता सुनिश्चित होगी.


राष्‍ट्रपति ने भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद-370 के प्रावधानों को हटाने की घोषणा की


राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्‍मू कश्‍मीर को विशेष दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद-370 के प्रावधानों को हटाने की 7 अगस्त को घोषणा की. इस आशय की अधिसूचना विधि और न्‍याय मंत्रालय ने जारी कर दी. संसद के दोनों सदनों में जम्‍मू कश्‍मीर में अनुच्‍छेद-370 हटाये जाने का प्रस्‍ताव पारित होने के बाद राष्‍ट्रपति ने यह घोषणा की है.

जम्‍मू-कश्‍मीर में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति और सीमा पार से हो रही आतंकवादी घटनाओं के कारण जम्‍मू-कश्‍मीर को विधानसभा युक्‍त केंद्रशासित प्रदेश बनाने का निर्णय लिया गया. धारा 370 के कारण जम्‍मू कश्‍मीर में केंद्र सरकार के कानून लागू नहीं हो रहे थे. इस कारण पाकिस्‍तान द्वारा आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा दिया जा रहा था. इस धारा के हटने से यहां के लोग, देश की मुख्‍यधारा में शामिल हो सकेंगे.

लोकसभा और राज्यसभा ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने और राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 को पारित किया

लोकसभा ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों हटाने और राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 को 6 अगस्त को पारित कर दिया. संसद का उपरी सदन (राज्यसभा) इसे 5 अगस्त को पारित कर चुकी थी. केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (क) को छोड़कर इस अनुच्छेद के सभी प्रावधानों को खत्म करने और ‘राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019’ का एक प्रस्ताव राज्यसभा में प्रस्तुत किया था. यह प्रस्ताव केंद्रीय गृह-मंत्री अमित शाह ने द्वारा प्रस्तुत किया गया था.

केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड (क) को छोड़कर इस अनुच्छेद के सभी प्रावधानों को खत्म करने और ‘राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019’ का एक प्रस्ताव राज्यसभा में प्रस्तुत किया था. यह प्रस्ताव केंद्रीय गृह-मंत्री अमित शाह ने द्वारा प्रस्तुत किया गया था.

राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की अधिसूचना निकाली

राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 के उपबंध (3) के तहत एक अधिसूचना (नोटिफिकेशन) निकल कर अनुच्छेद 370 को खत्म करने का अधिकार है. संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति अनुच्छेद 370 को खत्म करने की अधिसूचना तभी निकाल सकते हैं जब राज्य की विधानसभा ऐसा करने को कहती है. चूंकि जम्मू-कश्मीर में अभी राज्यपाल शासन लागू है, ऐसे में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सारे अधिकार संसद के दोनों सदन के अंदर निहित है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ. इसके पहले 1952 में और 1962 में भी धारा 370 में इसी तरीके से संशोधन किया जा चुका है.

राज्य पुनर्गठन विधेयक: जम्मू-कश्मीर का दो राज्यों में बंटवारा

केंद्र सरकार ने राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 के माध्यम से राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा. जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका (विधानसभा) होगी, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित क्षेत्र होगा. विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह 5 साल होगा.

आर्टिकल 370 का ऐतिहासिक पहलु

आजादी के समय अंग्रेजों ने भारत में मौजूद रियासतों को भारत या पाकिस्तान में विलय करने या फिर स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया था. कुछ रियासतों को छोड़कर बाकी सभी रियासतों ने भारत में विलय के प्रस्ताव को स्वीकार किया. जम्मू-कश्मीर रियासत के शासक महाराजा हरि सिंह ने स्वतंत्र रहने का निर्णय किया. लेकिन 20 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कबायलियों की ‘आजाद कश्मीर सेना’ ने कश्मीर पर हमला कर दिया. हालात बिगड़ते देख महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर के भारत में विलय प्रस्ताव (इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया) पर 26 अक्टूबर 1947 को दस्तखत कर दिया. तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने 27 अक्टूबर, 1947 को इसे स्वीकार कर लिया. इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर का भारत में विधिवत विलय हो गया.

‘इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया’ में कुछ शर्तें भी लगायी गयी थी. इन शर्तों के तहत सिर्फ रक्षा, विदेश और संचार मामलों पर बने भारतीय कानून ही जम्मू-कश्मीर में लागू होते थे. अनुच्छेद 370 इसी के अंतर्गत आता था. इसके प्रावधानों को शेख अब्दुला ने तैयार किया था, जिन्हें हरि सिंह और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. अनुच्छेद 370 को अस्थायी तौर पर भारतीय संविधान में शामिल किया गया था.

क्या है आर्टिकल 370?

भारतीय संविधान का आर्टिकल 370 जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करती है. विशेष राज्य का दर्जा मिलने के कारण ही रक्षा, विदेश मामले और कम्युनिकेशन को छोड़कर केंद्र सरकार के कानून इस राज्य पर लागू नहीं होते हैं. इस विशेष प्रावधान के कारण ही 1956 में जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान लागू किया गया था. आर्टिकल 370 भारतीय संविधान के 21वें भाग में अस्थायी, तात्कालिक और विशेष प्रावधान (Temporary provisions with respect to the State of Jammu and Kashmir) के रूप में उल्लेखित है.

जम्मू कश्मीर की संविधान सभा
जम्मू-कश्मीर का संविधान एक संविधान सभा द्वारा बनाया गया था. इस संविधान सभा का गठन 1951 में हुआ था और 31 अक्तूबर 1951 को इसकी बैठक हुई. अपनी स्थापना के साथ ही जम्मू कश्मीर की संविधान सभा को यह अधिकार प्राप्त था कि वह भारत के संविधान की धाराओं को राज्य में लागू करने का अनुमोदन करे या धारा 370 का अभिनिषेध करे. जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने राज्य के संविधान का निर्माण किया और आर्टिकल 370 को निरस्त करने की सिफारिश किए बिना खुद को भंग कर दिया. उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर में 17 नवंबर 1956 को अपना संविधान लागू किया गया था.

जम्मू-कश्मीर में दोहरी नागरिकता
आर्टिकल 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर में दोहरी नागरिकता काम करती थी. एक देश की और एक इस राज्य की. इस राज्य का अपना अलग झंडा और प्रतीक चिहृन भी था.

आर्टिकल 370 के अंतर्गत ही है 35A

सरकार ने संविधान के आर्टिकल 370 के उपबंध (1) को छोड़कर अनुच्छेद 35ए सहित सभी प्रावधानों को समाप्त किया है. अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को राष्ट्रपति के आदेश के जरिए लागू किया जा सकता है. 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के जरिए ही अनुच्छेद 35A को संविधान में शामिल किया गया था.

अनुच्छेद 35A के अनुसार, राज्य की विधायिका को जम्मू एवं कश्मीर के स्थायी नागरिकों के दर्जे को परिभाषित करने का अधिकार है. इसके अनुसार, कोई भी बाहरी व्यक्ति जम्मू एवं कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकता और राज्य में नौकरी नहीं कर सकता. यह अनुच्छेद राज्य की महिला नागरिकों को भी किसी बाहरी व्यक्ति से शादी करने की स्थिति में राज्य में किसी भी संपत्ति के अधिकार से वंचित करता है. इसे एक याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है. शीर्ष अदालत में अनुच्छेद 35A को चुनौती देती छह याचिकाएं दायर की गई हैं.

370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या बदलाव होगा?

अनुच्छेद 370 के खंड (1) को छोड़कर बांकी प्रावधानों के हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर का अलग से कोई संविधान नहीं होगा, अन्य राज्यों की तरह यहाँ भी भारतीय संविधान लागू होगा. जम्मू-कश्मीर में अब दोहरी नागरिकता नहीं होगी.

आर्टिकल 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में वोट का अधिकार सिर्फ वहां के स्थायी नागरिकों को ही था. दूसरे राज्य के लोग यहां वोट नहीं दे सकते और न चुनाव में उम्मीदवार बन सकते थे. अब भारत का कोई भी नागरिक वहां के वोटर और प्रत्याशी बन सकते हैं. देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीद पाएगा.

लोकसभा ने बाल यौन अपराध निवारण संशोधन विधेय़क (पोक्सो) 2019 पारित किया

लोकसभा ने 1 अगस्त को बाल यौन अपराध निवारण संशोधन विधेय़क (The Protection of Children from Sexual Offences Act- POCSO) 2019 पारित किया. राज्‍यसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है. पोक्सो विधेयक में बच्चों के साथ यौन अपराध करने वाले लोगों को मृत्यु दण्ड सहित सजा की अवधि बढ़ाने का प्रावधान किया गया है.

बच्चों की अश्लील फिल्म बनाने पर रोक लगाने के लिए विधेयक में ऐसे लोगों के खिलाफ पांच साल तक की कैद की सजा और जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है. दोबारा यही अपराध करने पर सात साल तक की सजा होगी और जुर्माना लगेगा. विधेय़क में बाल पोर्नोग्राफी को परिभाषित भी किया गया है.


गैर-कानूनी गतिविघियां रोकथाम संशोधन विधेयक 2019 राज्यसभा से पारित

राज्यसभा ने 2 अगस्त को गैरकानूनी गतिविघियां रोकथाम संशोधन विधेयक (Unlawful Activities (Prevention) Amendment- UAPA) 2019 को पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. सदन ने इस विधेयक को 42 के मुकाबले 147 वोट से पारित किया. विधेयक में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम संशोधन अधिनियम, 1967 में संशोधनों का प्रावधान है.

गैरकानूनी गतिविघियां रोकथाम संशोधन विधेयक 2019: एक दृष्टि

  • इस संशोधन विधेयक के अंतर्गत केन्द्र सरकार को आतंकी गतिविधियों से जुड़े व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार है. इससे पहले, सरकार सिर्फ संगठनों को ही आतंकवादी घोषित कर सकती थी.
  • इसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency) के महानिदेशक को भी यह अधिकार दिया गया है कि वे एजेंसी द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में अभियुक्तों या संगठनों की सम्पत्ति की कुर्की का आदेश जारी कर सकते हैं.


राज्‍यसभा ने मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2019 को पारित किया

राज्‍यसभा ने 31 जुलाई को ‘मोटर वाहन संशोधन विधेयक (The Motor Vehicles Amendment Bill) 2019’ पारित कर दिया. इस विधेयक को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने प्रस्तुत किया था. विधेयक के पक्ष में 108, जबकि विरोध में 13 वोट पड़े. लोकसभा ने यह विधेयक पहले ही पारित कर चुकी थी. इस विधेयक को फिर से मंजूरी के लिए लोकसभा भेजा जाएगा, क्‍योंकि इसमें कुछ संशोधन किए गए हैं. विधेयक में सड़क सुरक्षा के लिए मोटर वाहन कानून, 1988 में संशोधन का प्रावधान है. यह विधेयक यातायात नियमों के उल्‍लंघन के लिए जुर्माने में वृद्धि, थर्ड पार्टी बीमा मुद्दे का निपटारा और सड़क सुरक्षा से जुड़ा है.

मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2019: एक दृष्टि

  • इस विधेयक में सड़क सुरक्षा में सुधार और यातायात को नियंत्रित करने में प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल को बढ़ावा देने का प्रावधान है.
  • सड़क दुर्घटना में मृत्‍यु के मामले में मुआवजे की राशि 25 हजार रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों के मामले में साढ़े बारह हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने का प्रस्‍ताव है.
  • विधेयक में सड़क दुर्घटनाओं के, पहले एक घंटे के भीतर पीडि़त के लिए नकदी रहित चिकित्‍सा सुविधा भी उपलब्‍ध कराना शामिल है.