संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष की भारत यात्रा

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस, विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर के निमंत्रण पर 22-26 जनवरी तक भारत की यात्रा पर थे. श्री फ्रांसिस की यात्रा के दौरान, आपसी हित के महत्वपूर्ण बहुपक्षीय मुद्दों पर विदेश मंत्री के साथ बातचीत हुई थी.

मुख्य बिन्दु

  • भारत यात्रा के दौरान उन्होंने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की बात कही. उन्होंने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक वास्‍तविकता को नहीं दर्शाती है.
  • नई दिल्‍ली में श्री फ्रांसिस ने कहा कि संयुक्‍त राष्‍ट्र भू-राजनीतिक अस्थिरताओं से निपटने में संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के प्रदर्शन से संतुष्‍ट नहीं है. यह परिषद अब तक शांति और सुरक्षा संबंधी निर्णय लेने में असमर्थ रही है.
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के अध्‍यक्ष ने अफ्रीकी संघ को जी-20 का पूर्ण सदस्‍य बनाने में भारत की भूमिका की भी सराहना की.
  • इससे पहले श्री फ्रांसिस ने विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस जयशंकर के साथ बातचीत की. डॉक्‍टर जयशंकर ने अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थानों विशेषकर संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर श्री फ्रांसिस के विचार की सराहना की.

अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में राम लला की भव्य रूप में प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर में 22 जनवरी को राम लला की भव्य रूप में प्राण प्रतिष्ठा हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान संपन्न किया.

मुख्य बिन्दु

  • उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लिया.
  • इस अवसर पर देश के सभी प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधि उपस्थित थे. विभ‍िन्‍न जनजातीय समुदाय के प्रतिनिधियों सहित समाज के सभी वर्गों के लोगों ने भी भागीदारी की.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम लला की प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद मंदिर परिसर में जटायु की प्रतिमा का अनावरण किया. कुबेर टीला में पुनरोद्धार किए गए शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की.
  • राम लला की भव्य रूप में प्राण प्रतिष्ठा पौष शुक्ल द्वादशी विक्रम संवत 2080 अभिजीत मुहूर्त और समय दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर हुई.
  • प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम काशी के गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ के निर्देशन में और प्रसिद्ध विद्वान लक्ष्मीकांत दीक्षित के द्वारा संपन्न कराया गया.

स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2023: सूरत और इंदौर संयुक्त विजेता घोषित

केन्‍द्र सरकार ने स्वच्छ सर्वेक्षण (Swachh Survekshan) पुरस्कार 2023 की घोषणा 11 दिसम्बर को की थी. इंदौर और सूरत को संयुक्त रूप से सबसे स्वच्छ शहर का पहला पुरस्कार दिया गया. इंदौर को लगातार सातवीं बार सबसे स्‍वच्‍छ शहर का खिताब दिया गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित समारोह में विजेताओं को पुरस्‍कार दिए.

मुख्य बिन्दु

  • स्‍वच्‍छता के मामले में छह बार से लगातार इंदौर पहले स्थान पर बना हुआ था. सातवीं बार इंदौर के साथ इस लिस्‍ट में सूरत का नाम भी शामिल है. पहली बार सूरत भी संयुक्त तौर पर सबसे स्वच्छ शहर बन गया.
  • राज्यों में महाराष्ट्र को सबसे स्वच्छ राज्‍य घोषित किया गया. दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश और तीसरे नंबर पर  छत्तीसगढ़ रहा. पिछले साल मध्य प्रदेश को देश का सबसे स्वच्छ राज्य चुना गया था.
  • भोपाल को देश की स्वच्छतम राज्य राजधानी का खिताब मिला है. पिछले साल भी ये खिताब भोपाल के ही पास में था. देश के 10 लाख से अधिक आबादी वाले महानगरों की श्रेणी में भोपाल को देश का पांचवां सबसे स्वच्छ शहर चुना गया.

इसरो ने आदित्‍य एल-1 उपग्रह को अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक स्‍थापित किया

भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 6 जनवरी को आदित्‍य एल-1 उपग्रह (Aditya L-1 satellite) को अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक स्‍थापित कर दिया. आदित्‍य एल-1 भारत का पहला सौर अभियान है जो सूर्य के कोरोना, सूर्य के भीषण ताप और पृथ्‍वी पर इसके प्रभाव का अध्ययन करेगा.

मुख्य बिन्दु

  • आदित्‍य एल-1 को हालो कक्षा में एल-1 बिन्‍दु (लैग्रेंजियन बिंदु) के नजदीक सफलतापूर्वक प्रवेश कराया गया है. इसरो ने इसके लिए कमान केन्‍द्र से मोटर और थ्रस्‍टर का प्रयोग किया.
  • एल-1 बिन्‍दु पृथ्‍वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. अंतरिक्ष यान में 440 न्‍यूटन लिक्विड अपोजी मोटर, आठ 22 न्‍यूटन थ्रस्‍टर और चार 10 न्‍यूटन थ्रस्‍टर लगे थे जो इसे एल-1 बिन्‍दु तक ले गये.
  • लैग्रेंजियन बिंदु वह स्थान है जहां कोई वस्तु सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण संतुलन में रह सकती है. यह बिन्‍दु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है.
  • लैग्रेंजियन बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है.
  • एल-1 बिंदु, पांच लैग्रेंजियन बिंदुओं में से एक है. यह बिंदु सूर्य का निर्बाध दृश्य प्राप्त करता है और वर्तमान में सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला उपग्रह SOHO इसी बिन्दु पर हैं.

विदेश मंत्री डॉ. सुब्रहमण्‍यम जयशंकर की नेपाल यात्रा

विदेश मंत्री डॉ. सुब्रहमण्‍यम जयशंकर 4 से 5 जनवरी तक नेपाल की यात्रा पर थे. उनकी यात्रा नेपाल के विदेश मंत्री नारायण प्रसाद सऊद के निमंत्रण पर भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता के लिए थी.

मुख्य बिन्दु

  • यात्रा के दौरान डॉ. जयशंकर ने नेपाल के शीर्ष नेतृत्व और प्रमुख राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की.
  • काठमांडू में नेपाल के विदेश मंत्री एन. पी. सऊद के साथ भारत नेपाल संयुक्त आयोग की 7 वीं बैठक की सह-अध्‍यक्षता की.
  • दोनों देशों के बीच दो महत्‍वपूर्ण समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए गए. नेपाल विद्युत प्राधिकरण और एनटीपीसी लिमिटेड के बीच नवीकरणीय ऊर्जा विकास में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए.
  • समझौते के अनुसार, अगले दस वर्षों में नेपाल भारत को 10 हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति करेगा.
  • विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने नेपाल के राष्‍ट्रपति रामचन्‍द्र पोडेल और प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल प्रचंड से शिष्‍टाचार मुलाकात की.

ISRO ने एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 1 जनवरी 2024 को एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) का सफल प्रक्षेपण किया था. यह प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया था. इस प्रक्षेपण अभियान में 10 अन्य वैज्ञानिक पेलोड्स उपग्रहों को भी प्रक्षेपित किया गया था.

मुख्य बिन्दु

  • यह सैटेलाइट ब्लैक होल (आकाशगंगा) और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करेगा. यह मिशन करीब पांच साल (2028 तक) का होने वाला है.
  • एक्सपोसैट (XPoSat) का प्रक्षेपण ध्रुवीय सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल (PSLV)-C5 के माध्यम से किया गया था. PSLV-C5 का लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान 260 टन है. यह रॉकेट एक्सपोसैट को पृथ्वी से 650 किमी ऊंचाई पर स्थापित किया.
  • इस मिशन के माध्यम से अमेरिका के बाद भारत ब्लैक होल (आकाशगंगा) और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करने के लिए एक विशेष सैटेलाइट भेजने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया.

1 जनवरी 2024 से डिब्बा बंद उत्पादों को लेकर नया नियम लागू हुआ

सरकार की ओर से डिब्बा बंद यानी पैकेजिंग सामानों को लेकर एक नया नियम 1 जनवरी 2024 से लागू हो गया. इसके बाद सभी कंपनियों को डिब्बा बंद किए हुए सामानों पर निर्माण की तिथि के साथ प्रति ईकाई बिक्री मूल्य लिखना होगा.

मुख्य बिन्दु

  • उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नोटिस के अनुसार, अब कंपनियों के लिए सामान के ‘प्रति इकाई बिक्री मूल्य’ के साथ केवल ‘मैन्यूफैक्चरिंग की तारीख’ प्रकाशित करना अनिवार्य किया गया है.
  • चूंकि पैकेट बंद सामान की बिक्री विभिन्न मात्राओं में की जाती है, ऐसे में महत्वपूर्ण है कि उपभोक्ता डिब्बा बंद सामान की प्रति इकाई बिक्री कीमत से अवगत हों, जिससे वह सभी जानकारी के साथ सोच-विचार कर वस्तु खरीद सके.
  • उदाहरण के लिए 5किलोग्राम के पैकेट बंद गेहूं के आटे में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के साथ प्रति किलो इकाई बिक्री मूल्य भी प्रकाशित होगा. इसी प्रकार, एक किलो से कम मात्रा वाले डिब्बा बंद उत्पाद के पैकेट पर बिक्री मूल्य प्रति ग्राम होगा.

केंद्र सरकार, असम सरकार और उल्‍फा के बीच त्रिपक्षीय समझौते

केंद्र सरकार ने असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्‍फा) के साथ 31 दिसम्बर को ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर नई दिल्‍ली में हस्‍ताक्षर किए थे. समझौते पर गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए. इस समझौते का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थायी शांति बहाल करना है.

मुख्य बिन्दु

  • बहुप्रतीक्षित शांति समझौता असम में दशकों से चले आ रहे उग्रवाद को समाप्त करने के लिए है.
  • उल्फा नेताओं और सरकारों के साथ वर्षों की बातचीत और चर्चा के बाद त्रिपक्षीय शांति संधि पर हस्ताक्षर किए गए.
  • शांति संधि में असम के मूल लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के प्रावधान होने की संभावना है.
  • असम सरकार और केंद्र द्वारा किए जा रहे कई प्रयासों के बावजूद उल्फा का परेश बरुआ गुट अभी तक शांति प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ है.

मुख्य सचिवों का तीसरा राष्ट्रीय सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया गया

मुख्य सचिवों का तीसरा राष्ट्रीय सम्मेलन (3rd National Conference of Chief Secretaries) 27 से 29 दिसम्बर तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया था. यह अपनी तरह का तीसरा सम्मेलन था. पहला सम्मेलन जून 2022 में धर्मशाला में और दूसरा जनवरी 2023 में दिल्ली में आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन का विषय था – सुगम जीवन सुनिश्चित करना.

मुख्य बिन्दु

  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के सहकारी संघवाद के सिद्धांत से प्रेरित होकर इस सम्‍मेलन का आयोजन केंद्र और राज्‍य सरकारों के बीच भागीदारी को प्रोत्‍साहित करने के लिए किया जाता है.
  • इसमें दो सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था, इनमें केंद्र सरकार के प्रतिनिधि, मुख्‍य सचिव और सभी राज्‍यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्‍ठ अधिकारी शामिल थे.
  • सम्‍मेलन का उद्देश्‍य सरकारी प्रयासों की डिलीवरी व्‍यवस्‍था को मजबूत करके ग्रामीण तथा शहरी जनसंख्‍या के जीवनस्‍तर को बेहतर करने के लिए सहयोगी कार्रवाई का आधार तैयार करना है.
  • सम्मेलन की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी. सम्मेलन में जीवन सुगमता और राज्यों के साथ साझेदारी में विकास एजेंडे के कार्यान्वयन पर मुख्य तौर पर ध्यान केन्द्रित किया गया.

भारत ने स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस इंफाल को नौसेना में शामिल किया

भारत ने 26 दिसम्बर को एक समारोह में नवीनतम स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस इंफाल (INS Imphal) को नौसेना में शामिल किया था. यह समारोह डॉकयार्ड, मुंबई में आयोजित किया गया था. इस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि थे.

मुख्य बिन्दु

  • इस युद्धपोत की लंबाई 535 फीट और वजन 7, 400 टन है. आईएनएस इंफाल को 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ तैयार किया गया है. इसका निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई ने किया है.
  • आईएनएस इंफाल विध्वंसक पहला युद्धपोत है जिसे पूर्वोत्तर के किसी शहर का नाम दिया गया है. युद्धपोत का नामकरण पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि को दर्शाता है.
  • सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस आईएनएस इंफाल को हिंद महासागर में चीन को चुनौती देने के लिए तैयार किया गया है.
  • यह युद्धपोत परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्ध स्थितियों के तहत लड़ने के लिए सुसज्जित है. गुप्त विशेषताएं इसकी युद्ध क्षमता को बढ़ाती है.
  • इस युद्धपोत में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार गिराने वाली मिसाइलों को भी इंस्टॉल किया गया है. यह 30 समुद्री मील (56 किमी/घंटा) से ऊपर की गति से चल सकता है.
  • इसमें पनडुब्बी रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर और 76 मिमी सुपर रैपिड गन को भी युद्धपोत में इंस्टॉल किया गया है. यह हवा में मार करने वाली मिसाइलों, जहाज-रोधी मिसाइलों और टॉरपीडो सहित अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से सुसज्जित है.
  • इस युद्धपोत से निकलने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 90 डिग्री पर घूमकर दुश्मन कर हमला करने की ताकत रखती है.
  • इस युद्धपोत में स्टेट ऑफ द आर्ट सेंसर लगे हैं, जो दुश्मन के हथियारों का पता लगा सकता है. इन सैंसर्स का पता लगाना दुश्मनों के लिए टेढ़ी खीर है.

निर्वाचन आयुक्त नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल विधेयक 2023 पारित

संसद ने हाल ही में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल) विधेयक (Chief Election Commissioner Appointment Bill) 2023 पारित किया था. लोकसभा ने इसे 21 दिसम्बर को जबकि राज्यसभा ने 12 दिसंबर को पारित किया था.

राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून (अधिनियम) बन जाएगा. यह कानून चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्य संचालन) अधिनियम, 1991 की जगह लेगा.

विधेयक के मुख्य बिन्दु

  • विधेयक में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और निर्वाचन आयुक्‍तों (EC) की नियुक्ति, वेतन और पद से हटाए जाने से जुडे प्रावधान शामिल किए गए हैं.
  • CEC और EC की नियुक्ति, चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रपति करेंगे. चयन समिति में अब प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री की तरफ नामित एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे. यदि लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता शामिल होगा.
  • विधेयक में CEC और EC के पदों पर विचार करने के लिये पाँच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करने हेतु एक खोज समिति (Search Committee) की स्थापना का प्रस्ताव है.
  • खोज समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करेंगे और इसमें सचिव के पद से निम्न पद वाले दो सदस्य भी शामिल होंगे जिनके पास चुनाव से संबंधित मामलों का ज्ञान तथा अनुभव होगा.
  • CEC और ECs को ड्यूटी करते समय कोई आदेश पारित करने पर अदालत में किसी तरह की कार्रवाई से संरक्षण प्राप्त होगा.
  • CEC और ECs का वेतन एवं सेवा शर्तें कैबिनेट सचिव के सामान होंगी. 1991 के अधिनियम के तहत इनका वेतन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के वेतन के बराबर था. CEC और ECs का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक रहेगा.
  • यह विधेयक वर्तमान संवैधानिक प्रावधान (अनुच्छेद 324 (5)) को बरकरार रखता है जो CEC को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह निष्कासन की अनुमति देता है, जबकि EC को केवल CEC की अनुशंसा पर हटाया जा सकता है.

संसद से तीन आपराधिक संहिता विधेयकों के पारित किया

भारतीय संसद से हाल ही में तीन तीन आपराधिक संहिता विधेयकों के पारित किया था. संसद के शीतकालीन सत्र 2023 के दौरान इन तीन विधेयकों को पेश किया गया था. ये विधेयक हैं-  भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023.

भारतीय न्‍याय द्वितीय संहिता 2023, भारतीय दण्‍ड संहिता (आईपीसी) 1860 का स्‍थान लेगी. यह देश में फौजदारी अपराधों से संबंधित प्रमुख कानून है. भारतीय नागरिक सुरक्षा द्वितीय सं‍हिता 2023, दण्‍ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 का स्‍थान लेगी. इसमें गिरफ्तारी, अभियोग और जमानत की प्रक्रिया के प्रावधान हैं. भारतीय साक्ष्‍य द्वितीय विधेयक 2023, भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम 1872 का स्‍थान लेगी. इसमें देश के न्‍यायालयों में साक्ष्‍यों की स्वीकार्यता से जुडे प्रावधान हैं.

मुख्य बिन्दु

  • राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इन विधेयकों ने कानून का रूप ले लिया है. ये कानून औपनिवेशिक काल के पुराने आपराधिक कानूनों का स्थान लेंगे.
  • इन अधिनियमों में कानूनी, पुलिस और जांच प्रणालियों को अद्यतन किया गया है जिससे कमजोर लोगों के लिए सुरक्षा बढ़ती है. इससे संगठित अपराध और आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी प्रतिक्रिया की सुविधा भी मिलती है.
  • नए अधिनियमों में प्रथम सूचना रिपोर्ट से लेकर केस डायरी, आरोप पत्र और अदालत के फैसले तक की पूरी प्रक्रिया डिजिटल बनाने का प्रावधान है.
  • इन अधिनियमों में आतंकवादी गतिविधियों, मॉब लिंचिंग, भारत की संप्रभुता को खतरा पैदा करने वाले अपराधों को कानूनों में शामिल किया गया है और बलात्कार जैसे कई अपराधों में सजा में बढ़ोतरी की गई है.
  • भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को एक नए अपराध की कैटेगिरी में डाला गया है. जबकि तकनीकी रूप से राजद्रोह को आईपीसी से हटा दिया गया है.
  • आतंकवादी कृत्य, जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे विशेष कानूनों का हिस्सा थे, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है.
  • पॉकेटमारी जैसे छोटे संगठित अपराधों समेत संगठित अपराध से निपटने के लिए प्रावधान पेश किए गए हैं. पहले इस तरह के संगठित अपराधों से निपटने के लिए राज्यों के अपने कानून थे.
  • मॉब लिंचिंग, यानी जब पांच या अधिक लोगों का एक समूह मिलकर जाति या समुदाय आदि के आधार पर हत्या करता है, तो समूह के प्रत्येक सदस्य को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.
  • शादी का झूठा वादा करके संबंध बनाने को विशेष रूप से अपराध के रूप में पेश किया गया है. व्यभिचार और धारा 377, जिसका इस्तेमाल समलैंगिक यौन संबंधों पर मुकदमा चलाने के लिए किया जाता था, इसे अब हटा दिया गया है.
  • पहले केवल 15 दिन की पुलिस रिमांड दी जा सकती थी. लेकिन अब अपराध की गंभीरता को देखते हुए इसे 60 या 90 दिन तक दिया जा सकता है.
  • छोटे अपराधों के लिए सजा का एक नया रूप सामुदायिक सेवा को शामिल किया गया है. सामुदायिक सेवा को समाज के लिए लाभकारी बताया गया है. जांच-पड़ताल में अब फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाने को अनिवार्य बनाया गया है.
  • एफआईआर, जांच और सुनवाई के लिए अनिवार्य समय-सीमा तय की गई है. उदाहरण के लिए, अब सुनवाई के 45 दिनों के भीतर फैसला देना होगा, शिकायत के 3 दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करनी होगी.
  • अब सिर्फ मौत की सजा पाए दोषी ही दया याचिका दाखिल कर सकते हैं. पहले गैर सरकारी संगठन या नागरिक समाज समूह भी दोषियों की ओर से दया याचिका दायर कर देते थे.