भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 6 जनवरी को आदित्य एल-1 उपग्रह (Aditya L-1 satellite) को अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया. आदित्य एल-1 भारत का पहला सौर अभियान है जो सूर्य के कोरोना, सूर्य के भीषण ताप और पृथ्वी पर इसके प्रभाव का अध्ययन करेगा.
मुख्य बिन्दु
आदित्य एल-1 को हालो कक्षा में एल-1 बिन्दु (लैग्रेंजियन बिंदु) के नजदीक सफलतापूर्वक प्रवेश कराया गया है. इसरो ने इसके लिए कमान केन्द्र से मोटर और थ्रस्टर का प्रयोग किया.
एल-1 बिन्दु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. अंतरिक्ष यान में 440 न्यूटन लिक्विड अपोजी मोटर, आठ 22 न्यूटन थ्रस्टर और चार 10 न्यूटन थ्रस्टर लगे थे जो इसे एल-1 बिन्दु तक ले गये.
लैग्रेंजियन बिंदु वह स्थान है जहां कोई वस्तु सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण संतुलन में रह सकती है. यह बिन्दु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है.
लैग्रेंजियन बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है.
एल-1 बिंदु, पांच लैग्रेंजियन बिंदुओं में से एक है. यह बिंदु सूर्य का निर्बाध दृश्य प्राप्त करता है और वर्तमान में सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला उपग्रह SOHO इसी बिन्दु पर हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2024-01-07 11:11:462024-01-23 11:22:36इसरो ने आदित्य एल-1 उपग्रह को अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया