आईएनएस मोरमुगाओ युद्धपोत को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया

स्वदेश निर्मित आइएनएस मोरमुगाओ (INS Mormugao) युद्धपोत को 18 दिसम्बर को नौसेना में शामिल कर लिया गया. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में इसे मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में नौसेना में शामिल किया गया.

आईएनएस मोरमुगाओ: मुख्य बिन्दु

  • आईएनएस मोरमुगाओ का डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन ने तैयार किया है. इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDSL) मुंबई ने किया है.
  • इसे आत्मनिर्भर भारत के तहत निर्मित किया गया है. गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर के नाम पर इसका नाम मोरमुगाओ रखा गया है.
  • इस पोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और इसका वजन 7400 टन है. इसे भारत द्वारा निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में गिना जा सकता है. पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइनों से गति मिलती है.
  • आईएनएस मोरमुगाओ पलक झपकते ही 30 समुद्री मील तक की गति पकड़ सकता है. कोई भी राडार पोत को आसानी से नहीं पकड़ सकता है.
  • यह ब्रह्मोस और बराक-8 जैसी मिसाइलों से लैस है. इसमें इजराइल का मल्टी फंक्शन सर्विलांस थ्रेट अलर्ट रडार ‘एमएफ-स्टार’ भी लगा है. जो हवा में ही लंबी दूरी के लक्ष्य का पता लगा लेता है.
  • इसकी पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है. इसमें रॉकेट लॉन्चर, तारपीडो लॉन्चर और एसएडब्लू हेलीकॉप्टर की व्यवस्था भी है. यह आणविक, जैविक और रासायनिक युद्ध परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम है.
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वाराणसी में काशी- तमिल संगमम आयोजित किया गया

वाराणसी में 17 नवंबर से 16 दिसम्बर तक काशी- तमिल संगमम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने किया था. गृह मंत्री अमित शाह इसके समापन समारोह में मुख्य अतिथि थे.

मुख्य बिन्दु

  • काशी- तमिल संगमम  का उद्देश्य देश के दो महत्वपूर्ण शिक्षण पीठों – तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने सम्‍पर्कों को नये सिरे से स्थापित करना था.
  • इस एक माह के संगमम में तमिलनाडु से विभिन्न वर्गों के करीब ढाई हजार लोगों ने काशी का दौरा किया और यहां की कला-संस्कृति, लोक-परंपराओं, रहन-सहन, भाषा तथा खानपान के बारे में नजदीक से जाना. वहीं, स्थानीय लोगों को भी तमिल संस्कृति को और निकट से जानने का अवसर मिला.
  • काशी तमिल संगमम के तहत वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में रोजाना सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ जिसमें तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने अपनी कला-संस्कृति, संगीत और लोक नृत्यों का प्रदर्शन किया.
  • खेल, फिल्म, हथकरघा और हस्तशिल्प जैसी अन्य विधाओं से जुड़ी गतिविधियां भी आयोजित की गयीं, जिसमें तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया.
  • काशी तमिल संगमम ने तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों को पुर्नजीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.
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भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विशेष मंत्रिस्तरीय कार्यक्रम

भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दो विशेष मंत्रिस्तरीय कार्यक्रम 14-15 दिसम्बर को न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया था. इन कार्यक्रमों की अध्यक्षता विदेश मंत्री डॉक्टर सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर ने की थी.

दिसंबर 2022 के लिए भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है. नियमों के मुताबिक़, परिषद की अध्यक्षता इसके 15 सदस्यों के बीच उनके नाम के पहले अक्षर के हिसाब से हर महीने बदलती रहती है. अस्थाई सदस्य के रूप में भारत का 2 साल का कार्यकाल 31 दिसंबर 2022 को समाप्त हो रहा है.

मुख्य बिन्दु

  • विदेश मंत्री डॉक्टर जयशंकर ने दो खुली वार्ता की अध्यक्षता की. 14 दिसम्बर को होने वाली वार्ता का विषय ‘परिष्‍कृत बहुपक्षवाद के लिए नए दिशा-निर्देश’ था. 15 दिसम्बर की चर्चा का विषय था ‘आतंकवाद से निपटने के लिए वैश्विक दृष्टिकोण-चुनौतियां और समाधान’. ये दोनों विषय सुरक्षा परिषद में भारत के लिए प्रमुख प्राथमिकताएं थीं.
  • डॉ. जयशंकर ने बहुपक्षवाद वार्ता में, आतंकवादियों के बचाव के लिए बहुपक्षीय मंचों के दुरुपयोग की बात कही. डॉक्‍टर जयशंकर का ईशारा चीन की ओर था, जिसने जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर जैसे पाकिस्तानी आतंकवादियों को ब्लैक लिस्ट करने के लिए कई अवसरों पर भारत और अमेरिका के आह्वान का विरोध किया.
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अंतरराष्‍ट्रीय शांति और सुरक्षा को आतंकवाद से खतरा विषय पर उन्होंने कहा कि विश्व को राजनीतिक मतभेदों से उबरकर आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने की प्रतिबद्धता दर्शानी होगी. श्री जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद की रोकथाम के लिये जवाबदेही सुनिश्चित किया जाना जरूरी है.
  • ब्रिटेन, फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन व्यक्त किया है.
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भारत ने अग्नि-पांच मिसाइल का सफल रात्रि परीक्षण किया

भारत ने 15 दिसम्बर को परमाणु सक्षम बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-पांच (Agni-5 Missile) का सफल रात्रि परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिसा के बालासोर तट स्थित एपीजे अब्‍दुल कलाम द्वीप से किया गया.

यह अग्नि-पांच मिसाइल का रात्रि परीक्षण था. इस दौरान मिसाइल में प्रयुक्‍त नई प्रौद्योगिकी और उपकरणों की सक्षमता की पुष्टि की गयी.

अग्नि-पांच मिसाइल: मुख्य बिन्दु

  • अग्नि-पांच मिसाइल अपनी शृंखला में सबसे आधुनिक हथियार है. यह पूरी सटीकता के साथ पांच हजार किलोमीटर तक लक्ष्‍य को भेदने में सक्षम है. इसमें नौवहन के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियां हैं.
  • अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली बहुत कम देशों के पास है, जिनमें अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और उत्तर कोरिया शामिल हैं.
  • भारत के पास पहले से ही 700 किमी रेंज वाली अग्नि-1, 2000 किमी रेंज वाली अग्नि-2, 2,500 किमी से 3,500 किमी रेंज वाली अग्नि-3 मिसाइलें हैं.
  • अग्नि-4 और अग्नि-5 को चीन को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. अग्नि-5 मिसाइल पूरे चीन को निशाना बनाने में सक्षम है.
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गुजरात और हिमाचल प्रदेश में नए विधानसभा का गठन

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में नए विधानसभा का गठन हुआ है. इन दोनों राज्यों में हाल ही में विधानसभा चुनाव कराए गए थे. मतगणना 8 दिसम्बर को संपन्न हुआ था.

भूपेन्द्र पटेल पुनः गुजरात के मुख्यमंत्री बने

  • गुजरात विधानसभा के कुल 182 सीटों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 156 सीटें जीत कर बहुमत प्राप्त किया था. इस विधानसभा में कांग्रेस ने 17 और आम आदमी पार्टी ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी.
  • राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गुजरात में नए विधानसभा के गठन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए चौदहवीं विधानसभा को भंग कर दिया था. इससे पहले राजभवन में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने अपने पूरे मंत्रिमंडल सहित अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया था.
  • प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते BJP ने अगली सरकार बनाने का दावा भी पेश किया. BJP के नव-निर्वाचित विधायकों की बैठक में भूपेन्द्र पटेल को विधायक दल का नेता चुना गया था.
  • भूपेन्द्र पटेल ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की दूसरी बार शपथ 12 दिसम्बर को ली. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने उन्हें राज्य के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. पटेल सितंबर 2021 में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे. वे घाटलोडिया सीट से विधानसभा सदस्य चुने गए हैं.

सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री

  • हिमाचल प्रदेश विधानसभा के कुल 68 सीटों में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस ने 40 सीटें जीत कर बहुमत प्राप्त किया था. इस विधानसभा में BJP ने 25 सीटों पर विजय प्राप्त की थी.
  • काँग्रेस ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री और मुकेश अग्निहोत्री उप-मुख्यमंत्री चुना. हिमाचल प्रदेश के नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान को अगला मुख्यमंत्री चुनने के लिए अधिकृत किया था.
  • सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हैं. वे नदौण से वर्तमान सहित पांच बार के विधायक हैं.
  • उन्होंने 11 दिसम्बर को हिमाचल प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई.
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भारत, वासेनार व्यवस्था की अध्यक्षता पहली जनवरी को संभालेगा

भारत, वासेनार व्यवस्था (Wassenaar Arrangement-WA) की अध्यक्षता पहली जनवरी को संभालेगा. वासेनार व्यवस्था बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण प्रशासन है जिसमें सदस्य देश पारम्‍परिक हथियारों के हस्तांतरण जैसे विभिन्न मुद्दों पर सूचना का आदान-प्रदान करते हैं.

भारत 7 दिसम्बर 2017 को वासेनार व्यवस्था का 42वां सदस्य बना था.

भारत के निर्यात नियंत्रण प्रशासन में प्रवेश से परमाणु अप्रसार क्षेत्र में देश की साख बढे़गी, हालांकि भारत परमाणु अप्रसार संधि का सदस्य नहीं है. जानिए क्या है वासेनार अरेंजमेंट…»

परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर अंडमान निकोबार के 21 निर्जन द्वीपों के नाम रखे गए

केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार में 21 निर्जन द्वीपों के नाम, परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिकों के नाम पर रखे गए हैं. इन 21 द्वीपों में से 16 उत्तर और मध्य अंडमान जिले में स्थित हैं, जबकि पांच द्वीप दक्षिण अंडमान में हैं.

मुख्य बिदु

  • उत्तर और मध्य अंडमान में निर्जन द्वीप संख्या ‘आईएनएएन 370’ को मेजर सोमनाथ शर्मा के नाम पर ‘सोमनाथ द्वीप’ के नाम से जाना जाएगा. मेजर सोमनाथ शर्मा देश के पहले परमवीर चक्र विजेता हैं.
  • भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान अपनी वीरता के लिए सम्मानित सूबेदार और मानद कैप्टन करम सिंह के नाम पर ‘आईएनएएन 308’ द्वीप का नाम ‘करम सिंह’ द्वीप रखा गया है.
  • इसके अलावा मेजर रामा राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत, कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा मागर, सूबेदार जोगिंदर सिंह सहनन, मेजर शैतान सिंह भाटी, कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, कर्नल होशियार सिंह दहिया, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, कैप्टन बाना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय और सूबेदार मेजर संजय कुमार के नाम पर भी द्वीपों के नाम रखे गए हैं.
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भारत ने 1 दिसम्बर को औपचारिक रूप से जी-20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण किया

भारत ने 1 दिसम्बर को एक वर्ष के लिए औपचारिक रूप से जी-20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण किया. जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए बहुत बड़ा अवसर है जिससे देश को विश्व मंच पर प्रतिष्ठा मिलेगी.

मुख्य बिन्दु

  • इंडोनेशिया के बाली में आयोजित 17वें G20 शिखर सम्मेलन 2022 के समापन सत्र में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने सांकेतिक रूप से जी-20 की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपी थी.
  • बाली शिखर सम्‍मेलन के समापन सत्र को सम्‍बोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा था कि जी-20 का एजेंडा समावेशी, महत्‍वाकांक्षी, निर्णायक और कार्योन्‍मुखी होगा.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए कार्य करेगा और एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना को साकार करेगा.
  • कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा कि भारत एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका सहित विश्व के दक्षिणी देशों की आवाज के रूप में उभरने का प्रयास करेगा.
  • भारत की अध्यक्षता के दौरान 32 विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विषयों पर देश के अलग-अलग भागों में लगभग 200 बैठकें आयोजित की जायेंगी.

जानिए क्या है जी-20 और जी-20 शिखर सम्मेलन…»

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ISRO ने बहुपयोगी साउंडिंग रॉकेट RH-200 का 200वां सफल प्रक्षेपण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 25 नवंबर को अपने बहुपयोगी साउंडिंग रॉकेट RH-200 का 200वां सफल प्रक्षेपण किया था. यह प्रक्षेपण तिरूवनंतपुरम के थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (TERLS) से किया गया था.

RH200 क्या है?

  • RH200, दो चरणों वाला बहुउद्देश्यीय साउंडिंग रॉकेट है जो वैज्ञानिक पेलोड को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है.
  • यह 70 किमी की ऊंचाई तक जाने में सक्षम है. 3.5 मीटर लंबा यह रॉकेट रोहिणी रॉकेट परिवार का है. इसका उपयोग इसरो द्वारा वायुमंडलीय अध्ययन के लिए किया जाता है.
  • साउंडिंग रॉकेट, उपकरण ले जाने वाला रॉकेट है जो अपनी उड़ान के दौरान माप लेने और वैज्ञानिक प्रयोग करने में सक्षम है.
  • इसका उपयोग पृथ्वी की सतह से 48 से 145 किमी की ऊँचाई पर उपकरणों को लॉन्च करने के लिए किया जाता है. इस रॉकेट का पहला और दूसरा चरण ठोस मोटरों द्वारा संचालित होता है.
  • भारत में लॉन्च किया जाने वाला पहला साउंडिंग रॉकेट अमेरिकी नाइकी-अपाचे (Nike-Apache) था. यह ऐतिहासिक लांच 21 नवंबर, 1963 को हुआ था.
  • रोहिणी RH-75 – पहला स्वदेशी रूप से विकसित साउंडिंग रॉकेट – 1967 में इसरो द्वारा लॉन्च किया गया था. तब से, इन रॉकेटों को TERLS और सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा दोनों से लॉन्च किया गया है.
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अहोम सेनापति लचित बारफुकन की 400वीं जयंती मनाई गई

असम के प्रसिद्ध युद्ध नायक अहोम सेनापति लचित बारफुकन की 400वीं जयंती हाल ही में मनाई गई थी. इस अवसर पर 23 से 25 नवंबर तक एक समारोह नई दिल्ली आयोजित किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समापन समारोह में भाग लिए थे.

लचित बारफुकन ने सरायघाट के प्रसिद्ध युद्ध में मुगलों को पराजित किया था. देश की राजधानी में 400वीं जयंती समारोह आयोजित करने का प्रधान उद्देश्‍य लचित बारफुकन के शौर्य और युद्ध कौशल के बारे में देश की जनता को बताना था.

लचित बारफुकन कौन थे?

  • लचित बारफुकन, अहोम सेना के प्रसिद्ध सेनापति थे, जिन्होंने मुगलों को पराजित किया और औरंगजेब की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को रोक दिया था.
  • लाचित बरफुकन मोमाई तमुली बोरबरुआ के सातवें और सबसे छोटे बेटे थे. उनके पिता अहोम साम्राज्य के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और मुख्य न्यायाधीश थे.

अहोम साम्राज्य

  • अहोम साम्राज्य की स्थापना 1228 में स्वर्गदेव सुकफा ने की थी. मुग़ल-अहोम संघर्ष पहली बार 1615 में शुरू हुआ था.
  • लाचित बरफुकन के सेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के समय तक मुग़लों ने गुवाहाटी पर क़ब्ज़ा कर लिया था. उसके बाद अहोम सगारू ने गुवाहाटी को फिर से हासिल करने का संकल्प लिया और उसके बाद लाचित बरफुकन ने अपनी सेना खड़ी की.
  • उनकी सेना ने गुवाहाटी पर फिर से क़ब्ज़ा किया और उसके बाद औरंगज़ेब ने राम सिंह को गुवाहाटी फिर से हासिल करने के लिए तैनात कर दिया.
  • 1671 में प्रसिद्ध सरायघाट का युद्ध लड़ा गया. बीमारी के बावजूद लाचित ने अपनी सेना को ब्रह्मपुत्र नदी पर मुग़लों को हराने के लिए प्रेरित किया था.
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लीथ सॉफ्ट शेल कछुए का संरक्षण: पनामा संधि देशों ने भारत का प्रस्ताव स्वीकार किया

भारत ने लुप्त प्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी संधि के अंतर्गत लीथ सॉफ्ट शेल कछुए के सरंक्षण के लिए ठोस कदम उठाये हैं. कछुए की इस प्रजाति को संधि के परिशिष्ट-2 से परिशिष्ट-1 (गंभीर रूप से लुप्तप्राय) में स्थानांतरित करने का भारत का प्रस्ताव पनामा संधि में शामिल देशों ने स्वीकार कर लिया है. इससे व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए इस प्रजाति के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर पाबंदी लगेगी.

मुख्य बिन्दु

  • लीथ का सोफ्ट शेल कछुआ ताजे पानी का नरम खोल वाला एक बड़ा कछुआ है. यह कछुआ प्रायद्वीपीय भारत के लिए स्थानिक है और यह नदियों और जलाशयों में रहता है.
  • पिछले 30 वर्षों में कछुए की प्रजातियो का बहुत अधिक शोषण हुआ है. अवैध रूप से इसका शिकार किया गया और इसका उपभोग किया गया. मांस के लिए विदेशों में इसका अवैध रूप से कारोबार भी किया गया है.
  • पिछले 30 वर्षों में इस कछुए की प्रजाति की आबादी में 90 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. अब इस प्रजाति का पता लगाना मुश्किल है.
  • प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ द्वारा इसे ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ कछुए की प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
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देश का पहला प्राइवेट रॉकेट विक्रम-एस से तीन उपग्रहों का प्रक्षेपण

भारत के पहले प्राइवेट रॉकेट विक्रम-एस (Rocket Vikram-S)  ने 19 नवंबर को सफलता के साथ उड़ान भरी और तीन उपग्रहों (सैटलाइट्स) को उनकी कक्षा में स्थापित किया. यह प्रक्षेपण श्री हरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से किया गया.

इसके साथ ही देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में निजी क्षेत्र के प्रवेश का प्रारंभ हुआ. यही कारण है, इस मिशन का नाम ‘प्रारंभ’ रखा गया है.

रॉकेट ‘विक्रम एस’: मुख्य बिन्दु

  • इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई की याद में पहले प्राइवेट रॉकेट का नाम ‘विक्रम एस’ दिया गया है. इसे हैदराबाद के स्टार्टअप ‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ ने बनाया है.
  • 550 किलोग्राम वजनी यह रॉकेट कार्बन फाइबर से बना है. इसमें 3-D प्रिंटेड इंजन लगे हैं. यह रॉकेट 83 किलो के पेलोड (सैटलाइट) को 100 किमी. ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम है. यह आवाज की 5 गुना अधिकतम रफ्तार से उड़ान भर सकता है.
  • रॉकेट ‘विक्रम एस’ के पहले उड़ान से तीन सैटलाइट्स भेजे गए. इनमें दो भारतीय और एक विदेशी कंपनी का था. भारतीय सैटलाइट – चेन्नै बेस्ड स्टार्टअप ‘स्पेसकिड्ज़’ और आंध्र के एन-स्पेसटेक के थे. स्पेसकिड्ज़ के ‘फन-सैट’ को भारत, अमेरिका, सिंगापुर और इंडोनेशिया के स्टूडेंट्स ने तैयार किया है. वहीं, विदेशी सैटलाइट अर्मेनियन बाजूम-Q स्पेस रिसर्च लैब से जुड़ा था.
  • आम रॉकेट ईंधन के बजाय इसमें LNG (लिक्विड नेचरल गैस) और LoX (लिक्विड ऑक्सीजन) की मदद ली गई है, जो किफायती और प्रदूषण मुक्त होता है.
  • यह लॉन्च सब-ऑर्बिटल था यानी रॉकेट आउटर स्पेस में नहीं गया और काम पूरा कर समंदर में गिर गया.
  • भारत इस लॉन्च के बाद अमेरिका, रूस, ईयू, जापान, चीन और फ्रांस जैसे देशों के क्लब में शामिल हो गया, जहां प्राइवेट रॉकेट छोड़े जा रहे हैं.
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