कुर्द नेता अब्दुल लतीफ राशिद इराक के नए राष्ट्रपति चुने गए

इराक की संसद ने कुर्द राजनेता अब्दुल लतीफ राशिद को देश के नए राष्ट्रपति के रूप में चुना है. इराक के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने संसद में दो दौर के मतदान के बाद इराकी कुर्द बरहम सालेह को मात दी.

78 वर्षीय राशिद 2003 से 2010 तक इराकी जल संसाधन मंत्री थे.

इराक ने इससे पहले मौजूदा साल में 7 फरवरी से 30 मार्च तक नए राष्ट्राध्यक्ष का चुनाव करने के तीन असफल प्रयास किए थे.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव का अनुमोदन किया

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन के चार प्रांतों पर रूस के कब्जे के निंदा प्रस्ताव का अनुमोदन किया है. 143 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में और पांच ने इसके खिलाफ वोट दिया. भारत सहित 35 सदस्यों ने मतदान में भाग नहीं लिया.

महासभा ने सभी देशों से यूक्रेनी प्रांतों को रूसी क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं देने और रूस को राजनयिक तौर पर अलग-थलग करने की अपील की.

केवल चार देशों- सीरिया, निकारागुवा, उत्तर कोरिया और बेलारूस ने मतदान में रूस का साथ दिया.

रूस ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों का औपचारिक अधिग्रहण किया, सुरक्षा परिषद में रूस का वीटो

रूस यूक्रेन के उन चार क्षेत्रों का औपचारिक अधिग्रहण करेगा जहां उसने जनमत संग्रह करवाया था. ये क्षेत्र हैं- लुहांस्क, दोनेत्‍सक, खेरसन और जेपोरिजिया. रूस का दावा है कि इन क्षेत्रों के निवासियों ने रूस के शासन में रहने के पक्ष में मतदान किया है.

मुख्य बिन्दु

  • रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन 30 सितम्बर को क्रेमलिन में एक समारोह में यूक्रेन के इन चारों क्षेत्रों के औपचारिक रूप से अधिग्रहण की घोषणा की थी.
  • क्रीमिया के रूसी कब्जे के आठ साल बाद इन क्षेत्रों पर कब्जा किया गया है. क्रीमिया, एक यूक्रेनी क्षेत्र है जिस पर रूस ने 2014 में कब्ज़ा किया गया था.
  • इससे पहले, रूस ने इन क्षेत्रों में एक जनमत संग्रह कराया था. रूस के अनुसार इन क्षेत्रों के निवासियों ने औपचारिक रूप से रूस का हिस्सा बनने का समर्थन किया.
  • यूक्रेन सरकार और पश्चिमी देशों ने जनमत संग्रह को अवैध बताया है और इन क्षेत्रों पर रूसी दावों को कभी मान्यता नहीं देने की बात कही है.
  • रूस ने यूक्रेन के क्षेत्रों के अधिग्रहण की निंदा करने वाले पश्चिमी देशों के एक प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो कर दिया. यह प्रस्ताव अमरीका और अल्‍बानिया ने लाया था. प्रस्ताव में रूस से मांग की गई थी कि वह यूक्रेन से तुरंत अपनी सेनाएं हटायें.
  • 15 देशों की सदस्यता वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव पर मतदान किया लेकिन रूस के वीटो करने के कारण यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया.

ब्रदर्स ऑफ इटली गठबंधन की जियोर्जिया मेलोनी इटली की अगली प्रधानमंत्री होंगी

इटली में हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रीय चुनाव में ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ (Brothers of Italy) को बहुमत मिला है. ब्रदर्स ऑफ इटली वहाँ की धुर दक्षिणपंथी और अति राष्ट्रवादी गठबंधन है.

मुख्य बिन्दु

  • ब्रदर्स ऑफ इटली की अध्यक्ष जियोर्जिया मेलोनी अगली प्रधानमंत्री होंगी. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद देश की पहली महिला प्रधानमंत्री होंगी.
  • 1945 में देश के तानाशाह रहे मुसोलिनी के बाद उसकी पार्टी की समर्थक रही मेलोनी को प्रवासियों को देश में प्रवेश देने का विरोधी माना जाता है.
  • इससे पहले स्वीडन के संसदीय चुनावों (सितम्बर 2022) में धुर दक्षिणपंथी ‘स्वीडन डेमोक्रैट्स’ देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी.
  • रूस के मामले पर मेलोनी के गठबंधन के सहयोगियों का सुर अलग हैं. उनके सहयोगी बर्लुस्कोनी और साल्विनी दोनों के रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ रिश्ते रहे हैं, लेकिन यूक्रेन पर आक्रमण का उन्होंने समर्थन नहीं किया था.

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन, चार्ल्‍स तृतीय ब्रिटेन के नए सम्राट घोषित

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) का 8 सितम्बर को स्कॉटलैंड के बालमोरल कैसल में निधन हो गया. वे 96 वर्ष की थीं. वे 70 वर्षों से भी अधिक समय तक ब्रिटेन की महारानी रहीं. महारानी एलिजाबेथ के निधन पर दुनियाभर के नेताओं ने शोक-संवेदना प्रकट की हैं.

एलिजाबेथ द्वितीय: एक दृष्टि

  • महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (एलिजाबेथ एलेक्जेंड्रा मैरी) का जन्म 1926 में किंग जॉर्ज VI और क्वीन एलिजाबेथ की पहली संतान के रूप में हुआ था.
  • वह अपने पिता किंग जॉर्ज VI की मृत्यु के बाद 25 साल की उम्र में 6 फरवरी, 1952 को सिंहासन पर बैठी थीं.
  • 2 जून, 1953 को उन्हें कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित ब्रिटेन और अन्य क्षेत्रों की रानी के रूप में ताज पहनाया गया था.
  • वह कॉमनवेल्थ की प्रमुख और चर्च ऑफ इंग्लैंड की सुप्रीम गवर्नर भी थी. उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान विंस्टन चर्चिल से लेकर लिज़ ट्रस तक ब्रिटेन के 14 प्रधानमंत्रियों को देखा.
  • 2015 में, महारानी एलिजाबेथ अपनी परदादी महारानी विक्टोरिया को पीछे छोड़ते हुए सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली ब्रिटिश सम्राज्ञी बनीं.
  • रानी की मृत्यु के बाद, उनके सबसे बड़े बेटे चार्ल्स, प्रिंस ऑफ वेल्स, तुरंत यूनाइटेड किंगडम के राजा और चौदह अन्य राष्ट्रमंडल क्षेत्रों के रूप में सिंहासन पर आसीन हुए.

चार्ल्‍स तृतीय को औपचारिक रूप से ब्रिटेन के नए सम्राट घोषित

ब्रिटेन में सेंट जेम्‍स पैलेस ने चार्ल्‍स तृतीय को औपचारिक रूप से ब्रिटेन का नया सम्राट घोषित किया. वरिष्ठ राजनेताओं, न्यायाधीशों और अधिकारियों की उत्तराधिकार परिषद ने 10 सितम्बर को बैठक में महारानी एलीजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद चार्ल्‍स तृतीय को उनका उत्तराधिकारी घोषित किया.

चिली में नए संविधान को अस्वीकार किए जाने के बाद प्रदर्शन

चिली में जनमत संग्रह में नए संविधान को अस्वीकार कर दिया गया है. नए संविधान के अस्वीकार कर दिए जाने के बाद छात्रों का प्रदर्शन शुरू हो गया है.

मुख्य बिन्दु

  • 4 सितंबर को नए संविधान को स्वीकारने या खारिज करने के लिए जनमत संग्रह किया गया था. इस जनमत संग्रह में, नए संविधान के खिलाफ 61.9 प्रतिशत और इसके पक्ष में 38.1 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिला.
  • नए संविधान को खारिज किए जाने के बाद छात्रों का प्रदर्शन शुरू हो गया. छात्रों द्वारा पहले भी देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग की गई थी.
  • इसके परिणाम में प्रगतिशील राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक को सरकार के गठबंधन को व्यापक बनाने के लिए अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करना पड़ा.
  • नए संविधान में राष्ट्रपति को विधायकों के साथ सार्वजनिक खर्च से जुड़े कानूनों को प्रस्तुत करने की शक्ति दी गई है. वर्तमान में, यह शक्ति विशेष रूप से राष्ट्रपति के पास है.

कंजर्वेटिव पार्टी के नेता लिज़ ट्रस ब्रिटेन की 56वीं प्रधानमंत्री बनीं

कंजर्वेटिव पार्टी के नेता लिज़ ट्रस (Liz Truss) ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बनी हैं. वह देश की 56वीं प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने 6 जुलाई को प्रधानमंत्री के पद की शपथ ली थीं. उन्होंने श्री बोरिस जॉनसन का स्‍थान लिया हैं. इससे पहले श्री जॉनसन ने महारानी एलि‍जाबेथ द्व‍ितीय को अपना त्यागपत्र दिया था.

मुख्य बिन्दु

  • लिज़ ट्रस को कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्‍यों ने ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री और पार्टी का नेता चुना था. सुश्री लिज़ ने अपने प्रतिद्वंद्वी ऋषि सुनक को 57 प्रतिशत मतों से हराया.
  • वे, टेरेजा मे और मार्गरेट थैचर के बाद ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री होंगी.
  • प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद सुश्री लिज़ ने अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए करों में कटौती और ब्रिटेन को मंदी में जाने से रोकने के लिए कदम उठाने का वादा किया है.
  • ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के लिए चुनाव 2 सितम्बर को संपन्न हुआ था. इन पदों के लिए विदेश मंत्री लि‍ज ट्रस और पूर्व वित्‍तमंत्री ऋषि सुनक होड़ में थे.

संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार आयोग ने चीन में मानवाधिकारों पर रिपोर्ट जारी की

संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) ने चीन में मानवाधिकारों पर 31 सितमबर को एक रिपोर्ट जारी की थी.

UNHRC की रिपोर्ट: मुख्य बिन्दु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार चीन के शिनझियांग में वीगर स्‍वायत क्षेत्र में वीगर और मुख्‍य रूप से मुस्लिम समुदायों के खिलाफ मानवाधिकारों का गंभीर हनन हुआ है.
  • रिपोर्ट में कहा कि यातना या बुरे बर्ताव सहित जबरन चिकित्‍सा उपचार और हिरासत की बेहद खराब स्थितियों के आरोप पूरी तरह सत्‍य हैं.
  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने कहा कि वीगर और अन्‍य लोगों को लम्‍बे समय तक हिरासत में रखे जाना अंतरराष्ट्रीय अपराध विशेष रूप से मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में आ सकता है.

रूस ने ईरान के जासूसी उपग्रह ‘सुदूर खय्याम’ का प्रक्षेपण किया

रूस ने 10 अगस्त को ईरान के जासूसी उपग्रह ‘सुदूर खय्याम’ का प्रक्षेपण किया था. यह प्रक्षेपण रूसी सोयुज रॉकेट द्वारा दक्षिणी कजाकिस्तान में बैकोनूर कोस्मोड्रोम से किया गया था जो सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश किया. इसका नाम फारसी वैज्ञानिक उमर खय्याम के नाम पर रखा गया है, जो 11वीं और 12वीं शताब्दी में रहते थे.

ईरान ने कहा कि इस उपग्रह का उपयोग पर्यावरण निगरानी के लिए किया जाएगा और यह पूरी तरह से उसके नियंत्रण में रहेगा. इसका उपयोग केवल नागरिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा.

मुख्य बिन्दु

  • सुदूर खय्याम उपग्रह उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे से लैस है. यदि यह उपग्रह सफलतापूर्वक संचालित होता है, तो ईरान को अपने कट्टर दुश्मन इजराइल और मध्य पूर्व के अन्य देशों की निगरानी करने की क्षमता हासिल हो जाएगी.
  • पश्चिमी देशों ने इस उपग्रह के माध्यम से रूस द्वारा यूक्रेन में अपनी खुफिया क्षमता को बढ़ाने में उपयोग किए जाने का दावा किया है.
  • ईरान के पास नागरिक और सैन्य दोनों अंतरिक्ष कार्यक्रम हैं. अमेरिका को डर है कि इसका इस्तेमाल अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए कर सकता है.
  • यह उपग्रह एक मीटर-प्रति-पिक्सेल डेफिनेशन के साथ उच्च-रिज़ॉल्यूशन सर्विलांस छवियां प्रदान करेगा. पश्चिमी नागरिक उपग्रह लगभग आधा मीटर प्रति पिक्सेल की छवियां भेजते हैं, जबकि अमेरिकी जासूसी उपग्रहों के पास और उन्नत तकनीक है जिससे वे और हाई डेफिनेशन की तस्वीरें भेजते हैं.

अमेरिका ने स्वीडन और फिनलैंड को NATO के सदस्यता के लिए अनुमोदन किया

अमेरिका ने स्वीडन और फिनलैंड को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) मे शामिल करने के लिए अनुमोदन कर दिया है. अमरीका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ने 9 अगस्त को दोनों देशों के नैटो गठबंधन में शामिल होने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए.

मुख्य बिन्दु

यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई की प्रतिक्रिया में स्‍वीडन और फिनलैंड ने नैटो की सदस्‍यता के लिए आवेदन किया था. जबकि, रूस इसके खिलाफ दोनों देशों को लगातार चेतावनी देता रहा है.

तुर्की ने शुरू में नैटो संगठन में इन नॉर्डिक देशों के प्रवेश का विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि दोनों देश कुर्द अलगाववादियों को आश्रय दे रहे हैं. मैड्रिड में त्रिपक्षीय बैठक में तुर्की ने कुछ शर्तों के बाद विरोध समाप्त कर दिया था.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं.

नाटो के अन्य सदस्य देश: ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, अल्बानिया, क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो, उत्तर मैसेडोनिया (2020 मे शामिल), स्वीडन (2022 प्रस्तावित) और फिनलैंड (2022 प्रस्तावित).

अमेरिका – चीन तनाव, अमरीकी संसद की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा

हाल के दिनों में अमेरिका और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गया है. दोनों देशों के बीच तनाव तब चरण पर पहुँच गया जब अमरीकी संसद की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) चीन की चेतावनी के बावजूद 2 अगस्त को ताइवान पहुंच गई.

मुख्य घटनाक्रम: एक दृष्टि

  • सुश्री पेलोसी पिछले 25 वर्ष में ताइवान जाने वाली चुनी हुई उच्चस्तरीय अमरीकी अधिकारी हैं. उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा से अमरीका की आधिकारिक नीति का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.
  • उन्होंने ताइवान की राष्‍ट्रपति साइ-इंग-वेन और सांसदों से मुलाकात की. हालांकि, चीन, ताइवान को अलग देश के बजाय अपना अभिन्न अंग मानता है; सुश्री पेलोसी ने ताइवान के प्रति अमरीका की प्रतिबद्धता को दोहराया.
  • नैंसी पेलोसी के चीन की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए ताइवान पहुंचने के बाद चीन ने घोषणा की है कि वह लक्षित सैन्य अभियान शुरू करेगा. अमरीका की रिपब्लिकन पार्टी ने सुश्री पेलोसी की यात्रा का समर्थन किया है.

चीन-ताइवान विवाद क्या है?

  • चीन अपने ‘वन चाइना पॉलिसी’ के तहत ताइवान को अलग देश के बजाय अपना अभिन्न अंग मानता है. दूसरी तरफ ताइवान खुद को एक अलग और संप्रभु राष्ट्र मानता है. चीन नहीं चाहता है कि ताइवान के मुद्दे पर किसी भी तरह का विदेशी दखल हो.
  • ताइवान पहले चीन का हिस्सा था. 1644 के दौरान जब चीन में चिंग वंश का शासन तो ताइवान उसी के हिस्से में था. 1895 में चीन ने ताइवान को जापान को सौंप दिया.
  • 1949 में चीन में गृहयुद्ध हुआ तो माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कॉमिंगतांग पार्टी को हरा दिया. इसके बाद कॉमिंगतांग पार्टी ताइवान पहुंच गई और वहां जाकर अपनी सरकार बना ली.
  • दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार हुई तो उसने कॉमिंगतांग को ताइवान का नियंत्रण सौंप दिया. इसके बाद से ताइवान में चुनी हुई सरकार बन रही है. वहां का अपना संविधान भी है.
  • ताइवान का असली नाम रिपब्‍ल‍िक ऑफ चाइना है. वहीं चीन का नाम पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना है.

रूस ने वर्ष 2024 के बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्‍द्र छोड़ने का फैसला किया

रूस ने वर्ष 2024 के बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्‍द्र (The International Space Station) छोड़ने का फैसला किया है. रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमोस के अध्‍यक्ष यूरी बोरि सोफ ने इस निर्णय की घोषणा की.

यूक्रेन में रूस की सैन्‍य कार्रवाई और उसके खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों से रूस और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच यह घोषणा की गई. रूस और अमरीका पृथ्वी की कक्षा में 1998 में स्‍थापित अंतरिक्ष केन्‍द्र के लिए मिलकर काम करते रहे हैं.

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन क्या है?

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (ISS) बाहरी अन्तरिक्ष में मानव निर्मित उपग्रह है. इसे अनुसंधान और शोध के लिए बनाया गया है. इसे पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा में स्थापित किया गया है.

ISS विश्व की कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है. इसे बनाने में संयुक्त राज्य की नासा के साथ रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (RKA), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) काम कर रही हैं.