10 जनवरी: विश्‍व हिंदी दिवस

प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्‍व हिंदी दिवस (World Hindi Day) के रूप में मनाया जाता है. विदेशों में हिंदी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर साल यह दिवस मनाया जाता है.

2006 में इसी दिन पहली बार नागपुर में प्रथम विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन का आयोजन किया गया था. इस सम्मेलन की स्मृति में भारत सरकार ने 2006 से 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था.

विश्व में हिंदी की स्थिति

हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. भारत के करीब 77 प्रतिशत लोग हिंदी लिखते, पढ़ते, बोलते और समझते हैं. देश में हिंदी को राजकीय भाषा बनाने वाला पहला राज्य बिहार था.

अमेरिका के 45 विश्वविद्यालयों सहित पूरी दुनिया के करीब 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ाई जारी है.

हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने की पहल

भारत सरकार ने हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए एक पहल शुरू की है. इस पहल में संयुक्त राष्ट्र के उस नियम में बदलाव की मुहिम शुरू की गयी है जिसमें इस प्रस्ताव का अनुमोदन करने वाले देशों पर खर्च वहन करने का जिम्मा डाला गया है.

संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा के लिए नियम व शर्तें

संयुक्त राष्ट्र में किसी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए दो-तिहाई देशों द्वारा अनुमोदन जरूरी होता है.
अनुमोदन करने वाले देशों को इसके लिए होने वाले व्यय में हिस्सेदारी वहन करनी होती है. खर्च वहन करने की शर्त के कारण छोटे एवं गरीब देशों को समस्या होगी.

भारत पूरा खर्च वहन करने के लिए तैयार है लेकिन नियम के कारण ऐसा संभव नहीं है. इसी वजह से जर्मन एवं जापानी भाषा को भी संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है.

भारत ने संयुक्त राष्ट्र के इस नियम को बदलवाने के लिए मुहिम शुरू कर दी है. भारत का कहना है कि अगर वह खुद पूरा खर्च वहन करने का तैयार है तो हिन्दी को नियंत्रण निकाय की आधिकारिक भाषा बनाने की इजाजत मिलनी चाहिए.

14 सितम्बर: हिंदी दिवस

विश्‍व हिंदी दिवस के अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है. इसी दिन हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गयी थी. 14 सितम्बर, 1949 को संविधान सभा ने हिंदी भाषा को भारत की अधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था. पढ़ें पूरा आलेख…»

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4 जनवरी: लुई ब्रेल दिवस, ब्रेल लिपि से संबंधित जानकारी

प्रत्येक वर्ष 4 जनवरी को लुई ब्रेल दिवस (World Braille Day) मनाया जाता है. यह दिन दृष्टिबाधित दिव्‍यांगजनों को मानवाधिकार प्रदान करने और संचार के माध्‍यम के रूप में ब्रेल लिपि के बारे में जागरूकता लाने के लिए मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व भर में लगभग 39 मिलियन लोग देख नहीं सकते जबकि 253 मिलियन लोगों में कोई न कोई दृष्टि विकार है.

लुई ब्रेल का जन्मदिन

यह दिवस लुई ब्रेल के जन्मदिन पर मनाया जाता है. लुई ब्रेल का जन्म इसी दिन 1809 में फ्रांस में हुआ था. सिर्फ तीन साल की उम्र में, उन्‍होंने एक दुर्घटना में अपनी दोनों आँखें खो दी थीं. लुई ब्रेल ने नेत्रहीनों के लिये ब्रेल लिपि का निर्माण किया था. लुई ब्रेल की वजह से नेत्रहीनों को पढ़ने का मौक़ा मिला. उनके सम्मान में 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा विश्व ब्रेल दिवस अनुमोदित किया गया था.

ब्रेल लिपि: एक दृष्टि

  • ब्रेल लिपि (स्क्रिप्ट) एक तरह की लिपि है, जिसको विश्व भर में नेत्रहीनों को पढ़ने और लिखने में छूकर व्यवहार में लाया जाता है.
  • इस पद्धति का आविष्कार 1821 में एक नेत्रहीन फ्रांसीसी लेखक लुई ब्रेल ने किया था.
  • यह 6 बिंदुओं के उपयोग से 64 अक्षर और चिह्न वाली लिपि है.
  • दृष्टि बाधित समाचार वाचक द्वारा ब्रेल लिपि से लाइव समाचार पढ़ने का प्रारम्भ देश में सबसे पहले क्षेत्रीय समाचार एकांश अहमदाबाद द्वारा 2004 में शुरू किया गया था.
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3 जनवरी: सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले की जयंती

3 जनवरी को समाज सुधारिका सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले की जयंती (Savitribai Phule Jayanti) है. उनका जन्म 1831 में इसी दिन महाराष्ट्र स्थित सतारा के नायगांव में हुआ था. ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है.

सावित्रीबाई फुले: मुख्य तथ्य

  • सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं. उन्होंने स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए.
  • वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं. उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है. 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी.
  • सावित्रीबाई फुले को देश के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रधानाचार्या बनने और पहले किसान स्कूल की स्थापना करने का श्रेय जाता है. लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी.
  • सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना.
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2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है

2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (International Year of Millets – IYM) के रूप में मनाया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष की शुरुआत केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और भारतीय दूतावासों की गतिविधियों के साथ हुई.

मुख्य बिन्दु

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल और भारत सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है. यह भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर उत्साह के साथ मनाया जाएगा.
  • मोटे छोटे बीज वाली घास हैं जिन्हें अक्सर “न्यूट्री-अनाज” कहा जाता है. रागी, ज्वार और बाजरा जैसे मोटे अनाजों का लंबे समय से इस्तेमाल होता रहा है. सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान कई ऐसे सबूत मिले हैं जिससे यह पता चलता है कि मोटे अनाज भारत की प्राचीन फसलें रही थीं.
  • बाजरा प्रोटीन, फाइबर खनिज, लोहा और कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत है. एक अनुमान के अनुसार अफ्रीका और एशिया में 9 करोड़ से अधिक लोग अपने आहार के लिए बाजरा पर निर्भर हैं.
  • भारत बाजरे का एक प्रमुख उत्पादक है जिसका एशिया के उत्पादन में 80% और वैश्विक उत्पादन में 20% का योगदान है.
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29 दिसंबर 2022: गुरू गोबिन्द सिंह जी की 356वीं जयंती मनाई गयी

दसवें सिख गुरु, गुरू गोबिन्द सिंह जी की 356वीं जयंती 29 दिसंबर को मनाई गयी. उनका जन्म पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को पटना साहेब, बिहार में हुआ था. गुरु गोबिन्द सिंह ने अपना जीवन सत्य, न्याय और करुणा जैसे मूल्यों की रक्षा के लिये समर्पित किया.

सिख समुदाय के लोग इस पावन अवसर को प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं. गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मोत्सव पर मुख्य समारोह उनके जन्मस्थान पटना साहिब में तख्त हरमंदिर साहिब में आयोजित किया गया.

गुरू गोबिंद सिंह: एक दृष्टि

  • गुरु गोबिन्द सिंह का जन्म 05 जनवरी 1666 को पटना में हुआ था. उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त 11 नवम्बर सन 1675 को वे गुरू बने.
  • सन 1699 में बैसाखी के दिन उन्होने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है.
  • गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया.
  • बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है. यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है. दसम ग्रन्थ, गुरू गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है.
  • स्वयं इस्लाम न स्वीकारने के कारण 11 नवम्बर 1675 को औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में सार्वजनिक रूप से उनके पिता गुरु तेग बहादुर का सिर कटवा दिया.
  • उन्होंने “5 क” — केश, कंघा, कड़ा, किरपान तथा कच्छा की शुरुआत की थी.
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1 जनवरी 2023: DRDO का 65वां स्थापना दिवस

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 1 जनवरी 2023 को अपना 65वां स्थापना दिवस (65th DRDO Day) मनाया था. DRDO की स्थापना भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विशेष रूप से सैन्य प्रौद्योगिकी में मजबूत तथा आत्मनिर्भर बनाने के लिए 1 जनवरी, 1958 को की गई थी.

रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (DRDO): एक दृष्टि

  • DRDO, रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) का संक्षिप्त रूप है. यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक संगठन है.
  • रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मात्र दस प्रयोगशालाओं के साथ संगठन की शुरुआत हुई थी. इस संस्थान की स्थापना भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी.
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है. DRDO का आदर्श वाक्य ‘बलस्य मूलं विज्ञानं’ है. पूरे देश में DRDO की 52 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क है.
  • DRDO के वर्तमान अध्यक्ष समीर वी कामत हैं. DRDO देश की सुरक्षा के लिए मिसाइल, रडार, सोनार, टॉरपीडो आदि का निर्माण करती है.

DRDO की मुख्य संस्थाएं

  1. एडवांस्ड नूमेरिकल रिसर्च एण्ड एनलिसिस ग्रुप (anurag ) – हैदराबाद
  2. एडवांस्ड सिस्टम्स लैब्रटोरी – हैदराबाद
  3. एरियल डेलीवेरी रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ईस्टैब्लिश्मन्ट – आगरा
  4. ऐरोनोटिकल डेवलपमेंट ईस्टैब्लिश्मन्ट – बेंगलुरू
  5. अर्नमेंट्स रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ईस्टैब्लिश्मन्ट – पुणे
  6. सेंटर फॉर ऐरबोर्न सिस्टम – बेंगलुरू
  7. सेंटर फॉर आर्टिफिसियल इन्टेलिजन्स एण्ड रोबाटिक्स – बेंगलुरू
  8. सेंटर फॉर फायर एक्सप्लोसिव एण्ड एनवायरनमेंट सैफ्टी – दिल्ली
  9. कम्बैट वीइकल रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ईस्टैब्लिश्मन्ट – चेन्नई
  10. डिफेन्स फूड रिसर्च लैब्रटोरी – मैसूर
  11. टर्मिनल बलिस्टिक रिसर्च लैब्रटोरी – चंडीगढ़
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27 दिसंबर: महामारी की तैयारी का अंतर्राष्ट्रीय दिवस

27 दिसंबर, 2022 को महामारी की तैयारी का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Epidemic Preparedness) मनाया गया था. यह दिन महामारी के खिलाफ वैश्विक साझेदारी के महत्व को रेखांकित करता है.

इस दिवस को मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव को 2020 में मंज़ूरी दी थी. पहली बार यह दिवस 27 दिसंबर, 2020 को मनाया गया था.

महामारी में ज्यादातर संक्रामक रोग शामिल हैं. इसमें कैंसर और हृदय रोग और अन्य गैर-संचारी रोग शामिल नहीं हैं. एक महामारी वह बीमारी है जो कम समय के भीतर बड़े पैमाने पर लोगों में तेजी से फैलती है.

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26 दिसंबर 2022: पहला वीर बाल दिवस मनाया गया

26 दिसंबर 2022 को पहला वीर बाल दिवस (Veer Bal Diwas) मनाया गया. श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी के दो पुत्रों के बलिदान की स्मृति में यह दिवस मनाया गया.

मुख्य बिन्दु

  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस वर्ष श्री गुरु गोबिन्‍द सिंह जी के प्रकाश परब पर 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी.
  • आज ही के दिन श्री गुरू गोबिन्‍द सिंह जी के पुत्र साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह और साहिबजादा बाबा फतेह सिंह ने बलिदान दिया था. मुगलों ने उन्हें दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था.
  • गुरू गोबिन्‍द सिंह जी के चार बेटे साहिबजादा बाबा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह थे.
  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी इस अवसर पर दिल्ली के मेजर ध्‍यानचंद स्टेडियम में इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. प्रधानमंत्री लगभग तीन सौ बच्‍चों द्वारा प्रस्‍तुत किये जाने वाले शबद-कीर्तन में भी शामिल हुए.
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25 दिसम्बर: सुशासन दिवस, अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन

प्रत्येक वर्ष दिसम्बर को ‘सुशासन दिवस’ (Good Governance Day) और 19-25 दिसम्बर के सप्ताह को ‘सुशासन सप्ताह’ मनाया जाता है. सुशासन दिवस/सप्ताह का मुख्य उद्देश्य जनता को पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त और जिम्मेदार प्रशासन देना है. उनका जन्‍म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था. 25 दिसम्बर 2022 को अटल बिहारी वाजपेयी की 98वीं जयंती थी.

अटल बिहारी वाजपेयी: एक दृष्टि

  • श्री वाजपेयी लोकसभा के लिए दस बार और राज्‍यसभा के लिए दो बार चुने गए थे.
  • वे तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने. पहली बार 1996 में वे केवल 13 दिन तक प्रधानमंत्री रहे. दूसरा कार्यकाल 1998 से 1999 तक 11 महीने का रहा और इसके बाद 1999 से 2004 तक उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की.
  • श्री वाजपेयी के नेतृत्व में ही भारत ने 1998 में दूसरा पोखरण परमाणु परीक्षण किया था और परमाणु संपन्न देश के रूप में अपनी स्थिति सुदृढ कर ली थी.
  • अटल बिहारी वाजपेयी को 1992 में पद्म विभूषण और 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत-रत्न से अलंकृत किया गया था.
  • अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ. उनकी समाधि ‘सदैव अटल’ नई दिल्ली में स्थित है.
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25 दिसंबर: पंडित मदनमोहन मालवीय की जयंती

25 दिसंबर को महान शिक्षाविद, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती मनाई जाती है. उनका जन्म 1861 में इसी दिन इलाहबाद में हुआ था.

पंडित मदन मोहन मालवीय: एक दृष्टि

  • पंडित मदन मोहन मालवीय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष रहे थे. उन्होंने वर्ष 1909 में लाहौर, 1918 और 1930 में दिल्ली तथा 1932 में कोलकाता में कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षता की थी.
  • वह ‘हिन्दोस्तान’ नामक हिंदी दैनिक और ‘इंडियन ओपिनियन’ के संपादक रहे थे. 1907 में उन्होंने स्वयं हिंदी साप्ताहिक पत्रिका ‘अभ्युदय’ और 1910 में ‘मर्यादा’ नामक हिंदी समाचार पत्र की शुरुआत की.
  • उन्‍होंने देश में आधुनिक शिक्षा को बढावा दिया था. मालवीय जी ने 1916 में वाराणसी में काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय (BHU) की स्‍थापना की थी.
  • 1924 में उन्होंने लाला लाजपत राय, एमआर जयकर तथा घनश्याम दास बिरला की सहायता से हिंदुस्तान टाइम्स का अधिग्रहण किया था. वे 1924 से 1946 तक इसके संपादक रहे. उनके प्रयासों से ही 1936 में हिंदुस्तान टाइम्स का हिंदी संस्करण ‘हिंदुस्तान’ शुरू किया गया.
  • पंडित मदन मोहन मालवीय का निधन 1946 में इलाहबाद में हुआ था. उन्‍हें 2015 में मरणोपरांत भारत-रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.
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24 दिसम्बर: राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस

प्रत्येक वर्ष 24 दिसम्बर को ‘राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस’ (National Consumer Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्‍य उपभोक्‍ता आन्‍दोलन के महत्‍व और उपभोक्‍ताओं के अधिकारों तथा दायित्‍वों के बारे में जागरूक करना है.

इस वर्ष यानी 2022 में ‘राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस’ का मुख्य विषय (थीम) ‘निष्पक्ष डिजिटल वित्त’ (Fair Digital Finance) है.

भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता दिवस घोषित किया है, क्योंकि भारत के राष्‍ट्रपति ने उसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को मंजूरी दी थी.

इसके अतिरिक्‍त 15 मार्च को प्रत्‍येक वर्ष ‘विश्‍व उपभोक्‍ता अधिकार दिवस’ के रूप में मनाया जाता हैं.

उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक-2019

संसद ने 2019 में एक महत्‍वपूर्ण उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-2019 को अपनी मंजूरी दी थी. यह अधिनियम ‘उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986’ का जगह लिया था.

यह अधिनियम उपभोक्‍ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए एक ‘केंद्रीय उपभोक्‍ता संरक्षण प्राधिकरण’ (CCPA) की स्‍थापना करता है. CCPA अनुचित व्‍यापार तरीकों से उपभोक्‍ताओं को होने वाली परेशानियों को रोकने के लिए काम करेगा. यह उत्‍पादों की वापसी और पैसा वापस दिलाने के लिए भी कार्रवाई कर सकता है.

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23 दिसम्बर: राष्ट्रीय किसान दिवस

प्रत्येक वर्ष 23 दिसम्बर को भारत में राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmers Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानों के योगदान को सराहना, सम्मान देना और देश में इस अवसर पर किसान जागरूकता को लेकर कार्यक्रम आयोजित करना है. इस अवसर पर देश में किसानों के कल्याण के लिए उनके योगदान का स्मरण किया जाता है.

चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन

यह दिवस देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर मनाया जाता है. उनका जन्म इसी दिन 1902 में हुआ था. वह खुद एक किसान परिवार से थे. भारतीय किसानों की स्थिति में सुधार लाने का श्रेय उन्हें जाता है. भारत सरकार ने 2001 में किसान दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया था.

चौधरी चरण सिंह, जुलाई 1979 से जनवरी 1980 तक देश के पांचवें प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की थी. इससे पहले 3 अप्रैल 1967 से 25 फरवरी 1968 के बीच वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे.

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