2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है

2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (International Year of Millets – IYM) के रूप में मनाया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष की शुरुआत केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और भारतीय दूतावासों की गतिविधियों के साथ हुई.

मुख्य बिन्दु

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल और भारत सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है. यह भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर उत्साह के साथ मनाया जाएगा.
  • मोटे छोटे बीज वाली घास हैं जिन्हें अक्सर “न्यूट्री-अनाज” कहा जाता है. रागी, ज्वार और बाजरा जैसे मोटे अनाजों का लंबे समय से इस्तेमाल होता रहा है. सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान कई ऐसे सबूत मिले हैं जिससे यह पता चलता है कि मोटे अनाज भारत की प्राचीन फसलें रही थीं.
  • बाजरा प्रोटीन, फाइबर खनिज, लोहा और कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत है. एक अनुमान के अनुसार अफ्रीका और एशिया में 9 करोड़ से अधिक लोग अपने आहार के लिए बाजरा पर निर्भर हैं.
  • भारत बाजरे का एक प्रमुख उत्पादक है जिसका एशिया के उत्पादन में 80% और वैश्विक उत्पादन में 20% का योगदान है.
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