यात्री रेलगाडि़यों के परिचालन में निजी निवेश की पहल

रेल मंत्रालय ने 151 आधुनिक यात्री रेलगाडि़यों के परिचालन के लिए निजी क्षेत्र से अर्हता अनुरोध आमंत्रित किये हैं. ये रेलगाडि़यां भारतीय रेल के पूरे नेटवर्क पर 12 समूहों में चलाई जायेंगी. प्रत्‍येक रेलगाडी में 16 डिब्‍बे होंगे. भारतीय रेल नेटवर्क पर यात्री रेलगाडि़यों के परिचालन में निजी निवेश का यह पहला प्रयोग है.

निजी निवेश के लाभ

इस परियोजना में निजी क्षेत्र से तकरीबन तीस हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा. परियोजना में ज्‍यादातर रेलगाडि़यां भारत में निर्मित होंगी और निजी कंपनियां इनकी खरीद, संचालन तथा रखरखाव के लिए जिम्‍मेदार होंगी. इन रेलगाडि़यों को अधिकतम 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ने के अनुरूप बनाया जायेगा. इससे यात्रा समय में उल्‍लेखनीय कमी आयेगी.

निजी निवेश के उद्देश्य

इस पहल का उद्देश्‍य रेलगाडि़यों में आधुनिक तकनीक लाना और रखरखाव के खर्च में कटौती करना, यात्रा समय कम करना, रोजगार सृजित करना, यात्रियों को सुरक्षा उपलब्‍ध कराना तथा वैश्विक स्‍तर की सुविधा देना है. इससे लोगों की यात्रा मांग और आपूर्ति के अंतर में भी कमी लाना है.

12 क्लस्टर चलाये जाने का प्रस्ताव

सभी निजी यात्री रेलगाडि़यों को 12 क्लस्टर में चलाई जाएंगी. ये क्लस्टर- बेंगलुरू, चंडीगढ़, जयपुर, दिल्ली, मुंबई, पटना, प्रयागराज, सिकंदराबाद, हावड़ा और चेन्नै होंगे.

सहकारी बैंकों को RBI की निगरानी में लाने के लिए अध्यादेश पारित

सरकार ने सभी सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की निगरानी में लाने के लिए 24 जून को एक अध्यादेश पारित किया है. अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद देश के 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 बहु-राज्य सहकारी बैंक RBI की निगरानी (सुपरवाइजरी पॉवर्स) के अंतर्गत आ जाएंगे.

यह अध्यादेश इन बैंकों में जमाकर्ताओं की राशि को सुरक्षित रखने का आश्वासन देने के लिए किया गया है. अब RBI की शक्तियां जैसे कि अनुसूचित बैंकों पर लागू होती हैं, वैसे ही अब सहकारी बैंकों के लिए भी लागू होंगी.

प्रवासी मजदूरों के आजीविका के लिए गरीब कल्‍याण रोजगार अभियान की शुरूआत

प्रवासी मजदूरों और ग्रामीण लोगों को आजीविका के अवसर उपलब्‍ध कराने के लिए ‘गरीब कल्‍याण रोजगार अभियान’ (Garib Kalyan Rozgar Abhiyaan) की शुरूआत की गयी है. इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 20 जून को बिहार के खगडि़या जिले में तेलिहार गांव से वीडियो कॉंफ्रेंस के माध्‍यम की. इस अभियान का उद्देश्‍य लोगों को घर के पास ही उनके कौशल के अनुरूप रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराना है.

गरीब कल्‍याण रोजगार अभियान: मुख्य बिंदु

  • यह अभियान एक साथ छह राज्‍यों के 116 ऐसे जिलों में चलाया जाएगा जहां लौटे प्रवासी मजदूरों की संख्‍या 25 हजार से ज्‍यादा है. ये राज्य हैं- बिहार, उत्‍तर प्रदेश, झारखंड, ओडिसा, मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान. इन जिलों में यह अभियान सामान्‍य सेवा केंद्रों और कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्‍यम से चलाया जाएगा.
  • योजना को मिशन मोड में 125 दिनों में पूरा करने का लक्ष्‍य रखा गया है. इसके तहत प्रवासी मजदूरों को 25 विभिन्‍न प्रकार के रोजगार उपलब्‍ध कराने और ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरी ढांचागत विकास पर ध्‍यान केंद्रित किया जाएगा.
  • गरीब कल्‍याण रोजगार अभियान के माध्‍यम से गरीब ग्रामीण जनता को उनके घर के पास ही रोजगार उपलब्‍ध कराए जाएंगे. इसके तहत 50 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
  • यह अभियान 12 विभिन्‍न मंत्रालयों और विभागों के समन्वित प्रयासों से शुरू किया गया है जिसमें ग्रामीण‍ विकास, पंचायती राज, सड़क परिवहन और राजमार्ग, खान, पेयजल और स्‍वच्‍छता, पर्यावरण, रेलवे, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, सीमा सड़क, दूरसंचार और कृषि मंत्रालय शामिल हैं.

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को दर्शाने वाला पहला राष्ट्रीय ‘जलवायु पूर्वानुमान मॉडल’ विकसित

‘भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान’ (Indian Institute of Tropical Meteorology- IITM)- पुणे ने हाल ही में एक जलवायु पूर्वानुमान मॉडल (National Climate Assessment) विकसित किया है. यह मॉडल भारतीय उपमहाद्वीप पर ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभाव को दर्शाने वाला प्रथम राष्ट्रीय ‘जलवायु पूर्वानुमान मॉडल’ है.

यह मॉडल इस अवधारणा पर आधारित है कि वैश्विक समुदाय द्वारा ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किये गए तो जलवायु परिवर्तन की क्या स्थिति होगी. यह ‘जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल’ (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) का एक भाग है. इसकी रिपोर्ट 2022 तक तैयार होने की उम्मीद है.

जलवायु पूर्वानुमान मॉडल के मुख्य बिंदु

  • वर्ष 1901-2018 के दौरान भारत का औसत तापमान 0.7°C बढ़ा है. इस तापमान वृद्धि का प्रमुख कारण ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन है.
  • वर्ष 1986-2015 के बीच की अवधि में सबसे गर्म दिन तथा सबसे ठंडी रातों के तापमान में क्रमशः 0.63°C और 0.4°C की वृद्धि हुई है.
  • 21वीं सदी के अंत तक दिन तथा रात के तापमान में वर्ष 1976-2005 की अवधि की तुलना में लगभग 4.7°C और 5.5°C वृद्धि होने का अनुमान है.
  • वर्ष 2040 तक, वर्ष 1976-2005 की अवधि की तुलना में तापमान में 2.7°C और इस सदी के अंत तक तापमान में 4.4°C वृद्धि होने का अनुमान है.
  • भारत की जलवायु में तेज़ी से परिवर्तन के कारण देश की प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र, कृषि उत्पादकता और जल संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा.
  • वर्षा के पैटर्न में व्यापक बदलाव देखने को मिला है. वर्षा की तीव्रता में वृद्धि हुई है लेकिन वर्षा-अंतराल में लगातार वृद्धि हुई है. अरब सागर से उत्पन्न होने वाले अत्यधिक गंभीर चक्रवातों की आवृत्ति में वृद्धि हुई है.
  • मुंबई तट के साथ समुद्र स्तर में प्रति दशक में 3 सेमी की वृद्धि जबकि कोलकाता तट के साथ प्रति दशक में 5 सेमी की वृद्धि दर्ज की गई है.

फिच ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को ‘BBB-‘ पर बरकरार रखा

वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch) ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग (Sovereign Credit rating) को ‘BBB-‘ पर बरकरार रखा है. फिच ने आठ साल में पहली बार भारतीय अर्थव्यवस्था का आउटलुक ‘स्थिर’ से घटाकर ‘नकारात्मक’ कर दिया है.
कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर की अर्थव्यवस्था मंद पड़ी है. इससे विकसित और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में बदलाव की संभावना बढ़ गई है. भारत भी इससे अछूता नहीं है.

Moody’s और S&P की रेटिंग

उल्लेखनीय है कि इससे पहले मूडीज (Moody’s) ने भारत की रेटिंग को Baa2 से घटा कर Baa3 कर दिया था. उसके बाद S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने लगातार 13वें साल भारत के लिए सबसे कम निवेश श्रेणी ‘BBB-‘ रेटिंग को बरकरार रखते हुए कहा था कि भारत की दीर्घकालिक वृद्धि दर के लिए जोखिम बढ़ रहे हैं.

GDP में 5 फीसदी गिरावट का अनुमान

फिच के मुताबिक चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारत की अर्थव्यवस्था में 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की जाएगी. उसने कहा कि लॉकडाउन के दौरान आर्थिक गतिविधि पूरी तरह बंद रही. फिच के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में देश की GDP में 9.5 फीसदी की तेजी देखी जाएगी.

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग क्या होती है?

विभिन्न देशों की उधार चुकाने की क्षमता के आधार पर सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग तय की जाती है. रेटिंग एजेंसियां इसके लिए इकॉनोमी, मार्केट और राजनीतिक जोखिम को आधार मानती हैं. एजेंसियां क्रेडिट किसी देश की रेटिंग तय करते समाया उस देश के मूलधन और ब्याज जुकाने की क्षमता पर फोकस करती हैं. यह रेटिंग यह बताती है कि एक देश भविष्य में अपनी देनदारियों को चुका सकेगा या नहीं?

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग टॉप इन्वेस्टमेंट ग्रेड से लेकर जंक ग्रेड तक होती है. जंक ग्रेड को डिफॉल्ट श्रेणी में माना जाता है. सामान्य तौर पर इकॉनोमिक ग्रोथ, बाहरी कारण और सरकारी खजाने में ज्यादा बदलाव पर रेटिंग बदलती है.

मुख्य क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां

Standard & Poor’s (S&P), Fitch और Moody’s Investors सॉवरेन रेटिंग तय करने वाली विश्व की मुख्य एजेंसियां हैं.

S&P और फिच रेटिंग के लिए BBB+ को मानक रखती हैं, जबकि मूडीज का मानक Baa1 है. यह सबसे ऊंची रेटिंग है जो इन्वेस्टमेंट ग्रेड को दर्शाती है.

UNCTAD की ‘विश्व निवेश रिपोर्ट 2020’ जारी, 2019 में भारत में 51 अरब डालर का FDI

संयुक्त राष्ट्र के व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UN Conference on Trade and Development-UNCTAD) ने 15 जून को ‘विश्व निवेश रिपोर्ट 2020’ (World Investment Report 2020) जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत 2019 में 51 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) हासिल करने साथ वर्ष के दौरान दुनियाभर में नौवें नंबर पर रहा है.

भारत को वर्ष 2019 में 51 अरब डालर का विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त हुआ और वह वर्ष के दौरान दुनियाभर में अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पाने वाले देशों में नौवें नंबर पर रहा. विकासशील एशिया क्षेत्र में भारत सबसे ज्यादा FDI प्राप्त करने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल रहा.

वर्ष 2018 में भारत को 42 अरब डालर का FDI प्राप्त हुआ था. तब भारत FDI पाने वाले शीर्ष 20 देशों में 12वें स्थान पर रहा था.

2020 में 40 प्रतिशत गिरावट का अनुमान

रिपोर्ट में कहा गया है कि COVID-19 के चलते 2020 में दुनियाभर में FDI में 40 प्रतिशत तक गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है. यह गिरावट 2019 में हुये 1,540 अरब डालर के प्रवाह के मुकाबले आ सकती है.

यदि ऐसा होता है तो यह 2005 के बाद पहला अवसर होगा कि दुनिया के देशों में FDI पहली बार एक हजार अरब डालर के आंकड़े से नीचे आ जायेगा.

UNCTAD के इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में COVID-19 के बाद कमजोर लेकिन सकारात्मक आर्थिक वृद्धि हासिल होने और भारत के व्यापक बाजार देश के लिये निवेश आकर्षित करते रहेंगे.

NCDC की ‘सहकार मित्र योजना इंटर्नशिप कार्यक्रम’ का शुभारंभ किया गया

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 12 जून को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (National Cooperative Development Cooperation- NCDC) की ‘सहकार मित्र: इंटर्नशिप कार्यक्रम पर योजना (Scheme on Internship Programme)’ का शुभारंभ किया. NCDC ने स्टार्ट-अप सहकारी उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए एक पूरक स्कीम भी शुरू की है.

यह योजना युवा पेशेवरों को पेड इंटर्नशिप के रूप में NCDC एवं सहकारिता के साथ काम करके व्यवहारिक रूप से काम करने एवं सीखने का अवसर प्रदान करेगी. सहकार मित्र, कृषक उत्पादक संगठनों (FPO) की भूमिका निभाकर सहकारिता के माध्यम से व्यवसायिक शैक्षणिक संस्थानों के पेशेवरों को नेतृत्व एवं उद्यमशीलता को विकसित करने के लिए भी अवसर प्रदान करेगा.

इस योजना के तहत कृषि व संबद्ध क्षेत्र और IT में ग्रेजुएट इंटर्नशिप कार्यक्रम के लिए पात्र होंगे. कृषि, व्यापार, सहकारिता, वित्त, अंतरार्ष्ट्रीय व्यापार, वाणिज्य, ग्रामीण विकास, परियोजना प्रबंधन से MBA कर रहे या कर चुके युवा भी इसके योग्य होंगे.

NCDC ने सहकार मित्र पेड इंटर्नशिप कार्यक्रम हेतु फंड बनाया है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक इंटर्न को चार माह की अवधि के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त होगी.

RBI ने पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड बनाने की घोषणा की

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 5 जून को पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (PIDF) बनाने की घोषणा की. यह फंड 250 करोड़ रुपए के शुरुआती योगदान के साथ बनाया जाएगा. यह फंड कुल 500 करोड़ रुपए का होगा. शेष राशि कार्ड जारी करने वाले बैंक और कार्ड नेटवर्क लगाएंगे.

इस फंड से टीयर-3 से लेकर टीयर-6 तक के केंद्रों और पूर्वोत्तर राज्यों में कारोबारियों को प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

POS मशीन से कारोबारी भुगतान स्वीकार सकते हैं

POS मशीन के जरिये कारोबारी डिजिटल तरीके से भुगतान स्वीकार सकते हैं. इससे उन्हें नकदी को संभालने की जरूरत नहीं रहती. पिछले कुछ समय से RBI देश में ई-भुगतान प्रणालियों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है.

किसानों के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये

सरकार ने किसानों के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए. ये निर्णय 3 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गये. इन फैसलों से न केवल किसानों को बड़ा फायदा होगा बल्कि कृषि क्षेत्र की सूरत में भी आमूल-चूल तौर बदलाव होगा.

आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन

सरकार ने किसानों की आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन का फैसला किया है. यह कृषि क्षेत्र में बदलाव और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है.

मंत्रिमंडल ने कृषि उपज के बाधा मुक्त व्यापार को सुनिश्चित करने के लिए कृषि उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सहायता) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी. इस अध्‍यादेश से ऐसा माहौल बनाने में मदद मिलेगी जिसमें किसान और व्‍यापारी अपनी पसंद की कृषि उपज खरीद और बेच सकेंगे.

साथ ही मूल्‍य आश्‍वासन और कृषि सेवाओं से संबंधित किसान सशक्‍तीकरण और संरक्षण अध्‍यादेश-2020 को स्वीकृति दी गयी है. यह अध्‍यादेश किसानों को कृषि उपज का प्रसंस्‍करण करने वालों, एग्रीगेटरों, थोक विक्रेताओं, बडे पैमाने पर खुदरा व्‍यापार करने वालों और निर्यातकों के साथ बिना किसी शोषण की आशंका के बराबरी के साथ व्‍यावसायिक संबंध बनाने में सक्षम बनाएगा.

आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन से लाभ

  • सरकार के इन फैसलों से आवश्यक वस्तु की सूची से अनाज, दलहन, तिलहन, प्‍याज और आलू जैसी तमाम वस्तुएं और कृषि उत्पादों को बाहर किया गया है.
  • इससे किसान ‘एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी’ के बंधन से मुक्त हो जाएगा. किसान को न केवल अपनी फसल की अच्छी कीमत मिलेगी बल्कि वो उत्पादों का अपने मुताबिक भंडारण कर सकेंगे.
  • किसान अपनी मर्जी से कृषि उत्पादों को अब देश के किसी भी बाज़ार में बेच सकेगा. साथ ही उसे सीधे निर्यातकों को बेचने की भी अनुमति मिल गयी है.

इससे वन नेशन वन मार्केट की सरकार की नीति को भी बढावा मिलेगा. किसान प्रत्यक्ष रूप से विपणन से जुड़ सकेंगे, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और उन्हें अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा.

कृषि क्षेत्र में निजी और प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश बढ़ेगा

इन फैसलों से कृषि क्षेत्र में निजी और प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश भी बढ़ेगा. इससे कोल्‍ड स्‍टोरेज में निवेश बढ़ाने और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला यानी सप्‍लाई चेन के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी.

उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा

सरकार ने नियमों मे बदलाव करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा भी सुनिश्चित की है. अब अकाल या युद्ध और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में इन कृषि‍ उपजों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है.

आवश्यक वस्‍तु अधिनियम, 1955: एक दृष्टि

आवश्यक वस्‍तु अधिनियम, 1955 (Essential Commodities Act of 1955) को उपभोक्‍ताओं को अनिवार्य वस्‍तुओं की सहजता से उपलब्‍धता सुनिश्चित कराने तथा व्‍यापारियों के शोषण से उनकी रक्षा के लिए बनाया गया था.

इस अधिनियम में अनिवार्य वस्‍तुओं के उत्‍पादन वितरण और मूल्‍य निर्धारण नियंत्रित करने की व्‍यवस्‍था की गई है. इस अधिनियम के तहत अधिकांश शक्तियां राज्‍य सरकारों को दी गई हैं.

MSME की सहायता के लिए कई फैसलों को मंजूरी, MSME की परिभाषा में बदलाव

सरकार ने किसानों और सूक्ष्‍म, लघु और मझोले उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises) की सहायता के लिए 1 जून को कई ऐतिहासिक फैसलों को मंजूरी दी. यह मंजूरी प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दी गई.

MSME की परिभाषा को संशोधित करने की मंजूरी

मंत्रिमंडल ने सूक्ष्‍म, लघु और मझौले उद्यमों (MSME) की परिभाषा को और संशोधित करने की मंजूरी दी है. इस फैसले से अनेक औद्योगिक इकाईयों को MSME के दायरे में लाया जा सकेगा. 2006 में MSME डेवलपमेंट एक्ट के अस्तित्व में आने के 14 साल बाद यह संशोधन किया गया है.

सूक्ष्म इकाई: सूक्ष्म इकाई (Micro Units) की परिभाषा बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये के निवेश और 5 करोड़ रुपये का सकल कारोबार (टर्नओवर) कर दिया गया है.
लघु इकाई: लघु इकाई (Small Units) की सीमा बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये का निवेश और 50 करोड़ रुपये का टर्नओवर किया गया है.
मध्यम इकाई: मध्यम इकाई (Medium Units) की निवेश सीमा को 20 करोड़ रुपये से बढाकर 50 करोड़ रुपये तथा 100 करोड़ रुपये की जगह 250 करोड़ रुपये का टर्नओवर कर दिया गया है.

मंत्रिमंडल ने संकट में फंसे MSME की सहायता के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के आपात कोष को मंजूरी दी. साथ ही निर्यात में शामिल MSME में 50,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी.

MSME की मदद के लिए प्रधानमंत्री ने CHAMPIONS पोर्टल का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम (MSME) क्षेत्र की इकाइयों की मदद के लिए 1 जून को चैंपियंस (CHAMPIONS) पोर्टल का शुभारंभ किया. CHAMPIONS का पूरा नाम creation and harmonious application of modern processes for increasing the output and national strength है. यह पोर्टल टेक्नोलॉजी पर आधारित मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम है.

CHAMPIONS प्‍लेटफार्म पर देश में सभी MSME के लिए हर तरह के समाधान एक ही जगह उपलब्‍ध करायेगा. इस प्‍लेटफार्म पर MSME क्षेत्र से संबंधित फाइनेंस, कच्‍चे माल और सभी तरह की अनुमति के साथ शिकायतों का समाधान भी किया जा सकेगा.

CPGRAMS से जोड़ा गया है

यह देश का पहला ऐसा पोर्टल है जिसे भारत सरकार की मुख्य केन्द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (Centralized Public Grievance Redress and Monitoring System) यानी ‘CPGRAMS’ से जोड़ा गया है. यानी अगर किसी ने सीपी ग्राम्स पर शिकायत कर दी तो ये सीधे CHAMPIONS पोर्टल पर आ जाएगी. पहले ये शिकायत मंत्रालयों को भेजी जाती थी जिसे मंत्रालय के सिस्टम पर कापी किया जाता था.

AI का इस्तेमाल करेगा

CHAMPIONS पोर्टल को आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI), डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग से लैस किया गया है. इससे कारोबारियों की शिकायत के बिना भी उनकी समस्या निपटाई जा सकेगी. उदाहरण के लिए अगर किसी एक क्षेत्र में एक ही तरह की समस्या ज्यादा हो रही है तो AI से ये समस्या चैंपियन्स पोर्टल पर दिखने लगेगी.

प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म निर्भर निधि (PMSVANidhi) शुरू की गयी

सरकार ने रेहड़ी विक्रेताओं को सस्ते ब्याज पर ऋण प्रदान करने के लिए एक विशेष माइक्रो-क्रेडिट सुविधा ‘PMSVANidhi’ शुरू की है. यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 1 जून को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक लिया गया.

सरकार ने रेहड़ी विक्रेताओं को सस्ते ब्याज पर ऋण प्रदान करने के लिए एक विशेष माइक्रो-क्रेडिट सुविधा ‘प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म निर्भर निधि’ (PMSVANidhi) शुरू की है. यह योजना आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने शुरू की है. योजना के तहत 10,000 रुपये तक की कार्यशील पूंजी ऋण का लाभ दिया गया है जिसे एक वर्ष में चुकाया जा सकता है.

विभिन्न क्षेत्रों संदर्भों में वेंडर, हॉकर, ठेले और रेहड़ी वाले सहित 50 लाख से अधिक लोगों को इस योजना से लाभ मिलने की संभावना है. सेवाओं में नाई की दुकानें, मोची, पान की दूकानें व कपड़े धोने की दुकानों को शामिल किया गया है.